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View Full Version : ~||गुस्ताखी माफ||~


ABHAY
18-11-2010, 08:28 PM
:boring:दोस्तों एक बार फिर हाजिर हू एक नए तकनीक के साथ और मजे से भरपूर साथ में ज्ञान बर्धक भी तो आये मजा ले उन अनछुए पल का जिसे आज के नेता लोग नेटा की तरह बहा रहे है !:bang-head:

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3593&stc=1&d=1290097635

ABHAY
18-11-2010, 08:39 PM
दिल दीवाना फटल है हम्मर पयजामा इ महगाई में भी न छोरत है इ कुत्ता हम्मर पयजामा !

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3594&stc=1&d=1290098331

ABHAY
18-11-2010, 08:52 PM
आज कल इस देश मे अनैतिक क्या क्या नहीं हो रहा है? कही बेरोजगारों के बीच रोजगार बिक रहा रहा है, तो कही भूखो को बाटी जाने वाली रोटी बिक रही है. सरकार बहुत खुस है कि वह लाखो को मनरेगा के तहत साल के कुछ दिनों की रोजगार दे रही है. लेकिन उसमे भी एक हाथ से लो तो दूसरे हाथ से आधा दो वाला हिसाब किताब है. भाई सरकारी पैसा, सरकारी बाबू और पंचायत के लोग तो यही सोच कर बाटते है, कि यह तो मुफ्त में मै बाट रहा हूँ. जनता भी सोचती है , चलो जो मिल जाये वही इस बेरोजगारी में क्या कम है? आखीर दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र में कुछ तो स्पेशल है. लोगो की भ्रस्टाचार के प्रति आदरभाव और सहन शीलता का उदाहरण हिंदुस्तान से भला और किस मुल्क में मिल सकता है? बिना कुछ खिलाये पिलाये किसी आफिस से आप अपना काम निकलवा सके तो आप अपना परम सौभाग्य समझिये. जैसे हिंदुस्तान में मंदिरों में बिना चढ़ावे के देवता प्रसन्न नहीं होते , ठीक उसी तरह बिना खिलाये -पिलाये या बिना चढ़ावे के यहाँ किसी सरकारी मंदिर ( यानी सरकारी संस्था) में कोई काम हो ही नहीं सकता. उसी पर कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ….
गजब की महगाई में ,रोटी दाल खटाई में

पेट तो भरे नहीं , जवानी ढल चली चटाई पे

स्कूल हो - राशन की दूकान हो, है जेब अगर

हलकी तो जैसे आदमी शर्म सार बेजुबान हो

अस्पताल के वार्ड में या मेडिकल के दुकान पे

सड़क पे - स्मशान पे हर जगह लगी है भीड़ ,

और आदमी पूछता अपने पैसा भगवान से

कभी तो गरीब नवाज बन हमको भी तृप्त कर दो

जिन्दा था तो तुम गुम थे, मरने पे साथ दे दो.

कब तक तुम्हारी आस लेकर रोकर के जीता रहूँगा

अच्छा हो न आ सको तो मौत से ही फरियाद कर दो.

ABHAY
18-11-2010, 09:52 PM
ॐ जय महगाई माता॥

ॐ जय महगाई माता॥ ॐ जय महगाई माता॥

बीस रुपिया के.जी आटा बिक जाता... ॐ जय महगाई माता॥

तुम गरीबो को भूखे पेट सुलाती॥

उनकी दशा देख तू मनही मन मुस्काती॥

तुम बेईमानो की अम्मा उन्ही की भाग्य विधाता॥

ॐ जय महगाई माता॥

तुम आंसू देने वाली हम हंस के पी जाते॥

धुप छआव में चल कर जीवन जी जाते ॥

बच्चे भूखे रोते तुम्हे दया नहीं आटा॥

ॐ जय महगाई माता॥

सुविधा से रहे वंचित घुट घुट कर जिए॥

दूध की जगह पानी नदिया वाला पिए॥

तेरी गति की पहिया शायद अब रूक जाता॥

ॐ जय महगाई माता॥

ABHAY
18-11-2010, 09:54 PM
पहले मुट्ठी में पैसे लेकर जाते थे,
और थैले में शक्कर लाते थे,
अब थैले में पैसे जाते हैं,
और मुट्ठी में शक्कर आती हैं

ABHAY
18-11-2010, 10:06 PM
भैया हमरे डी.एम बाटे॥

भैया हमरे डी.एम बाटे॥

बीच सड़क दौड़ा दूगी॥

जौ बीच बजरिया अकडो गे॥

सूली पे चढवा दूगी॥

जब मै चलती रुक जाती है॥

सैट सहेलियों की टोली॥

मै रुकती जब खुद रुक जाती॥

सात रंगों से रंगी घोड़ी॥

अगर अब पीछे मेरे पड़ोगे॥

चक्की में पिसवा दूगी॥

बीच बजरिया अकडो गे॥
सूली पे चढवा दूगी॥

मै हंसती तो मोती झरते॥

हर संभव प्रयास के॥

तेरी तो साड़ी चलन बुरी है॥

नियत तो लगती पाप के॥

देखना मेरा सपना छोड़ दे॥

नहीं सरे आम मरवा दूगी॥

बीच बजरिया अकडो गे॥
सूली पे चढवा दूगी॥

मेरे पापा की तूती बोले॥

हाथ इलाका जोड़े॥

प्रधानिं मेरी मम्मी जी है,,

जिधर चाहे उधर मोड़े॥

सभी सभ्यता प्रशंसक बन जा॥

नहीं दंड बैठक करवा दूगी॥

अगर यही हाल रहा पुरे भारत का तो एक दिन सिर्फ पुलिस वाले का ही राज्ज होगा !

Hamsafar+
19-11-2010, 02:30 AM
अभय जी उत्तम प्रस्तुति ! "थैंक्स आपके नाम "

khalid
19-11-2010, 09:57 AM
बहुत अच्छे अभय जी
आप कृप्या ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करेँ
धन्यवाद

ABHAY
19-11-2010, 10:01 AM
ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करने में सोचना पड़ता है मित्र

ABHAY
19-11-2010, 01:19 PM
मित्रों क्या आपको पता है की आज पुरे संसार में सबसे जयादा भ्रस्टाचार हमारे भारत में है और कही नहीं यहाँ पे सब कानून है मगर उसके उलटे कानून नहीं है यानि अगर किसी लड़की को कोई छेरता है तो वो कानून और कोई लड़की लड़के को छेरता है तो कुछ भी नहीं अभी का जमाना उल्टा है आज लड़के लड़की को नहीं वल्कि लड़की लड़के को छेरते है !

यादवजी
19-11-2010, 08:07 PM
मित्रों क्या आपको पता है की आज पुरे संसार में सबसे जयादा भ्रस्टाचार हमारे भारत में है और कही नहीं यहाँ पे सब कानून है मगर उसके उलटे कानून नहीं है यानि अगर किसी लड़की को कोई छेरता है तो वो कानून और कोई लड़की लड़के को छेरता है तो कुछ भी नहीं अभी का जमाना उल्टा है आज लड़के लड़की को नहीं वल्कि लड़की लड़के को छेरते है !

मित्र लड्की के छेड्ने से लड्को का कुछ नही जाता लेकिन कभी मौका मिल जाये तो मज़ा जरुर मिल जाता है
और अगर लड्का लड्की को छेड्ता है तो कभी कभी लड्कीयो का बहुत नुकसान होता है इसलिये इसके लिये कानुन है
धन्यवाद

Hamsafar+
19-11-2010, 08:39 PM
यादव जी , आते ही छा गए, स्वागतम :cheers:

ABHAY
20-11-2010, 11:10 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3800&stc=1&d=1290280141

ABHAY
20-11-2010, 11:13 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3801&stc=1&d=1290280117

ABHAY
20-11-2010, 11:17 PM
भाई लोग सर मत फोर देना
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3802&stc=1&d=1290280657

ABHAY
20-11-2010, 11:23 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3803&stc=1&d=1290280901

ABHAY
20-11-2010, 11:24 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3804&stc=1&d=1290280969

pankaj bedrdi
26-11-2010, 10:23 AM
बहुत लजाबाब प्रस्सतुती

Bond007
03-12-2010, 05:20 AM
वाह भाई साहब|

ABHAY
04-12-2010, 10:06 PM
एक कृषि मेले में यह ठेला मिला जिस मै कंप्यूटर प्रिंटर, बटरी आदि को फिट किया गया था। अब जो मानस रिक्शा पर गाँव की रोड पर चला नहीं उसे समझ नहीं होगी की ऊँचाई के कारण ये पलट सकता है। लेकिन मेरा सोचना कुछ और था। एक लाख रुपये खर्च कर के इस ठेले को आई आई टी कानपूर वाले ने क्यों बनाया। उसने लेप टॉप का नाम नहीं सुना होगा क्या। हिन्दुस्तान में ऑटो मेटिक टूथ ब्रश वाला हाल है...कहते हैं चाँद पर जाने के लिए गुरुत्व आकर्षण के बिना चले वाले कलम के निर्माण में करोड़ों डॉलर फूंक मारे जब की रूसी पेन्सिल ले कर चल निकले। गुरु जी कहते थे मूर्ख हो ठीख है मुंह तो न खोलो। पर कुछ लोग चीख चीख के दुनिया को बताते रहेते है..की न खालिस चोमू, शिकार पुर अलीबाग के बाशिंदे हम ही है। कहतें हैं बदनाम हुआ तो भी नाम हुआ। कई बार ऐसे प्रयोग दिखते हैं मुजे जिनका अर्थ वाव्हारिक दृष्टिकोण से निरर्थक सा दीख पड़ता है , लेकिन मनुष्य खोजी मन, किसीकी सुनता है, ऐसे ही खोज में हुई आकस्मिक खोजों ने बहुत से सही अविशकार भी हुए हैं। अब अपनी खोपडी में जो आया बोला, कल्लन बोले ले जान दो यार ले जाने दो चाहे हाथी पे जाए न गधे पर जाए तो सही..

ABHAY
08-12-2010, 10:10 PM
कलियुग मे लंका सेतु निर्माण
साथियों, पेश है, लगभग तीन साल पहले लिखा हुआ मेरे एक लेख का रीठेल। यह एक काल्पनिक लेख है, इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है। इसलिए इसको सिर्फ़ मनोरंजन की दृष्टिकोण से ही पढा जाए।

सबसे पहले तो एक डिसक्लेमर: यह एक काल्पनिक लेख है, इसका उद्देश्य लोगों को हँसाना है, ना कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना। इसलिये कोई चप्पल जूता लेकर हमारे द्वारे ना आये। और एक आवश्यक सूचना यदि इस डिसक्लेमर के बावजूद आप आवेश मे आकर अपने चप्पल हमारी तरफ़ फ़ेंक कर मारे तो कृप्या करके दोनो पैरो की चप्पले फ़ेंके, अन्यथा एक चप्पल हमारे किसी काम की नही, उसे वापस आपकी तरफ़ उछाल दिया जायेगा।

ABHAY
08-12-2010, 10:12 PM
अभी कुछ दिनो पहले मेरे को किसी ने एक मेल फ़ारवर्ड की थी, जिसमे भगवान श्रीराम द्वारा,त्रेता युग मे लंका पर चढाई के लिये रामेश्वरम से श्रीलंका तक बनाये गये पुल की सैटेलाइट इमेज के चित्र थे, बाद मे पता चला किसी रामभक्त ने बहुत जतन से उन चित्रों को असली रूप देने की कोशिश की थी। ताकि रामायण की सत्यता सिद्द की जा सके। अब मै यहाँ पर उन चित्रों की सत्यता और असत्यता सिद्द करने नही बैठा हूँ बल्कि मै तो बस ये अन्दाजा लगा रहा था कि यदि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने वो पुल त्रेता युग की जगह कलियुग मे बनाया होता तो क्या नजारा होता। जरा आप भी देख लीजिये, तो जनाब पेश है, किस्सा ए लंका सेतु।

ABHAY
08-12-2010, 10:13 PM
राम बड़े हैरान परेशान से इधर उधर टहल रहे थे, समुन्द्र देवता भी कुछ कोआपरेट नही कर रहे थे, लक्ष्मण ने भाई को चिन्तावस्था मे देखा तो पूछा “ऐसा क्या मसला है बिग ब्रदर, व्हाई आर यू सो टेन्सड?” राम ने दु:खी अवस्था मे कहा ” ये समुन्दर देव हमारी बात सुन ही नही रहे, लगता है इनको कुछ डोज देना ही पड़ेगा।” इतना कहकर उन्होने अपने हाई टेक धनुष बाण को उठाया और गाइडेड तीर को समुन्दर की तरफ़ तान दिया। समुन्दर पानी पानी से धुंआ धुंआ हो गया, बहुत विचलित हो गया, उसने भी सुन रखा था, यदि बाण, धनुष से निकल गया तो फ़िर कुछ नही किया जा सकता, इसलिये मान्ड्वली करने मे ही भलाई है। लेकिन क्या करे, एक तरफ़ रावण (सो काल्ड भाई॒!) और दूसरी तरफ़ कल के लड़के।इधर कुंआ और उधर खाई, पिटाई तो दोनो तरफ़ से ही होनी थी, लेकिन फ़िर भी समुन्दर ने बीच का रास्ता निकालते हुए राम को पुल बनाने का सुझाव दिया। ये सुझाव हजार बवालों की जड़ थी, मुझे आज तक समझ मे नही आया, पुल बनाने के सुझाव को क्यों एक्सेप्ट कर लिया गया।बीच से समुन्दर को सुखाकर अपने आप रास्ता बनाने का सुझाव तुलसीदास को क्यों नही आया। राम को पुल बनाने मे ट्रेप तो दिखा, लेकिन फ़िर भी मौके की नजाकत को देखते हुए एग्री कर गये। क्योंकि गाइडेड मिसाइल भी लार्ज प्रोडक्शन मे नही थी, सब यंही खतम करते तो रावण पर क्या बरसाते।अब परेशानी थी, आर्किटेक्ट की, नल और नील (क्या कहा, नील एन्ड निकी, अमां नही यार, वो तो बिस्तर से बाहर ही नही निकले !,पिक्चर आयी भी और गयी भी गयी, देख नही सके, सिर्फ़ पोस्टर से ही सन्तोष करना पड़ा।चलो ज़ी सिनेमा या किसी टीवी चैनल पर अगले महीने देख लेंगे) आगे बढकर, राम को कन्वीन्स कर दिए कि हम पुल बना लेंगे। लेकिन बोले कि मसला गम्भीर है इसलिये अलग अलग सरकारी विभागों से नो आब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट लेना पड़ेगा।

ABHAY
08-12-2010, 10:13 PM
राम ने सोचा, एक पंगे से बाहर निकले और दूसरा सामने खड़ा हो गया। जब दुनिया भर में सेतु बनने की बात फ़ैली तो सबसे पहले ग्रीनपीस वाले आये (अक्सर यही लोग सबसे पहले पिलते हैं, तू कौन खांम खा तरीके से) वो अपनी बोट लेकर रामेश्वरम कि किनारे कैम्पिंग कर दिये, बोले हम इस पुल के निर्माण प्रोसेस का अध्ययन करेंगे और इन्श्योर करेंगे कि इससे पर्यावरण पर कोई खतरा तो नही है। राम की सेना को उनका खर्चा भी उठाना पड़ गया। अभी इस पंगे से बाहर निकले ही थे, तो मछुवारों का एक एनजीओ (जिनकी एक मल्टीनेशनल फ़िशिंग कम्पनी से सैटिंग और बैकिंग थी) सामने आया और बोला कि पुल नही बनना चाहिये, नही तो समुन्दर के इस हिस्से में मछलियों का अकाल पड़ जायेगा। इसलिये हम पुल के बनाने का विरोध करते है, फ़िर वही रोजाना धरना प्रदर्शन। अब रामजी भी बहुत सोचे, चार दिन तो समुन्दर देव खा गया, एक हफ़्ता ये लोग खा जायेंगे, फ़िर जामवन्त ने भी चुपके से बताया, कि रोजाना रात को ग्रीनपीस और एनजीओ वाले १०,००० की तो दारू पी जाते है, पाँच दिन का कुल मिलाकर पचास हजार तो हो ही चुका है,वो भी सब हमारे खाते में, इसलिये निगोशियेशन करके कोई आउट आफ़ कोर्ट सैटिलमेन्ट कर लो, कोर्ट कचहरी मे तो बहुत दिक्कत हो जायेगी यहाँ रामेश्वरम तो सेशन कोर्ट भी नही है, बहुत दूर जाना पड़ेगा। और तमिलनाडु के कोर्ट मे मामला भी बहुत लम्बा खिंचता है शंकराचार्य को ही लो।अभी तक पंगे से बाहर नही निकल सके हैं। आखिरकार रामजी को भी हथियार डालने पड़े और फ़िशिंग कम्पनी को १० साल के एक्सक्लुसिव फ़िशिंग राइटस का आश्वासन देने के बाद ही एनजीओ ने धरना प्रदर्शन बन्द किया। लेकिन फ़िर भी ये तय हुआ कि एनजीओ वाले पुल के बनने तक यहीं डेरा डाले रहेंगे,क्यों? अमां फ़्री की दारू और कहाँ मिलती?

ABHAY
08-12-2010, 10:14 PM
अब मसला था, मन्त्रालयों से एनओसी लेने का। ये काम सौंपा गया लक्ष्मण को।वो हनुमान के कन्धे पर बैठ्कर दिल्ली चले गये।दिल्ली में पर्यावरण मन्त्रालय के सैक्रेटरी शुकुल बाबू फ़ाइल पर कुन्डली मारकर बैठ गये, बोले ये पुल तो पर्यावरण को नुकसान पहुँचायेगा फ़िर इत्ता बड़ा प्रोजेक्ट बिना फ़िजिबिलिटी स्टडी किये तो करा नही सकते। लगे हाथों अपने साले की सिविल कन्सल्टिंग कम्पनी का कार्ड थमाये और बोले जब तक फ़िजिबिलिटी स्टडी नही होती तब तक फ़ाइल आगे नही बढेगी। मरता क्या ना करता, लक्ष्मण ने कन्सल्टिंग कम्पनी को भी हायर कर लिया। अब कन्सलटेन्ट ने लम्बी चौड़ी फ़ीस और साले ने अपने जीजा का अच्छा खासा कट लेने के बाद सवालों की झड़ी लगा दी। विदेश मंत्रालय वाले पुत्तु स्वामी से पहले से ही शुकुल ने सैटिंग कर रखी थी। इसलिये सजेस्ट किया गया कि सबसे पहले तो विदेश मंत्रालय से एप्रोवल लिया जाय, क्योंकि पुल अन्तर्राष्ट्रीय सीमा मे बनेगा। उधर लंका की सरकार को पता चला तो उन्होने भी यूएन को प्रोटेस्ट दर्ज करवा दिया बोले कि ये पुल तो बहाना है, भारत अपने पड़ोसी मुल्क के शान्त माहौल को बिगाड़ना चाहता है। उधर राम की समस्यायें बढती जा रही थी, एक के बाद एक नये पंगे सामने आते जा रहे थे।इधर एक मिनिस्ट्री से एप्रुवल मिलता तो दूसरी मिनिस्ट्री टांग अड़ा देती, किसी तरह से सभी मिनिस्ट्री से एप्रोवल प्राप्त किया गया तो एक मनचले ने चिन्चपोकली मे जनहित याचिका दायर कर दी, और कहा कि राम की सेना के पास तो क्वालीफ़ाइड आर्किटेक्ट ही नही है, नल और नील ने तो किसी यूनिवर्सिटी से डिग्री नही ली, पता नही किसी किश्किन्धा यूनिवर्सिटी से पार्ट टाइम, करैस्पोन्डेन्स कोर्स किया है। इसलिये इतने बड़े पुल का काम दो नौसिखियों के हाथ मे नही दिया जा सकता। अब रामजी फ़िर से परेशान हैं।

ABHAY
08-12-2010, 10:15 PM
आखिरी समाचार मिलने तक, राम की सेना रामेश्वरम मे डेरा डाले हए है, एनजीओ दारु पर दारु पिये जा रहे हैं, फ़िशिंग कम्पनी मछलियां पकड़े जा रही है, लंका सरकार ने सुरक्षा परिषद मे गुहार लगाई हुई है, अमरीका वाले आये दिन श्रीलंका और भारत का दौरा किये जा रहे हैं। दोनो जगह अलग अलग बयानबाजी कर रहे हैं।शुकुल ने लक्ष्मन से मिले माल से अपने बेटे को सिविल(पुल डिजाइन) मे डिप्लोमा करवाना शुरु करवा दिया है, इस आशा मे जब तक पुल का निर्माण शुरु होगा, तब तक तो बेटा डिप्लोमा कर ही लेगा, तब कंही ना कंही फ़िट करवा देंगे। विदेश मंत्रालय वाले पुत्तु स्वामी माल हजम कर गये, क्योंकि मन्त्री जी बदल गये, अब नया मन्त्री तो नया सेक्रेटरी, तो फ़िर से माल पानी पहुँचाना पड़ेगा।जनहित याचिका वाले मनचले को और कुछ नही राम एन्ड पार्टी को करीब से देखना था, इसलिये तारीख पर तारीख पड़वा रहा था, मामला अभी तक अदालत मे लम्बित है, और राम एन्ड पार्टी रामेश्वरम चिन्चपोकली के बीच शटलिंग कर रही है। और राम की समझ मे नही आ रहा कि पुल बने तो कैसे।

आपके पास है क्या कोई आइडिया?

ABHAY
08-12-2010, 10:17 PM
अगर आपके पास कोई आईडीया हो तो हमें संपर्क करे

ABHAY
08-12-2010, 10:49 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=5434&stc=1&d=1291834004

ABHAY
08-12-2010, 10:49 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=5435&stc=1&d=1291834125

khalid
08-12-2010, 11:01 PM
अगर आपके पास कोई आईडीया हो तो हमें संपर्क करे

पुल के अलावा केले के पेड को काट काट एक एक कर सभी सेना को लंका पहुँचने को बोल दो

pankaj bedrdi
13-12-2010, 08:26 AM
बहुत अच्छा उत्तम प्रसतुती

ABHAY
28-12-2010, 12:29 PM
काला धन ...... नेता जी के माथे पर बल .

काहे माथे पर बल डाले ...... इन्ह से उन्ह चक्कर काट रहे हो.... पेट में अफारा हो गया का ? या सुसरी अब विदेशी दारू भी नहीं पचती.... पी कर घूमना पड़ता है.
नहीं इ बात नहीं
फिर क्वोनो टेप-वैप का चक्कर परेशान कर रहा है....
नहीं इ बात नहीं........
इ बात नहीं उ बात नहीं, तो फिर का अपने कुंवर साहिब क्वोनो परेशानी खड़े किये हैं.... कहीं कोई बलत्कार-व्ल्त्कार का का चक्कर तो नहीं हैं.
चुपे रहो.......... जब देखो गटर-पटर करते रहती हो..... जाओ खाना लगाओ
पहले बात बताओ, का परेशानी है.
सुनो, परेसानी सुसरी बिदेश में पड़े पैसा की है.
हाँ, उ तो कब से रखे है जब मंत्री थे... और खूब घोटाले किये रहे और पैसा स्विस बैंक में जमा करवा दिए.... वहाँ तो सेफ है.
हाँ, सेफ तो था, पर अब वहाँ की सरकार ने फैसला कर लिया है, की किसी भी देस की सरकार यहाँ आकर कुछ कागज कारे करके, सभी खाते देख सकती है.... और पैसा भी वापिस ले जा सकती है...
पर इ बात तो पुरानी हो गई, इसमें परेसान होने की का जरूरत है, सरकार क्वोनो गैर थोड़े ही है.... उसका का जरूरत पड़ी है – पुराने खाते खंगालने की.
नहीं, अब उ बात नहीं है, इ सरकार पर अपनी पकड़ नहीं है...... इन्ह अब क्वोनो सुनवाई नहीं होती...
फिर भी, आप अपने को रो रहे हो, इ लोग भी पिछले ६-७ बरस से सरकार चला रहे हैं, कुछ न कुछ इन्होने भी जमा कर लिया होगा..... उ फिल्म नहीं देखि थी.... वक्त.. उमे राजकुमार बोले थे, “शिनाय सेठ, जिसके अपने घर शीशे के हों, दूसरों पर पत्थर नहीं फैंका करते.” बस. कौन जाएगा...

ABHAY
28-12-2010, 12:30 PM
अरे, सरकार से ज्यादा डर उ बाबा से है, सुसरा खुदे तो न कोई बाल-बच्चा, लौकी का जूस पीकर गुज़ारा करता है, हल्ला कर रहा है – पैसा देश में मंगवाओ – पैसा देश में मंगवाओ.
अरे हल्ला करने दो, कौन सुनता है, किसी बाबा की..... बाकि तो सभी आप जैसे ही हैं न – टोटली भ्रष्ट.....
अरे धीरे बोलो, तुमहो तो बस........ तभी कहते है, बीवी पढ़ी लिखी होनी चाहिए..... कहाँ गवार से गुजारा करना पड़ रहा है......
हाँ हाँ पढ़ी लिखी होनी चाहिए...... तुमहो कौन से पढ़े लिखे थे.... या कौन सा रोजगार था..... इ तो सुकर करो, हमरे बाप नें तुमरे खानदान देख कर सादी कर दी. बिटिया को पढ़ा लिखा कर कौन सा तीर मार लिए..... देखो अपनी दोस्त को क्या-क्या कह रही थी.........
अगर स्विस बैंक से पैसा देश में वापिस आ गया तो
देश को क़र्ज़ नहीं लेना पड़ेगा.
३० साल तक बज़ट में कोई टेक्स नहीं लगेगा......
सभी गाँव सड़क से जुड जायेंगे.
आधा पैसा भी आ जाए तो ५० करोड नयी नौकरियां होंगी.
देश से गरीबी बिलकुल खत्म हो जायेगी........

Hamsafar+
28-12-2010, 12:34 PM
अभय भाई इसी तरह बढे चलो !

ABHAY
28-12-2010, 12:39 PM
एक ठो लघु कुत्ता कथा......

जंगल में एक हरे भरे जगह पर कुकर सभी इक्कट्ठा हैं........ मौका है - नया सरदार चुनने की रस्म पूर्ति करने का .......
वैसे तो कुक्कर स्वाभाव से ही स्वामिभक्त होते है और ये चुनाव वगैरा में मन नहीं लगाते - पर क्या है कि इस जंगल में लोकतंत्र की रावायत चली हुई है....... इसलिय दिखाने को ही सही... सभी कुक्कर चुनाव में भाग लेते हैं व् अगले तील साल के लिए सरदारी तय करते हैं.... वैसे ये सरदारी भी एक ही वंश के अधीन है........ शुरू से ही इस वंश को सरदारी करने का शौंक रहा था..... इसके लिए जंगल भी बाँट डाला गया...... ताकि अपनी सरदारी कायम रहे...... उसके बाद जो पुश्ते हुई .... उन्होंने और इस सरदारी को पुख्ता किया.....

ABHAY
28-12-2010, 12:41 PM
वैसे इस जंगल का इतिहास बहुत ही पुराना है. कई सैकड़ों साल पहले दुसरे जंगल के जानवरों ने यहाँ के सिंहों पर शासन किया..... इतनी गुलामी के बाद सिंह दहाड़ना तो दूर, गुराना ही भूल गए.. कोई २०० साल पहले कुछ गोरे रंग के अलग तरह से जानवर इस जंगल में आये और ....... उन्होंने सिंहो को बिलकुल ही बदल डाला...... और उन्हें नख दांत शक्ति वहीन कर दिया ..... हालाँकि समय समय पर कुछ सिंह सरदार भी आये पर और उन्होंने अपनी कौम को जाग्रत करने का प्रयास किया पर - गौरे जानवरों की शिक्षा का इत्ता प्रभाव था कि उनका कोई प्रयास कामयाब नहीं हुवा.

ABHAY
28-12-2010, 12:41 PM
आइये फिर उसी हरे-भरे स्थल पर चलते हैं - इस समय 50 से भी ज्यादा कुक्करों ने खड़े होकर पुराने सरदार के पक्ष में अपनी निष्ठा दर्शाई ..... और देखते ही देखते ... कई कुक्करों ने इक्कठे एक सुर में भौंकने लगे....

ABHAY
28-12-2010, 12:42 PM
निवर्तमान सरदार ..... संतुष्ट हुवा..... और एक ऊँचे टीले पर चढ़कर ... जोर की गुर्हात भर का सब को शांत रहने का इशारा किया...... कुक्कर समुदाय बहुत ही प्रस्सन था ...... जज्बातों को काबू में रख कर चुप तो हुवा..... पर उमंगें इत्ती ज्यादा थी अत: उन्होंने सरदार के वर्णसकर्ण युवा पुत्र को घेर लिया ........ और उसकी भी स्तुति गान करने लगे.. निष्ठा और चम्मागिरी का ये अनुपम उद्धरण कहीं और देखने को नहीं मिला.

ABHAY
28-12-2010, 12:43 PM
हालांकि मुद्दे तो बहुत थे...... कई कुक्कर भष्टाचार की सभी हदें पार कर चुके थे..... कुछ तो रक्षकों के मकान को अपने नाम किये बैठे थे, कुछ जंगल के जानवरों का राशन गोदाम में रख कर भूल गए थे - जो बाद में पड़ा-पड़ा सड़ गया . कुछ ने जंगल गौरव के नाम हजारों करोड़ डकार चुके लिए ...... पर सरदार ने इन सब को भुला कर सिंहो के उस गिरोह पर ही निशाना साधा. उन्हें आंतकवादी करार दे दिया गया ........ कुक्कर समुदाय और प्रस्सन हुवा......... मीडिया भी थी..... चकाचक फोटू, अखबार में पहले पेज पर ८० पॉइंट बोल्ड हेडिंग लगी " आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता" को बक्शा नहीं जाएगा........

ABHAY
28-12-2010, 12:43 PM
जिन कुकरों ने दुनिया भर के घोटाले कर रखे थे..... बहुत खुश हुए और सरदार का इशारा पार का भौंकते हुए हमला करने भाग पड़े

ABHAY
28-12-2010, 12:50 PM
कबाड़ी, पेपोर, रद्दी वाला... तितली - मतवाला और मैं

“कबाड़ी, पेपोर, रद्दी वाला............”

“कबाड़ी, पेपोर, रद्दी वाला............”


मैं बालकोनी से झांक कर उसे देखता हूँ – साइकिल पर वज़न लादे – वो खड़ा है – मलीन कपड़ों में. एक लोहे के डंडे को आलम्ब देकर उसने साइकिल को खड़ा किया है. और सुरती बनाते बनाते – चिल्ला रहा है “कबाड़ी, पेपोर, रद्दी वाला............”
सच, अगर ये कबाडी वाले न हो तो – पत्ता नहीं हमारा घर कितने कबाड से अट्टा-पट्टा रहे. कित्ते ही.... आप सोच कर देखिये........ क्या क्या नहीं ले जाता ये. बस हमारी दुःख तकलीफों को छोड़ कर. और शायद ये हमारे दुःख और दुस्वपन भी ले जाता है. आपकी बुरी यादें - वो कोर्स की विज्ञान और गणित कि किताबे जो नहीं पढ़ पाए. जिन किताबों को देखते ही दृष्टि तुरंत अपनी हथेलियों पर चली जाती है – कित्ते ही डंडे मारे थे – गणित के सरजी ने, वो सभी किताबे ले जाने को उद्दत है ये. नव यौवन के उस जज्बाती कालखंड में माशूक ने जो कविताओं की किताब आपको दी थी – प्रथम पृष्ठ पर अपने जज्बात लिख कर. जो घर के एक सुरक्षित स्थान पर रखी रखी आपको घूरती रहती है – चैन नहीं देती – सोने नहीं देती. तुलवा कर इस कबाडी को दे दो – एक दो सिगरेट या फिर चाय के पैसे मिलेंगे सो अलग और चैन कि नींद का आनंद अलग.

ABHAY
28-12-2010, 12:51 PM
उसके झोले जो साइकिल के दोनों और झूल रहे है - उसमे कुछ हिंदी के पुराने नोवेल झांक रहे थे..... मैं तुरंत नीचे उतरा और – उसका झोला उलट दिया......... मतवाला: लेखक-लोकदर्शी, पत्थर दिल और गुनाह – आदिल रशीद, उज्जली सुबह – लेखक मीनाक्षी माथुर, पाषाण पंख - लेखक नानक; ये सभी उपन्यास हार्ड बाइंडिंग में थे और सबसे उलेखनीय और सबसे बुरी दशा में जो था वो - जय शंकर प्रसाद कृत तितली का. अपने पुराने स्वरुप में मिला. ये सभी उपन्यास लगभग १९७०-७४ तक के काल में प्रकाशित हुए थे. किसी लाइब्रेरी के थे – रद्दी वाले ने ढंग से जवाब नहीं दिया.
मैंने मूल्य पुछा – तो वो बोला की एक सरदार जी हैं – जिनकी पुरानी किताबों कि दूकान है – वो दस रुपे प्रति किताब के हिसाब से खरीदते हैं. जाहिर है – मैंने उसको पैसे दिए और उपन्यास कब्ब्जे में लेकर आ गया.

ABHAY
28-12-2010, 12:53 PM
“दुनिया घर से कबाड निकल कर बेचती है और साहब रद्दी उठा कर घर ले आये.”
ज़ाहिर है होम मिनिस्टर के ये वक्तव्य आपका इन्तेज़ार कर रहे है.
ये उपन्यास पढ़ने ने के लिए क्या चाहिए ? शमशान के पीछे की शांति, तम्बाकू कि पुडिया और इसके के साथ चाय के कप मिल जाए तो कहना ही क्या ?

ABHAY
28-12-2010, 12:54 PM
लोकदर्शी : जाहिर सी बात है की उनका असली नाम नहीं होगा. असली नाम मालूम भी नहीं पड़ा. मतवाला – पढ़ने पर ब्लैक & व्हाइट कोई चलचित्र दिमाग में घूमने लगा. बढिया कथानक था - देवानंद या फिर धर्मेन्द्र का कोई हीरो, जो मतवाला “सतीश” है मस्त आदमी है और मस्ती में फंस जाता है चक्रव्यूह में – और अपनी सादगी और दरियादिली से निकल भी आता है. लोकदर्शी का लिखने का ढंग ऐसा ही कि पूरा उपन्यास ही आँखों के सामने चलचित्र की मानिंद घूमता रहता है.
जय शंकर प्रसाद कृत तितली – अंग्रेजी हुकूमत के समय में ग्राम्य पृष्ठभूमि वाला उपन्यास है ये. प्रेमचंद के किसी भी उपन्यास जैसा ही.
कहानी एक नारी पात्र – तितली को लेकर लिखी गई है. तहसीलदार, जमींदार, मुंशी और मंदिर के महंत नायक – मधुबन, कहानी के सह पात्र इन्द्रेश की माता इत्यादि.
बढिया कहानी थी ........... अंत तक तितली की “छोटी – किन्तु व्यवस्थित गृस्थी” पर खत्म होता है.
सबसे मुख्या बात है – जय शंकर प्रसाद जी ने इस उपन्यास में जो “जीवन दर्शन” लिखा है बहुत बढिया है. उपन्यास मैंने बाईडर को दिया है ठीक करने के लिया. अगली पोस्ट में कुछ पंक्तियाँ वहाँ से टीप कर टाइप करूँगा.

जय राम जी की.

Hamsafar+
28-12-2010, 02:18 PM
माफ़ करदिया अभय, अब आगे बढ़ो :cheers:

ABHAY
28-12-2010, 03:24 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=7262&stc=1&d=1293535480

bharat
23-06-2011, 04:49 AM
कलयुग आ गया_

जिथे रातां नु चोर आराम करदे, ओथे दिनां नु चोरियां हुंदियां ने
ओथे हुंदा नि किसे दा बाल भी बिंगा, जिथे कानून च मोरियां हंडिया ने
लोक मनां च पांडियन पे गैयाँ, जिम्मे गन्ने च पारियां हुंदिया ने..

जज कादा जूठी जो गवाही मन्ने ना
कादी नु जो सास दा जबड़ा बन्ने ना
दुकानदार कदा जो पूरा तोल्जे
कादा वो व्यापारी जेदा मीठा बोल्जे
नेता कदा मुडके जो मुह दिखा गया
कलयुग आ गया_

कादी वो जनानी जेडी मेने मारे ना
कड़ी वो मासूक जेडी लावे लारे ना
माडल वो कादी, लिडे (कपडे) पुरे पा लवे
चोर कादा मोके ते जो हाथ आ जवे
कादा गायक जेड़ा सुर च गा गया
कलयुग आ गया_
पुलिसिया कदा जेड़ा गुग्गद बन्दावे ना
टीचर वो कादा टूशन जो ना पढावे ना
थानेदार कादा जेदा गालां कड़े ना
प्रोमोटर वो कादा जो कबूतर छड्डे ना
ठेकेदार कादा जेदा लुक्क(सीमेंट) पा गया
कलयुग आ गया_
पटवारी कादा जट दी जो गल मन्जे
कादी सरकार पांच साल चल्जे
लेन-मेन कादा कुंडिया लवावे ना
साधू वो कादा जेदा तिवियाँ(जनानिया) पजावे ना
कादा फोरम जिसदा सूत्र सदस्यां नु भा गया
कलयुग आ गया_

bharat
23-06-2011, 04:50 AM
http://t0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQp02xZ0fUInL1nzN7VHtM5sFaqxoZz1 vqyJ-YLHjaM2gGrEQrvhttp://t3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcR1ZdQIa8p3Cyazl33S2dD8NvykMHQRG ccHMvd-IGwp8Z59UPRCdg

जहाँ कुत्तों के लिए AC हैं पर पंखा नहीं इंसान के लिए,
इससे बड़ी बात क्या कहूँ मैं अपने भारत देश महान के लिए!

bharat
23-06-2011, 04:50 AM
http://t2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcRG--E9OqAGGgN-AlkeX-e0VAbmjhmRJVdofYmI_nIZOZYV06OVhttp://t0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTI_CuJQH56kjAf8ew-X1ivBkRGXByN1K9w9ZcVwxuY3FltuUjn

जहाँ अन्नदाता के देश के अन्दर अनाज के लिए लोगों की कतार हैं
जहाँ पढ़ लिखकर भी सड़के मल रहे, मेरे देश के बेरोजगार हैं!

कॉपी किताब की जगह बच्चों के हाथ में झूठे बर्तन है चमकान के लिए
इससे बड़ी बात क्या कहूँ मैं अपने भारत देश महान के लिए!

bharat
23-06-2011, 04:51 AM
http://t0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcQx7KICh7uKb5J6dV2ZJlmap6zxXTmzU bwy4O13FmzCiMdhUnkvhttp://t2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSXYP2qGNUr_gW0i3mW8ym278zgmnhRe 2eeTMJUPRgbrxktQBeg4A

कुछ नंगे फैशन के नाम पर है,कुछ नंगे इसलिए की पल्ले उनके देल्ला नहीं
वोटों के टाइम पे नेता के दर-खुले, फिर लोगों के लिए कोई वेल्ला नहीं

bharat
23-06-2011, 04:51 AM
http://t2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcT-pJep-edZDxaR2Pguj-VrMhD2gOIKHqH-fHiVmWPd_4I2M40S
अब ना भगत सिंह ना नेता बोस जी रहे, हमारी सोई हुई अनख को जगान के लिए
इससे बड़ी बात क्या बताऊँ , मैं अपने भारत देश महान के लिए

bharat
23-06-2011, 04:53 AM
http://memsaabstory.files.wordpress.com/2008/09/jkg_titles.jpg

छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!
ब्याह करवाके रोज़ हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

सारा हफ्ता काम, छुटी में कपडे धोते रहते हैं
सारा दिन सारी रात बच्चे रोते रहते हैं
बेलन बीवी ने मारा कल गोड्डे ऊपर सह गया!
ब्याह करवाके बड़ा उल्टा पंगा ले ल्या
बच्चे भी खिलाये, साथ ही भैंस च्युन्दे रए! (च्युन्दे-दूध निकालना )
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

ख़ुशी ख़ुशी चाव से ब्याह करवाया था,
इतना दुखी होवेंगे अंदाज़ा भी न लाया था!
उठके सवेरे करनी पड़ती सफाई है,
मर-ज़े वो बचोला जिसने शादी करवाई है!(बचोला-शादी करवाने वाला)
२४ घंटों में सिर्फ एक घंटा सोते रहे
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

कुंवारा रहता अच्छा रहता , ऐसी जिंदगानी से,
भगवान् ही बचाए इतनी बुरी ये जनानी से .. (जनानी-औरत)
एक मन करे उसको दे दूँ में तलाक जी'
दूसरा दर लगे कैसे पालूंगा ज्वाक जी (ज्वाक-बच्चे)
हल्दी मसाले चीनी शहर से ढोते रहे
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे.

छुप छुप बिविओं से हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!
ब्याह करवाके रोज़ हम रोते रहे,
रोटियां पकाई , साथ में बर्तन धोते रहे..!

bharat
23-06-2011, 04:54 AM
=>क्यूं पापाजी वोट डाल आये http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/04/ag00317_.gif?w=109&h=140

http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/04/angry_man_2.gif?w=138&h=120=>बेटा! पता नहीं वो तेरा कौन सा बाप है जो मेरे जाने से पहले ही मेरा वोट डाल आता है ।

bharat
23-06-2011, 04:55 AM
http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/04/0f5bd4b45c41b80a.jpg?w=119&h=121=>फिलहाल मैं अपने आप को प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं समझता । अगर प्रधानमंत्री पद के लिए पेशकश की गई तो ठुकरा दूंगा ।

http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/04/boss_with_paper.gif?w=98&h=147=>राहुल बाबा पहले तो अगले चुनाव में यूपीए को ही बहुमत नहीं मिलने जा रहा है । फिर खुद यूपीए में ही दो दर्जन प्रधानमंत्री पद के दावेदार लार टपकाते खड़े हैं । लालू, मुलायम, पासवान, शरद पवार के रहते कोई आपको प्रधानमंत्री पद की पेशकश भी करने से रहा । अच्छा किया आपने जो खुद को इस चूहा दौड़ से अलग कर लिया । गरीबी में आदमी उपवास करना सीख ही लेता है । उपवास करने से स्वास्थ्य भी दुरूस्त रहता है और नाक भी बची रहती है ।

bharat
23-06-2011, 04:56 AM
क्वात्रोची के खिलाफ सी.बी.आई. के पास कोई सबूत नहीं। (व्यंग्य/कार्टून)
http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/09/bofors-case.jpg?w=200&h=200http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/09/dog_barks.gif?w=175&h=100http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/09/dog_and_bone.gif?w=200&h=148

<=अबे साले ! तेरे कू इतना भी नहीं पता कि अतिथि देवो भव होते हैं । फिर सरकारी अतिथि पर भौंक कर तू अपनी हड्डी से भी पंजे धो बैठेगा । सरकारी नौकरी में सिर्फ उसी पर भौंका जाता है जिससे सरकार को खतरा हो ।

bharat
23-06-2011, 04:57 AM
खबर पुरानी जरूर है पर है सदाबहार!


साधो, सियासत के कबूतर खाने में बड़ी गहमा गहमी है । लालू यादव के साले साधु यादव ने बहनोई को खुदा हाफिज कह कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया । अब लालू यादव भुन्नाकर साले को कोस रहे हैं । कोसने के सिवा कुछ कर भी नहीं सकते । ऋषी-मुनि होते तो साधु को शाप देते । उन्हें मलाल सिर्फ यही है कि घर में बसा साला भी साला बगावत कर बैठा ।
http://kmmishra.files.wordpress.com/2009/03/ag00406_.gif?w=184&h=152

गई वो दीवार जिसमें बन गये आले,
गया वो घर जिसमें बस गये साले ।

bharat
23-06-2011, 04:58 AM
http://1.bp.blogspot.com/-DU_9OexMGfg/TbvCLAcHtSI/AAAAAAAAEN4/A5WAdLrCu8s/s400/000000.jpg

bharat
23-06-2011, 04:58 AM
http://1.bp.blogspot.com/-9131FYJsDQs/TbkUY89uAkI/AAAAAAAAENo/EuBTHA9I2o0/s400/000000.jpg
बारी सभी की आती है...

पहले 'स्लोगन' प्रसिद्ध हुआ : "खाकी कुत्तों से सावधान"
फिर स्लोगन प्रचलन में आया : "नेता से सावधान"
और अब आपकी पारखी दृष्टि ने नयी बहती हवा को ठीक पहचाना :
"ईमानदारों से सावधान" ......... वाला स्लोगन."

bharat
23-06-2011, 04:59 AM
http://4.bp.blogspot.com/-24LM8HbkoCA/Tbe3xvOMW6I/AAAAAAAAENg/ewaN-9Ix3NA/s400/000000.jpg

मंत्री को मारने के लिये प्लास्टिक की चप्पल ठीक रहती है. सस्ती और मज़बूत होती है.
मारने के बाद संग्रहालय में काफी समय तक रखी भी जा सकती है. अरे हाँ, मारने पर आवाज भी होती है!

bharat
23-06-2011, 05:00 AM
http://4.bp.blogspot.com/-saH8lyC2Hog/TbZkX5Z0FjI/AAAAAAAAENY/innXN1Oste8/s400/0000001.jpg


चखिए तीखा-तड़का
पारा तो चढ़ेगा ही

bharat
23-06-2011, 05:00 AM
http://3.bp.blogspot.com/-wCJbx1IriyA/TbUn8PKHn7I/AAAAAAAAENQ/hzg4wz6RjM4/s400/000000.jpg

सबको बराबर का अधिकार मिले।

bharat
23-06-2011, 05:00 AM
http://3.bp.blogspot.com/-UXdoCjrLJ7o/TbE69TdWixI/AAAAAAAAEM4/vhF-ZiBKlb4/s400/000000.jpg

निश्चिन्तमना।

bharat
23-06-2011, 05:01 AM
http://2.bp.blogspot.com/-DoXEDHhF270/Ta5_T426XOI/AAAAAAAAEMo/9oYW9ExVdkQ/s400/000000.jpg

ड्राइवर को लगता है रूट की जानकारी ही नहीं या फिर जानबूझकर... !!

bharat
23-06-2011, 05:01 AM
http://1.bp.blogspot.com/-L47YUCUCny4/Ta0kMyOKTFI/AAAAAAAAEMg/2gr_oWY-qwc/s400/000000.jpg

और क्या कहना चाहते हो आप, पार्टी अलग, बन्दा अलग, चन्दा अलग, धन्धा अलग!!.

bharat
23-06-2011, 05:02 AM
http://1.bp.blogspot.com/-63j-TuTajSc/Tav8C95YreI/AAAAAAAAEMY/G3a7rr8FBME/s400/000000.jpg

डर सभी को लगता है!
प्यास सबको लगती है!
गा* सबकी **ती है!

bharat
23-06-2011, 05:02 AM
नंगे खड़े है बाज़ार में!
दो हाथों से क्या क्या ढकें!
http://3.bp.blogspot.com/-tygqGu49GqY/TZqwCAcO6zI/AAAAAAAAEKQ/Ent53TEY1uI/s400/0000001.jpg

bharat
23-06-2011, 05:03 AM
http://3.bp.blogspot.com/-95iwfvPIk7s/TZVx3Ps_dwI/AAAAAAAAEJw/UoSxo1c5MDE/s400/000000.jpg


भारत से पिटे थे, सेमी-फ़ाइनल में!
उसके बाद की गुपचुप बात है ये!

bharat
23-06-2011, 05:03 AM
http://i796.photobucket.com/albums/yy243/vrkm2003/gabbar-singh-ka-charitra-chitran-orkut-scrap.gif

bharat
23-06-2011, 05:04 AM
http://i796.photobucket.com/albums/yy243/vrkm2003/uptu-latter.gif