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View Full Version : वन्दे मातरम् ~ प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी


YUVRAJ
18-11-2010, 11:51 PM
ღ ღ ღ ღ ღ ღ ღ


Indian


hinduism

........jainism

........buddhism

.......sikhism

........islam
..christianity

Sikandar_Khan
19-11-2010, 12:09 AM
मुझे गर्व है कि मै एक हिन्दुस्तानी हूँ
जय हिन्द

YUVRAJ
19-11-2010, 08:05 AM
वन्दे मातरम् प्यारे दोस्तों …

ABHAY
19-11-2010, 08:28 AM
मुझे गर्व है कि मै एक हिन्दुस्तानी हूँ और बाद में एक बिहारी हू !

Hamsafar+
19-11-2010, 08:29 AM
वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

शस्य श्यामलां मातरम् ।

शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम

फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् ।

सुखदां वरदां मातरम् ॥

वन्दे मातरम्…

khalid
19-11-2010, 08:40 AM
मुझे गर्व हैँ हिन्दुस्तानी होने पर
जय हिन्द
जय भारत

YUVRAJ
19-11-2010, 08:42 AM
प्यारे दोस्तों,
आशा करता हूं की आप सभी देशभक्त मित्र और फोरम परिवार के सदस्य इस सूत्र पर देश की याद के साथ कम से कम एक बार नियमित रूप से "वन्दे मातरम्" पुकारने जरूर आया करेंगे।
हार्दिक धन्यवाद।

Sikandar_Khan
19-11-2010, 09:16 AM
वन्दे मतरम्
मुझे गर्व है कि मै हिन्दुस्तानी हूँ

Hamsafar+
19-11-2010, 09:20 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3634&stc=1&d=1290144002

Hamsafar+
19-11-2010, 09:21 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3635&d=1290143959

Hamsafar+
19-11-2010, 09:22 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3637&d=1290143988

Hamsafar+
19-11-2010, 09:22 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3638&d=1290144022

YUVRAJ
19-11-2010, 09:30 AM
:bravo::bravo::bravo::bravo:

"वन्दे मतरम्"
बहुत ही सुन्दर S.R भाई
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3637&d=1290143988

Hamsafar+
19-11-2010, 09:38 AM
इतिहास - वंदे मातरम्


7 नवंबर 1876 बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ‘वंदे मातरम’ की रचना की ।
1882 वंदे मातरम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित ।
1896 रवीन्द्र नाथ टैगोर ने पहली बार ‘वंदे मातरम’ को बंगाली शैली में लय और संगीत के साथ कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में गाया।
मूलरूप से ‘वंदे मातरम’ के प्रारंभिक दो पद संस्कृत में थे, जबकि शेष गीत बांग्ला भाषा में।
वंदे मातरम् का अंग्रेजी अनुवाद सबसे पहले अरविंद घोष ने किया।
दिसम्बर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्ज़ा प्रदान किया गया, बंग भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना।
1906 में ‘वंदे मातरम’ देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया गया, कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसका संशोधित रूप प्रस्तुत किया ।
1923 कांग्रेस अधिवेशन में वंदे मातरम् के विरोध में स्वर उठे ।
पं. नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस और आचार्य नरेन्द्र देव की समिति ने 28 अक्तूबर 1937 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पेश अपनी रिपोर्ट में इस राष्ट्रगीत के गायन को अनिवार्य बाध्यता से मुक्त रखते हुए कहा था कि इस गीत के शुरुआती दो पद ही प्रासंगिक है, इस समिति का मार्गदर्शन रवीन्द्र नाथ टैगोर ने किया ।
14 अगस्त 1947 की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम’ के साथ और समापन ‘जन गण मन..’ के साथ हुआ।
1950 ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय गीत और ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान बना ।
2002 बी.बी.सी. के एक सर्वेक्षण के अनुसार ‘वंदे मातरम्’ विश्व का दूसरा सर्वाधिक लोकप्रिय गीत है।
2010 myhindiforum.com पर आज युवराज जी के द्वारा इसका आगाज किया गया
वन्देमातरम !!

Hamsafar+
19-11-2010, 09:43 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3639&stc=1&d=1290145422

Hamsafar+
19-11-2010, 09:45 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3641&d=1290145395

Hamsafar+
19-11-2010, 09:45 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3642&d=1290145401http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3642&d=1290145401
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3642&d=1290145401http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3642&d=1290145401

Hamsafar+
19-11-2010, 09:46 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3643&d=1290145409
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3640&stc=1&d=1290145389

Hamsafar+
19-11-2010, 09:51 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3649&stc=1&d=1290145866

Hamsafar+
19-11-2010, 09:53 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3653&d=1290145922

Hamsafar+
19-11-2010, 09:54 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3660&stc=1&d=1290146071

Hamsafar+
19-11-2010, 09:54 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3661&d=1290146049

Hamsafar+
19-11-2010, 09:55 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3659&d=1290146033

Hamsafar+
19-11-2010, 09:56 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3662&d=1290146053

Hamsafar+
19-11-2010, 09:57 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3663&stc=1&d=1290146058

munneraja
20-11-2010, 03:51 PM
सभी धर्मो का मेल है हिंदुस्तान
पूरे विश्व में हिंदुस्तान जैसा कोई नहीं
और यह मेरा सौभाग्य है कि मैं हिन्दुस्तानी हूँ

ndhebar
21-11-2010, 10:08 AM
वन्दे मातरम्..........

खुद के गर्व करने से कुछ नहीं होता
बात तो तब बने जब दूसरों को गर्व हो की ये व्यक्ति हमारे ही देश का है

abhisays
21-11-2010, 10:13 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3842&stc=1&d=1290363162

jai_bhardwaj
21-11-2010, 11:44 PM
एक यही 'जय'घोष करेंगे, मरते दम तक हम !
वन्देमातरम ! वन्देमातरम !! वन्देमातरम !!!

sam_shp
22-11-2010, 08:48 AM
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा |
वन्दे मातरम् |
जय हिंद |
:hi::hi::hi::hi::hi:

munneraja
23-11-2010, 09:29 AM
विषय से हटकर प्रविष्टियों को या तो मिटा दिया जायेगा अथवा सम्बंधित विषय में भेज दिया जायेगा.

ndhebar
23-11-2010, 09:50 AM
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मा माँ मातरम्

विषय से हटकर प्रविष्टियों को या तो मिटा दिया जायेगा अथवा सम्बंधित विषय में भेज दिया जायेगा.

अगर सिर्फ वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् करना ही आपका विषय है
तो फिर
वन्दे मातरम्
अगर स्वस्थ बहस को आप विवाद मानते हैं तो फिर
वन्दे मातरम्

munneraja
23-11-2010, 10:19 AM
अगर सिर्फ वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् करना ही आपका विषय है
तो फिर
वन्दे मातरम्
अगर स्वस्थ बहस को आप विवाद मानते हैं तो फिर
वन्दे मातरम्
सिर्फ वन्दे मातरम ही क्यों
आप अपने को भारतीय होने पर क्यों गर्वित महसूस करते हैं ?
वो सब यहाँ बता सकते हैं.
और यदि भारतीय होने पर आप किसी भी कारण से लज्जित महसूस करते हैं तो "मुझे खेद है.." में कीजिये.
स्वस्थ बहस को फोरम स्वीकार करता है
अब तक की किसी भी प्रविष्टि को मिटाया नहीं गया है

abhisays
23-11-2010, 10:24 AM
सिर्फ वन्दे मातरम ही क्यों
आप अपने को भारतीय होने पर क्यों गर्वित महसूस करते हैं ?
वो सब यहाँ बता सकते हैं.
और यदि भारतीय होने पर आप किसी भी कारण से लज्जित महसूस करते हैं तो "मुझे खेद है.." में कीजिये.
स्वस्थ बहस को फोरम स्वीकार करता है
अब तक की किसी भी प्रविष्टि को मिटाया नहीं गया है


क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है.. इसको और बेहतर करते हुए मैंने एक अलग से थ्रेड बनाया है भारत और विश्व subforum में.. उसका लिंक यहाँ पर है..

स्वस्थ बहस तो फोरम पर होनी ही चाहिए..

क्या आपको भारत पर गर्व है? (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1344)

munneraja
23-11-2010, 12:29 PM
हमारा भारत
एक ऐसा देश जहां भावनाएं अभी जिन्दा है
एक ऐसा देश जहां पडोसी एक दूसरे के सुख-दुःख में काम आते हैं
एक ऐसा देश जहां रिश्तो की अहमियत है
एक ऐसा देश जहां दूसरों की गलतियाँ भूल जाने की परम्परा है
एक ऐसा देश जहां धन से अधिक व्यक्ति को अब भी अहमियत दी जाती है

मैं अपने देश पर गर्व क्यों ना करूँ ?????

amit_tiwari
23-11-2010, 04:23 PM
क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है.. इसको और बेहतर करते हुए मैंने एक अलग से थ्रेड बनाया है भारत और विश्व subforum में.. उसका लिंक यहाँ पर है..

स्वस्थ बहस तो फोरम पर होनी ही चाहिए..

क्या आपको भारत पर गर्व है? (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=1344)

:bravo::bravo:
:iagree::iagree:

@abhisays only

यह ज्वलंत विषय भी है और फोरम पर स्वस्थ बहस का स्थान बचने के लिए आभार |


किन्तु फिर इस थ्रेड का उद्देश्य ???? विषय सम्पूर्ण ही अपने विरोध से होता है, अँधेरे के बिना प्रकाश का महत्त्व क्या ?विरोध के आभाव में यह सूत्र अब ऐसा जान पड़ रहा है जैसे सब वन्दे मातरम लिखना सीख रहे हैं, हाँ कुछ पहले से सीखे हुए थे तो वो कलर में लिख रहे हैं |:rolling::rolling:

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी :india: जो स्थान हमें नाम देता है अभिमान देता है उस पर एक क्या सौ जीवन कुर्बान | किन्तु इसका यह अर्थ भी नहीं की अपनी कमियों को हम कम्बल से छुपाते घूमें |

-अमित

munneraja
23-11-2010, 05:21 PM
भारत एक ऐसा देश है
जहां भृष्ट होने के बाद भी ऑफिसर आपकी सुनता जरूर है
जहां यदि दुर्घटना हो गई हो तो सरकारी सहायता से पहले देखने वाले सहायता के लिए जुट जाते हैं.
जहां आपको समस्याग्रस्त देखकर आपकी सहायता के लिए लोग आगे आते हैं
जहां सेवा भाव से खाना खिलाने को आज भी परम्परा माना जाता है

munneraja
24-11-2010, 12:03 PM
भारत ही एक ऐसा देश है
जहां पशु के दुर्घटनाग्रस्त होने पर लोग उनके साथ सहानुभूति से पेश आते हैं
जहां बड़े बूढ़े आज भी घरों में आदर पाते हैं
जहां बड़े परिवार में साथ रहना आज भी परम्परा है

kamesh
28-11-2010, 04:59 PM
मुझे अपने भारत और भारतीय होने पे गर्व है और होना भी चाहिए सभी को
क्यों की आज उसी भारत की बिज्ञान को और अर्थ बिज्ञान को पूरी दुनिया नए कलेवर में पेश करती है
अग्नि बादं को बदल के मिसाईल का रूप दिया,पुष्पक विमान को हवाई जहाज , और शून्य भी भारत के देन है
जय हिंद और वन्दे मातरम कहना अछी बात है क्यों की इस से मन में नए जोश का संचार होता है
मुझे परेशानी तो उन भारतियों से है जो भारत पे गर्व तो करतें है मगर बस चिंतन और मनन के माध्यम से
अरे गर्व खूब करो मगर उसे गर्वयुक्त बनाने के लिए अपने तरफ से कितने गर्व करने योग योगदान किया,छोटा सा उदाहरण कितने लोग सड़क पे केले के छिलके फेक देतें है हम में से कितने लोग उस छिलके को उठा के डस्टबिन में दल देतें है ,( जवाब न के बराबर होगा,) कितने लोग अपनी गाड़ियों को पार्किंग में लगते है( जवाब सुन्य होगा क्यों की सब सड़क के किनारे लगाय्तें है और ये गए)बाते लम्बी हो जाएँ गी
में तो बस इतना कहना चाहता हूँ की बोलो नहीं करो
तो में मान जावो
जय हिंद

YUVRAJ
29-11-2010, 06:05 AM
:clap::clap::clap::clap::clap:.....:bravo:
मुझे अपने भारत और भारतीय होने पे गर्व है और होना भी चाहिए सभी को
क्यों की आज उसी भारत की बिज्ञान को और अर्थ बिज्ञान को पूरी दुनिया नए कलेवर में पेश करती है
अग्नि बादं को बदल के मिसाईल का रूप दिया,पुष्पक विमान को हवाई जहाज , और शून्य भी भारत के देन है
जय हिंद और वन्दे मातरम कहना अछी बात है क्यों की इस से मन में नए जोश का संचार होता है
मुझे परेशानी तो उन भारतियों से है जो भारत पे गर्व तो करतें है मगर बस चिंतन और मनन के माध्यम से
अरे गर्व खूब करो मगर उसे गर्वयुक्त बनाने के लिए अपने तरफ से कितने गर्व करने योग योगदान किया,छोटा सा उदाहरण कितने लोग सड़क पे केले के छिलके फेक देतें है हम में से कितने लोग उस छिलके को उठा के डस्टबिन में दल देतें है ,( जवाब न के बराबर होगा,) कितने लोग अपनी गाड़ियों को पार्किंग में लगते है( जवाब सुन्य होगा क्यों की सब सड़क के किनारे लगाय्तें है और ये गए)बाते लम्बी हो जाएँ गी
में तो बस इतना कहना चाहता हूँ की बोलो नहीं करो
तो में मान जावो
जय हिंद

pooja 1990
30-11-2010, 05:05 AM
muje garve hai.ki me indian hu.or up me rahti hu. jai hind .jai hanuman. 5

munneraja
30-11-2010, 09:50 AM
प्रश्न : भारत की परम्परा
उत्तर : वन्दे मातरम
प्रश्न : भारत के वेद/साहित्य
उत्तर: वन्दे मातरम
प्रश्न : भारत के रहन सहन के तरीके
उत्तर : वन्दे मातरम
प्रश्न : भारत की खोज
उत्तर : वन्दे मातरम
......................................
क्या हम वन्दे मातरम के अतिरिक्त कुछ कहना नहीं जानते ??
क्या हम इसी लिए गर्व करते हैं भारतीय होने पर कि हम सिर्फ वन्दे मातरम ही कह सकते हैं ??
कुछ और नहीं है हमारे पास भारत की थाती कि हम कुछ कह सकें कि हमे किस पर गर्व है :cry:

YUVRAJ
30-11-2010, 03:03 PM
प्यारे दोस्तों …
आओ कुछ बातें इस शब्द पर भी करें ताकी न जाननेवाला भी कुछ जान सके।

अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण
सन २००३ में बीबीसी द्वारा आयोजित
इस सर्वेक्षण मे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया और बीबीसी के अनुसार, १५५ देशों और द्वीपों के लोगों ने इसमे मतदान किया और "वन्दे मातरम्" शीर्ष के १० गानो में दूसरे स्थान पर रहा।
७ नवम्वर १८७६ बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चटर्जी ने "वन्दे मातरम्" की रचना की और बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन १८८२ में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ। इसकी धुन जदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई है।

YUVRAJ
30-11-2010, 03:13 PM
बात १८७० की है जब बंकिम चंद्र जी एक सरकारी अधिकारी हुआ करते थे और इसी अंग्रेज हुक्मरानों ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेजों के इस आदेश से चटर्जी को बहुत ठेस पहुंची और उन्होंने संभवत १८७६ में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया - "वन्दे मातरम्"। शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे जो केवल संस्कृत में थे। इन दोनो पदों में केवल मातृ-भूमि की वन्दना है।


उन्हों ने १८८२ में जब ‘आनंद मठ’ नामक बांग्ला उपन्यास लिखा तब मातृ-भूमि के प्रेम से ओत-प्रोत इस गीत को भी उसमें शामिल किया। यह उपन्यास अंगरेजों के शासन तथा जमींदारों के शोषण के विरुद्ध जारी सन्यासी विद्रोह पर आधारित है। इसमें यह गीत सन्यासियों द्वारा ही गवाया गया है। इस उपन्यास में इस गीत के आगे के पद लिखे गए जो उपन्यास की भाषा अर्थात् बांग्ला में हैं। इन बाद वाले पदों में मातृ-भूमि की दुर्गा के रूप में स्तुति की गई है।

jaihind20
01-12-2010, 08:50 AM
mujhe apne hindustani hon par garv hai sath h garv hai ki mera naam bhi desbhakti se ot prot hai.

YUVRAJ
01-12-2010, 09:14 AM
:clap::clap::clap::clap::clap:.....:bravo:
mujhe apne hindustani hon par garv hai sath h garv hai ki mera naam bhi desbhakti se ot prot hai.

Hamsafar+
02-12-2010, 10:54 AM
MRPpSgRqtRc

YUVRAJ
03-12-2010, 03:45 AM
वन्दे मातरम् Friends. We are proud to be हिन्दुस्तानी

YUVRAJ
03-12-2010, 08:25 AM
वन्दे मातरम् प्यारे दोस्तों,
इस से आगे की जानकारी सीघ्र ही प्रविष्ट करूँगा। आशा करता हूँ आप सहयोग प्रदान करते रहेंगें।
हार्दिक धन्यवाद।
प्यारे दोस्तों …
आओ कुछ बातें इस शब्द पर भी करें ताकी न जाननेवाला भी कुछ जान सके।

अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण
सन २००३ में बीबीसी द्वारा आयोजित
इस सर्वेक्षण मे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया और बीबीसी के अनुसार, १५५ देशों और द्वीपों के लोगों ने इसमे मतदान किया और "वन्दे मातरम्" शीर्ष के १० गानो में दूसरे स्थान पर रहा।
७ नवम्वर १८७६ बंगाल के कांतल पाडा गांव में बंकिम चन्द्र चटर्जी ने "वन्दे मातरम्" की रचना की और बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन १८८२ में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ। इसकी धुन जदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई है।

बात १८७० की है जब बंकिम चंद्र जी एक सरकारी अधिकारी हुआ करते थे और इसी अंग्रेज हुक्मरानों ने ‘गॉड सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेजों के इस आदेश से चटर्जी को बहुत ठेस पहुंची और उन्होंने संभवत १८७६ में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला भाषा के मिश्रण से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया - "वन्दे मातरम्"। शुरुआत में इसके केवल दो पद रचे गए थे जो केवल संस्कृत में थे। इन दोनो पदों में केवल मातृ-भूमि की वन्दना है।


उन्हों ने १८८२ में जब ‘आनंद मठ’ नामक बांग्ला उपन्यास लिखा तब मातृ-भूमि के प्रेम से ओत-प्रोत इस गीत को भी उसमें शामिल किया। यह उपन्यास अंगरेजों के शासन तथा जमींदारों के शोषण के विरुद्ध जारी सन्यासी विद्रोह पर आधारित है। इसमें यह गीत सन्यासियों द्वारा ही गवाया गया है। इस उपन्यास में इस गीत के आगे के पद लिखे गए जो उपन्यास की भाषा अर्थात् बांग्ला में हैं। इन बाद वाले पदों में मातृ-भूमि की दुर्गा के रूप में स्तुति की गई है।

Hamsafar+
03-12-2010, 09:28 AM
BxUkz-mp6pg

khalid
03-12-2010, 09:55 AM
वन्दे मातरम् प्यारे दोस्तों,
इस से आगे की जानकारी सीघ्र ही प्रविष्ट करूँगा। आशा करता हूँ आप सहयोग प्रदान करते रहेंगें।
हार्दिक धन्यवाद।

वन्दे मातरभ्
हमेँ इंतेजार रहेगा
आगे की जानकारी का

YUVRAJ
03-12-2010, 04:10 PM
बंगाल में चले आजादी के आंदोलन में विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में लोकप्रिय हो गया। ब्रितानी हुकूमत इसकी लोकप्रियता से सशंकित हो उठी और उसने इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना शुरु कर दिया। १८९६ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यह गीत गाया। पांच साल बाद यानी १९०१ में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरन दास ने यह गीत पुनः गाया। १९०५ में बनारस में हुए अधिवेशन में इस गीत को सरला देवी चौधरानी ने स्वर दिया।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:07 PM
ट्यूलिप जोशी
हम सब अपने निजी जीवन में इतने व्यस्त होते हैं कि देश के बारे में सोचना भूल जाते हैं, क्योंकि हमारे रोज के जीवन की अपनी चिंताएं होती हैं। सच तो यह है कि जब कोई दुर्घटना घटती है, तभी हमें अपनी स्ट्रेंथ का अहसास होता है। दरअसल, तभी हमें महसूस होता है कि आखिर हम सब एक ही देश के नागरिक हैं। दो साल पहले जब सुनामी आई थी, तब मैंने पहली बार अपने देशवासियों की एकजुटता पर गर्व महसूस किया था। सुनामी के ही दौरान मेरी मां की दो सहेलियां भी उसमें बुरी तरह फंस गई थीं। उन्हें एक दर्जी की दुकान में सारी रात बितानी पड़ी। उस दर्जी ने उन्हें कोई तकलीफ नहीं होने दी। जब सुनामी के बाद मेरी मुलाकात दोनों आंटी से हुई, तो उन्होंने मुझे अपना अनुभव बताया। तब मैंने महसूस किया कि जब हम सब किसी मुश्किल में फंसते हैं, तो अंत में हमारे देशवासी ही होते हैं, जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं। मुंबई में आई बाढ़ के समय देशवासियों की चिंता ने भी मुझे अपने देश की एकता का अहसास कराया।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:08 PM
आरती छाबडि़या
अपनी भारतीयता पर मुझे बेहद गर्व है। हम भारतवासी ही हैं, जो विदेश जाकर भी अपने संस्कार और मूल्यों से रिश्ता बनाए रखते हैं। वैसे तो मैं हमेशा ही भारतीय होने का दम भरती हूं, लेकिन कुछ ऐसे मौके भी आते हैं, जिनका मैं जरूर जिक्र करना चाहूंगी। किसी फिल्म के पहले राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े दर्शकों के चेहरे पर देशभक्ति का जज्बा मुझे अपने देश के प्रति गर्व का अहसास कराता है। वैसे तो ये दर्शक थिएटर में अपने मनोरंजन के लिए आते हैं, लेकिन राष्ट्रगान के समय वे पूरी तरह राष्ट्रभक्ति में ओत-प्रोत दिखते हैं। उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं होती है। इसके पीछे कारण यह है कि हम भारतीय आधुनिकता के बावजूद अपनी संस्कृति और अपने मूल्यों पर टिके रहते हैं। जब मैं मिस इंडिया व*र्ल्डवाइड पैजेंट की विनर घोषित हुई थी, तब मुझे उन भारतीय लड़कियों की भारतीयता देखकर गर्व का अनुभव हुआ था, जो विदेश में पली-बढ़ी हैं। विदेशी माहौल में ढल जाने के बाद भी वे उतनी ही भारतीय थीं, जितने हम। मैं यह जानकर चकित हो गई कि उन्हें भी गायत्री मंत्र याद था। अपने देश की संस्कृति की उतनी ही जानकारी थी, जितनी हमें। मैं पहली बार विदेश में खुद को भारतीय कहे जाने पर गर्व महसूस कर रही थी।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:08 PM
दीया मिर्जा
मैं भारतीय हूं और हमेशा भारतीय रहना चाहती हूं। अपने देश की सारी बातें मुझे पसंद हैं, क्योंकि यहां हम धर्म, भाषा और जाति की दीवार को भुलाकर सभी मुश्किलों में एक-दूसरे के साथ डटकर खड़े होते हैं। कई ऐसे अवसर आए हैं, जब मुझे भारतीय होने पर गर्व महसूस हुआ।
जब मैं मिस इंडिया पेसिफिक प्रतियोगिता के लिए मनीला गई, तब मुझे लगा कि अपने देश का प्रतिनिधित्व करना कितनी बड़ी बात है! प्रतियोगिता में मौजूद लड़कियां मुझसे अक्सर साड़ी और बिंदी के बारे में बात करती थीं। उस समय मुझे अहसास हुआ कि बाहर के देशों में भी हमारे देश की संस्कृति को लेकर कितनी जागरूकता है! 2000 में तीनों ब्यूटी पैजेंट भारतीय लड़कियों ने ही जीते थे। ये मेरे, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के लिए गर्व की बात थी कि हमें अपने देशवासियों को तिहरी खुशी मनाने का मौका दिया। यह वही मौका था, जब मैं भी भारतीय होने पर गौरवान्वित थी और मैं हमेशा रहूंगी भी। मुझे लगता है कि ये हमारे संस्कार और मूल्य ही हैं, जो हम भारतवासियों को एक कड़ी में बांधे रखते हैं। वैसे, देखा जाए, तो हम पश्चिमी देशों की तरह तकनीकी प्रगति को भी उतना ही महत्व देते हैं, जितना वर्षो पुरानी परंपराओं को।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:08 PM
फरदीन खान
पिछले दिनों हम चाचा अकबर खान की फिल्म ताजमहल : ऐन इटरनल लव स्टोरी के स्पेशल प्रीमियर के लिए पाकिस्तान गए थे। वहां हमें बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला, लेकिन उस देश में भी हमें अपने देश की यादें सता रही थीं, जो बहुत कुछ हमारे देश की ही तरह थीं। पापा ने तो वहां की मीडिया को बयान भी दिया कि हमें भारतीय होने का गर्व है। मैं भी पापा की बात पर यकीन करता हूं। हमारे देश में कुछ तो ऐसा है, जिससे सभी ख्िाचे चले आते हैं। मेरी ज्यादातर पढ़ाई विदेश में ही हुई है, फिर भी माता-पिता की नसीहतों का मैंने हमेशा खयाल रखा है। विदेश में रहकर भी अपनों का खयाल रखना और उनकी चिंता करना हमारे संस्कारों में ही है। अपने साथ पढ़ने वाले दूसरे देशों के लड़कों में मैं अक्सर देखा करता था कि वे खुद में ही इतने व्यस्त होते हैं कि परिवार क्या होता है? उन्हें पता ही नहीं होता था! वैसे तो हमारे देश में बहुत-सी समस्याएं हैं, जैसे जनसंख्या और रोजमर्रा के जीवन में होने वाली परेशानियां, लेकिन फिर भी, हमें जो खास बनाता है, वह है हमारी परंपरा और हमारी संस्कृति।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:09 PM
बॉबी देओल
मैं अपने देश की मिट्टी से बेहद प्यार करता हूं। यहां एक ओर हरियाली और लहलहाते खेत दिखते हैं, तो दूसरी ओर ऊंची-ऊंची बिल्डिंगें। सबसे रंग-बिरंगे हमारे पोशाक होते हैं। हमारे देश में आज भी अपने से बड़े लोगों की इज्जत की जाती है। उन्हें पैर छूकर प्रणाम किया जाता है। ऐसा विदेशों में देखने को नहीं मिलता। मां-बाप की इज्जत करना हम जानते हैं। ऐसा नहीं है कि हम ऐसा करने से खुद को पिछड़ा हुआ या कमजोर समझते हैं। ये अपने से बड़ों को सम्मान देने का हमारा अपना तरीका है। मैं जब भी पापा के पैर छूता हूं, तो ऐसा लगता है कि मुझे अपने देश के सभी बुजुर्गो का आशीर्वाद मिल रहा हो। उस समय मैं गर्व महसूस करता हूं कि ऐसे देश का नागरिक हूं, जहां की परंपराएं हमें अपने बड़े-बुजुर्गो से जोड़े रखती हैं।

Hamsafar+
29-12-2010, 06:09 PM
नीतू चंद्रा
एक स्पोर्ट्स पर्सन के लिए बहुत से ऐसे मौके आते हैं, जब भारतीय होने का गर्व सिर चढ़कर बोलता है। मैं मार्शल आर्ट की नेशनल लेवॅल की प्लेयर रह चुकी हूं। जब मैं खेल रही थी, उन्हीं दिनों ताइक्वांडो के एक टूर्नामेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने बैंकॉक गई थी। भारतीय प्रतिभागी के रूप में वहां दूसरे प्रतियोगियों के साथ समय बिताना एक अच्छा अनुभव था। मैं उस टूर्नामेंट की विजेता घोषित हुई। टूर्नामेंट जीतने के बाद जब मैं अपने देश का झंडा लेकर स्टेडियम में चक्कर लगा रही थी, तब स्टेडियम में बहुत जोर-जोर से इंडिया इंडिया की गूंज सुनाई दे रही थी। मैं यह सुनकर खुद को बेहद खुशनसीब महसूस कर रही थी कि मैंने अपने देशवासियों को खुशी मनाने का एक अच्छा मौका दिया। उस समय स्टेडियम में बैठे भारतीय दर्शक इस बारे में नहीं सोच रहे थे कि मैं किस राज्य की रहने वाली हूं या किस तबके की हूं! मेरी समझ से खेल ही ऐसा माध्यम है, जो हम सभी देशवासियों को एकजुट होकर अपनी भारतीयता का गर्व मनाने का अच्छा मौका देता है।

ABHAY
03-01-2011, 03:40 PM
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् व् व् वन्दे मातरम् :hi::hi::hi::hi::hi::hi::hi::hi:

YUVRAJ
06-01-2011, 05:42 AM
वन्दे मातरम् अभय भाई ... घर से कब लौटोगें !!!
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् व् व् वन्दे मातरम् :hi::hi::hi::hi::hi::hi::hi::hi:

ABHAY
08-01-2011, 04:26 PM
तिरंगे का वजूद बढता रहे..

एक अरब से ऊपर लोग......
अरुणोदय से ले कर कन्याकुंवारी.........
तिरंगे का वजूद बढता रहे...

संसद में ‘निरीह’ सांसदों को बचाते....
बन्दूक ताने वो .....
बचाते रहे इनको ......
गोली दागते रहे उनपर - मरते दम तक
जब गाँव में मिटटी पहुंचे तो...
तिरंगे में लिपटा हो.....
गाँव धन्य हो जाय........
मुख्यमंत्री जी के आने से...
विधायक की सलामी से......
तिरंगे का वजूद बढता रहे...

ABHAY
08-01-2011, 04:28 PM
केस स्पेशल है, .. कोर्ट स्पेशल है...
ऑर्डर स्पेशल है... सेल स्पेशल है.....
फ़ाइल दब गई है - खबर दब गई है,
महाघोटालों के बोझ तले
वो खाता है बिरयानी......
नायक का दर्ज़ा है उस देश में...
कुछ भी नहीं होगा, यहाँ, इस सोफ्ट स्टेट में....
गाजी बने या नहीं, पर यहाँ से अच्छे रहोगे....
ये बम ले जा कर फोड़ दो
उनको मुबारक हो- तिरंगे के हरे रंग से प्रेम,
तुम बम फोड़ते रहो....
और पूर्ववर्ती की तरह.
बिरयानी उड़ाते रहो..
लोग शहीद होते रहे, और
तिरंगे का वजूद बढता रहे...

ABHAY
08-01-2011, 04:29 PM
ऊँची कुर्सी पर बैठ कर ....
वह न्याय का हथोड़ा बजाता है.....
अपने नातेदारों को ...
और अधिक धनाढ्य बनाता है......
उसके बाद मानवाधिकारवादी बन
रिश्तों को निभाता है..
उस पर भी तो
तिरंगे का वजूद बढता रहे...

एक दूर देश की नारी.....
अबला विधवा बेचारी...
आती है यहाँ जाहिलों के देश में.
काहिलों के बीच राज करने को,
१२५ साल पुराने पापों को ढोने को,
नए पाप चमकाने को,
ताकि, तिरंगे का वजूद बढता रहे...

ABHAY
08-01-2011, 04:30 PM
उस बार से आते ५०० के नोट
मेहनताना है बस पत्थर फैंकने का ...
और वो जो बचे हुए... नहीं फैंकते पत्थर ...
मांगते फिरते हैं भीख..
राजधानी की सड़कों पर
वो गुलाबी गालों वाली कलियाँ अब....
नहीं चहकती...
लरजते हैं कलेजे...
कापतें है पहाड़.....
व्यथित हैं सुधिजन...
पर, तिरंगे का वजूद बढता रहे...

ABHAY
08-01-2011, 04:31 PM
वन्दे मातरम् अभय भाई ... घर से कब लौटोगें !!!

घर से लौट आये कबके

YUVRAJ
08-01-2011, 04:49 PM
वन्दे मातरम् भाई अभय जी...:)
आपका हार्दिक स्वागत :cheers: है और मार्कसीट वाला कार्य हुआ या अभी भी बाकी है !!!

घर से लौट आये कबके

ABHAY
08-01-2011, 04:54 PM
वन्दे मातरम् भाई अभय जी...:)
आपका हार्दिक स्वागत :cheers: है और मार्कसीट वाला कार्य हुआ या अभी भी बाकी है !!!

अभी बाकि है कुछ दिन और लगाने परेंगे

YUVRAJ
15-01-2011, 05:30 AM
वन्दे मातरम् pyare dosto...

Kumar Anil
15-01-2011, 07:37 AM
अभय जी द्वारा प्रस्तुत रचनायेँ हमारी आन , बान और शान के प्रतीक हमारे तिरंगे की अस्मिता को बुलंद करते हुये व्याप्त विद्रूपता और विप्लव पर गहरे व्यंग्य के माध्यम से संदेश देने मेँ पूर्णतया सफल हैँ । साधुवाद !

Sikandar_Khan
15-01-2011, 08:33 AM
वन्दे मातरम्
सिर्फ कहने से नही होगा
उस पर अमल भी करना होगा

YUVRAJ
15-01-2011, 09:09 AM
बहुत सही बात कही भाई सिकन्दर जी ... :)
तो आईए आज से प्रण किया जाये ...
हम माँ के सम्मान में "वन्दे मातरम्" कहते हुये प्रण लेते हैं कि हम मातृ भूमी के लिए अपने लहू का कतरा-कतरा न्योछावर करने को हमेशा तत्पर रहेंगे/
वन्दे मातरम्
सिर्फ कहने से नही होगा
उस पर अमल भी करना होगा

Sikandar_Khan
15-01-2011, 10:15 AM
बहुत सही बात कही भाई सिकन्दर जी ... :)
तो आईए आज से प्रण किया जाये ...
हम माँ के सम्मान में "वन्दे मातरम्" कहते हुये प्रण लेते हैं कि हम मातृ भूमी के लिए अपने लहू का कतरा-कतरा न्योछावर करने को हमेशा तत्पर रहेंगे/

हम सबको मिलकर ये प्रण लेना होगा कि देश के मान सम्मान के लिए कुछ भी
कर गुजरेँगे

YUVRAJ
30-09-2011, 01:48 PM
यह वन्दे मातरम् शब्द नहीँ यह भारत माँ की पूजा है।
माँ के माथे की बिँदिया है श्रृंगार न कोई दूजा है॥
इसमेँ तलवार चमकती है मर्दानी रानी झाँसी की।
इसमेँ बलिदान मचलता है,दिखती हैँ गाँठे फाँसी की॥
मंगल पाण्डे की यादेँ हैँ।शिवराज नृपति की साँसेँ हैँ॥
यह बिस्मिल के भगवान वेद।यह लौह पुरुष का रक्त स्वेद॥
यह भगत सिँह की धड़कन है।आजाद भुजा की फड़कन है॥
यह गंगाधर की गीता है, चित्तू पाण्डे सा चीता है।
जलियावाला की साखी है।हुमायूँ बाहु की राखी है॥
यह मदनलाल की गोली है।मस्तानी ब्रज की होली है॥
यह चार दिनोँ के जीवन मेँ चिर सत्य,सनातन यौवन है।
यह बलिदानोँ की परम्परा अठ्ठारह सौ सत्तावन है॥
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसा के बन्दे सब इसको गाते हैँ।
सब इसे सलामी देते हैँ,इसको सुन सब हर्षाते हैँ॥
लेकिन कुछ राष्ट्रद्रोहियोँ ने है इसका भी अपमान किया।
इस राष्ट्रमंत्र को इन लोगोँ ने सम्प्रदाय का नाम दिया॥
जाओ,जाकर पैगम्बर से पूछो तो क्या बतलाते हैँ?
वे भी माता के पगतल मेँ जन्नत की छटा दिखाते हैँ।
यह देखो सूली पर चढ़कर क्या कहता मरियम का बेटा।
हे ईश्वर इनको क्षमा करो जो आज बने हैँ जननेता।।
ये नहीँ जानते इनकी यह गल्ती क्या रंग दिखलायेगी।
इस शक्तिमंत्र से वञ्चित हो माँ की ममता घुट जायेगी॥
गोविन्द सिँह भी चण्डी का पूजन करते मिर जायेँगे।
शिव पत्नी से वर लेकर ही संघर्ष कमल खिल पायेँगे।
फिर बोलो माँ की पूजा का यह मंत्र कम्यूनल कैसे है?
माँ को महान कहने वाला शुभ तंत्र कम्यूनल कैसे है?
तुम केवल झूठी बातोँ पर जनमानस को भड़काते हो।
गुण्डोँ के बल पर नायक बन केवल विद्वेष लुटाते हो॥
लेकिन,जब यह घट फूटेगा।जब कोप बवंडर छूटेगा॥
जब प्रलय नटी उठ नाचेगी।भारत की जनता जागेगी॥
तब देश मेँ यदि रहना होगा।तो वन्दे मातरम् कहना होगा॥

मनोज कुमार सिँह ‘मयंक’

YUVRAJ
30-09-2011, 01:49 PM
वन्दे मातरम् दोस्तों ...:)

sagar -
30-09-2011, 03:23 PM
अब न अहले-वलवले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मर मिटने की हसरत ही दिले-बिस्मिल में है

वन्दे मातरम

Gaurav Soni
30-09-2011, 03:25 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3634&stc=1&d=1290144002

मुझे गर्व है कि मै एक हिन्दुस्तानी हूँ

bhavna singh
30-09-2011, 03:27 PM
वन्दे मातरम् दोस्तों ...:)
अगर सिर्फ लिखने से खुशी मिलती है तो मै भी लिख देती हूँ /

वन्दे मातरम्
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=12192&stc=1&d=1317378407

bhavna singh
30-09-2011, 03:29 PM
PKlOv_uFgLk&feature=player_embedded

bhavna singh
30-09-2011, 03:31 PM
MRPpSgRqtRc&feature=related

bhavna singh
30-09-2011, 03:32 PM
xj1Iy4nRMkc&feature=fvwrel

YUVRAJ
30-09-2011, 03:38 PM
सभी इन्द्रियाँ इस शब्द को महसूस करती हैं भावना जी ...
लिखना,पढ़ाना, सुनना और देखना आदि ... किसी भी माध्यम से हो अपार खुशीयाँ देता है ...:)अगर सिर्फ लिखने से खुशी मिलती है तो मै भी लिख देती हूँ /

वन्दे मातरम्
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=12192&stc=1&d=1317378407

bhavna singh
30-09-2011, 03:55 PM
सभी इन्द्रियाँ इस शब्द को महसूस करती हैं भावना जी ...
लिखना,पढ़ाना, सुनना और देखना आदि ... किसी भी माध्यम से हो अपार खुशीयाँ देता है ...:)

चलिए आपकी ही बात मान लेते हैं/
लेकिन बहुत ही कम लोगों को इसका मतलब पता होगा ?

YUVRAJ
30-09-2011, 05:25 PM
इससे कुछ खास फर्क नहीं पडता ...
यदि मतलब नहीं पता है तो इस सूत्र के माध्यम से समझ जाएगें... काफी कुछ है आगे की प्रविष्टियों में ...:)
चलिए आपकी ही बात मान लेते हैं/
लेकिन बहुत ही कम लोगों को इसका मतलब पता होगा ?

Gaurav Soni
30-09-2011, 05:31 PM
इससे कुछ खास फर्क नहीं पडता ...
यदि मतलब नहीं पता है तो इस सूत्र के माध्यम से समझ जाएगें... काफी कुछ है आगे की प्रविष्टियों में ...:)
:clappinghands::clappinghands::clappinghands:

bhavna singh
30-09-2011, 06:43 PM
इससे कुछ खास फर्क नहीं पडता ...
यदि मतलब नहीं पता है तो इस सूत्र के माध्यम से समझ जाएगें... काफी कुछ है आगे की प्रविष्टियों में ...:)

देखती हूँ आपके द्वारा कितना ज्ञानवर्धन होता है /

Gaurav Soni
30-09-2011, 07:21 PM
देखती हूँ आपके द्वारा कितना ज्ञानवर्धन होता है /
:lol::lol::lol:

bhavna singh
30-09-2011, 08:43 PM
:lol::lol::lol:

अब इसमें इतना हँसने की क्या बात है ?

Gaurav Soni
30-09-2011, 08:45 PM
अब इसमें इतना हँसने की क्या बात है ?
तो आप क्या चाहती हे की मे :cryingbaby::cryingbaby::cryingbaby:

bhavna singh
30-09-2011, 08:47 PM
तो आप क्या चाहती हे की मे :cryingbaby::cryingbaby::cryingbaby:

मैंने ऐसा तो नहीं कहा की आप रो ....................

Gaurav Soni
30-09-2011, 08:50 PM
मैंने ऐसा तो नहीं कहा की आप रो ....................
तो फिर आप कहना क्या चाहती हे

bhavna singh
30-09-2011, 09:05 PM
तो फिर आप कहना क्या चाहती हे

जो आप समझ नहीं सकते हो ........................!

Gaurav Soni
30-09-2011, 09:16 PM
जो आप समझ नहीं सकते हो ........................!
क्या करू मे नासमझ ठ्हरा आप जेसे समझ दार के सामने सही कहा ना मेने:beating::beating::beating:

YUVRAJ
30-09-2011, 11:33 PM
वन्दे मातरम् प्यारे दोस्तों।