View Full Version : बर्थडे स्पेशल: विराट कोहली 05 नवम्बर
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टीम इंडिया के अगले सचिन तेंडुलकर का रुतबा पा चुके स्टार बल्लेबाज विराट कोहली आज अपना 25वां जन्मदिन मना रहे हैं।
जी हां, महज 25वां बर्थडे। उनकी उपलब्धियों को देखकर इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि आज के जमाने में भी एक युवा सचिन जितनी तरक्की कर चुका है। देश की राजधानी दिल्ली के रहनेवाले विराट की लगन कुछ ऐसी है कि वे हर मैच में कुछ न कुछ कमाल कर जाते हैं। 100 से कुछ ज्यादा पारियां खेलकर 17 वनडे सेंचुरी लगा चुके विराट जिस तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसा लगता है कि यदि वे 40 बरस के होने तक क्रीज पर डटे रहे तो सचिन से दोगुना ज्यादा कीर्तिमान स्थापित कर जाएंगे।
विराट कोहली क्रिकेट वर्ल्ड में आज एक ग्लैमरस चेहरा बन गए हैं, लेकिन उनकी जिंदगी के पीछे छुपे संघर्ष से बहुत कम लोग ही वाकिफ हैं। आज हम आपको बता रहे हैं विराट के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो आप को झकझोड़कर रख देंगी। विराट भले ही पार्टी ब्वॉय नजर आएं, लेकिन उनके अंदर पहले से एक 40 साल का गंभीर इंसान छुपा है।
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5 नवंबर 1988 को दिल्ली के विकासपुरी में जन्मे विराट कोहली बचपन से ही बड़े चंचल थे। उनके बड़े भाई विकास और बहन भावना के साथ वे दिनभर मस्ती करते। दिनभर मां सरोज की छांव में खेलना और शाम के समय पापा प्रेम कोहली से चॉकलेट की जिद करना। कोहली की लाइफ में एक आम बच्चे जैसे यही सब बातें अहम थीं।
विराट कोहली के पिता प्रेम कोहली पेशे से वकील थे। दिनभर कोर्ट में जज के सामने दलीलें पेश करने के बाद शाम को जब वे घर लौटते तो तीनों बच्चों की मस्ती देख सारी थकान दूर हो जाती।
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कोहली ने जहां क्रिकेट की एबीसीडी सीखी, उस एकेडमी का कोई इतिहास नहीं था। 30 मई 1997 को राज कुमार शर्मा और सुरेश बत्रा ने उसे लॉन्च किया था। वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी के शुरुआती ट्रेनीज में शुमार थे विराट। उनके कोच बताते हैं, "विराट सुबह जल्दी नेट्स पर प्रैक्टिस के लिए आ जाता था। शाम के वक्त जब अंधेरा हो जाता तो हमे जबरदस्ती उसे घर भेजना पड़ता। वह बहुत मेहनती था। हम अचंभित थे कि इतनी छोटी सी उम्र में इस बच्चे में खेल के प्रति इतना समर्पण कैसे है।"
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विराट की जिंदगी का सबसे दुखद लम्हा आया उनके 18वें जन्मदिन के एक महीने बाद। फिरोज शाह कोटला मैदान पर कर्नाटक व दिल्ली के बीच रणजी मैच चल रहा था। दिल्ली टीम की हालत खस्ता थी। उस पर फॉलोऑन का खतरा मंडरा रहा था। विराट दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 40 रन बनाकर नाबाद थे।
स्टंप्स होने के बाद वे घर पर सो रहे थे, तभी रात को 3 बजे उनकी मां घबराते हुए उनके कमरे में आईं। उन्होंने कहा, "बेटा, देख पापा को कुछ हो गया है। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना होगा। तू उठजा।" लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी। उनके पिता की ब्रेन स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो गई थी।
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18 साल 44 दिन की उम्र में विराट ने आधी रात में अपने पिता को खो दिया। अगले दिन मैच का तीसरा दिन था। उनके कोच को जब खबर मिली तो उन्हें लगा कि कोहली अब खेलने नहीं आएंगे, लेकिन विराट अपनी टीम को मुश्किल से निकालने के लिए सुबह 9 बजे मैदान पहुंच चुके थे। विराट ने 90 रन की पारी खेल टीम के लिए मैच बचाया।
दिन में 12 बजे वे टीम को बचाकर पवेलियन लौटे और फिर दौड़ते हुए अपने घर पहुंचे। 3.30 बजे उनके पिता का दाहसंस्कार होना था। पहले विराट ने टीम के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाई, फिर उन्होंने पिता के प्रति कर्तव्य को पूरा किया।
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कोहली ने 15वें बर्थडे से पहले करियर की पहली डबल सेंचुरी लगा ली थी। 17वें बर्थडे से पहले उन्होंने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में दो और दोहरे शतक लगाए। विराट की ताकत है उनकी सॉलिड तकनीक, जो उनसे कोई नहीं छीन सकता।
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