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View Full Version : आज के दौर में ऐ दोस्त / सुदर्शन फ़ाकिर


dipu
18-01-2014, 06:16 PM
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है
ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है

जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यूँ है

अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है

ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब "फ़ाकिर"
वर्ना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है

rajnish manga
20-01-2014, 09:43 PM
सुदर्शन फ़ाकिर की शायरी आज के जीवन की तल्ख़ सच्चाई को बयान करती है. महान गायक जगजीत सिंह ने उनकी बहुत सी नज्मों को आवाज़ दे कर अमर कर दिया है. प्रस्तुति हेतु धन्यवाद, दीपू जी.