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View Full Version : भारत का संविधान


khalid
08-11-2010, 07:39 AM
दोस्तोँ मैँ एक सुत्र बना रहा हुँ भारत का संविधान
इस सुत्र का मकसद हैँ संविधान के बारे मेँ जानने का अगर आपलोगोँ के पास इस तरह की अगर जानकारी हो तो कृप्या आपलोग जरुर पोस्ट करेँ
धन्यवाद

khalid
08-11-2010, 07:48 AM
14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को हमारा देश आजाद हुआ
अब हम अपने आप यह तय कर सकते थे कि हमारी सरकार कैसी हो कैसे चुनी जाऐ और देश का शासन कैसे चले ।

khalid
08-11-2010, 07:54 AM
किसी देश की राजनीतीक व्यवस्था के बुनियादी
सांचे-ढांचे को संविधान कहते हैँ
हमारे देश का एक लिखित संविधान हैँ
यह हमारे लंबे स्वाधीनता संघर्ष की उपज हैँ

khalid
08-11-2010, 08:03 AM
इसे हमने अपनी संविधान सभा मेँ 1946-1949
के बीच बनाया
यह संविधान 26 जनवरी 1950 को लागु हुआ
इसी दिन से हम एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य बन गए अर्थात ऐसा राज्य जिसमेँ जनता के अपने चुने हुऐ प्रतिनिधियोँ का राज हो

khalid
08-11-2010, 09:12 AM
संविधान राज्य के प्रमुख अंगो की स्थापना करता हैँ
विधानपालिका यानी संघ की संसद तथा राज्योँ की विधान सभाऐँ कानुन बनाती हैँ कार्यपालिका यानी मंत्रिमंडल कानुनोँ के अनुसार सरकार चलाती हैँ

khalid
08-11-2010, 09:19 AM
न्यायपालिका अर्थात अदालतेँ विवादोँ का निपटारा और न्याय करती हैँ संविधान इन प्रमुख अंगो के अलग अलग अधिकार क्षेत्रोँ और आपस के तथा जनता के साथ संबंधो की व्यख्या करता हैँ

khalid
08-11-2010, 03:00 PM
राज्योँ और भारत संघ के बीच संबंधोँ का स्पष्टीकरण करता हैँ
उनके बीच शक्तियोँ का बँटवारा करता हैँ
तथा परस्पर अधिकारोँ के दायरे मेँ बांधता हैँ
1992 मेँ हुए ताजा संविधान संशोधनोँ के बाद स्थानीय निकायोँ अर्थात ग्राम पँचायतोँ जिला परिषदोँ और नगरपालिकाओँ के अधिकार और कार्य क्षेत्र भी संविधान मेँ हीँ दे दिए गऐ हैँ

abhisays
09-11-2010, 06:33 PM
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं। संविधान में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था की गई है जिसकी संरचना कुछ अपवादों के अतिरिक्त संघीय है। केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्द्रीय संसद की परिषद् में राष्ट्रपति तथा दो सदन है जिन्हें राज्यों की परिषद् राज्यसभा तथा लोगों का सदन लोकसभा के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्ट्रपति इस मंत्रिपरिषद् की सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्पादन करेगा। इस प्रकार वास्तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में निहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।
मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रति उत्तरदायी है। प्रत्येक राज्य में एक विधान सभा है। जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में एक ऊपरी सदन है जिसे विधान परिषद् कहा जाता है। राज्यपाल राज्य का प्रमुख है। प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति उसमें विहित होगी। मंत्रिपरिषद्, जिसका प्रमुख मुख्य मंत्री है, राज्यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्पादन में सलाह देती है। राज्य की मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।
संविधान की सातवीं अनुसूची में संसद तथा राज्य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ संसद में विहित हैं। केन्द्रीय प्रशासित भू-भागों को संघराज्य क्षेत्र कहा जाता है।


contributed by भारतीय.. जी..

भारतीय
13-11-2010, 06:02 AM
इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद

YUVRAJ
15-11-2010, 12:21 PM
वाह क्या बात है। जिन जानकारियों से दूर था यहाँ देख कर मन प्रसन्न हुआ।
आप सभी को हार्दिक धन्यवाद।
जहाँ रहता हूँ उस देश में तो पुराने संविधान को हटा कर नये संविधान बनाने पर राजनीति चल रही है दोस्तों और इस देश को इसकी जरूरत भी है।

khalid
16-11-2010, 01:45 PM
पंचायतोँ से लेकर पार्लियामेँट अथवा संसद तक और पंचायत अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रपति तक सभी संविधान से बंधे हैँ
संविधान के अनुसार ही देश का सारा शासन तंत्र चलता हैँ
इसलिए प्रत्येक भारतवासी के लिए जरुरी हैँ कि वह अपने संविधान के बारे मेँ जाने

khalid
16-11-2010, 01:53 PM
यह क्या हैं क्योँ हैँ कैसे चलता हैँ इसके अनुसार हमेँ क्या अधिकार मिलते हैँ
हमारे क्या कर्तव्य बनते हैँ
हर संविधान की सफलता उसे चलाने वाले लोगोँ के आचरण पर निर्भर होती हैँ
लोकतंत्र मेँ संविधान को सही प्रकार चलाने की जिम्मेदारी हर नागरिक की होती हैँ

khalid
16-11-2010, 02:03 PM
संविधान को समझने के लिए उसके अतीत को जानना जरुरी हैँ
भारत के संविधान की कहानी बडी रोचक हैँ प्राचीन भारत मेँ शासक धर्म से बंधे हुए थे
प्रजा को भी धर्म का पालन करना होता था
धर्म किसी मजहब संप्रदाय या पंथ से जुडा हुआ नहीँ था आजकल जिसे कानुन का या विधि का शासन कहते हैँ वहीँ धर्म के शासन की भावना थी राजधर्म ही संविधान था

khalid
16-11-2010, 02:13 PM
भारत मेँ शासन तंत्र और संविधान के प्रथम सुत्र मिलते हैँ
वेद स्मृति पुराण महाभारत रामायण और फिर बोध्द और जैन साहित्य मेँ कौटिल्य के अर्थशास्त्र और शुक्रनीति मेँ प्राचीन भारत मेँ सभा समिती और संसद के अनेक उल्लेख मिलते हैँ कितने ही गणतंत्रोँ के प्रमाण मिलते हैँ संसार के सबसे पुराने गणतंत्र भारत मेँ ही जन्मे पनपे

ndhebar
17-11-2010, 06:43 AM
शायद ये विषय मेरी समझ से परे है
या फिर इस पर गहन चिंतन की जरुरत है जो मेरे बस का नहीं

khalid
17-11-2010, 09:30 AM
1757 मेँ प्लासी की लडाई मेँ विजय के साथ भारत मेँ अंग्रेजी राज की नींव पडी
1857 का व्यापक सिपाही विद्रोह अंग्रेजी राज के विरुध्द भारतीयोँ का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था
विद्रोह को निर्ममता के साथ दबा दिया गया किँतु इसके साथ ही भारत मेँ कंपनी शासन समाप्त हो गया
कंपनी के अधीन क्षेत्रोँ पर सीधे ब्रिटिस सरकार का शासन लागु हो गया

khalid
17-11-2010, 09:44 AM
संवैधानिक सुधारोँ पर विचार करने के लिए अंग्रेजोँ का साइमन कमीशन भारत मेँ आया
ब्रिटिश शासकोँ ने कहा कि भारतीयोँ मेँ अपने लिए संविधान बनाने की क्षमता नहीँ हैँ
इस चुनैती के जवाब मेँ मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता मेँ बनी समिति ने एक संविधान का प्रारुप तैयार किया जो नेहरु रिपोर्ट के नाम से प्रसिध्द हुआ
अंग्रेजोँ के शासन मेँ स्वयं भारतीयोँ द्वारा बनाए गए किसी संविधान की पह पहली रुपरेखा थी

khalid
17-11-2010, 01:09 PM
इसे सभीदलोँ का समर्थन प्राप्त हुआ था
31 12 1929
को जवाहरलाल नेहरु की अध्य्क्षता मेँ कांग्रेस ने पुर्ण स्वराज का लक्ष्य अपनाया
1930 से हर वर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता प्रण दोहराया जाने लगा
26 जनवरी तब तक स्वाधीनता दिवस के रुप मेँ मनाई जाती रही जबतक देश स्वाधीन न हो गया

munneraja
17-11-2010, 01:17 PM
मैं एक जीवंत प्रश्न रखना चाहता हूँ

भारतीय संविधान में सभी भारतियों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं
तो फिर नेता लोग किसी जाती विशेष को आरक्षण क्यों दे रहे हैं

khalid
17-11-2010, 01:30 PM
मैं एक जीवंत प्रश्न रखना चाहता हूँ

भारतीय संविधान में सभी भारतियों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं
तो फिर नेता लोग किसी जाती विशेष को आरक्षण क्यों दे रहे हैं

क्या कहुँ दादा
इस मामले मेँ आप बडे है दुनिया आपने बेहतर अंदाज मेँ देखा हैँ

khalid
17-11-2010, 01:54 PM
संविधान सभा की पहली बैठक 9 .12 .1946
को ही हो गई थी
15 अगस्त 1947
से संविधान सभा स्वाधीन भारत की प्रभुसत्ता संपन्न संविधान सभा बन गई
डा. राजेन्द्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे और डा. भीमराव आंबेडकर संविधान की प्रारुप समिति के सभापति
यह कोई मामुली बात नहीँ थी कि संविधान सभा एक ऐसा संविधान बना सकी जो इस विशाल देश के एक छोर से दुसरे छोर तक लागु हो तथा कितनी ही विविधताओँ के बीच एकता पुष्ट करने मेँ सफल हो
डा. आंबेडकर ने 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा मेँ बोलते हुए बडे महत्वपुर्ण शब्दोँ मेँ कहा था मैँ महसुस करता हुँ कि संविधान चाहे कितना अच्छा क्योँ न हो यदि वे लोग जिन्हेँ संविधान को चलाने का काम सोँपा जाएगा खराब निकले तो निश्चित रुप से संविधान भी खराब सिध्द होगा
दुसरी ओर संविधान चाहे कितना भी खराब क्योँ न हो यदि उसे चलाने वाले अच्छे लोग हुए तो संविधान अच्छा सिध्द होगा

aksh
17-11-2010, 02:26 PM
मैं एक जीवंत प्रश्न रखना चाहता हूँ

भारतीय संविधान में सभी भारतियों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं
तो फिर नेता लोग किसी जाती विशेष को आरक्षण क्यों दे रहे हैं

संविधान में ही आरक्षण के लिए व्यवस्था की गयी थी. पर उस समय ये नहीं सोचा गया था कि इसको इतने दिन चलाना पड़ेगा. अब ये नेताओं और छुटभैयों के हाथ में जनता को बेवकूफ बनाने का एक हथियार मात्र रह गया है. पर इसकी व्यवस्था हमारे संविधान के अन्दर ही है. अगर हम स्वयं ही इस व्यवस्था को उखड फेंके तो बात अलग है ये नेता तो इसको आपको लुभाने के लिए इस्तेमाल करते ही रहेंगे.

aksh
17-11-2010, 02:30 PM
अनुज खालिद ! आपने बहुत ही अच्छा सूत्र बनाया है. धीरे धीरे इसी तरह इसमें जानकारी डालते रहो और इसे आगे बढ़ाते रहो. धन्यबाद.

khalid
18-11-2010, 12:16 PM
26 नवंबर 1949 को
डा.राजेन्द्र प्रसाद ने अपने समापन भाषन मेँ स्मरणीय शब्दो मेँ देशवासियोँ को चेतावनी देते हुए कहा था
कि कुल मिलाकर संविधान सभा एक अच्छा संविधान बनाने मेँ सफल हुई थी
और उन्हेँ विश्वास था
कि यह संविधान देश की आवश्यकताओँ को पूरा कर सकेगा
किन्तु यदि लोग जो चुनकर आएगेँ योग्य चरित्रवान और ईमानदार हुए तो वे दोषपुर्ण संविधान को भी सर्वोत्तम बना देगेँ यदि उनमेँ इन गुणोँ का अभाव हुआ तो संविधान देश की कोई मदत नहीँ कर सकता

khalid
18-11-2010, 12:27 PM
संविधान पर सदस्योँ द्वारा 24 जनवरी 1950
को हस्ताक्षर किए गए
इसके बाद राष्ट्रगान के साथ अनिश्चित काल के लिए संविधान सभा स्थगित कर दी गई
किँतु इसके साथ संविधान की यात्रा समाप्त नहीँ हुई
यह तो कहानी का आरंभ था इसके बाद संविधान का कार्यकरण शुरु हुआ
अदालतोँ द्वारा इसकी व्याख्या हुई

khalid
18-11-2010, 12:35 PM
विधानपालिका द्वारा इसके अंतर्गत कानुन बने
संविधानिक संशोधन हुए
इन सब के द्वारा संविधान निर्माण की प्रक्रिया जारी रही संविधान विकसित होता रहा बदलता रहा
समय समय पर जिस जिस प्रकार और जैसे जैसे लोगोँ ने संविधान को चलाया वैसे वैसे हीँ नए नए अर्थ इसे मिलते गए

khalid
19-11-2010, 09:24 AM
भारत का संविधान संसार का सबसे लंबा और विशाल संविधान हैँ
यह अनेक प्रकार से अनुठा भी हैँ
..
एक संविधान एक नागरिकता
..
हमारे समुचे देश के लिए एक ही संविधान हैँ
एक ही नागरिकता हैँ
राज्योँ के संविधान भी इसी का अभिनन अँग हैँ

khalid
19-11-2010, 09:31 AM
मूल अधिकार कर्तव्य और निदेशक तत्व
हमारे संविधान मेँ मूल अधिकारोँ का एक पुरा अध्याय हैँ
उन सीमाओँ का भी वर्णन किया गया हैँ जिनके अंतर्गत मूल अधिकारोँ को लागु किया जा सकता हैँ एक दुसरे अध्याय मेँ नागरिकोँ के कर्तव्योँ का उल्लेख किया गया हैँ

khalid
19-11-2010, 09:41 AM
राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद
...
संविधान ने भारत को एक गणराज्य बनाया हैँ
गणराज्य का अध्य्क्ष राष्ट्रपति हैँ
सरकार के सब काम राष्ट्रपति के नाम से किए जाते हैँ
राष्ट्रपति को केवल एक संविधानिक प्रमुख माना जाता हैँ
वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद के हाथोँ मेँ होती हैँ
मंत्रिपरिषद
जनता द्वारा निर्वाचित लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती हैँ
मंत्रिपरिषद मेँ प्रायः लोक सभा और राज्य सभा दोनोँ के सदस्य होते हैँ

amit_tiwari
19-11-2010, 04:03 PM
संविधान में ही आरक्षण के लिए व्यवस्था की गयी थी. पर उस समय ये नहीं सोचा गया था कि इसको इतने दिन चलाना पड़ेगा. अब ये नेताओं और छुटभैयों के हाथ में जनता को बेवकूफ बनाने का एक हथियार मात्र रह गया है. पर इसकी व्यवस्था हमारे संविधान के अन्दर ही है. अगर हम स्वयं ही इस व्यवस्था को उखड फेंके तो बात अलग है ये नेता तो इसको आपको लुभाने के लिए इस्तेमाल करते ही रहेंगे.


बन्धु भारतीय संविधान में मूल रूप से आरक्षण मात्र १५ वर्ष के लिए निर्धारित किया गया था |
मूल भारतीय संविधान में यह प्रत्यक्ष प्राविधान है की १९६५ तक आरक्षण रहेगा और इसके बाद यदि केंद्र सरकार एक समिति बना कर यह देखेगी कि आरक्षण को आगे बनाये रखा जाना चाहिए या नहीं, यदि समिति आरक्षण जारी रखने कि दिशा में निर्णय देती है तो भी आरक्षण एक बार में मात्र १० साल के लिए ही प्रभावी होगा |
इसका अर्थ क्या हुआ ?
१- भारतीय संविधान के निर्माता स्थायी आरक्षण के पक्ष में नहीं थे |
२- भीमराव आंबेडकर जी का राजनीतिकरण करने वाले यह तथ्य ना जानते हैं और ना बताते हैं कि खुद उन्होंने ही आरक्षण को सीमित रखने का पूरा उपाय किया |
३- हर सरकार चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही इसके बराबर के दोषी हैं क्यूंकि हर दस साल बार सरकार चुपके से समिति बनाती है, समिति पूर्व निर्धारित तरीके से हाँ में मुंडी हिलाती है और यह व्यवस्था आगे दस साल के लिए खिसका दी जाती है |
४- हम अपना ही संविधान पढ़ कर राजनेताओं से प्रश्न करने के स्थान पर पान और चाय की दूकान में खड़े हो के नेताओं को गरिया के अपना राष्ट्रिय दायित्व निभा लेते हैं |

arpitaghosh
20-11-2010, 12:08 PM
बहुत ही अच्छा विषय है।

khalid
20-11-2010, 01:28 PM
बहुत ही अच्छा विषय है।

हार्दिक आभार आपका
......

khalid
20-11-2010, 01:40 PM
संविधान ने बुनियादी तौर पर संघ तथा राज्य दोनो स्तरोँ पर संसदीय प्रणाली को अपनाया हैँ
किंतु हमारे यहाँ संसद भी अपनी मनमानी नहीँ कर सकती हैँ
उसके द्वारा पास किए गए कानुनोँ की जाँच न्यायपालिका कर सकती हैँ व्यक्तियोँ के मुल अधिकार न केवल कार्यपालिका के बल्कि विधानपालिका के विरुध्द भी लागु होते हैँ
संविधान निर्माताओँ का विश्वास था कि सभी को संजोने और साथ लेकर चलने और एक मजबूत भारत का निर्माण करने के लिए संसदीय प्रणाली ही सबसे अधिक अनुकुल थी

khalid
20-11-2010, 01:45 PM
वयस्क मताधिकार
हमारे देश के सभी
नर नारियोँ को बिना किसी भेद भाव के मत देने का अधिकार प्राप्त हैँ
मतदाता बनने के लिए वयस्कता की आयु 21 वर्ष रखी गई थी जो बाद मेँ 18 वर्ष करदी गई

khalid
20-11-2010, 01:56 PM
स्वतंत्र न्यायपालिका
भारत के संविधान मेँ एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई हैँ
उसे न्यायिक पुनरीक्षन की शक्तियाँ प्रदान की गई हैँ
अदालतेँ इस बात की जाँच कर सकती हैँ
कि विधानपालिका द्वारा बनाए गए कानुन अथवा सरकार के द्वारा दिए गए आदेश संविधान और विधि संगत हैँ या नहीँ
उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय एक ही न्यायिक संरचना के अँग हैँ
उनका अधिकार क्षेत्र सभी कानुनोँ अर्थात संध राज्य दीवानी फौजदारी या सांविधानिक कानुनोँ पर होता हैँ

malethia
03-12-2010, 11:20 AM
395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

VIDROHI NAYAK
12-12-2010, 12:14 PM
खालिद जी ...क्या महाभियोग इस देश की विशेषता है या बुराई? मुझे आज तक ऐसा ज्ञात नहीं हुआ की किसी महाभियोग का निर्णय हुआ हो..! कई जाजो पर लगा ये ...पर नतीजा सिफार ...इससे क्या सिद्ध होता है? क्या हमारे न्यायधीश इतने ही ईमानदार हैं या सारी जांचे बेमानी? पर कुछ भी हो ...ऐसा लगता है की हमारे सविंधान के कई नियम किसी व्यक्तिगत लाभों या व्यक्तिगत संरक्षण के लिए ही बने हो !
धन्यवाद !