dipu
01-12-2013, 12:02 PM
मेरे खुदार-ऐ दिल ने ना खोला राज अपना ,
मसीहा लाख आये पर जुबाँ से कुछ नहीं निकला ,
तुम्ही को राजदा समझा , तुम्ही को मेहरबाँ समझा
किसी को क्या खबर , किस तरह गुज़री यादे जानाँ में
कि इक तस्वीर शौला बनके तैरी, चश्मे गिरियां में
शब्-ऐ फुंकरत की हालत, वो ही जाने शामे हिज्रा में
कि जिससे डूबती किश्ती, कही देखी हो दरियां में
मसीहा लाख आये पर जुबाँ से कुछ नहीं निकला ,
तुम्ही को राजदा समझा , तुम्ही को मेहरबाँ समझा
किसी को क्या खबर , किस तरह गुज़री यादे जानाँ में
कि इक तस्वीर शौला बनके तैरी, चश्मे गिरियां में
शब्-ऐ फुंकरत की हालत, वो ही जाने शामे हिज्रा में
कि जिससे डूबती किश्ती, कही देखी हो दरियां में