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View Full Version : अब कुछ और 'चालीसा'


rajnish manga
05-12-2013, 10:07 PM
अब कुछ और 'चालीसा'

हमारे लोक जीवन में भक्ति रस में पगी कुछ 'चालीसा' बहुत प्रचलित हैं, जैसे 'हनुमान चालीसा' और 'दुर्गा चालीसा' आदि. इनका पाठ करने से भक्तों में साहस का संचार होता है और भय पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है.

इधर कुछ नई 'चालीसा' भी देखने में आयी हैं जो वीर रस (सैनिक चालीसा), हास्य-रस (मच्छर चालीसा), अथवा सिस्टम पर कटाक्ष (संसद चालीसा) करती नज़र आती हैं. कुछ नेताओं (लालू यादव), अभिनेताओं (अमिताभ बच्चन) या खिलाड़ियों (सचिन तेन्दुलकर) पर भी चालीसा लिखी गयीं है.

हम चाहते हैं कि इनमे से कुछ आपके समक्ष प्रस्तुत करें. हमारा उद्देष्य होगा आपका मनोरंजन करना. इन्हें पढ़ कर यदि कोई विचार आपके मन में आये तो अवश्य हमसे शेयर करें.

rajnish manga
05-12-2013, 10:09 PM
संसद चालीसा
- संसद से सीधा प्रसारण-

देशवासियों सुनो झलकियाँ मै तुमको दिखलाता।
राष्ट्र- अस्मिता के स्थल से सीधे ही बतियाता।
चारदीवारी की खिड़की सब लो मै खोल रहा हूँ।
सुनो देश के बन्दों मै संसद से बोल रहा हूँ।१।

रंगमंच संसद है नेता अभिनेता बने हुए हैं।
जन- सेवा अभिनय के रंग में सारे सने हुए हैं।
पॉँच वर्ष तक इस नाटक का होगा अभिनय जारी।
किस तरह लोग वोटों में बदलें होगी अब तैयारी।२।

चुनाव छेत्र में गाली जिनको मुहं भर ये देते थे।
जनता से जिनको सदा सजग ये रहने को कहते थे।
क्या-क्या तिकड़म करके सबने सांसद- पद जीते है।
बाँट परस्पर अब सत्ता का मिलकर रस पीते हैं।३।

जोधर्म आज तक मानवता का आया पाठ पढाता।
सर्वधर्म-समभाव-प्रेम से हर पल जिसका नाता।
वोटों की वृद्धि से कुछ न सरोकार उसका है।
इसीलिए संसद में होता तिरस्कार उसका है।४।

rajnish manga
05-12-2013, 10:11 PM
दो पक्षो के बीच राष्ट्र की धज्जी उड़ती जाती।
राष्ट्र-अस्मिता संसद में है खड़ी-खड़ी सिस्काती।
पल-पल, क्षन-क्षन उसका ही तो यहाँ मरण होता है।
द्रुपद सुता का बार-बार यहाँ चीर-हरण होता है।५।

आतंकवाद और छदम युद्ध का है जो पालनहारा।
साझे में आतंकवाद का होगा अब निबटारा।
आतंक मिटाने का उसके संग समझोता करती है।
चोरों से मिलकर चोर पकड़ने का सौदा करती है।६।

विषय राष्ट्र के एक वर्ग पर यहाँ ठिठक जाते हैं।
राष्ट्र-प्रेम के सारे मानक यहाँ छिटक जाते हैं।
अर्थ-बजट की द्रष्टि जाकर एक जगह टिकती है।
एक वर्ग की मनुहारों पर संसद यह बिकती है।7।

अफजलके बदले मे जो है वोट डालने जाते।
सत्ता की नजरों में वे ही राष्ट्र भक्त कहलाते।
आज देश की गर्दन पर जो फेर रहे हैं आरे।
उनकी वोटो से विजयी नही क्या संसद के हत्यारे।8।

rajnish manga
05-12-2013, 10:12 PM
सर्वोच्च अदालत ने फाँसी का जिसको दंड दिया है।
संसद ने तो उसको ही वोटो में बदल लिया है।
इसलिए आज यह देश जिसे है अपराधी ठहराता।
वही जेल मे आज बैठकर बिरयानी है खाता।9।

मौत बांटते जिसको सबने टी० वी० पर पहचाना।
धुआं उगलती बंदूकों को दुनिया भर ने जाना।
सत्ता का सब खेल समझ वह हत्त्यारा गदगद है।
हत्या का प्रमाण ढूंढती अभी तलक संसद है।10।

यहमाइक-कुर्सी फैंक वीरता रोज-रोज दिखलाती।
पर शत्रु की घुड़की पर है हाथ मसल रह जाती।
जाने क्या-क्या कर जुगाड़ यहाँ कायरता घुस आई।
फ़िर काग -मंडली मधुर सुरों का पुरुष्कार है लायी।११।

जब एक पंथ से आतंकियों की खेप पकड़ में आती।
वोट खिसकती सोच-सोच यह संसद घबरा जाती।
तब धर्म दूसरे पर भी आतंकी का ठप्पा यह धरती है।
यूँ लोकतंत्र में सैक्यूलारती की रक्षा यह करती है। १२।

rajnish manga
05-12-2013, 10:14 PM
लोकतंत्र में युवाओं को हिस्सा जब देने को ।
चिल्लाती जनता है इनको भी भाग वहां लेने को।
बड़ी शान से जन इच्छा का मन यह रख देती है।
बेटों को सब तंत्र सोंप जनतंत्र बचा लेती है।१३

घोटाले अरबों -खरबों के यहाँ प्राय होते हैं।
चर्चे उनके चोपालों पर सुबह -सायं होते हैं।
अधिक शोर मचने पर सोती संसद यह जगती है।
आयोग बिठाकर दौलत को चुपचाप हजम करती है।१४

जो इसी धरा पर खाते-पीते साँस हवा में लेते।
माता का सम्मान नही पर इस धरती को देते।
उनके ही पीछे राष्ट्र सौंपने संसद भाग रही है।
एक मुस्त बदले में केवल बोटें मांग रही है । १५

देश-द्रोह में लगे रहें या करे देश बर्बादी ।
दे रही छूट यह हर उस दल को है पूरी आजादी।
बस एक शर्त का अनुपालन ही उनकी जिम्मेदारी।
सिंहासन का मौन- समर्थन करे हमेशा जारी ।१६

rajnish manga
05-12-2013, 10:16 PM
सरकारपाक की जब जी चाहे घुड़की दे देती है।
कान दबाकर संसद उसकी सब-कुछ सुन लेती है।
बोटो के भयवश न विरुद्ध कुछ साहस है यह करती।
एक वर्ग को पाक-समर्थक संसद स्वयम समझती। १७

पहले तो शत्रु इसी धरा पर हमले ख़ुद करवाता।
फ़िर हमलों के इससे ही प्रमाण स्वयं मंगवाता।
वह दो कोड़ी का देश फैकता रद्दी में है उनको।
अपनी संसद युद्ध नही, प्रमाण भेजती उसको।१८

जब विस्फोटों की गूँज भीड़ के बीचों-बीच उभरती।
दस-पॉँच जनों के तन से जब,शोणित की धार निकलती।
लाशों के चेहरों में वोटों की गणना को जुटती है।
यूँ बार-बार सत्ता पाने के सपने यह बुनती है। १९

....
....
रचनाकार: श्री देवेन्द्र सिंह त्यागी
(प्रस्तुतकर्ता हैं उनके पुत्र श्री नवीन त्यागी)

rajnish manga
05-12-2013, 10:21 PM
मच्छर चालीसा

जय मच्छर बलवान उजागर, जय अगणित रोगों के सागर ।
नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा ।

गुप्त रूप धर तुम आ जाते, भीम रूप धर तुम खा जाते ।
मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते ।

वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले ।
हो मलेरिया के तुम दाता, तुम खटमल के छोटे भ्राता ।

नाम तुम्हारे बाजे डंका ,तुमको नहीं काल की शंका ।
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारा, हर घर में हो परचम तुम्हारा ।

सभी जगह तुम आदर पाते, बिना इजाजत के घुस जाते ।
कोई जगह न ऐसी छोड़ी, जहां न रिश्तेदारी जोड़ी ।

जनता तुम्हे खूब पहचाने, नगर पालिका लोहा माने ।
डरकर तुमको यह वर दीना, जब तक जी चाहे सो जीना ।

भेदभाव तुमको नही भावें, प्रेम तुम्हारा सब कोई पावे ।
रूप कुरूप न तुमने जाना, छोटा बडा न तुमने माना ।

खावन-पढन न सोवन देते, दुख देते सब सुख हर लेते ।
भिन्न भिन्न जब राग सुनाते, ढोलक पेटी तक शर्माते ।

बाद में रोग मिले बहु पीड़ा, जगत निरन्तर मच्छर क्रीड़ा ।
जो मच्छर चालीसा गाये, सब दुख मिले रोग सब पाये ।

(इंटरनेट से साभार)

rajnish manga
05-12-2013, 10:27 PM
पत्नि चालीसा
(रचनाकार: ब्रज किशोर सिंह)

नमो नमो पत्नी महरानी. तुमरी महिमा कोई न जानी.
हमने समझा तुम अबला हो.पर तुम सबसे बड़ी बला हो.
माई को बेटा से पिटवावे. तब जाके उर ठंढक पावे.
जिस घर में हो तुमरा वासा. सास ससुर करें स्वर्ग निवासा.
घर के खंड-खंड करवावे. अपनी दुनिया आप बसावे.
अपने घर को नरक बनावे. तब आधुनिक नारी कहावे.
भाई के पूत पर नेह लुटावे. अपनी बेटी को टुगर बनावे
नैहर के कुक्कुर भी आवे. उसकी सेवा पति से करवावे.
जीजा को देखत तन फड़के. नंदोई को देख के भड़के.
बेटा पहले नाना जाने.बाद में फ़िर पापा पहचाने.
देवर ससुर को धूल चटाए.भाई बाप को सूप पिलाये.
बाहर पति शेर कहलावे.घर आकर चूहा बन जावे.
जिस दिन हाथ में बेलन आवे.उस दिन पति घर लौट न पावे.
सारे बेड पे पत्नी सोये.पति बैठ के फर्श पे रोये.
भाई को दे पूड़ी-हलवा.प्राणनाथ को उबला अलुआ.
बहिन उड़ाए चाट और घुघनी.ननद की थाल में सूखी सुथनी.
ननद को ना दे फूटी कौड़ी. बहिन को देवे सोने की सिकड़ी.
सास ननद को नाच नचावे.अपने कोप भवन में जावे.
तुमसे ही घर मथुरा काशी.तुमसे ही घर सत्यानाशी.
पत्नी चालीसा जो नर गावे.सब सुख छोड़ परम दुःख पावे.

rajnish manga
05-12-2013, 10:31 PM
बीवी चालीसा

ओ बीवी मेरी, अरी ओ बीवी मेरी
पति को देखते ही क्यों, आँख चढ़े तेरी
ॐ जय बीवी मेरी......

तुम हो शक्ति की देवी, काली हो तुम ही,
शस्त्र सहित सब शक्ति, चलती मुझ पर ही
ॐ जय बीवी मेरी...

मुस्टि प्रहार भयंकर, नारी तुम बेलनधारी
पीट पाट के कहती, नर अत्याचारी
ॐ जय बीवी मेरी....

तुम हो रूप कराली, ज्यों चंडी दुर्गा
सुबह शाम हो बनाती पति को तुम मुर्गा
ॐ जय बीवी मेरी.....

निज पत्नी की आरती जो कोई नर गावै
अगले जनम में नारी रूप को वो पावै
ॐ जय बीवी मेरी......

बोलो अपनी पत्नी की ........जय
बोलो सबकी पत्नियों की .....जय.....

rajnish manga
05-12-2013, 10:33 PM
चुनावी चालीसा
जनता सपने देखती, बदल-बदल कर ताज।
कभी सदी इक्कीसवीं, कभी राम का राज।।1।।
वोट दिया या भीख दी, गया हाथ से तीर।
किस को हैं पहिचानते, नेता, पीर, फकीर।।2।।
गीदड़ बहुमत ढूँढ़ते, रहे अकेला शेर।
गीदड़ रहते डरे से, होता शेर दिलेर।।3।।
नेता जी की बात पर, कैसे करें यकीन।
जब से ऊँचे वह उड़े, देखी नहीं ज़मीन।।4।।
छोटी-छोटी पार्टियाँ, मिली बड़ी के साथ।
भोली भाली मछलियाँ, चढ़ीं मगर के हाथ।।5।।
चींटी काटी खाल में, कई जगह कल्यान।
उसने काटा कब किधर, गेंडा था अंजान।।6।।
चढ़ता सूरज देख के, रहे नमन की होड़।
ढलते सूरज से सभी, लेते नाता तोड़।।7।।
कैसा यह जनतंत्र है, वोट सभी का एक।
अंधी नगरी में कहीं, चलता नहीं विवेक।।8।।
हम हारे वह पूछते, लाओ कहाँ हिसाब।
अगर नोट हम खर्चते, जाते जीत जनाब।।9।।
जनता ने तो चुनी थी, सोच समझ सरकार।
दल बदलू ने बदल दी, जनमत दिया नकार।।10।।

rajnish manga
05-12-2013, 10:34 PM
किसे फ़िक्र है वतन की, बनते सभी नवाब।
रोटी चुपड़ी चाहिए, मिलता रहे कबाब।।11।।
गीदड़ कहता शेर से, नया ज़माना देख।
एक वोट तेरा पड़ा, मेरा भी है एक।।12।।
घोटालों की बात सुन, धरें नेता मौन।
नंगे सभी हमाम में, निकले बाहर कौन।।13।।
घर हमारे आए वह, हँसे मिलाया हाथ।
खुश होते हम अगर वह, गरज न लाते साथ।।14।।
हम चुनाव थे लड़ पड़े, देख जान पहचान।
कितना महँगा वोट है, जान गए कल्यान।।१15।।
सपन स्वर्ग के बेचिये, चलती खूब दुकान।
सीधे साधे लोग हैं, ले लेते कल्यान।।16।।
सन सिक्के से वोट दे, लिया खेल आनंद।
वोटर हमें बता गया, क्या है उसे पसंद।।17।।
सोच समझ कर कीजिए, नेता जी तक़रीर।
हुए सभी आज़ाद हम, हुए न सभी अमीर।।18।।
शक्ति रूप श्री राम थे, मार दिया लंकेश।
जनमत धोबी में रहा, हार गए अवधेश।।19।।
वोट गिनो यह ग़लत है, वोट तौलना ठीक।
मगर तुलैया मिले यदि, बुद्धिमान निर्भीक।।20।।

rajnish manga
05-12-2013, 10:36 PM
मत पूछो जनतंत्र में, बनता कहाँ विधान।
होता है दंगल कहाँ, पूछो यह कल्यान।।21।।
मिली जुली सरकार है, करती खींचातान।
बंदर मगर की दोस्ती, कितने दिन कल्यान।।22।।
माचिस सम जनतंत्र है, कर दे पैदा आग।
चाहे चूल्हा फूँक लो, चाहे फूँको पाग।।23।।
माँगा उनसे वोट जो, दीखी उनको हार।
कहते अपने वोट को, कौन करे बेकार।।24।।
भारत के जनतंत्र में, खाती जनता चोट।
धनपति करते राज हैं, जनमत की ले ओट।।25।।
बेचें कथा अतीत की, सपनों के वरदान।
वर्तमान में देखते, खुद को वह कल्यान।।26।।
बहुमत के प्रतिनिधि बनो, क्या है फिर इन्साफ़।
किए जुर्म संगीन भी, हो जाते सब माफ़।।27।।
पद लोलुप नेता हुए, बेच रहे ईमान।
कर के जनता वोट का खुले आम अपमान।।28।।
पास हमारे वोट थे, बदले हम सरकार।
हम जहाँ के तहाँ रहे, होते रहे ख़वार।।29।।
नेता हैं जो आज के, हैं कच्चे उस्ताद।
तीखे नारे दे रहे, भूल गूँज अनुनाद।।30।।

rajnish manga
05-12-2013, 10:37 PM
नारी सीमित घरों तक, लोक सभा से दूर।
आधा भाग समाज का, क्यों इतना मजबूर।।31।।
ढ़ोल पीट वह कर रहे, खुले आम एलान।
उनके नाम रिज़र्व है, भारत का कल्यान।।32।।
जनता की हर माँग को, कर दें नेता गोल।
अपनी नब्ज़ टटोल कर, करते रहे मखौल।।33।।
जिनको अपना समझते, वह रहते थे मौन।
हमें चुनाव बता गया, इन में अपना कौन।।34।।
जाती उम्रें बीत थीं, करते पालिश बूट।
अब चुनाव में जीत के, जाते बंदी छूट।।35।।
जनमत के प्रति राम का, देख लिया अनुराग।
इक धोबी की बात पर, दिया सिया को त्याग।।36।।
गांधी नेता बन गए, कर के पर उपकार।
कहो बात कल्यान की, मानेगा संसार।।37।।
हर दल वोटर से कहे, बीती ताहि बिसार।
फिर से अवसर दे मुझे ला दूँ तुझे बहार।।38।।
आज गए थे बूथ पर, दी वोटर ने चोट।
नैतिकता की बात की, डाले जाली वोट।।39।।
हर दल को अच्छे लगें, अपने गीत बहार।
कोई कब तक सुनेगा, जनता की मल्हार।।40।।
**

rajnish manga
05-12-2013, 10:39 PM
जल चालीसा
(साभार रचनाकार: रमेश गोयल)

जल मंदिर, जल देवता, जल पूजा जल ध्यान।
जीवन का पर्याय जल, सभी सुखों की खान।।
जल की महिमा क्या कहें, जाने सकल जहान।
बूंद-बूंद बहुमूल्य है, दें पूरा सम्मान।।

जय जलदेव सकल सुखदाता, मात पिता भ्राता सम त्राता।1
सागर जल में विष्णु बिराजे, शंभु शीश गंगा जल साजे।2
इंद्र देव है जल बरसाता, वरुणदेव जलपति कहलाता।3
रामायण की सरयू मैया, कालिंदी का कृष्ण कन्हैया।4
गंगा यमुना नाम धरे जल, जन्म-जन्म के पाप हरे जल।5
ऋषिकेश है, हरिद्वार है, जल ही काशी मोक्ष द्वार है।6
राम नाम की मीठी बानी, नदिया तट पर केवट जानी।7
माता भूमि पिता है पानी, यही कह रही है गुरबानी।8
जन जन हेतु नीर ले आईं, नदियां तब माता कहलाईं।9
सूर्य देव को अर्पण जल से, पितरों का भी तर्पण जल से।10
चाहे हवन करें या पूजा, पानी के सम और न दूजा।11
चाहे नभ हो, या हो जल-थल, जीव-जंतु की जान सदा जल।12
बूंद-बूंद से भरता गागर, गागर से बन जाता सागर।13
नीर क्षीर मधु खिलता तन-मन, नीर बिना नीरस है जीवन। 14
नदी सरोवर जब भर जाए, लहरे खेती मन हरषाए।15
तीन भाग जल काया भीतर, फिर भी चाहिए पानी दिन भर।16
तीरथ व्रत निष्फल हो जाएं, समुचित जल जब हम ना पाएं।17
जल बिन कैसे बने रसोई, भोजन कैसे खाये कोई।18
नदियों में जब ना होगा जल, खाली होंगे सब के ही नल।19
घटता भू जल सूखी नदियां, जाने तो अच्छी हो दुनिया।20

rajnish manga
05-12-2013, 10:41 PM
पाइप से हम फर्श न धोएं, गाड़ी पर हम जल ना खोएं।21
टूंटी कभी न खुल्ली छोड़ें, व्यर्थ बहे जल झटपट दौड़ें।22
बिन मतलब छिड़काव करें ना, जल का व्यर्थ बहाव करें ना।23
जल की सोचें, कल की सोचें, जीवन के पल-पल की सोचें।24
बड़ी भूल है भूजल दोहन, यही बताता है भूकम्पन।25
कम वर्षा है अति तड़पाती, बिन पानी खेती जल जाती।26
वर्षा जल एकत्र करेंगे, इसी बात का ध्यान धरेंगे।27
बर्तन मांजें वस्त्र खंगालें, उस जल को बेकार न डालें।28
पौधे सींचें आंगन धोलें, कण-कण में जीवन रस घोलें।29
जीवन जीवाधार सदा जल, कुदरत का उपहार सदा जल।30
धन संचय तो करते हैं सब, जल-संचय भी हम कर लें अब।31
हम सब मिल संकल्प करेंगे, पानी कभी न नष्ट करेंगे।32
सोचें जल बर्बादी का हल, ताकि न आए संकट का कल।33
सुनलें जरा नदी की कल कल, उसमें कभी नहीं डालें मल।34
जीवन का अनमोल रतन जल, जैसे बचे बचाएं हर पल।35
हरे-भरे हम पेड़ लगाएं, उमड़-घुमड़ घन बरखा लाएं।36
पेड़ों के बिन मेघ ना बरसें, लगें पेड़ तो फिर क्यों तरसें।37
जल से जीवन, जीवन ही जल, समझें जब यह तभी बचे जल।38
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा, बूंद-बूंद से घड़ा भरेगा। 39
जन जन हमें जगाना होगा, जल सब तरह बचाना होगा।40

rajnish manga
05-12-2013, 10:44 PM
दोहे


कूएं नदियां बावड़ी, जब लौं जल भरपूर।
तब लौं जीवन सुखभरा, बरसे चहुं दिस नूर।।1


जल बचाव अभियान की, मन में लिए उमंग।
आओ सब मिलकर चलें, “रमेश गोयल” संग।।2

rajnish manga
05-12-2013, 10:46 PM
सचिन -चालीसा
(रचना: सुश्री राजेश अरोरा)

जय जय सचिन रनों के सागर।कीन्हा भारत नाम उजागर।।१।।
बरसन से क्रिकेट में छाये।दुनिया भर में नाम कमाये।।२।।
हाथ बाल और बैट बिराजै।दाढ़ी मूंछ फ्रेंच कट साजै।।३।।
महावीर क्रिकेट के संगी।जमते पहने शर्ट तिरंगी।।४।।
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rajnish manga
05-12-2013, 10:52 PM
"कपिल " "गावस्कर " कीन्ह बड़ाई।तुम मम प्रिय "तेंदुलकर " भाई॥२१॥
नंगे सर ,बल्ला कर माही।शतक मार गये अचरज नाही॥२२॥
"मास्टर -ब्लास्टर " सही कहाते।फैन प्रशंसा कर न अघाते॥२३॥
कई विकेट भी तुम ले लीन्हा।स्पिन बॉलर अचरज कीन्हा ॥२४॥
बड़ो -बड़ो के विकेट उखाड़े।बॉलिंग में भी झंडे गाड़े॥२५॥
और क्रिकेटर चित न धरई । "सचिन "सेई ,बाल जो धुनइ॥२६॥
संकट से तुम सदा बचायो।जब -जब भारत हारत पायो॥२७॥
पी पी पेप्सी छक्के मारो।भारत तारो ,भारत तारो॥२८॥
....
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rajnish manga
05-12-2013, 10:59 PM
सैनिक चालीसा
(साभार रचनाकार व श्री सुरेश कुमार “सौरभ”)

दोहा-

जिस पर माता भारती, करती है अभिमान।
कोटि-कोटि तुमको नमन, सैनिक वीर जवान।।

चौपाई-

जय सैनिक जय राष्ट्र-पुजारी। श्रद्धा के तुम हो अधिकारी।।
वक्ष विराट भीम सम काया। शिरस्त्राण दृढ़ शीश लगाया।।
है विशिष्ट परिधान सुशोभित। अस्त्र-शस्त्र सँग रहे सुसज्जित।।
हिरणों के जैसी चंचलता। तुममें अद्भुत छिपी चपलता।।
वर्षा, ग्रीष्म, शरद तुम सहते।कठिनाई से लड़कर रहते।।
तीव्र तप्त रेगिस्तानों में। घने वन्य में, वीरानों में।।
बर्फीली आँधी से लड़ते। दुर्गम पथ पर आगे बढ़ते।।
पर्वत के दुरूह अंचल में। तुम पयोधि के गहरे जल में।।
तुम घाटी की गहराई में। तुम हो नभ की ऊँचाई में।।
सीमा के चौकन्ने प्रहरी। दृष्टि शत्रु पर प्रतिपल ठहरी।।
जहाँ शत्रु की आहट पाते। अस्त्र तुम्हारे झट उठ जाते।।
शत्रु नहीं टिक पाये आगे। हुँकारों से डरकर भागे।।
प्रिय तुमको है शीश कटाना। पग को पीछे नहीं हटाना।।
ऐसे हो तुम वीर समर के। चलते प्राण हथेली धर के।।
माँ को आँख उठा जो ताके। फोड़ दिया करते हो आँखें।।
कफ़न बाँध रणभूमि उतरते। कभी मृत्यु-भय से ना डरते।।
चीन देश ने जब ललकारा। तुरत चुनौती को स्वीकारा।।
शत्रु पक्ष था पर्वत उपर। तुम पर्वत के नीचे रहकर।।
ऐसी जागी राष्ट्र भावना। डटकर करते रहे सामना।
लहू-रंग से खेली होली। अन्तकाल तक झेली गोली।।
अद्भुत साहस को दर्शाया। मातृभूमि पर प्राण लुटाया।।
यही वीरता की है गाथा। झुका हिमालय का ना माथा।।

rajnish manga
05-12-2013, 11:01 PM
लड़कर हो जाते बलिदानी। किन्तु कदापि हार ना मानी।।
करगिल में जब पाकिस्तानी। सीमा में घुसने की ठानी।।
पाकी रावण तुमने देखा। खींच दिया तब लक्ष्मण रेखा।।
सिंह समान शत्रु पर गरजे। काल-मेघ बनकर फिर बरसे।।
बही रक्त की ऐसी धारा। पाक-सैन्य-दल डूबा सारा।।
भारत माँ का उजला अंचल। बना रहा वैसे ही निर्मल।।
अपने गाँव-नगर को छोड़ा। सरहद से जब नाता जोड़ा।।
निकले जब तुम अपने घर से। काँप गई तब माता डर से।।
गिरा अश्रु माँ के नयनों का। किन्तु नहीं जाने से रोका ।।
कहा पुत्र भारत भी माँ है। इसका पद मुझसे ऊँचा है।।
मन से इसकी सेवा करना। इस पर जीना इस पर मरना।।
सफल हुआ पितु का भी जीना। फुला गर्व से उनका सीना।।
दे आशीष कहा सुत जाओ। भारत माँ का कर्ज़ चुकाओ।।
पत्नी ने निज धर्म निभाया। प्रिय पति का उत्साह बढ़ाया।।
रो कर दुर्बल नहीं बनाया। हँसते-हँसते विदा कराया।।
धन्य पिता वो माताएँ हैं। वीर लाल जो जन्माएँ हैं।।
भाग्यवान वो नगर-ग्राम हैं। जो शहीद के जन्मधाम हैं।।
स्वयं जगे ही रात बिताते। और चैन से हमें सुलाते।।
संकट में अपने को डाले। सावधान तुम शस्त्र सम्भाले।।
करते रक्षा सदा हमारी। देश तुम्हारा है आभारी।।

दोहा-

हे सपूत इस राष्ट्रके, तुम हो सर्व महान।
तुमसे ही ये टिका है, अपना हिन्दुस्तान।।

भारत माँ तुमको करे, ऊर्जा-शक्ति प्रदान।
रखें सुरक्षित हर जगह, सदा तुम्हें भगवान।।
**

rajnish manga
05-12-2013, 11:15 PM
मोबाईल चालीसा

दोहा -
संचार कुल भवानी, मैसेज अवतारी,
जग में नेटवर्क बड़ा, सबके लिंक धारी।।

जय जय मोबईल भवानी, सिम शक्ति बातें सुहानी ।। 1 ।।
रूप तुम्हारा मन भाता, जनजन खूब है बतियाता ।। 2 ।।
महत्ता सबने है पहचानी, नर नारी साधु ने मानी ।। 3 ।।
महिमा विदित तुम्हारी, सर्वत्र संदेश अवतारी।। 4 ।।
तुमने अवधारणा बदली, नेटवर्क से मची खलबली ।। 5 ।।
जगत का सिकुड़ा दायरा, अब समीप लगे है मायरा ।। 6 ।।
सबके मन तुम हो ध्याता, जगत पहुँच अद्भुत ज्ञाता ।। 7 ।।
इंटरनेट ज्ञान जुटाते, सभी का मान तुम बढ़ाते ।। 8 ।।
नेटवर्क सम्पर्क बढ़ाया, नया परिचय है करवाया ।। 9 ।।
चेटिंग-डेटिंग करवाया, प्रेमीजन मन है ललचाया ।। 10 ।।
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rajnish manga
05-12-2013, 11:17 PM
इनकमिंग व आउटगोइंग, इंटरनेशनल हो रोमिंग ।। 37 ।।
एफएम रेडियो भी रखते, कैमरा से फोटो खींचते ।। 38 ।।
मोबाईल तुम कहलाते, सबका तुम संदेश लाते ।। 39 ।।
संदेशधारी बन पधारो व्यस्त लाइन संकट उबारो ।। 40 ।।

दोहा -
जय मोबाईलेश्वर, कॉलर है बेहाल
लाइनें क्लियर करो, प्रतीक्षा में कॉल ।।

(रचयिता: मोहम्मद आरिफ)

rajnish manga
06-12-2013, 12:44 PM
भैंस चालीसा
रचनाकार: दुष्यंत कुमार चतुर्वेदी

महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई

मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
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तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई

rajnish manga
06-12-2013, 12:45 PM
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भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
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हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई- भैंस सभी को दूध पिलायी
भैंस न कोइ इलैक्शन चाहे- भैंस ना कोइ सेलेक्शन चाहे
इसकी नज़र मे एक हैं सारे- मोटे पतले गोरे कारे
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भैंस ना कोई करै हवाला- भैंस करै ना कोइ घोटाला
ता सौं भैंस हमें है प्यारी- मंगल भवन अमंगल हारी


अकल बेअकल जो मरै, अन्त सवारी भैंस
भैंस बङी है अकल से, फईनल हो गया केस

rajnish manga
06-12-2013, 12:48 PM
मोदी चालीसा
रचनाकार: ब्रिटिश नंदी

नमो नमो ज्ञान गुन सागर।कमलदूत तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। "हिरा बा'सुत नरेंदर नामा।।
महाबीर बलि गुर्जरसेरा। खमणप्रताप बहु अतुलित वीरा।।
केसरी बरन बिराज सुबेसा।उग्र मूंछदढी सुभ्रति केसा।।
मुखपर ऐनक सदा बिराजै।गुर्जर भासा जनेउ साजे।।
संकर सुवन कमलिनिनंदन।तेजप्रताप बीजेपी बंदन।।
बहुबलवान गुनि अति चातुर।राजकाज करिबे को आतुर।।
नमो चरित्र सुनिबे को रसिया।मन में तिहुं सिंघासन बसिया।।
सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रुप धरी गोध्रा जरावा।।
"अटल' सुमिरे कहै मित बानी। "मम गुरुदेव लाल अडवानी'।।
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rajnish manga
06-12-2013, 12:49 PM
इंटरनेट मेलि मुख माहीं।जलधि लांघी गये अचरज नाहीं।।
ट्विटर फेसबुक सोसल नेटवर्का। शहा अमितवा हीरा परखा।।
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संकट तें अब "नमो' छुडावें। मनमोहन की नींद उडावें।।
राम रसायन तुमरे पासा।सदा रहो सत्ता के दासा।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदी महा सुख होई।।
जो यह पढै नमोचालिसा।उसका मुख हो तब राहुलसा।।
हमरा क्या हम तो मतदाता। जो आए, सो ताली बजाता
नंदीदास कहे गुर्जरबीरा।कीजै मतदाता मनमहॅं डेरा।।
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rajnish manga
20-08-2014, 01:33 PM
फ़िल्मी चालीसा

दोहा: सहगल चरण स्पर्श कर, नित्य करूँ मधुपान
सुमिरौं प्रतिपल बिमल दा निर्देशन के प्राण
स्वयं को काबिल मानि कै, सुमिरौ शांताराम
ख्याति प्राप्त अतुलित करूँ, देहु फिलम में काम

चौपाई: जय जय श्री रामानंद सागर, सत्यजीत संसार उजागर
दारासिंग अतुलित बलधामा, रंधावा जेहि भ्राता नामा
दिलीप 'संघर्ष' में बन बजरंगी, प्यार करै वैजयंती संगी
मृदुल कंठ के धनी मुकेशा, विजय आनंद के कुंचित केशा।

विद्यावान गुनी अति जौहर, 'बांगला देश' दिखाए जौहर
हेलन सुंदर नृत्य दिखावा, लता कर्णप्रिय गीत सुनावा
हृषीकेश 'आनंद' मनावें, फिल्मफेयर अवार्ड ले जाएं
राजेश पावैं बहुत बड़ाई, बच्चन की वैल्यू बढ़ जाई

rajnish manga
20-08-2014, 01:34 PM
बेदी 'दस्तक' फिलम बनावें, पब्लिक से ताली पिटवावें
पृथ्वीराज नाटक चलवाना, राज कपूर को सब जग जाना
शम्मी तुम कपिदल के राजा, तिरछे रोल सकल तुम साजा
हार्कनेस रोड शशि बिराजें, वाम अंग जैनीफर छाजें

अमरोही बनायें 'पाकीजा', लाभ करोड़ों का है कीजा
मनोज कुमार 'उपकार' बनाई, नोट बटोर ख्याति अति पाई
प्राण जो तेज दिखावहिं आपैं, दर्शक सभी हांक ते कांपै
नासैं दुख हरैं सब पीड़ा, परदे पर महमूद जस बीरा

आगा जी फुलझड़ी छुड़ावैं, मुकरी, ओम कहकहे लगावैं
जुवतियों में परताप तुम्हारा, देव आनंद जगत उजियारा
तुमहिं अशोक कला रखवारे, किशोर कुमार संगित दुलारे
राहुल बर्मन नाम कमावें, 'दम मारो दम' मस्त बनावें

rajnish manga
20-08-2014, 01:39 PM
नौशादहिं मन को अति भावें, शास्त्रीय संगीत सुनावें
रफी कंठ मृदु तुम्हरे पासा, सादर तुम संगित के दासा
भूत पिशाच निकट पर्दे पर आवें, आदर्शहिं जब फिल्म बनावें
जीवन नारद रोल सुहाएं, दुर्गा, अचला मा बन जाएं

संकट हटे मिटे सब पीड़ा, काम देहु बलदेव चोपड़ा
जय जय जय संजीव गुसाईं, हम बन जाएं आपकी नाईं
हीरो बनना चाहे जोई, 'फिल्म चालीसा' पढ़िबो सोई
एक फिलम जब जुबली करहीं, मानव जनम सफल तब करहीं

बंगला कार, चेरि अरु चेरा, 'फैन मेल' काला धन ढेरा
अच्छे-अच्छे भोजन जीमैं, नित प्रति बढ़िया दारू पीवैं
बंबई बसहिं फिल्म भक्त कहाई, अंत काल हालीवुड जाई
मर्लिन मनरो हत्या करईं, तेहि समाधि जा माला धरईं

दोहा: बहु बिधि साज सिंगार कर, पहिन वस्त्र रंगीन
राखी, हेमा, साधना, हृदय बसहु तुम तीन.

(वीरेन्द्र सिंह गोधरा)
यह कविता पुरानी फिल्म पत्रिका 'माधुरी' के 15 सितंबर 1972 के अंक में छपी थी

rajnish manga
12-02-2015, 11:01 PM
पहले एक मोदी चालीसा दी जा चुकी है. इन्टरनेट महाराज ने एक और मोदी चालीसा पढ़ने का अवसर दिया है. तो यह चालीसा भी नीचे दी जा रही है. (अब तो सुना है भक्तजन मंदिर भी बना रहे हैं). धन्य है:

श्री मोदी चालीसा

जय नरेन्द्र ज्ञान गुन सागर।
जय मोदी तिहुँ लोक उजागर।।
विकासदूत अतुलित साहस धामा।
हीराबेनपुत्र दामोदर सुतनामा।।
महावीर तुम पुराने संघी।
कुराज निवाड़ सुराज के संगी।।
गौर वर्ण विराज सुवेसा।
आँखन चश्मा कुंचित केसा।।
जनप्रदत्त विजयी ध्वजा विराजै।
कांधे भाजपाई अंगोछा साजै।।
अति ओजस्वी दामोदरनंदन।
तेज विकास हेतुजगवंदन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
जनदुःखभार हरन को आतुर।।
प्रगति चरित्र सुनिबै को रसिया।
देशभक्त भारतीय जनता मनबसिया।।
स्वयंसेवक रूप धरि जनबीच जावा।
मुख्यमंत्री रूप धरि कच्छ बनावा।।
भीम रूप धरि दंगाई संहारे।
भारत माँ के काज संवारे।।

rajnish manga
12-02-2015, 11:05 PM
लाये सुराज जनविश्वास जियाये।
भारतजन हरषि उर लाये।।
देशभक्त सब कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम सर्वप्रिय सब कर भाई।।
सहस वतन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि जनमत कंठ लगावैं।।
भागवतादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
राजनाथ जेटली सहित अहीसा।।
उद्योगपति कुबेर जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
सबपर तुम तपस्वी राजा।
जनता के सकल काज तुम साजा।।
तुम उपकार टाटा पर कीन्हा।
भूमि दिलाय जग को नैनो दीन्हा।।
तुम्हरी भक्ति करें अंबानी।
महिमा अमित न जाय बखानी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी।।
गांधीनगर में तुम्हीं विराजत।
तिहूँ लोक में डंका बाजत।।

(सभी मित्रों से निवेदन है कि इतने से ही काम चलायें)

soni pushpa
13-02-2015, 04:26 PM
:laughing:...bahut khoob

rajnish manga
13-02-2015, 10:55 PM
:laughing:...bahut khoob


pushpa soni ji aur arvind shah ji ko meri yh pratuti pasand aayi, unka bahut bahut dhanywad.