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View Full Version : ख़ुद को इस तरह ढालना यारों


Dr. Rakesh Srivastava
07-09-2013, 06:01 PM
चाहे फाँके उबालना यारों ; .ख़्वाब भरपूर पालना यारों .
प्रयास अनमने विफल होते ; पूरी क्षमता निकालना यारों .
आज कहते हैं जो नाक़ाबिल , कल ; उनको अचरज में डालना यारों .
साथ छूटे न उसूलों का कभी ; इनको भरसक संभालना यारों .
जिसमें जो - जो दिखें भली बातें ; अपने जीवन में ढालना यारों .
कारवाँ जिनके पीछे चलता हो ; उनकी फ़ितरत खँगालना यारों .
आत्मा जो - जो कमी बतलाये ; दिन -ब- दिन उनको चालना यारों .
रौशनी आँख की नाकाफ़ी है ; दीप ज़ेहनों में बालना यारों .
विरोध करना तो हल भी रखना ; ना कि मुद्दे उछालना यारों .
विवाद मंज़िलों से भटकाते ; जितना मुमकिन हो टालना यारों .
खो गया तो बुढ़ापा आयेगा ; दिल में बचपन संभालना यारों .
जिस्म भर ना तराशो ग़ज़लों का ; रूह भी इनमें डालना यारों .

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव , गोमती नगर , लखनऊ .

Advo. Ravinder Ravi Sagar'
07-09-2013, 07:11 PM
वाह-वाह बहुत खूब

jai_bhardwaj
07-09-2013, 07:19 PM
कारवाँ जिनके पीछे चलता हो ; उनकी फ़ितरत खँगालना यारों .
विरोध करना तो हल भी रखना ; ना कि मुद्दे उछालना यारों .
विवाद मंज़िलों से भटकाते ; जितना मुमकिन हो टालना यारों .
जिस्म भर ना तराशो ग़ज़लों का ; रूह भी इनमें डालना यारों .

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव , गोमती नगर , लखनऊ .

ग़ज़ल की उपरोक्त चार पंक्तियाँ मेरे हृदय को तरंगित कर गयीं। आभार डाक्टर साहब।

ndhebar
07-09-2013, 07:39 PM
गजलों में रूह डालना तो कोई आपसे सिखे
सुभानअल्लाह

jitendragarg
07-09-2013, 08:13 PM
I don't have enough words to explain, how well it is crafted. really well done. :cheers:

abhisays
08-09-2013, 12:13 AM
मूड फ्रेश हो गया डॉक्टर साहब की यह ग़ज़ल पढ़कर। बहुत खूब, तहे दिल से दाद कबूल कीजिये। :bravo::bravo::bravo: