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View Full Version : शराबी और जज.....bansi


Bansi Dhameja
08-10-2013, 05:06 PM
शराबी और जज
एक शराबी को पोलीस्मॅन ने शराब पीते हुए पकडा और कोर्ट में ले आया
जज:
किया आप शराब पी रहे थे

शराबी:
मानता हूँ जनाब पीता हूँ
पी के बे हिसाब पीता हूँ

लोग लोगों का खून पीते हैं
मैं तो फिर भी शराब पीता हूँ

जज
माना की लोगों का खून पीने से
शराब पीना अच्छा

पर शराब पीने से
मोहबत के जाम पीना अच्छा

मोहबत किसी इंसान से करने से
खुदा से इश्क़ अच्छा

छोड़ दो शराब अपनी सेहत के लिए
करो इश्क़ खुदा से रूहानी सफ़र के लिए

शराबी:
करता था मोहबत किसी हसीना से मैं
बे इंतहा मोहबत उस से करता था मैं

किसी और के लिए मुझे छोड़ दिया उसने
दे गयी गम और तोड़ दिया दिल मेरा उसने

उसीके गम में डूबा रहता था मैने
उसीको भूलने की कोशिश करता था मैने

लिया सहारा शराब का उसको भूलने का मैने
कितनी भी पीलून उसे भुला नहीं पता हूँ मै

जज:
मैने भी किसी से मोहबत की थी
मेरे साथ भी कुच्छ ऐसा ही हुआ था

मैं भी पीने लगा था उसके गम में
एक दोस्त ने मुझे एक मशवरा दिया

कियों क़ुरबान करते हो ज़िंदगी उसके लिए
जिसको तुम्हारे प्यार की कदर ही नहीं

समझ में आई मुझे उसकी ये बात
फिर सोचा कियों मोहबत किसी इंसान से करूँ
कियों ना इश्क़ खुदा से करूँ

इंसान तो फिर भी दॉखा दे सकते हैं
खुदा कभी किसी को दॉखा देता नहीं

करता हूँ इश्क़ खुदा से मैं
और गमों से दूर रहता हूँ मैं

देता हूँ एक मशवरा तुझ को
मत करो क़ुरबान उसके लिए अपनी ज़िंदगी को
जिसे तुम्हारी ज़िंदगी की परवाह ना हो

शराबी:
छोड़ दूँगा शराब आज से जनाब
जो आपने कहा उसे करने की कोशिश करूँगा जनाब

जज "रिहा करदो इस शराबी को"

कुच्छ दिन के बाद वो ही शराबी जज को रास्ते में लड़खड़ाता मिला

जज:
शराब तुमने छोड़ी नहीं जो अब भी इतना लड़खड़ा रहे हो
कहाँ से किया कुच्छ पी के आ रहे हो

शराबी:
लड़ खड़ाते हैं कदम मेरे
कियों की शराब पीता नहीं

मेरे जिस्म को आदत है शराब की
जो अब उसे मिलती नहीं

दिया था वचन आपको की पीयोंगा नहीं
कुच्छ भी हो जाए वचन तोड़ूँगा नहीं

मैं भी समझने लगा हूँ रिश्तों को

पहले लोग कहते थे दोस्ती एक पल का साथ नहीं
दोस्ती नाम है दुख सुख में साथ देने का
दोस्ती नाम है ज़िंदगी भर साथ निभाने का

कुश किस्मत हैं वो जिन्हें ऐसे दोस्त मिले हैं
आज कल तो दोस्ती नाम है अपना उलू सीधा करने का

ज़िंदगी बदलती है मोहबत के साथ
मोहबत नहीं बदलती अपनो के साथ
बस अपन बदल जाते हैं वक़्त के साथ

लड़खड़ाउँगा कितना भी मगर पीऊँगा नहीं
आप से वादा खिलाफी कभी करूँगा नहीं

जज:
दिल करता है तुझे अपने सीने से लगालूँ
आज से तुम्हें अपना दोस्त बनालूँ

अब तुम मेरे दोस्त हो मेरे यार मेरे यार
मुझे ये खना अच्छा लागत है बार बार

शराबी:
खुदा सलामत रखे आपको
आप के प्यार ने मुझे रुला दिया
एक शराबी को आपने इंसान बना दिया
एक शराबी को अपने इंसान बना दिया
----बंसी (मधुर)


SHARABI AUR JUDJE
EK SHARABI KO POLICEMAN NE SHARAB PEETE HUYE PAKRA AUR COURT MEN LE AAYA

JUDGE:

KIYA AAP SHARAB PEE RAHE THE

SHARABI:
MANTA HUN JANAB PEETA HUN
PEE KE BE HISAAB PEETA HUN

LOG LOGON KA KHOON PEETE HAIN
MAIN TO PHIR BHI SHARAB PEETA HUN

JUDGE:
MANA KI LOGON KA KHOON PEENE SE
SHARAB PEENA ACHHA

PAR SHRARAB PEENE SE
MOHABAT KE JAAM PEENA ACHHA

MOHABAT KISI INSAN SE KARNE SE
KHUDA SE ISHQ ACHHA

CHHOR DO SHARAB APNI SEHAT KE LIYE
KARO ISHQ KHUDA SE ROOHANI SAFAR KE LIYE

SHARABI:
KARTA THA MOHABAT KISI HASINA SE MAIN
BE INTAHA MOHABAT US SE KARTA THA MAIN

KISI AUR KE LIYE MUJHE CHHOR DIYA USNE
DE GAYEE GAM AUR TOR DIYA DIL MERA USNE

USIKE GAM MEN DOOBA RAHATA THA MAINE
USIKO BHULANE KI KOSHISH KARTA THA MAINE

LIYA SAHARA SHARAB KA USKO BHULNE KA MAINE
KITINI BHI PEELOON USE BHULA NAHIN PATA HUN MAINE

JUDGE:
MAINE BHI KISI SE MOHABAT KI THEE
MERE SAATH BHI KUCHH AIAS HI HUAA THA

MAIN BHI PEENE LAGA THA USKE GAM MEN
EK DOST NE MUJHE EK MASHWARA DIYA

KIYON QURBAN KARTE HO ZINDAGI USKE LIYE
JISKO TUMHARE PYAR KI KADAR HI NAHIN

SAMAJH MEN AAYEE MUJHE USKI YE BAAT
PHIR SOCHA KIYON MOHABAT KISI INSAN SE KAROON
KIYON NA ISHQ KHUDA SE KAROON

INSAAN TO PHIR BHI DOKHA DE SAKTE HAIN
KHUDA KABHI KISI KO DOKHA DETA NAHIN

KARATA HOON ISHQ KHUDA SE MAIN
AUR GAMON SE DOOR RAHTA HUN MAIN

DETA HUN EK MASHWARA TUJH KO
MAT KARO QURBAN USKE LIYE APNI ZINDAGI KO
JISE TUMHARI ZINDAGI KI PARWAH NA HO

SHARABI:
CHHOR DOONGA SHARAB AAJ SE JANAAB
JO AAPNE KAHA USE KARNE KI KOSHISH KAROONGA JANAB

JUDGE "RIHA KARDO IS SHARABI KO"

KUCHH DIN KE BAAD WO HI SHARABI JUDGE KO RASTE MEN LARKHRATA MILA

JUDGE:
SHARAB TUMNE CHHORI NAHIN JO AB BHI ITNA LARKHRA RAHE HO
KAAHAN SE KIYA KUCHH PEE KE AA RAHE HO

SHARABI:
LARKHARATE HAIN KADAM MERE
KIYON KI SHARAB PEETA NAHIN

MERE JISM KO AADAT HAI SHARAB KI
JO AB USE MILTEE NAHIN

DIYA THA VACHAN AAPKO KI PEEYONGA NAHIN
KUCHH BHI HO JAYE VACHAN TORHOONGA NAHIN

MAIN BHI SAMJHNE LAGA HUN RISHTON KO

PAHLE LOG KAHTE THE DOSTI EK PAL KA SAATH NAHIN
DOSTI NAAM HAI DUKH SUKH MEN SAATH DENE KA
DOSTI NAAM HAI ZINDAGI BHAR SAATH NIBHANE KA

KUSH KISMAT HAIN WO JINHEN AISE DOST MILE HAIN
AAJ KAL TO DOSTI NAAM HAI APNA ULOO SEEDHA KARNE KA

ZINDAGI BADALTI HAI MOHABAT KE SATH
MOHABAT NAHIN BADALTI APNO KE SAATH
BAS APN BADAL JATE HAIN WAQT KE SAATH

LARKHARUNGA KITNA BHI MAGAR PEEYUNGA NAHIN
AAP SE WADA KHILAFI KABHI KAROONGA NAHIN

JUDGE:
DIL KARAT HAI TUJHE APNE SENE SE LAGALOON
AJ SE TUMHEN APNA DOST BANALOON

AB TUM MERE DOST HO MERE YAR MERE YAR
MUJHE YE KHNA ACHHA LAGAT HAI BAR BAR

SHARABI:
KHUDA SALAMAT RAKHE AAPKO
AAP KE PYAR NE MUJHE RULA DIYA
EK SHARABI KO APNE INSAAN BANA DIYA
EK SHARABI KO APNEINSAAN BANA DIYA
----bansi dhameja(madhur)[/SIZE]

internetpremi
10-10-2013, 03:28 AM
अच्छा लगा।
कृपया, अगली बार font size थोडा सा बढा दीजिए।
हम जैसों को पढने में सुविधा होगी।
और यहाँ वहाँ वर्तनी की गलतियाँ सुधार दीजिए।
लिखते रहिए।
शुभकामनाएं

Bansi Dhameja
10-10-2013, 11:12 AM
अच्छा लगा।
कृपया, अगली बार font size थोडा सा बढा दीजिए।
हम जैसों को पढने में सुविधा होगी।
और यहाँ वहाँ वर्तनी की गलतियाँ सुधार दीजिए।
लिखते रहिए।
शुभकामनाएं
=internetpremi ji baht bahut shukriya hausila afzahi ke liye. jais aapne kah karne ki oshish karoonga. Shukriya

rajnish manga
10-10-2013, 11:52 AM
कविता कहूँ या लघुकथा, हर रूप में आपकी यह रचना बहुत रोचक और प्रेरक है. फोरम पर शेयर करने के लिए धन्यवाद. एक छोटा सा सुझाव देना चाहता हूँ. रचना को जब आप हिंदी में प्रस्तुत कर ही रहे हैं तो अंग्रेजी में दोहराने की कोई जरूरत नहीं है. आशा है आप इस मित्र की बात का बुरा न मानेंगे.

Bansi Dhameja
10-10-2013, 12:05 PM
कविता कहूँ या लघुकथा, हर रूप में आपकी यह रचना बहुत रोचक और प्रेरक है. फोरम पर शेयर करने के लिए धन्यवाद. एक छोटा सा सुझाव देना चाहता हूँ. रचना को जब आप हिंदी में प्रस्तुत कर ही रहे हैं तो अंग्रेजी में दोहराने की कोई जरूरत नहीं है. आशा है आप इस मित्र की बात का बुरा न मानेंगे.
rajnish manga ji आप के विचार पद कर अच्छा लगा.बहुत बहुत शुक्रिया.
आप सही कह रहे हैं जब यह हिन्दी फोरम है तो सब हिन्दी पड़ सकते होंगे तो रोमन में लिखने के ज़रूरत नहीं.
जैसा आप कह रहे हैं वैसा ही करूँगा. धन्यवाद

dipu
10-10-2013, 04:26 PM
bahut badiya

Bansi Dhameja
10-10-2013, 09:29 PM
bahut badiya
dipu ji bahut bahut shukriya

internetpremi
10-10-2013, 11:04 PM
rajnish manga ji आप के विचार पद कर अच्छा लगा.बहुत बहुत शुक्रिया.
आप सही कह रहे हैं जब यह हिन्दी फोरम है तो सब हिन्दी पड़ सकते होंगे तो रोमन में लिखने के ज़रूरत नहीं.
जैसा आप कह रहे हैं वैसा ही करूँगा. धन्यवाद

रजनीशजी से सहमत।
जो हिन्दी में टाईप करना नहीं जानते या अपनी मोबाईल पर टाइप कर रहे हैं उन्हें शायद रोमन लिपी सुविधाजनक होगी। पर एक बार जब देवनागरी लिपी में रचना प्रस्तुत हो चुकी है तो रोमन लिपि में दोहराना जरूरी नहीं