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View Full Version : मुझे मत मारो :.........


Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 05:38 PM
क्या आप इन्सान हों ?
अगर आपका उत्तर हा हैं,
तो बेटियाँ बचाओं, इंसानियत बचाओं,
कन्या भ्रूण-हत्या एक जघन्य अपराध हैं :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32780&stc=1&d=1394973173

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 05:45 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32781&stc=1&d=1394973173


प्रत्येक शुभ कार्य में हम कन्या पूजन करते हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि उसी कन्या को हम जन्म से पहले ही मारने का पाप क्यों करते हैं? आज समाज के बहुत से लोग शिक्षित होने के बावजूद कन्या भूर्ण हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे रहे हैं।

जो आंचल बच्चों को सुरक्षा देता है, वही आंचल कन्याओं की गर्भ में हत्या का पर्याय बन रहा है।हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है।

जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है।आज भी शहरों के मुकाबले गांव में दकियानूसी विचारधारा वाले लोग बेटों को ही सबसे ज्यादा तव्वजो देते हैं, लेकिन करुणामयी मां का भी यह कर्तव्य है कि वह समाज के दबाव में आकर लड़की और लड़के में फर्क न करे। दोनों को समान स्नेह और प्यार दे। दोनों के विकास में बराबर दिलचस्पी ले। बालक-बालिका दोनों प्यार के बराबर अधिकारी हैं। इनके साथ किसी भी तरह का भेद करना सृष्टि के साथ खिलवाड़ होगा :


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 05:48 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32782&stc=1&d=1394973173


साइंस व टेक्नॉलोजी ने कन्या-वध की सीमित समस्या को, अल्ट्रासाउंड तकनीक द्वारा भ्रूण-लिंग की जानकारी देकर, समाज में कन्या भ्रूण-हत्या को व्यापक बना दिया है। दुख की बात है कि शिक्षित तथा आर्थिक स्तर पर सुखी-सम्पन्न वर्ग में यह अतिनिन्दनीय काम अपनी जड़ें तेज़ी से फैलाता जा रहा है।

1995 में बने जन्म पूर्व नैदानिक अधिनियम नेटल डायग्नोस्टिक एक्ट 1995 के मुताबिक बच्चे के लिंग का पता लगाना गैर कानूनी है।

इसके बावजूद इसका उल्लंघन सबसे अधिक होता है.अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी मशीन या अन्य तकनीक से गर्भधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, करवाना, सहयोग देना, विज्ञापन करना कानूनी अपराध है :.........


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 05:50 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32783&stc=1&d=1394973173

लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है. भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है. यदि इस प्रथा को बन्द करनी है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी.

कन्या भ्रूण हत्या में पिता और समाज की भागीदारी से ज्यादा चिंता का विषय है इसमें मां की भी भागीदारी. एक मां जो खुद पहले कभी स्त्री होती है, वह कैसे अपने ही अस्तितव को नष्ट कर सकती है और यह भी तब जब वह जानती हो कि वह लड़की भी उसी का अंश है.

औरत ही औरत के ऊपर होने वाले अत्याचार की जड़ होती है यह कथन पूरी तरह से गलत भी नहीं है. घर में सास द्वारा बहू पर अत्याचार, गर्भ में मां द्वारा बेटी की हत्या और ऐसे ही कई चरण हैं जहां महिलाओं की स्थिति ही शक के घेरे में आ जाती है.औरतों पर पारिवारिक दबाव को भी इन्कार नहीं किया जा सकता :.........


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 05:53 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32784&stc=1&d=1394973173

खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
आने दो रे आ ने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो

भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
(भाउक जी कुछ पंक्तियाँ)

(आइये एक संकल्प लेते हैं ,कन्या भ्रूण -हत्या एक जघन्य अपराध है ,हम सभी को मिलकर साँझा प्रयत्नों एवं जन जाग्रती द्वारा इस कु -कृत्य को जड़ से उखाड़ने के समस्त प्रयत्न करेंगें !यही समय की मांग है !!) :.........


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 06:13 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32789&stc=1&d=1394973173

मत मारो माँ :

माँ ,माँ,ओ मेरी माँ
तुम सुन रही हो मुझे
मैं तो अभी तेरी कोख में हूँ
जानती हूँ एहसास है तुझे
आज मैंने सुना
पापा की बातें
उन्हें बेटी नही बेटा चाहिए
मैं बेटी हूँ,इसमें मेरा क्या दोष
मईया मैं तो तेरा ही अंश
तेरे ही जिगर का टुकड़ा
तेरे ही दिल की धडकन
क्या तुम भी
मुझे मरना चाहती हो
मुझे मत मरो माँ
मुझे जग में आने दो न
मैं तेरी बगिया की कली
तेरा जीवन महका दूँगीं
तेरे सपने सच कर दूँगी
जीवन के हर पग पर
तेरा साथ न छोडूंगी
तेरा दुःख मेरा दुःख होगा
माँ समझाना पापा को
मैं पापा पर न बनूँगी बोझ
पढ़ लिख कर
छूऊँगी जीवन के उच्च शिखर को
एक दिन करेंगे फक्र मुझपर
बनूँगी लक्ष्मी घर की तेरी
माँ ओ मेरी प्यारी माँ
अजन्मी बेटी तुझे पुकार रही
मत करना मुझे मशीनों के हवाले
मत मारना मुझे। :.........


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 06:16 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32787&d=1394975561

Dr.Shree Vijay
16-03-2014, 06:22 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32786&d=1394975561

rajnish manga
17-03-2014, 03:18 PM
बेटियाँ

बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा होती हैं बेटियां
नाज़ुक सा दिल रखती हैं, मासूम सी होती हैं बेटियां

बात बात पर रोती हैं, नादान सी होती हैं बेटियां
हैं रहमत से भरपूर, खुदा की नेमत ये बेटियां

घर भी महक उठता है जब मुस्कुराती हैं बेटियां
होती हैं अजीब सी कैफियत जब छोड़ के जाती हैं बेटियां

घर लगता है सूना सूना, कितना रुला जाती हैं बेटियां
बाबुल की लाडली होती हैं बेटियां

ये हम नहीं कहते, ये तो ख़ुदा कहता है कि
जब मैं बहुत खुश होता हूं तो पैदा होती हैं बेटियां।

Dr.Shree Vijay
18-03-2014, 05:03 PM
बेटियाँ




अतिसुन्दर भावभीव्यक्ति के लिए हार्दिक आभार.........

Dr.Shree Vijay
19-03-2014, 06:35 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32785&d=1394975561

कलियों को मुसकाने दो :

खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो

जाने किस-किस प्रतिभा को तुम
गर्भपात मे मार रहे हो
जिनका कोई दोष नहीं, तुम
उन पर धर तलवार रहे हो
बंद करो कुकृत्य - पाप यह,
नयी सृष्टि रच जाने दो
आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

जिस दहेज-दानव के डर से
करते हो ये जुल्मो-सितम
क्यों नहीं उसी दुष्ट-दानव को
कर देते तुम जड़ से खतम
भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

बेटा आया, खुशियां आईं
सोहर-मांगर छम-छम-छम
बेटी आयी, जैसे आया
कोई मातम का मौसम
मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

चौखट से सरहद तक नारी
फिर भी अबला हाय बेचारी?
मर्दों के इस पूर्वाग्रह मे
नारी जीत-जीत के हारी
बंद करो खाना हक उनका, ऋनका हक उन्हें पाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

चीरहरण का तांडव अब भी
चुप बैठे हैं पांडव अब भी
नारी अब भी दहशत में है
खेल रहे हैं कौरव अब भी
हे केशव! नारी को ही अब चंडी बनकर आने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

मरे हुए इक रावण को
हर साल जलाते हैं हम लोग
जिन्दा रावण-कंसों से तो
आंख चुराते हैं हम लोग
खून हुआ है अपना पानी, उसमें आग लगाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

नारी शक्ति, नारी भक्ति
नारी सृष्टि, नारी दृष्टि
आंगन की तुलसी है नारी
पूजा की कलसी है नारी
नेह-प्यार, श्रद्धा है नारी
बेटी, पत्नी, मां है नारी
नारी के इस विविध रूप को आंगन में खिल जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो..........


(अंतरजाल से :)

Dr.Shree Vijay
25-03-2014, 08:55 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32788&d=1394975561

मत मारो माँ :

http://2.bp.blogspot.com/-FyFR63IdN-M/UVz_6qetqrI/AAAAAAAADgg/bYW4gpWajOY/s320/Capture.JPG


साभार :......... (http://kumar651.blogspot.in/2013/04/blog-post_3.html)

Dr.Shree Vijay
25-03-2014, 08:55 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32788&d=1394975561

मत मारो माँ :

https://m.ak.fbcdn.net/sphotos-d.ak/hphotos-ak-ash4/t1.0-9/1377184_519630344824433_441203797_n.jpg


साभार :......... (http://reformsociety.co.in/?p=16)

Dr.Shree Vijay
04-04-2014, 03:32 PM
fXB4pZou3Y8

Dr.Shree Vijay
04-04-2014, 03:36 PM
qTaJyxkDnfw



माँ - बाप की आँखों का नूर है तू,
हर अपने के दिल का गुरुर है तू,
जाने क्यों तरस आता है मुझे,
इस ज़माने के कमीनेपन पे,
की सब होके भी, कितनी मजबूर है तू,
जाने ये दुनिया क्यों,
तुझसे इतना जलती है,
माँ -बीवी सब को चाहिये,
पर बेटी से डरती है,
हर वक्त ये दुनिया तुझसे ,
दुश्मनी निभाती है,
खिलने से पहले तुझे,
मसल देना चाहती है,

क्यों नहीं समझते ये पागल की,
तुझसे ही दुनिया गुलज़ार,
किसी मासूम की मासूमियत में तू,
किसी दीवाने का खुमार है,

शायद ये ज़माना,
एक दिन समझ जायेगा,
कितने बेटों की माँ,
कितने आशिकों की आशिकी,
न जाने तब तक ये ,
क्या - क्या गंवायेगा,

ऐ - खुदा कर रहम इनपे,
देख इनकी बेरुखी,
क्यों न समझे ये पागल,
एक मासूम की बेबसी,

क्यों छीने ये हक उसका,
जो तुने उसे बख्सा है,

उसका ये अनमोल जीवन,
क्या इतना ही सस्ता है
? ? ? ? ? ? ? ? ? ?
कन्या भ्रूण हत्या रोकिये !

rajnish manga
08-04-2014, 03:56 PM
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQHbJvo3w2JTyR_dMB6bc-C3UAFiBOmesZhuvw5_HqbW8ADWZmUrg

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https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQM7nesecopm3-5GiXKgRpTKZaiW_4NqE2IyAFVmU1HR9LR_lZZDw

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rajnish manga
13-04-2014, 10:06 AM
ये बेटियाँ वरदान हैं

प्रकृति का पुरुष को
ये सबसे बड़ा दान हैं ,
स्नेह की प्रतिमूर्ति हैं
ये लाज हैं सम्मान हैं ,

धैर्य की गंगा हैं
ये कुलों का अभिमान हैं ,
प्रेम का प्रकाश हैं
ये कोमल अरमान हैं ,

जननी मातृशक्ति हैं
ये हैं तो खानदान हैं ,
समर्पण हैं त्याग हैं
ये सभ्यता की शान हैं ,

बेटियाँ हैं तो हम हैं
ये हमारी प्राण हैं ,
सृष्टि का आधार हैं
ये बेटियाँ वरदान हैं !
(from internet)

rajnish manga
13-04-2014, 10:10 AM
वरदान हैं ये बेटियाँ
संजीव


आस हैं, अरमान हैं, वरदान हैं ये बेटियाँ
सच कहूँ माता-पिता की शान हैं ये बेटियाँ
पैर पूजो या कलेजे से लगाकर धन्य हो-
एक क्या दो-दो कुलों की आन हैं ये बेटियाँ

शोरगुल में कोकिला का गान हैं ये बेटियाँ
नदी की कलकल सुरीली तान हैं ये बेटियाँ
माँ, सुता, भगिनी, सखी, अर्धांगिनी बन साथ दें-
फूँक देतीं जान देकर जान भी ये बेटियाँ

मत कहो घर में महज मेहमान हैं ये बेटियाँ
यह न सोचो सत्य से अनजान हैं ये बेटियाँ
लेते हक लड़ के हैं लड़के, फूँक भी देते 'सलिल'-
नर्मदा जल सी, गुणों की खान हैं ये बेटियाँ

ज़िन्दगी की बन्दगी, पहचान हैं ये बेटियाँ
लाज की चादर, हया का थान हैं ये बेटियाँ
चाहते तुमको मिले वरदान तो वर-दान दो
अब न कहना 'सलिल कन्या-दान हैं ये बेटियाँ

सभ्यता की फसल उर्वर, धान हैं ये बेटियाँ
महत्ता का, श्रेष्ठता का भान हैं ये बेटियाँ
धरा हैं पगतल की बेटे, बेटियाँ छत शीश की-
भेद मत करना, नहीं असमान हैं ये बेटियाँ

Dr.Shree Vijay
14-05-2014, 12:29 PM
ये बेटियाँ वरदान हैं

वरदान हैं ये बेटियाँ


:hello: :hello: :hello:

Dr.Shree Vijay
15-05-2014, 10:58 PM
माँ मुझको मत मारो ना :

माँ मुझको मत मारो ना
अजन्मी ही सही ,
पर तेरी बेटी हूँ ,
भूल मुझसे क्या हुई ?
बतला दो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.

आने दो मुझको धरा पर ,
तेरी गोद में खेलूंगी ,
कभी न सताऊँगी,
ये वादा ले लो ना .
अवसर जो दिया प्रभु ने ,
उसको मत छीनो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.
घर के आँगन में ऊधम मचाऊंगी,
तेरा खूब दिल बहलाऊँगी ,
तेरे अनुशासन में रह कर
हौले से बढ़ जाऊंगी .
बनकर तेरी सहेली माँ मै ,
तेरा हाथ बटाऊँगी .
तुम दिखी उदास अगर तो ,
मै रो पडूँगी .
दुःख तेरे सारे हर लूंगी .
मै निर्दोष निहत्थी ,
तुम ममता की मूरत हो,
मै अपूर्ण अरुपा ,
तुम खिली खिली सी सूरत हो ,
पुकार मेरी सुन लो ना.
माँ मुझको मत मारो ना.
पढ़ा लिखा कर मुझको ,
जीवन के उच्च शिखर पर ,
तुम पहुंचा देना ,
गलत करूँ मै तो ,
मुझको समझा देना .
पाकर तेरा स्पर्श माँ मै ,
ख़ुशबू बन महकूँगी ,
घर को सुरभित कर दूँगी.
भैया के हाथों में राखी बांधूंगी ,
बहू बनी जिस घर की,
घर उसका भी खुशियों से भर दूँगी.
माँ बनकर मै कल्पना चावला सी ,
नाम तेरा जग भर में कर दूँगी.
मेरा यकीं कर लो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.
माँ ,लगता है ,
तुम मुझ पर होने वाले खर्चों से डरती हो ,
मेरी शादी में तुम खर्च जरा भी ना करना
और दहेज़ लोभियों से तुम मेरा ब्याह भी मत करना .
मै खुश रहूँगी,
मुझको इस जग को समझाना है ,
इस दहेज़ के दानव ने छीना,
हम बेटिओं का आशियाना है ,
इस कुप्रथा को हर हाल में अब मिटाना है ,
तुम समझ गयी बोलो ना ,
मौन अब तोड़ भी दो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.


रचनाकार : राजेश जैन राही


साभार :......... (http://www.catchmypost.com/Hindi-kavita/q-q.html)

rafik
16-05-2014, 10:12 AM
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/dil-ki-bat/mediaresource/00809414-03e0-451f-b1b5-a5d6bf50caaf/beti.jpg

rafik
16-05-2014, 02:37 PM
https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQUZH9QvCzFIsVIHXiCyM_utpY7rw595 559qISMdvsXTTBP6nre

rafik
16-05-2014, 02:37 PM
https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSvLybgikmRohLoyO8iKN7TOWP-5Y30l02k6WavlxRsCCUmRyIt

rafik
16-05-2014, 02:40 PM
https://c2.staticflickr.com/8/7125/7548351050_87eacfedc3_z.jpg

rafik
16-05-2014, 02:46 PM
http://s3images.coroflot.com/user_files/individual_files/229724_0evMrrh3zBltjRqP5wzNGFVaX.jpg

rafik
16-05-2014, 02:47 PM
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRFjdtm2cv1G4aJLvaTJDL4b-234LF61aEf7GlZ5NnGcMTmjYii

rafik
16-05-2014, 02:49 PM
http://1.bp.blogspot.com/-1HZTDqUhSTQ/UNmqj1TXeJI/AAAAAAAAGrM/s_erVn1jX5M/s1600/305652_133975416735706_1714003977_n.jpg

rafik
16-05-2014, 02:49 PM
http://azadi.me/sites/default/files/images/save%20girl.jpg

rafik
16-05-2014, 02:52 PM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ-KwweIpIPkONlvMVfPhAxczQ6gg4uacT21h5b-vtiI1vJsTQe

rafik
16-05-2014, 02:57 PM
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRy7vw4RM-G8F-MdQ_KU0x0IMfqlVG1rTKxdMJOWj_jnGfPRUe6dQ

rafik
16-05-2014, 03:11 PM
http://sphotos-h.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-ash4/c0.0.843.403/p843x403/602424_463750810337400_738107186_n.jpg

Dr.Shree Vijay
26-05-2014, 05:18 PM
http://jogendra777.jagranjunction.com/files/2010/11/2010-05-19-Hoon-Abhi-Garbh-Me.jpg

Arvind Shah
26-05-2014, 06:14 PM
वर्तमान के सबसे गंभीर और विचारणीय मुद्दे पर सुत्र बनाने के लिए धन्यवाद !

bindujain
27-05-2014, 07:26 AM
मिट्टी की खुश्बू सी होती हैं बेटियां,
घर की राज़दार होती हैं बेटियां,
बचपन हैं बेटियां, जवानी हैं बेटियां,
सत्यम शिवम् सुंदरम सी होती हैं बेटियां,
फिर क्यों जला देते हैं ससुराल में बेटियां,
फिर क्यों न बांटे खुशियां जब होती हैं बेटियां,
एक नहीं दो वंश चलाती हैं बेटियां,
फिर गर्भ में क्यों मार दी जाती हैं बेटियां ???

rafik
27-05-2014, 09:21 AM
मिट्टी की खुश्बू सी होती हैं बेटियां,
घर की राज़दार होती हैं बेटियां,
बचपन हैं बेटियां, जवानी हैं बेटियां,
सत्यम शिवम् सुंदरम सी होती हैं बेटियां,
फिर क्यों जला देते हैं ससुराल में बेटियां,
फिर क्यों न बांटे खुशियां जब होती हैं बेटियां,
एक नहीं दो वंश चलाती हैं बेटियां,
फिर गर्भ में क्यों मार दी जाती हैं बेटियां ???






आपका बहुत बहुत धन्यवाद

rafik
27-05-2014, 09:22 AM
वर्तमान के सबसे गंभीर और विचारणीय मुद्दे पर सुत्र बनाने के लिए धन्यवाद !

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Suraj Shah
27-05-2014, 08:49 PM
बड़ा ही मार्मिक सूत्र

rafik
29-05-2014, 10:36 AM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQaWU68qNbxz5TF1f9pA_jTakCtw5ddF WJS6L9vDLfeQY99eCmC

rafik
29-05-2014, 10:36 AM
http://thumb10.shutterstock.com/display_pic_with_logo/639301/131069267/stock-photo-humorous-beautiful-pin-up-girl-flying-in-a-cloud-filled-sky-while-holding-onto-a-rope-of-helium-131069267.jpg
मुझे मत मारो :उडने दो

rafik
29-05-2014, 10:38 AM
http://cdnimg.visualizeus.com/thumbs/06/16/cool,flight,girl,jump,sky,flying-061629a7d0565a2910575aa2a0424871_h.jpg

मुझे मत मारो :उडने दो

rafik
29-05-2014, 10:40 AM
http://thumbs.dreamstime.com/z/jumping-flying-graceful-girl-background-blue-sky-clouds-31510790.jpg

मुझे मत मारो :उडने दो

rafik
29-05-2014, 10:41 AM
http://www.flixya.com/files-photo/w/a/q/waqaryou139-2475645.jpg

मुझे मत मारो :उडने दो

rafik
29-05-2014, 10:42 AM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ0Fz51WNWaHNHTEg-3T1B1eQXVxrLyq3_erYlSKpAoxkylLyZg


मुझे मत मारो :उडने दो

rafik
29-05-2014, 11:24 AM
http://1.bp.blogspot.com/-Z-mEsiupTvY/UnCQkQjL0GI/AAAAAAAAO0k/lUMtcofPiIk/s400/r10.jpg

मुझे मत मारो :उडने दो

Suraj Shah
19-06-2014, 09:42 PM
समाज को सही राह दिखानेवाला सूत्र...

Swati M
20-06-2014, 06:54 PM
बड़ा ही संवेदनशील सूत्र :

soni pushpa
24-06-2014, 12:50 PM
Mujhe najar ati hai,
is bityaan ki surat mein ek devi ki murat neh se pari purn, vatsalya se sarabor jo mangti hai dua or deti hai ashish,
apne liye nahi apno ke liye sada......

Dr.Shree Vijay
24-06-2014, 07:35 PM
मैं एक लड़की हूँ ? :

जर्रा जर्रा जब जहाँ का तेरा ही निशां है,
फिर अलग सा क्यों मुझे बनाया है|
खुशियों की कश्ती क्यों मेरी सागर में खो गयी|
क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ|
नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ?

आने पे उसके सबने खुशियाँ मनाई थी,
मेरे आने से फिर क्यों बत्तियां बुझाई थी|
बाबा ने भाई को जब स्कूल भेजा था,
मैंने तो अक्षरों को सिर्फ खेतों में देखा था|
बचपन ये सारा मेरा ऐसे क्यों रो गया|
क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ|
नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ?

योवन के रंग में जब सबने खेली थी होली,
माँ बोली आजा बच्चा बैठ जा तो डोली|
खुशियों के जब भी जग ने दिए जलाये थे,
मैंने तो आंशु अपने चूल्हे सुखाये थे|
मेरी जवानी सारी क्यों रातों में खो गयी|
क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ|
नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ?

हर लम्हा हर सांस जब तेरा ही साया है,
फिर खुदा मैंने क्यों तुझको न पाया है|
क्योंकि शायद मैं एक लड़की हूँ|
नजराने पेश करूँ क्या मैं खिड़की हूँ ? :..........


अंतरजाल से:

rafik
25-06-2014, 09:31 AM
http://1.bp.blogspot.com/-przePRvcLrY/UeT_dBuktYI/AAAAAAAAABE/MxGlRbxOupY/s1600/1526_669463609735448_421892017_n.jpg

प्रत्येक शुभ कार्य में हम कन्या पूजन करते हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि उसी कन्या को हम जन्म से पहले ही मारने का पाप क्यों करते हैं? आज समाज के बहुत से लोग शिक्षित होने के बावजूद कन्या भूर्ण हत्या जैसे घृणित कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जो आंचल बच्चों को सुरक्षा देता है, वही आंचल कन्याओं की गर्भ में हत्या का पर्याय बन रहा है।हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। समाज में लड़कियों की इतनी अवहेलना, इतना तिरस्कार चिंताजनक और अमानवीय है। जिस देश में स्त्री के त्याग और ममता की दुहाई दी जाती हो, उसी देश में कन्या के आगमन पर पूरे परिवार में मायूसी और शोक छा जाना बहुत बड़ी विडंबना है।आज भी शहरों के मुकाबले गांव में दकियानूसी विचारधारा वाले लोग बेटों को ही सबसे ज्यादा तव्वजो देते हैं, लेकिन करुणामयी मां का भी यह कर्तव्य है कि वह समाज के दबाव में आकर लड़की और लड़का में फर्क न करे। दोनों को समान स्नेह और प्यार दे। दोनों के विकास में बराबर दिलचस्पी ले। बालक-बालिका दोनों प्यार के बराबर अधिकारी हैं। इनके साथ किसी भी तरह का भेद करना सृष्टि के साथ खिलवाड़ होगा।

rafik
25-06-2014, 09:44 AM
कन्या भ्रूण हत्या (http://manojbhawuk.com/?p=49)



खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो
जाने किस-किस प्रतिभा को तुम
गर्भपात मे मार रहे हो
जिनका कोई दोष नहीं, तुम
उन पर धर तलवार रहे हो
बंद करो कुकृत्य – पाप यह,
नयी सृष्टि रच जाने दो
आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
जिस दहेज-दानव के डर से
करते हो ये जुल्मो-सितम
क्यों नहीं उसी दुष्ट-दानव को
कर देते तुम जड़ से खतम
भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
बेटा आया, खुशियां आईं
सोहर-मांगर छम-छम-छम
बेटी आयी, जैसे आया
कोई मातम का मौसम
मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
चौखट से सरहद तक नारी
फिर भी अबला हाय बेचारी?
मर्दों के इस पूर्वाग्रह मे
नारी जीत-जीत के हारी
बंद करो खाना हक उनका, उनका हक उन्हें पाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
चीरहरण का तांडव अब भी
चुप बैठे हैं पांडव अब भी
नारी अब भी दहशत में है
खेल रहे हैं कौरव अब भी
हे केशव! नारी को ही अब चंडी बनकर आने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
मरे हुए इक रावण को
हर साल जलाते हैं हम लोग
जिन्दा रावण-कंसों से तो
आंख चुराते हैं हम लोग
खून हुआ है अपना पानी, उसमें आग लगाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो
नारी शक्ति, नारी भक्ति
नारी सृष्टि, नारी दृष्टि
आंगन की तुलसी है नारी
पूजा की कलसी है नारी
नेह-प्यार, श्रद्धा है नारी
बेटी, पत्नी, मां है नारी
नारी के इस विविध रूप को आंगन में खिल जाने दो
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो

soni pushpa
25-06-2014, 04:01 PM
Bahut sahi bat hai ... aaj ke waqt ki jarurat hai ki log ab samjhe or beti bachayen ....jub tak ek maa beti ko na bachayegi tab tak koi kuchh nahi kar sakta ... maa ke hatho hai ab beti ko bachana ...

samaaj ke liye jagruk insan hi eisi panktiyan likh sakte hain ... dhanywad rafik ji ...etani sachhi kavita ke liye

rafik
25-06-2014, 04:19 PM
Bahut sahi bat hai ... aaj ke waqt ki jarurat hai ki log ab samjhe or beti bachayen ....jub tak ek maa beti ko na bachayegi tab tak koi kuchh nahi kar sakta ... maa ke hatho hai ab beti ko bachana ...

samaaj ke liye jagruk insan hi eisi panktiyan likh sakte hain ... dhanywad rafik ji ...etani sachhi kavita ke liye
प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार...:thanks:

rajnish manga
25-06-2014, 09:13 PM
:hello:
डॉ. श्री विजय और रफीक जी की पोस्टें विषय की सिर्फ इमोशनल डाईमेंशन को ही प्रस्तुत नहीं करती बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक पक्षों की भयानकता को भी उजागर करती हैं. आप दोनों का बहुत बहुत धन्यवाद. कृपया इस ज्वलंत समस्या पर और अधिक सामग्री देने का क्रम जारी रखें.

rafik
26-06-2014, 09:01 AM
:hello:
डॉ. श्री विजय और रफीक जी की पोस्टें विषय की सिर्फ इमोशनल डाईमेंशन को ही प्रस्तुत नहीं करती बल्कि सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक पक्षों की भयानकता को भी उजागर करती हैं. आप दोनों का बहुत बहुत धन्यवाद. कृपया इस ज्वलंत समस्या पर और अधिक सामग्री देने का क्रम जारी रखें.


प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.

rafik
03-07-2014, 12:23 PM
अगर होता जन्म मेरा
अगर होता जन्म मेरा ! तो मै भी मुस्कुराती , हंसती , गाती, खुशियां मनाती , खिलखिलाती फूलो की तरह, अगर होता जन्म मेरा ! लेकर जीवन नया, मै भी रिश्तो को निभाती, तो बंधन में मै भी रिश्तो के बंध जाती। अगर होता जन्म मेरा ! तो बेटी, बहन, नातिन, पोती, पत्नी, भाभी, माँ ये सारे रूप मेरे भी तो होते , अगर होता जन्म मेरा ! काश ! आँखों को मेरे पहले ही बंद न किया होता माँ ने मेरी ! काश ! जन्म देकर मुझे भी देती दुनिआ ये प्यारी (नई) , काश ! देख पाती मै भी इस मोह- माया भरे संसार को , अगर होता जन्म मेरा ! तो मै भी माँ - माँ कहकर , आँचल पकड़ कर पीछे -पीछे दौड़ पाती , लेकर टुकड़ा एक रोटी का ,पुरे आँगन में शोर मचाती , अगर होता जन्म मेरा ! तोतला कर कहती माँ मुझे भी लेकल बाजाल जाओ ना---- गुड़िया मुझे भी दिलाओ ना --- लड़ती मै भी भाइयो संग अगर होता जन्म मेरा ! खिलौने संग खेलते -खेलते , थोड़ी जब होती बड़ी जाती तब पाठशाला की गली , नीत रोज सीखकर नई बाते , सबको हंसाती घर आके , पढ़ लिखकर मै भी पाठ , खूब जगाती गठ , मै भी तो नाम कमाती ! शायद ! परिवार या देश के काम आती , अगर होता जन्म मेरा ! हाथो में चूड़ियाँ, पाव में पायल, माथे पर बिंदी, आँखों में काजल सर पर होती ओढनी न्यारी , मैं भी लगती बिटिया प्यारी , अगर होता जन्म मेरा ! तब कहती माँ करो विदाई , अब तो कर दो बेटी पराई , ढूंढो कोई घर प्यारा , वर वो जो लगे इसे प्यारा , करो अब कर रसमे पूरी , ले जाने कि दो मंजूरी , फिर गौने का दिन है आता, जिन रिश्तो में पूरा संसार समाता , अगर होता जन्म होता ! लेकिन मुझे अगर ये मिलता मौका, मै न देती किसी जान को धोका , बेटी नहीं कोई श्राप, कब समझेंगे ये आप , लिखती मै भी कोई कहानी , जब होती एक दिन सयानी अगर होता जन्म मेरा ! मेरे अरमानो को मार दिया , क्यो नहीं माँ ने मेरी मुझे जन्म दिया ? क्यो नहीं खिलने दिया , मेरी खुशियो की, क्यो मुस्कान मेरी छीन गई ? काश ! मुझे भी मेरी माँ ने होता जन्म दिया प्रस्तुति- जया अग्रवाल

rafik
10-07-2014, 04:08 PM
http://humour.amulyam.com/images/humour/medium/1310/340639.jpg

rajnish manga
10-07-2014, 09:03 PM
अगर होता जन्म मेरा
अगर होता जन्म मेरा ! तो मै भी मुस्कुराती , हंसती , गाती, खुशियां मनाती , खिलखिलाती फूलो की तरह, अगर होता जन्म मेरा !
......

मेरे अरमानो को मार दिया , क्यो नहीं माँ ने मेरी मुझे जन्म दिया ? क्यो नहीं खिलने दिया , मेरी खुशियो की, क्यो मुस्कान मेरी छीन गई ? काश ! मुझे भी मेरी माँ ने होता जन्म दिया

प्रस्तुति- जया अग्रवाल


बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शिक्षाप्रद फैंटेसी कथा जो त्रासद स्थितियों के आसपास घूमती है और दिल को छलनी कर देती है. प्रस्तुति हेतु आपका धन्यवाद, मित्र.

rafik
11-07-2014, 09:45 AM
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और शिक्षाप्रद फैंटेसी कथा जो त्रासद स्थितियों के आसपास घूमती है और दिल को छलनी कर देती है. प्रस्तुति हेतु आपका धन्यवाद, मित्र.
:thanks::thanks::thanks:

rafik
14-07-2014, 10:15 AM
आज भारत में बेटियों के जन्म के पूर्व हत्या कर दी जाती ,अगर हम बेटियों को जन्म देते है तो वो हमारे नाम ,देश का नाम केसे रोशन करती है

आओ जाने उन बेटियों के बारे में जिनके माँ-बाप ने उन्हें जन्म दिया,और उन्होंने हम बहुत दिया है

उनमे से एक है कल्पना चावला

कल्पना चावला

जन्म-1जूलाई 1961- मृत्यु- 1फरवरी, 2003) एक भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।

http://hi.bharatdiscovery.org/w/images/thumb/c/ca/Kalpana-Chawla.jpg/200px-Kalpana-Chawla.jpg


जीवन परिचय

कल्पना चावला का जन्म1जूलाई 1961-ई. को हरियाणा के करनाल कस्बे में हुआ था। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय (बाद में उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी) महिला थी। कल्पना के पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी।

rafik
14-07-2014, 10:23 AM
कल्पना चावला
शिक्षा

कल्पना चावला ने 1976 में करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक, 1982 में चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। उन्होंने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की। इसी वर्ष कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1994 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। उन्होंने फ़्रांसीसी व्यक्ति जीन पियर से शादी की थी।





अंतरिक्ष उड़ान

कल्पना की पहली अंतरिक्ष उड़ान एस. टी. एस.-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई तथा इसकी अवधि 19 नवबंर से 5 दिसम्बर 1997 थी। कल्पना की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से ही आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। उन्होंने अपने सहयोगियों सहित लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटना ग्रस्त हो गई तथा कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई।

पुरस्कार

कल्पना चावला को मरणोपरांत: निम्न पुरस्कार मिले-


काँग्रेशनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान
नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक
नासा विशिष्ट सेवा पदक
प्रतिरक्षा विशिष्ट सेवा पदक

अब मेरा कहना है कि बेटियों को पहचानो और जन्म देकर पड़ाओ ,लिखाओ और बहुत कुछ पाओ!

rajnish manga
14-07-2014, 10:42 AM
कल्पना चावला

कल्पना चावला ने 1976 में करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक, 1982 में चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। उन्होंने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की। इसी वर्ष कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1994 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। उन्होंने फ़्रांसीसी व्यक्ति जीन पियर से शादी की थी।




बहुत अच्छी जानकारी आपने उपलब्ध करवाई है. बहुत बहुत धन्यवाद. इसमें एक स्थान पर जानकार त्रुटिपूर्ण है. कल्पना चावला ने +2 तक की शिक्षा टैगोर स्कूल, करनाल से प्राप्त की थी न कि स्नातक स्तर की. धन्यवाद.

Dr.Shree Vijay
14-07-2014, 11:42 AM
कल्पना चावला

जन्म-1जूलाई 1961- मृत्यु- 1फरवरी, 2003) एक भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।

इतनी सुंदर जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद..........

rafik
15-07-2014, 09:32 AM
इतनी सुंदर जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद..........

धन्यवाद मित्र ,उम्मीद है कि आप भी यहाँ पर पोस्ट्स कि तेयारी कर रहे हो !

rafik
18-07-2014, 04:03 PM
http://www.myindiapictures.com/pictures/up1/2012/06/beti-bachao-save-girl-daughter-hindi-india.jpg

rafik
31-07-2014, 10:26 AM
क्या लड़की होना गुनाह है?


हाँ ! मैं लड़की हूँ ,
तो क्या लड़की होना गुनाह है
ऐसा तुम सोचते हो ,
तुम्हारा क्या!
तुम तो दोगले हो .
सदा से रहा है तुम्हारी ,
कथनी और करनी में फर्क .
तुम दर्शाते हो मेरे लिए नफरत .
करते हो मेरी उपेक्षा और अपमान भी .
तभी तो रोकते हो मुझे तुम,
जन्म लेने से .
मैं तो अभिशाप हूँ जैसे तुम्हारे लिये.
और जो नवरात्रों में देवी पूजा करते हों ,
व्रत रखते हो .
छोटी -छोटी कन्याओं को बुलाकर खीर पूरी खिलाना ,
तोहफे देना ,
क्या है यह ?
बस ! कुछ दिन की आव-भगत !
उसके बाद…
वोह माता भी तो लड़की ही है .
उनके लिए तो भक्ति -भाव और
और लड़की के लिए नफरत .
क्यों?
तुम मुझे बोझ समझते हो .
घर की चार -दिवारी में बंद कर ,
सामाजिक मर्यादा का वास्ता देकर ,
आजीवन कारावास दे देते हो .
क्यों ?
मुझे ही क्यों ?
भाई को क्यों नहीं .
क्यों की वोह लड़का है ,इसीलिए!
यह कैसा पक्षपात है ?
दुर्गा माता के गुणों का तो बखान .
और मेरे लिए अबला होने फरमान .
क्यों ?
हाँ! मैं लड़की ज़रूर हूँ
मगर मुझे भी जीने का अधिकार है.
मैं क्या पहनूं
और क्या ना पहनूं ,
मुझे कहाँ जाना है ,
कहाँ नहीं ,
क्या करना है ,
क्या नहीं .
मुझे सोचने दो .
मुझे मेरे सपने देखने दो .
मुझे सपने देखने का पूरा अधिकार है.
मेरे पैरों में बेडियाँ मत डालो .
मगर !
मगर तुम कहाँ मानते हो .
मैं सिर्फ एक लड़की हूँ ,
इंसान नहीं .
हर क़दम यह एहसास करवाते हो।
मैं लड़की हूँ तो क्या सार्वजानिक संपत्ति हूँ!
भोग्या हूँ !
नहीं !
मगर तुम्हारी तंगदिली , कुत्सित दिमाग ने ,
मुझे सदा गलत आंका .
तार -तार कर मेरी अस्मत के दामन को ,
मुझे भरे चोराहे पर फेंका .
तुम तो हो गए हो बिलकुल ,
निरंकुश ,खूंखार दरिन्दे की तरह .
जो आमदा रहता है सदा किसी भी
खिली -अधखिली ,मासूम कली को
नोचने , खसोटने ,रोंदने ,और फिर तोड़कर फाड़कर
फेंकने में
तुम्हारे अंदर का इंसान मर गया है शायद .
काश !
काश ! तुमने एक बार तो सोचा होता !
मुझे मात्र शरीर के बजाये एक इंसान समझा होता .
मेरे वस्त्रों तो टटोलने के बजाये मेरा ह्रदय टटोला होता.
मुझमे है आत्मा .
मुझमें है संस्कार ,सभ्यता , और महान मानवीय गुणों का भंडार .
मैं हूँ एक विचार .
मैं मात्र लड़की नहीं ,
मैं एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व हूँ .
मैं ही हूँ वही महान विभूतियाँ .
जिन्होंने देश -दुनिया ,की सभ्यताओं को बदला .
मुझे धारण करते गर तुम पुरुष!
तो पूरण पुरुष बन गए होते .
मगर तुम तो रहे निरे पशु के पशु ही .
मुझे बस शरीर माना .
नहीं देखा तुमने मेरे चेहरे को .
इन आँखों को ,
और उनमें छुपे सूनेपन को .
देखते गर तो तुम्हारा ज़मीर चीत्कार कर उठता .
तुम्हारे भीतर भी ज़रूर कुछ टुटा होता .
मगर नहीं !
असल में तुम ही बस शरीर हो .
तभी तुम दरिन्दे हो .
तुम इंसान रहे कहाँ !
मगर मैं एक इंसान हूँ .
मुझे फिर भी खुद पर नाज़ है .
हाँ! मैं लड़की हूँ !

rafik
31-07-2014, 10:27 AM
ये इंडिया बहुत अलग है एक और इंडिया में लडकियों को देवी का रूप मानते है और दूसरी और उसी लड़की के साथ अभद्र व्योहार किया जाता है
ये कैसा इण्डिया है
आज पूरी दुनिया में से इण्डिया में लड़की सबसे ज्यादा आसुरक्षित महसूस कर ती है
ये वही इण्डिया है जो हर देश में जाना जाता है
ये वही इंडिया है जंहा की नारी पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा रही है

तो यह कैसा इंडिया के लड़की अब बाहर निकलने से ही डरे
जय हिन्द
जय भारत

rajnish manga
31-07-2014, 11:10 PM
आपका कहना सच है. हमारे यहाँ हर जगह दोगलापन है- हमारी सोच में, हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता में और हमारे प्रशासनिक ढाँचे में. इसके अलावा हमारी रूढ़िवादिता, बालक और बालिका में अंतर करने वाली हमारी परवरिश तथा दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति भी इन शैतानी परिस्थितियों के लिये ज़िम्मेदार हैं. हमारे राजनेताओं की गैरज़िम्मेदार बयानबाजी और असंवेदनशीलता approach भी स्थिति को और भी गंभीर बना देते हैं.

rajnish manga
02-08-2014, 12:10 PM
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^

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rajnish manga
02-08-2014, 12:31 PM
*
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https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRtZbaXIdGpII4KeMbgLHfChbi0RtGSA Cw77TQtqsx_tC59Kiae
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बेटियाँ सब के मुकद्दर में....कहाँ होती हैं
घर खुदा को जो पसंद आये वहाँ होती हैं

rajnish manga
02-08-2014, 12:53 PM
https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSUYeulDFhD_o2wY5XyQsnx73b4M3aq_ _xCpzuXNaTTaqg2HIdG^https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSAN_UH5ITfxGzKjg3PRd3BtWLh5bXCV hqS1I7ndjh70SiKVRoQ
^
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRdRWrF6l1vYB6UgrA3QqTV4O8k3h40I Da0mO6ibNyrruVsvF1P2A^https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRwesvPqkHOqrlEYdDG1J6nHC8EekYII ex-o5lXWFADTemzoKMq

rajnish manga
03-08-2014, 10:41 PM
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rajnish manga
08-08-2014, 03:44 PM
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http://photos-e.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-xpa1/t1.0-0/p200x200/563639_531170903629864_1100272192_n.jpg (http://www.google.co.in/url?sa=i&source=images&cd=&cad=rja&uact=8&docid=iEI2-FE27mMA7M&tbnid=5n8cKv-aJZQhWM:&ved=0CAgQjRw4Sg&url=http%3A%2F%2Fmbasic.facebook.com%2FLoveShayrii %3Fv%3Dtimeline%26timecutoff%3D1380797535%26page%3 D2%26sectionLoadingID%3Dm_timeline_loading_div_138 8563199_1357027200_8_2%26timeend%3D1388563199%26ti mestart%3D1357027200%26tm%3DAQDTlGs2Vrj888hB&ei=5qjkU-u6PIPn8AWsmIJg&psig=AFQjCNGAIRnOENSQFo8t19V5gZ3WUAAPow&ust=1407580775116420)

^
^

Dr.Shree Vijay
11-08-2014, 08:56 PM
आप किसका वंश चला रही हैं? :

सास: बहू, बेटा ही पैदा होना चाहिये।

बहू: क्यों?

सास: बेटे से ही वंश चलता है।

बहू: आपके ससुर का नाम क्या है?

सास: वेद प्रकाश सिंह

बहू: उनके पिता का क्या नाम है?

सास: सत्य प्रकाश सिंह

बहू: और उनके पिता का क्या नाम है?

सास: उनका तो पता नहीं।

बहू: और उनके पिता के पिता का क्या नाम था?

सास: बहू, तू ऐसे वाहियात सवाल क्यों कर रही है?

बहू: जब आपको खुद ही नहीं पता कि आप किसका वंश चला रही हैं तो बेटे पैदा करके क्या फायदा?

मैं अभी अविवाहित हूँ।
यदि विवाह नहीं भी होगा तो मेरे कुलनाम को धारण करने वाला कोई व्यक्ति नहीं रहेगा।
ऐसा होने से क्या दुनिया खत्म हो जायेगी?

दुर्भाग्य है कि मेरे कई पुरुष दोस्तों ने विवाह के बाद अपने माता-पिता को घर से मार-भगाया है।
लेकिन बहुत सी लड़कियाँ ऐसी हैं जो आज भी अपने माता-पिता को याद करके उनकी सुध ले लेती हैं।
क्या इसीलिये उपरोक्त सास जैसी महिलाओं को लड़के अच्छे लगते हैं?

तेजी से कम हो रही महिलाओं की संख्या के चलते भारतीय पुरुषों को विवाह के लिये महिलायें कहाँ से मिलेंगी? क्या ये पुरुष दूसरे पुरुषों से ही शादी करेंगे? क्या संविधान में संशोधन करके समलैंगिक विवाहों को अनुमति देनी होगी?

यदि भारत में कन्या भ्रूणहत्या की वजह से महिलाओं की संख्या ऐसे ही कम होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें महिलायें दूसरे देशों से आयात करनी पड़ेंगी। "मेड इन चाइना" बहू कैसी रहेगी? खूब चलेगा अपना वंश, क्यों?

ध्यान रहे कि महिलाओं की आयु पुरुषों से कई साल लंबी होती है। ऐसे में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम कैसे हो गयी? करोड़ों कन्याओं को भ्रूण बनते ही मार दिया गया होगा, ज़रा सोचिये।

यदि दूरदर्शन पर "कृष्णा" धारावाहिक देखा हो तो बतायें कि किस पात्र ने कन्या-हत्या करने की कोशिश की थी, और उसका क्या अंजाम हुआ?

यदि अभी भी समझ में नहीं आया, तो चलिये मेरे आखिरी सवाल का जवाब दीजिये:
"पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक ही बेटा था, जिसने भारत पर कई वर्षों तक प्रधानमंत्री बनकर शासन किया। उसका नाम बताइये" :..........

rajnish manga
12-08-2014, 06:13 PM
बहुत बढ़िया ताने-बाने में एक अत्यंत प्रेरक प्रसंग शेयर करने के लिये आपको धन्यवाद, डॉ. श्री विजय.

rafik
13-08-2014, 12:16 PM
आप किसका वंश चला रही हैं? :

सास: बहू, बेटा ही पैदा होना चाहिये।

बहू: क्यों?

सास: बेटे से ही वंश चलता है।
बिल्कुल सही टिप्पणी

param_s
27-08-2014, 11:27 AM
बड़ा दुःख होता है यह सब पढ़ कर की जो हमें जनम देती है, जो हमें पालती है, पत्नी बन कर प्यार देती है, बेटी बन कर सुख देती है, उसकी हम भारतीय जो नारी को देवी समान मान कर पूजते हैं, कोई कदर नहीं करते हैं। आज ही यह समाचार पढ़ा, बड़ा अफ़सोस हुआ की यह होनहार लड़कियों को जान देनी पड़ी ताकि इनको रोज रोज की छेड़-छाड़ से छूटकारा मिल सके - http://www.amarujala.com/feature/samachar/national/culprit-arrested-in-two-girls-suicide-case-hindi-news-rk/

Dr.Shree Vijay
31-08-2014, 12:49 PM
बहुत बढ़िया ताने-बाने में एक अत्यंत प्रेरक प्रसंग शेयर करने के लिये आपको धन्यवाद, डॉ. श्री विजय.

बिल्कुल सही टिप्पणी

बड़ा दुःख होता है यह सब पढ़ कर की जो हमें जनम देती है, जो हमें पालती है, पत्नी बन कर प्यार देती है, बेटी बन कर सुख देती है, उसकी हम भारतीय जो नारी को देवी समान मान कर पूजते हैं, कोई कदर नहीं करते हैं। आज ही यह समाचार पढ़ा, बड़ा अफ़सोस हुआ की यह होनहार लड़कियों को जान देनी पड़ी ताकि इनको रोज रोज की छेड़-छाड़ से छूटकारा मिल सके - http://www.amarujala.com/feature/samachar/national/culprit-arrested-in-two-girls-suicide-case-hindi-news-rk/



http://www.orkugifs.com/en/images/thanks-for-the-comment_1457.gif

Suraj Shah
31-08-2014, 01:01 PM
एक अत्यंत सुंदर प्रेरक प्रसंग शेयर करने के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद, डॉ. श्री विजय जी......

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 05:51 PM
एक अत्यंत सुंदर प्रेरक प्रसंग शेयर करने के लिये आपको हार्दिक धन्यवाद, डॉ. श्री विजय जी......


प्रिय सूरज जी आपकी टिप्पणियाँ मुझे सदैव प्रोत्साहित करती हैं,
जिनके लिये मैं आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ..........

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:03 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/5822_untitled-2.jpg

आज हर फील्ड में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाई है। आज हम आपको बिजनेस की दुनिया की उन चंद यंग वुमन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानना तो दूर अधिकतर लोगों ने इनके नाम भी नहीं सुने होंगे। लेकिन आज ये सभी यंग वुमन कारोबार की दुनिया में एक सफल और नाम बन चुकी हैं।

इनमें से अधिकतर महिलाओं के पास करोड़ों-अरबों की दौलत है.. चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुईं.. लेकिन इन सबके बावजूद इन्होंने संघर्ष किया.. मेहनत की.. और तरक्की के जुनून को सर चढ़ाकर सफलता की नई कहानी बुनी।

इन महिलाओं ने न सिर्फ बिजनेस जैसे पुरुष प्रधान क्षेत्र में खुद को स्थापित किया बल्कि बुलंदी पर पहुंची" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:06 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0979_2.jpg

संगीता सिंह :

बिजनेस वुमन संगीता सिंह का नाम अधिकतर लोगों के लिए नया ही है। विप्रो टेक्*नोलॉजी में ईएएस सर्विस लाइन की वाईस प्रेसीडेंट और प्रमुख संगीता सिंह ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर बिजनेस की दुनिया में एक नया मुकाम हासिल किया है।

कई बिजनेस अवार्ड से सम्मानित की जा चुकीं संगीता लगातार विप्रो को ग्लोबल ब्रांड बनाने में लगी हुईं हैं। उन्हें बेस्ट एशियन वुमन एक्जीक्यूटिव अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:08 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i3.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0980_3.jpg

सलूजा फिरोडिया मोटवानी :

यंग बिजनेसवुमन की दुनिया में मोटवानी ने एक पैशनेट पर्सनालिटी के रूप में कदम रखा। वो अभी कायनेटिक इंजीनियरिंग इंडिया लिमिटेड में ज्वाइंट एमडी के पद पर हैं। अपनी सफलताओं के दम पर मोटवानी ने इंडियन बिजनेस में एक नई पहचान बना ली है। कायनेटिक से होंडा के अलग होने पर कायनेटिक ब्रांड को स्थापित करने के रूप में मोटवानी ने अपने हुनर का प्रदर्शन बखूबी किया।

कई अवार्ड से सम्मानित की जा चुकीं मोटवानी के नाम एक्सीलेंट वुमन सीईओ और ग्लोबल लीडर ऑफ टूमोरो जैसे अवार्ड के रूप में कई उपलब्धियां हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:09 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i3.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0980_4.jpg

रोशनी नादर :

भले ही टेक टायकून शिव नदार की बेटी रोशनी नदार चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुईं हों, लेकिन होश संभालने के बाद उन्होंने अपने दम पर एक यंग बिजनेसवुमन का सफर तय किया।

एचसीएल कॉर्पोरेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीइओ हैं. मात्र 27 साल की उम्र में इन्होंने इतने बड़े बिजनेस को बखूबी संभाल कर अपनी क्षमता का परिचय दिया. इनके पिता शिव नादर ने एचसीएल की फाउंडर हैं.

सोशल इंटरप्राइजेज मैनेजमेंट से एमबीए करने वाली रोशनी ने अमेरिका में रहकर पढ़ाई की। उसके बाद वापस भारत आकर अपने पिता की कंपनी एचसीएल के ब्रांड नेम को लगातार चमकाने का काम किया है" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:16 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i2.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0980_5.jpg

भार्गवी, पल्लवी और कृतिका :

भार्गवी, कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ की पत्नी हैं. बन वर्ल्ड के नाम से बेकरी वेंचर्स चलाती हैं.

पल्लवी कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ और भार्गवी की बेटी हैं. यह डेक्कन 360 में काम करती हैं.

कृतिका भी कैप्टन जी.आर. गोपीनाथ और भार्गवी की बेटी हैं. यह डेक्कन चार्टर्स में काम करती हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:17 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i7.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0981_6.jpg

प्रीति अदानी :

अरबों के टर्न ओवर वाले अदानी ग्रुप फाउंडेशन को मैनेज करती हैं. इनके पति गौतम अदानी ने यह ग्रुप शुरू किया था. इन दोनों के बेटे करण पोर्ट बिजनेस को संभालते हैं.

अदानी ग्रुप की मेन कंपनीज: अदानी इंटरप्राइजेज, अदानी पावर, अदानी विल्मर, मुद्रा पोर्ट और सेज" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:19 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i1.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0981_7.jpg

राखी कपूर और राधा कपूर :

यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर और बिंदु कपूर की बेटियां हैं. राखी खुद यस बैंक में काम करती हैं, जबकि राधा डोल्ट क्रिएशन्स के नाम से खुद का बिजनेस चलाती हैं. इनकी एक बहन रोशनी हैं जो अभी पढ़ाई कर रही हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 06:21 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0981_8.jpg

नीता पुरी :

मोजर बियर की डायरेक्टर हैं. इसके एडमिनिस्ट्रेटिव विंग को संभालती हैं. अपने पति के साथ मिलकर मोजर बियर कंपनी को खड़ा किया था. बेटा रतुल पुरी और उनकी पत्नी कविता भी मोजर बियर का बिजनेस देखते हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
05-09-2014, 04:37 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://sphotos-d.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-ash3/s480x480/544210_360618037385203_1455433382_n.jpg

श्री सुमन जी :

पिता को बताए बिना यूपीएससी की परीक्षा दी और पास होकर आईपीएस बन गईं।
अगले नौ महीने इंसास, थ्री नॉट थ्री, पिस्टल आदि हथियारों से जमकर फायरिंग की प्रैक्टिस की।

सुमन की पहली पोस्टिंग हुई गया के नक्सली इलाके में,
जहां थोड़े ही समय पहले नरसंहार हुआ था।
वह टीम के साथ मौके पर पहुंची तो हिंसक भीड़ ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी।
सुमन ने जवाबी फायरिंग की। कुछ ही समय में भीड़ तीतर-बितर हो गई।

इसके बाद एक अन्य घटना में जंगल में नक्सली घात लगाकर बैठे थे।
सुमन की टीम पर हमला हुआ तो साथी अफसर पीछे हटने लगे,
लेकिन वह आगे बढ़ती रहीं। अंधेरा होने के कारण आवाज की दिशा में फायरिंग की।
मुठभेड़ में कुछ नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी मिली।
वह कहती हैं धनबाद में कोई पुरुष अधिकारी भी पोस्टिंग लेने से कतराता था,
तब भी वह धनबाद में तस्करों के लिए खौफ का कारण बनी रहीं" :..........



भारत योगी के सौजन्य से :......... (http://www.bharatyogi.net/2013/03/blog-post_7206.html)

soni pushpa
05-09-2014, 05:36 PM
अनमोल बेटियों की अनमोल जानकारी है.... ...धन्यवाद डॉ. श्री विजय जी हम सबके साथ सेर करने के लिए .

Swati M
08-09-2014, 08:09 PM
बेटिया तो सदा ही अनमोल होती हे

Dr.Shree Vijay
07-10-2014, 09:46 PM
अनमोल बेटियों की अनमोल जानकारी है.... ...धन्यवाद डॉ. श्री विजय जी हम सबके साथ सेर करने के लिए .

बेटिया तो सदा ही अनमोल होती हे


:thanks:

Dr.Shree Vijay
07-10-2014, 09:47 PM
https://fbcdn-sphotos-e-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/v/t1.0-9/10408487_1504713799785188_4142223819171616373_n.jp g?oh=9bed487d37acfaa58b4c625fe52f954a&oe=54C75CDB&__gda__=1422357387_a4deac9227b04846e5b95cda4374024 9

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:25 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0981_9.jpg

जी. इंदिरा कृष्णा और शालिनी भूपल :

जी. इंदिरा कृष्णा, जीवीके ग्रुप के फाउंडर जी.वी.के. रेड्डी की पत्नी हैं. ताज जीवीके होटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.

शालिनी भूपल, जी. इंदिरा कृष्णा और जी.वी.के. रेड्डी की बेटी हैं. ताज जीवीके होटल्स में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:27 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i4.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0982_10.jpg

शोभा कपूर और एकता कपूर :

शोभा कपूर बॉलीवुड एक्टर जीतेन्द्र की पत्नी हैं. बालाजी टेलीफिल्म्स की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.

एकता कपूर बालाजी टेलीफिल्म्स की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. अपने सास-बहु सीरियल को लेकर काफी जानी-पहचानी हस्ती बन गई हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:28 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0982_11.jpg

आरती शेट्टी :

आरती शेट्टी: ऑल कार्गो ग्लोबल लॉजिस्टिक लिमिटेड की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं. इनके पति शशि किरण शेट्टी ने इस कंपनी को खड़ा किया था" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:29 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0982_12.jpg

शालिनी कुमार :

शालिनी कुमार: इल्डर फार्मा के इंस्ट्रूमेंट्स विंग की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. अपने पिता जगदीश सक्सेना की खड़ी की गई कंपनी को और आगे ले जाने में अहम योगदान दे रही हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:31 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0982_13.jpg

मनीषा गिरोत्रा :

मनीषा गिरोत्रा: यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरपर्सन हैं. इन्हें मर्जर्स और एक्विजिशन का क्वीन कहा जाता है" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
16-10-2014, 09:33 PM
ये अनमोल बेटियां ! :

http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.businessbhaskar.com/2013/09/22/0983_14.jpg

निसब गोदरेज और तान्या दुबैश :

निसब गोदरेज और तान्या दुबैश। आदि गोदरेज की ये दोनों बेटियां कंपनी में बहुत अहम भूमिका निभा रही हैं। निसब कंपनी में ह्युमन केपिटल एंड इन्नोवेशन की प्रेसिडेंट हैं। तान्या गोदरेज कंपनी ग्रुप के कई बोर्ड्स में हैं" :..........



दैनिक भास्कर के सौजन्य से :......... (http://www.bhaskar.com)

Suraj Shah
21-10-2014, 04:17 PM
प्रेरणादायक सूत्र.

rafik
29-10-2014, 10:40 AM
एक चीख रात को चीर के माँ के हिरदय तक आई
और एक नन्ही सी आवाज़ सुन के माँ तो बहुत रोई
माँ मुझे मत मरो, मत मरो नन्ही सी जान को
जनम से पहेले ही मत मरो इस अनजान को
बस माँ ही सुन सकती थी उसकी करुण पुकार
करना तो बहुत कुछ चाहती थी पर वो थी लाचार
आखिर वो किया कर सकती थी वो डरी सहमी थी औरत
न तो उसमे इतनी हिम्मत थी की वोह करती बग़ावत
तो उसने भर कर आंखों में आंसू का मोती कहा
तेरी अच्छी किस्मत है जो तू जनम नहीं लेती
जनम लेकर भी आखिर तू किया करेगी
इस दुनिया में औरत का कोई सामान नहीं
किया करेगी यहाँ आकर, जहाँ तेरे लिए कोई प्यार नहीं
तू ही है जो सारा जीवन दोहेरी भूमिका निबह्न्येगी
सबकी सेवा करेघी तू, पर सामान नहीं पायेगी
अरे मेरी नन्ही जान, जनम न लेने में ही है तेरी भलाई
और यह कह कर माँ की वेदना और गहराई
पर बेबुस आवाज़ आई, मुझे बस एक मौका दे दो
मुझे एक बार दुनिया में तो आने दो
में अपना ही इन्देर्दानुस बनाउंगी
चलो, चलो माँ एक नरक से कहीं दूर चलते है
तुम्हे यह समझना होगा की नारी से ही वंश चलते है
हाँ तुम ठीक कहेती हो, और माँ एक हॉस्पिटल में पहुंची
जहाँ नीतू का जनम हुआ और जीत हुई नारी की
समय बदला, समाज बदला बदला गयी दुनिया सारी
समझ गया अब संसार सारा अभी नारी नहीं अबला बेचारी

rafik
29-10-2014, 11:06 AM
ऐक तमाचा है उन लोगो के मुह पर
जो बेटियो को ईस दुनिया मै आने से पहले
ही मार देते है।
ऐक तमाचा है उन लोगो के मुह पर जो ये
कहते है के बेटियाँ कभी बेटे की जगह
नही ले सकती। अधिक से अधिक लाईक मित्रो।

https://scontent-b-sin.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/v/t1.0-9/1554470_657574070952573_1765172173_n.jpg?oh=f60c1b 7f26bfe968738d6c8cb8464889&oe=54F7256D

soni pushpa
30-10-2014, 05:01 PM
dil ko chhu lene wali tasveer ... but very , very nice ... bhai ,. सच अब वो जमाना नही रहा जब बेटे ही माँ बाप के तारणहार हुआ करते थे . काश एइसे चित्रों की सच्चाई लोगो की समझ में आ जाय जो बेटी को जन्म से पहले ही मार डालते हैं ...

ajaysagar
04-11-2014, 07:32 AM
ऐक तमाचा है उन लोगो के मुह पर
जो बेटियो को ईस दुनिया मै आने से पहले
ही मार देते है।
ऐक तमाचा है उन लोगो के मुह पर जो ये
कहते है के बेटियाँ कभी बेटे की जगह
नही ले सकती। अधिक से अधिक लाईक मित्रो।

https://scontent-b-sin.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/v/t1.0-9/1554470_657574070952573_1765172173_n.jpg?oh=f60c1b 7f26bfe968738d6c8cb8464889&oe=54f7256d


सच है, लड़कियाँ कभी भी लड़को से कम नहीं रही है, दरअसल लड़कियाँ ही लड़कों के मुकाबले बुढ़ापे में माँ बाप का ज्यादा ख्याल रखती है !

Dr.Shree Vijay
07-11-2014, 04:24 PM
सच है, लड़कियाँ कभी भी लड़को से कम नहीं रही है, दरअसल लड़कियाँ ही लड़कों के मुकाबले बुढ़ापे में माँ बाप का ज्यादा ख्याल रखती है !




प्रिय अजय जी, आपने शतप्रतिशत सही कहा.........

Dr.Shree Vijay
07-11-2014, 04:25 PM
https://scontent-a-lhr.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/v/t1.0-9/1010132_329123013957611_1924928552854214117_n.jpg? oh=f1295b048c5b86ed92993f3f8550c1aa&oe=54DE3415

rafik
14-11-2014, 09:10 AM
https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTeveHyp03y-VF_X0Ie3T8VOj0oT5NJ0k8VKkBut18PQdWM0Y97

rafik
14-11-2014, 09:23 AM
http://farm6.static.flickr.com/5048/5236892523_9025aaa52e.jpg

r.raja
14-11-2014, 05:12 PM
betiyo ko bachana hmara farz hai

Dr.Shree Vijay
18-11-2014, 10:14 PM
हीरे कि कीमत :

एक संत की कथा में एक बालिका खड़ी हो गई।
उसके चेहरे पर आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था।
उसके साथ आए उसके परिजनों ने उसको बिठाने
की कोशिश की, लेकिन बालिका नहीं मानी।

संत ने पूछा...... बोलो बालिका क्या बात है?
बालिका ने कहा, महाराज घर में लड़के को हर प्रकार
की आजादी होती है। वह कुछ भी करे, कहीं भी जाए
उस पर कोई खास टोका टाकी नहीं होती।
इसके विपरीत लड़कियों को बात बात पर
टोका जाता है। यह मत करो, यहाँ मत जाओ, घर
जल्दी आ जाओ। आदि आदि।

संत ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराने लगे।
उसके बाद उन्होंने कहा, बालिका तुमने कभी लोहे
की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे हैं?
ये गार्डर सर्दी, गर्मी, बरसात, रात दिन इसी प्रकार
पड़े रहतें हैं। इसके बावजूद इनकी कीमत पर कोई अन्तर
नहीं पड़ता।

लड़कों की फितरत कुछ इसी प्रकार की है समाज में।
अब तुम चलो एक जोहरी की दुकान में।
एक बड़ी तिजोरी, उसमे एक छोटी तिजोरी।
उसके अन्दर कोई छोटा सा चोर खाना।
उसमे से छोटी सी डिब्बी निकालेगा। डिब्बी में रेशम
बिछा होगा। उस पर होगा हीरा।
क्योंकि वह जानता है कि अगर हीरे में जरा भी खरोंच
आ गई तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी।

समाज में लड़कियों की अहमियत कुछ इसी प्रकार
की है। हीरे की तरह जरा सी खरोंच से उसका और उसके
परिवार के पास कुछ नहीं रहता। बस यही अन्तर है लड़ियों और लड़कों में।
इस से साफ है कि परिवार लड़कियों की परवाह अधिक करता है।

बालिका को समझ में आगया क्यों बच्चियों की फिक्र
ज्यादा होती है...

ईसीलिऐ मेरी प्यारी बहनो आप सब ये कदापि ना सोचे के परिवारजन आपको ज्यादा टोका टाकी करते है तो वो आपसे प्यार कम करते है अपितु यह तो उनका आप के प्रति अत्याधिक स्नेह और चिंता करना स्वाभाविक व्यवहार है !!" :..........

soni pushpa
18-11-2014, 10:46 PM
wow kitna khoobsurat jawab hai sant shree ji ka. aaj bachhiyan jub ye sawal kartin hai tab use samjhane ke liye achha udaharan hai ye dr shree vijay ji .

kintu jub exhibition me heere ko rakha jata hai tab hi log uski parakh kar sakte hain ... jub ghar ki chaar diwari se use bahar nikalne diya jayega tab hi uski pratibha ka pata dunia ko chalega
sabke samne aaye tab hi wo apni yogyata bata sakti hai
veise hi ek ladki ko yadi mouke diye jay to hum jan sakenge ki usme kitna hunnar hai , wo kitna age badh sakati hai ... eise makhamali udaharan dekar hi samaaj ne stri ki shakti ko kum aanka hai hamesha . vijay ji kuchh der ke liye or sunne me ye bat achhi jarur lagti hai kintu eisi baten mahilaon ke vikas me badhak hain eisa mera manna hai ...yadi kalpna chavda , pt usha or eisi hi anek yogya mahilayen ghar ki chaar diwari me beithe rahti to aaj hum unhe jante tak nahi
...

( kisi vajah se devnagari lipi me nahi likh pa rahi i m so sorry

saritanami
19-11-2014, 02:23 PM
बेटिया इस देश का भविस्य हैं, सही में ये तश्वीर उन लोगो के मूह पे बहुत बड़ा तमाचा है जो लोग बेटी को एक आफत समज के उनको पैदा होने से पहले कोख में ही मार देते हैं ये समज के की ये बेटी हमारे लिए एक खर्चे का न्योता है. इस फोरम और इस पोस्ट के माध्यम से में ऐसे लोगो को कहना चाहूंगी की कृपया करके बेटी को एक बेटे जैसा अधिकार दे उसे अपने पर बोझ न सम्झे.

saritanami
19-11-2014, 02:27 PM
बेटिया इस देश का भविस्य हैं, सही में ये तश्वीर उन लोगो के मूह पे बहुत बड़ा तमाचा है जो लोग बेटी को एक आफत समज के उनको पैदा होने से पहले कोख में ही मार देते हैं ये समज के की ये बेटी हमारे लिए एक खर्चे का न्योता है. इस फोरम और इस पोस्ट के माध्यम से में ऐसे लोगो को कहना चाहूंगी की कृपया करके बेटी को एक बेटे जैसा अधिकार दे उसे अपने पर बोझ न सम्झे.

Dr.Shree Vijay
19-11-2014, 05:30 PM
wow kitna khoobsurat jawab hai sant shree ji ka. aaj bachhiyan jub ye sawal kartin hai tab use samjhane ke liye achha udaharan hai ye dr shree vijay ji .

kintu jub exhibition me heere ko rakha jata hai tab hi log uski parakh kar sakte hain ... jub ghar ki chaar diwari se use bahar nikalne diya jayega tab hi uski pratibha ka pata dunia ko chalega sabke samne aaye tab hi wo apni yogyata bata sakti hai
veise hi ek ladki ko yadi mouke diye jay to hum jan sakenge ki usme kitna hunnar hai , wo kitna age badh sakati hai ... eise makhamali udaharan dekar hi samaaj ne stri ki shakti ko kum aanka hai hamesha . vijay ji kuchh der ke liye or sunne me ye bat achhi jarur lagti hai kintu eisi baten mahilaon ke vikas me badhak hain eisa mera manna hai ...yadi kalpna chavda , pt usha or eisi hi anek yogya mahilayen ghar ki chaar diwari me beithe rahti to aaj hum unhe jante tak nahi
...

( kisi vajah se devnagari lipi me nahi likh pa rahi i m so sorry


प्रिय पुष्पा जी, 1. सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार....

2. आपने एक सुंदर प्रश्न रख्खा हें कि " jub ghar ki chaar diwari se use bahar nikalne diya jayega tab hi uski pratibha ka pata dunia ko chalega sabke samne aaye tab hi wo apni yogyata bata sakti hai " ?

तों मेरे हिसाब से इस प्रश्न का उत्तर आपने ही दे दिया हें -
kintu jub exhibition me heere ko rakha jata hai tab hi log uski parakh kar sakte hain ...

यह बात तों जोहरी अच्छी तरह से जानता हें कि हीरे को कब उचित स्थान और उचित समय पर सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना हें, अनमोल वस्तुओं को हाट बजार या सब्जीमंडी में तों प्रदर्शित नही किया जाता हें......

इस कथा का मूल हार्द बेटियों कि परवाह(Care), उनकीं फ़िक्र से हें,
जिसको संत महात्मा जी ने अनमोल हीरे से बेटियों कि तुलना करके श्रेठतम उदाहरण द्वारा समझाया कि बेटियां अनमोल हें, यहाँ पर चार दीवारी में बंध रखने कि जैसी कोई बात ही नही हें, और ना ही इस कथा में ऐसा कोई प्रश्न किया गया हें........

soni pushpa
20-11-2014, 10:34 AM
[QUOTE=Dr.Shree Vijay;540302][SIZE="3"]प्रिय पुष्पा जी, 1. सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार....

2. आपने एक सुंदर प्रश्न रख्खा हें कि [COLOR="Red"]" jub ghar ki chaar diwari se use bahar nikalne diya jayega tab hi uski pratibha ka pata dunia ko chalega sabke samne aaye tab hi wo apni yogyata bata sakti hai " ?

तों मेरे हिसाब से इस प्रश्न का उत्तर आपने ही दे दिया हें -
kintu jub exhibition me heere ko rakha jata hai tab hi log uski parakh kar sakte hain ...

यह बात तों जोहरी अच्छी तरह से जानता हें कि हीरे को कब उचित स्थान और उचित समय पर सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना हें, अनमोल वस्तुओं को हाट बजार या सब्जीमंडी में तों प्रदर्शित नही किया जाता हें......

इस कथा का मूल हार्द बेटियों कि परवाह(Care), उनकीं फ़िक्र से हें,
जिसको संत महात्मा जी ने अनमोल हीरे से बेटियों कि तुलना करके श्रेठतम उदाहरण द्वारा समझाया कि बेटियां अनमोल हें, यहाँ पर चार दीवारी में बंध रखने कि जैसी कोई बात ही नही हें, और ना ही इस कथा में ऐसा कोई प्रश्न किया गया हें.......


डॉ श्री विजय जी , बहुत बहुत आभार , आपने इस कहानी के जिस स्वरुप को आपनी नजर से देखा वो पहली नजर में मुझे भी बहुत अच्छा लगा की, संत जी ने कितने अछे से समझाया
किन्तु आपसे इतना पूछना चाहूंगी की हमारे समाज में बाबाओ ने इस तरह की कहानियो द्वारा अपरोक्ष रूप से स्त्री स्वतंत्रता पर बंदिश नही लगाईं ? आपको एइसा कभी नही लगा क्या ? मेरे ख्याल से आप जरुर मानते हैं इस बात को क्यूंकि आपने इसी सूत्र में महिलाओं के लिए बहुत अच्छा अच्छा लिखा है .

बाकि डॉ श्री विजय जी मैंने आपने सभी विचार हीरे की परख वाले ब्लॉग में रखे हैं please आप उसे पढियेगा तब आप समझ जायेंगे की मैंने कुछ गलत बात नही कही .

Dr.Shree Vijay
20-11-2014, 04:50 PM
डॉ श्री विजय जी, बहुत बहुत आभार, आपने इस कहानी के जिस स्वरुप को आपनी नजर से देखा वो पहली नजर में मुझे भी बहुत अच्छा लगा की, संत जी ने कितने अछे से समझाया किन्तु आपसे इतना पूछना चाहूंगी की हमारे समाज में बाबाओ ने इस तरह की कहानियो द्वारा अपरोक्ष रूप से स्त्री स्वतंत्रता पर बंदिश नही लगाईं ? आपको एइसा कभी नही लगा क्या ? मेरे ख्याल से आप जरुर मानते हैं इस बात को क्यूंकि आपने इसी सूत्र में महिलाओं के लिए बहुत अच्छा अच्छा लिखा है.

बाकि डॉ श्री विजय जी मैंने आपने सभी विचार हीरे की परख वाले ब्लॉग में रखे हैं please आप उसे पढियेगा तब आप समझ जायेंगे की मैंने कुछ गलत बात नही कही .


प्रिय पुष्पा जी, आपने मुझसे अच्छा प्रश्न किया हें, मेरा स्वभाव और मेरी सोंच सदा ही सकारात्मक हैं,
आज तक मेरे जीवन में और फोरम में भी मैने कभी किसी के दिल को ठेस नहीं पहुचाई और ना ही किसी के लिये ओछे शब्दों का उपयोग किया मैने सदा जीवनोपयोगी सार ही ग्रहण किया भूसे कों वहीं रहने दिया, मैने सदा ग्लास आधा भरा हुआ ही देखा किसी कों अगर आधा खाली नजर आये तों वह उनकी सोंच, क्युकी सत्य तों दोनों ही कह रहें हैं, यह तों हुई मेरी अपनी बात अब आतें हें आपके प्रश्न पर .....

प्रश्न : किन्तु आपसे इतना पूछना चाहूंगी की हमारे समाज में बाबाओ ने इस तरह की कहानियो द्वारा अपरोक्ष रूप से स्त्री स्वतंत्रता पर बंदिश नही लगाईं? आपको एइसा कभी नही लगा क्या ?

जितनी इज्जत स्त्री यों कि यहाँ इसी भारत में थी उतनी तों शायद समग्र संसार में भी नही थी, यहाँ यही सिखाया जाता था " जहाँ नारी कि पूजा होतीं हें वहीं देवताओं का निवास होता हें " यही हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता थी, आप इतिहास उठाके देख लीजिए जितना नाम यहाँ नारियों ने किया उतना तों शायद पुरुषों ने भी नहीं किया !

आप जो बात कर रही हें वो आज के आजाद भारत कि हें तों आज भी यहाँ बेटियां कई क्षेत्रोंमें पुरुषों से एक कदम आगे ही हें, वह मैने उपरोक्त कई चित्रों में प्रस्तुत किया हें,

रही बात बाबा ऑ की तों बाबाओं और संतो में बहुत बड़ा भेद हें, संतो की बातें सदा ही सारगर्भित होती हें, इन तथा कथित बाबाओं की नही, आज इन तथा कथित बाबाओं की वजह से संत समाज कों भी हिन् भावनाओं से देखा जा रहा हें, यह बातें फिर कभी !!!

rajnish manga
20-11-2014, 11:11 PM
पुष्पा सोनी जी और डॉ श्री विजय दोनों ने ही यहाँ अपने अपने सारगर्भित विचार हम सब से साझा किये जिससे हमें उन दोनों के दृष्टिकोण को जानने का अवसर प्राप्त हुआ. हमारे समाज में जहाँ अच्छाइयाँ दिखाई देती हैं, वहां बुराईयां भी कम नहीं हैं. आधुनिक स्त्री ने सृजनात्मक, व्यावसायिक, कार्मिक, आर्थिक या राजनैतिक क्षेत्र में आज जो मुकाम हासिल किया है वह अपने बूते पर हासिल किया है, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए. सैंकड़ों साल तक हमारे ढकोसलाग्रस्त तथा पुरुष प्रधान समाज ने अनुसूचित जाति के लोगों और महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक समझा और कहा:

ढोल गँवार सूद्र पसु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी

अगर आज इनकी स्थिति में कुछ बदलाव दिखाई देता है तो इसका श्रेय इन तबकों के निरंतर संघर्ष तथा हार न मानने की इनकी दृढ़ इच्छा शक्ति को दिया जाना चाहिए. इन दोनों तबकों के प्रति हमारे समाज की सोच के उदाहरण आपको इतिहास की किताबों में नहीं बल्कि दैनिक समाचार पत्रों की सुर्ख़ियों में मिल जायेंगे. हमारा कर्तव्य है की हम इस बदलाव को नम्रता पूर्वक स्वीकार करें. बहुत बहुत धन्यवाद.

soni pushpa
21-11-2014, 10:07 AM
[QUOTE=Dr.Shree Vijay;540336][size="3"][color="blue"]
प्रिय पुष्पा जी, आपने मुझसे अच्छा प्रश्न किया हें, मेरा स्वभाव और मेरी सोंच सदा ही सकारात्मक हैं,
आज तक मेरे जीवन में और फोरम में भी मैने कभी किसी के दिल को ठेस नहीं पहुचाई और ना ही किसी के लिये ओछे शओं का निवास होता हें " यही हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता थी, आप इतिहास उठाके देख लीजिए जितना नाम यहाँ नारियों ने किया उतना तों शायद पुरुषों ने भी नहीं किया !

dr shree vijay ji धन्यवाद ... सबसे पहले आपको बताना चाहूंगी की मैंने आपके लिए एइसा नही कहा की आपने किसी के दिल को ठेस लगे वेइसी बातें कही है ... मेने आपके बहुत सारे सूत्र पढ़े हैं और जिससे मेरी नजर में आपका सम्मान बहुत है.. मैंने देखा है हर सूत्र में की आपने सूत्र के सकारात्मक भाव को ही अपनाया है जो की आपके स्वाभाव से पाठक को परिचित करता है.

रही बात मेरे प्रश्न की.. जिसके जवाब में आपने बताया की प्राचीन काल से हमारे यहाँ स्त्रियों का सम्मान होता आया है, तो आपको याद दिलाना चाहूंगी की जिन दिनों में स्त्री सम्मान की बातें होती थी, उन्हें मान दिया जाता था तब का लिखा है ये रामायण का दोहा ...ढोर गवांर शुद्र पशु नारी है ताडन के ये ... अधिकारी याने की पशुओ के साथ समानता की गई इस समाज में .. हर युग में एक समय एइसा आया है की महिलाओं को अपमान का सामना करना पड़ा है..

सत युग में सती, त्रेता में सीता , द्वापर युग में द्रौपदी और कलियुग में तो आज हजारो दामिनियाँ और कोमल कलियों को कितना कुछ सहना पड़ रहा है. आज के समय की छवि हमे रोज समाचार पत्र में टीवी में पढ़ने , देखने मिलती है


जी हाँ संतो और बाबाओ में फर्क है किन्तु संत श्री यदि सार गर्भित उदहारण देते हैं तो उन्हें समाज को समझाना जरुरी है की स्त्री पुरुष में भेद न रखकर बेटी को हीरा समझकर उसे डिब्बे में बंद करने की बजाय उसे आगे बढ़ने का मौका दें लोग समाज को ये समझाए की बेटे को सबसे पहले संस्कारी बनाये क्यूंकि संतों की वाणी समाज पर ज्यदा असर करती है .


डॉ श्री विजय जी फिर आपसे कहना चाहूंगी की आपसे मुझे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नही ये तो जब बात बेटियों की, महिलाओं की बंदिश की आती हैउनके साथ होते भेदभाव की आती है और इस भेदभाव की वजह से किसी बेटी का ज्ञान किसी बेटी का टेलेंट धरा का धरा रह जाता है और इस भेदभाव की वजह से कोई बेटी अपना जीवन बर्बाद होते देखते रहती है कुछ नही कह सकती मन मसोस कर रह जाती है तब मन में दुःखी होता है की हमारे समाज में आखिर एइसा भेदभाव क्यों.. क्यूँ ???

soni pushpa
21-11-2014, 10:26 AM
[QUOTE=rajnish manga;540388][font=arial][size=3]पुष्पा सोनी जी और डॉ श्री विजय दोनों ने ही यहाँ अपने अपने सारगर्भित विचार हम सब से साझा किये जिससे हमें उन दोनों के दृष्टिकोण को जानने का अवसर प्राप्त हुआ. हमारे समाज में जहाँ अच्छाइयाँ दिखाई देती हैं, वहां बुराईयां भी कम नहीं हैं. आधुनिक स्त्री ने सृजनात्मक, व्यावसायिक, कार्मिक, आर्थिक या राजनैतिक क्षेत्र में आज जो मुकाम हासिल किया है वह अपने बूते पर हासिल किया है, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए. सैंकड़ों साल तक हमारे ढकोसलाग्रस्त तथा पुरुष प्रधान समाज ने अनुसूचित जाति के लोगों और महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक समझा और कहा:

ढोल गँवार सूद्र पसु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी


आदरणीय रजनीश जी ,, बिलकुल सटीक बात कही आपने महिलाएं आज भी आपने हक़ के लिए संघर्ष कर रहीं हैं और फलस्वरूप उन्हें कुछ अंशों तक ही सफलता मिली है पूरी नही ...

जी आपने दोहे की बात कही है जो, उसपर कई प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं की राम के ज़माने में भी नारी सुखी नही थी ? जबकि ये दोहा तब लिखा गया था जब सागर ने राम की प्रर्थना को अनसुनी की और लक्षमण ने कहा था की ढोर गंवार शुद्र पशु नारी ताडन के है सब अधिकारी तब वहां स्त्री ने क्या दोष किया था ? क्या गुनाह था उसका ? फिर भी स्त्री के लिए इतनी बड़ी बात कह दी .जबकि समुद्र पुरुष स्वरुप में प्रकट हुआ था .ये कहानी हमने रामायण के प्रवचन देते संतो द्वारा ही सुनी है
रजनीश जी ..बहुत बहुत धन्यवाद

soni pushpa
02-12-2014, 08:58 PM
[QUOTE=rajnish manga;540388][font=arial][size=3]पुष्पा सोनी जी और डॉ श्री विजय दोनों ने ही यहाँ अपने अपने सारगर्भित विचार हम सब से साझा किये जिससे हमें उन दोनों के दृष्टिकोण को जानने का अवसर प्राप्त हुआ. हमारे समाज में जहाँ अच्छाइयाँ दिखाई देती हैं, वहां बुराईयां भी कम नहीं हैं. आधुनिक स्त्री ने सृजनात्मक, व्यावसायिक, कार्मिक, आर्थिक या राजनैतिक क्षेत्र में आज जो मुकाम हासिल किया है वह अपने बूते पर हासिल किया है, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए. सैंकड़ों साल तक हमारे ढकोसलाग्रस्त तथा पुरुष प्रधान समाज ने अनुसूचित जाति के लोगों और महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक समझा और कहा:

ढोल गँवार सूद्र पसु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी


आदरणीय रजनीश जी ,, बिलकुल सटीक बात कही आपने महिलाएं आज भी आपने हक़ के लिए संघर्ष कर रहीं हैं और फलस्वरूप उन्हें कुछ अंशों तक ही सफलता मिली है पूरी नही ...

जी आपने दोहे की बात कही है ,,,? जबकि ये दोहा तब लिखा गया था जब सागर ने राम की प्रर्थना को अनसुनी की और लक्षमण ने कहा था की ढोर गंवार शुद्र पशु नारी ताडन के है सब अधिकारी तब वहां स्त्री ने क्या दोष किया था ? क्या गुनाह था उसका ? फिर भी स्त्री के लिए इतनी बड़ी बात कह दी .जबकि समुद्र पुरुष स्वरुप में प्रकट हुआ था .ये कहानी हमने रामायण के प्रवचन देते संतो द्वारा ही सुनी है
रजनीश जी ..बहुत बहुत धन्यवाद

DevRaj80
04-12-2014, 04:28 PM
वास्तविक हृदय उदगार