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View Full Version : 'दामिनी' के गुनहगारों को 'सजा-ए-मौत'


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13-09-2013, 03:34 PM
16 दिसंबर 2012 को चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप और हत्या मामले में दोषी ठहराए गए चार युवकों को फांसी की सजा सुनाई गई है। 10 सितंबर को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश (26), पवन (19), विनय (20) और अक्षय (28) को हत्या, गैंगरेप, डकैती, सबूत नष्ट करने सहित 11 अपराधों में दोषी ठहराया था।

जिस वक्*त यह सजा सुनाई जा रही थी उस वक्*त चारों दोषी और बलात्*कार की शिकार 'दामिनी' के माता-पिता भी मौजूद थे। अदालत का फैसला आने के बाद विनय फूट-फूट कर रोने लगा और जज मुझे माफ कर दो की गुहार लगाने लगा। एक और दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कोर्ट रूम में ही हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘यह सत्यमेव जयते नहीं झूठमेव जयते पर आधारित फैसला है।

चार आरोपियों को 10 सितंबर को दोषी करार दिया गया था। 11 सितंबर को उनकी सजा पर बहस हुई थी। उस दिन बचाव पक्ष के वकीलों पर लोगों द्वारा हमले की घटना के बाद शुक्रवार को दिल्*ली पुलिस ने साकेत कोर्ट परिसर में और आसपास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्*त किए थे।

(दामिनी के गुनहगारों ने मीडियावालों को दी गंदी गालियां, वकील पर चले चप्*पल)

दामिनी गैंगरेप केस में कुछ नाबालिग समेत छह आरोपी थे। राम सिंह की 11 मार्च को तिहाड़ जेल में मौत हो गई थी, वहीं नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 31 अगस्त को दोषी ठहराया था। विशेष लोक अभियोजक दयान कृष्णन ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ करार देते हुए चारों दोषियों को फांसी देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि वारदात को एक षडयंत्र के तहत अंजाम दिया गया और इन लोगों ने असहाय लड़की पर कोई दया नहीं दिखाई। बलात्कार करने के बाद पीडि़ता के शरीर में भोंकना और शरीर का भीतरी अंग निकालना यह दर्शाता है कि दोषियों ने उनके नृशंसता की हदें पार कर दी। बचाव पक्ष ने अदालत से गुहार लगाई थी कि सभी दोषी नौजवान हैं लिहाजा उन पर रियायत बरती जाए। उन्हें मृत्युदंड न दिया जाए। उनमें अभी सुधरने की गुंजाइश है। आवेश में आकर इस वारदात को अंजाम दिया गया था।

(दिल्*ली गैंगरेप: जज ने फैसले में कहा, यह निर्दयता से किया गया कत्*ल और गैंगरेप था)

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 237 पन्नों के अपने फैसले में कहा था कि आरोपियों ने पूर्व नियोजित षडयंत्र के साथ असहाय लड़की के साथ बलात्कार किया और उसे मारने की कोशिश की। अदालत ने सभी को हत्या का दोषी ठहराते हुए कहा कि आरोपियों ने पीडि़ता को ऐसे ‘जख्म’ दिए थे उसे उबर पाना पीडि़ता के लिए नामुकिन था। अदालत ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच की तारीफ की है।