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View Full Version : गीत- आये हो फिर गीत चुराने


आकाश महेशपुरी
11-12-2013, 02:21 AM
गीत- आये हो फिर गीत चुराने

जीवन मेँ तुम आग लगाने
आये हो फिर गीत चुराने

जी का ये जंजाल रखा है
रोग ग़मोँ के पाल रखा है
जब जब ये आँखे हैँ रोतीँ
जज़बातोँ के छनते मोती
उस मोती को मीत बनाया
एक सुरीला गीत बनाया
महफिल मेँ तुम लगे सुनाने-
आये हो फिर गीत चुराने

बात कहेँगे विल्कुल सच्चे
कविता के हम जनते बच्चे
प्यार बहुत इनपर है आता
नर होकर भी हम हैँ माता
तुम हमको रंजूर करोगे
माँ बेटे को दूर करोगे
इतनी गहरी चोट लगाने-
आये हो फिर गीत चुराने

सुख देँगी क्या चीजेँ दूजी
हम कवियोँ की कविता पूँजी
वही चुरा के ले जाओगे
जख़्म नये कुछ दे जाओगे
छीनोगे पहचान हमारी
संकट मेँ है जान हमारी
मर जायेँगे सोलह आने-
आये हो फिर गीत चुराने

गीत- आकाश महेशपुरी
Aakash maheshpuri
पता-
वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरस्थान
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
aakashmaheshpuri@nokiamail.com

rajnish manga
12-12-2013, 10:58 AM
[quote=आकाश महेशपुरी;429208]

रचना का विषय 'उलाहने' पर आधारित होने के बावजूद लय व मधुरता में कोई कमी नहीं आने दी गयी. फलस्वरूप, यह एक श्रेष्ठ गीत का आनन्द देती है. एक-दो स्थानों पर संपादन किया जा सकता है:


जी का ये जंजाल रखा है
रोग ग़मोँ का पाल रखा है

बोल कहेँगे विल्कुल सच्चे
कविता के हम जनते बच्चे

आकाश महेशपुरी
29-12-2013, 04:44 PM
आदरणीय
रजनीश मांगा जी!
सादर धन्यवाद्।