Dr. Rakesh Srivastava
01-12-2013, 12:56 PM
ऐसी भी सख्त ख़ुद की न फ़ितरत किया करो ;
थोड़ी अदा के साथ में नफ़रत किया करो .
दिन रात याद आ के मेरा चैन लूट लो ;
इस ख़ूब सूरती से अदावत किया करो .
गर ज़ख्म भर गये तो ठहर जायेगा ये दिल ;
ताज़ा रहें , तुम ऐसी शरारत किया करो .
मुझको लगेगा , तेरे ज़ेहन में हूँ अब तलक़ ;
दिन रात सबसे मेरी शिकायत किया करो .
तेरे लबों पे ज़िक्र हो तो जानेंगे सभी ;
दुनिया में इस तरह मेरी शोहरत किया करो .
ना देखने से ठीक , हिक़ारत से ही देखो ;
बेपर्दा सबमें पिछली मोहब्बत किया करो .
दुनिया की हर इक़ चीज़ है , बस तू ही नहीं है ;
ऐसी ग़रीब ना मेरी हालत किया करो .
चाहे तो मुँह को फ़ेर ही लो , पर सलाम लो ;
अपने मुरीद से ये मुरव्वत किया करो .
अरसा गुज़र गया है , तुझे देखा तक़ नहीं ;
ख़्वाबों में आ के लड़ने की ज़ेहमत किया करो .
तेरी ज़फ़ा का चाहिये मुझको मुआवज़ा ;
मेरी हर इक़ ग़ज़ल में ही शिरक़त किया करो .
रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव , गोमती नगर , लखनऊ .
शब्दार्थ > फ़ितरत = स्वभाव , अदावत = दुश्मनी , हिक़ारत = घृणा , मुरीद = प्रशंसक ,
मुरव्वत = छूट / रियायत , अरसा = लम्बा वक़्त ,ज़ेहमत = कष्ट / तक़लीफ़ ,
ज़फ़ा = बेवफ़ाई , मुआवज़ा = हर्ज़ाना , शिरक़त = शामिल /सम्मिलित .
थोड़ी अदा के साथ में नफ़रत किया करो .
दिन रात याद आ के मेरा चैन लूट लो ;
इस ख़ूब सूरती से अदावत किया करो .
गर ज़ख्म भर गये तो ठहर जायेगा ये दिल ;
ताज़ा रहें , तुम ऐसी शरारत किया करो .
मुझको लगेगा , तेरे ज़ेहन में हूँ अब तलक़ ;
दिन रात सबसे मेरी शिकायत किया करो .
तेरे लबों पे ज़िक्र हो तो जानेंगे सभी ;
दुनिया में इस तरह मेरी शोहरत किया करो .
ना देखने से ठीक , हिक़ारत से ही देखो ;
बेपर्दा सबमें पिछली मोहब्बत किया करो .
दुनिया की हर इक़ चीज़ है , बस तू ही नहीं है ;
ऐसी ग़रीब ना मेरी हालत किया करो .
चाहे तो मुँह को फ़ेर ही लो , पर सलाम लो ;
अपने मुरीद से ये मुरव्वत किया करो .
अरसा गुज़र गया है , तुझे देखा तक़ नहीं ;
ख़्वाबों में आ के लड़ने की ज़ेहमत किया करो .
तेरी ज़फ़ा का चाहिये मुझको मुआवज़ा ;
मेरी हर इक़ ग़ज़ल में ही शिरक़त किया करो .
रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव , गोमती नगर , लखनऊ .
शब्दार्थ > फ़ितरत = स्वभाव , अदावत = दुश्मनी , हिक़ारत = घृणा , मुरीद = प्रशंसक ,
मुरव्वत = छूट / रियायत , अरसा = लम्बा वक़्त ,ज़ेहमत = कष्ट / तक़लीफ़ ,
ज़फ़ा = बेवफ़ाई , मुआवज़ा = हर्ज़ाना , शिरक़त = शामिल /सम्मिलित .