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View Full Version : निकले थे घर से गुलों की तलाश में...bansi


Bansi Dhameja
12-10-2013, 04:42 PM
निकले थे घर से गुलों की तलाश में
पता ना था काँटों से मुलाकात हो जाएगी

सोचा था ज़िंदगी खुशी से बसर हो
पता ना था ज़िंदगी तकलीफ़ों से भर जाएगी

सोचा था वक़्त निकल लूँगा बंदगी के लिये
पता ना था ज़िंदगी उलझानो से ही घिर जाएगी

ज़िंदगी भर दौड़ता रहा उलझने सुलझाने में
पता ना था ज़िंदगी अपनी ही रफ़्तार से गुज़र जाएगी

ज़िंदगी भर भटकता रहा खुशी की तलाश में
पता ना था खुशी दिल के अंदर ही मिल जाएगी

अब आ कर पता लगा जो करना है जल्दी कर लो
पता नहीं ज़िंदगी की आखरी शाम कब आ जाएगी

'बंसी' कर लो खुदा की बंदगी जितनी कर सको
पता नहीं दिल की धड़कन कब रुक जाएगी

निकले थे घर से गुलों की तलाश में
पता ना था काँटों से मुलाकात हो जाएगी
बंसी(मधुर)