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View Full Version : ღ ~ हाईटेक रोमांस ~ ღ


YUVRAJ
18-11-2010, 08:54 AM
ღ … रोमांस … ღ

आँख खुलते ही सुबह सोचा कि उसी के सुख के लिए अब उसे याद नहीं करूँगा और उसकी याद चली आई। आँख बंद करता रहा और वह आती रही। वह पहला दिन जब वह मिली थी और आज का यह दिन आँख क्या सचमुच कभी खुली भी थी।

YUVRAJ
18-11-2010, 09:05 AM
प्रेम में अपने व्यक्तित्व को झुकाना और छोटा करना पड़ता है।
प्रेम में अपवित्र और मैला-कुचैला होना पड़ता है।
भूलना पड़ता है।
इज्जत आबरू, घर-द्वार, कविता-कला, खानपान, जीवन-मरण, ध्येय, उच्चताएँ-महानताएँ सब धूल में मिल जाती हैं। तब मिलता है प्रेम। उससे भी आश्चर्यजनक यह, कि मिलते ही उसका खोना शुरू हो जाता है।
प्रेम क्षणों में ही नवजात, अप्रतिम, अलौकिक और सुंदर रहता है। फिर भी उस प्रेम को पाने के लिए ……
चाँद पर दाग है सभी देख सकते हैं। खुद के लिए आईने दोस्ती निभाते हैं।

YUVRAJ
18-11-2010, 09:58 AM
ღ ~ :iloveyou: ~ ღ


हाईटेक रोमांस …:party:
रोमांस को समय और दूरी का मुँह नहीं ताकना पड़ता।
हाईटेक रोमांस ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस द्वारा तुरंत संचारित भाषा-प्रधान।
हाईटेक रोमांस स्थल
पब, डिस्को, पार्टियों, डेटिंग

:think::cheers:

PARIYAR
18-11-2010, 10:05 AM
aslta vista baby
i m back

YUVRAJ
18-11-2010, 10:07 AM
आहा हा हा हा …:lol:
अवेसम भाई …:)

Hamsafar+
18-11-2010, 10:37 AM
aslta vista baby
i m back

सिफर भाई आपका स्वागत है :cheers:

YUVRAJ
18-11-2010, 11:21 AM
भाई यस॰आर,
ये सही नहीं लगता की हम गड़े मुर्दे की तारीफ़ करें या उसका कोई भी जिक्र करें।
क्या आप भूल गये उस गुटबाज़ी और ओछी राजनीति को …!!!
*** भाई आपका स्वागत है :cheers:

YUVRAJ
18-11-2010, 05:29 PM
न इतनी तेज़ चले सरफिरी हवा से कहो, शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है।
यह एक अब्र का टुकड़ा कहां-कहां बरसे, तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है।।

khalid
19-11-2010, 08:45 AM
न इतनी तेज़ चले सरफिरी हवा से कहो, शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है।
यह एक अब्र का टुकड़ा कहां-कहां बरसे, तमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है।।

बहुत हीँ खुबसुरत लफ्ज हैँ भाई जी .......

YUVRAJ
22-12-2010, 07:39 AM
ahaa haa haa haa...:lol:

हार्दिक धन्यवाद खालिद भाई जी आप भी कुछ अर्ज करें :hurray::hurray::hurray:
बहुत हीँ खुबसुरत लफ्ज हैँ भाई जी .......

जेठालाल
08-04-2011, 03:58 AM
सच बताये तो मेरा और बबी ...
मतलब मेरा और दया का है

Bholu
05-05-2011, 11:28 AM
सच बताये तो मेरा और बबी ...
मतलब मेरा और दया का है

नियम गन्दी हो तो जबान फिसल जाती है

YUVRAJ
18-05-2011, 08:23 AM
सही कहां ....ऐसा ही होता है ...:iagree:नियम गन्दी हो तो जबान फिसल जाती है

YUVRAJ
21-06-2011, 01:54 PM
दस-बारह साल पहले के प्रेमियों और आज कल के रोमोस में बहुत अंतर आ चुका है. पहले किसी अफेयर के जन्म लेने में उतना ही वक्त लगता था जितना कि बच्चे को पैदा होने में लगता है...करीब नौ महीने. लड़का लड़की को देखता है....कॉलेज में....ऑफिस में...बालकनी में या फिर कहीं और....अब वो लड़की की गतिविधियों पे नज़र रखना शुरू करता है....वो कब घर से निकलती है...कहाँ जाती है...उसकी कौन सी सहेलियां हैं, उसका भाई तो नहीं है...और कहीं उसका पहले से ही कोई चक्कर तो नहीं है...इतना सब होमेवोर्क करने के बाद ही लड़का आगे बढ़ता था....पर आज-कल तो कोई ज़रा सा भी अच्छा लगा तो बस फेसबुक पे सर्च किया थोड़ी लाइन मारी ....ठीक रहा तो ठीक नहीं तो नेक्स्ट...;) ...और आज नहीं तो कल कोई न कोई मिल ही जाता है...और हो जाता है अफेयर शुरू ...

तो पहले कि बात करें तो एक रिलेसंसिप डेवलप करने में इतने पापड़ बेलने पड़ते थे की सिर्फ वही लोग हिम्मत करते थे जिन्हें वाकई में प्यार होता था ..पर आज कल मोबाइल और संजाल ने ये सब कुछ इतना आसान बना दिया है कि हिम्मत करने जैसी कोई बात ही नहीं रही.... और इसका हर्जाना उन बेकसूरों को भुगतना पड़ता है जो सच-मुच किसी रिलेसंसिप को लेकर सीरियस होते हैं...वो बेचारे समझते हैं कि उनका पार्टनर भी उतना ही सीरियस है..पर अफ़सोस बहुत बार ऐसा नहीं होता है...

अब आप ही सोचिये नौ महीने में मिले प्यार के ज्यादा टिकाऊ होने के चांस हैं या नौ घंटे में मिले लव के ??

YUVRAJ
21-06-2011, 02:17 PM
आप सभी प्यारे-प्यारे दोस्तों की राय बहुत ही महत्व रखती है ...:think:

naman.a
21-06-2011, 03:00 PM
प्रेम-महोब्बत इन सब का तो आज के आधुनिक समाज मे बलात्कार हो रहा है । प्यार आज के समय मे मनोरंजन और वासना पूर्ति का साधन बन कर रह गया है । प्यार के मायने इतने निम्न स्तर के हो गये है कि लोग केवल अपने निजी स्वार्थ के लिये भी किसी से प्यार कर लेते है । अक्सर मे मुम्बई मे देखता हूं सागर किनारो पर प्यार खुले आम नंगा हो रहा होता है । आशिक इतने बेहया हो जाते है कि वे ये नही देखते की उनके पिता और माता के उम्र के लोग भी उन्हे देख रहे है । वही कुछ वैयसी नजरे भी और कुछ मासूम नजरे भी उन्हे देखती है आजकल होने वाले निर्मम बलात्कारो का ये भी एक प्रमुख कारणो मे से एक है । तो आज कल के प्रेम की तो बात ही ना करे तो अच्छा है मै तो वो सोच रहा हूं कि जब पाश्चात्य युग भारत मे आयेगा तो क्या होगा । आजकल भारत मे साल मे दो आशिक बदले जाते है आगे आकर साल मे दो शादिया होगी जो कि आज कल विदेशो मे बहुत प्रचलित है । और भारत मे भी उच्च वर्ग मे ये यदा कदा होता रहता है । तो फ़िर प्रेम के मायने क्या है वो सोच लिजीये ।