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View Full Version : गोरैया की आवाज़


rajnish manga
16-04-2014, 03:13 PM
गोरैया की आवाज़

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32857&stc=1&d=1397642948
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मुझे भूल तो नहीं गये ?? अरे, भूल भी जाओगे तो मुझे कोई आश्चर्य ना होगा. तुम मानव होते ही इतने निष्ठुर हो.हम प्राणियों में तुम सबसे ज्यादा मोह माया का ढोंग करते हो. तो कहाँ गयी थी तुम्हारी वो मोह माया,जब तुमने हमें विलुप्ती के कगार पर पहुंचा दिया ? कहाँ गयी थी तुम्हारी वो मोह माया जब तुमने मुझे दुर्लभतम प्राणी की श्रेणी में पहुंचा दिया? तुम्हें याद न आयेगा ,मै खुद याद दिलाती हूँ. मै गोरैया हूँ, तुम्हारे हर सुख-दुःख में साथ रहने वाली, छोटी सी चिड़िया.

मै सदियों से मानव के आस–पास रहने वाली आम पक्षी थी .मैंने सदियों से तुम्हारी मदद कि है. 19 वी शताब्दी में जब तुम मुझे दोस्त की तरह मेडिटेरियन से एशिया और यूरोप लाये थे, तो मैंने तुम्हारे बागों से तुम्हारे वृक्षों में पैदा होने वाले हानिकारक कीटो को ख़त्म करने में तुम्हारी मदद की थी. मै पूरी दुनिया में फैलने वाली सबसे बड़ी प्रजाति थी. और आज शहरों को तो छोड़ दो, मै गावों से भी विलुप्त होने के कगार पर हूँ. इसका यही मतलब है कि इस आधुनिकीकरण के दौर में तुम हमारे, और हमारे जैसे कई जीवो की उपेक्षा लगातार करते आ रहे हो.
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rajnish manga
16-04-2014, 03:20 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32858&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32858&d=1397642943)

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कुछ दशक पहले, जब छोटे-छोटे गाँव हुआ करते थे, और उसके पास बड़े–बड़े खेत-खलिहान हुआ करते थे, तो हमे आसानी से इन खेत–खलिहान में हमारे लिए कीट-पतंगे मिल जाते थे. परन्तु उसके बाद तुम्हारी आबादी बढती चली गयी, इट-पत्थर से बने कंक्रीट के घर बढ़ते गये ,और तुम्हारे खेत-खलिहान दिनों दिन छोटे होते चले गये .अब तुम्हारी जरूरते बढ़ी, तुम्हे इतनी ही जमीन में अधिक पैदावार कि आवश्यकता जान पड़ी. तुम्हे अपनी जीने की फ़िक्र थी, इसलिए तुमने अधिक पैदावार बढ़ाने के लिये, खेतों में हानिकारक खाद डाले. इससे तुम पैदावार बढ़ा पाने में तो सफल हो गये, लेकिन तुमने इससे खेतों के साथ साथ पर्यावरण को भी दूषित किया. जिसका नतीजा तुम्हें और अन्य प्राणियों को तो बाद में भुगतना पड़ेगा, पर इसके तत्काल हानिकारक प्रभाव से हम ना बच पाये.
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rajnish manga
16-04-2014, 03:30 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943)

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इतने में भी तुम्हारा मन नहीं भरा तो तुमने हमारे उन फलदार वृक्षों को काट दिया ,जहाँ हम हमारे बच्चों के साथ घोसला बना कर रहते थे. फैक्टरियों से लाखो मेट्रिक टन जहरीला धुआं निकाल कर तुमने तत्काल तो हमारी जिन्दगी पर प्रश्न चिह्न लगा दिया.पर अगर यही हाल रहा तो भविष्य में तुमपर भी ऐसा ही प्रश्नचिह्न लगेगा,और तुम लाख जतन करके भी अपने आप को नहीं बचा पाओगे .हमे तुम्हारी चिंता है, क्योंकि हमारा-तुम्हारा सदियों का साथ रहा है, हम तुम्हारी तरह इतने मतलबी भी नहीं हैं, कि सिर्फ अपने जीवन के बारे में सोचे.

https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRv9u-MWtCGwCswd8m_iUTpciZsWQxV9mjqbxjLLg3NgNYzdfVS ^ https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcT_ZPu-8xcIQsm6FxeFmeoJb03PkV_Uoffhg_TZ378MDGKjtp-m0Q

rajnish manga
16-04-2014, 03:37 PM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRkEtHUgX3siCbcEiy56dijC72mUUYof U5b1dbCK0MOMYTGAcA92Q

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अरे, तुम तो इतने बेरहम हो कि तुमने तो हमारी समूल नाश की योजना तक बना डाली है .जब तुम्हारा खेतों और वायु को प्रदूषित करने के बाद भी मन नहीं भरा तो तुमने मोबाईल टावर लगा दिए. महज सिर्फ अपनी सुविधा के लिए, तुमने हमारे बारे में एक बार भी नहीं सोचा. हाल फिलहाल यही मोबाईल रेडिएशन हमारी जान का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. पहले ये मोबाईल टावर गाँव तक नहीं पहुंचे थे तो हम कम से कम गाँवों में सुरक्षित थे, पर तुमने गावों में भी टावर बैठा कर ,हमारी रही सही उम्मीद भी तोड़ दी.

rajnish manga
16-04-2014, 04:01 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32859&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32859&d=1397642943)

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https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSxsvit1jIPO77-4751uwUZx82RqRtpooRBBYhL_8y5svwBa9AH4Q ^ https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcR0NM8pMXGy4nBD2PxJbZcXzS9X2tjyF TQItv6nVSbSPCqs8KVH

rajnish manga
16-04-2014, 04:06 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32861&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32861&d=1397642943)
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हम जानते हैं, कुछ दिनों में हम इस दुनिया के लिए इतिहास बनने वाले हैं, हमें तब किताबों में पढ़ा जायेगा और कहा जायेगा “एक थी गोरैया”. पर हम नहीं चाहते कि कुछ दिनों बाद तुम मानव भी हमारी ही तरह इतिहास बन जाओ. जब प्रकृति अपना कहर ढायेगी, तब तुम्हारी सारी बुद्धिमत्ता हवा हो जायेगी. इसका उदहारण बड़े बड़े भूकंप, सुनामी और अन्य कई भीषण प्राकृतिक आपदा से प्रकृति दे भी रही है. इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी का दंभ भरने वाले मानव, तुम तो खुद प्रकृति का असीमित दोहन करके अपने लिए कब्र तैयार कर रहे हो.
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https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ9UrFrplHrIpdQBdex6OczcEfJC9xZ1 V_r00kxK7Qo4cJqh0WH ^^ https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTX8-ODvr3U-ScbLU1dqw2mpInFRsyPneT4eH47-PbFUdFUkczjlA
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तुम ये क्यों भूल जाते हो कि प्रकृति ने ये सृष्टि सिर्फ तुम मानवों के लिए नहीं बनायी थी, यहाँ सभी जीवों को रहने का समान अधिकार था, अगर तुम हम जीवों को हमारे अधिकारों से वंचित करोगे तो एक दिन सृष्टि भी तुम्हें तुम्हारे अधिकारों से वंचित कर देगी.

https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRaBCeO3BPGfdq010ewa1rP8jpdzC1sf tnVsMolDkbZ5qf8olPa
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आलेख श्रेय: राहुल आनंद

Dr.Shree Vijay
16-04-2014, 05:06 PM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:and9gcrkethugx3sicbceiy56dijc72muuyof u5b1dbck0momytgaca92q

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अरे, तुम तो इतने बेरहम हो कि तुमने तो हमारी समूल नाश की योजना तक बना डाली है .जब तुम्हारा खेतों और वायु को प्रदूषित करने के बाद भी मन नहीं भरा तो तुमने मोबाईल टावर लगा दिए. महज सिर्फ अपनी सुविधा के लिए, तुमने हमारे बारे में एक बार भी नहीं सोचा. हाल फिलहाल यही मोबाईल रेडिएशन हमारी जान का सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. पहले ये मोबाईल टावर गाँव तक नहीं पहुंचे थे तो हम कम से कम गाँवों में सुरक्षित थे, पर तुमने गावों में भी टावर बैठा कर ,हमारी रही सही उम्मीद भी तोड़ दी.






यह खतरनाक नग्न सत्य हैं की हम बेरहम इंसानों ने हमारे स्वार्थ के लिए परमात्मा द्वारा रचित इस सुन्दरतम सृष्टि के कई प्राणियों के प्राणों को हरा ही नही अपितु बर्बाद भी किया ! जिसका दंड हमारी आने वाली पीढियों को ब्याज़ समेत चुकाना पड़ेगा हम उनके लिए यही क्रूरतम धरोहर छोड़ जायेंगे........

rajnish manga
01-05-2014, 08:07 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943)


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इसी विषय पर कुछ और ज्ञानवर्धक सामग्री 'महफ़िल' नामक सूत्र में रफ़ीक भाई द्वारा इकट्ठी की गई है जिसे निम्नलिखित link पर क्लिक कर के देख सकते हैं:

http://myhindiforum.com/showthread.php?t=12834 (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=12834)

rajnish manga
24-06-2014, 04:37 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943)


अशुभ कृत्य और गौरैया
आलेख: शोभा मिश्रा

आरी,बरछी,कुल्हाड़ी और कटती शाखों की चीखों से आज सुबह नींद खुली ...बिस्तर पर लेटे-लेटे खिड़की की तरफ निगाह गई .. सूखा पॉपुलर अपनी जगह पर था लेकिन आज कुछ सहमा हुआ था .. रोज सुबह बैठी चहकने वाली गौरैया, बुलबुल का जोड़ा भी नहीं था !

मैं भागकर बालकनी में गई ... कुछ लोग हरे-भरे पेड़ काटने में लगे हुए थे ... नीचे जाकर उन्हें रोका तो सारी पड़ोसन घर से बाहर आ गई .. पूछने पर कि क्यों पेड़ कटवा रही हैं आप लोग ? उनका कहना था कि सर्दी में खिड़कियों से धूप नहीं आती और पेड़ों के पत्तों से बहुत कूड़ा होता है ! मेहंदी और शहतूत का पेड़ पूरा क्यों कटवा दिया और केले में तो फल लगा था ? पूछने पर जवाब मिला कि मेहँदी के पेड़ पर भूत रहता है और गर्मियों में झुग्गी के बच्चे शहतूत तोड़ने बाउंड्री की दीवार फांदकर अन्दर आ जातें हैं !
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rajnish manga
24-06-2014, 04:41 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32860&d=1397642943)^http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32861&d=1397642943 (http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=32861&d=1397642943)


अशुभ कृत्य और गौरैया
मेरे लिए अजीब विचलित करने वाला दृश्य था ... सूखे पॉपुलर को काटने से मना किया तो सभी औरतें कहने लगीं ये सूखा पेड़ है .. सुबह-सुबह नज़र पड़ ही जाती है ... सूखा पेड़ देखना शुभ नहीं होता है .. मैंने कहा - "मैं तो रोज सुबह सबसे पहले इस सूखे पेड़ को ही देखती हूँ और इस पर इतनी प्यारी-प्यारी चिड़िया बैठती हैं . मेरे साथ तो कुछ भी अशुभ नहीं हुआ ?"

लेकिन मेज़ोरिटी जीतती है .. खूब पेड़ काटे गए .. मेरा सूखा पॉपुलर भी काटा गया .. काटने के बाद उसके टुकड़े -टुकड़े किये गए .. छोटी डंडियों के गट्ठर बाँधकर कुछ लोग ले गए ! सूखी लकड़ियों से चूल्हा जलते तो खूब देखा है लेकिन इस सूखे पेड़ से ना जाने क्यों बहुत लगाव हो गया था .. ये मेरी प्यारी चिड़ियों का बसेरा था ... इसी पर मैंने कितनी ही बार नीलकंठ देखा था .. ! खैर ....

आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन ये अशुभ कृत्य करवाने के लिए दूसरे समुदायों के लोगों को बुलाया गया था ... पेड़ों के पूजने वाले लोगों के फरमान पर पेड़ काट दिए गए ... लेकिन मेरी नज़र में 'वो' पेड़ काटने वालों से ज्यादा दोषी हैं ..!

रात में खिड़की के बाहर कार्तिक पूर्णिमा के चाँद की छटा बिखरी हुई दिख रही है .. लेकिन इसी खिड़की से मेरा जो सूखा पॉपुलर (वृक्ष) रात में मुझे सोता नज़र आता था उस जगह का आसमान पूनम की चाँदनी में भीगा उदास है

rafik
24-06-2014, 04:48 PM
:bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:

rafik
30-07-2014, 02:43 PM
https://fbcdn-sphotos-g-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpf1/t1.0-9/10488364_731526470226989_1859106843025284148_n.jpg

rajnish manga
19-08-2014, 02:10 PM
http://lekhakmanch.com/wp-content/uploads/2012/12/mahesh-punetha.kunwar-ravindra.jpg (http://www.google.co.in/url?sa=i&source=images&cd=&cad=rja&uact=8&docid=fwJBcSMaxEvYIM&tbnid=zTTQpClqI-oWEM:&ved=0CAgQjRw4mwE&url=http%3A%2F%2Flekhakmanch.com%2Ftag%2Fmahesh-chand-punetha&ei=VxPzU62TLM6NuASO-YHABg&psig=AFQjCNENP1e8ml7c_xxn3L5DPyy8IE-ToA&ust=1408525527871049)

rajnish manga
19-08-2014, 03:21 PM
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQ6IU5zUCE0wL_6S5EKBvldKXzeAKX_h q41vy206jCDGVaEmR78DQ
^
सुनो सुनो क्या चिड़िया कहती,
हवा सुहानी अब न बहती,

आँगन की शोभा हरियाली,
पेड़ों से अब आँगन खाली,

पीपल, बरगद की छांव नहीं,
हरा भरा अपना गाँव नहीं.

चिड़िया ने अब गाना छोड़ा,
घर-आँगन में आना छोड़ा,

चिड़िया को हम चलो मनाएं,
धरती पर फिर पेड़ लगायें.

rajnish manga
19-08-2014, 03:28 PM
चिड़िया हार नहीं मानती
साभार: उमेश कुमार चौहान

https://encrypted-tbn3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcR0s6KGXtJiPcWB8z9sHgsimNCCJuljV Eu_NaYPmfLD8aElptdq
एक जिद्दी चिड़िया बार-बार
मेरे ड्राइंग रुम में घुसकर
परदे के हैंगर में अपना घोंसला बनाती है
पौ फटने से लेकर शाम ढलने तक
वह ड्राइंग रुम की खुली खिड़की से नित्य ही
घास के दर्ज़नों तिनके दबाकर लाती है
रोज़ाना सुबह सफाई के समय
उसके द्वारा लाकर जमाए गए ये तिनके
गिराकर बुहार दिए जाने के बावजूद
चिड़िया हार नहीं मानती
उस पर जैसे जुनून सवार है
मेरे ड्राइंग रुम की खिड़की में अपना घोंसला बनाने का
>>>

rajnish manga
19-08-2014, 03:38 PM
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTAfyj3FFWle6kmQIc5TG4LMVbw7jrKA oHnjUJmoBkjWxtRLJvZ1w

भयानक ख़तरों से भी नहीं डरती चिड़िया
मसलन खुली खिड़की में तेजी से घुसकर
भीतर घूमते सीलिंग फैन से टकराकर
अपना एक पंख तुड़वा चुकी है चिड़िया
अपने अधबने घोंसले में ही प्रसव - कर्म निभाकर
कई सारे अंडे भी फोड़वा चुकी है चिड़िया
रात के समय बन्द रहने वाली खिड़की से
भीतर न घुस पाने की विडंबना के चलते
जाड़ा, गरमी व बरसात की कई कठोर रातें
बाहर आम के पेड़ पर ही गुजार चुकी है चिड़िया

दु:ख होता है अक्सर
चिड़िया के नित्य टूटते अरमानों को देखकर
यह भी सोचा है कई बार मैंने कि
एक पिंजड़ा ही लाकर रख दिया जाय उसके रहने के लिए
लेकिन चिड़िया को क़ैद करने का मन भी नहीं करता
सोचता हूँ कभी तो समझ आएगी ही उसे
तब वह खुद ही बन्द कर देगी घुसना मेरे ड्राइंग रुम में
और बना लेगी बाहर किसी पेड़ पर ही अपना घोंसला
लेकिन अभी तक तो चिड़िया को ऐसी कोई समझ नहीं आई है
पता नहीं वह जिद्दी है या बेवकूफ
या फिर अपने अधिकार को पाने के लिए
मरते दम तक कोशिश करते रहने का
संकल्प लिए बैठी कोई संघर्ष - नायिका
>>>

rajnish manga
19-08-2014, 03:41 PM
https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcScufgC89WDt5u5NMX69k0_PiJFzjNLF 3n8GLcB7umn-V81GZ_A

या फिर जीवन के नए आयाम तलाशने को मजबूर कोई प्रयोगवादी,
जो भी हो,
कुछ पाने का प्रयत्न करते रहना ही
अभावों का असली प्रतिरोध होता है,
इसे सिद्ध करते हुए
मेरे घर के ड्राइंग रुम में उसकी घुसपैठ अनवरत जारी है

मुझे प्राय: इस चिड़िया में
अपना गाँव - देश छोड़कर आए
दिल्ली के यमुना - पुश्ता में अथवा फ्लाईओवरों के नीचे
रोज़ झुग्गियों में बसने और उजड़ने को मजबूर
इन्सानों का चेहरा नज़र आता है
उनका हौंसला और संकल्प नज़र आता है
कभी - कभी चिड़िया मुझे उन्हीं विस्थापितों की तरह
अतिक्रमणकारी नज़र आने लगती है
वह अपना सब कुछ खोकर भी कभी नहीं थकती
और रोज़ सुबह होते ही
घास का तिनका चोंच में थामे
अपने नए आशियाने का निर्माण करने को आतुर चिड़िया
मेरे घर के सामने वाले आम के पेड़ पर बैठकर

ड्राइंग रुम की खिड़की खुलने की प्रतीक्षा करती है।
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rajnish manga
14-09-2014, 10:00 PM
सुनो, चिड़िया क्या कहती है
आलेख: चंद्रभूषण

https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSiJxtaDYD7mJL6rhSwemVa4LXT-DXU2FmW_9ESvIvRDSKZ82k5Cw


चिड़ियां हमारे पर्यावरण की थर्मामीटर जैसी हैं। उनकी सेहत, उनकी खुशी बताती है कि जिस माहौल में हम रह रहे हैं, वह कैसा है। कुछ साल पहले तक गांवों और शहरों में एक सी नजर आनेवाली गौरैया आंगन की चिड़िया मानी जाती थी। कच्चे घरों की भीतरी दीवार के किसी छेद में जैसा - तैसा घोसला और चलते हुए सूप तक से चावल बीन कर खा जाने की ढिठाई। लेकिन वही गौरैया आजकल भारत के संरक्षण योग्य प्राणियों में गिनी जानी लगी है। शहरों में उसकी जाति नष्ट हो जाने का खतरा बताया जा रहा है क्योंकि यहां अब उसे न तो कहीं घोसला बनाने की जगह मिलती है, न ही खाने को कोई दाना।

rajnish manga
14-09-2014, 10:09 PM
https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSwcKjHAkpBGGZXFavPnRSr2u4j-tvDAbKj0SkbRUS490fO4nzc

इधर कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर लकड़ी के घोसले ठोंकने शुरू कर दिए हैं, जिसके नतीजे अच्छे आ रहे हैं। छोटी होने के बावजूद गौरैया एक जीवट वाली चिड़िया है और वह अपने बचने का कोई न कोई रास्ता खोज लेगी। किलहँटी और पंडूक हमारे इर्द - गिर्द हमेशा मौजूद रहने वाली ऐसी चिड़ियां हैं, जिन पर लेखकों की कृपा सबसे कम हुई है। किलहँटी यानी जंगली मैना गर्मियों में अपनी पीली चोंच लगभग पूरी खोले हर कहीं नजर आती है।

शाम के वक्त जब किसी घने बरगद के पेड़ पर इनके झुंड जमा होते हैं तो शोर मचा - मचा कर आसमान सिर पर उठा लेते हैं। पंडूक को कुमाऊंनी - गढ़वाली में घुघूती और उर्दू में फाख्ता कहते हैं। गर्मियों की दोपहर के आलस भरे माहौल में स्थिर लयके साथ लगातार चलने वाला इनका एकरस सुर पहाड़ी लोक कवियों को विरहिणी के दुख की याद दिलाता रहा है। इधर-उधर फुदकती रहने वाली झगड़ालू चिड़िया सिर्फ अपने न्यूसेंस वैल्यू के लिए जानी जाती है और इसे आमफहम शब्दावली में अभी तक अपना कोई अलग नाम भी नहीं मिल पाया है।

rajnish manga
14-09-2014, 10:11 PM
इधर कुछ लोगों ने अपने घरों के बाहर लकड़ी के घोसले ठोंकने शुरू कर दिए हैं, जिसके नतीजे अच्छे आ रहे हैं। छोटी होने के बावजूद गौरैया एक जीवट वाली चिड़िया है और वह अपने बचने का कोई न कोई रास्ता खोज लेगी। किलहँटी और पंडूक हमारे इर्द - गिर्द हमेशा मौजूद रहने वाली ऐसी चिड़ियां हैं, जिन पर लेखकों की कृपा सबसे कम हुई है। किलहँटी यानी जंगली मैना गर्मियों में अपनी पीली चोंच लगभग पूरी खोले हर कहीं नजर आती है।


शाम के वक्त जब किसी घने बरगद के पेड़ पर इनके झुंड जमा होते हैं तो शोर मचा - मचा कर आसमान सिर पर उठा लेते हैं। पंडूक को कुमाऊंनी - गढ़वाली में घुघूती और उर्दू में फाख्ता कहते हैं। गर्मियों की दोपहर के आलस भरे माहौल में स्थिर लयके साथ लगातार चलने वाला इनका एकरस सुर पहाड़ी लोक कवियों को विरहिणी के दुख की याद दिलाता रहा है। इधर-उधर फुदकती रहने वाली झगड़ालू चिड़िया सिर्फ अपने न्यूसेंस वैल्यू के लिए जानी जाती है और इसे आमफहम शब्दावली में अभी तक अपना कोई अलग नाम भी नहीं मिल पाया है।

rajnish manga
14-09-2014, 10:13 PM
मुर्गा - मुर्गी, कुछेक कबूतर और तोता - मैना पालतू चिडि़यों की श्रेणी में आते हैं। जब तक शहरों में मोहल्लेदारी बची थीत ब तक छतों पर लगे बांस के अड्डों पर पलने वाले कबूतर अपने मालिकों के बीच होड़ का सबब बने रहते थे। पिंजड़ों मेंबंद तोते - मैना पड़ोसियों के बीच सौहार्द का जरिया होते थे ,और मुर्गे - मुर्गियां अक्सर आपसी कलह के। लेकिन जब से कॉलोनियां शहरों की पहचान बनी हैं और परिवार पति – पत्नी और बच्चों तक सिमट गए हैं तब से समाज में पालतू पक्षियों की जगह काफी कम हो गई है।

गांवों में तोतों की पहचान शोर मचाने वाले और झुंड में चलने वाले पक्षियों की है। इनके झुंड को डार कहते हैं - देखो, तोतोंकी डार उतर रही है। मकई के भुट्टे बर्बाद करने में इनका कोई सानी नहीं है और इनसे अपने आम - अमरूद बचाने में भी खासी मशक्कत करनी पड़ती है।

घर से थोड़ा दूर रहने वाले पक्षियों में मोर, कठफोड़वा, बुलबुल, नीलकंठ, बया, टिटिहरी, बनमुर्गी, बत्तख, बगुला और कौडि़न्ना यानी किंगफिशर का किसान जीवन में काफी दखल है। इनमें पहले पांच का गुजारा खेतों और पेड़ों पर होता है जबकि बाद के चार ताल-पोखरों यानी वेटलैंड्स पर निर्भर करते हैं।

rajnish manga
14-09-2014, 10:26 PM
बीच में पड़ने वाली टिटिहरी वेटलैंड्स के करीब रहती है लेकिन अंडे सूखी जमीन पर देती है। उल्लू के अलावा यह अकेली चिडि़या है, जिसकी आवाज पूरी रात सुनाई देती है। ज्यादातर शहरी बच्चों का परिचय इनमें सिर्फ मोर से है, वह भी चिड़ियाघरों में। लेकिन मोर देखने का मजा तब है जब उसे बादलों के मौसम में खुले खेत में देखा जाए।

कुछ खास मौसमों में नजर आने वाले माइग्रैंट पक्षियों को अपने यहां कुछ ज्यादा ही इज्जत हासिल रही है। कोयल, पपीहा, खंजन, दोयल और श्यामा यानी हमिंग बर्ड जाड़ा बीतने केसाथ अचानक दिखने लगते हैं, या पेड़ों से उनका गाना सुनाई देने लगता है। सारस और जांघिल जैसे विशाल माइग्रैंट पक्षी भीसुबह - शाम अपने परफेक्ट फॉर्मेशन में जोर - जोर से कें – कें करते हुए अपनी लंबी यात्रा पर निकले दिखाई देते हैं। गहरे तालों में कभी - कभी इन्हें बसेरा करते हुए भी देखा जा सकता है।

https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRQdc_Grr-i94rkViKdYjOmsIg5AdqjzSSNiapBybJFpcLhTkHt^https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSZVkcqAeoJur9aYfZJlIYzn11jmjj-pAp2lj4jjMPbHl1eWpeu^https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRvy2OFn50NOY3s-4Y-jehoIeE2q9ajRFmwOW77L0scwC2jaAumog

हम नहीं जानते कि इनमें से कौन - कौन से पक्षी किन – किन खतरों का सामना कर रहे हैं और दस - बीस साल बाद इन्हें देखने का मौका भी हमें मिलेगा या नहीं। इसलिए इनसे नजदीकी बनाने का, इनकी मदद करने का एक भी मौका हमें खोना नहीं चाहिए।

rajnish manga
26-09-2014, 11:07 PM
जिस घर वास रहे चिड़िया का
(मनोज मिश्र)

मुझे अपने पर बड़ा गर्व भी हो रहा था वह इसलिए कि बचपन से अब तक, मेरे घर में एक साथ विभिन जगहों पर एक-दो-तीन नहीं बल्कि कई दर्जन गौरैया रह रहीं हैं.जब से जाननें-समझनें की समझ विकसित हुई तब से अपनी भोजन की थालियों के आस-पास उन्हें मंडराते देखा है. अभी -अभी शाम को मैंने इनकी गिनती की ,अभी भी ये 14 की संख्या में घर में हैं. हम सब के यहाँ परम्परा से, एक लोक मत इस चिड़िया को लेकर है वह यह कि जिस घर में इनका वास होता है वहाँ बीमारी और दरिद्रता दोनों दूर-दूर तक नहीं आते और जब विपत्ति आनी होती है तो ये अपना बसेरा उस घर से छोड़ देती है.

rajnish manga
26-09-2014, 11:09 PM
मुझे बचाओ कहती चिड़िया
(गिरीश पंकज)

आँगन में जब आती चिड़िया
मेरे मन को भाती चिड़िया

मै उससे बातें करता हूँ,
मुझसे भी बतियाती चिड़िया

बड़े प्रेम से चुन-चुन कर के,
इक-इक दाना खाती चिड़िया

जल, छाँव और मुझे बचाओ
हरदम यह बतलाती चिड़िया

जल, छांव और मुझे बचाओ मतलब जल, पेड़ और गौरैया। जब ये बचेंगे तब ही मानव बचेगा।

rajnish manga
26-09-2014, 11:11 PM
गौरेया और गिलहरियाँ
(राजेश भारती)

गर्मियों की छुट्टियों में जब मैं अपनी नानी के गांव जाता था, तो वहां पर भी गौरेया का झुंड सुबह से ही चहचहाने लगता था। ऐसा लगता था जैसे कि मानों संगीत की मधुर धुनें बज रही हैं, जिन्हें प्रकृति अपने हाथों से सारेगामापा का स्वर दे रही है। जब भी मैं स्कूल से लौटकर घर आता था, तो अक्सर मेरी पहली मुलाकात मेरे घर के पेड़ पर रहने वालीं गौरेया और गिलहरियों से होती थी। गिलहरियों को हम सब (मेरे घर से सदस्य) गिल्लो कहकर बुलाते थे। एक आवाज़ पर ही सभी गिल्लो चीं...चीं...चीं... करती हुईं पेड़ से उतरकर नीचे आ जाती थीं और हमारे साथ बैठकर खाना खाती थीं। मेरी गली के लोग भी कहते थे, 'आपके द्वारा पाली गईं गिलहरियों को देखकर विश्वास नहीं होता कि ये लोगों से इतनी घुलमिल सकती हैं।'

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26-09-2014, 11:15 PM
मेरे आँगन में गौरैया
(देवेन्द्र मेवाड़ी)

लो, इतनी देर में देखते ही देखते दो गौरेयां सूखी मिट्टी भरे मेरे गमले मेंधूल-स्नान भी कर गईं। चुपके से मुझे लिखते हुए देखा। देखा, मुझसे कोई खतरा नहीं है।गौरेया आई, गमले में उतरी और बीच-बीच में सिर उठा कर देखते हुए जम कर धूल-स्नान करगई। वह हलके भूरे रंग की मादा थी। शायद उसी ने बताया हो, उसके बाद नर गौरेया आ गई।सिर, चौंच से लेकर छाती तक काली। भूरी पीठ पर काली लकीरें। उसने भी पहले भांपा, फिरगमले में उतर कर धूल-स्नान कर लिया।

**

गौरैया अब कहाँ रहे?
(नवीन जी)

अब यह सब सिर्फ यादों में है। मेरे बच्चे गौरैया को नहीं पहचानते। उनके बचपन में गौरैया का खेल और चहचहाना शामिल नहीं रहा। नीची छतों और आंगन विहीन घरों में गौरैया नहीं आती। बहुमंजिला अपार्टमेण्ट्स के आधुनिक फ्लैटों में गौरैया की जगह नहीं और इन फ्लैटों के बिना हमारा ‘विकास’ नहीं।

गौरैया को बचाने की, घरों में उसे लौटा लाने की नेक और मासूम पहल का साधुवाद। लेकिन गौरैया की चीं-चीं-चीं किस खिड़की, किस रोशनदान, किस आंगन और किसी धन्नी से हमारे घर में लौटेगी?

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26-09-2014, 11:19 PM
कविता > नन्हीं चूं चूं आ जा तू
(साधना वैद)

रंग बिरंगे तेरे डैने मेरे मन को भाते हैं ,
मैं भी तेरी तरह उड़ूँ ये सपने मुझकोआते हैं ,
आसमान में अपने संग मुझको भी लेकर उड़ जा तू !

प्यारी चूँ-चूँ आजा तू भोली चूँ-चूँ आ जा तू !
सबका दिल बहला जा तू नन्हीं चूँ-चूँ आ जा तू !

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एक बार फिर आ गौरैया
(विवेक)

दिन यह तेरे नाम कर दिया
बहुत बड़ा यह काम कर दिया
तुझको आज सलाम कर दिया
पंख जरा फैला गौरैया
एक बार फिर आ गौरैया

तेरी बहुत याद आतीहै
यूँ तो रूठ न जा गौरैया

rajnish manga
26-09-2014, 11:22 PM
लॉन में गौरैया
(पाखी)

मुझे गौरैया बहुत अच्छी लगती है। उसकी चूं-चूं मुझे खूब भाती है. कानपुर में थी तोहमारे लान में गौरैया आती थीं. उन्हें मैं ढेर सारे दाने खिलाती थी. दाने खाकर वेखुश हो जातीं और फुर्र से उड़ जातीं. हमारे लान में एक पुराना सा बरगद का पेड़ था, उस पर गौरैया व तोते खूब उधम मचाते. वहीँ एक बिल्ली भी थी, वह हमेशा उन्हें खाने कीफ़िराक में रहती. उस बिल्ली को देखते ही मैं डंडे से मारने दौड़ती.
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मुनिया और गौरैया
(अनूप शुक्ल)
कभी-कभी मुनिया गौरैया से कहती होगी -
अम्मा ये दरवाजा खुला है,
आओ इससे बाहर निकल चलें,
खुले आसमान में जी भर उड़ें।

इस पर गौरैया उसे,
झपट कर डपट देती होगी-
खबरदार, जो ऐसा फिर कभी सोचा,
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

rajnish manga
26-09-2014, 11:29 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33252&stc=1&d=1411756001

rajnish manga
21-10-2014, 11:29 AM
http://ucnobegb.ucoz.ru/_fr/0/7298413.gif

(courtesy: aspundir ji's 'amazing GIF' page 1007)