rajnish manga
23-08-2014, 05:30 PM
दान में जबरदस्ती: क्या गलत क्या सही
(इंटरनेट से साभार)
https://encrypted-tbn0.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcSa_CW7Yurh3zrkqTQgs2ZdffRd-s8_0_Wu6cLFr9NPuDxdt-kT
सर्वप्रथम, मैं ये ऐलान कर देना चाहता हूँ कि मैं अपने धर्म से बेहद प्यार करता हूँ। इसका मतलब ये कतई नही है कि मैं ओर धर्मों से नफरत करता हूँ जी नहीं। मैं सभी धर्मो के लोगो को बराबर का दरजा देता हूँ और किसी भी धर्म में खोट नही निकालता। सभी धर्मो के रीति रिवाजो की बराबर इज्जत करता हूँ।
साल था 2009, हम पाँच दोस्त पहुँच गये जयपुर घुमने। दरअसल दो दोस्तो का वजीफा आया था सो पहुंच गये थे सभी लोग। जयपुर वास्तव में बहुत हीनहीं बहुत ज्यादा खूबसूरत शहर है इसमे कोई शक नहीं। सचकहूँ तो वहाँ से वापसी आने का मन ही नही करता। ख़ैर मुददे पर आते है जयपुर के निकट ही है अजमेर शहर और वहाँ है एक जाना माना प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह । इसे 'दरगाह अजमेर शरीफ़' भी कहा जाता है। हम सभी दोस्त घूमने गये थे तो वहाँ भी गये। मन्नत मांगने वालो की भीड़ कहीं भी कम नही होती और जहाँ श्रद्धा जुडी हो वहाँ और भी ज्यादा होती है। वहाँ भी बहुत लोग होते हैसभी कुछ न कुछ पानेके लिए ऊपर वाले की चौखट पर पहुंचते है कोई सुख चैन तलाश में, तो कोई दौलत या औलाद की मन्नत ले कर जाता है तो कोई बीमारी से निजात पाने, तो कोई मन की शान्ति की खातिर, तो कोई शोहरत के लिए; अब तो लोग फिल्म चलवाने को भी जाते है वैसे।
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(इंटरनेट से साभार)
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सर्वप्रथम, मैं ये ऐलान कर देना चाहता हूँ कि मैं अपने धर्म से बेहद प्यार करता हूँ। इसका मतलब ये कतई नही है कि मैं ओर धर्मों से नफरत करता हूँ जी नहीं। मैं सभी धर्मो के लोगो को बराबर का दरजा देता हूँ और किसी भी धर्म में खोट नही निकालता। सभी धर्मो के रीति रिवाजो की बराबर इज्जत करता हूँ।
साल था 2009, हम पाँच दोस्त पहुँच गये जयपुर घुमने। दरअसल दो दोस्तो का वजीफा आया था सो पहुंच गये थे सभी लोग। जयपुर वास्तव में बहुत हीनहीं बहुत ज्यादा खूबसूरत शहर है इसमे कोई शक नहीं। सचकहूँ तो वहाँ से वापसी आने का मन ही नही करता। ख़ैर मुददे पर आते है जयपुर के निकट ही है अजमेर शहर और वहाँ है एक जाना माना प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह । इसे 'दरगाह अजमेर शरीफ़' भी कहा जाता है। हम सभी दोस्त घूमने गये थे तो वहाँ भी गये। मन्नत मांगने वालो की भीड़ कहीं भी कम नही होती और जहाँ श्रद्धा जुडी हो वहाँ और भी ज्यादा होती है। वहाँ भी बहुत लोग होते हैसभी कुछ न कुछ पानेके लिए ऊपर वाले की चौखट पर पहुंचते है कोई सुख चैन तलाश में, तो कोई दौलत या औलाद की मन्नत ले कर जाता है तो कोई बीमारी से निजात पाने, तो कोई मन की शान्ति की खातिर, तो कोई शोहरत के लिए; अब तो लोग फिल्म चलवाने को भी जाते है वैसे।
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