View Full Version : 6 होनहार खिलाड़ियों संग हुई नाइंसाफी
साउथ अफ्रीका टूर के लिए टीम इंडिया का एलान हो गया। टीम कुछ वैसी ही रही जैसी कि उम्मीद थी, बिल्*कुल आईपीएल के सितारों से भरी हुई। गौतम गंभीर जहां 2 सेंचुरी और हाफ सेंचुरी लगाकर भी बाहर रह गए, वहीं इशांत शर्मा महज 1 मैच में 9 विकेट लेकर टीम में वापस आ गए।
टीम में रिजर्व बैट्समैन के तौर पर सुपरफ्लॉप अंबाती रायडू को शामिल किया गया है। रायडू से ज्यादा रन बनाने वाले कई युवा रणजी क्रिकेट में खेल रहे हैं। यदि अनुभव की ही बात की जाए तो एस बद्रीनाथ तक उनसे बेहतर हैं।
टीम में यदि कोई सुकून देने वाला चेहरा है तो वह हैं अनुभवी जहीर खान। उन्हें वेस्ट इंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में सेलेक्टर्स ने मैच प्रैक्टिस का मौका नहीं दिया, लेकिन विदेशी टूर पर उन्हें छोड़ने का रिस्क वे नहीं ले पाए।
सेलेक्टर्स की इस दिखावटी टीम इंडिया ने प्रशंसकों के मन में कई सवाल खड़े किए हैं। साथ ही वे युवा खिलाड़ी भी निराश हैं, जो पिछले दो सीजन से लगातार घरेलू क्रिकेट में जूते घिस रहे हैं।
पहला सवाल : इशांत को मौका क्यों?
दिल्ली के पेसर इशांत शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में घटिया गेंदबाजी से टीम की खिल्ली उड़वाई थी। एक छोर से जहां मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार रन रोक रहे थे, वहीं दूसरे छोर से उनके सीनियर इशांत बड़े दिल से रन लुटा रहे थे।
अगर इशांत के टेस्ट फॉर्म की बात करें तो टेस्ट की एक पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट लिए उन्हें जमाना बीत चुका है। उन्होंने आखिरी बार 2011 के वेस्ट इंडीज टूर पर दो मैचों में एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा किया था। ब्रिजटाउन टेस्ट में उन्होंने 55 रन देकर 6 विकेट लिए थे और रोसयु में 77 रन के खर्च पर 5 विकेट झटके थे। उसके बाद से उनकी रफ्तार ने कभी कहर नहीं बरपाया।
2011 में ही इंग्लैंड टूर पर उन्होंने लॉर्ड्स टेस्ट की तीसरी पारी में 4 विकेट जरूर लिए, लेकिन बाकी मैचों में वे बुरी तरह फ्लॉप हुए।
रणजी में हरियाणा जैसी कमजोर टीम के खिलाफ 9 विकेट लेकर वे टीम के हीरो बन गए। सेलेक्टर्स ने उनकी सारी गलतियां महज एक परफॉर्मेंस से माफ कीं और उन्हें बुला लिया।
सवाल यह है कि क्या इशांत के अलावा टीम इंडिया के पास तेज गेंदबाजों का ऑप्शन नहीं है? मोहित शर्मा को वनडे में चुना जरूर गया, लेकिन टेस्ट में इशांत पर भरोसा कायम है।
ईश्वर पांडे
मध्य प्रदेश के ईश्वर पांडे 2012-13 रणजी सीजन के बेस्ट बॉलर थे, लेकिन शायद बीसीसीआई को रणजी से ज्यादा आईपीएल परफॉर्मेंस पर भरोसा है।
ईश्वर ने 8 मैचों में 21.06 के औसत से 48 विकेट चटकाए थे। उन्होंने सीजन में 5 बार पारी में पांच विकेट लेने का कारनामा किया और एक बार मैच में 10 विकेट झटके। गत 27 अक्टूबर को तमिल नाडु के खिलाफ रणजी मैच में उन्होंने पहली पारी में 8 विकेट चटकाए और दूसरी पारी में 3 बल्लेबाजों को आउट किया।
यही नहीं, साउथ अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में हुई अनऑफीशियल टेस्ट सीरीज में वे इंडिया के हाईएस्ट विकेटटेकर रहे। उन्होंने दो मैचों में 14 के औसत से 11 विकेट चटकाए। इसके बावजूद उन्हें टूर पर साथ जाने तक का मौका नहीं मिल सका।
सिद्धार्थ कौल
पठानकोट, पंजाब के सिद्धार्थ कौल का शुरुआती करियर रणजी में एड़ियां घिसते हुए बीतता दिख रहा है। 2012-13 के सीजन में 44 विकेट चटकाने वाले सिद्धार्थ का नाम कभी सेलेक्टर्स की टेबल तक पहुंच ही नहीं सका। सिद्धार्थ ने अपने डेब्यू मैच में ही सभी को प्रभावित किया था। उन्होंने दिसंबर 2007 में ओडिशा के खिलाफ करियर के पहले मैच में 97 रन देते हुए 5 विकेट लिए थे। 2008 में उन्हें अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में शामिल किया गया। उस टूर्नामेंट में उन्होंने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए 15.40 के औसत से 10 विकेट लिए थे। वह टूर्नामेंट टीम इंडिया जीती थी।
इसके बावजूद वे सेलेक्टर्स को प्रभावित नहीं कर सके।
सूरज यादव
नई दिल्ली के सूरज यादव एक और ऐसे धुरंधर हैं जिनका करियर डोमेस्टिक तक सीमित हो गया है। सर्विसेज टीम के स्टार बॉलर ने 2012-13 के सीजन में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए 43 विकेट चटकाए थे। इंडियन पिचें फास्ट बॉलिंग को कितना फेवर करती हैं, यह बात जगजाहिर है, इसके बावजूद उन्होंने अपना बेस्ट दिया।
रणजी सीजन में सूरज ने वनडे टीम में सेलेक्ट हुए मोहित शर्मा से बेहतर प्रदर्शन किया था। अंतर रहा तो बस आईपीएल का। यादव ने 10 मैचों में 21.90 के औसत से 43 विकेट चटकाए थे, जिसमें उनका बेस्ट परफॉर्मेंस 71 रन देकर 7 विकेट लेने का रहा।
गत 21 नवंबर को मध्य प्रदेश के खिलाफ मैच में उन्होंने पहली पारी में 4 विकेट लिए थे, लेकिन उनके कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस पर इशांत शर्मा के एक मैच में लिए 9 विकेट भारी पड़े।
दूसरा सवाल : अगर गंभीर नहीं तो रायुडू क्यों?
गौतम गंभीर को चयनकर्ताओं ने बाहर ही रखा। मुरली विजय की तकनीक घरेलू पिचों तक सीमित है। यह फैक्ट शायद अनुभवी सेलेक्टर्स को समझ नहीं आया। उन्होंने एक मैच को आधार बनाकर इशांत को तो मौका दे दिया, लेकिन गौतम गंभीर को लगातार पारियों में 50 प्लस रन बनाने के बावजूद बाहर बैठाया गया। सेलेक्शन में किए गए इस भेदभाव से प्रशंसक हैरान हैं।
गंभीर ने दिल्ली टीम की कप्तानी करते हुए इस नए सीजन में शानदार प्रदर्शन किया है।
बनाम हरियाणा - 29, 153
बनाम मुंबई - 64, 51*
बनाम गुजरात - 31, 44
बनाम वेस्ट इंडीज ए - 123
रणजी की सबसे तगड़ी टीम मुंबई के खिलाफ उन्होंने दोनों पारियों में हाफ सेंचुरी लगाई। उसके बाद हरियाणा के खिलाफ मैच में शतक लगाया। हरियाणा के ही विरुद्ध इशांत ने 9 विकेट भी लिए, लेकिन वे टीम में हैं और गंभीर नहीं।
गंभीर की अनदेखी के साथ ही टीम में अंबाति रायुडू को लिए जाने पर भी विवाद है। रायुडू को टीम में साथ ले जाने का कोई तर्क समझ नहीं आता।
यदि सेलेक्टर्स गंभीर को नहीं लेना चाहते थे तो भी क्या रायडू के स्थान पर किसी युवा बल्लेबाज को मौका नहीं दिया जा सकता था, जो कि विदेशी टूर का अनुभव लेता?
जीवनजोत सिंह
पंजाब के जीवनजोत सिंह ने 2012-13 के सत्र में 995 रन बनाने का कारनामा किया। उन्होंने कुल 10 मैचों में 66.33 के औसत से 5 शतक और 2 हाफ सेंचुरी लगाईं। उनका बेस्ट स्कोर 213 रन का रहा। यदि सेलेक्टर्स ने हाल ही में शुरू हुए नए रणजी सीजन को आधार बनाया है, तो जीवनजोत ने गत 21 नवंबर को गुजरात के खिलाफ मैच की दोनों पारियों में हाफ सेंचुरी जड़ी थीं। उन्होंने पहली पारी में 86 रन बनाए तो दूसरी में 51 रन का योगदान दिया। इसके बावजूद वे बाहर हैं।
एक सत्र में 995 रन। इससे ज्यादा सेलेक्टर्स को क्या चाहिए? क्या जीवनजोत को रायुडू की जगह टीम में शामिल कर इंटरनेशनल टूर का अनुभव नहीं दिया जाना चाहिए था? लेकिन बोर्ड ने अपने योग्य युवाओं को इससे महरूम कर दिया
अभिषेक नायर
मुंबई रणजी टीम के स्टार अभिषेक नायर भी सेलेक्टर्स को नजर नहीं आए। नायर ने 2012-13 के सीजन में खेले 11 मैचों में 96.60 के औसत से 966 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 8 अर्धशतक शुमार रहे।
क्या उनका परफॉर्मेंस एक मौका मिलने लायक नहीं था?
जिस रायुडू को बारबार मौका मिल रहा है उन्होंने उस सीजन में खेले 8 मैचों में कुल 666 रन बनाए, जिसमें कुल 1 सेंचुरी शामिल है। शायद उन्हें मुंबई इंडियंस टीम से होने का फायदा मिल रहा है। इसी साल उन्हें 4 वनडे खेलने का भी मौका मिला, जिसमें वे कुल 101 रन बना पाए।
सी गौतम
कर्नाटक के चिदंबरम गौतम का भी इस सीजन बेहतरीन प्रदर्शन रहा। उन्होंने कुल 9 मैचों में 117.87 के औसत से 943 रन बनाए। इसमें 3 शतक और 2 अर्धशतक शुमार हैं। उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 264 रन का रहा।
पार्थिव पटेल
यदि सेलेक्टर्स को विकेटकीपर का ऑप्शन चाहिए था तो पार्थिव पटेल का परफॉर्मेंस भी बुरा नहीं रहा। साथ ही मुंबई के आदित्य तारे भी रायुडू से बेहतर हैं।
पार्थव ने जहां 8 मैचों में 68.84 के औसत से 895 रन बनाए हैं, वहीं तारे के नाम 11 मैचों में 842 रन दर्ज हैं।
पार्थिव ने इस सीजन में 162 रन के बेस्ट स्कोर समेत 3 शतक और 6 अर्धशतक लगाए। वहीं आदित्य ने 2 शतक और 3 अर्धशतक लगाए हैं। उनका बेस्ट परफॉर्मेंस 222 रन का रहा है। लेकिन सेलेक्टर्स को ये चेहरे नजर नहीं आते।
क्या सहवाग और गंभीर पर लगा फुलस्टॉप?
सेलेक्टर्स द्वारा साउथ अफ्रीका टूर के लिए भी नजरअंदाज किए जाने के बाद वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर का करियर खत्म लग रहा है। वीरू ने घरेलू क्रिकेट में एक भी ऐसा परफॉर्मेंस नहीं दिया, जिससे उन्हें सेलेक्शन के लिए योग्य समझा जाए। घरेलू क्रिकेट में वे बुरी तरह फ्लॉप हुए हैं। ऐसे में उनकी वापसी किस आधार पर हो सकती है।
सहवाग ने वनडे और टेस्ट दोनों में 8000 प्लस रन बनाए हैं। टेस्ट में उनके नाम 23 शतक और वनडे में 15 सेंचुरी दर्ज हैं। टेस्ट में दो तिहरे शतक और वनडे की सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड बनाने के बावजूद वे टीम से बाहर हैं।
सहवाग की नजर कमजोर होने और कप्तान धोनी से विवाद के बाद उनका चयन कम हो गया है। वहीं गंभीर भी अच्छे परफॉर्मेंस के बावजूद टीम से बाहर हैं।
तो क्या साउथ अफ्रीका के लिए टीम का एलान इन दोनों धुरंधरों के करियर का अंत है?
चौथा सवाल : मुरली विजय किस आधार पर टीम में?
मुरली विजय को सेलेक्टर्स ने टेस्ट में बतौर फर्स्ट च्वाइस ओपनर चुना है। सवाल यह उठता है कि मुरली विजय ने ऐसा कौन सा चमत्कारी प्रदर्शन किया है जिसके दम पर वे अबतक टेस्ट टीम में हैं?
विजय ने अबतक खेले 18 टेस्ट मैचों में कुल 3 शतक और 3 अर्धशतक लगाए हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इसी साल घरेलू सीरीज में लगातार दो सेंचुरी लगाईं थीं। उसके बाद वे घरेलू क्रिकेट में भी उतरे लेकिन कोई कमाल नहीं कर पाए।
हैदराबाद और मोहाली में उनकी 167 और 153 रन की पारियां भले ही बड़ी लगें, लेकिन 2011 में उनके द्वारा किए विदेशी मैदानों पर परफॉर्मेंस को भुलाया नहीं जा सकता। 2010 के साउथ अफ्रीका टूर पर उनका हाई स्कोर 19 रन का रहा था। उसके बाद वेस्ट इंडीज में उनका बेस्ट स्कोर 45 रन का रहा। तेज गेंदबाजी की मुफीद पिचों पर वे फ्लॉप हो जाते हैं। इसके बावजूद सेलेक्टर्स ने उन्हें गौतम गंभीर के ऊपर तवज्जो दी है।
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