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View Full Version : भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय


ndhebar
07-11-2010, 10:14 AM
भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय



* भारत में सिनेमा का परिचय सबसे पहले लुमेयर भाइयो के द्वारा सात जुलाई १८९६ को हुआ
* इन्होने मुंबई के वाटशन होटल में अपनी छः मूक फिल्मो (जो की बेहद छोटी अवधि की थी) के द्वारा भारतीयों का परिचय सिनेमा से करवाया

malethia
07-11-2010, 10:54 PM
सन् 1899 मे श्री भटवडेकर ने भारत के प्रथम लघु चलचित्र बनाने में सफलता प्राप्त की।

malethia
07-11-2010, 10:59 PM
# दादा साहेब फालके ने राजा हरिश्चंद्र बनाई जो कि भारत की पहली लंबी फिल्म थी
# यह फिल्म सन् 1913 में प्रदर्शित हुई।
# इस फिल्म ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया और दर्शकों ने उसकी खूब तारीफ की।

malethia
07-11-2010, 11:07 PM
# आलम आरा भारत की पहली सवाक् फिल्म थी जो कि सन् 1931 में प्रदर्शित हुई।
# भारत में पहली टेक्नीकलर फिल्म “आन” बनी जिसे महबूब ख़ान ने बनाया था।
# इस फिल्म की धुलाई लंदन में करवाई गई थी।

ndhebar
18-11-2010, 05:00 AM
मित्र तारा बाबू का बहुत धन्यवाद्
उम्मीद नहीं विश्वास है की आगे भी सहयोग जारी रहेगा
ये है पहली बोलती फिल्म आलम आरा का पोस्टर
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3519&stc=1&d=1290041800

ndhebar
18-11-2010, 05:14 AM
१९३० से १९४० का दशक भारत के लिए बहुत उथल पुथल भरा रहा
आर्थिक मंदी अपने चरम पर थी
अपनी स्वाधीनता की लड़ाई
द्वितीय विश्वयुद्ध और देश के अन्दर बंटवारे को लेकर भड़कती हिंसा
अब भला फिल्म जगत इससे अछूता कैसे रह पाता

पर फिर भी कई फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों द्वारा सामजिक मुद्दों और आजादी के लिए भारतियों के संघर्ष को दिखाया

ABHAY
19-11-2010, 09:12 AM
भारत में बनी पहली 3d फिल्म का भी जिक्र करे !

malethia
19-11-2010, 10:02 AM
मित्र तारा बाबू का बहुत धन्यवाद्
उम्मीद नहीं विश्वास है की आगे भी सहयोग जारी रहेगा
ये है पहली बोलती फिल्म आलम आरा का पोस्टर
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3519&stc=1&d=1290041800

मित्र मेरा फ़िल्मी ज्ञान आप जितना तो नहीं फिर भी कोशिश करूंगा !
भारत की पहली सवाक फिल्म आलम आरा का पोस्टर दिखाने के लिए धन्यवाद !
क्या आपके पास इस फिल्म का विडियो मिल सकता है,
वैसे मैंने सुना है की इस फिल्म का कोई भी प्रिंट इस समय उपलब्ध नहीं है !

ndhebar
19-11-2010, 10:14 AM
मित्र मेरा फ़िल्मी ज्ञान आप जितना तो नहीं फिर भी कोशिश करूंगा !
भारत की पहली सवाक फिल्म आलम आरा का पोस्टर दिखाने के लिए धन्यवाद !
क्या आपके पास इस फिल्म का विडियो मिल सकता है,
वैसे मैंने सुना है की इस फिल्म का कोई भी प्रिंट इस समय उपलब्ध नहीं है !
बिलकुल सही सुना है आपने
और रही बात मेरे फ़िल्मी ज्ञान की तो उसका पोल तब खुल गया था जब मैं फिल्मी चैनल के एक कार्यक्रम "बोलीवूड का बॉस" में भाग लेने गया था और दुसरे दौड़ में ही बाहर हो गया था
हाँ फिल्मो का शौक जरूर रखता हूँ

ndhebar
19-11-2010, 10:16 AM
भारत में बनी पहली 3d फिल्म का भी जिक्र करे !
बिल्कुल करेंगे अभय भाई बस इंतजार करो और सूत्र पर आते रहो

malethia
19-11-2010, 10:21 AM
* भारत विश्व में सर्वाधिक फिल्में निर्मित करनेवाला देश है
* स्वर्गीय दादा साहब फालके को भारतीय सिनेमा का जनक होने और पूरी लंबाई के कथाचित्र बनाने का गौरव हासिल है

ABHAY
19-11-2010, 10:28 AM
चेन्नई। भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा हमेशा के लिए खामोश हो गई। देश में कहीं भी अब इस फिल्म के प्रिंट नहीं बचे हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है।

चेन्नई में क्षेत्रीय सिनेमा पर आयोजित एक सेमिनार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी.बी. प्यारेलाल ने कहा कि 1931 में बनी आलम आरा के प्रिंट नष्ट हो चुके हैं। आलम आरा के प्रिंट राष्ट्रीय अभिलेखागार सहित कहीं भी मौजूद नहीं हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार में अब केवल इस फिल्म से जुड़े फोटोग्राफ और कुछ मीडिया चित्र ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम फिल्मों से जुड़ी चीजों का संग्रह कर रहे हैं। मैं फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी बनाई फिल्म की एक प्रति हमें जरूर भेजें, जिसे हम आने वाली पीढि़यों के लिए संरक्षित कर सकें।

1931 में रिलीज हुई आलम आरा अर्देशर ईरानी के निर्देशन में बनी भारत की पहली बोलती फिल्म थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। फिल्म में मुख्य भूमिका मास्टर विट्ठल और जुबैदा ने निभाई थी। पृथ्वीराज कपूर ने भी इस फिल्म में अभिनय किया था।

ndhebar
20-11-2010, 05:17 AM
*आलम आरा के निर्माता ए. ईरानी ने ही हिंदी की पहली रंगीन फिल्म भी बनाई "किसान कन्या"

*गुरुदत्त की "कागज के फूल" भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म थी

ndhebar
21-11-2010, 11:22 AM
स्वर्ण युग

१९४० से १९६० के दशक को भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है
यही वो समय था जब हमारे सिनेमा का उत्थान शुरू हुआ
बहुत सारी ऐसी फ़िल्में बनी जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा गया
इस दौड़ के प्रसिद्द फ़िल्मकार थे
गुरुदत्त, राज कपूर, विमल रॉय, व्ही शांताराम, महबूब खान और के. आसिफ

प्रमुख अभिनेता थे
दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, अशोक कुमार(दादामुनि) और गुरुदत्त

प्रमुख अभिनेत्री थी
नर्गिस, मीना कुमारी, नूतन, मधुबाला, वहीदा रहमान और माला सिन्हा

Hamsafar+
21-11-2010, 11:27 AM
सूत्र में बहुत ही ज्ञान वर्धक जानकारियां है, निशांत जी इसके लिए "थैंक्स " आपके नाम , और निवेदन की इसे समय समय पर उचित गति प्रदान करते रहें !

ndhebar
21-11-2010, 11:29 AM
सूत्र में बहुत ही ज्ञान वर्धक जानकारियां है, निशांत जी इसके लिए "थैंक्स " आपके नाम , और निवेदन की इसे समय समय पर उचित गति प्रदान करते रहें !
अवश्य
मेरी तरफ से पूरी कोशिश रहेगी

prashant
21-11-2010, 05:57 PM
चेन्नई। भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा हमेशा के लिए खामोश हो गई। देश में कहीं भी अब इस फिल्म के प्रिंट नहीं बचे हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है।

चेन्नई में क्षेत्रीय सिनेमा पर आयोजित एक सेमिनार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी.बी. प्यारेलाल ने कहा कि 1931 में बनी आलम आरा के प्रिंट नष्ट हो चुके हैं। आलम आरा के प्रिंट राष्ट्रीय अभिलेखागार सहित कहीं भी मौजूद नहीं हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार में अब केवल इस फिल्म से जुड़े फोटोग्राफ और कुछ मीडिया चित्र ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम फिल्मों से जुड़ी चीजों का संग्रह कर रहे हैं। मैं फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी बनाई फिल्म की एक प्रति हमें जरूर भेजें, जिसे हम आने वाली पीढि़यों के लिए संरक्षित कर सकें।

1931 में रिलीज हुई आलम आरा अर्देशर ईरानी के निर्देशन में बनी भारत की पहली बोलती फिल्म थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। फिल्म में मुख्य भूमिका मास्टर विट्ठल और जुबैदा ने निभाई थी। पृथ्वीराज कपूर ने भी इस फिल्म में अभिनय किया था।


जहाँ तक मैंने सुना है.उस अनुसार १९४० से १९४१ के मध्य राष्ट्रीय अभिलेखागार में आग लग जाने के कारण
इस समय की सभी फिल्मे पहले ही नष्ट हो चुकी.बाद में कुछ फिल्मों का संग्रह किया गया था.लेकिन अधिकांश
फिल्मे जागरूकता के कमी के कारण उसी समय हो गयी है.उस पर से अधिकारीयों का ये कहना की जो प्रिंट बची
वो भी नहीं संभल सके ये बड़े अफ़सोस की बात है.वैसे भी जो वास्तु हमारे पास नहीं होती उसी की कदर हमें
महसूस होती है.thanks to internet की पूरे फिल्मे अब गायब नहीं होगी.क्योंकि बहुत सारे फिल्म प्रेमी अब
internet पर फिल्मों का संग्रह कर रहे हैं.

ndhebar
26-11-2010, 05:58 AM
स्वर्ण युग

१९४० से १९६० के दशक को भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है


इसी दौड़ की बातों को आगे बढाते हैं

इस दौड़ में कई बेहतरीन फिल्म आई जो आज तक लोगों को लुभाती है और जिन्हें फिल्म मेकिंग का माइलस्टोन माना जाता है

व्ही शांताराम की "दो आँखें बारह हाथ"

राज कपूर की "आवारा और श्री 420"

गुरुदत्त की "प्यासा, कागज के फूल और साहिब बीवी और गुलाम"

महबूब खान की "मदर इंडिया" जिसे की एकेडमी अवार्ड(ओस्कर) में Best Foreign Language फिल्म इंट्री मिली

बिमल रॉय की "दो बीघा जमीन और मधुमती"

के आसिफ की "मुग़ल ए आजम"

इन फिल्मों में बहुत से सामाजिक मुद्दों को भी दर्शाया गया उदाहरन के लिए राज साहब की "आवारा"

शहर का सपना जितना खूबसूरत था उतना ही भयावह