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View Full Version : प्रातः स्मरणीय मंत्र


rajnish manga
23-09-2013, 10:54 AM
प्रातः स्मरणीय मंत्र

हिन्दू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव पुकारे जाते हैं। मान्यता है कि ब्रह्मदेव सृष्टि, भगवान विष्णु पालन और महेश यानी शिव संहारक शक्तियों के स्वामी है। इस तरह संपूर्ण सृष्टि और कालचक्र पर त्रिदेव का नियंत्रण है। पौराणिक मान्यता है कि त्रिदेवों के अधीन होने से ही नवग्रह भी रचना, पालन व संहार की इस प्रक्रिया में अलग-अलग शक्तियों द्वारा भूमिका निभाकर दैहिक, दैविक और भौतिक सुख-दु:ख नियत करते हैं।

यही कारण है कि शास्त्रों में सांसारिक जीवन में हर संताप से मुक्ति व सुखों की कामनासिद्धि के लिये सुबह की शुरुआत एक ऐसे मंत्र के ध्यान से करने का महत्व बताया गया है, जिसके द्वारा त्रिदेवों के साथ-साथ नवग्रहों का ध्यान हो जाता है। यह मंत्र आसान ही नहीं, बल्कि नवग्रह दोषों को भी दूर करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र –

- सुबह स्नान के बाद त्रिदेव व नवग्रह की प्रतिमा या तस्वीर की गंध, अक्षत, नैवेद्य, धूप व दीप लगाकर पूजा करें व मंगलकामना से नीचे लिखा मंत्र बोलें –

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।

सरल शब्दों में अर्थ है ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी देवता मेरे प्रात:काल को मंगलमय करें।

- मंत्र स्मरण के बाद आरती कर, प्रसाद ग्रहण करें।