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View Full Version : राजनीती


sombirnaamdev
16-01-2014, 04:59 PM
राजनीती के
मैदान में
सब नंगे के नंगे हैं !

मैला है वो
देश आज भी
सालो से बहती गंगे है !

खुश कम ही
मिलती यहाँ ,
हर कदम बिखरे दंगे है !

सोमबीर '' नामदेव ''

internetpremi
17-01-2014, 07:10 AM
राजनीतिज्ञ
=======
हर जगह संदेश टंगे हैं
उनके हाथ खून से रंगे हैं
पर वे सभी चंगे हैं

rajnish manga
17-01-2014, 08:28 PM
सोमबीर जी की कविता में झलकती पीड़ा महज़ एक व्यक्ति की पीड़ा नहीं बल्कि समाज के हर व्यक्ति की पीड़ा है. विश्वनाथ जी ने भी अपनी पंक्तियों में उसी पीड़ा को उजागर किया है. हमारी प्राचीन संस्कृति और हमारी गंगा मैया तक दूर खड़ी हो कर लाचारी से देख रही हैं. कोई कुछ नहीं कर पा रहा.

ndhebar
17-01-2014, 09:06 PM
राजनीती के
मैदान में
सब नंगे के नंगे हैं !

मैला है वो
देश आज भी
सालो से बहती गंगे है !

खुश कम ही
मिलती यहाँ ,
हर कदम बिखरे दंगे है !

सोमबीर '' नामदेव ''

मैला है वो = ये
खुश कम ही = खुशी
----------------------
भाव बढ़िया है
:bravo::bravo: