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View Full Version : स्वास्थ्य सम्बंधित देसी नुस्खे


gulluu
31-10-2010, 07:27 PM
दोस्तों ,यहाँ हम कोशिश करेंगे ऐसे देसी नुस्खों के बारे में जानकारी देने की जो सैकड़ों सालों से भारत में इस्तेमाल किये जाते हैं और कामयाब है .
लेकिन फिर भी सुरक्षा के लिए आप सभी से अनुरोध है की अपने रिस्क पर इनका इस्तेमाल करें और पुराने अनुभवी लोगों या डोक्टोर्स द्वारा इनका योग्यता जांच लें .
धन्यवाद

gulluu
31-10-2010, 07:28 PM
फेफड़ों के रोगों से बचाव
ताजा मुनक्को के 15 दानो को पानी से साफ करके रात में 150 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात:काल तक वे फूल जायेगें । प्रात: बीज निकाल कर उन्हें एक-एक करके खूब चबायें । बचे हुए पानी को भी पीलें । एक माह तक सेवन करने से फेफड़े की कमजोरी खत्म हो जाती है ।

gulluu
31-10-2010, 07:28 PM
खाँसी से बचाव
भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने की आदत डाली जाये तो केवल आप खाँसी से बचे रहेगें बल्कि आपकी पाचन शक्ति भी अच्छी बनी रहेगी ।

gulluu
31-10-2010, 07:29 PM
मुख के रोगों से बचाव
मुख में कुछ देर सरसों का तेल रखकर कुल्ली करने से जबड़ा बलिष्ट होता है। आवाज ऊँची और गंभीर हो जाती है। चेहरा पुष्ट हो जाता है और छ: रसों में से हर एक को अनुभव करने की शक्ति बढ़ जाती है। इस क्रिया से कण्ठ नहीं सूखता और होंठ नहीं फटते हैं। दांत भी नहीं टूटते क्योंकि दांतो की जड़े मजबूत हो जाती है।

gulluu
31-10-2010, 07:29 PM
दांत, जीभ व मुँह के रोग से बचाव
प्रात: कड़वी नीम की दो-चार पत्तियाँ चबाकर उसे थूक देने से दांत-जीभ व मुँह एकदम साफ रहता और निरोगी रहते हैं। कड़वी नीम की पत्तियों में क्लोरोफिल होता है।

विशेष - नीम की दातुन उचित ढंग से करने वाले के दांत मजबूत रहते हैं। दांतों में न तो कीड़े लगते न ही दर्द होता है। मुख-कैंसर और मुख रोगों से बचाव होता है

gulluu
31-10-2010, 07:30 PM
दांतों की मजबूती के लिये
यदि मल-मूत्र त्याग के समय रोजाना उपर-नीचे के दांत को भींचकर बैठा जाये तो दांत जीवन नहीं हिलते। इससे दांत मजबूत होते है और जल्दी नहीं गिरते। लकवा मारने का डर भी नहीं रहता।
विशेष - स्त्री,पुरुष बालक सभी को जब भी वे शौच तथा करने जायें ऐसी आदत अवश्य डालनी चाहिये। इससे दांतों का पायरिया,खून या पीप आना, दांतों का हिलना बहुत शीघ्र बन्द हो जाता है। हिलते दांत आश्चर्यजनक रूप से दृढ़ हो जाते हैं

gulluu
31-10-2010, 07:31 PM
कान के रोग से बचाव
सप्ताह में एक बार भोजने करने से पहले कान में हल्का सुहाता गर्म सरसों का तेल की दो-चार बूंद डालकर खाना खायें। कान में कभी तकलीफ नहीं होगी। कानों में तेल डालने से अन्दर की मैल उगलकर बाहर आ जाती है। यदि सप्ताह- पन्द्रह दिन एक बार दो-चार बून्द तेल डाला जाए तो बहरेपन का भय नहीं रहता, दांत भी मजबूत होगें ।
विशेष - कोई व्यक्ति यदि प्रतिदिन कानों गुनगुना सरसों का तेल डाल कर कुछ विश्राम करता है तो उसके शरीर में वृध्दावस्था के लक्षण शीघ्र प्रतीत नहीं होते। गर्दन के अकड़ जाने का रोग उत्पन्न नहीं होता और न ही बहरापन होता है। नेत्र की ज्योति बढ़्ती है और आँखें नहीं दुखती।

gulluu
31-10-2010, 07:43 PM
नेत्र-विकारों से बचाव
सुबह दांत साफ करके, मुँह में पानी भरकर मुँह फुला लें। इसके बाद आखॉं पर ठ्ण्डे जल के छीटे मारें। प्रातिदिन इस प्रकार दिन तीन बार प्रात: दोपहर तथा सांयकाल ठ्ण्डे जल से मुख भरकर, मुँह फुलाकर ठ्ण्डे जल से ही आखॉं पर हल्के छींटे मारने से नेत्र में तेजी का अहसास होता है और किसी प्रकार नेत्र विकार नहीं होता ।
विशेष - ध्यान रहे कि मुँह का पाने गर्म न होनी पाये। गर्म होने से पानी बदल लें । मुँह से पाने निकालते समय भी पूरे जोर से मुँह फुलाते हुए वेग से पानी छोड़ने से ज्यादा लाभ होता है, आँखों के आस पास झुर्रियाँ नहीं पड़ती

gulluu
31-10-2010, 07:55 PM
सिर के रोगों से बचने के लिये
नहाने से पहले पाँच मिनिट तक मस्तष्क के मध्य तालुवे पर किसी श्रेष्ठ तेल (नारियल, सरसों, तिल्ली, ब्राह्मी-आवलाँ,भृंगराज) की मालिश किजिए। इससे स्मरण शक्ति और बुध्दि का विकास होगा और बाल काले चमकीले और मुलायम होगें।
विशेष - रात को सोने से पहले कान के पीछे की नाड़ियाँ, गर्दन के पीछे की नाड़ियाँ और सिर के पिछले भाग पर तेल की नर्मी से मालिश करने से चिंता, तनाव और मानसिक परेशानी के कारण उत्पन्न होने वाला सिर के पिछले भाग और गर्दन में दर्द तथा भारीपन मिटता है ।

gulluu
31-10-2010, 09:32 PM
पानी अनेक रोगों की एक दवा-
सायंकाल ताम्बे के एक बर्तन में पानी भरकर रख लें। प्रात: सूर्योदय से पहले उस बासी पानी को पीयें तथा सौ कदम टहल कर शौच जायें। इससे कब्ज दूर होकर शौच खुलकर आयेगी। इससे मलशुध्दि के साथ बवासीर, उदय रोग, यकृत-प्लीहा के रोग, मूत्र और वीर्य सम्बन्धी रोग, सिर दर्द,नेत्रविकार तथा वात पित्त और कफ से होने वाले अनेकानेक रोगों से मुक्त रहता है। बुढ़ापा उसके पास नहीं फटकता और वह शतायु रहता है

gulluu
31-10-2010, 09:35 PM
गैस टृबल
काली हरड़ को पानी से धोकर किसी साफ कपड़े से पौंछ कर रख लें। दोनो समय भोजन के पश्चात एक हरड़ को मुहँ में रखकर चूस लिया करें। लगभग एक घंटे में हरड़ में घुल जाती है। यह गैस और कब्ज के लिये सर्वश्रेष्ठ दवा है ।
विशेष - इससे गैस की शिकायत दूर होती है शौच खुलकर आती है भूख खूब लगने लगती है।पाचन शक्ति बढती है। जिगर के रोग और अंतडिओं की वायु नष्ट होती है रक्त शुध्द होता है । चर्म रोग नहीं होता है । सिरगेट- बीड़ी का अभ्यास छूट जाता है ।

jalwa
03-11-2010, 11:01 AM
गुल्लू जी, आपके द्वारा बताए गए देसी नुस्खे सदियों से हमारे देश में घरों में आम तौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं और इनमें प्रयुक्त पदार्थ भी आसानी से मिल जाते हैं. ज्यादातर चीजें रसोई घर में ही मिल जाती हैं. और ये उपाय ज्यादातर कारगर सिद्ध हुए हैं. इस बेशकीमती जानकारी के लिए धन्यवाद. कृपया अपना योगदान निरंतर देते रहें. धन्यवाद.

gulluu
07-11-2010, 01:07 PM
कब्ज होने पर रात्रि सोते समय दस बारह मुनक्के (पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर बीज निकाल कर) दूध में उबाल कर खाएँ और ऊपर से वही दूध पी लें। प्रातः खुलकर शौच लगेगा। भयंकर कब्ज में तीन दिन लगातर लें और बाद में आवश्यकतानुसार कभी-कभी लें।

या त्रिफला चुर्ण चार ग्राम (एक चम्मच भर) २०० ग्राम हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।


या दस ग्राम (दो चम्मच) ईसबगोल की भूसी छः घंटे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर रात सोते समय जल के साथ लेने से दस्त साफ आता है। इसे केवल पानी के साथ वैसे ही, बिना भिगोये ही, रात्रि सोते समय लिया जा सकता है।
या ईसबगोल की भूसी दस से पन्द्रह ग्राम (दो से तीन चम्मच) की मात्रा में २०० ग्राम गर्म दूध में भिगो दें। यह फूलकर गाढ़ी हो जाएगी। इसे चीनी मिलाकर खाएँ और ऊपर से थोड़ा और गर्म दूध पी लें। शाम को इसे लें तो प्रातः मल बंधा हुआ साफ आ जाएगा।
या ईसबगोल की भूसी १० - १५ ग्राम की मात्रा में थोड़े गर्म दूध के साथ मिलाकर नित्य रात को सोते समय खाने से प्रातः को पेट साफ हो जाता है। दूध में आधा पानी मिलाकर एक या दो उबाल आने तक औटाना चाहिये।
या आरंड़ का तेल अवस्थानुसार एक से पांच चम्मच की मात्रा से एक कप गर्म पानी या दूध में मिलाकर रात सोते समय पीने से कब्ज दूर होकर साफ आता है।
या आरंड़ का तेल बहुत ही अच्छा हानि रहित जुलाब है। इसे छोटे बच्चे को भी दिया जा सकता है और दूध के विकार से पेट दर्द तथा उल्टी होने की अवस्था में भी इसका प्रयोग बहुत हितकारी होता है।
या पुराना से पुराना अथवा बिगड़ा हुआ कब्ज - दो संतरों का रस खाली पेट प्रातः आठ दस दिन पीने से पुराना से पुराना अथवा बिगड़ा हुआ कैसा भी कब्ज हो, ठीक हो जाता है।

gulluu
07-11-2010, 01:30 PM
काली खांसी
भुनी हुई फिटकरी और चीनी (एक रत्ती) दोनों को मिलाकर दिन में दो बार खाएं। पांच दिन में काली खांसी ठीक हो जाती है। बड़ो को दोगुनी मात्रा दें। यदि बिना पानी के न ले सके तो एक दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पी लें।

या दही दो चम्मच, चीनी एक चम्मच, काली मिर्च का चूर्ण छः ग्राम मिलाकर चटाने से बच्चों की काली खाँसी और वृद्धों की सूखी खांसी में आश्चर्यजनक लाभ होता है।

gulluu
07-11-2010, 01:32 PM
क्रोध भगाएं
दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर खाने से गुस्सा शान्त होता है। पन्द्रह दिन लगातार खायें। थाली बर्तन फैंकने वाला और पत्नि और बच्चों को मारने पीटने वाला क्रोधी भी क्रोध से मुक्ति पा सकेगा।
जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क दुर्बल हो गये हो और जिन विद्यार्थियों को पाठ याद नहीं रहता हो तो इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही दुर्बल मस्तिष्क के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता हो, वह भी मिट जाता है।

कहावत है -
"एक सेब रोज खाइए, वैद्य डाक्टर से छुटकारा पाइए।"

या आंवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन प्रातः काल खायें और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना बन्द होगा।

gulluu
07-11-2010, 01:34 PM
घुटने दुखना
सवेरे मैथी दाना के बारीक चुर्ण की एक चम्मच की मात्रा से पानी के साथ फंक्की लगाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है। विशेषकर बुढ़ापे में घुटने नहीं दुखते।
या सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से ही घुटनों का दर्द समाप्त हो जाता है।

या नारियल की गिरी अक्सर खाते रहने से घुटनों का दर्द होने की संभावना नहीं रहती।

gulluu
10-11-2010, 07:15 AM
झुर्रियाँ कुछ उपाय
आधा चम्मच दुध की ठंडी मलाई में नींबु के रस की चार पाँच बूंदें मिलाकर झुर्रियाँ पर सोते समय अच्छी तरह मलें। पहले गुनगुने पानी से चेहरा अच्छी मलें। फिर गुनगुने पानी से चेहरा अच्छी तरह धोएं और बाद में खुरदरे तौलिए से रगड-पौंछकर सुखा लें। इसके बाद मलाई दोनों हथेलियों से तब तक मलते रहें जब तक कि मलाई घुलकर त्वचा में रम न जाए। बीस मिनट या आधा घण्टे बाद स्नान कर लें या पानी से धो डालें परन्तु साबुन का प्रयोग न करें। नित्य १५ - २० दिन तक नियमित प्रयोग से झुर्रियाँ दुर होती हैं तथा चेहरे के काले दाग मिट जाते हैं।

या पके हुए पपीते का एक टुकडा काटकर चेहरे पर घिसें या गूदा मसलकर चेहरे पर लगाएं। कुछ देर बाद स्नान कर लें। कुछ दिन लगातार ऐसा करने से चेहरे की झुर्रियाँ, धब्बे, दूर होते हैं, मैल नष्ट होता है। व मुहाँसे मिटकर चेहरे की रंगत निखरती है।


या 'ई' और 'ओ' बोलते हुए एक बार चेहरे को फैलाएं और फिर सिकोडें। दुसरे शब्दों मे 'ई' के उच्चारण के साथ ऐसी मुद्रा बनाएँ मानों कि आप मुस्कुराने जा रहे है। कुछ क्षण इसी मुद्रा में रहने के बाद होठों को आगे की तरफ बढाते हुए इस प्रकार मुद्रा बनाएँ मानों कि आप सीटी बजाना चाह रहे हैं। इससे गालों का अच्छा व्यायाम होता है जिससे गालों की पुष्टि होती है और झुर्रियाँ से बचाव। यह क्रिया एक बार में १५-२० बार करें और दिन में तीन बार करें।
या मुँह से फूँक मारते हुए गाल फुलाएं व पेट पिचकाएँ फिर नाक से सांस खींचें। इस प्रकार १५-२० बार करें और दिन में तीन बार करें। गाल पुष्ट होंगे।
या चेहरे में आँखों के छोर की रेखाएँ (झुर्रियाँ) मिटाने के लिए खीरे को गोलाई में टुकडे काटकर आँखों के नीचे-ऊपर लगा दें। माथे पर कुछ लम्बे टुंकडे लगाकर तनाव-रहित होकर कुछ देर लेटना चाहिए। इस क्रिया को प्रतिदिन एक बार करने से लगभग दो सप्ताह में ये लकीरें मिट जाती है।


या त्वचा की झुर्रियाँ मिटाने के लिए आधा गिलास गाजर का रस नित्य शाम चार बजे दो तीन सप्ताह लें।



या चेहरे पर झुर्रियों हों ही न ऐसा करने के लिए अंकुरित चने व मूंग को सुबह व शाम खाएँ। इनमें विद्यमान विटामिन 'इ' झुर्रियाँ मिटाने और युवा बनाये रखने में विशेष सहायक होता है

gulluu
10-11-2010, 07:17 AM
सारे शरीर में खुजली
100 ग्राम नारियल के तेल में 5 ग्राम देशी कपूर (कपूर डेला) मिलाकर किसी कांच की शीशी में भर लें और कसकर डाट लगा दें। हिलाने अथवा कुछ देर धूप में रखने से तेल और कपूर एक रस हो जायेंगे । रोजाना नहाने से पहले इस तेल की मालिश करने से सारे शरीर में उठने वाली खुजली में आराम मिलता है और सार चर्म विकार दूर हो जाते है । सारे शरीर में खाज होने से इस तेल की 10 बून्द बाल्टी भर पानी में डालकर नहाने से भी वह शांत हो जाती है ।

विशेष - दाद विशेषकर (जिसमें फुंसी की तरह दाने निकल कर जलन और खुजली के साथ पानी निकलता हो ) में इस तेल को रात को सोते समय दाद के स्थान पर लगायें । कुछ दिनों में इस घाव में सफेद खाल आयेगी और त्वचा अपने असली रंग में आ जायेगी ।

gulluu
10-11-2010, 07:18 AM
बाल तोड़
50ग्राम नीम के पत्तों पीस कर इसकी एक टिकिया सी बना लें । इसे पुल्टिस के समान बाल तोड़ में लगाने से वह शीघ्र अच्छा हो जाता है ।

gulluu
10-11-2010, 07:19 AM
मोटापा घटाना
125 ग्राम पानी उबालकर ठ्ण्डा करें जब गुनगुना रह जाय तब उसमें 15 ग्राम नींबू का रस और 15ग्राम शह्द मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है और शरीर में जैसी भी चर्बी हो वह कम हो जाती है । यह पेट के रोग के लिये भी लाभदायक है ।प्रात: खाली पेट एक से दो माह इसका उपयोग अवश्य करें ।
विशेष-भोजन हल्का और दिन में एक बार करें । चोकर की रोटी खाना लाभप्रद है । हरी सब्जियों का विशेष रूप से सेवन करें । सायंकाल केवल फल लें । भोजन के बाद जल न लें । भोजन के एक घण्टे बाद जल पियें। चाय,काफी और मीठे पदार्थों का सेवन कम करें ।

khalid
06-12-2010, 11:06 AM
अक्सर लोगोँ को शिकायत होती है की उन्हेँ याद नहीँ रहती
मन एकाग्रचित नहीँ रहता
उम्र के साथ याद्दास्त कमजोर होना आम बात हैँ
लेकिन बच्चोँ और युवाओँ मेँ भी यह समस्या देखने मिलती हैँ स्मरण शक्ति बढाने के कुछ घरेलु उपाय

munneraja
06-12-2010, 03:45 PM
अक्सर लोगोँ को शिकायत होती है की उन्हेँ याद नहीँ रहती
मन एकाग्रचित नहीँ रहता
उम्र के साथ याद्दास्त कमजोर होना आम बात हैँ
लेकिन बच्चोँ और युवाओँ मेँ भी यह समस्या देखने मिलती हैँ स्मरण शक्ति बढाने के कुछ घरेलु उपाय
चित्त चंचल होने से ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होने लगती है और यही स्मरण लोप का प्रमुख कारण है कि हम किसी चीज को महत्त्व देकर नहीं देखते सोचते हैं
*इसके लिए नाक के अग्र भाग पर आँखे केन्द्रित करने से फायदा होता है
*होम्योपैथी दवा काली फोस की 6x पावर की ४-४ गोलियां दिन में दो बार एक चौथाई कप गुनगुने पानी के साथ सेवन करें
*रात को २ बादाम भिगो दें, सुबह शौचादि से निवृत्त होकर बादाम का छिलका उतार कर साफ़ पत्थर पर गिसें और गरम दूध में मिला कर सेवन करें. एक घंटे तक कुछ और सेवन ना करें, तत्पश्चात नित्य कर्म कर लें......

khalid
06-12-2010, 06:38 PM
खरबुजे के छिले हुऐ बीज को घी मेँ भुनकर रखलेँ
रोजाना सुबह शाम खाने के बाद थोडे थोडे खाऐँ

khalid
06-12-2010, 06:41 PM
आठ दस खजुर रोज दुध मेँ उबालकर पीने से स्मरण शक्ति बढती हैँ

khalid
06-12-2010, 06:45 PM
ढाई सौ ग्राम दुध मेँ दो चम्मच मुलहठी का चुर्ण डालकर कुछ दिनोँ तक पीने से लाभ होता हैँ

khalid
06-12-2010, 06:49 PM
पीपल के पेड की छाल पीसकर इसे दो चम्मच शहद या पानी साथ ले

khalid
06-12-2010, 06:53 PM
रोज एक कप चुकन्दर का रस पीने से याद्दाश्त तेज होती हैँ और मस्तिक संबंधित विकार दुर होते हैँ

khalid
06-12-2010, 06:56 PM
सुबह खाली पेट आँवले का मुरब्बा खाऐँ कुछ देर तक उपर से पानी या दुध नहीँ पीए

khalid
06-12-2010, 07:00 PM
माथे कनपटी सिर और पैँरो के तलवोँ पर रोजाना रोजाना गाय के घी की मालिस से मस्तिक की दुर्बलता कम होती हैँ

khalid
06-12-2010, 07:03 PM
दिन मेँ कुछ मिनट के लिए सब कुछ भुलकर ध्यान लगाए .।.

khalid
06-12-2010, 07:06 PM
रोज दो चम्मच गेहुँ के ज्वारे का रस पिए ......?

khalid
06-12-2010, 07:10 PM
बेल का शर्बत और मुरब्बा स्मरण शक्ति बढाता हैँ

munneraja
06-12-2010, 07:11 PM
वाह
अनुज खालिद
आपने इनमे से खुद पर क्या क्या प्रयोग किये ????

khalid
06-12-2010, 07:12 PM
पिस्ता और तिल की बर्फी भी फायदा करती हैँ .....?

khalid
06-12-2010, 07:14 PM
वाह
अनुज खालिद
आपने इनमे से खुद पर क्या क्या प्रयोग किये ????

कुछ चीजेँ तो जरुर खाया हैँ मैँने दादा
तभी तो आपलोगोँ को याद रख पाता हुँ

khalid
07-12-2010, 07:24 AM
एलर्जी धुप, परागकण , जानवरोँ , कुछ खाध पदार्थ,
जैसे मछली ,अंडे , मेवा , अनाज , मुँगफली , आदि से हो सकती हैँ
इसकी वजह से खुजली जुकाम खाँसी दमा दाद बुखार जैसे रोग हो सकते हैँ
एलर्जी के लक्षण हैँ
आँखोँ से पानी आना या खुजली होना छीँके आना नाक बहना शरीर पर रैशेज पड जाना थकान या बीमारी महसुस करना गले मेँ कसाव महसुस होना साँस फुलना आदि
खाने के कुछ चीजोँ से एलर्जी होने के कारण पेटदर्द उल्टी या दस्त की शिकायत भी हो सकती हैँ

khalid
07-12-2010, 07:31 AM
1 उन चीजोँ से परहेज करेँ जिनसे एलर्जी होती हैँ
2 घर के पर्दे चादर नियमित रुप से गर्म पानी मेँ धोए
पानी मेँ कुछ बूंदे युकेलिप्टस आँयल की डालने से कीडे मकोडे खत्म हो जाएगी

khalid
07-12-2010, 07:36 AM
3 घर मेँ पालतु जानवर होने पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखेँ
4 घर मेँ सीलन को दुर करने की कोशिश करेँ
घर मेँ धुप स्वच्छ हवा आने का समुचित प्रबंध करेँ

khalid
07-12-2010, 07:43 AM
5 पुरानी वस्तुओँ और पुराने अखबार या अन्य गैर जरुरी वस्तुओँ को जमा करके न रखेँ
6 फलोँ से एलर्जी कभी कभी पुरे फल से न हो कर सिर्फ छिलकोँ से हो सकती हैँ
ऐसे मेँ छिलका उतार कर फल खाऐँ

pankaj bedrdi
11-12-2010, 09:25 AM
मानष्सिक रोगी के लिए कोइ सलाह और क्या करना चहीए

munneraja
11-12-2010, 02:23 PM
मानष्सिक रोगी के लिए कोइ सलाह और क्या करना चहीए
आपकी प्रविष्टि में पुछा गया प्रश्न अधूरा है
इस से ये पता नहीं चलता कि मानसिक रोग किस प्रकार का है
"अवसाद" (डिप्रेशन)
स्किजोफ्रेनिया
एंग्जाय्टी
पागलपन
आप इनमे से किसके बारे में जानना चाहते हैं, ये अस्पष्ट है

फिर भी मैं अवसाद के बारे में बता रहा हूँ
*अवसाद के रोगी को हमेशा किसी कार्य में व्यस्त रहना चाहिए
चाहिए वो व्यवसाय से सम्बंधित हो या किसी प्रकार का खेल
*निगेटिव सोच से दूर हमेशा सकारत्मक सोच रखें
*खाली बैठे सोचने से परहेज करें
*नींद पूरी लें
*एसिडिटी ना होने दें (ये एक सत्य है कि एसिडिटी से अवसाद बढ़ता है)
*यदि दवा लेना चाहें तो होम्योपैथी की "kali phos 6x" की चार चार गोलियां दिन में तीन बार एक चौथाई कप गुनगुने पानी के साथ लें

jitendragarg
13-12-2010, 09:27 AM
मुझे पिछले कुछ दिन से सोने के बाद भी थकान महसूस होती है! क्या ऐसा किसी बिमारी की वजह से है?

munneraja
13-12-2010, 10:13 AM
मुझे पिछले कुछ दिन से सोने के बाद भी थकान महसूस होती है! क्या ऐसा किसी बिमारी की वजह से है?
जिंतेंद्र जी
आपने लिखने में जरा सी गडबड कर दी है
आपको सोकर उठने के बाद भी ताजापन महसूस नहीं होता है

संभावित कारण
* अत्यधिक सोच विचार
* एक बार ब्लड सुगर की जांच करवा लीजिये. खाना खाने के दो घंटे बाद करवानी है. खाना खाकर उठते ही समय नोट कर लें.
* ब्लड प्रेशर क्या है ?

उसके बाद आपको क्या करना है, सुझाव दिया जायेगा

munneraja
13-12-2010, 01:33 PM
मुझे पिछले कुछ दिन से सोने के बाद भी थकान महसूस होती है! क्या ऐसा किसी बिमारी की वजह से है?
उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य सामान्य कारण इस प्रकार से होंगे

आप रात को खाना खाने के बाद सोने में अधिक अंतर नहीं रखते हैं
खाना खाने के बाद सोने में कम से कम दो घंटे का अंतर होना चाहिए

अधिक सोच विचार करना
इस से मानसिक शांति भंग होती है

सैर को नहीं जाना या व्यायाम पर ध्यान नहीं देना.
आप रात को खाना खाने के आधे घंटे बाद या सुबह शौचादि से निवृत्त हो कर कम से कम आधे घंटे सैर को जाना चाहिए

तकिया
आप जरूरत से अधिक मोटा तकिया काम लेते हैं

उदर व्याधि
आप एसिडिटी या गैस व्याधि से पीड़ित हैं

चाय/कॉफ़ी
आप इनका अधिक सेवन करते हैं या धूम्रपान करते हैं

jitendragarg
14-12-2010, 08:35 AM
मैं धूम्रपान जरूर करता हूँ. हो सकता है, उसके कारण थोड़ी समस्या हो. एक हफ्ते के लिए रात के वक़्त सिगरेट छोड़ कर देखता हूँ. अगर उससे कुछ लाभ हुआ तो हमेशा के लिए छोड़ दूंगा. हालाँकि ये समस्या सिर्फ कुछ दिन से ही है. तो मुझे लगता है, की पेट की समस्या ही होगी! ब्लड प्रेसर वगेरह चेक करवाया था कुछ दिन पहले.. सब कुछ नोर्मल ही था! बाकी व्यायाम करना तो थोडा मुश्किल हो जाता है, क्यूंकि सोने का समय निश्चित नहीं रहता, पर रोज ४ किलोमीटर पैदल जरूर चलता हूँ.

inder singh
14-12-2010, 09:45 AM
मुझे अपना चस्मा हटवाना है, मुझे दूर का कम दीखता है क्या करू, कृपया उपाय बताये

munneraja
14-12-2010, 01:02 PM
मैं धूम्रपान जरूर करता हूँ. हो सकता है, उसके कारण थोड़ी समस्या हो. एक हफ्ते के लिए रात के वक़्त सिगरेट छोड़ कर देखता हूँ. अगर उससे कुछ लाभ हुआ तो हमेशा के लिए छोड़ दूंगा. हालाँकि ये समस्या सिर्फ कुछ दिन से ही है. तो मुझे लगता है, की पेट की समस्या ही होगी! ब्लड प्रेसर वगेरह चेक करवाया था कुछ दिन पहले.. सब कुछ नोर्मल ही था! बाकी व्यायाम करना तो थोडा मुश्किल हो जाता है, क्यूंकि सोने का समय निश्चित नहीं रहता, पर रोज ४ किलोमीटर पैदल जरूर चलता हूँ.
जीतेन्द्र जी
अभी समस्या की शुरुआत है इसलिए आसानी से काबू आ जाएगी

घूमना या व्यायाम करना लगभग एक ही बात है
यदि आप रात को खाना खाने के बाद जल्दी ही सो जाते हैं तो समय को थोडा लम्बा कीजिये

यदि नींद या अवसाद की समस्या हो तो धूम्रपान को छोड़ देना बहुत अच्छा होता है.
मैं खुद अवसाद से दो-चार हो चुका हूँ और चिकित्सा भी बहुत पढ़ी है इसलिए जानता हूँ कि धूम्रपान अच्छी चीज नहीं है.

यदि पेट खराब रहता हो तो सूचित अवश्य करें

munneraja
14-12-2010, 01:09 PM
मुझे अपना चस्मा हटवाना है, मुझे दूर का कम दीखता है क्या करू, कृपया उपाय बताये
बहुत जल्द ही विवरण लिखूंगा
एक/दो दिन इंतजार कर लीजिये

inder singh
14-12-2010, 02:43 PM
दादा मुझे हाथ में कम्पन्न होने को रोकने के लिए कोई उपाय बताओ, इस समस्या से मेरे एक मित्र ग्रसित है, आपका आभारी रहूँगा

munneraja
14-12-2010, 03:56 PM
दादा मुझे हाथ में कम्पन्न होने को रोकने के लिए कोई उपाय बताओ, इस समस्या से मेरे एक मित्र ग्रसित है, आपका आभारी रहूँगा
क्या उनके T3, T4 एवं Tsh टेस्ट हो चुके हैं
यह संभवतः थायराइड के कारण से हैं

यदि ये टेस्ट करवाए हैं तो उसके रिजल्ट क्या रहे ??

pankaj bedrdi
14-12-2010, 11:27 PM
गैस के रोगी को क्या क्या करना चाहीए

ABHAY
15-12-2010, 08:14 AM
गैस के रोगी को क्या क्या करना चाहीए

कोई बात नहीं भाई दादा सब कुछ बता सकते है

pankaj bedrdi
15-12-2010, 01:54 PM
कोई बात नहीं भाई दादा सब कुछ बता सकते है

क्यो नही दादा सब कुछ बता सकते है

munneraja
15-12-2010, 02:03 PM
गैस के रोगी को क्या क्या करना चाहीए
बिना दवा का नुस्खा है
खाना खाने के आधे घंटे बाद (दोनो टाइम) चाय जैसा एक कप गर्म पानी सिप सिप करके पियें और उसके आधे घंटे बाद तक और पानी ना पियें

अन्यतम फायदे के लिए ----
तली हुई और खट्टी वस्तुओं का सेवन कुछ समय बंद कर दें
टमाटर, नीबू (गर्म करके) और दही खट्टा बिलकुल ना हो, ये ले सकते हैं
खाने के साथ खीरा (सलाद) खाइए
"चौलाई" (हरी पत्ते की सब्जी) खाइए
अमरुद दोपहर में खाइए

pankaj bedrdi
15-12-2010, 02:08 PM
बिना दवा का नुस्खा है
खाना खाने के आधे घंटे बाद (दोनो टाइम) चाय जैसा एक कप गर्म पानी सिप सिप करके पियें और उसके आधे घंटे बाद तक और पानी ना पियें

अन्यतम फायदे के लिए ----
तली हुई और खट्टी वस्तुओं का सेवन कुछ समय बंद कर दें
टमाटर, नीबू (गर्म करके) और दही खट्टा बिलकुल ना हो, ये ले सकते हैं
खाने के साथ खीरा (सलाद) खाइए
"चौलाई" (हरी पत्ते की सब्जी) खाइए
अमरुद दोपहर में खाइए

अगर गैस को पुरे तरह ठिक करना हो तो कोइ दवा

munneraja
15-12-2010, 02:49 PM
अगर गैस को पुरे तरह ठिक करना हो तो कोइ दवा
आप एक बार गर्म पानी शुरू तो कीजिये
बिना दवा के कितना फायदा होता है ये देखिये
८-१० में बताइये
फिर आगे बात करेंगे बन्धु

inder singh
15-12-2010, 05:08 PM
दादा मेरे एक मित्र के चेरे पर कील मुहासे ज्यादा हो रहे ह. उन्हें समाप्त करने का तरीका बता दीजिये.

munneraja
15-12-2010, 07:22 PM
दादा मेरे एक मित्र के चेरे पर कील मुहासे ज्यादा हो रहे ह. उन्हें समाप्त करने का तरीका बता दीजिये.
मुहासे खत्म करना बहुत मुश्किल कार्य है
लेकिन फिर भी कम करने के प्रयास किये जा सकते हैं

*पेट साफ़ रखें, कब्ज ना होने पाए
*चेहरा दिन में तीन चार बार धोएं, चेहरे की त्वचा के इन्फेक्शन के कारण मुहासे ज्यादा होते हैं
*खाने में तली हुई वस्तुओं का कम से कम इस्तेमाल करें
*एक भगोने में आधा/पौना लिटर पानी ले लीजिये, गर्म कीजिये, भाप आने लगे तो मेज पर रख कर तौलिये को सर के ऊपर घूंघट की तरह से डाल कर चेहरा भगोने के इतना ऊपर रखें कि अधिक गर्म ना लगे, एक से डेढ़ मिनिट तक भाप लीजिये, फिर उसी तौलिये से चेहरे को ढक कर चेहरे को पूरा ठंडा हो जाने दीजिये, धीरे धीरे तौलिया हटा लीजिये, हलकी सी क्रीम लगा लें.
नित्य एक बार रात को सोने से पहले इस प्रकार से चेहरे पर भाप लें (दो से तीन सप्ताह तक)

pankaj bedrdi
15-12-2010, 08:41 PM
मुहासे खत्म करना बहुत मुश्किल कार्य है
लेकिन फिर भी कम करने के प्रयास किये जा सकते हैं

*पेट साफ़ रखें, कब्ज ना होने पाए
*चेहरा दिन में तीन चार बार धोएं, चेहरे की त्वचा के इन्फेक्शन के कारण मुहासे ज्यादा होते हैं
*खाने में तली हुई वस्तुओं का कम से कम इस्तेमाल करें
*एक भगोने में आधा/पौना लिटर पानी ले लीजिये, गर्म कीजिये, भाप आने लगे तो मेज पर रख कर तौलिये को सर के ऊपर घूंघट की तरह से डाल कर चेहरा भगोने के इतना ऊपर रखें कि अधिक गर्म ना लगे, एक से डेढ़ मिनिट तक भाप लीजिये, फिर उसी तौलिये से चेहरे को ढक कर चेहरे को पूरा ठंडा हो जाने दीजिये, धीरे धीरे तौलिया हटा लीजिये, हलकी सी क्रीम लगा लें.
नित्य एक बार रात को सोने से पहले इस प्रकार से चेहरे पर भाप लें (दो से तीन सप्ताह तक)

आपकी जनकारी वास्तव मस्त है

pkj21
16-12-2010, 11:24 AM
pl tell me how to write in hindi

Hamsafar+
16-12-2010, 11:26 AM
pl tell me how to write in hindi

http://www.google.com/transliterate/indic

gulluu
19-12-2010, 08:10 PM
पेश है एक लेख जो नवभारत टाइम्स से साभार लिया गया है .
आशा है इस लेख से सदस्यों को चश्मा हटाने से सम्बंधित लाभदायक जानकारी मिलेगी

हमारी आंखें
चश्मा हटाने के बारे में जानने से पहले हमें यह समझना होगा कि आंख काम कैसे करती है और नजर कैसे कमजोर होती है।

कैसे काम करती है आंख : आंख जब किसी चीज को देखती है तो उस चीज से रिफ्लेक्ट होनेवाली रोशनी आंख की कॉनिर्या के पीछे मौजूद नैचरल लेंस से गुजरकर रेटिना पर फोकस होती है। रेटिना नर्व्स का बना होता है और सामान्य आंख में इसी पर आकर उस चीज की इमेज बनती है। इसके बाद ये र्नव्स उस इमेज के संकेत दिमाग को भेज देती हैं और दिमाग चीज को पहचान लेता है।

नॉर्मल आंख : जब किसी चीज की इमेज सीधे रेटिना पर बनती है, तो हम उस चीज को साफ-साफ देख पाते हैं और माना जाता है कि नजर ठीक है।

मायोपिया या निकट दृष्टि दोष : जब कभी चीज की इमेज रेटिना पर न बनकर, उससे पहले ही बन जाती है तो चीज धुंधला दिखाई देने लगती हैं। इस स्थिति को मायोपिया कहा जाता है। इसमें आमतौर पर दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर इस स्थिति में सुधार किया जाता है। मायोपिया कई मामलों में शुरुआती छोटी उम्र में भी हो सकता है। यानी 6 साल के आसपास भी मायोपिया आ सकता है।

चश्मा हटाने के तरीके

कॉन्टैक्ट लेंस
चश्मा हटाने के लिए कॉन्टैक्ट लेंस का ऑप्शन काफी पुराना है, जिसमें किसी सर्जरी की जरूरत नहीं होती। बेहद पतली प्लास्टिक के बने कॉन्टैक्ट लेंस आंख की पुतली पर मरीज खुद ही लगा लेता है और रात को सोते वक्त उन्हें उतार देता है। ये लेंस कर्वी होते हैं और आंख की पुतली पर आसानी से फिट हो जाते हैं। कितने नंबर का लेंस लगाना है, कैसे लगाना है और देखभाल कैसे करनी है, ये सब बातें डॉक्टर मरीज को समझा देते हैं। बाहर से देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि आंखों में लेंस लगे हैं या नहीं।

कॉन्टैक्ट लेंस दो तरह के होते हैं - रिजिड और सॉफ्ट। जिस लेंस की जितनी ऑक्सिजन परमिएबिलिटी (अपने अंदर से ऑक्सिजन को पास होने देने की क्षमता) होगी, वह उतनी ही अच्छा होगा।

कॉन्टैक्ट लेंस के मामले में सबसे महत्वपूर्ण है इसकी देखभाल। इन्हें साफ, सूखा और इन्फेक्शन से बचा कर रखना जरूरी है। कभी बाहर की चीजें और कभी आंख के आंसुओं आदि की वजह से कॉन्टैक्ट लेंस पर कुछ जमा हो जाता है। ऐसे में लेंसों को पहनने से पहले और निकालने के बाद हाथ की हथेली पर रखकर उनके साथ दिए गए सल्यूशन से साफ करना जरूरी होता है। सल्यूशन नहीं है, तो लेंस को पानी आदि से साफ करने की कोशिश न करें। बिना सल्यूशन के लेंस खराब हो सकता है। सल्यूशन आपके पास होना ही चाहिए।

कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के शुरुआती दिनों में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन आदत पड़ जाने पर इनका पता भी नहीं चलता।

एक बार लेंस लेने के बाद डॉक्टर से रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इन लेंसों को बदलते भी रहना चाहिए।

जिन लोगों की आंखें ड्राई रहती हैं या ज्यादा सेंसिटिव हैं या फिर किसी तरह की कोई एलर्जी है, उन्हें कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की सलाह नहीं दी जाती।

अगर साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और डॉक्टर के कहे मुताबिक लेंस का इस्तेमाल किया जाए तो कॉन्टैक्ट लेंसों का कोई रिस्क नहीं है।

स्विमिंग करते वक्त कॉन्टैक्ट लेंस नहीं लगाने चाहिए। मेकअप करते और उतारते वक्त कोशिश करें कि लेंस न पहने हों।

लेंस को हथेली पर रखकर सल्यूशन की मदद से रोजाना साफ करना जरूरी है। जब पहनें, तब भी साफ करें और जब निकालें, तब भी साफ करके ही रखें। अगर हर महीने लेंस बदल रहे हैं, तब भी रोजाना सफाई जरूरी है।

कुछ खास स्थितियों में ही डॉक्टर छोटे बच्चों को कॉन्टैक्ट लेंस बताते हैं, वरना जब तक बच्चे लेंस की देखभाल करने लायक न हो जाएं, तब तक उन्हें लेंस लगाने की सलाह नहीं दी जाती।

ऐसा कभी नहीं होता कि लेंस आंख में खो जाए या उससे आंख को कोई नुकसान हो। कई बार यह आंख में सही जगह से हट जाता है। ऐसे में आंख को बंद करें और धीरे-धीरे पुतली को हिलाएं। लेंस अपने आप अपनी जगह आ जाएगा।

कॉन्टैक्ट लेंस यूज करने वालों को अपने साथ चश्मा भी रखना चाहिए। आप जब चाहें, चश्मा लगा सकते हैं और जब चाहें, लेंस लगा सकते हैं।

सर्जरी
चश्मा हटाने के लिए आमतौर पर तीन-चार तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं। कुछ साल पहले तक रेडियल किरटोटमी ऑपरेशन किया जाता था, लेकिन आजकल यह नहीं किया जाता। इससे ज्यादा लेटेस्ट तकनीक अब आ गई हैं। हम यहां चार तरह की सर्जरी की बात करेंगे। इन सभी में विजन 6/6 (परफेक्ट विजन) आ जाता है, लेकिन सबकी क्वॉलिटी अलग-अलग है। नंबर चाहे प्लस का हो या फिर माइनस का या फिर दोनों, सर्जरी के इन तरीकों से सभी तरह के चश्मे हटाए जा सकते हैं यानी मायोपिया और हाइपरोपिया दोनों ही स्थितियों को इन तरीकों से अच्छा किया जा सकता है।

कुछ में सर्जरी के बाद कुछ समस्याएं हो सकती हैं, तो कुछ एक निश्चित नंबर से ज्यादा का चश्मा हटाने में कामयाब नहीं हैं। ऐसे में डॉक्टर आंख की पूरी जांच करने के बाद ही यह सही सही-सही बता पाते हैं कि आपके लिए कौन-सा तरीका बेहतर है।

कौन करा सकता है सर्जरी
जिन लोगों की उम्र 18 साल से ज्यादा है और उनके चश्मे का नंबर कम-से-कम एक साल से बदला नहीं है, वे लेसिक सर्जरी करा सकते हैं।

अगर किसी शख्स की उम्र 18 साल से ज्यादा है लेकिन उसका नंबर स्थायी नहीं हुआ है, तो उसकी सर्जरी नहीं की जाती। सर्जरी के लिए एक साल से नंबर का स्थायी होना जरूरी है।

जिन लोगों का कॉर्निया पतला है, उन्हें ऑपरेशन की सलाह आमतौर पर नहीं दी जाती।

गर्भवती महिलाओं का भी ऑपरेशन नहीं किया जाता।

कितनी तरह की सर्जरी

सिंपल लेसिक
सिंपल लेसिक सर्जरी को पहले यूज किया जाता था, लेकिन अब डॉक्टर इसका इस्तेमाल नहीं करते। वजह यह है कि ऑपरेशन के बाद इसमें काफी जटिलताएं होने की आशंका बनी रहती है, मसलन आंखें चुंधिया जाना आदि। हालांकि इस तरीके से ऑपरेशन करने के बाद चश्मा पूरी तरह हट जाता है और नजर क्लियर हो जाती है। जहां तक खर्च का सवाल है, तो इसमें दोनों आंखों के ऑपरेशन का खर्च करीब 20 हजार रुपये आता है।

सी-लेसिक
इसे कस्टमाइज्ड लेसिक भी कहा जाता है। चश्मा हटाने के लिए किए जानेवाले ज्यादातर ऑपरेशन आजकल इसी तकनीक से किए जा रहे हैं। सिंपल लेसिक कराने के बाद आनेवाली तमाम दिक्कतें इसमें नहीं होतीं। इसे रेडीमेड और टेलरमेड शर्ट के उदाहरण से समझ सकते हैं - मतलब सिंपल लेसिक अगर रेडीमेड शर्ट है तो सी-लेसिक टेलरमेड शर्ट है। सिंपल लेसिक में पहले से बने एक प्रोग्राम के जरिए आंख का ऑपरेशन किया जाता है, जबकि सी-लेसिक में आपकी आंख के साइज के हिसाब से पूरा प्रोग्राम बनाया जाता है। कहने का मतलब हुआ कि सी लेसिक में आंख विशेष के हिसाब से ऑपरेशन किया जाता है, इसलिए यह ज्यादा सटीक है। जहां तक ऑपरेशन के बाद की आनेवाली दिक्कतों की बात है तो सी-लेसिक में वे भी बेहद कम हो जाती हैं। यह सिंपल लेसिक के मुकाबले ज्यादा सेफ और बेहतर है। खर्च दोनों आंखों का लगभग 30 हजार रुपये आता है।

तरीका : जिस दिन ऑपरेशन किया जाता है, उस दिन मरीज को नॉर्मल रहने की सलाह दी जाती है। इस ऑपरेशन में दो से तीन मिनट का वक्त लगता है और उसी दिन मरीज घर जा सकता है। ऑपरेशन करने से पहले डॉक्टर आंख की पूरी जांच करते हैं और उसके बाद तय करते हैं कि ऑपरेशन किया जाना चाहिए या नहीं। ऑपरेशन शुरू होने से पहले आंख को एक आई-ड्रॉप की मदद से सुन्न (ऐनस्थीजिआ) किया जाता है। इसके बाद मरीज को कमर के बल लेटने को कहा जाता है और आंख पर पड़ रही एक टिमटिमाती लाइट को देखने को कहा जाता है। अब एक स्पेशल डिवाइस माइक्रोकिरेटोम की मदद से आंख के कॉनिर्या पर कट लगाया जाता है और आंख की झिल्ली को उठा दिया जाता है। इस झिल्ली का एक हिस्सा आंख से जुड़ा रहता है। अब पहले से तैयार एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए इस झिल्ली के नीचे लेजर बीम डाली जाती हैं। लेजर बीम कितनी देर के लिए डाली जाएगी, यह डॉक्टर पहले की गई आंख की जांच के आधार पर तय कर लेते हैं। लेजर बीम डल जाने के बाद झिल्ली को वापस कॉनिर्या पर लगा दिया जाता है और ऑपरेशन पूरा हो जाता है। यह झिल्ली एक-दो दिन में खुद ही कॉनिर्या के साथ जुड़ जाती है और आंख नॉर्मल हो जाती है। मरीज उसी दिन अपने घर जा सकता है। टांके या दर्द जैसी कोई शिकायत नहीं होती। एक या दो दिन के बाद मरीज अपने सामान्य कामकाज पर लौट सकता है। कुछ लोग ऑपरेशन के ठीक बाद रोशनी लौटने का अनुभव कर लेते हैं, लेकिन ज्यादातर में सही विजन आने में एक या दिन का समय लग जाता है।

बाद में भी रखरखाव जरूरी : ऑपरेशन के बाद दो से तीन दिन तक आराम करना होता है और उसके बाद मरीज नॉर्मल काम पर लौट सकता है। स्विमिंग, मेकअप आदि से कुछ हफ्ते का परहेज करना होगा। जो बदलाव कॉर्निया में किया गया है, वह स्थायी है इसलिए नंबर बढ़ने या चश्मा दोबारा लगने की भी कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन कुछ और वजहों मसलन डायबीटीज या उम्र बढ़ने के साथ चश्मा लग जाए, तो बात अलग है।

gulluu
19-12-2010, 08:11 PM
ब्लेड-फ्री लेसिक या आई-लेसिक
सर्जरी की मदद से चश्मा हटाने का यह लेटेस्ट तरीका है। सिंपल लेसिक और सी-लेसिक में कॉर्निया पर कट लगाने के लिए एक माइक्रोकिरेटोम नाम के डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ब्लेड-फ्री लेसिक में इस कट को भी लेसर की मदद से ही लगाया जाता है। बाकी सर्जरी का तरीका सी-लेसिक जैसा ही होता है। अगर पावर ज्यादा है, कॉर्निया बेहद पतला है, तो ब्लेड-फ्री लेसिक कराने की सलाह दी जाती है। वैसे, ऐसे लोगों को इसे ही कराना चाहिए, जिन्हें एकदम परफेक्ट विजन चाहिए मसलन स्पोर्ट्समैन, शूटर आदि। दोनों आंखों के ऑपरेशन का खर्च 85 हजार रुपये तक आ जाता है। आई-लेसिक सर्जरी में शुरुआत के दिनों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं, मसलन आंख के सफेद हिस्से पर लाल धब्बे, जो दो से तीन हफ्ते में खत्म हो जाते हैं। आंखों में थोड़ा सूखापन हो सकता है और कम रोशनी में देखने में कुछ दिक्कत हो सकती है। कुछ समय बाद ये दिक्कतें अपने आप दूर हो जाती हैं।

लेंस इंप्लांटेशन यानी ICL
अगर चश्मे का नंबर माइनस 12 से ज्यादा है और कॉर्निया इतना पतला है कि आई-लेसिक भी नहीं हो सकता है, तो डॉक्टर चश्मा हटाने के लिए लेंस इंप्लांटेशन तकनीक का यूज करते हैं। इसमें आंख के अंदर इंप्लांटेबल कॉन्टैक्ट लेंस (आईसीएल) लगा दिया जाता है। आईसीएल बेहद पतला, फोल्डेबल लेंस होता है, जिसे कॉनिर्या पर कट लगाकर आंख के अंदर डाला जाता है। जिस मिकेनिजम पर कॉन्टैक्ट लेंस काम करते हैं, यह लेंस भी उसी तरह काम करता है। फर्क बस इतना है कि इसे आंख में पुतली (आइरिस) के पीछे और आंख के नेचरल लेंस के आगे फिट कर दिया जाता है, जबकि कॉन्टैक्ट लेंस को पुतली के ऊपर लगाया जाता है। इसमें एक बार में एक ही आंख का ऑपरेशन किया जाता है। पूरी प्रक्रिया में लगते हैं 30 मिनट और दूसरी आंख का ऑपरेशन कम-से-कम एक हफ्ते के बाद किया जाता है। ऑपरेशन होने के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकता है और दो-तीन दिन के बाद ही नॉर्मल रुटीन पर आ सकता है।

नजर बेहतर बनाने के दूसरे तरीके

होम्योपैथी
होम्योपैथी में आमतौर पर ऐसे दावे नहीं किए जाते कि इससे मायोपिया (दूर की नजर कमजोर होना) का नंबर हट सकता है, फिर भी अगर नंबर कम है और समय रहते दवाएं लेनी शुरू कर दी जाएं तो होम्योपैथिक दवाएं नजर को बेहतर बनाने और चश्मे के नंबर को कम करने या टिकाए रखने में बहुत कारगर हैं।

चश्मे का नंबर कम करने के लिए फाइसोस्टिगमा 6 ( Physostigma ) या रस टॉक्स 6 ( Rhus.Tox ) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेने लें।

कई बार आंखों की मसल्स कमजोर हो जाने की वजह से भी नजर कमजोर होती है। अगर ऐसी स्थिति है तो मरीज को जेलसीमियम 6 ( Gelsemium ) या बेलाडोना 6 ( Belladonna ) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेनी चाहिए।

अगर चोट आदि के बाद नजर कमजोर हुई हो तो आर्निका 6 ( Arnica ) या बेलिस 6 ( Belles) की चार-चार गोली दिन में तीन बार लेनी चाहिए।

नोट : चूंकि यह इलाज लंबा चलता है, इसलिए ये सभी दवाएं कम पोटेंसी की ही दी जानी चाहिए। वैसे कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।

आयुर्वेद
आयुर्वेद में भी मायोपिया के केस का चश्मा पूरी तरह हटाने के केस न के बराबर मिलते हैं, लेकिन आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आयुवेर्द में काफी कुछ है। इन दवाओं और नुस्खों के काफी अच्छे रिजल्ट भी देखने को मिले हैं।

खाने में दूध, आंवला, गाजर, पपीता, संतरा और अंकुरित अनाज जरूर शामिल करें।

मां बच्चे को अपना दूध अच्छी तरह पिलाती है तो बच्चे की नजर कमजोर होने के आसार कम हो जाते हैं।

खाना खाने के बाद आधा चम्मच भुनी सौंफ और मिश्री को चबाकर खाने से आंखों की परेशानियां नहीं होतीं।

आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों की दूसरी दिक्कतों के लिए आयुवेर्द में दो दवाओं का यूज किया जाता है। ये हैं त्रिफला घृत और सप्तामृत लौह। इन दवाओं को सेवन वैद्य की सलाह से करें। ये दवाएं बचाव के तौर पर नहीं ली जातीं। बीमारी होने पर डॉक्टर की सलाह से ही इन्हें लेना चाहिए। चश्मे का नंबर लगातार बढ़ रहा है तो ये दवाएं कारगर हैं।

एक बूंद शहद में एक बूंद प्याज का रस मिलाकर हथेली पर रगड़ लें। सोने से पहले आंखों में काजल की तरह लगाएं।

खाने के बाद गीले हाथों को दोनों आंखों पर फेरें।

हफ्ते में दो दिन पैर के तलुए और सिर के बीचोबीच तेल की मालिश करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

एक चम्मच गाय का घी, आधा चम्मच शक्कर और दो काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे रोज सुबह खाली पेट लें। बच्चों की आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए बहुत बढि़या नुस्खा है।

योग
जिन लोगों की नजर कमजोर है, उन्हें नीचे दी गई यौगिक क्रियाओं को करना चाहिए। इन क्रियाओं को अगर सामान्य नजर वाले लोग भी नियमित करें तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर नहीं होगी। सलाह यही है कि कोई भी क्रिया योग विशेषज्ञ से सीखकर ही करनी चाहिए।

आंखों के यौगिक सूक्ष्म व्यायाम (नेत्र-शक्ति विकासक क्रियाएं) नियमित करें। इसमें क्रमश: आंखों को ऊपर-नीचे, दायें-बायें घुमाएं। इसके बाद दायें से बायें और बायें से दायें गोलाकार घुमाएं। हर क्रिया पांच से सात बार कर लें।

सूर्य नमस्कार 6 से 12 बार तक कर सकते हैं।

कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, भ्रामरी और उद्गीत प्राणायाम (ओम जाप) खासतौर से फायदा पहुंचाते हैं।

शुद्धि क्रियाओं में जलनेति, दुग्धनेति और घृतनेति कुछ दिन तक नियमित करने से नेत्र ज्योति में चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं। इन क्रियाओं को किसी योग विशेषज्ञ से सीखकर ही करें।

ये योगासन आंखों की रोशनी बढ़ाते हैं : सर्वांगासन, मत्स्यासन, पश्चिमोत्तानासन, मंडूकासन, शशांकासन और सुप्तवज्रासन।

शुद्ध शहद या गुलाब अर्क आंखों में नियमित डालने से भी नेत्र ज्योति बढ़ती है।

त्रिफला को रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसके जल को छान लें और उससे आंखें धोएं।

बच्चों को छह साल की उम्र के बाद योग करवाया जा सकता है, लेकिन आंखों की सूक्ष्म क्रियाएं छह साल से पहले भी शुरू कराई जा सकती हैं।

एक्सपर्ट्स पैनल

डॉ. महिपाल सचदेव, चेयरमैन, सेंटर फॉर साइट
डॉ. नोशिर श्रॉफ, मेडिकल डायरेक्टर, श्रॉफ आई सेंटर
डॉ. एस. भारती, मेडिकल डायरेक्टर, भारती आई हॉस्पिटल
डॉ. सुशील वत्स, मंेबर, दिल्ली होम्योपैथी रिसर्च काउंसिल
डॉ. एल. के. त्रिपाठी, आयुवेर्दिक फिजिशियन
संजय सोलंकी, योग विशेषज्ञ

ABHAY
20-12-2010, 12:57 PM
एनीमिया
पांच ग्राम शहद और दस ग्राम गाय के मक्खन में तीन बूंद अमृतधारा मिलाकर प्रतिदिन खाने से शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ ही नई ऊर्चा का संचार होता है।
सहजन की पत्तियों की सब्जी बनाकर खाने से लोहे की कमी से होने वाली अरक्तता दूर होती है।

गले के रोग
गले की खराश मिटाने के लिए सौ ग्राम पानी में दस ग्राम अनार के छिलके उबालें, इसमें दो लौंग भी पीस कर डाल दें। जब पानी आधा रह जाये तब 25 ग्राम फिटकरी कर गुनगुने पानी से गरारा करना चाहिए।
भोजन के बाद चुटकी भर काली मिर्च को एक चम्मच घी में मिलाकर खाने से बैठा हुआ गला और रुकी हुई आवाज साफ हो जाती है।

सिर दर्द
माथे पर दालचीनी को पीसकर लेप करने से सिर दर्द गायब हो जाता है।
यदि आप नारियल का पानी नाक में टपकायें, तो कुछ ही क्षणों में आधा सीसी का दर्द दूर हो जाता है।

कब्ज
सुबह-शाम एक-एक पके केले को पानी में उबालकर ठंडा कर सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है। गन्ने के रस में थोड़ा नीबू रस डालकर गुनगुना गर्म करके एक गिलास सुबह पीने से कब्ज दूर होती है।
बदहजमी
बदहजमी या आंतों में मल सूखने पर पेट में मरोड़ होता है। पेट में मरोड़ से राहत पाने के लिए हींग, सोंठ और काली मिर्च तीनों को बराबर मात्रा में बारीक पीस कर दो ग्राम चूर्ण भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लेने से फायदा होता है।
हल्का भोजन करने के बाद काला नमक 5 ग्राम गर्म पानी में मिलाक र पीने से राहत मिलेगी।

गठिया या आमवात
गठिया रोग में लहसुन खाने से लाभ होता है।
100 ग्राम प्याज के रस में 100 ग्राम सरसों के तेल को मिलाकर एक शीशी में रख कर नियमित मालिश करने से जोड़ों के दर्द में विशेष लाभ होता है।

chhotu
21-12-2010, 12:04 PM
सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी आम बीमारी के लिए भी लिख देते तो बहुत से लोगों का भला होता

pankaj bedrdi
23-12-2010, 05:05 PM
सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी आम बीमारी के लिए भी लिख देते तो बहुत से लोगों का भला होता

भाइ सबसे पहले आप ठंडा से बचीए किसी दुसरे का तौतीया गमछा रुमाल कभी इस्तमाल ना कार साफ सफाइ से रहे अमरुद खिरा केला खा कर पानी ना पिये आगे सवधानी रहै बहुत कुछ ऐसे लोग होते है इनफेक्शन से सद्री बुखार होता है

ABHAY
23-12-2010, 05:37 PM
सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी आम बीमारी के लिए भी लिख देते तो बहुत से लोगों का भला होता

अगर ठण्ड के दिन में सर्दी, जुकाम, खांसी होती है तो आप अमरुद नमक के साथ खाए ठीक हो जायगा हा पानी नहीं पीना है ये मैंने खुद प्रयोग किया है !

munneraja
25-12-2010, 04:39 PM
मुझे पिछले कुछ दिन से सोने के बाद भी थकान महसूस होती है! क्या ऐसा किसी बिमारी की वजह से है?
जीतेन्द्र जी
आपके अवतार में आपके बैठने की स्थिति देखते हुए मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपको अपने बैठने की स्थिति भी सुधारनी चाहिए.
कंप्यूटर हमारे तन के एकदम सामने होना चाहिए ना कि साइड में, आँखे अधिक से अधिक १० डिग्री के कोण पर झुकी हों इसी तरह गर्दन भी ....अन्यथा शरीर में जकडन बनी रहती है. यह जकडन समय के साथ साथ लगभग स्थाई हो जाती है. निद्रा के बाद भी हमें फ्रेशनेस महसूस नहीं होती है.
कुर्सी पर बैठें तो सीधे बैठें, झुकी हुई स्थिति शरीर पर गलत प्रभाव डालती है.

कंप्यूटर पर लगातार काम करने वालों के लिए मैंने एक बार डॉक्टर से बात की थी उन्होंने ये स्थितियां स्पष्ट की थी. कुछ ऐसी बीमारियाँ जिन्हें हम समझ नहीं पाते हैं और कोई ख़ास नुक्सान तो नहीं करती लेकिन परेशान करती हैं वो कंप्यूटर पर कार्य करने से हो सकती हैं. जिन्हें सही स्थिति में बैठने से सही किया जा सकता है.

Kumar Anil
09-01-2011, 07:17 PM
नेशनल इंस्टीटियूट ऑफ न्यूट्रीशियन के वैज्ञानिक डी. रघुनाथ ने अपने एक शोध मेँ मधुमेह रोगियोँ की नियमित दवा रोककर उन्हेँ एक चम्मच मेथी खिलायी । आश्चर्यजनक रूप से 173 mgdl शुगर लेवल अगले 24 घण्टोँ मेँ कम होकर 144 रह गया ।