Advo. Ravinder Ravi Sagar'
28-09-2013, 01:59 PM
देखना है ज़िंदगी को तो,
ग़रीब का चूल्हा देखिए.!
होती कैसी आन-बान-शान,
ग़रीब की बहू-बहन-बेटी देखिए.!!
सुबहा चढ़ती है हांड़ी,
सांझ की खबर नहीं होती,
खाली पेट ज़िंदा हैं लाशें,
बच्चों को फिर भी सबर होती,
देखना है त्याग को तो,
ग़रीब घर की महिला देखिए,,,
सुबहा निकलता है तलाश में,
काम कोई मिले करता है,
मेहनत-मज़दूरी से नहीं डरता,
करता हर काम जमीर से.
सीखना है जीवन में तो,
ग़रीब चेहरे का सकूँ देखिए,,,
ग़रीब का चूल्हा देखिए.!
होती कैसी आन-बान-शान,
ग़रीब की बहू-बहन-बेटी देखिए.!!
सुबहा चढ़ती है हांड़ी,
सांझ की खबर नहीं होती,
खाली पेट ज़िंदा हैं लाशें,
बच्चों को फिर भी सबर होती,
देखना है त्याग को तो,
ग़रीब घर की महिला देखिए,,,
सुबहा निकलता है तलाश में,
काम कोई मिले करता है,
मेहनत-मज़दूरी से नहीं डरता,
करता हर काम जमीर से.
सीखना है जीवन में तो,
ग़रीब चेहरे का सकूँ देखिए,,,