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View Full Version : जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ


rafik
10-11-2014, 01:23 PM
बहुत समय पहले की बात है , आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था . उसे
अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह , जहाँ आये दिन आंधी –तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था . किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मन कर देता . अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा . किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?” “ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया . किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने
व्यक्ति को काम पर रख लिया. मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक
खेतों में मेहनत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ
दौड़ा . “ जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .” किसान चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.” यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा . किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था . साड़ी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब
वो भी चैन से सो सकता था .

मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस
मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें.
जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है,
इत्यादि. तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ”
जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ.”

soni pushpa
10-11-2014, 06:29 PM
bhai आपकी हरेक कहानिया जीवन के लिए बेहद प्रेरणादायक होतीं है बहुत अच्छी कहानी. सच कहा आपने पहले से की गई तेयारी मुश्किल समय को आसन बना देती है

ajaysagar
11-11-2014, 07:09 AM
सही बात है, रोज़ का काम रोज़ कर लिया जाए तो जीवन बहुत सरल हो जाता है :)

एक बायत समझ नहीं आई, आपने ये सूत्र डिबेट के अंदर क्यों शुरू किया है, मेरे हिसाब से इसे हिंदी साहित्य के अंदर आना चाहिए, बस मेरे दो पैसे :)

rafik
13-11-2014, 05:10 PM
सही बात है, रोज़ का काम रोज़ कर लिया जाए तो जीवन बहुत सरल हो जाता है :)

एक बायत समझ नहीं आई, आपने ये सूत्र डिबेट के अंदर क्यों शुरू किया है, मेरे हिसाब से इसे हिंदी साहित्य के अंदर आना चाहिए, बस मेरे दो पैसे :)

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