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View Full Version : मातापिता के चरणों मे समर्पित


soni pushpa
28-08-2014, 04:35 PM
दोस्तों , आज आपके लिए एक छोटा सा सूत्र लेकर आई हूँ जब से हिंदी फोरम में आइ, तब से बहुत मन करता था की मै भी कुछ लिखूं, पर हिंदी भाषा लिखना नही आता था मुझे .. सो मै मजबूर थी .. पर आज मेरे bhai रफीक जी ने मुझे हिंदी लिखना सिखलाया उनकी बहुत आभारी हूं,. आपके सामने ये सूत्र प्रस्तुत कर रही हूँ शायद आपको पसंद आये .
चूँकि माता पिता की वजह से ही हमारा जीवन है इसलिए पहला सूत्र उनके चरणों में ही समर्पित कर रही हूँ
....जिनके साथ बचपन खेला , जिनसे सुनी लोरियां मैंने ,जिसका साया छावं थी मेरी , जिनके लिए थी एक नन्ही परी मै, जिनकी आँखों में था इंतज़ार मेरे आने का , जिनके लिए था मेरे मन में प्यार जो थे मेरा जीवन, जो है आज भी मेरा तन मन , जिनसे बनती थी जीवन बगिया मेरी , जिनसे हुआ गुले बहार चमन मेरा , अब एक मीठी सी ठंडी सी याद है उनकी मन में ,जो भर देती हैं इन अंखियों में असुवन जल क्यूँ वो सहारे छीन गए क्यूँ वो हमसे दूर हो गए ,.. जिनसे पाया था ये जीवन जिनसे पाया था ये जीवन ....

rajnish manga
28-08-2014, 10:02 PM
पुष्पा सोनी जी, सबसे पहले मैं आपको इस सूत्र के ज़रिये हिंदी में टाइप करके पहली बार अपने मनोभाव प्रगट करने के लिये बधाई देता हूँ. यह अत्यंत संतोष की बात है कि फोरम के हमारे सदस्य एक दूसरे की मदद से नई बातें सीख रहे हैं.

अब कुछ शब्द आपके इस सूत्र के बारे में कहना चाहता हूँ. आपने बहुत प्रभावशाली अन्दाज़ में फोरम पर अपने लेखन की शुरुआत की है. आपने अपने जीवन के प्रारम्भिक काल का वर्णन कर सभी को अभिभूत कर दिया है. आपने सही कहा कि माता-पिता के जीवन में कन्या रत्न का जन्म वरदान के समान होता है उनके लिये उनकी बेटी किसी परी से कम नहीं होती. आप को भी उन्होंने इसी रूप में देखा. आप बहुत भाग्यशाली हैं पुष्पा सोनी जी कि इस लोक में आपको इतना प्यार करने वाले माता-पिता मिले.

लेकिन इस छोटे से लेख में अपने यह क्या लिख दिया? क्या आपके माता-पिता आपके साथ नहीं हैं? तो कहाँ है वे? आपका लेखन भावुक होता जा रहा है और इसे पढ़ कर हमारा हृदय विदीर्ण होता जा रहा है. हम चाहते हैं कि आप इस संस्मरण को पूरा करें ताकि हम सारी सच्चाई से रू-ब-रू हो सकें. धन्यवाद.

soni pushpa
01-09-2014, 01:34 PM
धन्यवाद रजनीश जी, आपने बहुत भावपूर्ण प्रतिक्रिया दी , इसके लिए मै कृतग्य हूँ ...

rafik
01-09-2014, 02:55 PM
दोस्तों , आज आपके लिए एक छोटा सा सूत्र लेकर आई हूँ जब से हिंदी फोरम में आइ, तब से बहुत मन करता था की मै भी कुछ लिखूं, पर हिंदी भाषा लिखना नही आता था मुझे .. सो मै मजबूर थी .. पर आज मेरे bhai रफीक जी ने मुझे हिंदी लिखना सिखलाया उनकी बहुत आभारी हूं,. आपके सामने ये सूत्र प्रस्तुत कर रही हूँ शायद आपको पसंद आये .
चूँकि माता पिता की वजह से ही हमारा जीवन है इसलिए पहला सूत्र उनके चरणों में ही समर्पित कर रही हूँ
.
सर्वप्रथम आपको हिंदी में लिखने की बधाई देना चाहता हूँ,इसका श्रैय मुझे न जाकर समस्त फ़ोरम को जाता है,ये हमारा फर्ज है कि फ़ोरम के प्रेत्यक सदस्य एक -दुसरे की मदद करे !

Dr.Shree Vijay
01-09-2014, 10:22 PM
दोस्तों , आज आपके लिए एक छोटा सा सूत्र लेकर आई हूँ जब से हिंदी फोरम में आइ, तब से बहुत मन करता था की मै भी कुछ लिखूं, पर हिंदी भाषा लिखना नही आता था मुझे .. सो मै मजबूर थी .. पर आज मेरे bhai रफीक जी ने मुझे हिंदी लिखना सिखलाया उनकी बहुत आभारी हूं,. आपके सामने ये सूत्र प्रस्तुत कर रही हूँ शायद आपको पसंद आये .
चूँकि माता पिता की वजह से ही हमारा जीवन है इसलिए पहला सूत्र उनके चरणों में ही समर्पित कर रही हूँ ....


भावविभोर करने वाली एक नन्हीं परी की सुंदर सी शशक्त आत्मकथा..........

soni pushpa
02-09-2014, 12:45 AM
रफीक bhai क्यूंकि मैंने कई बार try की और अंत में हार कर लिख न सकी.. पर आपने मुझे अच्छे से समझाया और मैंने कोशिश की तब जाकर ये सूत्र आप सबके सामने मै हिंदी में रख पाई हूँ ... पर आपने सही कहा जब हम सब मिलकर एकदूजे की सहायता करेंगे तब ही अपने इस हिंदी फोरम को हिंदी भाषा की शान से सजा सकेंगे. अपनी हिंदी भाषा का गौरव बढ़ा सकेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद रफीक bhai आपने ये सूत्र पढ़ा ...

soni pushpa
02-09-2014, 12:54 AM
धन्यवाद डॉ. श्रीविजय जी ... बहुत सुन्दर शब्दों में आपने गागर में सागर को समां दिया एक लाइन में सब कह दिया ...

soni pushpa
02-09-2014, 12:57 AM
धन्यवाद,.. डॉ. श्री विजय जी ... बहुत सुन्दर शब्दों में आपने सागर को गागर में समां दिया ....

rajnish manga
04-09-2014, 12:10 AM
सोनी जी, हम चाहते हैं कि आप इस अच्छी शुरुआत को और आगे बढ़ाएं, चाहे एक एक पोस्ट की कड़ी के रूप में. धीरे धीरे आपकी टाइपिंग की स्पीड भी बढ़ेगी. धन्यवाद.

soni pushpa
17-10-2014, 11:26 PM
पुष्पा सोनी जी, सबसे पहले मैं आपको इस सूत्र के ज़रिये हिंदी में टाइप करके पहली बार अपने मनोभाव प्रगट करने के लिये बधाई देता हूँ. यह अत्यंत संतोष की बात है कि फोरम के हमारे सदस्य एक दूसरे की मदद से नई बातें सीख रहे हैं.

अब कुछ शब्द आपके इस सूत्र के बारे में कहना चाहता हूँ. आपने बहुत प्रभावशाली अन्दाज़ में फोरम पर अपने लेखन की शुरुआत की है. आपने अपने जीवन के प्रारम्भिक काल का वर्णन कर सभी को अभिभूत कर दिया है. आपने सही कहा कि माता-पिता के जीवन में कन्या रत्न का जन्म वरदान के समान होता है उनके लिये उनकी बेटी किसी परी से कम नहीं होती. आप को भी उन्होंने इसी रूप में देखा. आप बहुत भाग्यशाली हैं पुष्पा सोनी जी कि इस लोक में आपको इतना प्यार करने वाले माता-पिता मिले.

लेकिन इस छोटे से लेख में अपने यह क्या लिख दिया? क्या आपके माता-पिता आपके साथ नहीं हैं? तो कहाँ है वे? आपका लेखन भावुक होता जा रहा है और इसे पढ़ कर हमारा हृदय विदीर्ण होता जा रहा है. हम चाहते हैं कि आप इस संस्मरण को पूरा करें ताकि हम सारी सच्चाई से रू-ब-रू हो सकें. धन्यवाद.

रजनीश जी , ये सूत्र मेरा पहला सूत्र था हिंदी फोरम पर समझ नही अ अरह था की keise रिप्लाई करूँ पर आप सबके साथ ने मुझे बहुत कुछ सिखलाया है बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी आप सबके साथ को और हाँ आपने एक बात पूछी है जिसका जवाब शायद मैंने नही दिया था तब पर अब बता दूँ आपको मेरे माँ पापा गुजर चुके है ७ इयर्स पहले माँ और ५ इयर्स पहले पापा .. यादें ही इन्सान के जीवन का सहारा होतीं है और उन यादो ने ही मुझसे ये कविता लिखवा डाली थी ... बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी ,.. आपके इतने अहोभाव के लिए और मुझे प्रोत्साहन देकर इतना आगे बढ़ने के लिए

Rajat Vynar
18-10-2014, 08:14 AM
अब बता दूँ आपको मेरे माँ पापा गुजर चुके है ७ इयर्स पहले माँ और ५ इयर्स पहले पापा ..

:cry:

rajnish manga
18-10-2014, 04:06 PM
सोनी जी, माता पिता की कमी को दुनिया की कोई ताकत पूरा नहीं कर सकती. बेटी के लिए उनके हृदय में एक विशेष वात्सल्य बसा होता है. बदले में, बेटी के हृदय में भी उनके प्रति जो आदर व स्नेह की धारा बहती है उसका कोई मुकाबला नहीं. मैं जो कह रहा हूँ वह कल्पना नहीं है, सत्य है. चाहे वो दोनों आपके साथ अपने भौतिक रूप में उपस्थित नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा दिये गए संस्कार आपमें मौजूद हैं और रहेंगे. उनका आशीर्वाद सदा आपके साथ रहेगा और उनकी मीठी यादें आपकी उदास शामों को हमेशा अपनी सुगंध से सुरभित करती रहेंगी. आप अपने हर अच्छे-बुरे समय में उन्हें याद करती रहें, यही उनको आपकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. दिवाली पर दो दिये उनके नाम पर अवश्य जलायें, ताकि आपके जीवन में कभी अमावस का अँधेरा न आये. हम अपनी और से भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

soni pushpa
18-10-2014, 04:17 PM
सोनी जी, माता पिता की कमी को दुनिया की कोई ताकत पूरा नहीं कर सकती. बेटी के लिए उनके हृदय में एक विशेष वात्सल्य बसा होता है. बदले में, बेटी के हृदय में भी उनके प्रति जो आदर व स्नेह की धारा बहती है उसका कोई मुकाबला नहीं. मैं जो कह रहा हूँ वह कल्पना नहीं है, सत्य है. चाहे वो दोनों आपके साथ अपने भौतिक रूप में उपस्थित नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा दिये गए संस्कार आपमें मौजूद हैं और रहेंगे. उनका आशीर्वाद सदा आपके साथ रहेगा और उनकी मीठी यादें आपकी उदास शामों को हमेशा अपनी सुगंध से सुरभित करती रहेंगी. आप अपने हर अच्छे-बुरे समय में उन्हें याद करती रहें, यही उनको आपकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. दिवाली पर दो दिये उनके नाम पर अवश्य जलायें, ताकि आपके जीवन में कभी अमावस का अँधेरा न आये. हम अपनी और से भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

आदरणीय रजनीश जी , बहुत बहुत धन्यवाद .. शब्द नही मिल रहे की क्या लिखू आपने जो कहा एक एक शब्द सही है आदरणीय रजनीश जी .
oh