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View Full Version : ‘मुहूर्त शॉट’ के लिए कितना बली है साढ़े तीन मु&


Rajat Vynar
25-10-2014, 11:19 AM
बॉलीवुड हो या कोलिवुड.. लगभग हर निर्माता की यह कोशिश रहती है कि विजयादशमी के दिन उनकी फ़िल्म का मुहूर्त शॉट लिया जाए और दीपावली के दिन से उसकी शूटिंग आरम्भ की जाए. इसके पीछे क्या राज़ है? वस्तुतः (दरअसल) 1. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, 2. वैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया), 3. आश्विन शुक्ल दशमी (विजयादशमी), 4. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (दीपावली)— ये चार स्वयं सिद्ध मुहूर्त हैं. इसमें प्रथम तीन मुहूर्त पूर्ण बली तथा चौथा अर्धबली होने के कारण साढ़े तीन मुहूर्त कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़े तीन मुहूर्त की विशेषता यह है कि इसमें कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचांग-शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है. यह भी कहा गया है कि साढ़े तीन मुहूर्त में किए गए सभी कार्य निश्चित रूप से सिद्ध होते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. निरन्तर शोध के उपरान्त यह सिद्ध हो चुका है कि कुछ लोगों द्वारा साढ़े तीन मुहूर्त में किए गए कार्य भी निष्फल हो जाते हैं. यही कारण है कि विजयादशमी के दिन मुहूर्त शॉट से शुरू की गयीं फ़िल्मों में से एक-दो को छोड़कर बाकी सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिर जाती हैं. इस कारण साढ़े तीन मुहूर्त की विश्वसनीयता पर स्वतः बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लग जाता है. इसलिए ज्योतिष पर शोध कार्य कर रहे विशेषज्ञों का यह कर्तव्य बन जाता है कि इस विषय पर लेख लिखकर ज्योतिष में रुचि रखने वाले पाठकों की शंका का समाधान करें किन्तु आज तक ऐसा कोई भी लेख इस विषय पर प्रकाशित नहीं हुआ.

Rajat Vynar
25-10-2014, 11:19 AM
साढ़े तीन मुहूर्त की सामान्य अवधि प्रायः छः या सात घंटे की होती है. उसमें भी लग्न शोधन की प्रक्रिया करके उस स्थिर लग्न का समय ज्ञात किया जाता है जिसमें ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल न हो, चौघड़िया उत्तम हो और शुभ ग्रह की होरा हो. इस प्रकार प्राप्त अल्प समय में से मुहूर्त शास्त्रानुसार सभी कठिन कार्यों में सिद्धिदायक अभिजिन्मुहूर्त का भोगकाल ज्ञात किया जाता है. साढ़े तीन मुहूर्त में से शोधित यह समय निःशंकोपयोगी अति शुभ एवं सिद्धिदायक माना गया है. इसका विस्तृत विवरण विभिन्न पंचांगों में पहले से दिया रहता है. ज्योतिष का सामान्य ज्ञान रखने वाला पाठक भी इन पंचांगों द्वारा साढ़े तीन मुहूर्त की विशेष शुद्ध अवधि को सरलतापूर्वक निकाल सकता है. वैसे तो सभी पंचांगों में साढ़े तीन मुहूर्त का विस्तृत विवरण दिया रहता है किन्तु मेरे मतानुसार चिंताहरण पंचांग या चिंताहरण जंत्री का उपयोग करना सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि चिंताहरण पंचांग या चिंताहरण जंत्री के निर्माण में ज्योतिष की अति नवीन गणित पद्धति त्रिकोणमिति (Trigonometry) का उपयोग किया जाता है.

Rajat Vynar
25-10-2014, 11:20 AM
अब प्रश्न यह उठता है कि इस प्रकार से शोधित सर्वसिद्ध मुहूर्त क्या सभी व्यक्तियों के लिए समान रूप से उपयोगी है? क्या इस मुहूर्त में किए गए कार्य कभी निष्फल नहीं होंगे? प्रायः सभी ज्योतिषी इस विषय पर एकमत से ‘हाँ’ में उत्तर देंगे किन्तु मेरा मत इनसे भिन्न है. शोध करने पर यह पाया गया कि इस शोधित सर्वसिद्ध साढ़े तीन मुहूर्त में किए गए कार्य भी कुछ व्यक्तियों के लिए पूर्ण रूप से फलदायक नहीं होते. ऐसा क्यों? क्या यह ज्योतिष शास्त्र के स्तम्भ मुहूर्त शास्त्र की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न नहीं है? शायद कुछ विज्ञ ज्योतिषी व्यक्ति विशेष के जन्मांग (जन्मकुंडली) और शोधन प्रक्रिया द्वारा साढ़े तीन मुहूर्त में से प्राप्त सर्वसिद्ध मुहूर्त काल के लग्न का तुलनात्मक अध्ययन करके यह बताने में सक्षम हों कि शोधित साढ़े तीन मुहूर्त उस व्यक्ति विशेष के लिए लाभदायक सिद्ध होगा अथवा नहीं, किन्तु इस विधि द्वारा भी यह नहीं बताया जा सकता कि व्यक्ति विशेष के लिए इस प्रकार शोधित साढ़े तीन मुहूर्त का सर्वसिद्ध काल कितना प्रतिशत प्रभावशाली सिद्ध होगा! शोध में यह पाया गया है कि व्यक्ति विशेष के लिए इस तुलनात्मक पद्धति से निकाला गया शोधित साढ़े तीन मुहूर्त का काल भी निष्फल हो गया अथवा आंशिक रूप से ही सफलता प्राप्त हुई. ऐसा क्यों?

Rajat Vynar
25-10-2014, 11:21 AM
कई वर्षों तक चेन्नई में निवास करने और तमिल भाषा का सम्पूर्ण ज्ञान होने के कारण मुझे दक्षिण भारत में उपलब्ध ज्योतिष साहित्य को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ. जब इस प्रकार के गूढ़ प्रश्नों का उत्तर परंपरागत उत्तर भारतीय वैदिक ज्योतिष के आधार पर देना असंभव हो जाए तो दक्षिण भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में इन गूढ़ प्रश्नों का उत्तर ढूँढ़ने का प्रयास करना चाहिए. दक्षिण भारत में ज्योतिष साहित्य का विशाल भंडार है. बस आवश्यकता है परंपरागत उत्तर भारतीय वैदिक ज्योतिष और दक्षिण भारतीय ज्योतिष ग्रंथो को एकीकृत करने की. इस एकीकरण पद्धति द्वारा ज्योतिष के सभी गूढ़ प्रश्नों का उत्तर स्वयं मिल जाता है.

Rajat Vynar
25-10-2014, 11:21 AM
व्यक्ति विशेष के लिए शुभ या अशुभ समय निकालने के लिए दक्षिण भारत में एक अति प्राचीन गूढ़ एवं दुर्लभ ज्योतिषीय पद्धति है— ‘वर्ग-बेला दशा पद्धति’. इस वर्ग-बेला दशा पद्धति में जन्मकालीन नक्षत्र/राशि और चन्द्रकला के आधार पर प्रत्येक जातक को कई वर्गों में बाँटकर प्रत्येक वर्ग के लिए चल रही बेला-दशा के आधार पर व्यक्ति विशेष के लिए शुभ और अशुभ समय का ज्ञान किया जाता है. दक्षिण भारत में इस प्राचीन वर्ग-बेला दशा पद्धति का उपयोग मंत्र-यंत्र-तंत्र द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से किया जाता रहा है. इसीलिये इस वर्ग-बेला दशा पद्धति को अत्यधिक गुप्त रखा गया. यह वर्ग-बेला दशा पद्धति देखने में बहुत सरल लगती है किन्तु दक्षिण भारत में इस विषय पर उपलब्ध तमिल पुस्तकों में भी आपस में मतान्तर है. इस वर्ग-बेला दशा पद्धति द्वारा व्यक्ति विशेष के लिए कोई समय कितना शुभ या कितना अशुभ है, उसका प्रतिशत सही-सही ज्ञात हो जाता है. इस गूढ़ विषय पर अभी और शोध करने की आवश्यकता है. अभी तक के शोध के अनुसार व्यक्ति विशेष के लिए दक्षिण भारतीय वर्ग-बेला दशा पद्धति द्वारा प्राप्त 100% पूर्ण शुभ समय यदि साढ़े तीन मुहूर्त के शोधित काल में पड़ जाता है तो निःसंदेह वह साढ़े तीन मुहूर्त उस व्यक्ति विशेष के लिए पूर्ण रूप से बली होगा, अन्यथा नहीं. अतः साढ़े तीन मुहूर्त पर विश्वास करके अपनी आँखें बंद करके कोई कार्य करने से पहले यह अवश्य सोचिये कि यह साढ़े तीन मुहूर्त विशेषतः मेरे लिए कितना बली है? एक फिल्म निर्माता-निर्देशक के लिए तो यह सोचना और अधिक आवश्यक हो जाता है क्योंकि दाँव पर करोड़ों रुपए लगे होते हैं!

rajnish manga
27-10-2014, 07:56 AM
हमने सिर्फ नाड़ी ज्योतिष (पट्टिका) के बारे में सुना है. शुभ मुहूर्त निकालने की यह दक्षिण भारतीय पद्धति शेष भारत में अधिक प्रचलित नहीं है और न ही इसके बारे में लोगों को अधिक पता है. जानकारी के लिए धन्यवाद, रजत जी.