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View Full Version : ऑपरेशन ब्लू स्टार


dipu
08-06-2014, 12:33 PM
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'मैं कहता हूं कि केशों की हत्या (दाढ़ी और बाल कटवाना) बंद करो। अपने पूर्वजों की तरह दिखना शुरू करो ताकि हम सभी तुम्हें सभ्य और जायज बेटा कह सकें।' यह बयान 70-80 के दशक में पंजाब में चरमपंथ को बढ़ावा देने वाले विवादित शख्स जरनैल सिंह भिंडरावाले उन लोगों के सामने देता था जो सिख धर्म के अनुरूप दाढ़ी और बाल नहीं रखते थे। भिंडरवाले के समर्थक उसे 'संत' कहते थे। 3-8 जून, 1984 के बीच पंजाब के अमृतसर में मौजूद सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना ने ऑपरेशन 'ब्लू स्टार' नाम का अभियान चलाया था। उस ऑपरेशन में सिख कट्टरपंथी और खालिस्तान की मांग कर रहे विवादित शख्स जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके कई समर्थक मारे गए थे।

आज़ाद भारत की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक इस ऑपरेशन के बाद 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई और उसके विरोध के तौर पर दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे हुए। इस ऑपरेशन को सिख समाज के लोग आज भी भूल नहीं पाए हैं। अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए भिंडरावाले और उनके समर्थकों की याद में एक विवादित स्मारक बनाने की कोशिश हो रही है। इसका विरोध भी हो रहा है। पिछले साल अमृतसर में भिंडरावाले के बेटे को सार्वजनिक तौर पर सम्मानित भी किया गया था। आज भी सिख समाज का एक तबका भिंडरावाले को श्रद्धा के साथ याद करता है। सवाल उठता है कि भिंडरावाले कौन था और उसकी शख्सियत कैसी थी?

dipu
08-06-2014, 12:36 PM
दमदमी टकसाल का प्रमुख था भिंडरावाले
गुरदासपुर जिले में मेहता के नजदीक सिख समाज के प्रमुख धार्मिक अध्ययन केंद्र दमदमी टकसाल के प्रमुख रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म 2 जून, 1947 को हुआ था। भिंडरावाले ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थन किया था। भिंडरावाले ने सिख धर्म को उसके सबसे 'पवित्र' और 'शुद्ध' रूप में अपनाए जाने की वकालत की। भिंडरावाले ने शराब, ड्रग्स और धार्मिक आचार-व्यवहार में ढील (जैसे सिख युवकों द्वारा बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने) की खिलाफत की थी। वह चाय या कॉफी भी नहीं पीता था। भिंडरावाले को बनाफशा (हर्बल पेय) पसंद था क्योंकि वह ऐसी किसी भी चीज से नफरत करता था जिसका हमारे सेंसरी सिस्टम (स्नायु तंत्र) पर थोड़ा बहुत भी असर हो। भिंडरावाले ने अलग खालिस्तान की मांग की थी और उसने इंदिरा गांधी का जबर्दस्त विरोध किया था।

भिंडरावाले को खुद पर फोकस रखना पसंद था
मशहूर फोटोग्राफर रघु राय भी अमृतसर में भिंडरावाले से मिलने गए थे। रघु राय के पास कई कैमरे, लेंस वगैरह रहते थे। वह अपने साज-ओ-सामान से लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन जाते थे। एक बार भिंडरवाले अपनी सराय की छत पर समर्थकों के साथ बैठा था। रघु राय अपने कैमरों के साथ एक मुंडेर पर बैठे थे और तस्वीरें खींच रहे थे। भिंडरवाले के समर्थकों के लिए रघु राय आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। लेकिन यह भिंडरवाले को पसंद नहीं आया। उसने रघु राय के साथ गए पत्रकार से कहा, 'आप अपने फोटोवाले से कह दो कि वह मुंडेर से उतर आए।' राय ने पहली बार यह बात सुनी और अनसुना कर दिया। इस पर भिंडरवाले को गुस्सा आ गया। उसने कहा, 'उससे कह दो कि वह मुंडेर से उतर जाए नहीं तो वह ढुलक कर मर जाएगा और तब दुनिया यही कहेगी कि संत ने मार दिया।' इस बार रघु राय नीचे उतर आए।

तीखे सवाल करता था भिंडरावाले
भिंडरावाले के सामने आम तौर पर कोई भी सवाल नहीं पूछता था। सभी लोग उसके आदेशों का पालन करते थे। आम लोग ही नहीं पत्रकार भी उससे सवाल करने से डरते थे। वह गैर सिख पुरुष पत्रकारों को उनके दाढी और बाल को लेकर एक तरह से अपमानित करता था। एक हिंदू पत्रकार से मुखातिब भिंडरावाले ने पूछा था, 'क्या तुम हिंदू के रूप में पैदा नहीं हुए थे?' जवाब में पत्रकार ने कहा, 'हां, संत जी, लेकिन सभी हिंदुओं की तरह हम भी गुरुद्वारे में पूजा करते हैं।' इस पर भिंडरवाले ने कहा, 'हां, तुम पूजा करते हो। अच्छा बताओ कि अपने मंदिरों में तुम किन देवताओं की पूजा करते हो।' जवाब मिलने से पहले ही भिंडरवाले खुद ही बोल पड़ा, 'भगवान राम, कृष्ण, शिव, ब्रह्मा, विष्णु। क्या तुमने कभी इन्हें सिर पर पूरे बाल और दाढ़ी के बिना देखा है? अब तुम्हारे भगवान तुम्हारे पिता जैसे नहीं हैं? इसलिए तुम्हारे पिता ने कभी दाढ़ी नहीं बनवाई और न कभी बाल कटवाए। लेकिन तुमने ऐसा कर रखा है। ऐसे बच्चे को क्या कहा जाता है जो अपने पिता की तरह न दिखते हों? इसलिए मैं कहता हूं कि केशों की हत्या बंद करो। अपने पूर्वजों की तरह दिखना शुरू करो ताकि हम सभी तुम्हें सभ्य और जायज बेटा कह सकें।'

dipu
08-06-2014, 12:37 PM
जब पंजाब में खालिस्तान की मांग अपने चरम पर पहुंच रही थी, उन दिनों भिंडरावाले से मिलने वाले पत्रकार बताते हैं कि वह खुद को दैवीय पुरुष मानने लगा था। उसे लगता था कि उसकी जीत और नए सिख देश का निर्माण पहले से ही तय है। उसे लगता था कि हिंदू देश के खिलाफ पवित्र युद्ध में उसके सिख साथियों की जीत निश्चित है। अपनी मौत होने से पहले तक उसे इन बातों का यकीन था। भिंडरावाले को अपनी फतेह (जीत) और बीबी (वह इंदिरा गांधी को बीबी कहता था) की शिकस्त का यकीन था। इस बारे में भिंडरावाले कहता था, 'बीबी और उसकी हिंदू कांग्रेस ने सिखों के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। मैं आखिरी जंग और जीत के लिए तैयार हूं।' पत्रकारों ने जब भिंडरावाले से पूछा कि वह पूरी फौज के खिलाफ कैसे लड़ेंगे जिसके पास तोपें भी हैं, इसके जवाब में भिंडरावाले ने कहा था, 'इन्हें (अपने हथियार बंद समर्थकों से) बता दो शेरों कि तुम सब कैसे लड़ोगे। तुम्हारी फतेह होगी, आपको बस रूसी कमांडो से लड़ने के लिए तैयार होना पड़ेगा।' जब भिंडरावाले से पूछा गया कि रूसी कमांडो से क्यों तो भिंडरावाले ने कहा, क्योंकि भारतीय फौज में मौजूद सिख हमसे लड़ेंगे नहीं और टोपीवाले (हिंदू) हमारे सामने टिकेंगे नहीं। इसलिए बीबी के पास रूसी कमांडो को बुलाने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।


भिंडरावाले का अंत
भिंडरवाले ने 1978 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं। उस साल 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन भिंडरवाले के समर्थकों और निरंकारी समुदाय के बीच भिड़ंत हुई थी। उस भिड़ंत में भिंडरवाले के 13 अनुयानी मारे गए थे। इसके बाद पंजाब में सिख कट्टरपंथ बढ़ता चला गया और उसके साथ ही आतंकवाद भी। अगस्त, 1982 में भिंडरावाले ने अकाली दल के साथ मिलकर 'धरम युद्ध मोर्चे' की शुरुआत कर दी। भिंडरावाले ने अपनी गतिविधियों का केंद्र अमृतसर में स्वर्ण मंदिर और उसके आसपास के इलाके को बनाया। उसके समर्थकों ने मई-जून 1984 में स्वर्ण मंदिर में बड़े पैमाने पर हथियार जमा करने लगे। उन हथियारों में ग्रेनेड, एके-47, रॉकेट लॉन्चर
शामिल थे। कहा जाता है कि पाकिस्तान ने हथियार इकट्ठा करने में भिंडरवाले की मदद की थी। बातचीत की कई कोशिशें नाकाम होने के बाद हालात बेकाबू होता देख इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने स्वर्ण मंदिर को भिंडरवाले से मुक्त करने के लिए सेना को जिम्मेदारी सौंप दी। 1984 में 3 से 8 जून तक चले सेना के ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान 6 जून, 1984 को भिंडरवाले का चेहरा पहले ग्रेनेड से उड़ा और फिर एक फौजी ने अपनी पूरी कार्बाइन भिंडरवाले के शरीर पर खाली कर दी। लेकिन भिंडरवाले की मौत से पहले करीब 2,000 लोग मारे गए। उसमें 136 भारतीय सेना के जवान और अधिकारी समेत सैकड़ों निर्दोष लोग शामिल थे।