jalwa
03-11-2010, 01:38 AM
दोस्तों, आपको जानकार आश्चर्य होगा की हमारा देश 'भारत' एक युवा देश है. वो इसलिए की हमारे देश में अन्य देशों की अपेक्षा सबसे अधिक युवा शक्ति है.
हमारा देश इन दिनों सर्वाधिक युवा-देश है । यही वह समय है, जब हम युवाओं का सशक्त मार्गदर्शन कर उन्हें युग निर्माण की सेना में भरती कर उनका सुनियोजन कर सकते हैं । आजादी के दिनों में जो तूफानी चक्रवात जन्मे थे, युवाओं ने अपने कैरियर को ताक पर रखकर देश के लिए अपने आपको बलि-वेदी पर चढ़ा दिया था, ठीक उसी तरह इन दिनों उससे पचास गुना अधिक तीव्र प्रवाह पैदा होना चाहिए । इन दिनों इस देश में लगभग चौवन करोड़ युवा हैं एवं उनमें से दस प्रतिशत(साढ़े पाँच करोड़) भी यदि विचार क्रांति के प्रवाह से जुड़ने की स्थिति में आ सकते हों, उन्हें हम दिशा देकर राष्ट्र निर्माण हेतु प्रवृत्त कर सकें, तो इनसे हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये सशक्त सृजन की नींव बन सकेंगे ।
युवाओं में असीम शक्ति का प्रवाह होता है, प्रतिभा पराकाष्ठा पर होती है, आत्मा में परमात्म शक्ति का तेज होता है एवं बलिदानी साहस होता है । आज वे भटक रहे हैं, राजनीति के मोहरे बन रहे हैं एवं व्यसनों की गिरफ्त में आ रहे हैं । हमारा प्रयास होगा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के जाग्रत प्राणवान छात्र-छात्राओं के माध्यम से-हमारे राष्ट्र में फैले युवामण्डलों, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के अग्रदूतों एवं संस्कृति मण्डलों के सदस्यों द्वारा हम युवाओं को अपने उद्देश्य से परिचित करायें एवं उन्हें इस आध्यात्मिक-सामाजिक आंदोलनों से जोड़ें । यह युवाशक्ति बिखरी पड़ी है । कई अपना तेजस्, बेरोजगारी के प्रवाह में खोते चले जा रहे हैं एवं असमय वार्धक्य के शिकार हो रहे हैं ।
हमारा देश इन दिनों सर्वाधिक युवा-देश है । यही वह समय है, जब हम युवाओं का सशक्त मार्गदर्शन कर उन्हें युग निर्माण की सेना में भरती कर उनका सुनियोजन कर सकते हैं । आजादी के दिनों में जो तूफानी चक्रवात जन्मे थे, युवाओं ने अपने कैरियर को ताक पर रखकर देश के लिए अपने आपको बलि-वेदी पर चढ़ा दिया था, ठीक उसी तरह इन दिनों उससे पचास गुना अधिक तीव्र प्रवाह पैदा होना चाहिए । इन दिनों इस देश में लगभग चौवन करोड़ युवा हैं एवं उनमें से दस प्रतिशत(साढ़े पाँच करोड़) भी यदि विचार क्रांति के प्रवाह से जुड़ने की स्थिति में आ सकते हों, उन्हें हम दिशा देकर राष्ट्र निर्माण हेतु प्रवृत्त कर सकें, तो इनसे हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये सशक्त सृजन की नींव बन सकेंगे ।
युवाओं में असीम शक्ति का प्रवाह होता है, प्रतिभा पराकाष्ठा पर होती है, आत्मा में परमात्म शक्ति का तेज होता है एवं बलिदानी साहस होता है । आज वे भटक रहे हैं, राजनीति के मोहरे बन रहे हैं एवं व्यसनों की गिरफ्त में आ रहे हैं । हमारा प्रयास होगा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के जाग्रत प्राणवान छात्र-छात्राओं के माध्यम से-हमारे राष्ट्र में फैले युवामण्डलों, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के अग्रदूतों एवं संस्कृति मण्डलों के सदस्यों द्वारा हम युवाओं को अपने उद्देश्य से परिचित करायें एवं उन्हें इस आध्यात्मिक-सामाजिक आंदोलनों से जोड़ें । यह युवाशक्ति बिखरी पड़ी है । कई अपना तेजस्, बेरोजगारी के प्रवाह में खोते चले जा रहे हैं एवं असमय वार्धक्य के शिकार हो रहे हैं ।