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View Full Version : ग़ज़ल- कभी फुरसत मिले इस दिल को...


आकाश महेशपुरी
19-10-2013, 06:25 PM
ग़ज़ल-
...
हसीँ तुम गेसुओँ मेँ दिल को उलझाने चले आना
बड़ा टूटा हूँ जानेमन कि बहलाने चले आना

नहीँ हमदर्द है तेरे सिवा कोई जमाने मेँ
अगर गलती करूँ कोई तो समझाने चले आना

मैँ काला हूँ कलूठा हूँ कि झूठा हूँ फरेबी हूँ
मिले जो आइना कोई तो दिखलाने चले आना

बड़ा उपकार है तेरा बचाया है जो मरने से
मरूँ जिस दिन मेरी अर्थी भी सरकाने चले आना

घुटन 'आकाश' होती है यहाँ जो तुम नहीँ आते
कभी सपनोँ की बारिश मेँ ही नहलाने चले आना
...
ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
. . . . . . . . . . . . . . . . . . .
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399

dipu
19-10-2013, 06:34 PM
great poem thanks

Bansi Dhameja
19-10-2013, 06:37 PM
बहुत खूब

rajnish manga
19-10-2013, 11:01 PM
बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है. आकाश जी. हर शेर जैसे दिल की गहराई से बाहर आ रहा है. अच्छे ख़यालात, अच्छी वाणी, अच्छी अभिव्यक्ति. इसमें सब कुछ अच्छा ही अच्छा है. आपको यह श्रेष्ठ ग़ज़ल कहने पर बधाई देता हूँ.

आकाश महेशपुरी
21-10-2013, 06:03 AM
ग़ज़ल मेँ कुछ संशोधन-
...
ग़ज़ल-
...
हसीँ तुम गेसुओँ मेँ दिल को उलझाने चले आना
बड़ा टूटा हूँ जानेमन कि बहलाने चले आना

नहीँ हमदर्द है तेरे सिवा कोई जमाने मेँ
अगर गलती करूँ कोई तो समझाने चले आना

मैँ काला हूँ कलूठा हूँ कि झूठा हूँ फरेबी हूँ
मिले जो आइना कोई तो दिखलाने चले आना

बड़ा उपकार है तेरा बचाया है जो मरने से
मरूँ जिस दिन मेरी अर्थी भी सरकाने चले आना

घुटन 'आकाश' होती है यहाँ जो तुम नहीँ आते
कभी सपनोँ की बारिश मेँ ही नहलाने चले आना
...
ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
. . . . . . . . . . . . . . . . . . .
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399

आकाश महेशपुरी
21-10-2013, 06:06 AM
आदरणीय दीपू जी! हार्दिक आभार।

आकाश महेशपुरी
21-10-2013, 07:21 PM
आदरणीय Bansi dhameja जी! रचना को मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।

आकाश महेशपुरी
21-10-2013, 07:23 PM
परम् आदरणीय rajneesh manga ji! आपसे सम्मान और स्नेह पाकर अति उत्साहित हूँ। आपका तहे दिल से आभार।