Bansi Dhameja
13-11-2013, 08:53 PM
ज़िंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यूँ ना हों
मुश्किलों से लड़ते लड़ते भी जीना पड़ता है
चाहे पाँव चलने के काबिल भी ना हों
खिसक खिसक कर आगे बड़ना पड़ता है
साँस लेने में तकलीफ़ कितनी भी क्यूँ ना हो
तड़प तड़प कर भी साँसों को लेना पड़ता है
बदन में दर्द कितना भी क्यूँ ना हो
दर्द से लड़ते लड़ते भी दर्द सहना पड़ता है
शायद भगवान ने ही बनाया है हर जीव को ऐसा
कोई जीव मरना नहीं चाहता सिर्फ़ जीना चाहता है
इस लिया हालात ज़िंदगी के कैसे भी क्यूँ ना हों
‘बंसी’ हर जीव को हर हाल में जीना पड़ता है
बंसी(मधुर)
मुश्किलों से लड़ते लड़ते भी जीना पड़ता है
चाहे पाँव चलने के काबिल भी ना हों
खिसक खिसक कर आगे बड़ना पड़ता है
साँस लेने में तकलीफ़ कितनी भी क्यूँ ना हो
तड़प तड़प कर भी साँसों को लेना पड़ता है
बदन में दर्द कितना भी क्यूँ ना हो
दर्द से लड़ते लड़ते भी दर्द सहना पड़ता है
शायद भगवान ने ही बनाया है हर जीव को ऐसा
कोई जीव मरना नहीं चाहता सिर्फ़ जीना चाहता है
इस लिया हालात ज़िंदगी के कैसे भी क्यूँ ना हों
‘बंसी’ हर जीव को हर हाल में जीना पड़ता है
बंसी(मधुर)