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View Full Version : ! आशिकाना शायरी !


TIGERLOVE
09-11-2010, 08:50 PM
! आशिकाना शायरी !

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

कहना है की रुत जवा है
लेकिन हम तरस रहे हैं।
काली घटाओ के साए
विरहन को डस रहे हैं।
डर हैं न मार डाले
सावन का क्या ठिकाना।

सूरज कहीं भी जाए।
तुम पर न धुप आए।
तुमको पुँकारते हैं।
इन गेसुओं के साए।
आ जाओ में बना दूँ।
पलको का शामियाना।

मोसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना,

फिरते हैं हम अकेले।
बाहों में कोई लेले।,
आख़िर कोई कहाँ तक।
तन्हाई से खेले।
दिल हो गई हैं जालिम।
रातें हैं कातिलाना।


यह रात ये खामोशी।
यह खवाब से नज़ारे।
जुगनू है या जमीं पे।
या उतरे हुए हैं तारे।
बेखाब मेरी आँखें।
मदहोश है जमना।

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

jai_bhardwaj
09-11-2010, 10:03 PM
वाह !! क्या पाकीज़ा गीत है .........
धन्यवाद मित्र /

TIGERLOVE
10-11-2010, 07:00 AM
वाह !! क्या पाकीज़ा गीत है .........
धन्यवाद मित्र /
कद्र के लिए धन्यवाद कबूल करे !!

TIGERLOVE
10-11-2010, 07:45 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=2800&stc=1&d=1289360692
तू आसमां है चांद सितारों से पूछ ले

दुनिया के इन हसीन नज़ारों से पूछ ले






तुझको मैं रब कहूं तो बुरा मानते हैं लोग
तू मेरे दिल की बात इशारों से पूछ ले

तुझमें ही डूबने को बना है मेरा वजूद
दरिया से शर्म है तो किनारों से पूछ ले

डाली मेरे चमन की भी भीगी हुई सी है
सावन की हल्की हल्की फुहारों से पूछ ले

बेरंग सी हुई हैं फिज़ाएं तेरे बगैर
मेरा यकीं नहीं तो बहारों से पूछ ले

TIGERLOVE
15-11-2010, 05:52 PM
सपनो में मेरे चुपके से आया है कोई..
धीमे से एक गीत गुनगुनाया है कोई..

मैंने तो आँखों को अपनी बंद रखा था..
फिर भी मेरे दिल में समाया है कोई..

लब पे मुस्कान है चेहरे पे ख़ुशी छाई है..
बन के खुशबू हर तरफ महकाया है कोई..

अब मुझे होता है जिन्दगी जीने का अहसास..
मेरे जीवन में बन के ख़ुशी छाया है कोई..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE
15-11-2010, 05:53 PM
तुझे मांग कर खुदा से क्या ज्यादा मांग लिया मैंने..
क्या हो गया अगर जिंदगी को ही आजमा लिया मैंने..

लोग कहते है सदियों से के इश्क में रब बसता है..
गुनाह हो गया जो इश्क को ही खुदा मान लिया मैंने..

जब भी माँगा मैंने बस तेरी खुशी की दुआ ही मांगी..
मेरी खुशिया उडा के ले गई आई जो बक्त की आंधी..

सोचा था मागेगे तुझे खुदा के दर पर जा कर कभी..
तुझे खुदा मान के तेरे दर पर ही सर को झुका लिया मैंने..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE
16-11-2010, 07:14 AM
खुश रहे वो शायद जमाने भर की खुशियाँ पाकर..
हम तो दुनिया का दर्द अपने दिल में छुपाये बैठे हैं..

उनकी राहों के उजाले कभी कम न हो जाए..
यही सोचकर आज हम अपना घर जलाए बैठे हैं..

जमाने को तो नफरत है वफ़ा के नाम से ही..
हम तो इन बेवफाओ से भी आस लगाए बैठे हैं..

लोगो ने जाने कितने दिल जलाए होंगे मुफलिसी में..
‘हम’ तो ख़ुद अपनी चिता को आग लगाए बैठे हैं..

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

TIGERLOVE
16-11-2010, 07:17 AM
तू मेरे पास आए और पलट कर ना जाये
मैँ तेरे पाँव की अब जंज़ीर होना चाहता हूँ॥

अज़ल से ख्वाब बनकर तेरी आँखोँ मैँ रहा हूँ
मैँ अब शर्मीन्दा ए ताबीर होना चाहता हूँ॥

इसलिए मसमार खुद को कर रहा हूँ मैँ
मैँ तेरे हाथ से अब तामीर होना चाहता हूँ॥

===+===+===+===
:hypocrite: शेर-ऐ-आशिक :hypocrite:
===+===+===+===

kamesh
16-11-2010, 04:25 PM
! आशिकाना शायरी !

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

कहना है की रुत जवा है
लेकिन हम तरस रहे हैं।
काली घटाओ के साए
विरहन को डस रहे हैं।
डर हैं न मार डाले
सावन का क्या ठिकाना।

सूरज कहीं भी जाए।
तुम पर न धुप आए।
तुमको पुँकारते हैं।
इन गेसुओं के साए।
आ जाओ में बना दूँ।
पलको का शामियाना।

मोसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना,

फिरते हैं हम अकेले।
बाहों में कोई लेले।,
आख़िर कोई कहाँ तक।
तन्हाई से खेले।
दिल हो गई हैं जालिम।
रातें हैं कातिलाना।


यह रात ये खामोशी।
यह खवाब से नज़ारे।
जुगनू है या जमीं पे।
या उतरे हुए हैं तारे।
बेखाब मेरी आँखें।
मदहोश है जमना।

मौसम है आशिकाना।
ऐ दिल कहीं से उनको ।
ऐसे में ढूढ़ लाना।

वाह भाई वाह
क्या बात है
इस गीत को और मीना जी के दर्द को समझना भी बड़ा रहस्य मई है
वेस्ही इस गीत में दर्द की इन्तहां को कितने मासूम तरीके से पिरोया गया है जो गूढ़ अर्थ वाला ही समझ सकता है
और रही मीना जी की बात तो
उन का ही गाना उन पे कितना फिट है देखें
" ना जावो सैयां चुदा के बैयाँ
कसम तुम्हारी में रो पडूँगी "
और अभी एक एक कर के उन का हाथ छोड़ छोड़ कर चले गए और रह गयीं बस मीना जी और उन की तन्हैयाँ
सलाम मीना जी

kamesh
16-11-2010, 04:30 PM
कजरा की बाती में

असुवन के तेल में

आली में हार गयी

नेनन के खेल में

कजरा की बाती ....................

kamesh
16-11-2010, 04:35 PM
जा रे चल उड़ जा रे पंछी

बहारों के देश जा रे

यहाँ तेरा क्या है प्यारे

उजड़ गयी बगीया तेरे मन की जा रे

जा रे चल उड़ जा रे पंछी..................

kamesh
16-11-2010, 05:29 PM
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरजू थी मुलाकात की

kamesh
16-11-2010, 05:40 PM
जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें

ये जमी चाँद से बेहतर नजर आती है हमें

kamesh
22-11-2010, 03:53 PM
मुफ्त हुवे बदनाम किसी से हाय दिल को लगा के
जीना हुवा हराम किसी से हाय दिल को लगा के
मुफ्त हुवे बदनाम

Kumar Anil
23-11-2010, 05:05 AM
परिचय इतना इतिहास यही , उमड़ी कल थी मिट आज चली , मैँ नीर भरी दुख की बदली , मैँ नीर भरी दुख की बदली ।

Kumar Anil
23-11-2010, 05:11 AM
गिर - गिर के उठो , उठ - उठ के चलो , बस चलते रहना जीवन है , जब तलक तरँग उमँगोँ की , अवशेष समझ लो यौवन है ।

Kumar Anil
23-11-2010, 05:20 AM
नीँद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गयी , पाँव जब तलक उठे कि जिन्दगी फिसल गयी , और हम खड़े - खड़े वक्त से पिटे - पिटे , उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे ।

kamesh
27-11-2010, 06:56 PM
नीँद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गयी , पाँव जब तलक उठे कि जिन्दगी फिसल गयी , और हम खड़े - खड़े वक्त से पिटे - पिटे , उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे ।
वाह

क्या बात कही

कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे

kamesh
27-11-2010, 06:59 PM
कभी न कभी कहीं न कहीं

कोई न कोई तो आएगा

अपना मुझे बनाएगा

दिल मैं मुझे बिठाएगा

kamesh
27-11-2010, 07:05 PM
ये दुनिया उसी की जमाना उसी का

मुहब्बत मैं जो हो गया हो किसी का

Kumar Anil
30-11-2010, 02:48 PM
तसव्वुर तेरा जो मुझे छू जाये , मेरी हर साँस से तेरी ही खुश्बू आये , ये किस मोड़ पर लायी है तेरी जुस्तजू , पानी मेँ अक्स मेरा हो और नजर तू आये ।

masoom
03-12-2010, 07:59 PM
तेरी नज़र पे नज़र पड़ रही हे दुनिया की
न देख चश्मे करम से मुझे खुदा के लिए |

masoom
03-12-2010, 08:01 PM
क्यूँ तुझे देख के उठती हैं निगाहेँ मुझ पर
क्या तेरे चेहरे पे मेरा नाम लिखा होता है |

masoom
03-12-2010, 08:02 PM
अब तो आँखों में समाती नही सूरत कोई
आँखों को क्या हुआ है तुझे देखने के बाद |

ABHAY
08-12-2010, 11:45 AM
वफ़ा के रंग में डूबी हर शाम तेरे लिए ,
यह डगर, यह नगर,मेरा नाम बस तेरे लिए,
तू महेक्ति रहे चांदनी रातों की तरह,
इस नए साल का पैगाम तेरे लिए

ABHAY
08-12-2010, 11:46 AM
खुदा ने जब तुम्हे बनाया होगा
तू उससके दिल पे एक सरूर चाय होगा
सोचा होगा की तुझको जानत में रखूँ
फ़िर उस्सको मेरा ख्याल आया होगा

ABHAY
08-12-2010, 11:47 AM
खुशबू की तरह आपके पास बिखर जायेंगे,
सकूं बन कर दिल में उतर जायेंगे,
महसूस करने की कोशिश तो कीजिये,
दूर होते हुए भी पास नज़र आयेंगे

ABHAY
08-12-2010, 11:48 AM
वफ़ा के रंग में डूबी हर शाम तेरे लिए ,
यह डगर, यह नगर,मेरा नाम बस तेरे लिए,
तू महेक्ति रहे चांदनी रातों की तरह,
इस नए साल का पैगाम तेरे लिए

ABHAY
08-12-2010, 11:52 AM
तू कातिल तेरा दिल कातिल
तेरे गोरे गाल पे कला तिल कातिल हुम्हे तोह डर है जालिम आपस में लड़ न बेठे तू कातिल में कातिल……..

ABHAY
08-12-2010, 11:53 AM
दोस्त तो बहुत मिलते हैं ज़माने में
पर हर मोड़ पर साचा यार नहीं मिलता
यार तो बहुत होते हैं
दिल लगाने की
पर हर यार से सचा प्यार नहीं मिलता

ABHAY
08-12-2010, 11:54 AM
दूऊऊऊओर् से देखा तो बारिश हो रही थी,पाआआआअस् जाकर देखा तो “भींग गए”.
*******
शाह जहाँ ने ताज महल की हर दीवार को देखा,चार मीनार को देखा और कहा “माँ कसम कितना खर्चा हो गया”.
*******
फूलों से क्या दोस्ती करते हो वह तो मुरझा जाते हैं,करना है तो कांटो से दोस्ती करो जो चुभ कर भी याद आते हैं

ABHAY
08-12-2010, 12:05 PM
नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई,
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई,
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई,
चाह तो निकल सकी न, पर उमर निकल गई,
गीत अश्क़ बन गए,
छंद हो दफ़न गए,
साथ के सभी दिऐ धुआँ-धुआँ पहन गये,
और हम झुके-झुके,
मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

ABHAY
08-12-2010, 12:06 PM
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ,
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ,
हो सका न कुछ मगर,
शाम बन गई सहर,
वह उठी लहर कि दह गये किले बिखर-बिखर,
और हम डरे-डरे,
नीर नयन में भरे,
ओढ़कर कफ़न, पड़े मज़ार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

ABHAY
08-12-2010, 12:07 PM
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा

ABHAY
08-12-2010, 12:08 PM
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा

अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा

ABHAY
08-12-2010, 12:08 PM
अपने जज्बात को,
नाहक ही सजा देती हूँ...
होते ही शाम,
चरागों को बुझा देती हूँ...
जब राहत का,
मिलता ना बहाना कोई...
लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा,
लिख के मिटा देती हूँ......................

ABHAY
08-12-2010, 03:31 PM
एक पल का एहसास बनकर आती हो तुम !
दुसरे ही पल खुशबू के तरह उड़ जाती हो तुम !!
जानती हो डर लगता हैं तनहइयो से हमें !
फिर भी तनहा हमें छोड़ जाती हो तुम !!

ABHAY
08-12-2010, 03:33 PM
तुम आए हो जिंदगी में कहानी बनकर !
तुम आए हो जिंदगी में रात की चांदनी बन कर !!
बसा लेते हैं जिंदगी हम आँखों में !
तुम अक्सर निकल जाती हो आँखों से पानी बन कर !

Hamsafar+
08-12-2010, 06:23 PM
तनहा तनहा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे
जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे

किन राहों से दूर है मंजिल कौन सा रास्ता आसान है
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन है
हम तो उस दिन राए देंगे जिस दिन धोका खाएँगे

तनहा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे
जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे

ABHAY
08-12-2010, 07:41 PM
गुमनामियों मे रहना, नहीं है कबूल मुझको..
चलना नहीं गवारा, बस साया बनके पीछे..

वोह दिल मे ही छिपा है, सब जानते हैं लेकिन..
क्यूं भागते फ़िरते हैं, दायरो-हरम के पीछे..

अब “दोस्त” मैं कहूं या, उनको कहूं मैं “दुश्मन”..
जो मुस्कुरा रहे हैं,खंजर छुपा के अपने पीछे..

तुम चांद बनके जानम, इतराओ चाहे जितना..
पर उसको याद रखना, रोशन हो जिसके पीछे..

वोह बदगुमा है खुद को, समझे खुशी का कारण..
कि मैं चेह-चहा रहा हूं, अपने खुदा के पीछे..

इस ज़िन्दगी का मकसद, तब होगा पूरा “नीरज”..
जब लोग याद करके, मुस्कायेंगे तेरे पीछे..

Kumar Anil
13-12-2010, 11:07 AM
गुस्ताख दिल की क्या कहिए ,
मचल जाता है यह अक्सर ,
संवरता है हुस्न जब जब ,
बहक जाता है यह अक्सर ।

pankaj bedrdi
13-12-2010, 02:17 PM
बहुत बहुत मजा आया गजब के सुत्र

pankaj bedrdi
14-12-2010, 11:40 PM
हमारे आंसु पोछ कर आप मुस्कराते है आप इसी अदा से दिल चुराते है हाथ हमारा छु जाए चेहरे को इस लिए हम आप को बार बार रुलाते है

Bholu
31-03-2011, 09:38 AM
मुफ्त हुवे बदनाम किसी से हाय दिल को लगा के
जीना हुवा हराम किसी से हाय दिल को लगा के
और खो गया उनका नाम किसी से हाय दिल लगा के
मुफ्त हुवे बदनाम

amit_tiwari
01-04-2011, 11:42 AM
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे, तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
ऐ मेरे नए दोस्त मैं मानूंगा तुझे भी अपना, पहले खाए हुए ज़ख्म तो भर जाने दे
आग दुनिया की लगी हुई बुझ जाएगी, कोई लट तो मेरे सीने पे गिर जाने दे
ज़ख्म कितने चाहत से मिले हैं मुझको, सोचता हूँ के कहूँ तुझसे मगर जाने दे !

Bholu
01-04-2011, 11:46 AM
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे, तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
ऐ मेरे नए दोस्त मैं मानूंगा तुझे भी अपना, पहले खाए हुए ज़ख्म तो भर जाने दे
आग दुनिया की लगी हुई बुझ जाएगी, कोई लट तो मेरे सीने पे गिर जाने दे
ज़ख्म कितने चाहत से मिले हैं मुझको, सोचता हूँ के कहूँ तुझसे मगर जाने दे !

क्या बात है गुरू
बडे गरम शायर बन रहे हो

amit_tiwari
01-04-2011, 11:54 AM
इन झील सी गहरी आँखों में इक शाम कहीं आबाद तो हो
इस झील किनारे पल दो पल
इक ख्वाब का नीला फूल खिले
वो फूल बहा दें लहरों में
इक रोज़ कभी हम शाम ढले
इस फूल के बहते रंगों में
जिस वक़्त लरजता चाँद चले
उस वक्त कहीं उन आँखों में इस बीते पल की याद तो हो
इन झील सी गहरी आँखों में इक शाम कहीं आबाद तो हो!

amit_tiwari
01-04-2011, 11:55 AM
क्या बात है गुरू
बडे गरम शायर बन रहे हो

आग पे पानी डाल दिया अब तो :-)

ndhebar
01-04-2011, 11:58 AM
जो पत्थर तुमने मारा था मुझे नादान की तरह
उसी पत्थर को पूजा है किसी भगवान की तरह

तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर
उसे महसूस करता हूँ किसी अहसान की तरह

उसी पत्थर में मिलती है तुम्हारी हर झलक मुझको
उसी से बात करता हूँ किसी इनसान की तरह

कभी जब डूबता हूँ मैं उदासी के समंदर में
तुम्हारी याद आती है किसी तूफ़ान की तरह

Bholu
01-04-2011, 11:59 AM
आग पे पानी डाल दिया अब तो :-)

अरे अरे अपने अन्दर ते पागल शायर को मत सोने दो

Bholu
01-04-2011, 12:00 PM
जो पत्थर तुमने मारा था मुझे नादान की तरह
उसी पत्थर को पूजा है किसी भगवान की तरह

तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर
उसे महसूस करता हूँ किसी अहसान की तरह

उसी पत्थर में मिलती है तुम्हारी हर झलक मुझको
उसी से बात करता हूँ किसी इनसान की तरह

कभी जब डूबता हूँ मैं उदासी के समंदर में
तुम्हारी याद आती है किसी तूफ़ान की तरह

तभी जापान मे सुनामी आई थी

ndhebar
01-04-2011, 12:01 PM
आग पे पानी डाल दिया अब तो :-)

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9656&stc=1&d=1301641268

ये लो फिर लगा देते हैं

amit_tiwari
01-04-2011, 12:02 PM
जो पत्थर तुमने मारा था
तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर
उसे महसूस करता हूँ किसी अहसान की तरह


:majesty::majesty::majesty::fantastic:
जबरदस्त झक्कास साधु साधु !!

Bholu
01-04-2011, 12:03 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9656&stc=1&d=1301641268

ये लो फिर लगा देते हैं

ये लो देबर माचिस

amit_tiwari
01-04-2011, 12:04 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=9656&stc=1&d=1301641268

ये लो फिर लगा देते हैं

बस अब दोस्तों ने माचिस लगाना शुरू कर दिया, अब दुश्मन बनाने बंद कर देते हैं :threatenlumber::threatenlumber::threatenlumber:

ndhebar
01-04-2011, 12:09 PM
:majesty::majesty::majesty::fantastic:
जबरदस्त झक्कास साधु साधु !!

तब एक ठो और झेलो

मोहब्बत क्या है ये अब तक मै जान ना पाया
कही दीवानगी कभी पागलपन है बतलाया

कोई कहता मोहब्बत नाम हर दम साँथ रहने का
जो बाँटे हर खुशी मिलके हर गम साँथ सहने का
चले हर राह तेरे साथ जैसे हो तेरा साया

मोहब्बत क्या लैला और मजनू की कहानी मे
या मुमताज की यादों भरी इस निशानी मे
के है जो हीर और रांझे के किस्सों मे पाया

मोहब्बत नाम अपने प्यार पर सब कुछ लुटाने का
ना हो अफ़सोस खातिर यार के सब कुछ गवाने का
रहे वो दूर जितना और मन के पास ही आया

ये वो अहसास जो रिश्तों मे बंध कर रह नही सकता
करे महसूस ना कोई ख़ुद है क्या कह नही सकता
समझ आया न बिन जाने ज़माने भर ने समझाया

Bholu
01-04-2011, 12:09 PM
दूसरे अडल्ट फोरम की जिन्दगी जुआ बन कर रह गई
और जिससे उसकी शादी होना थी उसकी बच्चो की बुआ बन कर रह गई

ndhebar
01-04-2011, 12:10 PM
दूसरे अडल्ट फोरम की जिन्दगी जुआ बन कर रह गई
और जिससे उसकी शादी होना थी उसकी बच्चो की बुआ बन कर रह गई

अगर ये आशिकाना शायरी है तो फिर उठ गया जनाजा आशिकों का
:bang-head::bang-head::bang-head::bang-head:

Bholu
01-04-2011, 12:14 PM
अगर ये आशिकाना शायरी है तो फिर उठ गया जनाजा आशिकों का
:bang-head::bang-head::bang-head::bang-head:

राम राभ सत्य है
भोलू आशिक नही मस्त है

amit_tiwari
02-04-2011, 12:51 PM
पलकें ज़रा उठा कर एक बार देखिये, थोडा सा मुस्कुरा कर एक बार देखिये

ऐ माहताब-ए-हुस्न अँधेरा है चारों ओर, रुख से नकाब उठा कर एक बार देखिये

छुपने लगा है चाँद घटाओं की ओट में, जुल्फें ज़रा हटा कर एक बार देखिये

दे देंगे जान आपके क़दमों में हम हुज़ूर, शम्मा-ए-वफ़ा जला कर एक बार देखिये

तरसेंगे आप भी नीद को मेरी तरह, ये दिल हमसे लगा कर एक बार देखिये

इस पुर फरेब दौर का शिकवा बजा बगर, इस नाचीज़ को एक बार आजमा कर देखिये

क्यूँ बैठी हो उदास मेरी हाँ के इंतज़ार में, अपना हमें बना कर एक बार देखिये !!!

Ranveer
02-04-2011, 01:43 PM
किसी ने कहा फूल से की
मुझे बता तू आज तक क्यूँ खिलता रहा
तुने तो दी सबको खुशबु
तुझे क्या मिलता रहा

फूल ने मुस्कुरा कर कहा
अभी तू नादान है
जीवन के सच्चे प्यार से
अभी तू अनजान है
देने के बदले कुछ लेना
वो तो एक कारोबार है
जो दे कर भी कुछ न मांगे
वो ही सच्चा प्यार है

Ranveer
02-04-2011, 01:48 PM
उसे चाहा है मैंने इस शिद्दत से
उसकी हर ख्वाइश का ख्याल रखा है
उसे सर आँखों पर बिठा कर
उसकी हर ख़ुशी को संभाल रखा है

उसके दिल को अपने दिल से जोड़कर
उसे अपने दिल के करीब रखा है
उसे अपनी आगोश में छुपा कर
उसे खुद से ज्यादा अज़ीज़ रखा है

Bholu
02-04-2011, 02:35 PM
महबूब की आखोँ मेँ नशा
महबूब की चाहत मेँ नशा
महबूब की बातो मेँ नशा
महबूब तो महखाने के मलिक है
और चाहत तो हमारी भी आशिकी भरी है क्योकि की हम भी समां के परबाने है