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25-10-2013, 06:17 PM
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100 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले देश में अपनी अलग पहचान बनाना घास के ढेर में सुई ढूंढने जैसा ही मुश्किल काम है। अगर पहचान मिल भी जाए तो उसे बनाए रखना उससे भी बड़ी चुनौती होती है। फिल्मी पर्दे पर आने वाले कलाकार भले ही लंबे समय तक लोगों को याद रहें, लेकिन मैदान पर पसीना बहाने वाले खिलाड़ी महज एक चूक से ही लोगों की माइंड की पिक्चर से साफ हो जाते हैं। कुछ ऐसी मुश्किलों से जूझ रहे हैं आज के बर्थडे ब्वॉय उमेश यादव।
महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र। देश के इस हिस्से की चर्चा अकसर किसानों की आत्महत्या से जोड़कर ही की जाती है। जहां दो समय की रोटी की जुगाड़ लगा पाना जिंदगी की पहली और सबसे अहम चुनौती होती है, अपनी मेहनत और लगन के दम पर नाम कमाने वाले उमेश इसी विदर्भ से ताल्लुक रखते हैं।
मजदूर पिता की संतान उमेश आज अपना 26वां जन्मदिन मना रहे हैं।
वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम अदद तेज गेंदबाजों के अभाव से जूझ रही है। ऐसे में उमेश यादव का टीम में ना चुना जाना रणनीति है या राजनीति, यह एक बड़ा सवाल है।
100 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले देश में अपनी अलग पहचान बनाना घास के ढेर में सुई ढूंढने जैसा ही मुश्किल काम है। अगर पहचान मिल भी जाए तो उसे बनाए रखना उससे भी बड़ी चुनौती होती है। फिल्मी पर्दे पर आने वाले कलाकार भले ही लंबे समय तक लोगों को याद रहें, लेकिन मैदान पर पसीना बहाने वाले खिलाड़ी महज एक चूक से ही लोगों की माइंड की पिक्चर से साफ हो जाते हैं। कुछ ऐसी मुश्किलों से जूझ रहे हैं आज के बर्थडे ब्वॉय उमेश यादव।
महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र। देश के इस हिस्से की चर्चा अकसर किसानों की आत्महत्या से जोड़कर ही की जाती है। जहां दो समय की रोटी की जुगाड़ लगा पाना जिंदगी की पहली और सबसे अहम चुनौती होती है, अपनी मेहनत और लगन के दम पर नाम कमाने वाले उमेश इसी विदर्भ से ताल्लुक रखते हैं।
मजदूर पिता की संतान उमेश आज अपना 26वां जन्मदिन मना रहे हैं।
वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम अदद तेज गेंदबाजों के अभाव से जूझ रही है। ऐसे में उमेश यादव का टीम में ना चुना जाना रणनीति है या राजनीति, यह एक बड़ा सवाल है।