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View Full Version : नवरात्रि पर्व.......................


Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:07 PM
भारतीय ज्योतिष और नवरात्रि पर्व...................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:09 PM
काल (समय) चक्र के विभाग अनुसार पूरे एक दिन-रात में चार संधिकाल होते हैं. जिनको हम प्रात:काल, मध्यान्ह काल, सांयकाल और मध्यरात्रि काल कहते हैं. जब हमारा एक वर्ष हो जाता है, तब देव-असुरों का एक दिन-रात होता है. जिसे कि ज्योतिष शास्त्र में दिव्यकालीन अहोरात्र कहा गया है...................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:11 PM
ये दिन-रात छ:-छ: माह के होते हैं. इन्ही को हम उतरायण और दक्षिणायन के नाम से जानते हैं. यहाँ ‘अयन’ का अर्थ है—मार्ग. उतरायण=उत्तरी ध्रुव से संबंधित मार्ग, जो कि देवों का दिन और दक्षिणायन=दक्षिणी ध्रुव से संबंधित मार्ग, जिसे देवों की रात्रि कहा जाता है...................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:12 PM
जिस प्रकार मकर और कर्क वृ्त से अयन(मार्ग) परिवर्तन होता है, उसी प्रकार मेष और तुला राशियों से उत्तर गोल तथा दक्षिण गोल का परिवर्तन होता है. एक वर्ष में दो अयन परिवर्तन की संधि और दो गोल परिवर्तन की संधियाँ होती है. कुल मिलाकर एक वर्ष में चार संधियाँ होती हैं. इनको ही नवरात्री के पर्व के रूप में मनाया जाता है....................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:13 PM
1. प्रात:काल (गोल संधि) चैत्री नवरात्र...........
2. मध्यान्ह काल (अयन संधि) आषाढी नवरात्र...............
3. सांयकाल (गोल संधि) आश्विन नवरात्र.......................
4. मध्यरात्रि (अयन संधि) पौषी नवरात्र...............................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:15 PM
उपरोक्त इन चार नवरात्रियों में गोल संधि की नवरात्रियाँ चैत्र और आश्विन मास की हैं, जो कि दिव्य अहोरात्र के प्रात:काल और सांयकाल की संधि में आती हैं—-इन्हे ही विशेष रूप से मनाया जाता है.....................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:15 PM
हालाँकि बहुत से लोग हैं, जिनके द्वारा अयन संधिगत (आषाढ और पौष) मास की नवारत्रियाँ भी मनाई जाती हैं, लेकिन विशेषतय: यह समय तान्त्रिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है—गृ्हस्थों के लिए गोल संधिगत नवरात्रियों का कोई विशेष महत्व नहीं है......................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:16 PM
जिन चान्द्रमासों में नवरात्रि पर्व का विधान है, उनके क्रमश: चित्रा, पूर्वाषाढा, अश्विनी और पुष्य नक्षत्रों पर आधारित हैं. वैदिक ज्योतिष में नाक्षत्रीय गुणधर्म के प्रतीक प्रत्येक नक्षत्र का एक देवता कल्पित किया हुआ है. इस कल्पना के गर्भ में विशेष महत्व समाया हुआ है, जो कि विचार करने योग्य है.......................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:17 PM
भारतीय ज्योतिष शास्त्र कालचक्र की संधियों की अभिव्यक्ति करने में समर्थ है. प्राचीन युगदृ्ष्टा ऋषि-मुनियों नें विभिन्न तौर-तरीकों से अभिनव रूपकों में प्रकृ्ति के सूक्ष्म तत्वों को समझाने के तथा उनसे समाज को लाभान्वित करने के अपनी ओर से विशेष प्रयास किए हैं........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:18 PM
संधिकाल में सौरमंडल के समस्त ग्रह पिण्डों की रश्मियों का प्रत्यावर्तन तथा संक्रमण पृ्थ्वी के समस्त प्राणियों को प्रभावित करता है. अत: संधिकाल में दिव्यशक्ति की आराधना, संध्या उपासना आदि करने का ये विधान बनाया गया है.........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:19 PM
अयन, गोल तथा ऋतुओं के परिवर्तन मानव मस्तिष्क को आंदोलित करते हैं. मानव मस्तिष्क, जो कि अनन्त शक्ति स्त्रोतों का अक्षय भंडार है. उसमें जहाँ संसार के निर्माण करने की स्थिति है, वहीं संहार करने की शक्ति भी केन्द्रित है..........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:20 PM
यही कारण है कि त्रिगुणात्मक महाकाली, महासरस्वती और महादुर्गा हमारी आराध्य रही हैं.
यह पर्व रात्रि प्रधान इसलिए है कि शास्त्रों में “रात्रि रूपा यतोदेवी दिवा रूपो महेश्वर:” अर्थात दिन को शिव(पुरूष)रूप में तथा रात्रि को शक्ति(प्रकृ्ति)रूपा माना गया है. एक ही तत्व के दो स्वरूप हैं, फिर भी शिव(पुरूष)का अस्तित्व उसकी शक्ति(प्रकृ्ति) पर ही आधारित है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:22 PM
सो, इस बात को समझने की जरूरत है कि अखिल पिण्ड ब्राह्मंड के समस्त संकेत के पारखी ऋषि-मुनियों नें नैसर्गिक सुअवसरों को परख कर हमें विशेष रूप से संस्कारित बनाने का प्रयास किया है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:23 PM
त्रिविध ताप नाश की इस पुनीत पर्व की गरिमा को समझते हुए हमें दिव्यशक्ति की आराधना, उपासना करते हुए पूर्ण मर्यादासहित(मन को विषय भोगों से दूर रख) नवरात्रि पूजन करना आवश्यक है. यह समय किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय विशेष से सम्बन्धित न होकर मानव मात्र के लिए कल्याणप्रद है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:24 PM
नवरात्रि पर्व चैत्र और आश्विन मास में ही क्यों मनाया जाता है?...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:27 PM
नवरात्र पर्व हमेशा चैत्र और आश्विन मास में ही क्यों होते हैं? इसका भी एक वैज्ञानिक कारण है कि मौसम-विज्ञान के अनुसार ये दोनों ही मास सर्दी,गर्मी की सन्धि के महत्वपूर्ण मास हैं। यूँ तो ऋतुऎं कहने को छ: मानी जाती हैं परन्तु यदि देखा जाए तो हैं तो वे दो ही—-एक गर्मी और दूसरी सर्दी...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:28 PM
शीत ऋतु का आगमन आश्विन मास से आरंभ हो जाता है और ग्रीष्म का चैत्र मास से। ज्यों हि एक ऋतु का पदार्पण हुआ कि सम्पूर्ण भौतिक जगत में एक हलचल प्रारंभ होने लगती है। पेड-पौधे,वनस्पति जगत,जल,आकाश और वायुमंडल तक सबमें परिवर्तन होने लगता है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:29 PM
ये दोनो मास दोनों ऋतुओं के संधिकाल है,अत: हमारे स्वास्थय पर इनका विशेष प्रभाव पडता है। चैत्र में गर्मी के प्रारंभ हो जाने से पिछले कईं मास से जो रक्त का प्रवाह मंद था,अब वो हमारी नसों नाडियों में तीव्र गति से प्रवाहित होने लगता है। केवल रक्त की ही बात नहीं यह नियम शरीर के वात,पित्त,कफ इन तीनों तत्वों पर भी लागू होता है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:30 PM
यही कारण है कि संसार के अधिकांश रोगी इन दोनों मासों में या तो शीघ्र अच्छे हो जाते हैं या फिर मृ्त्यु को प्राप्त होते हैं। इसलिए शास्त्रकारों नें सन्धि काल के इन्ही मासों में शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए नौ दिन तक विशेष रूप से व्रत-उपवास आदि का विधान किया है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:31 PM
नव रक्त संचारी वसन्त के इन मादक दिनों में मन में विषय वासना की नईं तरंगें भी मन को खूब आंदोलित करती हैं,किन्तु यदि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए इन नौ दिनों में आपके विधिपूर्वक व्रत-उपवास का आश्रय लिया तो समझिए कि आगामी ऋतुकाल के लिए आपने अपने भीतर शक्ति का संचय कर लिया—जिसका फल आपको ये मिलेगा कि आगामी ऋतु परिवर्तन तक न तो कोई रोग,व्याधी और न किसी प्रकार की चित्त की विकलता ही आपको पीडित करेगी...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:33 PM
अन्त में आपसे एक बात कहना चाहूँगा कि ये जो पर्व है,इसे रात्रि प्रधान माना गया है। जैसा कि आप देखते हैं कि इसके नाम के साथ ही रात्रि शब्द जुडा हुआ है(नव+रात्रि)। इस विषय में शास्त्र वाक्य है कि “रात्रि रूपा यतोदेवी, दिवा रूपो महेश्वर:” अर्थात दिन को शिव(पुरूष) रूप में तथा रात्रि को (शक्ति) प्रकृ्ति रूपा माना गया है। एक ही तत्व के दो स्वरूप हैं फिर भी शिव(पुरूष) का अस्तित्व उसकी शक्ति(प्रकृ्ति) पर ही आधारित है...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:33 PM
यदि आप शक्ति(देवी) के उपासक हैं और उनके निमित किसी भी प्रकार का मंत्र जाप,पाठ इत्यादि करते हैं तो सदैव रात्रिकाल का ही चुनाव करें। दिनवेला में आत्मसंयंम पूर्वक व्रत-उपवास रखें और रात्रिवेला में कुछ समय किसी भी मंत्र,स्तुति अथवा ग्रन्थ का,उसके अर्थ को ह्रदयंगम करते हुए पारायण कीजिए,उसमें प्रोक्त गुणों को अपनी आत्मा में उतारिए……तत्पश्चात भूमी शयन कीजिए तो फिर देखिए आपकी आत्मिक शक्ति सर्वात्मना विकसित होती है या नहीं?...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:34 PM
कभी कभी तो ये देखकर विस्मित हो जाना पडता है कि पिंड ब्राह्मंड के संबंध संकेतों के पारखी हमारे ऋषि-मुनियों नें प्रकृ्तिप्रद नैसर्गिक सुअवसरों को परख कर हमें विशेष रूप से संस्कारित बनाने के कैसे कैसे प्रयास किए है,जिन्हे कि हम लोग यूँ ही गवाँ देते हैं। देखा जाए तो ऎसे सुअवसर किसी धर्म,सम्प्रदाय विशेष से संबंधित न होकर समस्त मानवमात्र के लिए कल्याणप्रद हैं...........................

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:44 PM
या देवी सर्व भूतेषु माँतृ रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम: ।।...........................

rajnish manga
23-09-2013, 10:44 PM
इस सूत्र पर उपलब्ध की गयी जानकारी निस्संदेह सभी सदस्यों के लिए कल्याणकारी है और अपनी पौराणिक विरासत की महानता के प्रति हमें आश्वस्त भी करती है. अतिशय धन्यवाद, डॉ. विजय.

Dr.Shree Vijay
23-09-2013, 10:46 PM
नवरात्री पर्व की आप सब को हार्दिक शुभकामनाऎं………
माँ भगवती आप सब के जीवन में खुशियों का संचार करे.........
माँ सबकी मंगलकामनाओं को परिपूर्ण करे................................

Dr.Shree Vijay
24-09-2013, 08:45 PM
इस सूत्र पर उपलब्ध की गयी जानकारी निस्संदेह सभी सदस्यों के लिए कल्याणकारी है और अपनी पौराणिक विरासत की महानता के प्रति हमें आश्वस्त भी करती है. अतिशय धन्यवाद, डॉ. विजय.






आपके बहुमूल्य अभिप्राय के लिए हार्दिक आभार.......................

Dr.Shree Vijay
26-11-2013, 08:18 PM
हर साल देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं ?.........
एक मित्र ने मुझ से पूछा की हिन्दु धर्म में प्रत्येक वर्ष देवशयन तथा देवप्रबोध(देवोत्थान) के बीच जो चार मास का एक समयकाल आता है, उसका क्या अर्थ है ? साथ ही उन्होने ये भी जानना चाहा है कि वर्षाकाल में देवता अधोलोक में, शीतकाल में मध्यलोक में तथा ग्रीष्म ऋतु में उर्ध्वलोक में चले जाते हैं—-इसका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर:- जैसा कि मैं समझता हूँ कि हिन्दू धर्म में अधिकतर लोगों को इस विषय में तनिक भी जानकारी नहीं हैं कि हमारे जो पर्व, त्योहार, व्रत-उपवास इत्यादि हैं, उनका वास्तविक प्रयोजन क्या है ?

एक साधारण मनुष्य की तो बात ही छोड दीजिए, जो लोग धर्म के नाम पर कमा खा रहे हैं, वो भी इसके बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं । अब यदि कोई इन सब का गहन विश्लेषण करे तो पता चलेगा कि इस धर्म(सनातन धर्म) के प्रत्येक नियम, परम्परा में कितनी वैज्ञानिकता छिपी हुई है । लेकिन आज की पाश्चात्य रंग में रंगी युवा पीढी इन सब को रूढिवादिता, आडम्बर, पुरातनपंथिता जैसे नामों से संबोधित करने लगी है । खैर जैसी ईश्वर की इच्छा….और इन लोगों की समझ............

Dr.Shree Vijay
26-11-2013, 08:22 PM
हर साल देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं ?.........
चलिए हम मूल विषय पर बात करते हैं…..देवशयन(देवताओं की निन्द्रा) और देवोत्थान(देवताओं का जागना) के बीच का जो अन्तराल होता है, वो वर्षाकाल और शीतऋतु(सर्दियों) के प्रारंभ(आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) होने तक का समय होता है । शरीर शास्त्र के अनुसार किसी मनुष्य के शरीर में रोग उत्पन होने का एकमात्र कारण है—वात,पित्त अथवा कफ नामक इन तीनों तत्वों मे से किसी की न्यूनाधिक्ता । अब यदि शरीर में इनमे से कोई भी तत्व कम या अधिक हुआ तो ही शरीरग्रस्त होगा अन्यथा नहीं । निरोगी काया के लिए शरीर में इन तत्वों का संतुलन आवश्यक है ।

अब जो ये चार मास की समयावधि है, इसमें एक तो दिनमान घटने लगता है और शरीर में वात की मात्रा बढने लगती है—- फलस्वरूप शरीर में विधमान तेज(उर्जा) क्षीण होने लगता है, जठराग्नि मंद पडने लगती है, पाचनतंत्र से संबंधित विकार उत्पन होने लगते हैं । इसलिए जठराग्नि के रक्षण और दीपन के लिए देवशयन के बहाने से हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा विभिन्न पर्व-त्योहारों के माध्यम से व्रत-उपवास इत्यादि रखने की एक परम्परा निर्धारित की गई है । वर्ष के अधिकतर त्योहार इन्ही चार महीनों के दौरान आने का यही एक कारण है, ताकि मनुष्य श्रद्धावश ही सही व्रत-उपवास इत्यादि का आश्रय ले और कुछ समय भूखा रहकर अपनी जठराग्नि को प्रदीप्त रख सके............

Dr.Shree Vijay
26-11-2013, 08:29 PM
हर साल देवता सोने क्यूँ चले जाते हैं ?.........
देवता वर्षाकाल में अधोलोक, शीतकाल में मध्यलोक तथा ग्रीष्मकाल में उधर्वलोक को चले जाते हैं — इसका तात्पर्य ये है कि वर्षा ऋतु में शरीर का समस्त तेज पैरों में, शीत ऋतु में पेट में और ग्रीष्म ऋतु में सिर पर होता है । प्रमाणस्वरूप वर्षाकाल में पैरों में सर्दी का अनुभव नहीं होता, शीतकाल में भूख अधिक लगती है और ग्रीष्मकाल में सिर पर शीघ्र गर्मी चढ जाती है । जैसे कि आपने देखा ही होगा कि तेज धूप में घर के बडे बुजुर्ग बच्चों को घर के बाहर निकलने से मना करते हैं; उसका कारण यही है कि एक तो उष्मा/गर्मी(तेज)पहले ही सिर पर विराजमान है, ऊपर से सूर्य की तेज गर्मी से कहीं मूर्च्छा, चक्कर इत्यादि न आ जाएं।

देवोत्थान(देवताओं के जाग उठने) का अर्थ ये है कि जब जठराग्नि जाग उठी तो उसका तेज(उष्मा) पैरों से चलकर पेट में आ गया।

हमारे ऋषि मुनि ये भलीभांती जानते थे कि इन्सान एक ऎसा प्राणी है जिसे कि यदि कोई सीधा स्पष्ट मार्ग भी दिखाया जाए तो भी वो उसका अनुसरण करने की बजाय अपने मन का अनुसरण करना ज्यादा पसंद करता है—इसीलिए उन्होने उसके हित को ध्यान में रखते हुए कहीं तो उसके भय को माध्यम बनाया तो कहीं श्रद्धा को । यूँ तो चाहे विश्व का कोई भी धर्म हो उसके मूल में सिर्फ इन्सान का भय और श्रद्धा ही काम करती है लेकिन यदि आप गहराई से सनातन धर्म का अध्ययन करें तो पाएंगे कि हिन्दू धर्म विश्व का एकमात्र वैज्ञानिक धर्म है, जिसका प्रत्येक नियम, परम्परा अपने भीतर विज्ञान समेटे हुए है............


इस स्रोत का लिंक:......... (http://goo.gl/PcC4R8)

Dr.Shree Vijay
08-04-2014, 06:42 PM
सभी मित्रों को चैत्री नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं :

http://newopblog8.cloudapp.net/wp-content/uploads/2013/09/529524_471982012870665_1691265244_n.png

Dr.Shree Vijay
08-04-2014, 06:43 PM
सभी मित्रों को चैत्री नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं :

https://fbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net/hphotos-ak-frc3/t31.0-8/p843x403/1966234_735369169837148_1896101280_o.jpg

Dr.Shree Vijay
15-04-2014, 07:00 PM
श्री हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर
सभीको हार्दिक शुभकामनाएं :.........


http://www.palpalindia.com/2014/04/10/ashoknagar-mp-Hanuman-Jayanti-celebrations-news-hindi-india-58035.jpg

Dr.Shree Vijay
12-06-2014, 04:06 PM
http://media1.santabanta.com/full2/Hinduism/Goddess%20Durga/goddess-durga-55a.jpg

Dr.Shree Vijay
18-08-2014, 11:08 AM
" माँ - : Episode 1 :" :.........

OqY_T50Tue8


यूट्यूब यूजर्स के सौजन्य से :......... (http://www.youtube.com/)

Dr.Shree Vijay
13-09-2014, 11:29 AM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33201&stc=1&d=1410589485

ज्योतिषाचार्य पंडित "विशाल"दयानंद शास्त्री जी के अनुसार आने वाले शारदीय नवरात्रि का पूजा विधि और घट स्थापना केसे करे और अन्य जानकारी :

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता..!!
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.!!!

शक्ति की पूजा सभी समाजों में सदियों से अलग-अलग रूपों में होती आई है लेकिन हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि ऐसा पर्व है जिसमें एकाग्र चित्त से आराधना करने पर मनसा, वाचा कर्मणा यानी मन, वाणी औऱ कर्म तीनों तरह की शक्तियां से संपन्न होने का आशीर्वाद मिलता है :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

Dr.Shree Vijay
13-09-2014, 11:43 AM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://www.webgranth.com/wp-content/uploads/2011/09/Navratri-Wallpaper-2012.jpg

शारदीय नवरात्रि को आराधना के लिए श्रेष्ठ समय माना गया है. वैसे तो साल के बारह महीने में कई बार नवरात्रि का जिक्र धार्मिक ग्रंथों में आता है लेकिन ज्यादातर नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहा जाता है यानी इन्हें गोपनीय आराधना या साधकों के लिए ही माना जाता है. गृहस्थों के लिए शारदीय और चैत्र नवरात्रि में ही पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है.

इस वर्ष 2014 के शारदीय नवरात्रे 25 सितम्बर, आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होगें और 3 अक्टूबर 2014 तक चलेंगे...

25 सितम्बर 2014 के दिन हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग होगा. सूर्य और चन्द्र दोनों कन्या राशि में होंगे :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

Dr.Shree Vijay
13-09-2014, 11:46 AM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://www.pixgallery.in/pixgallery/photos/fullsize/maa-durga-devi-navratri-wallpaper-258.jpg

शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि. 25 सितम्बर से लेकर 3 अक्टूबर विजयादशमी तक सम्पूर्ण विश्व में गूंजेंगे मातारानी के जयकारे. शारदीय नवरात्रि यानी आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक का समय. इन नौ दिनों में मां भगवती के महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती रूपों की आराधना की जाती है. शारदीय नवरात्रि आते ही हमारे भारत देश में नवरात्र उत्सव की शुरूआत हो जाती है :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

Dr.Shree Vijay
18-09-2014, 09:02 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://oyepages.com/cdn/show/id/508269ea54c881e907000002

मां शक्ति की आराधना के लिए नवरात्रि बहुत ही विशेष अवसर होता है। कहते हैं नवरात्री में की गयी पूजा से माँ जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों का उद्धार करती है। नवरात्रि संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। नवरात्रि के नौ रातो में तीन देवियों - महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की तथा दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं ।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्म्रणव महात्मना।।

इन नौ देवियों का क्रमशः नौ दिन पूजन किया जाता है। हम आज से आपको शारदीय नवरात्रि में किये जाने वाले माँ के पूजा के बारे मैं बतायेंगे साथ ही बताएँगे कुछ विशिष्ट उपायों को जिनको करके आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं तथा नवग्रह की पीड़ा से मुक्ति पा सकते हैं :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

soni pushpa
19-09-2014, 11:00 PM
[QUOTE=Dr.Shree Vijay;528051]
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://www.webgranth.com/wp-content/uploads/2011/09/Navratri-Wallpaper-2012.jpg

शारदीय नवरात्रि को आराधना के लिए श्रेष्ठ समय माना गया है. वैसे तो साल के बारह महीने में कई बार नवरात्रि का जिक्र धार्मिक ग्रंथों में आता है लेकिन ज्यादातर नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहा जाता है यानी इन्हें गोपनीय आराधना या साधकों के लिए ही माना जाता है. गृहस्थों के लिए शारदीय और चैत्र नवरात्रि में ही पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है.

इस वर्ष 2014 के शारदीय नवरात्रे 25 सितम्बर, आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होगें और 3 अक्टूबर 2014 तक चलेंगे...

25 सितम्बर 2014 के दिन हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग होगा. सूर्य और चन्द्र दोनों कन्या राशि में होंगे :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

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जय माता दी .... माँ भगवती की इतनी प्यारी और सुन्दर तस्वीरें देखके मन गदगद हो गया साथ ही इतनी सब जानकारी लेख में सोने पे सुहागा जैसा लगा ...
धन्यवाद डॉ श्री विजय जी ...

rajnish manga
21-09-2014, 01:35 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "




इस वर्ष 2014 के शारदीय नवरात्रे 25 सितम्बर, आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होगें और 3 अक्टूबर 2014 तक चलेंगे...


शारदीय नवरात्रों के विषय में सुन्दर आलेख व चित्रों के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, डॉ श्री विजय जी.

Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 10:38 PM
शारदीय नवरात्रों के विषय में सुन्दर आलेख व चित्रों के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद, डॉ श्री विजय जी.



आपका हार्दिक आभार.........

:thanks:

Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:17 PM
जय माता दी .... माँ भगवती की इतनी प्यारी और सुन्दर तस्वीरें देखके मन गदगद हो गया साथ ही इतनी सब जानकारी लेख में सोने पे सुहागा जैसा लगा ...
धन्यवाद डॉ श्री विजय जी ...


आपका हार्दिक आभार.........

:thanks:

Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:25 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://2.bp.blogspot.com/-wy10XYamhPU/UWetK2-sp8I/AAAAAAAASXI/PZWP54zga8U/s640/Nava-durga.png

ऐसे करें नवरात्रि पूजन :----

नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ भगवती के एक स्वरुप श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चंद्रघंटा, श्री कुष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह क्रम आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को प्रातकाल शुरू होता है। प्रतिदिन जल्दी स्नान करके माँ भगवती का ध्यान तथा पूजन करना चाहिए। सर्वप्रथम कलश स्थापना की जाती है।

कलश / घट स्थापना विधि :----

घटस्थापना मुहूर्त = 06:14:32 से 07:54:39 तक (सुबह)
अवधि = 1 घंटा 40 मिनट :.........


इस स्रोत का लिंक:......... (http://vinayakvaastutimes.wordpress.com/)

Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:33 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

http://techzone044.files.wordpress.com/2010/10/durga-puja-20101.jpg

पूजन सामग्री:---

जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र,
जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी,
पात्र में बोने के लिए जौ,
घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश,
कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल,
मोली, इत्र, साबुत सुपारी,
कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के,
अशोक या आम के 5 पत्ते,
कलश ढकने के लिए ढक्कन,
ढक्कन में रखने के लिए अक्षत (अखंड चावल),
पानी वाला नारियल,
नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा,
फूल माला, नैवेध्य, ऋतू फल, :.........


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Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:35 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

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पूजन विधि :---

सबसे पहले जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें। इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब एक परत जौ की बिछाएं। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब फिर एक परत जौ की बिछाएं। जौ के बीच चारों तरफ बिछाएं ताकि जौ कलश के नीचे न दबे। इसके ऊपर फिर मिट्टी की एक परत बिछाएं। अब कलश के कंठ पर मोली बाँध दें। अब कलश में शुद्ध जल, गंगाजल कंठ तक भर दें। कलश में साबुत सुपारी डालें। कलश में थोडा सा इत्र दाल दें। कलश में कुछ सिक्के रख दें।

कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें। अब कलश का मुख ढक्कन से बंद कर दें। ढक्कन में चावल भर दें। नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रखें। अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। "हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें।" अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें :.........


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Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:39 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

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पूजन विधि :---

कलश स्थापना के बाद माँ दुर्गा की चौकी स्थापित की जाती है :

नवरात्री के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए।

माँ दुर्गा से प्रार्थना करें "हे माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये।" उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।
नवरात्रि में नौ दिन मां भगवती का व्रत रखने का तथा प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व है। हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। सभी कष्टों से छुटकारा दिलाता है :.........


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Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:42 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

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पूजन विधि :---

नवरात्री के प्रथम दिन ही अखंड ज्योत जलाई जाती है जो नौ दिन तक जलती रहती है। दीपक के नीचे "चावल" रखने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है तथा "सप्तधान्य" रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते है
माता की पूजा "लाल रंग के कम्बल" के आसन पर बैठकर करना उत्तम माना गया है

नवरात्रि के प्रतिदिन माता रानी को फूलों का हार चढ़ाना चाहिए। प्रतिदिन घी का दीपक (माता के पूजन हेतु सोने, चाँदी, कांसे के दीपक का उपयोग उत्तम होता है) जलाकर माँ भगवती को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। मा भगवती को इत्र/इत्तर विशेष प्रिय है।

नवरात्री के प्रतिदिन कंडे की धूनी जलाकर उसमें घी, हवन सामग्री, बताशा, लौंग का जोड़ा, पान, सुपारी, कपूर, गूगल, इलायची, किसमिस, कमलगट्टा जरूर अर्पित करना चाहिए :.........


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Dr.Shree Vijay
21-09-2014, 11:45 PM
" शारदीय नवरात्रि 25 सितम्बर 2014 से 3 अक्टूबर 2014 तक ? "

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पूजन विधि :---

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए नवरात्र मैं पान मैं गुलाब की 7 पंखुरियां रखें तथा मां भगवती को अर्पित कर दें :

मां दुर्गा को प्रतिदिन विशेष भोग लगाया जाता है। किस दिन किस चीज़ का भोग लगाना है ये हम विस्तार में आगे बताएँगे।
प्रतिदिन कुछ मन्त्रों का पाठ भी करना चाहिए जैसे---

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।

ऊँ जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी ।दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः :.........


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Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 05:48 PM
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" प्रथम शैलपुत्रीं "

Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 05:51 PM
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" द्वितीय ब्रह्मचारिणीं "

Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 05:53 PM
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" तृतीय चंद्रघंटा "

Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 05:54 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33261&stc=1&d=1412167587

" चतुर्थ कुष्मांडा "

Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 05:56 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33262&stc=1&d=1412167587

" पंचम स्कंदमाता "

Dr.Shree Vijay
01-10-2014, 06:07 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33263&stc=1&d=1412167587

" षष्ठंम कात्यायनी "

Dr.Shree Vijay
04-10-2014, 07:47 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33282&stc=1&d=1412433969

" सप्तमं कालरात्रि "

Dr.Shree Vijay
04-10-2014, 07:50 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33283&stc=1&d=1412433969

" अष्टमं महागौरी "

Dr.Shree Vijay
04-10-2014, 08:05 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33284&stc=1&d=1412433969

" नवमं सिद्धिदात्री "

Dr.Shree Vijay
04-10-2014, 08:12 PM
http://media.santabanta.com/joke/hindi/visuals/hindi-fb-1001831.jpg

Dr.Shree Vijay
04-10-2014, 08:41 PM
http://3.bp.blogspot.com/-GvnzxR1VJ9U/UIZHsmuV6bI/AAAAAAAAAoc/dtWXCbpaS5k/s1600/bi_dussehra_15_oct_10_112501.jpg

Suraj Shah
05-10-2014, 07:52 PM
माँ के नों रूपों के दर्शन करने हेतुः ड़ॉ.साहब आपको हार्दिक साधुवाद ...

Dr.Shree Vijay
18-11-2014, 05:09 PM
माँ के नों रूपों के दर्शन करने हेतुः ड़ॉ.साहब आपको हार्दिक साधुवाद ...




http://www.db18.com/d/thank_you/thank_you_011.gif

Dr.Shree Vijay
18-11-2014, 05:12 PM
" माँ - : Episode 2 :" :.........

tKS7XCJHXJU


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Dr.Shree Vijay
18-11-2014, 05:13 PM
" माँ - : Episode 3 :" :.........

PgnTsvVkdSc


यूट्यूब यूजर्स के सौजन्य से :......... (http://www.youtube.com/)

Dr.Shree Vijay
30-11-2014, 03:26 PM
" माँ - : Episode 4 :" :.........

HqgWQY0M_x8


यूट्यूब यूजर्स के सौजन्य से :......... (http://www.youtube.com/)

Dr.Shree Vijay
27-06-2015, 09:24 PM
" माँ - : Episode 5 :" :.........

EjbY8dPYlGY


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Deep_
27-06-2015, 09:54 PM
सुंदर प्रस्तुति! शेयर करने के लिए धन्यवाद!

Dr.Shree Vijay
28-06-2015, 06:47 PM
सुंदर प्रस्तुति! शेयर करने के लिए धन्यवाद!



प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Suraj Shah
14-07-2015, 05:40 PM
जय माताजी,,,,,,