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View Full Version : अगर रामायण फेसबुक के ज़माने में होता?


sharmaji
07-10-2013, 07:38 AM
दोस्तों, इस सूत्र में हम लोग देखेंगे कि अगर रामायण फेसबुक के ज़माने में होता तो क्या होता?

http://hn.newsbharati.com/Encyc/2013/1/15/26_06_13_26_ramayan_15_1_13_H@@IGHT_379_W@@IDTH_50 4.jpg

sharmaji
07-10-2013, 08:01 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30892&stc=1&d=1381189998

sharmaji
07-10-2013, 08:03 AM
दोस्तों, आपको यह कैसा लगा, अगर अच्छा लगा हो तो मैं आगे की कहानी पोस्ट करूंगा. यह पूरी तरह से मेरी रचना है. आशा है आप लोगो को पसंद आएगी.

dipu
07-10-2013, 03:19 PM
very nice more

rajnish manga
07-10-2013, 07:43 PM
दोस्तों, आपको यह कैसा लगा, अगर अच्छा लगा हो तो मैं आगे की कहानी पोस्ट करूंगा. यह पूरी तरह से मेरी रचना है. आशा है आप लोगो को पसंद आएगी.

कमाल का सूत्र आरम्भ किया है आपने, शर्मा जी. पर्दा उठते ही ड्रामाई शुरुआत हो गयी. विजयादशमी तक यह लीला रोज चलनी चाहिये. धन्यवाद.

abhisays
07-10-2013, 08:08 PM
बहुत ही रोचक आरम्भ है, जारी रखे.

sharmaji
08-10-2013, 04:58 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30895&stc=1&d=1381190662

sharmaji
08-10-2013, 05:33 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30896&stc=1&d=1381192416

sharmaji
08-10-2013, 06:01 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30899&stc=1&d=1381194400

sharmaji
08-10-2013, 08:25 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30901&stc=1&d=1381202705

sharmaji
08-10-2013, 09:07 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30902&stc=1&d=1381205231

sharmaji
08-10-2013, 09:07 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30903&stc=1&d=1381205231

dipu
08-10-2013, 09:08 AM
waah maza aa gaya

abhisays
08-10-2013, 11:53 PM
Sharmaji, can I reproduce this thread on my blog?

sharmaji
09-10-2013, 12:36 AM
Sure, please go ahead and post them to your blog.

Dark Saint Alaick
09-10-2013, 04:17 AM
अद्भुत, अनुपम, सरस सृजन है; शर्माजी। आप इसे यदि शुरुआत से सिलसिलेवार लिखें, तो वर्तमान फेसबुकिया पीढ़ी के तुलसीदास तो कहे ही जाएंगे, यह रचना आपके दामन में अनेक पुरस्कारों और धन की वर्षा भी करेगी। इसे आरम्भ से काण्ड के हिसाब से पूर्ण करें और फिर देखें कमाल। साधुवाद। :hello:

sharmaji
09-10-2013, 06:36 AM
अद्भुत, अनुपम, सरस सृजन है; शर्माजी। आप इसे यदि शुरुआत से सिलसिलेवार लिखें, तो वर्तमान फेसबुकिया पीढ़ी के तुलसीदास तो कहे ही जाएंगे, यह रचना आपके दामन में अनेक पुरस्कारों और धन की वर्षा भी करेगी। इसे आरम्भ से काण्ड के हिसाब से पूर्ण करें और फिर देखें कमाल। साधुवाद। :hello:

संत जी, मैं इतना तो काबिल नहीं कि इतना बड़ा कुछ सृजन कर सकू, यह तो बस एक छोटा सा प्रयास है.

आपके शब्दों के लिए धन्यवाद. :hello::hello::hello:

sharmaji
09-10-2013, 06:37 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30917&stc=1&d=1381282615

sharmaji
09-10-2013, 07:04 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30918&stc=1&d=1381284252

sharmaji
09-10-2013, 08:42 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=30919&stc=1&d=1381290162

Dark Saint Alaick
16-10-2013, 10:50 PM
संत जी, मैं इतना तो काबिल नहीं कि इतना बड़ा कुछ सृजन कर सकू, यह तो बस एक छोटा सा प्रयास है.

आपके शब्दों के लिए धन्यवाद. :hello::hello::hello:

आप मेरे कथन का आशय नहीं समझे, मित्र ! मेरा आशय यह कदापि नहीं था कि आप महर्षि वाल्मीकि अथवा तुलसीदास की तरह किसी बृहद ग्रन्थ का सृजन करें, बल्कि मेरा सुझाव यह था कि आप कथा को सिलसिलेवार काण्ड के हिसाब से तरतीब दें, तो यह बहुत ही अच्छा होगा। आपकी इस फोरम पर प्रस्तुति पर नज़र करता हूं, तो पाता हूं कि सम्पूर्ण बाल काण्ड को आपने तीन-चार प्रविष्ठियों में कुशलता से निपटा दिया है। हां, आप चाहें, तो यह संख्या दस-बारह तक जा सकती है। अगर यही तरतीब आप प्रत्येक काण्ड के बारे में निभाएं, तो न सिर्फ फेसबुकिया पीढ़ी का भला होगा, बल्कि वह भी संभव होगा, जो मैंने अपनी पूर्व प्रविष्ठि में कहा था। कृपया विचार करें, धन्यवाद।

CHANDAN1222
26-10-2014, 11:02 AM
बहुत बढिया ।