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View Full Version : "ज्वैल थीफ -1967 " के वीडियो गीत !


Hamsafar+
12-11-2010, 04:10 PM
"ज्वैल थीफ -1967 " के वीडियो गीत !

Hamsafar+
13-11-2010, 03:39 PM
jtn4am42kW4

Hamsafar+
13-11-2010, 05:00 PM
(2) ये दिल, ना होता बेचारा
कदम, न होते आवारा
जो खूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता
ओ ओ ओ ये दिल, न होता बेचारा ...
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Video Master
13-11-2010, 05:35 PM
बहुत अच्छे विडियो प्रस्तुत कर रहे हो मित्र धन्यवाद

Hamsafar+
13-11-2010, 05:57 PM
(3) आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे
प्यार का जहाँ, बसा के चले
कदम के निशाँ, बना के चले, आसमाँ ...


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Hamsafar+
13-11-2010, 06:52 PM
(4) दिल पुकारे, आरे आरे आरे ....
अभी ना जा मेरे साथी


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Hamsafar+
13-11-2010, 08:11 PM
(5)रात अकेली है, बुझ गए दिये
आके मेरे पास, कानों में मेरे
जो भी चाहे कहिये, जो भी चाहे कहिये, रात ...
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Hamsafar+
13-11-2010, 08:19 PM
(6)रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा, रुला ...
RABpa6vb5QQ

Hamsafar+
13-11-2010, 08:26 PM
(1)

होंठों में ऐसी बात मैं दबाके चली आई
खुल जाये वोही बात तो दुहाई है दुहाई
हाँ रे हाँ, बात जिसमें, प्यार तो है, ज़हर भी है, हाय
होंठों में...

हो शालू...
रात काली नागन सी हुई है जवां
हाय दय्या किसको डँसेगा ये समा
जो देखूँ पीछे मुड़के
तो पग में पायल तड़पे
आगे चलूँ तो धड़कती है सारी अंगनाई
होंठों में...

हो शालू...
ऐसे मेरा ज्वाला सा तन लहराये
लट कहीं जाए घूँघट कहीं जाये
अरे अब झुमका टूटे
के मेरी बिंदिया छूटे
अब तो बनके क़यामत लेती हूँ अंगड़ाई
होंठों में...

Hamsafar+
13-11-2010, 08:28 PM
(2)

ये दिल, ना होता बेचारा
कदम, न होते आवारा
जो खूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता
ओ ओ ओ ये दिल, न होता बेचारा ...

अरे सुना, जब से ज़माने हैं बहार के
हम भी, आये हैं राही बनके प्यार के
कोई न कोई तो बुलायेगा
पड़े हैं हम भी राहों में
ये दिल, न होता बेचारा ...

अरे...माना, उसको नहीं मैं पहचानता
बंदा, उसका पता भी नहीं जानता ...
मिलना लिखा है तो आयेगा
पड़े हैं हम भी राहों में
ये दिल, ना होता बेचारा ...

अरे...उसकी, धुन में पड़ेगा दुख झेलना
सीखा, हा हा, हमने भी पत्थरों से खेलना...
सूरत कभी तो दिखायेगा
पड़े हैं हम भी राहों में
ये दिल, ना होता बेचारा ...

Hamsafar+
13-11-2010, 08:30 PM
(3)

आसमाँ के नीचे, हम आज अपने पीछे
प्यार का जहाँ, बसा के चले
कदम के निशाँ, बना के चले,
आसमाँ ...

तुम चले तो फूल जैसे आँचल के रँग से
सज गई राहें, सज गई राहें
पास आओ मै पहना दूँ चाहत का हार ये
खुली खुली बाहें, खुली खुली बाहें
जिस का हो आँचल खुद ही चमन
कहिये, वो क्यूँ, हार बाहों के डाले,
आसमाँ ...

बोलती हैं आज आँखें कुछ भी न आज तुम
कहने दो हमको, कहने दो हमको
बेखुदी बढ़ती चली है अब तो ख़ामोश ही
रहने दो हमको, रहने दो हमको
इक बार एक बार, मेरे लिये
कह दो, खनकें, लाल होंठों के प्याले,
आसमाँ ...

साथ मेरे चल के देखो आई हैं दूर से
अब की बहारें, अब की बहारें
हर गली हर मोड़ पे वो दोनों के नाम से
हमको पुकारे, तुमको पुकारे
कह दो बहारों से, आए न इधर
उन तक, उठकर, हम नहीं जाने वाले,
आसमाँ ...

Hamsafar+
13-11-2010, 08:35 PM
(4)

दिल पुकारे, आरे आरे आरे ...
अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे, आरे आरे आरे

ओ... अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे आरे आरे आरे

बरसों बीते दिल पे काबू पाते
हम तो हारे तुम ही कुछ समझाते

समझाती मैं तुमको लाखों अरमां
खो जाते हैं लब तक आते आते

ओ... पूछो ना कितनी, बातें पड़ी हैं
दिल में हमारे
दिल पुकारे, आरे आरे आरे

ओ... अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे आरे आरे आरे

पाके तुमको है कैसी मतवाली
आँखें मेरी बिन काजल के काली

जीवन अपना मैं भी रंगीन कर लूँ
मिल जाये जो इन होठों की लाली

ओ... जो भी है अपना, लायी हूँ सब कुछ
पास तुम्हारे
दिल पुकारे, आरे आरे आरे

ओ... अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे आरे आरे आरे

महका महका आँचल हल्के हल्के
रह जाती हो क्यों पल्कों से मलके

जैसे सूरज बन कर आये हो तुम
चल दोगे फिर दिन के ढलते ढलते

ओ... आज कहो तो मोड़ दूं बढ़के
वक़्त के धारे
दिल पुकारे, आरे आरे आरे

ओ... अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे आरे आरे आरे

अभी ना जा मेरे साथी
दिल पुकारे आरे आरे आरे...

Hamsafar+
13-11-2010, 08:37 PM
(5)

रात अकेली है, बुझ गए दिये
आके मेरे पास, कानों में मेरे
जो भी चाहे कहिये, जो भी चाहे कहिये, रात ...

तुम आज मेरे लिये रुक जाओ, रुत भी है फ़ुरसत भी है
तुम्हें ना हो ना सही, मुझे तुमसे मुहब्बत है
मुहब्बत की इजाज़त है, तो चुप क्यूँ रहिये
जो भी चाहे कहिये, रात ...

सवाल बनी हुई दबी दबी उलझन सीनों में
जवाब देना था, तो डूबे हो पसीनों में
ठानी है दो हसीनों में, तो चुप क्यूँ रहिये
जो भी चाहे कहिये, रात ...

Hamsafar+
13-11-2010, 08:38 PM
(6)

रुला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा, रुला ...

वही है ग़म-ए-दिल, वही है चंदा, तारे
हाय, वही हम बेसहारे
आधी रात वही है, और हर बात वही है
फिर भी न आया लुटेरा, रुला ...

कैसी ये ज़िंदगी, कि साँसों से हम, ऊबे
हाय, कि दिल डूबा हम डूबे
एक दुखिया बेचारी, इस जीवन से हारी
उस पर ये ग़म का अन्धेरा, रुला ...