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View Full Version : ऐसा त्यौहार हो मेरा


rafik
22-10-2014, 10:23 AM
ऐसा त्यौहार हो मेरा



दीपावली के अवसर सभी देशवासियों को बधाईयाँ व् शुभकामनाएं !

आप सब से मेरा अनुरोध है कि आतिशबाजी करते वक्त पटाखों से दुरी बनाके पटाखे छुडाये ,बिजली के खम्भे से,बिजली के ट्रांसफार्मर से ,कपड़ो की दुकानों से ,कारखानों से और जहा पर आग लगने का खतरा हो वहा से दुरी बनाके आतिशबाजी करे !
इस पावन त्यौहार पर बुजर्गो का आशीर्वाद लेना ना भूले ,बच्चो के नजदीक रहे कर आतिशबाजी कराए !
इस अवसर पर मेरी चार पंक्तिया जो रावण से दूर रखकर, हमे प्यार-मोहब्बत में बनाए रखती है
हाल जान ले
अगर आप डॉक्टर है तो, मरीजो का हाल जान ले
जवान है तो, बुजर्गो का हाल जान ले
प्रबंधक है तो, कर्मचारियों का हाल जान ले !
फोन अगर पास है तो ,फोनबुक का हाल जान ले
अमीर है तो ,गरीब का हाल जान ले !

दीपावली की शुभकामनाएं उनको भी देना चाहता हूँ जो 121 करोड़ जनसंख्या को अपना परिवार कहती हमारी रक्षा करती है ,जो हमारी भारतीय सेना है,को दीपावली की बहुत बहुत बधाईयाँ व् शुभकामनाएं !
सभी मित्रो से मेरा अनुरोध है कि अपने मिलने वालो को ,जिनसे बात किये हुए काफी समय हो गया है बात करके बधाईयाँ शुभकामनाएं दे ! इस हमारा प्यार बढेगा !
आपकी दीपावली मंगलमय हो ऐसी मेरी शुभकामनाएं है रफीक

rajnish manga
22-10-2014, 01:23 PM
ऐसा त्यौहार हो मेरा



दीपावली के अवसर सभी देशवासियों को बधाईयाँ व् शुभकामनाएं !



बहुत सुन्दर रफीक जी. दीपावली के शुभ अवसर पर यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उन सभी लोगों के बारे में भी सोचें जिन्हें समाज ने हाशिये पर धकेल दिया है या उनके बारे में विचार करें जो सदा इस बात का ध्यान रखते हैं हम अपने घरों में सुरक्षित रह कर प्रकाश का उत्सव मना सकें.

Deep_
22-10-2014, 05:49 PM
ऐसा त्यौहार हो मेरा
दीपावली के अवसर सभी देशवासियों को बधाईयाँ व् शुभकामनाएं ! ...... समय हो गया है बात करके बधाईयाँ शुभकामनाएं दे ! इस हमारा प्यार बढेगा !
आपकी दीपावली मंगलमय हो ऐसी मेरी शुभकामनाएं है रफीक


वाह रफीक जी दिल छु लिया आपने! :bravo:

rafik
27-10-2014, 10:58 AM
बहुत सुन्दर रफीक जी. दीपावली के शुभ अवसर पर यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उन सभी लोगों के बारे में भी सोचें जिन्हें समाज ने हाशिये पर धकेल दिया है या उनके बारे में विचार करें जो सदा इस बात का ध्यान रखते हैं हम अपने घरों में सुरक्षित रह कर प्रकाश का उत्सव मना सकें.





मैं नौजवान वो हूँ, जो कायनात बदलना चाहता हूँ,
जमाने के जहन से, जहर के बीज को मसलना चाहता हूँ।
वो सुबह फिर से होगी, जब इन्सान ही इन्सान से आगे होगा,
वो रास्ता इख्तियार करके, आगे निकलना चाहता हूॅ।
वह मंजिल तब भी थी, अब भी है, जिसे समझ न सका कोई,
सच्चाई की राह पर चलकर, उस मंजिल को पाना चाहता हूॅ।
अब वो दिन दूर नहीं हैं, जब सभी क सपने पूरे होंगे,
जो तन्हा खामोश बैठे हैं “कंवर” उनके इरादे भी बदलना चाहता हूँ।