View Full Version : चौपाई
आकाश महेशपुरी
07-11-2013, 03:58 PM
चौपाई-
होता है अब कहाँ सबेरा। छाया है इतना अंधेरा।।
अंधेरे मेँ जीवन सारा। जैसे कोई विष की धारा।।
दिल मेँ तो है बहुत उजाला। पर मुँह पर है लम्बा ताला।।
तम के आगे अब सच्चाई। रोती है पल पल ऐ भाई ।।
रचना- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
...
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
09919080399
rajnish manga
12-11-2013, 09:09 AM
चौपाई-
होता है अब कहाँ सबेरा। छाया है इतना अंधेरा।।
अंधेरे मेँ जीवन सारा। जैसे कोई विष की धारा।।
दिल मेँ तो है बहुत उजाला। पर मुँह पर है लम्बा ताला।।
तम के आगे अब सच्चाई। रोती है पल पल ऐ भाई ।।
रचना- आकाश महेशपुरी
aakash maheshpuri
बहुत सुन्दर प्रयोग. दोहों के साथ चौपाईयों में भी आप अच्छा काम कर रहे हैं.
आकाश महेशपुरी
29-12-2013, 05:24 PM
आदरणीय रजनीश मांगा जी! आपने अपने प्रेरक शब्दोँ से मुझमेँ ऊर्जा का संचार किया, आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।
आकाश महेशपुरी
29-12-2013, 05:29 PM
आदरणीय दीपू जी! आपके द्वारा हमेशा मुझे सकारात्मक टिप्पणियाँ प्राप्त होतीँ रहतीँ हैँ। सादर धन्यवाद्।
internetpremi
30-12-2013, 09:14 PM
अच्छा लगा।
इसे अँग्रेजी में अनुवाद कर रहा हूँ।
इसे मेरी विनम्र कोशिश समझिए।
शब्दों का नहीं, बल्कि अर्थ और भाव का अनुवाद कर रहा हूँ।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
Does dawn ever break these days?
Darkness has set in so deeply.
Entire lives are spent in darkness as if enveloped by a poisonous cloud.
There is much brightness in the heart but the lips are firmly sealed.
Faced with gloom now Truth weeps every single moment.
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