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View Full Version : लाश अपनी उठाए सभी लोग हैं


Hatim Jawed
12-09-2013, 11:35 PM
ग़ज़ल
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लाश अपनी उठाए सभी लोग हैं ।
इस तरह जी रहे ज़िन्दगी लोग हैं ।।
मुद्दतों साथ रहकर पता ये चला ।
अपने घर में सभी अजनबी लोग हैं ।।
किस से लुटने की फ़रियाद करने चले ?
मुन्सिफ़ों की जगह भी वहीलोग हैं ।।
एक-दो घूँट साग़र मे रहने भी दो ।
शैख़जी ! शहर में और भी लोग हैं ।।
जो यतीमों ग़रीबों के काम आ सकें ।
अब कहाँ ऐसे दिल के धनी लोग हैं??
क़त्ल करते हैं 'जावेद' जो रात दिन ।
उनका दावा है "हम मज़हबी लोग हैं" ।।
----हातिम जावेद

Advo. Ravinder Ravi Sagar'
12-09-2013, 11:43 PM
बहुत उम्दा!!!!!!!!!!!!