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View Full Version : हमारी शेर "ओ" शायरी


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munneraja
29-10-2010, 08:14 PM
तुम्ही बताओ प्यार तुमसे कैसे करें
दिल के हर कोने में तुम ही तुम हो
फिर दूसरा एहसास वहाँ पैदा कैसे करें
कत्ले आम मचा रखा है तुम्हारे एहसास ने
थोडी सी जगह खाली कर दो तो प्यार तुम से करें

Hamsafar+
29-10-2010, 08:42 PM
वो पैकर-ए-बहार थे जिधर से वो गुज़र गये
ख़िज़ाँ-नसीब रास्ते भी सज गये सँवर गये

ये बात होश की नहीं ये रंग बेख़ुदी का है
मैं कुछ जवाब दे गया वो कुछ सवाल कर गये

मेरी नज़र का ज़ौक़ भी शरीक़-ए-हुस्न हो गया
वो और भी सँवर गये वो और भी निखर गये

हमें तो शौक़-ए-जुस्तजू में होश ही नहीं रहा
सुना है वो तो बारहा क़रीब से गुज़र गये

Sikandar_Khan
29-10-2010, 09:14 PM
वाह वाह वाह ..........

munneraja
30-10-2010, 09:52 AM
वाह वाह वाह ..........

अनुज
माना कि आप एक अच्छे श्रोता हैं
लेकिन आप भूल क्यों जाते हैं कि आप एक अच्छे वक्ता भी हैं
इस वाह वाह के अलावा कुछ और गाकर बोलिए

khalid
30-10-2010, 10:19 AM
इश्क और दोस्ती मेरी जिन्दगी का गुमान हैँ
इश्क मेरी रुह दोस्ती मेरा इमान हैँ
इश्क पे कर दुँ फिदा अपनी सारी जिन्दगी
मगर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान हैँ

ABHAY
30-10-2010, 10:24 AM
हा हा क्या लिखा है लगता है धोती को अभी अभी पानी में गोता है और खुद रगे सियार की तरह बोला है इरसाद इरसाद , क्या हाल है इरसाद !

Hamsafar+
30-10-2010, 10:25 AM
चिट्ठी है वतन से चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद ..
वतन की मिट्टी आई है, चिट्ठी आई है ...

ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं ...
ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं,
चिट्ठी ...

सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ ...
कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दीवाली, दीप नहीं दिल जले हैं खाली
तेरे बिन जब आई होली, पिचकारी से छूटी गोली
पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना...
फ़सल कटी आई बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी, चिट्ठी ...

पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था...
बंद हुआ ये मेल भी अब तो, खतम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना ...
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है
तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती हैं बेवा
तूने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा, देश पराया छोड़ के आजा
आजा उमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी हैं रोटी,
चिट्ठी ...

Sikandar_Khan
30-10-2010, 10:36 AM
कुछ राज हैँ
जो हम बता नही पाते
कुछ आंसू है
जो हम छुपा नही पाते
एक हम बदनसीब हैँ
चो आपको याद तक नही
और एक आप खुशनसीब है जिन्हे हम भूला नही पाते .

Hamsafar+
30-10-2010, 11:08 AM
एक वादा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं
वरना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं

जी में आता है उलट दें उनके चेहरे से नक़ाब
हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं

शम्मा जिसकी आबरू पर जान दे दे झूम कर
वो पतंगा जल तो जाता है फ़ना होता नहीं

एक मुद्दत से रह-ओ-रस्म-ए-नज़ारा बन्द है
अब तो उनका तूर पर भी सामना होता नहीं

TIGERLOVE
31-10-2010, 09:14 PM
वक़्त बदलता है ज़िन्दगी के साथ,
ज़िन्दगी बदलती है वक़्त के साथ.
दोस्त नहीं बदलता वक़्त के साथ,
बस वक़्त बदल जाता है दोस्तों के साथ.

सभी मित्रो को मेरा नमस्कार !!

jalwa
31-10-2010, 10:55 PM
सारे मुसाफिरों से ताल्लुक निकल पड़ा
गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया

jalwa
31-10-2010, 10:59 PM
जिसकी आवाज़ में सलवट हो निगाहों में चुभन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नही जोडा करते -गुलज़ार

jalwa
31-10-2010, 11:01 PM
आये हे बैकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब
किस के घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद

jalwa
31-10-2010, 11:19 PM
जिंदगी की बात सुनकर क्या कहें
इक तमन्ना थी जो अब तकाजा बन गयी

jai_bhardwaj
31-10-2010, 11:32 PM
सभी यह सोचते क्यों हैं कि उन्होंने आईना देखा /
यह राज की बात है कि 'जय' किसने क्या देखा //

jalwa
31-10-2010, 11:58 PM
हमको भी हमराह लेते जाईये
एक से अच्छा है दो का काफिला

jai_bhardwaj
01-11-2010, 12:17 AM
हमको भी हमराह लेते जाईये
एक से अच्छा है दो का काफिला

सत्य की कठिन डगर पे चल पड़े हो तुम
यह सत्य है कि आज तुम एकाकी रहोगे
मित्र! अगर इस राह को तुम नहीं छोड़ोगे
विश्वास है, 'जय' गाँधी सा नेतृत्व करोगे

Sikandar_Khan
05-11-2010, 09:23 AM
बस्तियोँ के जंगल मे
आदमी नही मिलते
आजकल जिसे देखो
देवता निकलता है ।

munneraja
05-11-2010, 10:53 AM
हमको भी हमराह लेते जाईये
एक से अच्छा है दो का काफिला

अकेले चले थे...
जुड़ते गए लोग
बनता गया काफिला ....

Sikandar_Khan
06-11-2010, 01:10 PM
तू अल्फाज की चादर ओढ़ के हरुफ की सूरत निकले फिर भी एहबाब ओ गैर तुझे पहचानते नही
बज्म ए इश्क मे गर तेरा जिक्र न छेडूं तो हाजरीन ए महफिल बुरा मानते हैँ
हांला के हाल ए दिल किसी पर बयान नही किया
सहर वाले मुझे दिवाना
ही गरदानते नही
इसे मुहब्बत की इन्तेहा कहूं या पागलपन
दीदार ए यार के बाद भी मिठाई बांटते नही
तेरे हुश्न को कितनी गजलोँ और नज्मोँ मे छुपाऊं
मेरी जान लोग मेरा मुञजा ए शुकुं जानते हैँ ...

arvind
06-11-2010, 03:54 PM
ख़ामोश रहने दो ग़मज़दों को, कुरेद कर हाले-दिल न पूछो।
तुम्हारी ही सब इनायतें हैं, मगर तुम्हें कुछ खबर नहीं है।

उन्हीं की चौखट सही, यह माना, रवा नहीं बेबुलाए जाना।
फ़क़ीर उज़लतगुज़ीं ‘सफ़ी’ है, गदाये-दरवाज़ागर नहीं है॥

उज़लतगुज़ीं - एकांतवासी
गदाये-दरवाज़ागर - दर का भिखारी

Hamsafar+
06-11-2010, 06:44 PM
मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू
सुना है आबशारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है

खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को
चरागों से मज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है, मचल ...

कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
मचल ...

तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी
मगर हम ख़ाकज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है
मचल ...

Hamsafar+
07-11-2010, 04:47 PM
आसमान कहता है रब से तूने चाँद दो क्यूँ बनाए
एक में रखा है दाग दूसरा है साफ़ साफ़
सबकी नज़र उसपे जाए हाय
वही तो है मेरी है वही तो
के जिसको देख देख देख चाँद जलता है
रब ने कहा ऐ आसमां उसे भेज के ज़मीं पे
हम भी पछताए हाय
वही तो है मेरी ...

उसको देख फूलों को होती है जलन
क्यूं कि उसकी खुश्बू में हैं सभी मगन
वो गुज़रे दूर से हवा के शोर से
उसके आने का पता चले यहां सभी ये जानें
आसमान कहता है ...

सात रंग दुनिया में होते हैं मगर
आठवां कहां है किसे है क्या खबर
जो उसको देख ले वो पल में जान ले
रंग क्यूं करे है कोशिशें रंग इक बनाने
आसमान कहता है ...

munneraja
11-11-2010, 12:20 PM
बिना पलक झपकाए तुम्हारी राह तकते हैं
एकटक देखना शायद इसी को कहते हैं

हरपल जिनकी याद आती है
वो शायद हमारे दिल में रहते हैं

arvind
11-11-2010, 01:12 PM
वो आँख बड़ी प्यारी थी,
जो हमने उसे मरी थी,
वो संदले बड़ी भारी थी,
जो उसने हमे मरी थी,
मुफ्त में ही पिट गए यार,
हमें तो आँख की बीमारी थी.
:gm:

arvind
11-11-2010, 01:14 PM
सोच समझ के ना की शादी जिसने,
उसने जीवन बिगाड़ लिया..
और चतुराई से की जिसने शादी,
उसने भी क्या उखाड़ लिया..

munneraja
15-11-2010, 02:50 PM
नजर इधर उधर ढूंढती है किसी को
इंतजार हमेशा ही है किसी का रहता
दिल हमेशा कसकता है रहता
बार बार यही सोचने पर दिल मजबूर है होता
कि क्या प्यार कभी पूरा नहीं होता

kamesh
15-11-2010, 03:01 PM
जबसे गए हो आप किसी अजनबी के साथ

कई रोग लग गएँ है मेरी जिन्दगी के साथ

kamesh
15-11-2010, 03:06 PM
आप तो मुस्कराते हुवे दुसरे जन्हा में चले गए

और हमें ये सजा सुना गए

"न रोना कभी मेरी याद में जनम

वरना चेन मुझे वहा भी नहीं होगा नसीब "

Hamsafar+
15-11-2010, 08:36 PM
रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह
अटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरह

ना ताब हिज्र में है न आराम वस्ल में
कम-बख़्त दिल को चैन नहीं है किसी तरह

मर चुक कहीं के तू ग़म-ए-हिज्राँ से छूट जाये
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह

ना जाये वाँ बनी है ना बिन जाये चैन है
क्या कीजिये हमें तो है मुश्किल सभी तरह

लगती हैं गालियाँ भी तेरे मुँह से क्या भली
क़ुर्बान तेरे फिर मुझे कह ले इसी तरह

हूँ जाँ-ब-लब बुतान-ए-सितमगर के हाथ से
क्या सब जहाँ में जीते हैं ':bang-head:' इसी तरह

Hamsafar+
16-11-2010, 07:38 AM
ग़ाफ़िल तुझे घड़ियाल ये देता है मुनादी
गरदूँ ने घड़ी उम्र की एक और घटा दी

किसके लिए रुका है किसके लिए रुकेगा
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है ...

पानी का बुलबुला है इन्साँ की ज़िन्दगानी
दम भर का ये फ़साना पल भर की ये कहानी
हर साँस साथ अपने पैग़ाम ला रहा है
करना है जो भी ...

दुनिया बुरा कहे तो इल्ज़ाम ये उठा ले
खुद मिट के भी किसी की तू ज़िन्दगी बचा ले
दिल का चिराग़ तुझको रस्ता दिखा रहा है
करना है जो भी ...

काँटे जो बोये तूने तो फूल कैसे पाए
तेरे गुनाह ही आख़िर हैं आज रंग लाए
अब सोच में क्यूँ पगले घड़ियाँ गंवा रहा है
करना है जो भी ...

ndhebar
18-11-2010, 04:43 AM
मोहब्बत की मेरे इम्तेहां हो गई,
सारी बातें खत्म बस यहां हो गई,

क्या से क्या हो गये जिनकी खातिर,
बातें अब ये उनके लिये बचपना हो गयीं

ndhebar
21-11-2010, 08:41 AM
तुम्हारे लिए मेरी हर सांस गम उठाएगी,
तुम्हारे लिए ये जिंदगी भी बर्बाद हो जायेगी,

आजमाना हो तो बोलो खुद को खाक कर के दिखा दूं,
तुम्हारे नाम की आवाज़ तो मेरे खाक से भी आएगी |

libya
21-11-2010, 09:42 AM
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की

कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की

उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की

libya
21-11-2010, 09:46 AM
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए,तुमसे,वो अफ़साने कहाँ जाते

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाखाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते

चलो अच्छा काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम जमाने-भर को समझाने कहाँ जाते

Kumar Anil
21-11-2010, 09:57 AM
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की

कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की

उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की

लिव्या जी
बहुत शानदार दिल के करीब लगी ।क्या खूबसूरती है कि मैँने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की ।

libya
21-11-2010, 09:57 AM
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला, तू बाँहें डाल के बाँहों में
दिल तोड़ने वाले देख के चल, हम भी तो पड़े हैं राहों में

क्या क्या न जफ़ायेँ दिल पे सहीं, पर तुम से कोई शिकवा न किया
इस जुर्म को भी शामिल कर लो, मेरे मासूम गुनाहों में

जहाँ चाँदनी रातों में तुम ने ख़ुद हमसे किया इक़रार-ए-वफ़ा
फिर आज हैं हम क्यों बेगाने, तेरी बेरहम निगाहों में

हम भी हैं वहीं, तुम भी हो वही, ये अपनी-अपनी क़िस्मत है
तुम खेल रहे हो ख़ुशियों से, हम डूब गये हैं आहों में

libya
21-11-2010, 09:59 AM
इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है
झाँकूँ उसके पीछे तो रुस्वाई ही रुस्वाई है

यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है

देख रहे हैं सब हैरत से नीले-नीले पानी को
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है

तोड़ गये पैमाना-ए-वफ़ा इस दौर में कैसे कैसे लोग
ये मत सोच "क़तील" कि बस इक यार तेरा हरजाई है

libya
21-11-2010, 10:02 AM
लिव्या जी
बहुत शानदार दिल के करीब लगी ।क्या खूबसूरती है कि मैँने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की ।

धन्यवाद अनिलजी

Hamsafar+
21-11-2010, 10:29 AM
जिनको मिली है ताक़त दुनिया सँवारने की /ख़ुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है //

Kumar Anil
21-11-2010, 10:51 AM
इक-इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है
झाँकूँ उसके पीछे तो रुस्वाई ही रुस्वाई है

यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है

देख रहे हैं सब हैरत से नीले-नीले पानी को
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है

तोड़ गये पैमाना-ए-वफ़ा इस दौर में कैसे कैसे लोग
ये मत सोच "क़तील" कि बस इक यार तेरा हरजाई है

वाह क्या अन्दाज है कतील शिफाई का - आँखेँ मेरी अपनी हैँ पर उनमेँ नीँद पराई है ।लिब्या जी बशीर बद्र की दिल को छूने वाली रचनाओँ से भी बावस्ता कराईये ।

Hamsafar+
21-11-2010, 11:12 AM
बरबाद ए गुलिस्तान करने को बस एक ही उल्लू काफी है..........हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम ए गुलिस्तान क्या होगा...

उल्लू बैठा ताक रहा, हर पंक्षी को खा रहा , जाएगा जब गुलिस्तां बंजर- हर शाख पे कंकाल बैठा होगा

Kumar Anil
22-11-2010, 10:28 AM
इश्क और दोस्ती मेरी जिन्दगी का गुमान हैँ
इश्क मेरी रुह दोस्ती मेरा इमान हैँ
इश्क पे कर दुँ फिदा अपनी सारी जिन्दगी
मगर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान हैँ

क्या बात है मित्र दोस्ती पर इश्क भी कुर्बान हैँ । कहीँ ये दोस्ताना वाली दोस्ती तो नहीँ ? खैर आपकी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीँ ।

libya
22-11-2010, 12:25 PM
वाह क्या अन्दाज है कतील शिफाई का - आँखेँ मेरी अपनी हैँ पर उनमेँ नीँद पराई है ।लिब्या जी बशीर बद्र की दिल को छूने वाली रचनाओँ से भी बावस्ता कराईये ।

बशीर बद्र की रचना

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में के मेरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो

वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो

कभी दिन की धूप में झूम के कभी शब के फूल को चूम के
यूँ ही साथ साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो

मेरे पास मेरे हबीब आ ज़रा और दिल के क़रीब आ
तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं के बिछड़ने का कोई डर न हो

libya
22-11-2010, 12:28 PM
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

तुम मेरी ज़िन्दगी हो, ये सच है,
ज़िन्दगी का मगर भरोसा क्या।

kamesh
22-11-2010, 04:10 PM
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

तुम मेरी ज़िन्दगी हो, ये सच है,
ज़िन्दगी का मगर भरोसा क्या।
कुछ तो मजबूरियां होंगी कोई यू बेवफा नहीं होता
रात का इंतजार कोंन करे दिन में क्या कुछ नहीं होता

kamesh
22-11-2010, 05:15 PM
अलविदा कह के जब यो चल दी
इन आँखों ने सारे ख्वाब खो दिए
गम मुझे ये नहीं की वो मुझे छोड़ गयी
दर्द तो तब हुवा जब अलविदा
कहते कहते वो रो गयी

Kumar Anil
23-11-2010, 06:55 PM
बशीर बद्र की रचना

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में के मेरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो

वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो

कभी दिन की धूप में झूम के कभी शब के फूल को चूम के
यूँ ही साथ साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो

मेरे पास मेरे हबीब आ ज़रा और दिल के क़रीब आ
तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं के बिछड़ने का कोई डर न हो

शुक्रिया मित्र , बशीर साहब को पढ़वा कर मेरी यादेँ ताजा कर दीँ । बशीर बद्र ऐसी अजीम शख्यिसत हैँ जो अलीगढ़ यूनिवर्सिटी मेँ जब m.a. की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब b. A. मेँ उनकी लिखी उर्दू पोयट्री उसी यूनिवर्सिटी के कोर्स मेँ पढ़ायी जाती थी ।

gulluu
23-11-2010, 07:05 PM
शुक्रिया मित्र , बशीर साहब को पढ़वा कर मेरी यादेँ ताजा कर दीँ । बशीर बद्र ऐसी अजीम शख्यिसत हैँ जो अलीगढ़ यूनिवर्सिटी मेँ जब m.a. की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब b. A. मेँ उनकी लिखी उर्दू पोयट्री उसी यूनिवर्सिटी के कोर्स मेँ पढ़ायी जाती थी ।
धन्यवाद ,अनिल कुमार जी, ये जानकारी देने के लिए, सचमुच ऑंखें खोल देने वाली जानकारी है .

Kumar Anil
24-11-2010, 05:08 AM
धन्यवाद ,अनिल कुमार जी, ये जानकारी देने के लिए, सचमुच ऑंखें खोल देने वाली जानकारी है .

गुल्लू जी आपका बहुत - बहुत शुक्रिया ।

Kumar Anil
24-11-2010, 05:19 AM
नजर से नजर ने मुलाकात कर ली , रहे दोनोँ खामोश औ ' बात कर ली । तसव्वुर की दुनिया भी कितनी हसीँ है , जहाँ चाहा हमने वहीँ बात कर ली ।

libya
24-11-2010, 06:18 PM
ख़्वाब इस आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाये
क़ब्र के सूखे हुये फूल उठा कर ले जाये

मुंतज़िर फूल में ख़ुश्बू की तरह हूँ कब से
कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाये

ये भी पानी है मगर आँखों का ऐसा पानी
जो हथेली पे रची मेहंदी उड़ा कर ले जाये

बशीर बद्र (सैयद मोहम्मद बशीर)

libya
24-11-2010, 06:21 PM
दूसरों को हमारी सज़ायें न दे
चांदनी रात को बद-दुआयें न दे

फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदायें न दे

सब गुनाहों का इक़रार करने लगें
इस क़दर ख़ुबसूरत सज़ायें न दे

मोतियों को छुपा सीपियों की तरह
बेवफ़ाओं को अपनी वफ़ायें न दे

मैं बिखर जाऊँगा आँसूओं की तरह
इस क़दर प्यार से बद-दुआयें न दे

libya
24-11-2010, 06:28 PM
बशीर बद्र की शायरी

भीगी हुई आँखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के मत जाओ कहीं घर न मिलेगा

फिर याद बहुत आयेगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

आँसू को कभी ओस का क़तरा न समझना
ऐसा तुम्हें चाहत का समुंदर न मिलेगा

इस ख़्वाब के माहौल में बे-ख़्वाब हैं आँखें
बाज़ार में ऐसा कोई ज़ेवर न मिलेगा

ये सोच लो अब आख़िरी साया है मुहब्बत
इस दर से उठोगे तो कोई दर न मिलेगा

libya
24-11-2010, 06:31 PM
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता

बडे लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहां दरिया समन्दर में मिले, दरिया नहीं रहता

तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नये अन्दाज वाला है
हमारे शहर में भी अब कोई हमसा नहीं रहता

मोहब्बत एक खुशबू है, हमेशा साथ रहती है
कोई इन्सान तन्हाई में भी कभी तन्हा नहीं रहता

libya
24-11-2010, 06:40 PM
Quote:
Originally Posted by libya
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।

तुम मेरी ज़िन्दगी हो, ये सच है,
ज़िन्दगी का मगर भरोसा क्या।

कुछ तो मजबूरियां होंगी कोई यू बेवफा नहीं होता
रात का इंतजार कोंन करे दिन में क्या कुछ नहीं होता

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता

मैं भी शायद बुरा नहीं होता
वो अगर बेवफ़ा नहीं होता

बेवफ़ा बेवफ़ा नहीं होता
ख़त्म ये फ़ासला नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता

रात का इंतज़ार कौन करे
आज-कल दिन में क्या नहीं होता

गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

Kumar Anil
24-11-2010, 09:27 PM
फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदायें न दे

मैं बिखर जाऊँगा आँसूओं की तरह
इस क़दर प्यार से बद-दुआयें न दे
वाह लिब्या जी कितने मासूम जज्बातोँ के साथ कितना खूबसूरत पैगाम दिया है । शुक्रिया आपका मुरीद होता जा रहा हूँ ।

jalwa
24-11-2010, 11:00 PM
बहुत शानदार रचनाएं हैं. सभी शायरों को धन्यवाद.
:gm:

libya
25-11-2010, 09:15 AM
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
आँखें मेरी भीगी हुईं चेहरा तेरा उतरा हुआ

अनमोल मोती प्यार के, दुनिया चुरा के ले गई
दिल की हवेली का कोई दरवाज़ा था टूटा हुआ

libya
25-11-2010, 09:20 AM
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

libya
25-11-2010, 09:30 AM
आया ही नहीं हमको आहिस्ता गुज़र जाना
शीशे का मुक़द्दर है टकरा के बिखर जाना

तारों की तरह शब के सीने में उतर जाना
आहट न हो क़दमों की इस तरह गुज़र जाना

नश्शे में सँभलने का फ़न यूँ ही नहीं आता
इन ज़ुल्फ़ों से सीखा है लहरा के सँवर जाना

libya
25-11-2010, 09:35 AM
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में

और जाम टूटेंगे इस शराब-ख़ाने में
मौसमों के आने में मौसमों के जाने में

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में

anjaan
25-11-2010, 09:40 AM
जब जब तुम अंगड़ाई लेते हो दम हमारा निकल जाता है.
ए जालिम deodrant लगाने मे तुम्हारा क्या जाता है ?

anjaan
25-11-2010, 09:40 AM
लाल दीवार पर चुने से लिखा था ग़ालिब ने
लाल दीवार पर चुने से लिखा था ग़ालिब ने
वा वा
यहाँ लिखना माना है.

anjaan
25-11-2010, 09:42 AM
इंटरनेट पर लड़की पटाई
इंटरनेट पर हो गयी सगाई
इंटरनेट पर डाइवोर्स हो गया
इस बहाने कंप्यूटर का कोर्स हो गया

libya
25-11-2010, 09:44 AM
मैंने दरिया से सीखी है, पानी की परदादारी
ऊपर-ऊपर हँसते रहना, गहराई में रो लेना

रोते क्यों हो, दिलवालों की तो क़िस्मत ऐसी होती है
सारी रात युँही जागोगे, दिन निकले तो सो लेना

libya
25-11-2010, 09:48 AM
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिसको गले लगा लिया वो दूर हो गया

कागज में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

महलों में हमने कितने सितारे सजा दिये
लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया

तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना
आईना बात करने पे मज़बूर हो गया

anjaan
25-11-2010, 09:52 AM
ना केमिस्ट्री होती ना मैं स्टूडेंट होता
ना ये लैब होती ना ये एक्सिडेंट होता
अभी प्रॅक्टिकल में आई नज़र एक लड़की
सुंदर थी नाक उस की टेस्ट ट्यूब जैसी
बातों में उस की ग्लूकोस की मिठास थी
साँसों में इस्टर की खुश्बू भी साथ थी
आँखों से झलकता था कुछ इस तरह का प्यार
बिन पिए ही हो जाता है आल्कोहॉल का खुमार
बेन्जेने सा होता था उसकी प्रेज़ेन्स का एहसास
अंधेरे में होता था रेडियम का आभास
नज़रें मिली, reaction हुआ
कुछ इस तरह Love का production हुआ
लगने लगे उस के घर के चक्कर ऐसे
न्यूक्लियस के चारों तरफ एलेक्ट्रान हों जैसे
उस दिन हमारे टेस्ट का कन्फर्मेशन हुआ
जब उस के डॅडी से हमारा introduction हुआ
सुन कर हमारी बात वो ऐसे उछल पड़े
Chlorine वाली ट्यूब में जैसे सोडियम भड़क उठे
वो बोले, होश में आओ, पहचानो अपनी औक़त
आइरन मिल नहीं सकता कभी गोल्ड के साथ
ये सुन कर टूटा हमारे अरमानों भरा बीकर
और हम चुप रहे Benzaldehyde का कड़वा घूँट पी कर
अब उस की यादों के सिवा हमारा कम चलता ना था
और लैब मैं हमारे दिल के सिवा कुछ जलता ना था

anjaan
25-11-2010, 09:55 AM
मजनू को लैला का sms नही आया
उसने 3 दिन से खाना नही खाया.
वो मरने वाला है लैला के प्यार में,
और लैला बैठी है sms फ्री होने के इंतेज़ार में.

anjaan
25-11-2010, 09:57 AM
हस्ती थी हसाती थी,
दिल को बहुत भाती थी,
देख देख शरमाती थी,
फिर अंदर से मुस्कुराती थी,
आज! पता चला
वो तो पागल थी.

libya
25-11-2010, 10:39 AM
मैं शाह राह नहीं, रास्ते का पत्थर हूँ
यहाँ सवार भी पैदल उतर कर चलते हैं

उन्हें कभी न बताना मैं उनकी आँखें हूँ
वो लोग फूल समझकर मुझे मसलते हैं

libya
25-11-2010, 10:43 AM
बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं
हमसफ़र साथ-साथ चलते हैं

किसके आँसू छिपे हैं फूलों में
चूमता हूँ तो होंठ जलते हैं

उसकी आँखों को गौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं

दिल में रहकर नज़र नहीं आते
ऐसे काँटें कहाँ निकलते हैं

ABHAY
25-11-2010, 10:53 AM
मेरी प्रतीमान आंसू में भिगोकर गढ़ लिया होता
अकींचन पांव तब आगे तुम्हारा बढ़ लिया होता
मेरी आँखों में भी अंकीत समर्पण की ऋचाएं थी
उन्हें कुछ अर्थ मील जाता जो तुमने पढ़ लिया होता

ABHAY
25-11-2010, 10:54 AM
तुम्हारे पास हूँ लेकीन जो दुरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊंगा ये मुमकिन है नहीं लेकीन
तुम्ही को भूलना सबसे जरूरी है समझता हूँ

ABHAY
25-11-2010, 10:55 AM
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेरे सह नहीं पाया
हवाओं के इसरो पर मगर मै बह नहीं पाया
अधुरा अनसुना ही रह गया ये प्यार का किस्सा
कभी तू सुन नहीं पाई कभी मै कह नहीं पाया

libya
25-11-2010, 11:03 AM
एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे ।
साक़िया जाते हैं, महफ़िल तेरी आबाद रहे ।।

बाग़बाँ दिल से वतन को यह दुआ देता है,
मैं रहूँ या न रहूँ यह चमन आबाद रहे ।

मुझको मिल जाय चहकने के लिए शाख़ मेरी,
कौन कहता है कि गुलशन में न सय्याद रहे ।

बाग़ में लेके जनम हमने असीरी झेली,
हमसे अच्छे रहे जंगल में जो आज़ाद रहे ।

libya
25-11-2010, 11:12 AM
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा

Kumar Anil
25-11-2010, 12:07 PM
मेरा प्रतिमान आंसू में भिगोकर गढ़ लिया होता ,
अकिँचन पांव तब आगे तुम्हारा बढ़ लिया होता ।
मेरी आँखों में भी अंकित समर्पण की ऋचाएं थी ,
उन्हें कुछ अर्थ मिल जाता जो तुमने पढ़ लिया होता ।

अभय जी ,
कृति अच्छी है , वर्तनी दोष के सुधार को अन्यथा न लीजिएगा । वस्तुतः समर्पण की ऋचाएँ आँखोँ से ही अर्थपूर्ण होती हैँ किन्तु मेरी समझ मेँ यह नहीँ आ रहा है कि प्रेम मेँ उपालम्भ करने वाला याची अपनी सम्पन्न प्रेमिका के पाँव को अकिँचन कहने की गुस्ताखी कैसे कर सकता है ।

Kumar Anil
26-11-2010, 08:01 PM
बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं
हमसफ़र साथ-साथ चलते हैं

किसके आँसू छिपे हैं फूलों में
चूमता हूँ तो होंठ जलते हैं

उसकी आँखों को गौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं

दिल में रहकर नज़र नहीं आते
ऐसे काँटें कहाँ निकलते हैं

उपमाओँ से सजी इस सुन्दर रचना की प्रस्तुति पर आपका शुक्रिया । आपके शानदार सँग्रह से कुछ और की उम्मीद लगा रखी है , उम्मीद है निराश नहीँ करेँगे ।

kamesh
27-11-2010, 06:45 PM
इश्क तुझसे करता हूँ
मैं ज़िन्दगी से ज्यादा
मैं डरता नहीं मौत से
तेरी जुदाई से ज्यादा
चाहे तो आज्माले मुझे
किसी और से ज्यादा

मेरी ज़िन्दगी में कुछ नहीं
तेरी मोहब्बत से ज्यादा

kamesh
27-11-2010, 07:45 PM
अजनबी सहर में अजनबी रास्ते

मेरी तन्हाई पे मुस्कराते रहे

मैं बहोत देर तक यू ही चलता रहा

मैं बहोत देर तक यू ही चलता रहा

तुम बहोत देर तक याड आते रहे

अजनबी सहर में अजनबी रास्ते

मेरी तन्हाई पे मुस्कराते रहे

Kumar Anil
28-11-2010, 06:33 AM
खो गयी है मेरे महबूब के चेहरे की चमक , चाँद निकले तो जरा उसकी तलाशी लेना । ऐ सितारोँ तुम्हेँ कलियोँ के तबस्सुम की कसम , ओस की बूँद पे सूरज की गवाही लेना ।

Kumar Anil
28-11-2010, 06:45 AM
इश्क तुझसे करता हूँ
मैं ज़िन्दगी से ज्यादा
मैं डरता नहीं मौत से
तेरी जुदाई से ज्यादा
चाहे तो आज्माले मुझे
किसी और से ज्यादा

मेरी ज़िन्दगी में कुछ नहीं
तेरी मोहब्बत से ज्यादा


एक सच्चे आशिक की अभिव्यक्ति को कितने सरल शब्दोँ मेँ पिरोकर प्रस्तुति सहज कर दी है कामेश जी , धन्यवाद ।

kamesh
28-11-2010, 07:18 AM
(स्वरचित )
चादनी रोंती है रात भर तो अश्क मोती ( ओस ) में बदल जाती है
अरे जालीम कभी आ के देख मेरे भी तकिए को
वहां भी मोतियों की बरसात होती है

kamesh
28-11-2010, 06:02 PM
आप गेरों की बात करते हो
हमने अपनों से चोट खाएं हैं
लोग काँटों से बच के चलतें हैं
हमने फूलो से जख्म खाएं है

Kumar Anil
29-11-2010, 07:19 AM
घनीभूत , अनुभूति तुम्हारे प्रेम छुअन की । अनदेखी स्पर्शमयी है त्रिविध पवन सी । इन्द्रधनुष से छा जाते हो मानस पट पर । मैँ तो तृषित चकोर चाँद तो तुम हो ।।

Kumar Anil
29-11-2010, 07:42 AM
ये जन्नत है जीवन , ये दोजख है जीवन । तुमसे ही बनती -बिगड़ती फिजॉ है । तेरे बिन ये जीवन कहर है जहर है । अगर पास तुम हो मजा ही मजा है ।।
सुधी पाठकोँ
उर्दू लफ्जोँ के टंकण मेँ नुक्ता लगाने का ज्ञान नहीँ है , फलतः इससे जनित् वर्तनी दोष आँखोँ को खटकता है । कृपया सुझाव देते हुए मार्गदर्शन करने का कष्ट करेँ , अनुग्रहीत होऊँगा ।

kamesh
29-11-2010, 05:39 PM
घनीभूत , अनुभूति तुम्हारे प्रेम छुअन की । अनदेखी स्पर्शमयी है त्रिविध पवन सी । इन्द्रधनुष से छा जाते हो मानस पट पर । मैँ तो तृषित चकोर चाँद तो तुम हो ।।
आप भी अनिल भेइया छोटे को सर्मिन्दा करते हो

चलो आप के पेशे खिदमत है
लगा के आग सिने में हर कोई दूर से देखता है

दोस्तों कबी गले मिल के तो देखो कितनी आग है सिने में

kamesh
29-11-2010, 05:40 PM
सिने में जलन आँखों में तूफान सा क्योँ है

हर सक्श इस शहर में परेशां सा क्यों है

Kumar Anil
29-11-2010, 06:48 PM
आप भी अनिल भेइया छोटे को सर्मिन्दा करते हो

चलो आप के पेशे खिदमत है
लगा के आग सिने में हर कोई दूर से देखता है

दोस्तों कबी गले मिल के तो देखो कितनी आग है सिने में

बहुत खूबसूरती से जज्बातोँ का इजहार कर डाला मगर ये आग जलती रहनी चाहिए । मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव है कि जब आप प्रेमाग्नि मेँ जल रहे होते हैँ तो वस्तुतः तप कर कुंदन बन रहे होते है । प्रेम का साहचर्य आपके अन्तस मेँ उदात्त भावनाओँ का तीव्र प्रवाह करता है और वो ईमानदारी , दया , कोमलता , निश्छलता , मधुरता को वास कराता है । हाँ , मैँ यह टिप्पणी प्रेम के सम्बन्ध मेँ कर हूँ न कि आकर्षण के , जिसे किशोर अपनी तरुणाई के मद मेँ प्रायः प्रेम की संज्ञा दे डालते हैँ ।
कामेश जी , मेरा प्रश्न अनुत्तरित ही रह गया । कृपया नुक्ते को टंकित करना बतायेँ ।

teji
03-12-2010, 01:28 PM
ये इश्क नहीं घर खाला का उसको भी समझना लाजिम है |
हर नक्शे कदम पर दिलबर के इस सर को झुकाना पड़ता है ||

teji
03-12-2010, 01:29 PM
अबकी बार जब मिलना तुम, मिलना मुझे दिल खोल के
ऐसी बातें करना मुझसे, जो भाषाओँ के बंधन तोड़ दे

कहना तुम अपनी भी कही, मेरी बीती सुन भी लेना
बस इतना ही रखना ख्याल , बातें न हमें झकझोर दें

अबकी बार जब मिलना तुम, मिलना मुझे दिल खोल के
समेट लेना यह एक अश्क हर बीते फ़साने हर बीते लम्हे मे

हर शब्द हर खामा बीती हर एक भूली याद को निचोड़ दे
कुछ ऐसा असर हो हमारे तासुवुरों की सोहबत का

दीवारों मे पड़ रही दरारों के भी रुख मोड़ दे
अबकी बार जब मिलना तुम, मिलना मुझे दिल खोल के

यूँ छुए रूह हमारी की चरंगा चरंगा हर जर्रा खुर्शेदे-आलम-ताब
हर बेकस मज-ज़ुब रूह को उसके रब से जोड़ दे

masoom
03-12-2010, 07:56 PM
तुम्हारे घर में दरवाज़ा हे लेकिन ,तुम्हे ख़तरे का अंदाज़ा नही हे |
हमे ख़तरे का अंदाज़ा हे लेकिन हमारे घर में दरवाज़ा नही हे |

ABHAY
08-12-2010, 09:19 AM
मैंने ख़ुदा से एक छोटी सी दुआ मांगी दुआ में उससे अपनी मौत मांगी

ख़ुदा ने कहा बेशक मैं तुझे मौत दे दूं पर उसे क्या दूं जिसने तेरी लंबी उमर की दुआ मांगी

ABHAY
08-12-2010, 09:19 AM
जिंदगी देने वाले , मरता छोड़ गये, अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,जब


पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की, वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये

ABHAY
08-12-2010, 09:20 AM
गुनाह करके सज़ा से डरते हैं, जहर पी के दवा से डरते हैं,

दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं, हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं |

ABHAY
08-12-2010, 09:23 AM
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,

तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको |

ABHAY
08-12-2010, 09:25 AM
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं, तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक



हैं, वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |

ABHAY
08-12-2010, 09:26 AM
हर एक सांस पर तेरा नाम लिए जा रहे है हर चहरे में तेरा चहरा देखे जा रहे



है, तुम्हारे तसव्वुर में इस कदर बैठे है अंदाजा भी नहीं होगा कितने जाम पिए जा रहे है|

ABHAY
08-12-2010, 09:27 AM
तुम्हारे साथ जीने की तमन्ना रहा गई बाकी क्या हुआ जो इस बार झोली रहा



गई खाली,माँग लेंगे खुदा से हर जन्म के लिए फिर ना रहेगी कोई ख़्वाहिश



बाकी

ABHAY
08-12-2010, 09:28 AM
तेरे इंतजार मे कब से उदास बैठे है तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे है

तू एक नज़र हम को देख ले इस आस मे कब से बेकरार बैठे है

ABHAY
08-12-2010, 09:29 AM
आँसू भी थोड़ा ठहर कर सोचते है हम तन्हाई मे ही क्यूँ निकलते है

दर्द-ऐ-हाल तो दिल का बयान करते है फिर हम क्यूँ छुप छुप कर रोते है

ABHAY
08-12-2010, 09:30 AM
मोहब्बत ही नहीं देती इम्तहान जिंदगी में ये बदनसीबी तो चाँद तारों के साथ



भी होतीहै,मोहब्बत ही बेआबरू नहीं होती जग में ग्रहण की छाया तो तारों पर



भी होती है

ABHAY
08-12-2010, 09:31 AM
करोगे फरियाद गुजरे ज़माने को तरसोगे हम साथ फक पल बिठाने को,


फिरआवाज़ दोगे हमें आने को हम कहेगे दरवाजा नहीं है कब्र से बाहर आने को,

ABHAY
08-12-2010, 09:39 AM
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है! जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है!



तेरे चेहरे की उदासी बता रही है! मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!

ABHAY
08-12-2010, 09:40 AM
मोहब्बत मुझे थी उसी से सनम! यादों में उसकी यह दिल तड़पता रहा!



मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी! कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा!

ABHAY
08-12-2010, 09:40 AM
सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको! किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको!



पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा! अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको!

ABHAY
08-12-2010, 09:41 AM
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती! मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती!



बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से! उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती!

ABHAY
08-12-2010, 09:42 AM
एक दिन हमारे आंसूं हमसे पूछ बैठे! हमे रोज़ - रोज़ क्यों बुलाते हो!



हमने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं तुम क्यों चले आते हो!

ABHAY
08-12-2010, 09:42 AM
जब तक तुम्हें न देखूं! दिल को करार नहीं आता!



अगर किसी गैर के साथ देखूं! तो फिर सहा नहीं जाता!

ABHAY
08-12-2010, 09:43 AM
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है! दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!



कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है! कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!

ABHAY
08-12-2010, 09:45 AM
तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है! खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है!



फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों! यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है!

ABHAY
08-12-2010, 09:47 AM
इश्क मुहब्बत तो सब करते हैं! गम - ऐ - जुदाई से सब डरते हैं



हम तो न इश्क करते हैं न मुहब्बत! हम तो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने के लिए तरसते हैं!

Hamsafar+
08-12-2010, 09:47 AM
चाहा न उसने मुझे बस देखते रहे . ..
मेरी ज़िन्दगी से बस खेलते रहे …
न उतरे कभी मेरी ज़िन्दगी की झील में …
बस किनारे पर बैठे पत्थर फेंकते रहे|

किसी की खातिर मुहबत की इन्तहा करदो,
पर इतना भी नहीं की उस को खुदा करदो,
मत टूट के चाहो किसी को इतना ,
की अपनी ही वफाओं से बेवफा करदो |

जिसको दिल ने प्यार से अपनाया, निकला वही सबसे पराया .
जिसको हमने समझा था अपने, रह गया वोह एक झुटा सपना .
या खुदा मेरे दुश्मनों को जिंदा रख
वर्ना मेरे मरने की दुआ कौन करेगा|

मैं तमाम कोशिशो के बावजूद हार गयी,
वोह उसे मिल गया जिसने उसे माँगा ही नहीं,
हर एक से पुछा तेरा न मिलने का सुबुब,
हर एक ने कहा वोह तेरे लिए बना ही नहीं|

Hamsafar+
08-12-2010, 09:47 AM
यूं चलते फिरते रहूँ मैं,
जब तुम हमसे टकराओगे ,
दिल की बात कहोगे पर,
तुम हमसे कह नहीं पाओगे,

रोते हुए जब देखोगे ,
तो भी दिल तुम्हारा रोएगा,
तुम अपना हाथ बढ़ाओगे ,
पर आंसू न पोछ पाओगे,

जब तुमसे कुछ कहूँगा मैं,
तो अनसुना तुम करोगे,
मेरी बात सुन्ना चाहोगे,
पर अफ़सोस …. सुन न पाओगे,

जब काग़ज़ पर मद – होशी से,
की तुम जो मेरा नाम लिखोगे ,
उस नाम को छूना चाहोगे,
पर लिखकर तुम मिटाओगे,

Hamsafar+
08-12-2010, 09:48 AM
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है ॥
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है ॥
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है॥
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है ॥

सितम को हमने बेरुखी समझा ,
प्यार को हमने बंदगी समझा ,
तुम चाहे हमे जो भी समझो ,
हमने तो तुम्हे अपनी जिंदगी समझा

Hamsafar+
08-12-2010, 09:48 AM
तनहा गुजर रही थी
तनहा गुजर रही है
जो आँखों में बस गयी थी
वो दिल में उतर रही है
वो चीज़ नहीं है तू
हो जिसको भुलाना आसान
आँखों की रौशनी थी
सांसों में खुशबू बनकर बिखर रही है
सब्नम की बूँद हो तुम
या हीरा तरसा कोई
चांदनी तेरे बदन से
पूनम की बिखर रही है
जय ” को रिझा लिया था
हर अदा ने तेरी
दिल में समाये रहती थी
तस्वीर तू भी मेरी
भुला दिया था जिनको कभी का -
उनकी याद आ रही है
जो सूखी पड़ी थी सदियों से
वो आँखें आंसू बहा रही है

Hamsafar+
08-12-2010, 09:48 AM
गम है की तुम्हे अपने प्यार का एहसास न करा खातिर
की तुम जाओ ये सोच के तुम्हे न मना खातिर ना रूठ
की तुम हो जाओ किसी बराबर आधुनिक ना गैर के
डार से कभी अपना न तुम्हे …… लिए है

तुझे भूल पाएंगे हम न भूलकर भी,
बस यही एक वाडा निभा पाएंगे हम.
मीता को भी देंगे जहां से लेकिन खुद,
तेरा नाम दिल मीता पाएंगे हम से ना.

वो आए मेरी ज़िंदगी में कहानी प्रतिबंध कार,
है दिल में रहे प्यार की निशानी प्रतिबंध कार,
अक्सर जिन्हे जगह देते है दिल है में हम,
आँखों से निकल वो जाते है पानी रोक कर ..

ABHAY
08-12-2010, 09:48 AM
न वो आ सके न हम कभी जा सके! न दर्द दिल का किसी को सुना सके!



बस बैठे है यादों में उनकी! न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके!

ABHAY
08-12-2010, 09:49 AM
बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया! उनकी यादों को दिल से मिटा दिया!



एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था मुझे भूल जाओ! और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया!

ABHAY
08-12-2010, 09:50 AM
बड़ी मुश्किल में हूँ! मैं कैसे इज़हार करू!



तुम तो खुशबु हो! तुमको कैसे कैद करू!

ABHAY
08-12-2010, 09:51 AM
कल फुर्सत न मिली तो क्या होगा! इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा!



रोज़ कहते हो कल मिलेंगे, कल मिलेंगे! कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा!

ABHAY
08-12-2010, 09:52 AM
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा! सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा!



न जाने क्या बात थी उन मे और हम मे! सारी महफिल भूल गए बस वही एक चेहरा याद रहा!

ABHAY
08-12-2010, 09:53 AM
आज यह कैसी उदासी छाई है! तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है!



रोया है फिर मेरा दिल! जाने आज किसकी याद आई है!

ABHAY
08-12-2010, 09:54 AM
माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये! एक बार जी के तो देखो हमारे लिये!



दिल की क्या औकात आपके सामने! हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!

ABHAY
08-12-2010, 09:55 AM
जिंदगी हर पल कुछ खास नहीं होती! फूलों की खुशबू पास नहीं होती!



मिलना हमारी तक़दीर में था वरना! इतनी प्यारी दोस्ती इतफाक नहीं होती!

ABHAY
08-12-2010, 09:56 AM
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है? जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?



कितने खायें है धोखे इन राहों में! फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?

ABHAY
08-12-2010, 09:57 AM
रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद!



हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!

ABHAY
08-12-2010, 09:58 AM
दिल जब टूटता है तो आवाज नहीं आती! हर किसी को मुहब्बत रास नहीं आती!



ये तो अपने-अपने नसीब की बात है! कोई भूलता नहीं और किसी को याद भी नहीं आती!

ABHAY
08-12-2010, 09:59 AM
काश दिल की आवाज़ में इतना असर हो जाये! हम आपको याद करे और आपको खबर हो जाये!



रब से बस इतनी दुआ करते हैं! आप जो चाहे आपको मिल जाये!

ABHAY
08-12-2010, 10:00 AM
जिंदगी शुरू होती है रिश्तों से! रिश्ते शुरू होते है प्यार से!



प्यार शुरू होता है अपनों से! और अपने शुरू होते है आप से!

ABHAY
08-12-2010, 10:00 AM
साथ रहते रहते वक़्त गुज़र जाएगा! दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा!



जी लो ये पल जब तक हम साथ है! कल का क्या पता हम हो न हो!

ABHAY
08-12-2010, 10:01 AM
कभी किसी से प्यार मत करना! हो जाये तो इंकार मत करना!



चल सको तो चलना उस राह पर! वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!

ABHAY
08-12-2010, 10:02 AM
चेहरे पर अश्कों की लक़ीर बन गई जो न चाहा था वो ही तक़दीर बन गई



हमने तो रेत पर चलाई थीं उंगलियां देखा तो आपकी तस्वीर बन गई।

ABHAY
08-12-2010, 10:03 AM
कहते है वक़्त हर ज़ख्म को भर देता है लेकिन जाने क्यो मैने अपने ज़ख्म को



हर वक़्त हारा पाया, तुम तो चल दिये छोड कर तन्हा मुझको लेकिन आंखो



को हर पल तेरे इन्तेज़ार मे बिछा पाया....................

ABHAY
08-12-2010, 10:03 AM
बहुत दिनो से आपका कोई पैगाम ना आया दिल का तडपना कुछ काम ना



आया, तू नही तो तेरी याद ही सही घर से तेरे मै नकाम ना आया.....

Hamsafar+
08-12-2010, 10:04 AM
रात होगी तो चाँद दुहाई देगा ,
खवाबों में आपको वोह चेहरा दिखाई देगा ,
ये मोहब्बत है ज़रा सोचके करना ,
एक आंसू भी गिरा तो सुने देगा .

अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे ,
तेरा मुजरिम हूँ , मुझे डूब के मर जाने दे ,
तुम याद किया करोगी मुझे मुझसे भी जयादा
बस एक बार तेरे नाम पे फनाह हो जाने दे .

आज भी एक सवाल है इस दिल में ,
प्यार का गम बेशुमार है इस दिल में ,
कुछ कह नहीं पता ये दिल मगर ,
किसी दिल के लिए बहुत प्यार है इस दिल में

ABHAY
08-12-2010, 10:04 AM
अब इस से बढकर वफा की हद क्या होगी कि हर ज़रे मे मैने अक्स तेरा पाया



जब कभी चली बात तेरी ए दोस्त जब्त आंसू कर गये हम लेकिन दिल को



रोता पाया

Hamsafar+
08-12-2010, 10:04 AM
सोया था रात को , पर नीद नहीं आयी ,
सारी रात हमको सिर्फ उनकी ही याद सताई ,
आँख खुली तोह पाया अपने आप को बिलकुल अकेला ,
फिर याद आया , तुझे रहना है ……., और अभी अकेला

फूलों की याद आती है कांटो को चुने पर ,
रिश्तो की समझ आती है फासलों पे रहने पर ,
कुछ जज़्बात ऐसे भी होते है जो आँखों में पढ़े नहीं जाते ,
वोह तोह नज़र आते है जुबां से कहने पर …..

चुप चुप क तेरा दीदार आज भी करता हूँ ,
जिसका न कोई जवाब वोह सवाल आज भी करता हूँ ,
इन्तहा मोहब्बत की बताने की तुझे कभी कोशिश जो की थी ,
नाकाम वोह काम आज भी करता हूँ …..

Hamsafar+
08-12-2010, 10:04 AM
तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते है
प्यार से नहीं रुसवाई से डरते है
मिलने की तो बहुत चाहत है
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते है

डर के बिना ज़िन्दगी क्या …
हौसला के बिना जीना क्या …
डर तो हमी भी है उससे दूर रहना का …
पर वोह डर ही क्या जब पास रहने को वोह इंसान ही नहीं रह !!!

वाह वाह नीचे 1 कीप आईटी कम्मिन
वक़्त ने वोह ख़ाक ओरई है दिल की दश से
क़फिल्लय गोज़र्तय है पर नक्श – इ -पर कोई नहीं ………

:किस दिल से तेरे पीयर की सौगात मंगू .
किस मोहब्बत से तेरे जुदाई का दर्द मंगू .
मुझे दर है तुझे खो देने का .
किस खुदा से तुझे पाने की दुआ मंगू .

ज़िन्दगी चाहत का सिलसिला है
फिर भी जिसको चाह वो कहाँ मिला है ,
दुश्मनों से हमें कोई शिकायत नहीं
अपनों ने ही लूटा इस बात का गिला है ,
जिसको चाह वो ही दे गया दगा हमको
ज़माने में क्या येही मिलता वफ़ा का सिला है.

ABHAY
08-12-2010, 10:05 AM
पत्थर सुलग रहे कोई नक्शा ना था हम जिस तरफ चले थे उधर रास्ता ना था


नाकामियो की सहर की तन्हाईया ना पूछ अपना सरिके गम कोई अपने सिवा



ना था

Hamsafar+
08-12-2010, 10:05 AM
तेरी किताब – इ – हयात में, मेरी औकात इक सफा है,
रंगीन फसानों में दबी कहीं मेरी वफ़ा है.

शिकायत उस लिखने वाले से है, तुझसे कोई गिला नहीं,
जो शायद इस कहानी में मेरे किरदार से खफा है.

किताब – इ – मुक़द्दस है मेरा प्यार, पर हार मिली,
इसमें कोई फसल ही नहीं जिसका नाम नुकसान या नफा है.

उनके दीद पर दफ्फतन निकल गया “या मेरे खुदा”
वो इसे अगर मानते हैं मेरी जफा तो मेरी जफा है.

तारीख जानता है तलवार की अज़ीयतें कलम पर,
हारी है शमशीर, कलम की फ़तेह हर दफा है.

Hamsafar+
08-12-2010, 10:05 AM
मुझे सुलाने की खातिर जब रात आती है,
मैं सो नहीं पाता रात सो जाती है,
पूछने पर दिल से आवाज़ आती है,
आज याद करलो रात तो रोज़ आती है.

तेरे प्यार की हमे जरुरत बहुत थी,
पर तुझे पाने की कीमत बहुत थी ,
आखिरी साँस तक तेरा इंतजार किया था हमने
पर तुझे वादा करके भूल जाने की आदत बहुत थी …

उनका वादा है की वो लौट आएंगे,
इसी उम्मीद पर हम जिए जायेंगे,
यह इंतज़ार भी उन्ही की तरह प्यारा है,
कर रहे है और किये जायेंगे.

कभी मिलते ख़ुशी से झूम उठते थे,
आज दूर तक कही वो नज़र नहीं आते,
कैसे कहे की वो हमे भूल जायेंगे,
वो तो कभी मेरे बिन रह भी नहीं पाते …

सितम को हमने बेरुखी समझा,
प्यार को हमने बंदगी समझा,
तुम चाहे हमे जो भी समझो,
पर हमने तो तुम्हे अपनी जिन्दगी समझा.

ABHAY
08-12-2010, 10:05 AM
काश ये दिन आया ना होता ज़िन्दगी ने यू अकेले छोडा ना होता



सब कुछ पाकर भी कुछ अधुरा सा है काश किसी दोस्त ने यू छोडा ना होता

Hamsafar+
08-12-2010, 10:05 AM
मेरी याद आये तो याद करो
ज्यादा याद आये तो एस एम् एस करो
और ज्यादा याद आये तो फ़ोन करो
और भी ज्यादा याद आये तो मिल लो
और ज्यादा याद आये तो ..
प्लीज़ झूठ बोलना बंद करो

आपकी नज़रों ने हमें घायल कर दिया,
तुम्हारे एक इशारे ने हाल – इ – दिल बयां कर दिया .
यादों ने तुम्हारी हमें पागल बना दिया ,
रोये थे न कभी पर आपने रुला दिया ?

नज़रें न होती तो नज़ारा न होता ,
दुनिया मैं हसीनो का गुज़ारा न होता ,
हमसे यह मत कहो के दिल लगाना छोड़ दे ,
जाके खुदा से कहो के हसीनो को बनाना छोड़ दे

Hamsafar+
08-12-2010, 10:06 AM
वफ़ा में अब ये हुनर इख्तिआर करना है ,
वोह सच कहे ना कहे एतबार करना है .
यह तुझको जागते रहने का शौक कबसे हुआ ,
मुझे तौ खैर तेरा इंतज़ार करना है .

ख्वाबो मैं आएंगे मैसेज की तरह .
दिल मैं बस जायेंगे रिंग टोने की तरह ,
ये यारी कभी कम न होगी बैलेंस की तरह ,
सिर्फ तुम बीजी न होना नेटवर्क की तरह .

बाद मरने के मेरे तुम जो कहानी लिखना
कैसे बर्बाद हुई मेरी जवानी लिखना .
यह भी लिखना की मेरे होंट हंसी को तरसे ,
उमर भर आंख से बहता रहा पानी लिखना .

दर्द से दोस्ती हो गयी यारों ,
ज़िन्दगी बेदर्द हो गयी यारों .
क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा ,
दूर तक रोशनी तो हो गयी यारों ….

दिलो को खरीदने वाले हज़ार मिल जायेगे ,
आप को दगा देने वाले बार -बार मिल जायेगे ,
मिलेगा न आपको हम जैसा कोई ,
मिलने को तो दोस्त बेशुमार मिल जायेगे .

सुस्ती भरे जिस्म को जागते क्यों नहीं ,
उठ कर सबके सामने आते क्यों नहीं ,
बोड़ी भी तुम्हारा स्मेल मारता है ,
थोडी हिम्मत करके नहाते क्यों नहीं …

मंजिले भी उसकी थी ,
रास्ता भी उसका था .
एक मैं अकेला था , काफिला भी उसका था ..

साथ -साथ चलने की सोच भी उसकी थी ,
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था …

आज क्यों अकेला हूँ , दिल सवाल करता है ,
लोग तो उसके थे ,
क्या खुदा भी उसका था … .?

ABHAY
08-12-2010, 10:06 AM
आप कहते थे की रोने से ना बदलेंगे नसीब उम्र भर आपकी इसी बात ने रोने



ना दिया, रोने वालो से कहो उनका भी रोना रो ले जिनको मजबुरी-ए-हालात



ने रोने ना दिया,

Hamsafar+
08-12-2010, 10:06 AM
दिल -ए-नादान था जो तुमसे प्यार कर बैठा,
खुली आँखों से तेरा ख्वाब देखा,
चाँद को अपनी तकदीर समझा ,
ऐ बेवफा , आसमान को छूने चला ….

कांटे ही न होते राहों में कभी ,
उन नाजुक को फूल कौन कहता,
मुश्किलें न होती ज़िन्दगी में कभी ,
उस इंसान को सिकंदर कौन कहता ….

प्यार करने वाले डरते नहीं ,
डरनेवाले प्यार करते नहीं ,
होते नहीं हौसले बुलंद जिनके ,
मैदान -ए -ज़ंग लड़ा करते नहीं ….

Hamsafar+
08-12-2010, 10:06 AM
रात की तन्हाई में उनको आवाज़ दिया करते हैं
रात में सितारों से उनका जिक्र किया करते हैं
वह आयें या न आयें हमारे ख्वाबों में
हम तो बस उन्ही का इंतज़ार किया करते हैं ………

Hamsafar+
08-12-2010, 10:07 AM
घूँघट में तुझे देखा तो दीवाना हुआ , संगीत का तराना हुआ , शमा का परवाना हुआ , मस्ती का मस्ताना हुआ, जैसे ही घूँघट उठाया इस दुनिया से रवाना हुआ
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा दूसरी लड़की को देखा तो वैसा लगा जब दोनों के जूते पड़े … तो एक जैसा लगा !!!
बेवफा तुम हो तो वफादार हम भी नहीं , बेशरम तुम हो तो शर्मीले हम भी नहीं , प्यार के मोड़ पर आके कहते हो शादी -शुदा हो तो क्या हुआ डार्लिंग … कुंवारे हम भी नहीं !
जब जब गिरे बादल , तेरी याद आई झूम के बरसा सावन , तेरी याद आई भीगा मैं , लेकिन फिर भी तेरी याद आई क्यों ना आये तेरी याद ? तुने जो छतरी अब तक नहीं लौटाई…

ABHAY
08-12-2010, 10:07 AM
क्या बताये वो ज़िन्दगी के गम, किसी का दोश है कहाँ, जख्म हम खुद ही खाते



है, खडे है आज उस मुकाम पे हम जहाँ जाने वाले कभी लौट के ना आते है,

Hamsafar+
08-12-2010, 10:07 AM
आप गैरों की बात करते हैं ,
हमने अपनों को आजमाया है !
लोग काटों से बचकर चलते हैं ,
हमने फूलों से जख्म खाया है !!….
उसको चाहा भी तो इकरार करना ना आया ,
कट गयी उम्र , हमें प्यार करना ना आया ,
उसने माँगा भी अगर कुछ तो मांगी जुदाई ,
और एक हम थे के इनकार करना ना आया …..
देखते है दुनिया की आँखों से ,
आशिकों की येही आदत ख़राब है
दिल की आँखों से देखे घर कोई
हर हसीं को समझना आसन है …

जिस शाम मेरे लब पर तेरा नाम ना आये ,
खुदा करे ऐसी शाम ना आये ….

ये जाने वफ़ा , ये कभी मुमकिन ही नहीं ,
अफसाना लिख्नु और तेरा नाम ना आये ….

कुछ ना कुछ तो ज़रूर होना है
सामना आज उन से होना है

Hamsafar+
08-12-2010, 10:08 AM
सोचा न था तेरी उल्फत मे ऐसी ठोकर खाएँगे
प्यार की दुनिया मे सांस लेने से पहले ही मर जायेंगे
अब पता चला की इश्क एक खेल है कोई जस्बात नहीं
और कितनी दिल यहाँ जीते और हारे जायेंगे
चाहता तो हु मगर आसान नहीं तुझे भूलना
तेरी यादों के सहारे युही दिन कटते जायेंगे

ABHAY
08-12-2010, 10:08 AM
दर्द से हाथ ना मिलाते तो और क्या करते,गम के आंसू ना बहाते तो और क्या



करते,उसने मांगी थी हमसे रोशनी की दुआ,हम खुद को ना जलाते तो और क्या



करते|

Hamsafar+
08-12-2010, 10:08 AM
ए दिल तू मुहब्बत करता क्यूँ है
जो करता है तो फिर तड़पता क्यूँ है ?
जो बैठ गया है दिल में प्यार का दर्द बनके
वोह आँखों के रस्ते निकलता क्यूँ है ?
मैं तेरे साथ हूँ हर राह में मुझसे कहती थी वो
तो फिर आज यह रास्ता मुझे सुनसान लगता क्यूँ है ?
मैं धड़कन हूँ उसके दिल की वह कहती थी मुझसे
फिर आज उसका दिल मेरे बिना धड़कता क्यूँ है ?
वह मेरी नहीं है यह जानता हूँ मैं फिर भी
किसी और के साथ देख के उसको दिल मचलता क्यूँ है ?
यह दिल भी अजीब होता है दोस्तों
कभी कहता है जा थाम ले उसके हाथों को
फिर रह रह के संभालता क्यूँ है ?

Hamsafar+
08-12-2010, 10:08 AM
दोस्त क्या खूब वफाओं का सिला देते है
हर नए मोड़ पे एक दर्द नया देते है
तुम से तो खैर घडी भर का ताल्लुक रहा
लोग सदियों की रफ़क़त भुला देते है
कैसे मुमकिन है धूअन भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सजा देते है
कौन होता है मुसीबत में किसी का ए दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है
जिन पे होता है दिल को भरोसा
वक़्त पड़ने पे वही लोग धोका भी देते है

ABHAY
08-12-2010, 10:09 AM
अपने होठो पर सजा कर तुझे, हम तेरे ही गीत गाना चाहते है,



जल कर बुझ जाना हमारी किस्मत सही, बस एक बार रोशन होना चाहते है|

Hamsafar+
08-12-2010, 10:09 AM
सुना है असर होता है बातो में,
आप चाहे भूल जाओ हमें २-४ बातो में,
हमें भूल कर कहा जाओगे,
मेरे साथ रहने की लकीर आप के हाथो में |

Hamsafar+
08-12-2010, 10:09 AM
कुछ लोग यादो को दिल की तस्वीर समझते हैं,
दोस्तों की यादो में महफ़िल समझते हैं ,
हम थोड़े अलग हैं ? जो किसी को याद आने से पहले
उनको अपनी याद दिलाते हैं

ABHAY
08-12-2010, 10:10 AM
दिल की हालत की तरफ किसकी नज़र जाती है, प्यार की उम्र तमन्नाओ मे



गुज़र जाती है, मै रो पडता हूँ जब याद तुम्हारी आती है, जमाना हंसता है जब



मोहब्बत रुठ जाती है|

Hamsafar+
08-12-2010, 10:10 AM
तुझे जाना तेरे करीब आने के बाद,
तुझे समझा तुमसे दिल लगाने के बाद |
मुझे अपना गम नहीं दुःख तेरा हैं,
कौन चाहेगा तुझे इतना मेरे जाने के बाद ||

Hamsafar+
08-12-2010, 10:10 AM
कभी ना भूले आप के होठ मुस्कराना,
कभी ना ख़त्म हो आपकी खुशियो का खजाना |
आपको जहान की हर ख़ुशी मिले ,
चाहे खुदा को ही जमीन पर पड़े आना |

Hamsafar+
08-12-2010, 10:10 AM
ये आरजू ही रही कोई आरजू करते
खुद अपनी आग में जलते जिगर लहू करते

हम रातों को उठ-उठ के जिनके लिए रोते हैं
वो गैर की बाहों में आराम से सोते हैं

कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है
रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

ABHAY
08-12-2010, 10:10 AM
कब थे हम बेजान जो आज जीने लगे,कब थे हम होश मे जो आज बेहोशी मे



पीने लगे,कब थी वो हमारी जो आज हमसे जुदा है,कब ना था हम मे अनुराग



जो मिला नही हमे खुदा है|

Hamsafar+
08-12-2010, 10:11 AM
बदला जो वक्त ,गहरी दोस्ती बदल गयी,

सूरज ढाला तो साए की सूरत बदल गयी,

एक उम्र तक हम उ़सकी ज़रूरत बने रहे,

फिर यूँ हुआ की उसकी ज़रूरत बदल गयी

Hamsafar+
08-12-2010, 10:11 AM
तेरे गम में ये बेवफा रात भर पीता रहा |

कलेजा फट कर बाहर आ गया

दिन भर शीता रहा |

ABHAY
08-12-2010, 10:11 AM
ये याद है आपकी या यादों में आप हो? ये ख्वाब है आपके या ख्वाबों में आप हो?



हम नहीं जानते बस इतना बता दो!, हम जान है आपकी या जान हमारी आप हो?

Hamsafar+
08-12-2010, 10:11 AM
घर वाले के डर से तेरी तस्वीर को बाथरूम में लगा रख्खा है |

हर घणी तेरा दीदार हो इस लिए जुलाब की गोली खा रख्खा है |

Hamsafar+
08-12-2010, 10:12 AM
कोई गिला कोई शिकवा न रहा आपसे,
ये आरजू है कि एक सिलसिला रहा आपसे,
बस इस बात की उम्मीद है आपसे,
खफा ना हो अगर हम खफा रहे आपसे .

चाँद तारो का नूर आप पे बरसे,
हर कोई आपकी चाहत को तरसे,
आपकी जिन्दगी में आये इतनी खुशिया ,
कि आप एक गम पाने को तरसें,

वादा ना करो अगर तुम निभा ना सको,
चाहो ना उसे जिसे तुम पा ना सको,
दोस्त तो दुनिया में बहुत है.
पर एक ख़ास रखों , जिसके सिवा तुम मुस्कुरा ना सको |

Hamsafar+
08-12-2010, 10:12 AM
प्यार का नाम सूना करता था
एक दिन प्यार मुझे भी हो गया

प्यार में लोगो को पागल होते सुना था
प्यार में एक दिन मै भी पागल हो गया

दिन में उसके यादों में रहता था
और रात में उसके सवालों में रहता था

दिन में अजब सी ख़ुशी थी,उसके फोन का इंतजार रहता था
एक मिस काल के खातिर फोन दिन भर हाथ में रहता था

फिर एक दिन एक काल ऐसा आया ,कि मेरी शादी होने वाली हैं
अब तक जो भी हमारे बिच था ,नादानी थी और सपना था

अब तुम मुझ को भूल जाओ , अब ना तुम मुझें याद आओ
अब मुझे सच्चा दिलदार मिल गया ,मुझे मेरा प्यार मिल गया

ABHAY
08-12-2010, 10:12 AM
न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता! न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता!



क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे! शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:12 AM
ये कलम जरा झुक कर चल क्या हसी मुकाम आया है ,
तेरे नोक के निचे ,मेरे महबूब का नाम आया है |

जिंदगी ताजमहल हो जाए , चांदनी खिल के कमल हो जाए |
तुम जो बन जाओ दोस्त मेरे , दिल की धड़कन भी एक गजल हो जाए ||

Hamsafar+
08-12-2010, 10:13 AM
इस दर्दे दिल को ज़माना क्या जाने ,कोई बेवफा इश्क निभाना क्या जाने |
कब्र के उंदर होता है कितना दर्द ये ऊपर फूल चढाने वाला क्या जाने ||

वादे पे मेरे वो एतबार नहीं करते ,हम जिक्रे मोहब्बत सरे बाजार नहीं करते|
डरता है दिल उनकी रुसवाइयों से ,और वो सोचते है हम उनसे प्यार नहीं करते||

फिजाओ बदलने का इंतजार नहीं करते आंधीओ के रुकने का इंतजार नहीं करते
याद कर लेते है हम कुछ खास दोस्तों को ,उनके याद करने का इंतजार नहीं करते ||

समझा दो अपनी यादो को ,वो बिना बुलाए पास आया करती है
आप तो दूर रहकर सताते हो, मगर वो पास आकर रुलाया करती है

ABHAY
08-12-2010, 10:13 AM
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता! ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!



दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की! उसके बिना जिया नहीं जा सकता!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:13 AM
ख़ुद को मेरा दोस्त बनाने की जरूरत क्या है ,
दोस्त बनके दगा देने की जरूरत क्या है ,
अगर कहा होता तो हम ख़ुद ही चले जाते ,
यू आपको चेहरा छुपाने की जरूरत क्या है ,
सोचा था रहेंगे एक घर बनाके बड़े सुकून से ,
न मिल सका सुकून तो महलों की जरूरत क्या है ,
है कौन मेरा जो बहाता मेरी मंजार पर अश्क ,
मुश्कुराते रहना तुम मुझे तेरे अश्को की जरूरत क्या है ,
मैं तो जान भी दे सकती थी तुझपे ऐ दोस्त ,
पर इस तरह मुझे आजमाने की जरुरत क्या है ,
दबी हूँ मिटटी में इस कदर की बड़ा दर्द है ,
मुझ पर फूल डाल कर और दबाने की जरुरत क्या है ,
मुझ से कर के दोस्ती अगर पूरा हो गया हो शौक ,
तो किसी और के जज्बातों से खेलने की जरुरत क्या है .

ABHAY
08-12-2010, 10:14 AM
कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है! हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है!



मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम! पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!

ABHAY
08-12-2010, 10:15 AM
दूर है आपसे तो कुछ गम नहीं! दूर रह कर भूलने वाले हम नहीं!



रोज़ मुलाक़ात न हो तो क्या हुआ! आपकी याद आपकी मुलाक़ात से कम नहीं!

ABHAY
08-12-2010, 10:16 AM
तुम खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी! तेरे बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी!



क्या कहे क्या गुजरेगी दिल पर! जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी!

ABHAY
08-12-2010, 10:17 AM
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं! तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!



यूँ तो मिल जाता है हर कोई! मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!

आपकी पलकों पर रह जाये कोई! आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!



चलो वादा रहा भूल जाना हमें! अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:17 AM
मोहब्बत से इनायत से वफ़ा से चोट लगती है
बिखरता फूल हूँ मुझको हवा से चोट लगती है

मैं शबनम की ज़बान से , फूल की आवाज़ सुनाता हूँ
अजीब एहसास है अपनी सदा से चोट लगती है

मेरी आँखों मैं आंसू की तरह इक रात आ जाओ
तकल्लुफ़ से बनावट से अदा से चोट लगती है

तुझे खुद अपनी मजबूरी का अंदाजा नहीं शायाद
ना कर अहेद -ए -वफ़ा अहेद -ए -वफ़ा से चोट लगती है ..

द्वारा-फिरोज अल्लापुर

बेनाम सा ये दर्द , ठहर क्यों नही जाता
जो बीत गया है , वह गुज़र क्यों नही जाता

सब कुछ तो है , क्या ढूँढती रहती है निगाहें
क्या बात है , मैं वक्त पे घर क्यों नही जाता

वह इक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ में
जो दूर है वह दिल से उतर क्यों नही जाता

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब में उधर क्यों नही जाता

वह नाम जो न जाने कब से , ना चेहरा ना बदन है
वह खवाब अगर है तो बिखर क्यो नही जाता ”

ABHAY
08-12-2010, 10:17 AM
मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते! समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!



जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा! करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:17 AM
किन राहों से दूर है मंजिल कौन सा रास्ता आसान है
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर -दिल हो मुमकिन है
हम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खाएँगे

तनहा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे
जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे

Hamsafar+
08-12-2010, 10:18 AM
चराग अपने थकान की कोई सफ़ाई न दे
वो तीरगी है के अब ख्वाब तक दिखाई ना दे

बहुत सताते हैं रिश्ते जो टूट जाते हैं
खुदा किसी को भी तौफीके -आशनाई ना दे

मैं सारी उम्र अंधेरों में काट सकता हूँ
मेरे दीयों को मगर रौशनी पराई ना दे

अगर यही तेरी दुनिया का हाल है मालिक
तो मेरी क़ैद भली है मुझे रिहाई ना दे

Hamsafar+
08-12-2010, 10:18 AM
दुआ ये मांगी है सहमे हुए mu’arrik ने
के अब कलम हो खुदा सुर्ख रौशनी ना दे

द्वारा -;रंजन कश्यप मिर्जापुर



उदास लोगों से प्यार करना कोई तो सीखे
सफ़ेद लम्हों में रंग भरना कोई तो सीखे

कोई तो आये खिजां में पत्ते उगाने वाला
गुलों की खुशबू को कैद करना कोई तो सीखे

कोई दिखाए मोहब्बतों के सराब मुझ को
मेरी निगाहों से बात करना कोई तो सीखे

कोई तो आये ने रूठों का पयाम ले कर
अँधेरी रातों में चाँद बनाना कोई तो सीखे

कोई पैगम्बर , कोई इमाम -ए -ज़मान ही आये
एशीर सोचों में सोच भरना कोई तो सीखे

ABHAY
08-12-2010, 10:18 AM
दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है! दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है!



आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ! वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:19 AM
बताओ दिल की बाजी में भला क्या बात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी

सुनो बारिश , कभी ख़ुद से भी भर कर कोई देखा है
जवाब आया उन AanhOun की मगर बरसात गहरी थी

सुनो “पी” तुमने होले से कहा था क्या, बताओ गे ?
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी

दिया दिल का सुमंदर उसने तुमने क्या किया उस का?
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी

वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी

तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी

नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी

ABHAY
08-12-2010, 10:19 AM
इस से पहले कि दिलो में नफरत जागे! आओ एक शाम मोहब्बत में बिता दी जाये!



करके कुछ मोहब्बत की बातें! इस शाम की मस्ती बड़ा दी जाये!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:19 AM
जिन रास्तों पर कभी अपनी खुशियां बिखेरी थीं ,

कभी हाथ थाम कर कभी मुस्कुरा कर,

कभी गुनगुना कर कभी गीत गा कर,

हमने अपने दिल की बात कही थी,

आज वो बात पुरानी सही पर याद तो अभी ताज़ा है ,

आज दिल वीरान सही पर धड़कन को अब भी यही गुमान है,

तुम हम से मोहब्बत करते हो , हम ही से मोहब्बत करते हो

Hamsafar+
08-12-2010, 10:19 AM
बारिशों के मौसम में
दील की सरज़मीनों पर
गर्द क्यों बिखरती है
इस तरह के मौसम में
फूल क्यों नहीं खिलते
लोग क्यों नहीं मिलते
क्यों फ़क़त ये तन्हाई साथ साथ रहती है
क्यों बिछड़ने वालों की
याद साथ रहती है
इतनी तेज़ बारिश से
दिल के आइने पर से
अक्स क्यों नहीं धुलते
ज़ख्म क्यों नहीं मिटते
नींद क्यों नहीं आती

Hamsafar+
08-12-2010, 10:20 AM
बारिशों के मौसम में
आँख क्यों बरसती है
अश्क क्यों नहीं थमते
सुबह क्यों नहीं होती
रात क्यों नहीं ढलती
असमान पे साये भी
मुन्जमिद से रहते हैं
और दिल के दरवाजे
क्यों कभी नहीं खुलते
साये क्यों नहीं ढलते
चांद क्यों नहीं आता
असमान सजाने को
और ये सितारे भी
क्यों नहीं निकलते हैं

बारिशों के मौसम में
तुम ही हमको समझाओ
लोग क्यों नहीं मिलते
फूल क्यों नहीं खिलते
अश्क क्यों नहीं थमते
नींद क्यों नहीं आती !

Hamsafar+
08-12-2010, 10:20 AM
मेरे दिल की है यही आरजू मुझे तू ही बस मिला करे
यूही चाहे मुझको तामम उम्र, ना शिकायते गिला करे

मेरी चाहतें मेरी ख्वाहिशें मेरी ज़िंदगी है तेरे लिए
मेरी रब से येही दुआ है बस .तुझे कोई न मुझ से जुदा करे

मेरे ख्वाब मेरे ये रत जगे मेरी नींद भी है तेरे लिए
मेरी ज़िंदगी जो बची है अब तेरे नाम इस को खुदा करे

मुझे ज़िंदगी से गिला नही, मुजे तुझ से बस येही आस है
मैं भी चाहूँ तुझ को सदा यूही तू वफ़ा करे या जफा करे

ये वह फासले हैं मेरे सनम जिन्हे कोई भी ना मिटा सका
ये तो फैसले है नसीब के इन्हे कैसे कोई मिटा करे

मेरी ज़िंदगी मे खिजां है बस, ना बाहर कभी आ सकी
येही अश्क मेरा नसीब हैं कोई गुल खुशी का खिला करे|

ABHAY
08-12-2010, 10:20 AM
कशिश होनी चाहिए किसी को याद करने की! लम्हे तो अपने आप मिल जायेंगे!



वक़्त होना चाहिए किसी को मिलने का! बहाने तो अपने आप मिल जायेंगे!

Hamsafar+
08-12-2010, 10:20 AM
हर रात एक नाम याद आता है
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचता हूँ कर लू दूसरी मोहब्बत
फ़िर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है!

सजा मिली है उनसें दूर रहने की
ये बात नही है किसी और से कहने की,
हम तो रह लेंगे उनके बिना भी,पर
इन आशुओ को आदत है,उनकी याद में बहने की!

साथ छोड़ के कभी हमसे जुदा मत होना
वफ़ा चाहिए तुमसे,बेवफा मत होना,
रूठे चाहे सारी दुनियाँ हमसे,पर
दोस्त तुम कभी खफ़ा मत होना!

रोयेंगी ये आँखे मुस्कराने के बाद
आएगी रात दिन ढल जाने के बाद,
कभी रूठना ना मुझसे मेरे दोस्त
शायद ये जिन्दगी ना रहे तेरे रूठ जाने के बाद!

रह-रह के उनकी याद सताए तो क्या करे
उनकी याद दिल से ना जाए तो क्या करे,
सोचा था ख्वाबों में मुलाकात होगी,लेकिन
जब नींद ही ना आए तो क्या करे!

मत देख की कोई गुनहगार कितना है
ये देख तेरे साथ वफादार कितना है,
मत सोच की उसे कुछ लोंगो से नफरत है
ये सोच की उसे तुझसे प्यार कितना है!

एक लम्हें में तुम ने जिन्दगी सवार दी
एक लम्हें में तुमने जिन्दगी उजार दी,
कसूर तुम्हारा नही मेरा था
जो इन दो लम्हों में हमने जिन्दगी गुजार दी!

ABHAY
08-12-2010, 10:21 AM
तेरे बिना जिन्दगी हम जिया नहीं करते! धोखा किसी को हम दिया नहीं करते!



जाने कैसे तुमसे दोस्ती हो गई! वरना दोस्ती हम किसी से किया नहीं करते!

ABHAY
08-12-2010, 10:22 AM
देखो मेरी आँखों में ख्बाब किसका है! देखो मेरे दिल में तूफ़ान किसका है!



तुम कहते हो मेरे दिल के रास्ते से कोई नहीं गुज़रा! तो फिर यह पैरों के निशान किसके हैं!

ABHAY
08-12-2010, 10:23 AM
हमारे आंसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं! इसी अदा से वो दिल को चुराते हैं!



हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को! इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं!

ABHAY
08-12-2010, 10:24 AM
दिल तोड़ना सजा है मुहब्बत की! दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की!



मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत! और जो बिन मांगे कुर्बान हो जाये वो है दोस्ती!

ABHAY
08-12-2010, 01:52 PM
हम उम्मीद की दुनियाँ बसाते रहे!
वो भी हर कदम पे आजमाते रहे!!
जब मोहब्बत के इम्तहान में मरना परा!
हमने जान दे दी, वो कसमे खाते रहे!!

ABHAY
08-12-2010, 01:53 PM
तुमसे दोस्ती करके, हर ख़ुशी मेरे तरफ मुश्कुराने लगी!
मेरी तनहा रातों में भी, गीत तेरे प्यार की गाने लगी!!
हुई हैं बस दो दिन, आपसे मिले हुए पर...
यह दोस्ती आपकी मेरे दिल में घर बनाने लगी!!

ABHAY
08-12-2010, 01:54 PM
यूँ मिली जो निगाहे, दोस्ती इतफाक होगई!
राह में चलते - चलते तुमसे मुलाकात होगी!!
जब से बसाया हैं, तुम्हे निगाहों में मैंने!
पता न चला कब दिन कब रात होगई!!

ABHAY
08-12-2010, 01:55 PM
सितारों की भीड़ से चुराया हैं आपको!
दिल से अपना दोस्त बनाया हैं आपको!!
इस दिल को ना टूटने देंगे कभी!
क्यों की.. इस दिल के कोने में छुपाया हैं आपको!!

ABHAY
08-12-2010, 01:56 PM
अए दोस्त जिंदगी भर मुझसे दोस्ती निभाना!
दिल की कोई भी बात हमसे कभी ना छुपाना!!
साथ चलना मेरे तुम सुख, दुःख में!
भटक जाऊ जो मैं कभी, सही रास्ता दिखाना!!

ABHAY
08-12-2010, 01:57 PM
रास्ते पे न बैठो हवा तंग करेगी
बीते हुए लम्हों को सदा तंग करेगी।
किसी को न लाओ दिल के करीब इतना
जाने पे उसकी हरेक अदा तंग करेगी।

ABHAY
08-12-2010, 01:58 PM
क्या पता कब, कहाँ से मारेगी
बस, कि मैं जिंदगी से डरता हूँ
मौत का क्या है, एक बार मारेगी

ABHAY
08-12-2010, 01:59 PM
लबों पे आह दिल में दर्द और आँख में पानी है,
मुहब्बत करने वालों की बस इतनी-सी कहानी है।

ABHAY
08-12-2010, 02:00 PM
कैसे कहूँ कि दिल को तेरी आरज़ू नहीं,
ये और बात है कि मेरी किस्मत में तू नहीं।

ABHAY
08-12-2010, 02:01 PM
यूँ तो सारी उम्र गुज़री यार अपनी दरबदर,
हाँ जो तेरे साथ गुज़रा वो सफर अच्छा लगा।

ABHAY
08-12-2010, 02:03 PM
एक लम्हे में कटा उम्र भर का फासला,
मैं अभी आया हूँ तस्वीरें पुरानी देखकर।

ABHAY
08-12-2010, 02:05 PM
मंज़र तुम्हारे शहर के जब याद आएँगे,
दिल पर लगेगी चोट मगर मुस्कुराएँगे।

ABHAY
08-12-2010, 02:06 PM
हर वक्त मुस्कुराना फिदरत हैं हमारी !
आप यूँ ही खुश रहे हसरत हैं हमारी !!
आपको हम याद आये या ना आये !
आपको याद करना आदत हैं हमारी !!

ABHAY
08-12-2010, 02:08 PM
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं !
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं !!
ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज !
हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:10 PM
आंसू से पलके भींगा लेता था !
याद तेरी आती थी तो रो लेता था !!
सोचा था की भुला दूँ तुझको मगर !
हर बार ये फैसला बदल लेता था !!

ABHAY
08-12-2010, 02:13 PM
दोस्त कह कर दोस्त से दगा कर बैठा !
वो आज एक ऐसा खता कर बैठा !!
कहता था तुझे कभी हम खपा ना होने देगे !
आज वो खुद ही हमें खपा कर बैठा !!
आदत थी उसे सबोके गमो को दूर करने की लेकिन !
हमारे लिए ही वो गमो की दुआ कर बैठा !!

ABHAY
08-12-2010, 02:14 PM
उनका हाल भी कुछ आप जैसा ही होगा !
आपका हाले दिल उन्हें भी महसूस होगा !!
बेकरारी के आग में जो जल रहे हैं आप !
आपसे ज्यादा उन्हें इस जलन का एहसास होगा !!

ABHAY
08-12-2010, 02:14 PM
दिल में इंतजार की लकीर छोर जायेगे॥
आँखों में यादो की नमी छोर जायेगे !
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ........
जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोर जायेगे !!

ABHAY
08-12-2010, 02:15 PM
हर कोई साथ हो ये जरुरी नहीं होता !
जगह तो दिल में बनायीं जाती हैं !!
पास होकर भी दोस्ती इतनी अटूट नहीं होती !
जितनी की दूर रह कर निभाई जाती हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:16 PM
वो वक्त वो लम्हे अजीब होंगे !
दुनियाँ में हम खुश नशीब होंगे !!
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको !
क्या हाल होगा जब आप हमारे करीब होगे !!

ABHAY
08-12-2010, 02:17 PM
तुझसे मिलने की बेताबी का वो अंजाम कैसे भुलादूँ !
तेरे लवो की हँसी और आँखों की जाम कैसे भुलादूँ !!
दिल तो हमारा भी तड़पता हैं तेरा साथ पाने को !
पर इस जहाँ के रश्मो - रिवाज कैसे भुलादूँ !!

ABHAY
08-12-2010, 02:19 PM
आंसू से पलके भींगा लेता था !
याद तेरी आती थी तो रो लेता था !!
सोचा था की भुला दूँ तुझको मगर !
हर बार ये फैसला बदल लेता था !!

ABHAY
08-12-2010, 02:21 PM
काश वादों का मतलब वो समझते !
काश खामौसी का मतलब वो समझते !!
नज़र कहती हैं हजार बातें !
काश मेरे एक नज़र का मतलब वो समझते !!

ABHAY
08-12-2010, 02:22 PM
तेरे होठों से लग कर ये हवा शराब बन गई !
आँखों से लग कर ये हिजाब बन गई !!
सच ही कहती हैं ये दूनियाँ जानेमन !
की मुझ से मिलकर तू लाजबाब हो गई !!

ABHAY
08-12-2010, 02:26 PM
दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तफाक हैं !
यह तो दिलो की मुलाक़ात हैं !!
दोस्ती नहीं देखती यह दिन हैं की रात हैं !
इसमें तो सिर्फ वफादारी और जज्बात हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:27 PM
प्यार करने वालो की किस्मत ख़राब होती हैं !
हर वक़्त इन्तहा की घड़ी साथ होती हैं !!
वक़्त मिले तो रिश्तो की किताब खोल के देखना !
दोस्ती हर रिश्तो से लाजवाब होती हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:28 PM
मोहब्बत के बिना ज़िन्दगी फिजूल हैं !
पर मोहब्बत के भी अपने उसूल हैं !!
कहते हैं मिलती हैं मोहब्बत में बहुत उल्फ़ते !
पर आप हो महबूब तो सब कबूल हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:29 PM
नाकाम सी कोशिस किया करते हैं !
हम हैं की उनसे प्यार किया करते हैं !!
खुदा ने तक़दीर में टुटा तारा भी नहीं लिखा !
और हम हैं की चाँद की आरजू किया करते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:31 PM
मांग कर तुझे रव से पाया नहीं हमने !
कौन सा वो ख्वाब हैं जो पलकों में सजाया नहीं हमने !
तुम तो भुलोगी मुझे मालूम हैं ये जाने - जाना !
मगर एक लम्हा भी कभी तुझको भुलाया नहीं हम ने !!

ABHAY
08-12-2010, 02:33 PM
रात को रात का तोफा नहीं देते !
दिल को जजबात का तोफा नहीं देते !!
देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे !
मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते !!

ABHAY
08-12-2010, 02:35 PM
चिराग खुशियों के कब से बुझाए बैठे हैं !
कब दीदार होगी उनसे हम आश लगाए बैठे हैं !!
हमें मौत आएगी उनकी ही बाहों में ......
हम मौत से ये सर्त लगाए बैठे हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:37 PM
वो वक्त वो लम्हे अजीब होंगे !
दुनियाँ में हम खुश नशीब होंगे !!
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको !
क्या हाल होगा जब आप हमारे करीब होगे !!

ABHAY
08-12-2010, 02:38 PM
जिंदगी के रंग कितने निराले हैं !
साथ देने वाला हर कोई है लेकिन हम अकेले हैं !!
पानी है मंजिल हमें मगर रास्तों में रुकावटे हैं !
खुशियों में सब साथ हैं, गमों में सब पराये हैं!!

ABHAY
08-12-2010, 02:42 PM
हम तो यु ही बेखुदी में कह दिए !
की हमें कोई याद नहीं करते !!
जिसका हो आप जैसा प्यारा दोस्त!
वो कभी खुदा से भी फरियाद नहीं करते !!

ABHAY
08-12-2010, 02:48 PM
उनकी तस्वीर को सिने से लगा लेते हैं !
इस तरह जुदाई का गम मिटा देते हैं !!
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो !
भींगी पलकों को हम झुका लेते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:59 PM
आंसू से पलके भींगा लेता था !
याद तेरी आती थी तो रो लेता था !!
सोचा था की भुला दूँ तुझको मगर !
हर बार ये फैसला बदल लेता था !!

ABHAY
08-12-2010, 03:01 PM
हम वो नहीं की भूल जाया करते हैं !
हम वो नहीं जो निभाया करते हैं !!
दूर रहकर मिलना सायद मुस्किल हो !
पर याद करके सांसो में बस जाया करते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:03 PM
दिन तेरे ख़याल में गुजर जाता हैं !
रातों को भी ख़याल तेरा ही आता हैं !!
कभी ये ख़याल इस तरह बढ़ जाता है की !
आयने में भी तेरा ही चेहरा नज़र आता हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:11 PM
दिल से तेरा ख्याल न जाए तो मैं क्या करू !
तू ही बता तू याद आए तो मैं क्या करू !!
हसरत तो ये हैं की एक नज़र तुझे देख लूँ !
मगर किश्मत वो लम्हे न लाये तो मैं क्या करू !!

ABHAY
08-12-2010, 03:16 PM
तम्मनाओ से नही तन्हाई से डरते हैं !
प्यार से नही रुसवाई से डरते हैं !!
मिलने की तो बहुत चाहत हैं आपसे !
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:18 PM
दिल करता हैं मेरा की कोई रात ऐसा आए !
देखे जो साथ हमको फिर लौट के ना जाए !!
मैं तुमसे कुछ ना बोलू, तू मुझसे कुछ ना बोले !
खामौसियाँ भी सोचे की ये कौन सी अदा हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:19 PM
दिल जब टूटता हैं तो आवाज़ नही आती !
हर किसी को मोहब्बत रास नही आती !!
ये तो अपने अपने नशीब की बात हैं दोस्त !
कोई भूलता ही नही किसी को याद ही नही आती !!

ABHAY
08-12-2010, 03:20 PM
कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती !
ख्वाबों में भी उन से मुलाकात न होती !!
ये दिल हर एक गम की वजह हैं !
ये दिल ही न होती तो कोई बात न होती !!

ABHAY
08-12-2010, 03:21 PM
फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी हैं !
मुस्कुराके गम भुलाना जिंदगी हैं !!
मिल कर खुश हुवे तो क्या हुवे !
बिना मिले रिश्ते निभाना जिंदगी हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:25 PM
नज़र चाहती हैं दीदार करना !
दिल चाहता हैं तुमसे बात करना !!
क्या सुनाऊ अपने दिल का आलम !
मेरे नशीब में लिखा सिर्फ़ तेरा इंतजार करना !!

ABHAY
08-12-2010, 03:26 PM
आँखों में आसूँ आ जाते हैं !
फिर भी लबो पे हँसी रखनी परती हैं !!
ये मोहब्बत भी क्या चीज हैं यारो !
जिससे करते हैं उसी से छुपानी परती हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:27 PM
उनका वादा हैं की वो लौट कर आएगी !
इस उम्मीद पर हम जिए जायेगे !!
ये इंतजार भी उन्ही के तरह प्यारा हैं !
कर रहे थे, कर रहे हैं, और किए जायेगे !!

ABHAY
08-12-2010, 03:31 PM
हो सकता हैं हमने अनजाने में कभी आपको रुला दिया !
आपने दुनियाँ के कहने पर हमको भुला दिया !!
हम तो वैसे भी अकेले थे !
क्या हुवा अगर आपने एहसास दिला दिया !!

ABHAY
08-12-2010, 03:32 PM
देख के हमको वो सर झुकाती हैं !
बुला के महफिल में नज़रे चुराती हैं !!
नफरत हैं हमसे तो भी कोई बात नही !
पर गैरों से मिल के दिल क्यो जलाती हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:34 PM
फूलो का क्या हैं? ये खिलते हैं बिखर जाते हैं !
लोग दुनियाँ में मिलते हैं बिछर जाते हैं !!
मुश्किल होता हैं भूलना उन लोगों को !
आँखों के रास्ते जो दिल में उतर जाते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:35 PM
ख़ुशी तलास ली मैंने गम के आशियाने में !
अब कोई और क्या देगा मुझे इस ज़माने में !!
कोई किसी के लिए इतना बेरहम न बने !
जितना दुनियां बन गई मुझको सताने में !!

ABHAY
08-12-2010, 03:38 PM
कसूर ना उनका हैं ना मेरा !
हम दोनों ही रिश्तों की रस्में निभाते रहे !!
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे !
हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे !!

ABHAY
08-12-2010, 03:40 PM
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों हैं !
इनकार करने पर भी चाहत का इकरार क्यों हैं !!
उसे पाना नहीं हैं मेरी तक़दीर में सायद !
फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यों हैं !!