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View Full Version : क्यों मनाते है मुहर्रम ?.........


Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 06:55 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://hindi.pardaphash.com/uploads/images/660/111738.jpg

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:03 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/11/04/8096_muharram1.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

दुनिया के विभिन्न धर्मों के बहुत से त्योहार खुशियों का इजहार करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी त्योहार हैं जो हमें सच्चाई और मानवता के लिए दी गई शहादत की याद दिलाते हैं। ऐसा ही त्योहार है मुहर्रम, जो पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है। यह हिजरी संवत का प्रथम महीना है। मुहर्रम एक महीना है, जिसमें दस दिन इमाम हुसैन का शोक मनाया जाता है। इसी महीने में पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने पवित्र मक्का से पवित्र नगर मदीना में हिजरत किया था।

पैगंबर-ए-इस्लाम के बाद चार खलीफा (राष्ट्राध्यक्ष) उस दौर की अरबी कबीलाई संस्कृति के अनुसार, प्रमुख लोगों द्वारा मनोनीत किए गए। लोग आपस में तय करके किसी योग्य व्यक्ति को प्रशासन, सुरक्षा इत्यादि के लिए प्रमुख चुन लेते थे। उस चुनाव में परिवार, पहुंच और धनबल का इस्तेमाल नहीं होता था :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:05 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/11/04/8103_ashura2.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

जिन लोगों ने हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा चुना, वो लोग शियाने अली यानी शिया कहलाते हैं। शिया यानी हजरत अली के समर्थक। इसके विपरीत सुन्नी वे लोग हैं, जो चारों खलीफाओं के चुनाव को सही मानते हैं।

रसूल मोहम्मद साहब की वफात के लगभग 50 वर्ष बाद इस्लामी दुनिया में ऐसा घोर अत्याचार का समय आया। मक्का से दूर सीरिया के गवर्नर यजीद ने अपनी खिलाफत का एलान कर दिया। यजीद की कार्यपद्धति बादशाहों जैसी थी।

याद रहे इस्लाम में 'बादशाह' और शहंशाह दिखने लगे, जो इस्लामी मान्यता के बिल्कुल उलट है। इस्लाम में बादशाहत की परिकल्पना नहीं है। जमीन-आसमान का एक ही 'बादशाह' अल्लाह यानी ईश्वर होगा। यजीद की खिलाफत के एलान के समय इमाम हुसैन मक्का में थे :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:11 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://hindi.webdunia.com/hi/articles/1211/23/images/img1121123015_1_3.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

सिंहासन पर बैठते ही यजीद ने मदीना के राज्यपाल वलीद पुत्र अतुवा को फरमान लिखा, "तुम इमाम हुसैन को बुलाकर मेरी आज्ञाओं का पालन करने और इस्लाम के सिद्धांतों को ध्यान में लाने के लिए कहो। यदि वह न माने तो इमाम हुसैन का सिर काट कर मेरे पास भेजा जाए।

वलीद पुत्र अतुवा ने 25 या 26 रजब 60 हिजरी को रात्रि के समय हजरत इमाम हुसैन को राजभवन में बुलाया और उनको यजीद का फरमान सुनाया। इमाम हुसैन ने वलीद से कहा, "मैं एक व्यभिचारी, भ्रष्टाचारी, दुष्ट विचारधारा वाले, अत्याचारी, खुदा रसूल को न मानने वाले यजीद की आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता" :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:14 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/11/04/8105_ashura6.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

इसके बाद इमाम हुसैन साहब मक्का शरीफ पहुंचे, ताकि हज की पवित्र प्रथा को पूरा कर सकें। लेकिन वहां पर भी इमाम हुसैन साहब को किसी प्रकार चैन नहीं लेने दिया गया। शाम को बादशाह यजीद ने अपने सैनिकों को यात्री बना कर हुसैन का कत्ल करने भेज दिया।

हजरत इमाम हुसैन को पता चल गया कि यजीद ने गुप्त रूप से सैनिकों को मुझे कत्ल करने के लिए भेजा है। मक्का एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहां पर किसी भी प्रकार की हत्या हराम है। यह इस्लाम का एक सिद्धांत है" :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:17 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/11/04/8103_ashura3.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

इसी बात को ध्यान में रखते हुए कि मक्का में किसी प्रकार का खून-खराबा न हो, इमाम हुसैन ने हज की एक उप प्रथा, जिसको इस्लामिक रूप से उमरा कहते हैं, अदा किया। हजरत हुसैन इसके बाद अपने परिवार सहित इराक की ओर चले गए।

मुहर्रम मास की 2 तारीख 61 हिजरी को इमाम हुसैन अपने परिवार और मित्रों सहित कर्बला की भूमि पर पहुंचे। 9 तारीख तक यजीद की सेना को इस्लामिक सिद्धांतों को समझाया। लेकिन हजरत इमाम हुसैन की बातों का यजीद की फौज पर कोई असर नहीं हुआ" :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

Dr.Shree Vijay
04-11-2014, 07:20 PM
"क्यों मनाते है मुहर्रम ?,
जानिए क्या हुआ था कर्बला की जंग में इमाम हुसैन के साथ !"

http://i10.dainikbhaskar.com/thumbnail/655x588/web2images/www.bhaskar.com/2014/11/04/8107_ashura8.jpg

"मुंबई में मुहर्रम के दौरान का दृश्य"
(नोट: अंदर की तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं।)
(WARNING: Some images of Ashura observance are graphic)

सुबह नमाज से असर तक इमाम हुसैन के सब साथी जंग में मारे गए। इमाम हुसैन मैदान में अकेले रह गए। खेमे में शोर सुनकर इमाम साहब वहां गए तो देखा कि उनका 6 महीने का बच्चा अली असगर प्यास से बेहाल है। हजरत इमाम हुसैन ने अपने बच्चे को अपने हाथों में उठा लिया और मैदाने कर्बला में ले आए।

हजरत इमाम हुसैन साहिब ने यजीद की फौजों से कहा कि बच्चे को थोड़ा-सा पानी पिला दो, किंतु यजीद की फौजों की तरफ से एक तीर आया और बच्चे के गले पर लगा और बच्चे ने बाप के हाथों में तड़प कर दम तोड़ दिया। इसके बाद तीन दिन से भूखे-प्यासे हजरत इमाम हुसैन साहब का कत्ल कर दिया गया। हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए अपनी जान कुर्बान की।

धार्मिक पर्व फेस्टिवल ऑफ आसुर शिया मुस्लिमों का त्योहार है। इराक की राजधानी बगदाद के दक्षिण पश्चिम में कर्बला स्थित शिया तीर्थ स्थल। यहां इमाम हुसैन और इमाम अब्बास के तीर्थ स्थल हैं" :.........



सौजन्य से : (http://www.bhaskar.com)

rajnish manga
04-11-2014, 09:09 PM
मुहर्रम की पृष्ठभूमि तथा हज़रत इमाम हुसैन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए धन्यवाद, डॉ श्री विजय जी.

Dr.Shree Vijay
05-11-2014, 03:49 PM
प्रिय रजनीश जी, प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Dr.Shree Vijay
05-11-2014, 04:07 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

http://days.jagranjunction.com/files/2010/12/muharram.jpg

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

मुहर्रम कोई त्योहार नहीं है, यह सिर्फ इस्लामी हिजरी सन्* का पहला महीना है। पूरी इस्लामी दुनिया में मुहर्रम की नौ और दस तारीख को मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत की जाती है। रहा सवाल भारत में ताजियादारी का तो यह एक शुद्ध भारतीय परंपरा है, जिसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।

इसकी शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी, जिसका ताल्लुक शीआ संप्रदाय से था। तब से भारत के शीआ-सुन्नी और कुछ क्षेत्रों में हिन्दू भी ताजियों (इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृति, जो इराक के कर्बला नामक स्थान पर है) की परंपरा को मानते या मनाते आ रहे हैं" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

Dr.Shree Vijay
05-11-2014, 04:09 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://scontent-a-mad.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/v/t1.0-9/p720x720/10402922_894904700521314_7406384312523193967_n.jpg ?oh=57245ef9527bf9a07881973fa7555a0c&oe=54E63886

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

भारत में ताजिए के इतिहास और बादशाह तैमूर लंग का गहरा रिश्ता है। तैमूर बरला वंश का तुर्की योद्धा था और विश्व विजय उसका सपना था। सन्* 1336 को समरकंद के नजदीक केश गांव ट्रांस ऑक्सानिया (अब उज्बेकिस्तान) में जन्मे तैमूर को चंगेज खां के पुत्र चुगताई ने प्रशिक्षण दिया। सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में ही वह चुगताई तुर्कों का सरदार बन गया।

फारस, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया और रूस के कुछ भागों को जीतते हुए तैमूर भारत (1398) पहुंचा। उसके साथ 98000 सैनिक भी भारत आए। दिल्ली में मेहमूद तुगलक से युद्ध कर अपना ठिकाना बनाया और यहीं उसने स्वयं को सम्राट घोषित किया। तैमूर लंग तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ तैमूर लंगड़ा होता है। वह दाएं हाथ और दाए पांव से पंगु था" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

Dr.Shree Vijay
05-11-2014, 04:15 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://fbcdn-sphotos-a-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpa1/v/t1.0-9/p180x540/10435411_897752126903238_4020575425883363959_n.jpg ?oh=9a9e2907aa10b4f501fa9752f80f38c6&oe=54DF20A2&__gda__=1428080708_65fb4a162727aa48d69bb2e1e6ad814 6

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

तैमूर लंग शीआ संप्रदाय से था और मुहर्रम माह में हर साल इराक जरूर जाता था, लेकिन बीमारी के कारण एक साल नहीं जा पाया। वह हृदय रोगी था, इसलिए हकीमों, वैद्यों ने उसे सफर के लिए मना किया था।

बादशाह सलामत को खुश करने के लिए दरबारियों ने ऐसा करना चाहा, जिससे तैमूर खुश हो जाए। उस जमाने के कलाकारों को इकट्ठा कर उन्हें इराक के कर्बला में बने इमाम हुसैन के रोजे (कब्र) की प्रतिकृति बनाने का आदेश दिया" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

rafik
07-11-2014, 10:06 AM
:bravo::bravo::bravo::bravo:

rajnish manga
07-11-2014, 08:39 PM
इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारियाँ दी गयी हैं. भारत में ताजियों की शुरुआत के बारे में सूत्र में बिल्कुल अनोखी जानकारी प्रस्तुत की गयी है.

rafik
13-11-2014, 05:52 PM
इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारियाँ दी गयी हैं. भारत में ताजियों की शुरुआत के बारे में सूत्र में बिल्कुल अनोखी जानकारी प्रस्तुत की गयी है.

आपने सही कहा,इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारी दी है ,ताजिये के इतिहास के बारे मै भी नहीं जानता था,सूत्र के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र !

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 09:43 PM
:bravo::bravo::bravo::bravo:

इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारियाँ दी गयी हैं. भारत में ताजियों की शुरुआत के बारे में सूत्र में बिल्कुल अनोखी जानकारी प्रस्तुत की गयी है.

आपने सही कहा,इस सूत्र में बहुत अच्छी जानकारी दी है ,ताजिये के इतिहास के बारे मै भी नहीं जानता था,सूत्र के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मित्र !




प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आप दोनों मित्रों का हार्दिक आभार.........

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 09:45 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://scontent-b.xx.fbcdn.net/hphotos-xpf1/t31.0-8/s720x720/10007326_788589924486126_84738206070397542_o.jpg

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

कुछ कलाकारों ने बांस की किमचियों की मदद से 'कब्र' या इमाम हुसैन की यादगार का ढांचा तैयार किया। इसे तरह-तरह के फूलों से सजाया गया। इसी को ताजिया नाम दिया गया। इस ताजिए को पहली बार 801 हिजरी में तैमूर लंग के महल परिसर में रखा गया" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 09:47 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://fbcdn-sphotos-h-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpf1/v/t1.0-9/s720x720/10155140_788587631153022_2268755920099373463_n.jpg ?oh=dd16ee5c8014558c8fa4c18df4998eb8&oe=54D947F4&__gda__=1424127049_7488cab76383fdbaff76a480a8667dd 5

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

तैमूर के ताजिए की धूम बहुत जल्द पूरे देश में मच गई। देशभर से राजे-रजवाड़े और श्रद्धालु जनता इन ताजियों की जियारत (दर्शन) के लिए पहुंचने लगे। तैमूर लंग को खुश करने के लिए देश की अन्य रियासतों में भी इस परंपरा की सख्ती के साथ शुरुआत हो गई" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 09:48 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://fbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xap1/v/t1.0-9/s720x720/10259748_788582707820181_2544771213066328619_n.jpg ?oh=19268d37db3db4027801b722d6175cce&oe=55161BA7&__gda__=1423772921_41d2937625ce2c016d1c53f11a7f7ca b

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

खासतौर पर दिल्ली के आसपास के जो शीआ संप्रदाय के नवाब थे, उन्होंने तुरंत इस परंपरा पर अमल शुरू कर दिया। तब से लेकर आज तक इस अनूठी परंपरा को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और बर्मा (म्यांमार) में मनाया जा रहा है। जबकि खुद तैमूर लंग के देश उज्बेकिस्तान या कजाकिस्तान में या शीआ बहुल देश ईरान में ताजियों की परंपरा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)

Dr.Shree Vijay
17-11-2014, 09:49 PM
"मुहर्रम, जानिए भारत में ताजियों की शुरुआत !"

https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xpa1/v/t1.0-9/s720x720/1526782_735977616414024_1803580287_n.jpg?oh=a9ac9d 0e2da1f21b3ac1d9661dd991b7&oe=54D4D165&__gda__=1427625560_4af26b91d83a78403e6df52acca418b f

"तैमूर को खुश करने के लिए शुरू हुई ताजियों की परंपरा"

68 वर्षीय तैमूर अपनी शुरू की गई ताजियों की परंपरा को ज्यादा देख नहीं पाया और गंभीर बीमारी में मुब्तिला होने के कारण 1404 में समरकंद लौट गया। बीमारी के बावजूद उसने चीन अभियान की तैयारियां शुरू कीं, लेकिन 19 फरवरी 1405 को ओटरार चिमकेंट के पास (अब शिमकेंट, कजाकिस्तान) में तैमूर का इंतकाल (निधन) हो गया। लेकिन तैमूर के जाने के बाद भी भारत में यह परंपरा जारी रही।

तुगलक-तैमूर वंश के बाद मुगलों ने भी इस परंपरा को जारी रखा। मुगल बादशाह हुमायूं ने सन्* नौ हिजरी 962 में बैरम खां से 46 तौला के जमुर्रद (पन्ना/ हरित मणि) का बना ताजिया मंगवाया था" :.........



सौजन्य से : (http://goo.gl/Gy9w9q)