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View Full Version : क्यों है ....bansi


Bansi Dhameja
19-10-2013, 06:46 PM
क्यूँ है
सभी जानते हैं गॉड अल्लाह ईश्वर सब एक हैं फिर भी
लोग इनको लेकर आपस में लड़ते क्यूँ हैं?

सभी धर्म सिखाते हैं आपस में प्यार से रहना फिर भी
धर्म के नाम पे कत्लेआम होता क्यूँ है ?

जब हक़ीक़त है तू हर ज़र्रे में रहता है फिर भी
ज़मीन पर कहीं मंदिर कहीं मस्जिद क्यूँ है ?

अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़र में हर कोई सिकंदर क्यूँ है ?

जानते हैं हम सब से समझदार तो नहीं फिर भी
सब अपनी समझ पे इतना गुरूर करते कियों है ?

दौलत यहीं रह जाएगी मालूम है सब को फिर भी
अक्सर हर इंसान दौलत के पीछे दौड़ता क्यूँ है ?

इंसान वो खूबसूरत है जिसका दिल खूबसूरत है फिर भी
दिल को खूबसूरत ना बना के चेहरे को खूबसूरत बनाते क्यूँ हैं?

ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी हो ना हो फिर भी
'बंसी' सभी लंबी उमर की दुआ देते क्यूँ हैं?
बंसी (मधुर)

dipu
19-10-2013, 07:21 PM
बहुत खुबसूरत

Bansi Dhameja
19-10-2013, 09:39 PM
बहुत खुबसूरत
दिपू जी बहुत बहुत धन्यवाद

rajnish manga
19-10-2013, 10:06 PM
बंसी जी, मुझे आश्चर्य है कि आप बिना जांच किये ही पोस्ट प्रेषित कर रहे हैं. ऐसी रचनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिनमें वर्तनी की ढेरों त्रुटियाँ झलक रही हों. मैं चाहता हूँ कि प्रेषित करने से पहले त्रुटियों को सुधार लिया जाये. नीचे मैं उक्त रचना का सम्पादित प्रारूप दे रहा हूँ.

rajnish manga
19-10-2013, 10:20 PM
क्यों है
सभी जानते हैं गोड अल्लाह ईश्वर सब एक हैं फिर भी
लोग इनको लेकर आपस में लड़ते क्यों हैं?

सभी धर्म सिखाते हैं आपस में प्यार से रहना फिर भी
धर्म के नाम पे कत्लेआम होता क्यों है ?

जब हक़ीक़त है तू हर ज़र्रे में रहता है फिर भी
ज़मीन पर कहीं मंदिर कहीं मस्जिद क्यों है ?

अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़र में हर कोई सिकंदर क्यों है ?

जानते हैं हम सब से समझदार तो नहीं फिर भी
सब अपनी समझ पे इतना गुरूर करते क्यों है ?

दौलत यहीं रह जाएगी मालूम है सब को फिर भी
अक्सर हर इंसान दौलत के पीछे दौड़ता क्यों है ?

इंसान वो खूबसूरत है जिसका दिल खूबसूरत है फिर भी
दिल को खूबसूरत ना बना के चेहरे को खूबसूरत बनाते क्यों हैं?

ज़िंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी हो ना हो फिर भी
'बंसी' सभी लंबी उमर की दुआ देते क्यों हैं?

बंसी (मधुर)



कविता में व्यक्त किये गये विचारों में मानवता के प्रति समर्पण का भाव उभर कर आता है. भविष्य के लिये मैं आपको हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ.

Bansi Dhameja
20-10-2013, 06:54 PM
बंसी जी, मुझे आश्चर्य है कि आप बिना जांच किये ही पोस्ट प्रेषित कर रहे हैं. ऐसी रचनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता जिनमें वर्तनी की ढेरों त्रुटियाँ झलक रही हों. मैं चाहता हूँ कि प्रेषित करने से पहले त्रुटियों को सुधार लिया जाये. नीचे मैं उक्त रचना का सम्पादित प्रारूप दे रहा हूँ.
manga ji मेरे पास शब्द नहीं हैं जिन से मैं आपका आभार व्यक्त कर सकूँ. आप इतने गौर से पड़ कर मुझे सिखा रहे हैं मैं आप का आभारी हूँ. मैने ठीक कर दिया है. धन्यवाद

rajnish manga
20-10-2013, 07:25 PM
धन्यवाद, मित्र बंसी जी. थोड़े से अभ्यास से इन मामूली त्रुटियों पर विजय पायी जा सकती है. आपकी नयी रचनाएं पढ़ कर हम सब को ख़ुशी होगी.