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View Full Version : धार्मिक चिह्न और चिह्नों के अर्थ


Teach Guru
08-10-2014, 10:13 PM
सामूहिक जीवन में प्रतीकों का बड़ा महत्व है।
ये एक तरह से समूह की पहचान हुआ करते हैं।
चाहे तो किसी संस्था का हो, समाज का, देश
का या फिर धर्म का।

Teach Guru
08-10-2014, 10:13 PM
धार्मिक प्रतीक यूं ही नहीं होते हैं, इसके पीछे
कुछ गंभीर दर्शन, किंवदंती या फिर कहानी हुआ
करती है। ये उस धर्म विशेष की पहचान भी है
और उससे जुड़ी भावनाएं भी।

Teach Guru
08-10-2014, 10:14 PM
ऐसा भी नहीं है कि प्रतीक चिन्ह एक ही हो,
एक से ज्यादा भी हो सकते हैं। फिर भी कोई एक
महत्वपूर्ण होता है, जो धर्म के दर्शन से
या फिर किसी पौराणिक पात्र के जीवन से
जुड़ी किसी घटना से संबद्ध रही हो।

Teach Guru
08-10-2014, 10:14 PM
स्वस्तिक

: हिंदुओं का प्रतीक चिह्न है
स्वस्तिक। इसका उपयोग शुभ कामों के लिए
किया जाता है। वैसे हर शुभ कार्य की शुरुआत
स्वस्तिक बनाकर ही की जाती है। यह
मंगलभावना एवं सुख सौभाग्य का द्योतक है।
इसे सूर्य और विष्णु का प्रतीक माना जाता है।
ऋग्वेद में स्वस्तिक के देवता सविन्त
का उल्लेख है।
सविन्त सूत्र के अनुसार इसे
देवता को मनोवांछित फलदाता सम्पूर्ण जगत
का कल्याण करने और देवताओं को अमरत्व
प्रदान करने वाला कहा गया है। सविन्त सूत्र
के अनुसार उसे ब्रह्माण्ड का प्रतीक
माना जाता है। इसके मध्यभाग को विष्णु
की नाभि, चारों रेखाओं को ब्रह्मा जी के चार
मुख चार हाथ और चार वेदों के प्रतीक के तौर
पर स्थापित किया गया है।

Teach Guru
08-10-2014, 10:15 PM
क्रॉस

: क्रिश्चियनिटी में क्रॉस या क्रूस
को धार्मिक प्रतीक का दर्जा हासिल है।
जहां कहीं भी क्रॉस नजर आए,
वहां क्रिश्चियनिटी जरूर होगी। क्रॉस
ईसा मसीह के क्रूसिफिकेशन का प्रतीक है।
ईसा मसीह को जिस सूली पर चढ़ाया गया था,
ये क्रॉस उसी का प्रतीक है। ये क्रास चर्च
पर, हाथ में, गले में कहीं भी नजर आ सकता है।
बात चाहे पूरब की हो या पश्चिम की क्रॉस हर
जगह ईसाईयत का प्रतीक चिन्ह है।

Teach Guru
08-10-2014, 10:15 PM
खंडा :

खंडा सिखों का धार्मिक प्रतीक चिह्न
हैं। ये तीन प्रतीकों से मिलकर बना है। एक
दो धारी तलवार, एक चक्र और दो किरपान।
दो धारी तलवार एक ईश्वर पर विश्वास
का प्रतिनिधित्व करती है। चक्र बताता है
कि ईश्वर का न तो कोई आदि है और न
ही अंत...।
दो किरपान प्रतीक है ईश्वर की आध्यात्मिक
प्रभुत्व और उसका राजनीतिक शक्ति का। ये
पूरा का पूरा चिह्न ईश्वर को प्रतीकात्मक तौर
पर व्यक्त करता है।

Teach Guru
08-10-2014, 10:16 PM
धर्मचक्र

: धर्म का चक्र या फिर धर्मचक्र
बौद्ध दर्शन का प्रतीक है। इसमें आठ, बारह,
चौबीस या फिर इकतीस तीलियां हो सकती हैं।
चक्र धर्म की सीख का प्रतीक है
तो तीलियां अलग-अलग सीख या बुद्धिज्म के
बहुत सारे नियमों की प्रतीक है। केंद्र अनुशासन
का प्रतीक है और रिंग समाधि का प्रतीक
मानी गई है जो सबको अपने में समाए हुए हैं।

Teach Guru
08-10-2014, 10:17 PM
आधा चांद और सितारा :

आधा चांद और
सितारा पूरी दुनिया में इस्लाम का प्रतीक चिह्न
है। ये एक पुराना प्रतीक चिह्न है और प्रारंभिक
तौर पर इसे मध्य एशिया और सायबेरिया में
आकाश को देवता की स्थापित करने के प्रतीक
के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है।
ओटोमन साम्राज्य के दौरान इसे इस्लाम के
प्रतीक चिन्ह के तौर पर ग्रहण किया गया।
जब तुर्कों ने 1453 में कान्स्टैन्टनोपल
का जीता तब इसे तुर्कों ने स्वीकार किया।
जबकि यह प्रतीक मूलत: कान्स्टैन्टनोपल शहर
का है जो देवी डायना के सम्मान में प्रयोग
किया जाता था। एक मत यह भी है कि ये
प्रतीक चिह्न प्राचीन इजराइल में
पाया जाता रहा है। 19 वीं शताब्दी में यह
ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा था, जिसे
1844 में रिपब्लिक ऑफ टर्की ने ग्रहण
किया।

Teach Guru
08-10-2014, 10:18 PM
अहिंसा हस्त :

अहिंसा हस्त जैन धर्म के
प्रतीकों में से एक है। चूंकि जैन धर्म इस बात
पर यकीन करता है कि सारी आत्माएं पवित्र है,
इसलिए हम किसी भी जीव की उपेक्षा नहीं कर
सकते हैं। हथेली पर चक्र धर्म का प्रतीक है
और चक्र के बीच का चिह्न अहिंसा का प्रतीक
है।

साभार- अंतर्जाल

Dr.Shree Vijay
09-10-2014, 10:17 PM
मित्र दिनेश जी इस नए सुंदर ज्ञानवर्धक सूत्र शुरू करने की बधाई हों.........

anjana
29-10-2014, 02:47 PM
काफी रोचक जानकारी है.........

rafik
29-10-2014, 06:16 PM
बहुत अच्छी जानकारी