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View Full Version : चाचा चौधरी बनाम प्राण :.........


Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 09:49 PM
चाचा चौधरी के जनक मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण साहब कों उनके
निधन पर साठ साल के बच्चों से लेकर आठ साल के बूढों की
और से भावभीनी श्रधान्जली अर्पित करते हें :.......

http://dabwalinews.files.wordpress.com/2009/11/single-red-rose5b15d.jpg

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 09:55 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33104&stc=1&d=1407343984

भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट प्राण का 75 साल की उम्र में मंगलवार की रात निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित और पिछले दस दिनों से आईसीयू में भर्ती थे। प्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। पहली दफा उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित अख़बार मिलाप के लिए कार्टून बनाना आरंभ किया था।

प्राण के बनाए कार्टून चरित्र चाचा चौधरी और साबू घर-घर में लोकप्रिय किरदार बन गए। चाचा चौधरी का किरदार उन्होंने सबसे पहले हिंदी बाल पत्रिका लोटपोट के लिए गढ़ा था, जो बाद में स्वतंत्र कॉमिक्स के तौर पर बेहद मशहूर हुआ। बाद में वो भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल कार्टूनिस्टों में से एक गिने जाने लगे :.........

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 09:56 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33103&stc=1&d=1407343984

भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के पितामह थे कार्टूनिस्ट प्राण :

इसके अलावा डायमंड कॉमिक्स के लिए प्राण ने कई अन्य कामयाब किरदारों को जन्म दिया, इनमें रमन, बिल्लू और श्रीमतीजी जैसे कॉमिक चरित्र शामिल थे। उनका जन्म 15 अगस्त, 1938 को लाहौर के कसूर नाम कस्बे में हुआ था। उनका पूरा नाम प्राण कुमार शर्मा था, लेकिन वो प्राण के नाम से ही मशहूर हुए। वैसे उन्हें भारत का वाल्ट डिजनी भी कहा जाता था।

'चाचा चौधरी का दिमाग़ कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है' और 'साबू को ग़ुस्सा आता है तो ज्वालामुखी फटता है।' 1960 के दशक में कार्टूनिस्ट प्राण ने जब कॉमिक स्ट्रिप बनाना शुरू किया, वो वक्त भारत में इस लिहाज से बिल्कुल नया था कि कोई देसी क़िरदार मौजूद नहीं थे :.........

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 10:03 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/2021_12496_10203628014637634_1168263615996885250_n .jpg

भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के पितामह थे कार्टूनिस्ट प्राण :

प्राण कुमार शर्मा, जिन्हें दुनिया कार्टूनिस्ट प्राण के नाम से जानती है, का जन्म 15 अगस्त, 1938 को कसूर नामक कस्बे में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और फ़ाइन आर्ट्स के अध्ययन के बाद सन 1960 से दैनिक मिलाप से उनका कैरियार आरम्भ हुआ। तब हमारे यहां विदेशी कॉमिक्स का ही बोलबाला था।

ऐसे में प्राण ने भारतीय पात्रों की रचना करके स्थानीय विषयों पर कॉमिक बनाना शुरू किया। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय रचयिता कार्टूनिस्ट प्राण के रचे अधिकांश पात्र लोकप्रिय हैं पर प्राण को सर्वाधिक लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने ही बनाया। अमेरिका के इंटरनेशनल म्यूज़ियम ऑफ़ कार्टून आर्ट में उनकी बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को स्थाई रूप से रखा गया है :.........

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 10:05 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33105&stc=1&d=1407343984

भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के पितामह थे कार्टूनिस्ट प्राण :

एक जमाने में काफ़ी लोकप्रिय रही पत्रिका लोटपोट के लिए बनाये उनके कई कार्टून पात्र काफ़ी लोकप्रिय हुए। बाद में कार्टूनिस्ट प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कीं। बड़े से बड़ा अपराधी या छोटा-मोटा गुन्डा-बदमाश या जेब कतरा, कुत्ते के साथ घूमने वाले लाल पगड़ी वाले बूढ़े को कौन नहीं जानता! यह सफ़ेद मूंछों वाला बूढ़ा आदमी चाचा चौधरी है।

उसकी लाल पगड़ी भारतीयता की पहचान है। कभी-कभी पगड़ी बदमाशों को पकड़ने के काम भी आती है। कहते हैं कि चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता है। सो अपने तेज दिमाग की सहायता से चाचा चौधरी बड़े से बड़े अपराधियों को भी धूल चटाने में माहिर हैं। चाचा चौधरी की रचना चाणक्य के आधार की गयी है, जो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति थे :.........

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 10:07 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33106&stc=1&d=1407343984

भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के पितामह थे कार्टूनिस्ट प्राण :

दरअसल प्राण पश्चिम के लोकप्रिय पात्रों सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन आदि से अलग हटकर भारतीय छाप वाले पात्रों की रचना करना चाहते थे, जो दिखने में सामान्य इनसान दिखें। इसीलिए काफ़ी सोचविचार के बाद उन्होने सामान्य से दिखने वाले गंजे, छोटे कद के, बूढ़े चाचा चौधरी को बनाया, जिसका दिमाग बहुत तेज था।

वह अपने दिमाग से हर समस्या का हल कर देता है। चाचा चौधरी स्वयं शक्तिशाली नहीं, पर जुपिटर ग्रह से आया साबू अपनी असाधारण शारीरिक क्षमता से चाचा चौधरी की परछाई की तरह उनके साथ रहकर यह कमी पूरी कर देता है। इस तरह साबू और चाचा चौधरी मिल कर अपराधियों को पकड़वा देते है :.........

Dr.Shree Vijay
06-08-2014, 10:08 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33107&stc=1&d=1407343984

भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के पितामह थे कार्टूनिस्ट प्राण :

विभिन्न हिन्दी व अन्य भाषाओं के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके अनेक पात्र धूम मचाते रहे हैं। उनके रचे बिल्लू, पिन्की, तोषी, गब्दू, बजरंगी पहलवान, छक्कन, जोजी, ताऊजी, गोबर गणेश, चम्पू, भीखू, शान्तू आदि तमाम पात्र जनमानस में सालों से बसे हुए हैं।

चाचा चौधरी की कॉमिक्स हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओ मे भी प्रकाशित की होती है। हास्य और रोमांच से भरे ये कॉमिक बच्चों और बड़ों का भरपूर मनोरंजन करते है। इसलिए ही भारतीय कार्टून कॉमिक जगत के ‘सरपंच’ कार्टूनिस्ट प्राण ही हैं :.........

rajnish manga
07-08-2014, 01:20 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i6.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/2021_12496_10203628014637634_1168263615996885250_n .jpg



चाचा चौधरी, श्रीमतीजी और बिल्लू जैसे हिंदी कॉमिक जगत के लोकप्रिय पात्रों के सर्जक प्राण को हमारा श्रद्धाभाव से विनम्र नमन.

abhisays
07-08-2014, 10:19 PM
हिंदी कॉमिक्स की दुनिया का सबसे जगमगाता सितारा आज हमसे दूर हो गया. प्राण ने हमें चाचा चौदरी, बिल्लू, पिंकी, साबू, रमण, चन्नी चाची इत्यादि के रूप में अमर भारतीय नायक दिए जिनके लिए पूरा भारत हमेशा ऋणी रहेगा. :hello:

Dr.Shree Vijay
07-08-2014, 10:20 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33108&stc=1&d=1407431984

कंप्यूटर से भी तेज चाचा चौधरी का दिमाग चलता है...! :

हममे से ऐसा कौन है, जिसने चाचा चौधरी को नहीं पढ़ा है। चाचा चौधरी संभवतः भारत के सबसे लोकप्रिय कार्टून चरित्रों में से एक हैं। इनके रचयिता है-कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा, जिन्हें प्राण के नाम से जाना जाता है।

एक बार प्राण साहब ने सोचा की क्यों ना एक भारतीय कॉमिक्स पात्र बनाया जाए, एक बुड्ढा, जो अपने तेज दिमाग से चुटकियों मे समस्याओं को हल कर दे! और इस तरह चाचा चौधरी ने सफ़ेद कागज़ पर जन्म लिया। चाचा चौधरी की बीवी का नाम 'बन्नी चाची' है। इनके कोई बच्चे नहीं हैं, पर इसी कॉमिक दुनिया के पात्र, 'बिल्लू' और 'पिंकी' चाचा चौधरी के बच्चों सामान ही हैं :.........

Dr.Shree Vijay
07-08-2014, 10:22 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33109&stc=1&d=1407431984

कंप्यूटर से भी तेज चाचा चौधरी का दिमाग चलता है...! :

चाचा चौधरी का साथी है साबू, जो जूपिटर ग्रह का निवासी है और जिसका शरीर दैत्याकार है। साबू को एक तरह से चाचा जी का बेटा कहा जा सकता है। चाचा चौधरी का एक कुत्ता भी है, 'राकेट' नाम का।

इसके बारे में कॉमिक-सीरीज में लिखा गया है की "चाचा चौधरी का कुत्ता स्लर्प स्लर्प दूध पीता है"। ये कुत्ता किसी ख़ास नस्ल का नहीं है, पर फिर भी कई बार चाचा चौधरी के काम आया है। कई बार चाचा जी की पगड़ी भी कमाल दिखा देती है। इनके प्रमुख दुश्मन पात्र हैं गोबर सिंह, राका आदि :.........

Dr.Shree Vijay
08-08-2014, 07:04 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33110&stc=1&d=1407431984

जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! :

एक गलत धारणा बन गई है कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। हालात इसके ठीक उलट, बल्कि बेहतर हैं। मैंने 1960 से कॉमिक्स की दुनिया को बहुत करीब से देखा है। उन अनुभवों के आधार पर कह सकता हूं कि कॉमिक्स की दुनिया अपने सबसे बेहतर वक्त में जाने वाली है।

मैंने जब इस फील्ड में कदम रखा था तब देश में सिर्फ एक ही प्रकाशक हुआ करता था। आज इनकी संख्या 20 से अधिक है। हां, बीच में एक ऐसा वक्त जरूर आया, जब ऐसा लगा कि कॉमिक्स की दुनिया सिमट रही है। बच्चे इससे दूर हो रहे हैं। यह वक्त था ग्लोबल तकनीक और टीवी के प्रवेश का :.........

Dr.Shree Vijay
08-08-2014, 07:06 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=33111&stc=1&d=1407431984

जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! :

इधर कॉमिक्स की दुनिया स्थिरता के दौर से गुजर रही थी। नए प्रयोग नहीं हो रहे थे। बदलते वक्त के मुताबिक कॉमिक्स की दुनिया नहीं बदल रही थी। लेकिन जैसे ही वक्त की नब्ज को पकड़कर आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू हुईं, अच्छे नतीजे सामने आने लगे।

दरअसल, कॉमिक्स की 'नॉस्टैल्जिया वैल्यू' इतनी मजबूत है कि इसकी हस्ती मिटाना आसान नहीं होगा। मैं 2006 में अमेरिका गया था- वर्ल्ड कार्टून सोसायटी ऑफ अमेरिका में भाग लेने। वहां आम राय बनी कि हमें टीवी की शक्ति को स्वीकार कर उससे होड़ लगाने की बजाय एक दूसरे के पूरक सहयोगी के रूप में खुद को ढालना होगा :.........

Dr.Shree Vijay
08-08-2014, 07:08 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/300x259/cartoon/cartoon_20140807095834.jpg

जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! :

पुराने कॉमिक किरदारों पर टीवी सीरियल बन रहे हैं। और मेरे चर्चित किरदार चाचा चौधरी सहित तमाम कॉमिक किरदारों पर बने सीरियल न सिर्फ टीवी के लिए हिट रहे, बल्कि इनका असर इधर भी हुआ और कॉमिक्स की बिक्री बढ़ी। लोगों तक कॉमिक्स पहुंचने के पहले दो ही जरिये थे - प्रकाशक और विक्रेता। लेकिन अब कॉमिक्स के बाजार में आने के कई माध्यम हैं :.........

Dr.Shree Vijay
09-08-2014, 06:29 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i2.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/6506_1-shrimatiji_pyaretoons_page_000.jpg

जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! :

तकनीक के जरिए ऑनलाइन कॉमिक्स लाई गईं और डिजिटल कॉमिक्स की मांग बढ़ी। चूंकि आज के बच्चे ज्यादा स्मार्ट हैं, इसलिए हमारा जोर कॉमिक्स के कंटेंट को भी स्मार्ट बनाने का है। कॉमिक्स के कंटेंट को वक्त के साथ नहीं, उससे आगे रखना होता है।

'चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है' जैसी पंचलाइन एक दौर में इसलिए हिट हुई, क्योंकि यह उस वक्त से आगे थी। लेकिन आज के वक्त में इस पंचलाइन का कोई असर नहीं रह गया है। इससे यही बात साफ होती है कि हमें परंपरागत शैली को छोड़ना होगा :.........

Dr.Shree Vijay
09-08-2014, 06:31 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i1.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/7379_billoo-3-billoo-english_pyaretoons_page_000.jpg

जब प्राण साहब ने कहा...हमें अपने वक्त से आगे चलना होगा...! :

इसके अलावा एक बात और अहम है। वह यह कि कॉमिक किरदारों से पढ़ने वाले खुद को कनेक्ट रखें, इसके लिए वरायटी पर भी जोर देना चाहिए। आप देखिए कुछेक सुपरपावर के किरदार को छोड़ हर देश, हर संस्कृति से ताल्लुक रखने वाला किरदार ही उस देश में हिट होता है।

मसलन, अभी हमने आईपीएल पर आधारित एक कॉमिक्स निकाली। यह अपने देश में हिट हो सकती है, क्योंकि क्रिकेट यहां जुनून है, लेकिन दूसरे देश में शायद इससे लोग खुद को जोड़ न पाएं। मुझे पक्का यकीन है कि कॉमिक्स की दुनिया बड़ी शिद्दत के साथ इन बदलावों को जारी रखेगी :.........

Dr.Shree Vijay
12-08-2014, 06:54 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i5.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/7054_scan0019.jpg

जानिए दुनिया के कई देशों में क्या है कॉमिक्स की शैली...! :

कॉमिक्स के दुनिया में कई प्रशंसक हैं। कई उसके किरदारों से प्यार करते हैं, तो कई उसकी कलाकारी से प्रभावित होते हैं। कई लोगों के लिए यह तस्वीरों के माध्यम से कहानी बताने की एक कला है। कॉमिक्स की सहजता और रूह पूरी दुनिया में एक जैसी है। इसके पन्नों में विविधता देखने को मिलती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस देश में बनी है।

'द असेंशियल गाईड टू वर्ल्ड कॉमिक्स' के लेखक और कॉमिक बुक अलायंस के चेयरमैन टिम पिलचर कहते हैं कि इनमें कई तरह की शैली और विषय होते हैं। इनकी वजह से कॉमिकों में विभिन्नता आती है। भारत में कॉमिक का इतिहास काफी पुराना है। अमर चित्र कथा भारत के गौरव ग्रंथों पर आधारित है। विशाल गाथाएं कॉमिक के रूप में प्रकाशित की गई हैं :.........

Arvind Shah
12-08-2014, 11:51 PM
बहुत ही बढीया व रोचक जानकारी !

Dr.Shree Vijay
15-08-2014, 04:17 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i8.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/7235_scan0010.jpg

जानिए दुनिया के कई देशों में क्या है कॉमिक्स की शैली...! :

कार्टूनिस्ट प्राण कुमार के चाचा चौधरी भी भारतीयों में काफी प्रचलित हैं। एक होशियार बजुर्ग, चाचा अपनी सूझबूझ से अपने दुश्मनों पर काबू पाते हैं। उनकी कहानियों में क्रिकेट मैच और रोटी खाने जैसे चीजें शामिल होती हैं।

प्राण कहते थे कि मैं कुछ ऐसा बनाना चाहता था, जो भारतीय हो, जिसमें ऐसे विषय शामिल हों, जो भारत से संबंधित हो। इसलिए मैंने 1960 के दशक में कॉमिक बनानी शुरु की, लेकिन सभी पश्चिमी कॉमिक पढ़ते थे। मैंने सोचा क्यों न कुछ अपना बनाया जाए जो स्थानीय विषयों पर आधारित हो :.........

Dr.Shree Vijay
19-08-2014, 04:33 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i1.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/8873_p002.jpg

क्या कहती है इन देशों की कॉमिक्स...! :

ब्रिटेन :
बिएनो को अपने हंसी मजाक के लिए पसंद किया जाता है। इनमें शरारत और नटखट बच्चों पर निशाना लगाया जाता है।

अमेरिका :
यहां पर मार्वल कॉमिक और उसका सुपरहीरो मशहूर हैं। आइरन मैन, थोर, कैप्टन अमरीका और स्पाइडर मैन मुख्य कलाकार हैं। वे बहुत ताकतवर हैं और दुनिया को बचाने के लिए निकलते हैं।

जापान :
मांगा कॉमिक, जो व्यस्कों और बच्चों में प्रचलित है। विषय स्कूल के रोमांस से लेकर प्राचीन उच्च साहित्य शामिल होता है।

भारत :
चाचा चौधरी एक सूझवान बुजुर्ग हैं, जिनका दिमाग कंप्यूटर से तेज चलता है। ताकत साबू से मिलती है, जो 100 रोटियां खाता है, लेकिन लड़कियों से शर्माता है।

फ्रांस और बेलजियम :
दोनों बड़े कॉमिक देश हैं और उनके तरीके भी मिलते जुलते हैं। टिनटिन और एस्टेरिक्स सबसे अधिक जाने जाते हैं।

मिस्र :
मध्य पूर्वी हीरो में अंधेरे की राजकुमारी, एक समय फेरो और अरब के तलवार चलाने वाले प्रचलित हैं :.........

Dr.Shree Vijay
04-09-2014, 07:27 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://img.tradeindia.com/fp/1/321/661.jpg

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

एक वह वक्त भी था, जब दुनिया आज की तरह तकनीक के इशारों पर नहीं नाचती थी। तब बच्चों की सबसे प्यारी दोस्त कॉमिक्स हुआ करती थी। गर्मी की छुट्टी का मतलब ढेर सारी कॉमिक्स और मस्ती हुआ करती थी। लेकिन वक्त बदलने के साथ बच्चों के दोस्त और पसंद भी बदलने लगे। वह कॉमिक्स इरा भले अब गुजरे जमाने की बात हो, लेकिन कॉमिक्स से लोगों का जुड़ाव कम नहीं हुआ है। खुद कॉमिक्स ने उतार-चढ़ाव भरे दौर से निकलकर नए मिजाज और कंटेंट के बूते नए वक्त में अपनी अहमियत कायम रखी है।

अमर चित्र कथा :
1967 में अनंत पाई ने बच्चों के लिए अमर चित्र कथा इस मंशा के साथ शुरू की थी, ताकि उन्हें मनोरंजन के साथ ज्ञान भी मिले। उनकी यह सोच काफी दूर तक कामयाब साबित हुई। 70 और 80 के दशक में अमर चित्र कथा ने रिकॉर्ड बिक्री की। एक अनुमान के मुताबिक इस दशक में 10 करोड़ से ज्यादा कॉमिक्स बिक गईं। इस पीढ़ी के बच्चों के लिए पौराणिक-ऐतिहासिक और महापुरुषों से जुड़ी कहानियों को खेल-खेल में समझाने-बताने का क्रेडिट अमर चित्र कथा को ही जाता है। इसी दौर में बच्चों के मनोरंजन के लिए हल्की-फुल्की कहानियों पर आईं कॉमिक्स भी बिकीं। रिसर्च में यह पाया गया कि बच्चे जितनी सहजता से कॉमिक्स के साथ कनेक्ट करते हैं, उतना किसी भी दूसरी चीज से नहीं। हालांकि 90 के दशक तक आते-आते कॉमिक्स-कथा की डोर कमजोर होने लगी :.........

Dr.Shree Vijay
05-09-2014, 09:15 AM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://viralbitch.com/wp-content/uploads/2014/08/Pran-Chacha-Chaudhary-3.jpg

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

मुश्किल वक्त :
80 और 90 के दशक के दौरान कागज की कीमतें बेतहाशा बढ़ीं। कॉमिक्स महंगी होने लगीं। इसी बीच बच्चों के मनोरंजन के लिए विडियो गेम और दूसरे विकल्प भी आने लगे। कॉमिक्स कंटेंट के मोर्चे पर लगातार पिछड़ रही थी। इन तमाम फैक्टर्स ने कॉमिक्स के बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया। उसके प्रकाशन बंद होने लगे। यह उस वक्त एक ग्लोबल ट्रेंड था। कॉमिक्स से जुड़ी यादें कमजोर पड़ने लगीं। ऐसा लगने लगा कि कॉमिक्स युग का अंत करीब है।

ऐसे बढ़ा दायरा :
लेकिन कॉमिक्स का इमोशनल नॉस्टैल्जिया इसे फिर से रास्ते पर ले आया। कंटेंट मे नए जमाने के मुताबिक बदलाव होने लगे और उसकी मजबूती और बेहतरी के लिए कोशिशें शुरू हुईं। नए किरदार गढ़े गए, कॉमिक्स को इंटरनेट पर पेश किया जाने लगा और उसे पढ़ने का जुनून फिर बढ़ा। पहले 50 पैसे देकर चुपके से लाइब्रेरी से चाचा-चौधरी, नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव की कहानियां पढ़ने वाले, इंटरनेट पर इनके कारनामे आसानी से पढ़ने लगे। फेसबुक ने इसे और तेजी दी। सिर्फ फेसबुक पर ही कॉमिक्स से जुड़े दो दर्जन पेज हैं, जिसे लाखों लोग पसंद कर रहे हैं :.........

Dr.Shree Vijay
05-09-2014, 09:18 AM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://media2.intoday.in/indiatoday/images/stories//2013september/chacha-chaudhary_660_100313051644.jpg

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

ऐसे बढ़ा दायरा :
अमर चित्र कथा ने फेसबुक पर अपना पेज शुरू किया तो एंड्रॉयड फोन ऐप्लिकेशन के जरिए मोबाइल पर अमर चित्र कथा सुलभ होने लगी। मोबाइल गेम्स कॉमिक्स के किरदार पर बनने लगे। ग्राफिक नॉवल कॉमिक्स के ढांचे पर आने लगी।एक तरफ सुपरस्टार शाहरुख खान ने अपनी फिल्म 'रा.वन' के किरदारों के साथ कॉमिक्स लॉन्च करने की घोषणा की तो दूसरी तरफ आईपीएल के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम पर आधारित एक कॉमिक्स सीरिज निकली। इस तरह कॉमिक्स ने अपने को तमाम पॉप्युलर सिंबल्स से जोड़ लिया। भारत में कॉमिक्स से जुड़े जानकार मानते हैं कि दो-तीन सालों में कॉमिक्स फिर से एक नए मुकाम पर होगी।

कॉमिक्स की इकनॉमिक्स :
कॉमिक्स की इकनॉमिक्स भी यही बताती है कि अब इसके दिन फिर रहे हैं। कॉमिक्स का हर साल एक विश्वस्तरीय मेला आयोजित किया जा रहा है। भारत के कॉमिक्स बाजार की बात करें तो फिलहाल वह करीब 100 करोड़ तक पहुंच चुका है। आने वाले वक्त में इससे इन्फोटेनमेंट फील्ड के कई बड़े प्लेयर्स जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे इसकी इकनॉमिक्स को बूम मिलने की संभावना है :.........

rajnish manga
05-09-2014, 10:37 PM
कॉमिक्स को ले कर उसकी कमर्शियल वेल्यू और इसके कुल बाजार की जानकारी देने के लिये आपका धन्यवाद.

Dr.Shree Vijay
03-10-2014, 05:15 PM
कॉमिक्स को ले कर उसकी कमर्शियल वेल्यू और इसके कुल बाजार की जानकारी देने के लिये आपका धन्यवाद.

:thanks:

Dr.Shree Vijay
03-10-2014, 05:23 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i1.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/8877_p3.jpg

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

यूनान से आया था कॉमिक्स का कॉन्सेप्ट, कुछ रोचक तथ्य :

एक वह वक्त भी था, जब दुनिया आज की तरह तकनीक के इशारों पर नहीं नाचती थी। तब बच्चों की सबसे प्यारी दोस्त कॉमिक्स हुआ करती थी। गर्मी की छुट्टी का मतलब ढेर सारी कॉमिक्स और मस्ती हुआ करती थी। लेकिन वक्त बदलने के साथ बच्चों के दोस्त और पसंद भी बदलने लगे। वह कॉमिक्स इरा भले अब गुजरे जमाने की बात हो, लेकिन कॉमिक्स से लोगों का जुड़ाव कम नहीं हुआ है। खुद कॉमिक्स ने उतार-चढ़ाव भरे दौर से निकलकर नए मिजाज और कंटेंट के बूते नए वक्त में अपनी अहमियत कायम रखी है :.........

Dr.Shree Vijay
03-10-2014, 05:29 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/8878_p004.jpg

दिल्ली के इवेंट में अपने प्रशंसकों के साथ प्राण। बच्चों में उनका गजब क्रेज था :

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

कुछ खास , कुछ रोचक तथ्य :

- कॉमिक्स का कॉन्सेप्ट यूनान से आया। स्विस आर्टिस्ट रुडोल्फ टकर ने 19वीं सदी में पहली बार कॉमिक किरदारों के साथ काम किया।

- दुनिया की पहली कॉमिक्स एक अमेरिकी अखबार में स्ट्रिप के तौर पर आई थी।

- अनंत पाई ने अमर चित्र कथा की शुरुआत तब की थी, जब देखा कि एक बच्चे को राम की मां का नाम पता नहीं था। इसके बाद उन्होंने कई पौराणिक कहानियों पर आधारित कॉमिक्स पेश कीं :.........

Dr.Shree Vijay
03-10-2014, 05:31 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/8879_prantheman0101.jpg

क इवेंट में संबोधित करते कार्टूनिस्ट प्राण :

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

कुछ खास , कुछ रोचक तथ्य :

- 80 के दशक में अमिताभ बच्चन को सुपरहीरो के रूप में पेश करते हुए कॉमिक्स बनाई गई थी।

- 1985 में पहली डिजिटल कॉमिक्स अमेरिका में आई थी।

- इंस्पेक्टर आजाद के किरदार से राजकपूर इतने प्रभावित थे, कि उन्होंने इसे लेकर अपनी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म बनाने की कोशिश की। लेकिन वह अपने इस प्रॉजेक्ट को पूरा नहीं कर सके :.........

Dr.Shree Vijay
03-10-2014, 05:40 PM
चाचा चौधरी बनाम प्राण :

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/08/06/6885_shrimati-ji.jpg

ऐसा था अमर चित्र कथा से कॉमिक्स तक का सुनहरा सफर...! :

कुछ खास , कुछ रोचक तथ्य :

- जापान में कॉमिक्स को मांगा नाम से जाना जाता है और इसे हर उम्र के लोग पढ़ते हैं।

- विश्व की कई यूनिवर्सिटीज में कॉमिक्स की भाषा को समझने के लिए इसकी अलग से पढ़ाई भी की जाती है।

- 2004 में मार्वल कॉमिक्स और गोथम एंटरटेनमेंट ने एक करार के साथ स्पाइडरमैन का भारतीय संस्करण लॉन्च किया, जिसमें सारे किरदार इसी संस्कृति के थे। मुंबई बैकड्रॉप पर कहानी को आगे बढ़ाया गया था :.........