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View Full Version : ////....दिल-ए-नादान....////


Advo. Ravinder Ravi Sagar'
24-09-2013, 12:47 AM
दिल-ए-नादान तेरी धड़कने की वजह क्या है.!
किसे ढूंढता तेरी ज़ुस्तज़ु की वजह क्या है.!!
बिन पिए ही क्यूँ मदहोश-सा दिखता है.
बता ना तेरी बहकने की वजह क्या है.!!
ना दिन को क़रार ना रात आँखों में नींद.!
क्यूँ हुआ ये तेरी तड़पने की वजह क्या है.!!
सुना है इश्क़ में लोग खुदसे बेगाने होते.!
तेरी जहाँ से बेगाना होने की वजह क्या है.!!
तुझे खबर है यहाँ मुहब्बत शौक़ बन चुकी.!
फिर तेरी इश्क़ में उलझने की वजाहा क्या है.!!