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View Full Version : ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।


Sikandar_Khan
30-11-2010, 08:28 PM
अपनी पहलवान पत्नी से परेशान होकर
पति बोला रे मेरे
प्राणोँ की प्यासी
अच्छा हो मैँ गृहस्थी छोड़कर हो जाऊं संन्यासी । चला जाऊं मथुरा या काशी सुनकर पत्नी ने टोका
रे सत्यानाशी
यदि तू हो गया संन्यासी ।
चला गया हरिद्वार या काशी तो अपनी आने वाली
डेढ़ दर्जन बच्चोँ की टीम किसके सहारे करेगा ?
फ्रिज , टी.वी , फर्नीचर इनकी बकाया किश्तेँ
क्या तेरा बाप भरेँगा ?

Sikandar_Khan
30-11-2010, 08:33 PM
एक चढ़ती हुई
बारात को देखकर
एक व्यक्ति का मन डोला । अपनी पत्नी से बोला
तीन रानियां थीँ
राजा दशरथ के ।
इस हिसाब से तो अभी
हम तीन शादियां और
कर सकते हैँ
बिना खटके ।
सुनकर पत्नी ने टोका
खूब करो जैसा तुम्हे दीखे । पर इतना ध्यान रखना
पांच पति थे द्रौपदी के ।

Sikandar_Khan
30-11-2010, 08:36 PM
जो आपकी फाइल को
रखता है काबू
फाइल कहां है कैसी है
ऐसी है वैसी है ।
फाइल के चक्कर मे
आपकी ऐसी तैसी है ।

Sikandar_Khan
30-11-2010, 09:02 PM
लालू जी तुम चारा
हम पानी
जेल के अंदर मोबाइल पर हुक्मे चले ऐलानी
वो ही डंडे हैँ मुसटंडे
वो ही मच्छरदानी
वो ही लटेँ वो ही स्टाइल
वो ही अदा पुरानी ।
वो ही चमचे वो ही कुर्सी
कुर्सी पर महारानी
लालटेन की क्या गाथा है जग भर ने पहचानी ।
दस बच्चोँ की टीम हमारी बीवी की कप्तानी ।

khalid
30-11-2010, 09:26 PM
छो गए सिकन्दर भाई
जय भैया का असर हैँ
गुड वर्क लगे रहो

Sikandar_Khan
30-11-2010, 09:32 PM
छो गए सिकन्दर भाई
जय भैया का असर हैँ
गुड वर्क लगे रहो

खालिद भाई
आपका हार्दिक आभार

Sikandar_Khan
30-11-2010, 09:38 PM
उद्घाटन के दिन
रेत की दीवार नीचे आ गई ठेकेदार फिर भी बच गया दीवार उद्घाटनकर्ता को दबा गई ।
देखा वे फिर भी बच गए कारण दीवार बनाने
के लिए अपनाये गए
फार्मूले नए ।
न लोहा, न सीमेँट
एक्सपेरीमेँट । एक्सीलेँट ।

jai_bhardwaj
30-11-2010, 09:52 PM
घोर अमावस की रातें थी जब मैं क्वाँरा था
भटक रहा था इधर उधर, ना प्रेम सहारा था
दूज के चाँद सा जीवन हो गया जब तुम मुझे मिली
रोम रोम हो गया बगीचा जब हृदय में कलियाँ खिली
पूनम का चन्दा बन कर तुम मेरे घर आयीं
जीवन का मिट गया अँधेरा शुभ्र चाँदनी लायीं
बरस दो बरस बीत न पाए, पड़ गया चाँद ग्रहण
पल पल याद आ रहा अब, 'जय' अपना क्वांरापन

Sikandar_Khan
01-12-2010, 08:03 AM
एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को पाने के लिए
365 दिनोँ मेँ
365 लव लैटर लिख मारे
फिर भी रहे बेचारे
क्वांरे के क्वांरे ।
कल ही प्रेमिका की ओर से बैरंग चिट्ठी मिली है ।
बात यह खुली है
तुम्हारे प्रेम पत्र पहुंचाने वाले उसी खूसट डाकिए से मैँने शादी कर ली है ।

pooja 1990
01-12-2010, 11:00 AM
sikandar mahan tha .mahan hai .or mahan rahega. mera dil tere nam.lage raho.kahi zyada tarif to nahi kar di. ha hi hu.

Sikandar_Khan
01-12-2010, 03:43 PM
sikandar mahan tha .mahan hai .or mahan rahega. Mera dil tere nam.lage raho.kahi zyada tarif to nahi kar di. Ha hi hu.

पूजा जी
आपका हार्दिक आभार
ऐसा लगता तारीफ कुछ ज्यादा हो गयी

Sikandar_Khan
01-12-2010, 03:50 PM
एक नेता को
रामलीला मेँ
रावण का पार्ट करना था
राम के हाथोँ मरना था
मगर रावण था
कि मरने का नाम ही
नही लेता था ।
राम जाने
किस पार्टी का नेता था ।
विभीषण ने नही
खुद रावण ने
अपने मरने की युक्ति
राम के कान मे बताई ।
बोला, प्रभू व्यर्थ कर रहे
हो ट्राई ।
चुनाव तक तो मैँ
कैसे भी नही मर सकता ।
चुनाव के बाद की मैँ
कह नही सकता ।
सुनकर श्रीराम ने
सिर हिला दिया ।
रावण बच गया
पुतला जला दिया ।

Sikandar_Khan
02-12-2010, 09:33 AM
एक नेता के यहां एक
हज्जाम हर हफ्ते जाता ।
हजामत बनाने से पहले
एक यही बात दोहराता
हुजूर इलेक्शन कब
आ रहे हैँ ?
सुनकर नेताजी सकपका जाते
हज्जाम उनके बाल काट
कर निकल जता ।
एक दिन नेता से
नहीँ रहा गया ।
बोले यहां बैठते ही इलेक्शन की बात क्यो
दोहराते हो ?
क्या इलेक्शन मे खड़ा
होना चाहते हो ?
हज्जाम बोला
ऐसी अपनी औकात कहां
आप जैसी बात कहां
हां इलेक्शन का नाम सुनकर आपके बाल सीधे और तनकर खड़े हो जाते हैँ मुझे कटिँग करने मेँ
आसानी रहती है ।

Sikandar_Khan
02-12-2010, 11:50 AM
विवाह के मंत्र पढ़ने के
बाद पंडित जी ने दिया आशीर्वाद
मेरा बेटा जरूर
रंग लाएगा ।
जब गऊ सी कन्या शेरनी
हो जाएगी और तू इसके पीछे पीछे अपनी दुम
हिलाएगा ।
तू कहलाएगा इसका पति
और इसको प्रिय होगा
वनस्पति ।

Sikandar_Khan
02-12-2010, 12:01 PM
आए पटाखा बन गए
हम आपकी खातिर
जितने उदास चेहरे थे
रंगोँ से भर गए ।
मुस्कान बांटने का
परिणाम क्या मिला
जितने उदास चेहरे थे
रंगोँ से खिल गए ।
हस्ताक्षर बनाए तो
हंसने लगे अक्षर
कमबख्त ये मजाक भी
हम पर ही कर गए ।
अच्छे भले थे आदमी
कार्टून बने हैँ
लगते उधर ही कहकहे
जब जब जिधर गए ।

malethia
02-12-2010, 04:27 PM
एक शराबी ' विवाह ' फिल्म देख कर घर आया
और अपने बीवी से बोला -
" तुझे पीकर मै देखू मुझे हक़ है ,.....................
तू भी पीती है दारू मुझे शक है......................

Sikandar_Khan
02-12-2010, 09:22 PM
हम पहुंच गए
फिल्मी सैट पर
फिल्म थी महिला
डकैट पर ।
हीरोइन
मेकअप मेँ तैयार
घोड़े पर सवार
डकैतोँ की सरदार ।
धांय से पहली गोली चली हीरोइन घोड़े के साथ
हवा मे उछली ।
सुपरहिट एक्शन
हो गया रिएक्शन
साथी डकैतोँ की नीयत
पलट गई
लूटना था जमीँदार
हीरोइन लुट गई ।

Sikandar_Khan
02-12-2010, 09:28 PM
एक साहब के हाथ मेँ
लकड़ी का पुल है ,
बाहर भीड़ है
सामने लटकता हुआ बोर्ड हाउस फुल है ।
यह लकड़ी का पुल
साहब की मेज पर
टिकाना है ,
फाइल बंद पड़ी है
उसी का नजराना है।
फाइल खुल गई
तो पुल बन जाएगा,
नही तो
लकड़ी का पुल है
पोल मेँ जाएगा।

Hamsafar+
02-12-2010, 10:27 PM
इंडिया हमारा है। हमारे बाप का है। इसका हर माल हमारा है। इसकी बोटी-बोटी पर हमारा अधिकार है। इंडिया ने हमारे बाप को बहुत कुछ दिया। दादा को सब कुछ दिया। अब हमें क्यों न देगा इंडिया ? देना पड़ेगा उसे। इंडिया में रहकर इंडिया की दादागिरी नहीं चलने देंगे। यह अन्याय हमारे साथ ही क्यों ? सबके दिया, हमें भी दे इंडिया। सबने खाया इंडिया को, हम भी खाएँगे। सबने तोड़ा, हम भी तोड़ेंगे इंडिया।

इंडिया दे रहा है तो सबको दे। खिला रहा है तो सबको खिलाए। बाँट रहा है तो सबको बाँटे। बराबर-बराबर। हमको कम दूसरों को ज्यादा देगा तो इसकी ईंट-से-ईंट बजा देंगे। इंडिया पड़ौसी को खिलाता रहे, हम देखते रहें। क्यों ? वे लूटें और हम देखें ? इंडिया देने लायक है तो देता क्यों नहीं ? हम उसके वासी हैं। हमें न देगा तो किसे देगा ? किसी दूसरे देशवासी को देगा, तो देख लेंगे इंडिया को। हमारे सामने हमें छोड़कर दूसरों को देगा क्या ? नहीं देने देंगे। हमारा इंडिया है तो हमें ही देगा। नहीं देगा तो छीन लेंगे। लूट लेंगे। चकाचक दे इंडिया ! देता क्यों नहीं है रे ?

जिसे भी देता है इंडिया, उसे छप्पर फाड़कर देता है। जेबें, तिजोरी, घर सब भर देता है। खूब खाओ। मौज उड़ाओ। इंडिया जो दे रहा है। देखो, यह माल इंडिया का है। इंडिया के लोंगों के लिए है। इंडिया में ही खाया जा रहा है। यह हमारा इंडिया है। इसकी तरफ दूसरा आँख उठाएगा तो आँख फोड़ देंगे। हाथ उठाएगा तो हाथ तोड़ देंगे। लात उठाएगा तो लात तोड़ देंगे। यह हमारा इंडिया है, इस पर हम हाथ उठाएँ या टाँग उठाएँ, यह हमारा निजी मामला है। जातीय मामला भी है। हम अपने जातीय गौरव की गूदड़ी में दूसरे को नहीं घुसने देंगे। इसमें हमीं घुसेंगे और हम ही फाड़ेंगे। फाड़ने के लिए भी हम ही अधिकृत हैं।

Sikandar_Khan
03-12-2010, 09:22 AM
एस . आर बंधू
सूत्र मे योगदान के लिए हार्दिक आभार

Hamsafar+
03-12-2010, 09:24 AM
एस . आर बंधू
सूत्र मे योगदान के लिए हार्दिक आभार

बंधू सिकंदर ये तो मेरा काम है, बस टोपिक पसंद आना चाहिए ! सूत्र हेतु सुभकामनाये !

Sikandar_Khan
03-12-2010, 09:29 AM
भूतपूर्व नेता के यहां
अभूतपूर्व डिलीवरी
हिल गया खतरे का
निशान ।
डॉक्टर और नर्स
हैरान, परेशान ।
यानि कि भावी पहलवान
आने से पहले
अंगूठा दिखा रहा है ।
नेता की औलाद है
कुर्सी मंगा रहा है ।

Sikandar_Khan
03-12-2010, 05:40 PM
अपने लाडले बेटे के फेल हो जाने पर भी नेताश्री ने मिठाई वितरित की लोगों ने कहा यह भी खूब रही फेल हो जाने पर भी खुशी का उत्सव मनाया है ! नेताश्री बोले -- देखना यह होता है की बहुमत किसके साथ आया है १०० में से ४० पास और ६० फेल सीख गया बेटा राजनीती का खेल

Sikandar_Khan
05-12-2010, 07:48 AM
लंकादहन का हो रहा
था खेल ।
पहले हनुमान की पूंछ मे कपड़ा लपेटा गया
फिर डाला गया
मिट्टी का तेल ।
तेल की खुशबू पाते ही
तत्काल ।
हनुमान बने कलाकार को जाने क्या सूझी चाल।
मार दी वहीँ से उछाल। लपककर सीधा घर आया। सोये हुवे बच्चे
और पत्नी को जगाया।
और जोर से चिल्लाया
उठो, मैँ मिट्टी का तेल ले आया हूँ।
लंकादहन करने से
पहले ही चला आया हूँ
जल्दी से तेल निचोड़ लेना। पत्नी बोली
हो सके तो पूंछ यहीँ
छोड़ देना।

laddi
06-12-2010, 01:46 AM
जो जीता वोही सिकंदर

Sikandar_Khan
06-12-2010, 08:39 AM
जो जीता वोही सिकंदर

लड्डी जी
सूत्र भ्रमण के लिए
आपका हार्दिक आभार

Sikandar_Khan
06-12-2010, 09:07 AM
यहीँ से शुरू होती है
प्रवेश धन राशि ।
चपरासी से मिलते ही
अफसर से लेकर
बड़े बाबू ,
बड़े बाबू के हाथ मेँ
फाइल है काबू
फाइल तक थी कुंडली
खरी हो जाती है ।
जब आपकी धनराशि
चपरासी की राशि से
बड़ी हो जाती है ।

Bond007
06-12-2010, 09:30 AM
लगता आप भी कवियों की संगत में बैठने लगे|
बहुत ही मनोरंजक और चुभीले व्यंग्य हैं|

Sikandar_Khan
06-12-2010, 09:41 AM
लगता आप भी कवियों की संगत में बैठने लगे|
बहुत ही मनोरंजक और चुभीले व्यंग्य हैं|

बंधू
आपका हार्दिक धन्यवाद

Sikandar_Khan
06-12-2010, 02:07 PM
लिखना था हिंदी - दिवस लिख दया हिंदी बस ! हिंदी दिवस पखवाड़ा बनाम हिंदी के हिमायतिओं का अखाड़ा ! किसी ने धुल झाड़ी, किसी ने कुछ झाड़ा अर्थात हिंदी के नाम से मिला अनुदान सबने मिल -जुल कर पछाड़ा!

Sikandar_Khan
06-12-2010, 02:17 PM
पहेला अगल में दूसरा बगल में तीसरा कमर पर चौथा सिर पर पांचवां पेट में आने से पहेले वो हमारे पास आये बोले ,अब क्या करूँ ? हमने कहा, करने के लिए तुम्हारे पास बचा ही क्या है ? जीवन की गाडी में बच्चों को ढोना है ! जमाना हँसेगा तुमको रोना है !

Sikandar_Khan
08-12-2010, 10:16 AM
स्वर्गीय नेता की आत्मा की शांति के लिए पहले दो दलोँ मे जूतम पजार हुई तब कहीँ जाकर स्वर्गीय श्री की आदमकद मूर्ति बनकर तैयार हुई । जब मूर्ति का पूरी तरह से हो गया सत्यानाश , तब किया गया उसका शिलान्यास । एक दिन देखा उस मूर्ति की जैसे हजामत बढ़ी है । आवाज आई यह हजामत नही है भाई, यह तो एक मकड़ी है जो मूर्ति पर चढ़ी है। पूछा अब यह मकड़ी अपने जालोँ के साथ यहां से कब जाएगी ? आवाज आई जब देश मे इसकी रजतजयंती मनाई जाएगी।

bijipande
10-12-2010, 09:50 AM
बहुत ही अच्छे व्यंग है सिकंदर भाई

Sikandar_Khan
24-12-2010, 01:34 PM
नवेली दुल्हन की हो रही थी विदाई बार-बार रोने के लिए कर रही थी ट्राई बनावटी हिचकी ली पहली, तभी दुल्हन की माँ बोली, पगली, यहीँ रोने लगेगी, तो सारा मेक-अप धुल जाएगा तेरी सुंदरता का राज खुल जाएगा। सुनकर लड़की ने कहा, तब मैँ क्या करूँ माँ ? माँ बोली,अरी, तेरी अक्ल अभी तक खोटी है, रोएगा तेरा दुल्हा तू क्यो रोती है ?

Sikandar_Khan
17-01-2011, 06:38 PM
पहले गन्ने के खेत का मुआइना किया।
फिर नए कोल्हू का उद्घाटन किया। उद्घाटनकर्ता ने
भाषण दिया,
हमे इस कोल्हू के बैल से सबक लेना चाहिए
जो गन्नोँ को चुन-चुन कर लेता है
और हमेँ रस निकाल कर देता है।
तभी सामने बैठे
एक श्रोता ने चिल्लाकर कहा
हाँ पहले हम जिनको
चुनते हैँ
वही हमारा रस निकाल लेता है।
उद्घाटनकर्ता ने सफाई दी
ऐसा वे लोग कह रहे हैँ
जो हमारी प्रगति देखकर जल रहे हैँ।
तभी तो हम आंखोँ पर पट्टी बाँधे कोल्हू के बैल की तरह तुम्हारे पीछे चल रहे हैँ।

Sikandar_Khan
26-01-2011, 10:32 AM
तुम्हे कैसा पसन्द है पति ?
सहेली बोली करोड़पति ।
और एक दिन यह न्यूज अखबार की सुर्खियोँ मे आई
फिल्मी अभिनेत्री की हो गई करोड़पति से सगाई ।
बनते ही हसबैण्ड
बेचारे का बज गया बैँण्ड ।
घुमा दिया
लंदन , पेरिस , रंगून ।
लाखोँ का हनीमून ।

Sikandar_Khan
05-02-2011, 12:00 AM
आप मानें या न मानें पर हकीकत यही है
कि हमारी सरकार मुन्नी से 'खासा प्रभावित' हुई है।
मुन्नी की बदनामी को उसने गहराई से 'आत्मसात' कर लिया है।
एक तरफ दबंग में मुन्नी बदनाम हुई
और दूसरी तरफ महँगाई पर हमारी सरकार।
दोनों ही मामलों में 'बदनामी' मूल कारण रहा।
और मजा देखिए कि बदनाम होकर भी दोनों ने जनता के बीच बेहद 'नाम' कमाया।

Sikandar_Khan
05-02-2011, 12:13 AM
अखबार में रोज आर्थिक तंगी और महँगाई का
समाचार पढ़कर मैं कई दिनों से परेशान होता रहा।
एक दिन अपनी साइकिल में झोला लटकाए,
मैं दो किलो प्याज खरीद कर घर लौटा तो सभी ठगे से रह गए।
सब्जियाँ भी महँगी थीं, लेकिन उसकी कोई चर्चा नहीं हुई।
पत्नी तो एकबारगी चिल्लाकर बोली- 'क्या
भाव इतने गिर गए कि आप दो किलो ले आए?'

Sikandar_Khan
05-02-2011, 12:15 AM
ज्योतिषी जी देश और समाज के हालात से खिन्न थे।
वे युवक-युवतियों की आलोचना करने लगे
कि इन्हें न तो संस्कारों का लिहाज है
और न ही संबंधों का।
मैंने कहा- 'क्षमा कीजिए पंडितजी, सुना है
पत्नी से आपकी अनबन इतनी बढ़ी कि नौबत तलाक तक जा पहुँची है।
आप तो लोगों को उनका भविष्य बताते हैं
, लेकिन स्वयं आपके साथ क्या होगा, क्या आपको मालूम था?'

Sikandar_Khan
05-02-2011, 12:18 AM
भारतीय रुपए को नया चिह्न मिला।
इसके 'रु' में पहले का झुका हुआ 'उ' तनकर सीधा हो लिया।
हमने भी दुनिया जहान के सामने तनकर डॉलर का कॉलर पकड़कर कहा
'देखो दुनिया वालों, हमारी करेंसी के पास भी प्रतीक चिह्न है।'
वैसे इस रुपए की विशेषता ही यह है कि जिसकी अंटी में होता है,
वह तना-तना ही घूमता है।
सारी दुनिया को अपने ठेंगे पर रखता है।
आज 'कर्म प्रधान विश्व रचि राखा' की जगह पर 'वित्त प्रधान विश्व रचि राखा' का समय है।
पास में वित्त हो तो किसी को भी चित किया जा सकता है।
गाँठ में पैसे हों तो कुछ भी और किसी को भी खरीदा जा सकता है।

Sikandar_Khan
05-02-2011, 12:19 AM
मैं अपने बच्चे के साथ प्राणी संग्रहालय गया था।
सभी प्राणियों को पता होता है कि लोग उन्हें ही देखने आते हैं।
इस कारण सब अपने स्वभाव के अनुसार लोगों का मनोरंजन करने की कोशिश करते हैं।
मैं कई पिंजरों में घूमता हुए गेंडा महाशय के दरबार में पहुँचा।
आमतौर पर सिर उठाकर अपने विशाल कक्ष में घूमते
रहने वाले ये महाशय कहीं नजर नहीं आए।
काफी तलाश की। भालू से पूछा, बंदर से पूछा।
किसी को कोई जानकारी नहीं।
काफी कोशिश के बाद वे दिखाई दिए।

vipin_shukla24
05-02-2011, 01:25 AM
सिकंदर भाई बहुत तीखे और उम्दा व्यंग हैं आपके मित्र कृपया जारी रखें :):bravo::cheers:

Sikandar_Khan
05-02-2011, 01:38 AM
सिकंदर भाई बहुत तीखे और उम्दा व्यंग हैं आपके मित्र कृपया जारी रखें :):bravo::cheers:

विपिन भाई जी
सूत्र में आने के लिए आपका हार्दिक आभार
फोरम पर भी सक्रियता बनाये रखें

Bond007
05-02-2011, 04:18 AM
विपिन भाई जी
सूत्र में आने के लिए आपका हार्दिक आभार
फोरम पर भी सक्रियता बनाये रखें

जनाब ये सक्रियता तो रखते हैं मगर पोस्ट नहीं करते|:bang-head:

Sikandar_Khan
05-02-2011, 09:46 AM
जनाब ये सक्रियता तो रखते हैं मगर पोस्ट नहीं करते|:bang-head:


सही कह रहे हो भाई
लेकिन कुछ सदस्य गेम खेलने के चक्कर मे फोरम परिवार के सुख से वंचित रह जाते हैँ |

vipin_shukla24
05-02-2011, 04:43 PM
अरे नहीं बोंड भाई एवं सिकंदर भाई में गेम नहीं खेलता बस आप लोगों की प्रविष्टियाँ को पढ़ कर आनंद से विभोर हो उठता हूँ इसीलिए पोस्ट करने का ध्यान ही नहीं रहता खैर आप लोग इसी प्रकार उत्तम प्रस्तुतियां जारी रखिये :):bravo::cheers:

Sikandar_Khan
06-02-2011, 07:48 AM
लूट रहे जो देश को वे 'अपने' ही लोग
उनको भ्रष्टाचार का लगा भयानक रोग
लगा भयानक रोग डाक्टर सोग जताएं
किंतु कारगर दवा कभी वे नहीं बताएं
लाया कॉमनवेल्थ लाभप्रद मीठी गोली
दिव्यदृष्टि इसलिए छोड़ तू कड़वी बोली

Sikandar_Khan
13-02-2011, 09:17 AM
प्रिय, इस वेलेंटाइन डे पर मुझे क्षमा कर देना। इस बार मैं तुम्हें न तो ग्रीटिंग कार्ड भेज पाऊँगा और न कोई फूल। भगवान के लिए यह मत समझना कि तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम कम हो गया है। मेरा प्रेम तो कल भी अमर था, आज भी अमर है और कल भी अमर रहेगा। कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है कि तुम मेरी हीर हो और मैं तुम्हारा राँझा। पर मेरी हीर, दुख इस बात का है कि इस वेलेंटाइन डे पर तुम्हारा यह राँझा अपना पवित्र प्रेम सिद्ध करने में असमर्थ है।

Sikandar_Khan
13-02-2011, 09:20 AM
जब से देश में काले धन की चर्चा शुरू हुई है, मेरा मन बाग-बाग हो गया है। पूरा देश इस चर्चा में जुटा हुआ है और ऐसा लग रहा है कि मुझ जैसे गरीबों के दिन बस अब फिरने ही वाले हैं। कहते हैं कि विदेशों में देश का इतना पैसा जमा है कि उसके आते ही अचानक हर गरीब प्राणी अमीरों की तरह शान की जिंदगी जीने लगेगा। सरकार की भी बाँछें खिल जाएँगी।

Sikandar_Khan
15-02-2011, 01:42 PM
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने २४०० लोगों पर एक सर्वेक्षण किया और उसके नतीजों का खुलासा करके वही बातें दोहराई हैं जो हमारे बुजुर्ग पहले ही बतला गए हैं कि दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और रोगों को मानव शरीर के पास फटकने भी नहीं देता है।

परन्तु आज शहरों में खालिस दूध नहीं मिलता है। दूध और इनसे बने उत्पाद इतने ज़हरीले हो चुके हैं कि साँपों को भी शर्म आने लगी है कि हम से अधिक ज़हरीले लोग, नागफनी के काँटे क्या हैं, उनसे अधिक कंटीले लोग। वो लोग जो सिंथेटिक दूध का उत्पादन और व्यापार कर रहे हैं। वो लोग जो जानवरों की हड्डियों से देशी घी बना कर लाभ कमा रहे हैं। उनसे अधिक काँटे इनके सिवाय पब्लिक को और कौन चुभो रहा है?

इनका सेवन करके जब इंसान रोगी हो जाता है तो जो डॉक्टर इलाज के लिए मिलता है, वो फर्ज़ी डिग्रीधारी होता है। दवाई जो ख़रीद कर रोग से बचाव के लिए खानी होती है वो नकली होती है। कब तक और कहाँ तक बचेगा इंसान तू। बचने का उपक्रम मत कर।

उनसे बच गया तो इनसे कैसे बचेगा जो ब्लू लाईन ड्राइवरों का रूप धर कर दिल्ली की धरा पर उतर आए हैं। सड़कों पर यमराज ने और उनके दूतों ने उतर कर मनमानी मचा रखी है। जो बस यात्रियों को विवश, पैदल को खून से लथपथ, कार वालों को शरीर से बेकार, साईकिल वालों को चक्करघिन्नी की तरह घुमा रहे हैं और पब्लिक से पिटने पर भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं।

मौत का खूनी खेल सड़कों पर बदस्तूर जारी रहा तो लोग बीमारी से नहीं मरेंगे, बेरोज़गार ढूँढे नहीं मिलेंगे, बुढ़ापा नहीं सताएगा? आज के बच्चे कल के नेता जिन्हें ये ढूँढ-ढूँढ कर, पैदल या वैन में टक्कर मार-मार कर श्मशान पहुँचा रहे हैं। सबका यही हश्र होना है।

इनसे आजिज़ आकर अखबार वाले मंगल को अमंगलकारी मानने को मजबूर होकर कह रहे हैं कि गति और क्रोध के ब्रेक फेल हो चुके हैं। यही आज की भयावह सच्चाई है। पब्लिक के दिल पत्थर के हो चुके हैं और दिमाग कुंद। वही पब्लिक जिसे अपनी और अपने परिवार की जान से अधिक किसी की परवाह नहीं रही।

एक ज़िंदा हिन्दू आदमी जितना नुकसान अपने समूचे जीवन काल में पर्यावरण को नहीं पहुँचा पाता, उससे अधिक नुकसान तो वो मरने के बाद पहुँचा देता है क्योंकि हिंदू रीति रिवाज के तहत जब उसे जलाया जाता तो जलाने में व्यर्थ हुई लकड़ी और जलने पर बनने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस - दोनों ही पर्यावरण के घोर शत्रु हैं। जो खाक बचती है वो नदियों में बहा दी जाती है - लिहाज़ा तीनों ही स्थितियाँ खतरनाक हैं।

अब तो खाक होने के लिए भी कई विकल्पों के दरवाज़े खुले हुए हैं। जबकि नकली लकड़ी की खोज अभी तक वैज्ञानिक नहीं कर पाए हैं पर असली लकड़ी में मिलाने के लिए जानवरों की हडि्डयों वाला देशी घी देश में बड़े पैमाने पर बनाया जा रहा है। इन दोनों को ही खरीदने पर असली नोट लगेंगे। मन की आँखें खोल रे बंदे। पर्यावरण को और ज़हरीला मत बना।

अपने नेत्रदान करता जा, किसी की आँखों का उजाला बन और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी अपनाकर कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) से अपना अंतिम सफ़र पूरा कर। सीएनजी जीवन के इस हाईवे पर अधिक माईलेज देती है। इसी से सच्ची मुक्ति मिलेगी। कम मात्रा और खर्चे में तुझे सुपुर्दे खाक कर देगी। तेरा समय तो पूरा हो चुका है। तेरा मेला पीछे छूटा राही, चल अकेला। हज़ारों मील लंबे रास्ते तुझको बुलाते।

मैं इतना तो जानता हूँ कि जीते जी हम जल पाना चाहते हैं और मरने के बाद जल जाना चाहते हैं। हवा तो हमें जीते जी भी चाहिए और मरने पर भी, हम तभी जलेंगे जब खूब सारी ऑक्सीजन सींच लेंगे।

अब दाह संस्कार के लिए भी जगह कम पड़ रही है। सूत्रों के मुताबिक यह सब चढ़ते पारे का कमाल है जिसने मशान घाट को शवों के जंगल में तब्दील कर दिया है। मरने में चौगुनी प्रगति जारी है। मशान घाट का इंडेक्स तेजड़ियों की चपेट में है। यह तो राजधानी का हाल है। वैसे भी राजधानी के मसले ही सुर्खियों में रहते हैं। अब वो भारत की राजधानी हो या उत्तर प्रदेश की। स्थितियाँ परिस्थितियाँ कमोवेश एक जैसी ही हैं।

sagar -
16-02-2011, 09:25 AM
जब से देश में काले धन की चर्चा शुरू हुई है, मेरा मन बाग-बाग हो गया है। पूरा देश इस चर्चा में जुटा हुआ है और ऐसा लग रहा है कि मुझ जैसे गरीबों के दिन बस अब फिरने ही वाले हैं। कहते हैं कि विदेशों में देश का इतना पैसा जमा है कि उसके आते ही अचानक हर गरीब प्राणी अमीरों की तरह शान की जिंदगी जीने लगेगा। सरकार की भी बाँछें खिल जाएँगी।
काश ऐसा हो जाये मित्र लेकिन लगता नही की ऐसा हो पायेगा क्यू की सरकार ऐसा करेगी तो वो खुद फसती नजर आती हे ! :bang-head:

ndhebar
11-03-2011, 01:18 PM
सब्जी वाले से मुलाकात
मैंने सब्जी वाले से कहा,
"जनाब , अगर तुम्हारी सब्जी हुई ख़राब ,
तो वापस लाऊंगा मेरे भाई , और दे जाऊंगा पकी पकाई ."

सब्जी वाला बोला , " जरूर आना मेरे भाई ,
दो चार रोटी भी साथ लेते आना ."

ndhebar
11-03-2011, 01:21 PM
राम के युग में दो राक्षस थे , खर और दूषण

आज के युग का सबसे बड़ा राक्षस है प्रदुषण

उनको तो मारा था श्री राम ने और किया था उद्धार,

इसको मार सके कोई उसने लिया नहीं अभी अवतार

sagar -
11-03-2011, 01:58 PM
सब्जी वाले से मुलाकात
मैंने सब्जी वाले से कहा,
"जनाब , अगर तुम्हारी सब्जी हुई ख़राब ,
तो वापस लाऊंगा मेरे भाई , और दे जाऊंगा पकी पकाई ."

सब्जी वाला बोला , " जरूर आना मेरे भाई ,
दो चार रोटी भी साथ लेते आना ."



http://content.sweetim.com/sim/cpie/emoticons/00020468.gif (http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=10)वाह वाह इस महगाई में तो वो रोज ऐसे कस्टमर चाहेगा




(http://www.sweetim.com/s.asp?im=gen&lpver=3&ref=12)

Sikandar_Khan
11-03-2011, 10:55 PM
सेल की दुकान देखते-देखते एक आदमी नरक के दरवाजे तक चला आया। जैसे ही यमराज पर उसकी नजर पड़ी, वह घबराकर चिल्लाया, हे महाराज! अभी तो मेरा टाइम ही नहीं आया। न मैं बीमार हुआ, न सीने में दर्द उठा, फिर आपने मुझे इतनी जल्दी क्यों बुलाया? यमराज थोड़ा मुसकराकर बोला, बालक, यह तो सेल का कमाल है। हमने तुझे यहां नहीं बुलाया। तू तो खुद-ब-खुद चला आया। धरती पर हमने नाइंटीन पर्सेंट ऑफ का जो बोर्ड लगाया है, तू उसे देखते-देखते यहां तक चला आया।

वह आदमी गिड़गिड़ाते हुए बोला, पर हुजूर, नरक तो यातनागृह है। यहां कैसा ऑफर? किस बात का डिस्काउंट? यहां तो वे लोग आते हैं, जो धरती पर पाप कमाते हैं। यमराज झल्लाकर बोला-मिस्टर मानव, हमें क्या मूर्ख समझ रखा है? खुद धरती पर तू दिन-रात नए-नए चमत्कार कर रहा है। फल, सब्जियां ही नहीं, तूने परखनली शिशु का भी निर्माण किया है। कहीं किसी रोज अमरत्व का टीका भी बना डाला, तो कोई मरेगा ही नहीं। धीरे-धीरे हमारे सारे कार्य तू ही कर लेगा, तो हमें कौन पूछेगा? इसलिए हमने नरक में धरती से भी अधिक सुख-सुविधाएं मुहैया कराने का प्लान बनाया है।

आदमी यह सब सुनकर चकराया, महाराज, अपने ऑफर के बारे में विस्तार से बताइए, ताकि मैं कुछ फैसला ले सकूं। यमराज ने तुरंत एक पेंपलेट निकाला और कहा- धरती पर यह बंटवा देना। जो पहले नरक में आएगा, स्पेशल डिस्काउंट पाएगा। आदमी खुश होकर बोला- महाराज, सुना है, नरक में चोर-उचक्के ही आते हैं। मैं तो शरीफ आदमी हूं। क्या आपने शरीफों के लिए भी अलग से कुछ व्यवस्था की है?

यमराज गुस्साते हुए बोला, धरती पर जिन चोर, उचक्कों और अपराधियों को मुंह काला कर गधे पर बिठाकर शहर भर में घुमाना चाहिए था, उनको तुमने मीडिया में सुर्खियां बना दिया। आज वे टीवी पर किस्मत आजमा रहे हैं और सेलिब्रिटी कहला रहे हैं। धरती पर जब ऐसे लोगों को सम्मान मिलेगा, तो बताओ नरक में कौन आना चाहेगा? हमारी प्रतिष्ठा का सवाल है भैया। हमने भी सोच-समझकर यह ऑफर दिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग नरक में आएं और नरक को भी धरती जैसा पाएं। बूढ़े हों या जवान, एक के साथ एक फ्री आ सकते हैं, रूम विद एयरकंडिशन पा सकते हैं। धरती की जेलों जैसा ही रहेगा नरक का वातावरण। मोबाइल-इंटरनेट सभी सुविधाएं हैं यहां। तुम पहले व्यक्ति हो। यदि धरती से और लोगों को भी लाओगे, तो स्पेशल डिस्काउंट के साथ-साथ उच्च पद पाओगे।
आदमी खुशी से झूम उठा। फटाफट फार्म भरके स्पेशल डिस्काउंट पा गया और पूरे परिवार सहित सीधे नरक में आ गया।

Sikandar_Khan
20-03-2011, 05:16 PM
प्रस्तुत उत्तेजक गीत हिन्दी फिल्म जगत की सुपरहिट कृति और सर्वप्रिय चलचित्र 'दबंग' से लिया गया है. इसकी पंक्तियाँ एक नर्तकी की सामान्य जीवन से बदनाम जीवन तक की रोचक यात्रा का बड़ा ही मनभावन चित्रण करती हैं. नर्तकी अपने प्रेमी को अपनी इस दशा का कारण बताती है और अपने आस-पास शराबी पुरुष-मित्रों को अपनी व्यथा सुनाती है


Munni badnaam hui, darling tere liye - 3 times
Munni ke gaal gulabi, nain sharabi, chaal nawabi re
Le zandu balm hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye
Munni ke gaal gulabi, nain sharabi, chaal nawabi re
Le zandu balm hui, darling tere liye - 2 times
Munni badnaam hui, darling tere liye - 2 times

'मुन्नी बदनाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए' - पहली पंक्ति बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. हमारे कई बुद्धिजीवी मित्र इसे एक छिछोरे गीत की एक भोंडी पंक्ति कहकर इसका तिरस्कार करना चाहेंगे. परन्तु वो यह भूल रहे हैं कि इस छोटी पंक्ति में मुन्नी के मनोविज्ञान का सार-तत्त्व छुपा है, श्रोता अगर ध्यान दें तो पायेंगे कि मुन्नी अपनी बदनामी से बिलकुल भी दुखी नहीं है. अब ज़ाहिर बात है कि कोई भी स्त्री अपना दुःख छोटे कपडे़ पहनकर और दर्जनों शराबी मित्रों के साथ नाचकर व्यक्त नहीं करेगी. दरअसल मुन्नी अपनी बदनामी का उत्सव मना रही है. पर अपनी बदनामी का उत्तरदायित्त्व अपने प्रेमी अर्थात डार्लिंग पर मढ़ रही है.


'मुन्नी के गाल गुलाबी, नैन शराबी, चाल नवाबी रे' --

अब मुन्नी अपनी शारीरिक दशा का चित्रण करती है. 'मुन्नी के गाल गुलाबी' - ध्यान रहे उसके गाल बदनामी से आई शर्म से गुलाबी नहीं हो रहे. यह तो गर्व और आत्म-सम्मान की प्रचुरता से ऐसा रंग दिखा रहे हैं. 'नैन शराबी' - बदनामी से मिल रही लोकप्रियता से उसकी आँखों में अहंकार का नशा आ गया है. 'चाल नवाबी' - अब स्पष्ट है कि चलने-फिरने में राजाओं जैसी शान तो आ ही जायेगी जब दर्जनों प्रेमी प्रेम की अभिलाषा लिए चारों ओर स्वामिभक्त कुत्तों की तरह चक्कर लगा रहे हों.


''ले झंडू बाम हुई, डार्लिंग तेरे लिए' -

फिर से एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पंक्ति. हमारे मार्केटिंग और सेल्स प्रोमोशन के मित्र इस पंक्ति को यह कहकर खारिज करेंगे कि मुन्नी सिरदर्द की औषधि का विज्ञापन कर रही है. पर हम यदि इस वाक्य की गहराई में जायेंगे तो समझेंगे कि मुन्नी कुछ और ही कहना चाह रही है. हम सभी जानते हैं कि झंडू बाम से सिरदर्द दूर नहीं भागता. दरअसल बाम हमारी त्वचा पर इतनी तीव्र संवेदना उत्पन्न करता है कि हमें सिरदर्द का अहसास नहीं होता. ठीक इसी तरह मुन्नी का यौवन मर्दों के दिलों में इतनी तीव्र वासना उत्पन्न करता है कि वो घर-परिवार, बीवी, बच्चे, नौकरी आदि सभी के प्रति जिम्मेवारी भूल जाते हैं.


Shilpa sa figure Bebo si adaa, Bebo si adaa
Shilpa sa figure Bebo si adaa, Bebo si adaa
Hai mere jhatke mein filmi mazaa re filmi mazaa

आगे की पंक्तियों में मुन्नी पर बौलीवुड की देवियों का प्रभाव स्पष्ट झलकता है. वह अपनी शारीरिक संरचना और अदाओं की तुलना शिल्पा और बेबो से करती है. शायद वो बचपन में एक सिने तारिका बनने का स्वप्न देखती थी. पर किस्मत ने उसे उत्तर प्रदेश की एक बदनाम गली में शराबियों के साथ नाचने को मजबूर कर दिया. यही फर्क होता है पांच सितारा होटल में नाचने और एक छोटे कसबे में नाचने का. पहली को सम्मान मिलता है तो दूसरी होती है बदनाम.

Haye tu na jaane mere nakhre ve
Haye tu na jaane mere nakhre ve laakhon rupaiya udaa
Ve main taksaal hui, darling tere liye
Cinema hall hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye - 2times

तत्पश्चात मुन्नी अपनी बदनामी का आर्थिक प्रभाव बतलाती है. वो बोलती है कि वो टकसाल हो गयी है, सिनेमा हॉल हो गयी है. उसके नखरों के कारण लोग उस पर लाखों रुपये उडा़ रहे है. यह पंक्तियाँ हमें उन त्यागी पुरुषों की याद दिलाती हैं, जिन्होंने सुन्दर स्त्रियों पर पूरी संपत्ति का बलिदान कर दिया. पर बदले में एक मुस्कान या 'सिर्फ दोस्त' के खिताब के अलावा कुछ और नहीं पाया. धन्य है यह सृष्टि और इसका पुरुषों पर क्रूर मजा़क.


O munni re, o munni re
Tera gali gali mein charcha re
Hai jama ishq da ishq da parcha re
Jama ishq da ishq da parcha re
O munni re

अब हमारे शराबी पुरुष अपनी बात रखते हैं. वो मुन्नी की इज्ज़त अफजाई में उसका नाम कई बार पुकारते हैं और कहते हैं उसका नाम हर जुबां पर है. सोचते हैं यह सुनकर मुन्नी खुश हो जायेगी और उनकी तरक्की 'प्रशंसक' से 'बॉयफ्रेंड' तक कर देगी. फिर वो भरे हुए गले से अपील करते हैं कि उन्होंने मुन्नी के प्रेम के लिए अपना आवेदन पत्र डाल रखा है. कितने भोले हैं वो! उन्हें नही पता कि उनकी किस्मत में कतार में खड़ा होना ही लिखा है.

Kaise anaari se paala pada ji paala pada
Ho kaise anaari se paala pada ji paala pada
Bina rupaiye ke aake khada mere peechay pada
Popat na jaane mere peechay woh Saifu
(haye haye maar hi daalogi kya)
Popat na jaane mere peechay Saifu se leke Lambhu khada

अब मुन्नी उन पुरुषों का मजा़क उड़ाती है जो बिना पैसों के उसे पाने की इच्छा रखते हैं. मुन्नी के व्यक्तित्व का क्रूर पक्ष सामने आता है. वो मानती है कि गरीब पुरुष को वासना का अधिकार नहीं है. सच है, जब नारी का मन कठोर हो जाता है तो उसकी कोई सीमा नहीं होती.


Item yeh aam hui, darling tere liye
Item yeh aam hui, darling tere liye
Munni badnaam hui, darling tere liye

इसके बाद मुन्नी फिर से आत्म-चिंतन करने लगती है. वह बोलती है कि उसकी हालत सार्वजनिक संपत्ति जैसी हो गयी है. एक पल पहले वो अहंकार से भरकर गरीब की वासना का मजाक उडा़ रही थी. एक पल बाद अपनी हालत पर विचार रही है. बडा़ ही गतिशील मन है उसका.

Hai tujh mein poori botal ka nasha, botal ka nasha
Hai tujh mein poori botal ka nasha, botal ka nasha

अब मर्द पुनः मुन्नी की प्रशंसा में जुट जाते हैं. सफलता की चाह में मनुष्य प्रयत्न करता ही जाता है. वो कहते हैं मुन्नी में पूरी बोतल का नशा .

Bond007
21-03-2011, 01:25 AM
...पंक्तियाँ एक नर्तकी की सामान्य जीवन से बदनाम जीवन तक की रोचक यात्रा का बड़ा ही मनभावन चित्रण करती हैं. नर्तकी अपने प्रेमी को अपनी इस दशा का कारण बताती है और अपने आस-पास शराबी पुरुष-मित्रों को अपनी व्यथा सुनाती है


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कोई भी स्त्री अपना दुःख छोटे कपडे़ पहनकर और दर्जनों शराबी मित्रों के साथ नाचकर व्यक्त नहीं करेगी....


...उसके गाल बदनामी से आई शर्म से गुलाबी नहीं हो रहे. यह तो गर्व और आत्म-सम्मान की प्रचुरता से ऐसा रंग दिखा रहे हैं. 'नैन शराबी' - बदनामी से मिल रही लोकप्रियता से उसकी आँखों में अहंकार का नशा आ गया है.....
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....मुन्नी का यौवन मर्दों के दिलों में इतनी तीव्र वासना उत्पन्न करता है कि वो घर-परिवार, बीवी, बच्चे, नौकरी आदि सभी के प्रति जिम्मेवारी भूल जाते हैं.
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...मुन्नी पर बौलीवुड की देवियों का प्रभाव स्पष्ट झलकता है. ...शायद वो बचपन में एक सिने तारिका बनने का स्वप्न देखती थी. पर किस्मत ने उसे उत्तर प्रदेश की एक बदनाम गली में शराबियों के साथ नाचने को मजबूर कर दिया. यही फर्क होता है पांच सितारा होटल में नाचने और एक छोटे कसबे में नाचने का. पहली को सम्मान मिलता है तो दूसरी होती है बदनाम.
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...बदले में एक मुस्कान या 'सिर्फ दोस्त' के खिताब के अलावा कुछ और नहीं पाया. धन्य है यह सृष्टि और इसका पुरुषों पर क्रूर मजा़क.

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...उन्हें नही पता कि उनकी किस्मत में कतार में खड़ा होना ही लिखा है.

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...जब नारी का मन कठोर हो जाता है तो उसकी कोई सीमा नहीं होती.
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...बडा़ ही गतिशील मन है उसका.
:clap: :clap:
सिकंदर जी गाने की बहुत उत्तम व्याख्या है| नारी के कई मनोभावों का दर्शाती हुई व्याख्या, सकारत्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह के मतलब निकले जा सकते हैं|

Ranveer
22-03-2011, 10:02 PM
ओ तेरी .....इ का ..
मार डाला सिकंदर बाबा ने ..
अब ज़रा " टिंकू जिया " पर भी नज़र डालें

Harshita Sharma
24-03-2011, 02:54 PM
प्रस्तुत उत्तेजक गीत ......

..Munni badnaam hui, darling tere liye -
पहले से ही बदनाम है और बदनाम करने की जरूरत पड़ गई थी.:elephant:

ndhebar
25-03-2011, 12:11 PM
झा बाबू B.Tech

कॉलेज का ये घटनाक्रम शुरु हुआ कुछ इस प्रकार से,
दिल्ली आये B.Tech करने झा बाबू बिहार से|

थोडा मुश्किल से पहुंचे पर college पहली नज़र में भा गया ,
अब तो लेना ही था एड्मीसन आखिर दिल जो इस पर आ गया|

हक्के-बक्के खडे रह गए, क्या दे अब प्रतिउत्तर,
कुछ इस अदा से recepsionist ने बोला था “welcome sir”|

उस नव-युवती से अंग्रेजी वार्ता में दिखे बड़े बेहाल से,
क्या करते बाल-ब्रह्मचारी थे पिछले पच्चीस साल से|

college के पहले दिन के अंजाम से अंजान थे ,
मूछों पर ताव था और दिल में बड़े अरमान थे|

रैगिंग में कब सीनियर्स ने जूनियर्स को माफ़ किया ,
पहले बालों को हाफ, फिर मूछों को साफ किया |

सजा मिली की जा के उस लड़की से प्यार का इजहार करो,
जब तक ‘हाँ’ न कह दे तब तक ये बरं-बार करो |

पाव तले जमीं खिसक गयी पसीने से नहा गए,
सुरसा सी कन्या देख यमदूत भी याद आगये |

सीनियर्स के खूब हड़काने पर झा ने अपना वार किया ,
डरते-डरते पास गए, बड़ी मुश्किल से इजहार किया |

प्रति-उत्तर जानने को जब गौर से उसका चेहरा देखा,
मुस्कुराहट देख के सोचे “प्रबल है आज किस्मत की रेखा”|

खुली आँखों से पल भर में सैकडों ख्वाब देख डाले,
“लगता है ठीक से समझे नहीं मुझे अभी सीनियर्स साले” |

तभी उनके ख्वाबो पर अचानक वज्रापात हुआ,
४४० के झटके का, गालों को आभास हुआ |

“I am your senior, तुमने ये कहा कैसे”,
झा बाबू बोले पमोलियन कुत्ता पु-पुवाये जैसे.|

मार ninghti(90) – मार ninghti, 180 को पार किया ,
तब जा के बाला ने झा बाबू को माफ़ किया |

झा जी का पहला साल बस ऐसे ही गुजरा था ,
किसी ने बनवाया मुर्गा तो कोई करवाया मुजरा था|

class में भी हर रोज होता नया कमाल था ,
बस ऐसे ही झा जी का गुजरा पहला साल था|

… क्रमश:

VIDROHI NAYAK
25-03-2011, 01:13 PM
जंगल का राजा शेर बहुत ही समतावादी और समन्वयवादी था अत: उसने मंत्रिमंडल में हर प्रकार के जानवरों को शामिल करने का निर्णय ले लिया. इस तरह के प्रतिनिधि जोडे जा रहे थे तो गधे के बारे में महामंत्री भालू ने बडी आपत्ति की. उसका कहना था कि गधे के कारण महाराजाधिराज को फायदा होने के बदले वे कभी भी फंस सकते हैं, लेकिन आपत्ति अनसुनी कर शेर ने गधे को शामिल कर लिया.

शेर अपनी सास से बहुत चिढता था और इस कारण मंत्रिमंडल के सदस्यों के सामने वह सासू मां की बुराई में भद्दी से भद्दी टिप्पणियां और चुटकुले सुनाया करता था. लेकिन मामला एकदम रहस्य रहता था. यहां तक कि शेरनी को भी इसका गुमान तक न था.

कुछ दिन के बाद शेर की सास उनके घर पधारी, लेकिन अगले ही दिन वे गुजर गईं. अपनी पत्नी और उसके घरवालों को बेवकूफ बनाने के लिये शेर ने सात दिन के राजकीय शोक और उसके बाद एक महाशोकसभा की घोषणा कर दी. सारी दुनियां से भांड बुलवाये गये और महाशोकसभा में उन लोगों ने सासू मां के बारे में एक से एक रचनायें पढीं. अंत में राजाधिराज ने बडे ही शोकाकुल होकर रोते रोते सासूमां के बारे में भांडश्रेष्ठ द्वारा रची एक कविता का पठन चालू किया. सारा जंगल उसे सुन कर रो पडा.

अचानक जोर जोर से हंसने की आवाज सुनाई. हा, हा हा!! राजाधिराज एकदम गुर्राये, “कौन है वह गधा जो इस शोकसभा में हंसने की जुर्रत कर रहा है”. महामंत्री ने सूचित किया कि यह गर्दभमंत्री का ही कार्य है. राजाधिराज ने गर्दभराज को सब के सामने खडा करवा कर उसे अपनी सासू जी की दिवंगत आत्मा के अपमान के लिये मृत्युदंड की आज्ञा दी.

सारी भीड के सामने गधे से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई. सारी भीड के सुनते सुनते वह बोला, “जहांपनाह, पिछले महीने आप ने अपनी सास के बारें में जो छ: भद्दे चुटकुले समझाये थे और जो दस भद्दी गालियां दी थीं उनमें से पहला चुटकुला और पहली गाली का मतलब अभी अभी समझ में आया और इस कारण हंसी नहीं रोक पाया था. गुजारिश है कि मुझे इतना समय और दिया जाये कि मौत के वरण के पहले आप के द्वारा आपकी सासूमां के बारे में सुनाये गये बाकी भद्दे चुटकुलों और गालियों का मतलब मैं समझ सकूँ”.

ndhebar
25-03-2011, 03:22 PM
वाह वाह
अब तनिक टाइम हमें भी लगेगा, आपके इस व्यंग को समझने में :think:
फिर हम भी हंस लेंगे :cheers::cheers:

Sikandar_Khan
27-03-2011, 05:48 PM
बॉलीवुड के अनेकों सितारों में से एक सितारा ऐसा भी है जिसका मुक्का ढाई किलो का है. जी हां, यहां बात यमला, पगला, दीवाना के पागल सन्नी देओल की हो रही है, जिनके नाम से बॉलीवुड के गुंडे ही नहीं बल्कि बहुत से लोग डरते हैं.

वह जब गड्डी लेकर निकलते हैं तो अच्छे-अच्छे उनका रास्ता छोड़ देते हैं. सन्नी का प्यार भी अनोखा है. उसकी तारीफें भी तोप के गोले से कम नहीं होतीं. शायरी का अंदाज तो मियां ऐसा कि पापा धर्मेन्द्र भी शर्मा जाएं. उनकी महबूबा ने आज सुरमा क्या लगा लिया सन्नी ने तो अपनी हसीना की आँखों के खिलाफ फतवा ए शायरी ही सुना दी .



“नूर ही नूर हैं तेरी आँखें,
बड़ी मगरूर हैं तेरी आँखें
आँखे निकाल कर गोली नहीं खेलूंगा
ये तारीफ कर रहा हूँ ये मेरी स्टाइल है
मेरे सिवा किसी और पर डाली आँखें तो निकाल दूँगा तेरी आँखें.”

Bhuwan
27-03-2011, 05:52 PM
बॉलीवुड के अनेकों सितारों में से एक सितारा ऐसा भी है जिसका मुक्का ढाई किलो का है. जी हां, यहां बात यमला, पगला, दीवाना के पागल सन्नी देओल की हो रही है, जिनके नाम से बॉलीवुड के गुंडे ही नहीं बल्कि बहुत से लोग डरते हैं.

वह जब गड्डी लेकर निकलते हैं तो अच्छे-अच्छे उनका रास्ता छोड़ देते हैं. सन्नी का प्यार भी अनोखा है. उसकी तारीफें भी तोप के गोले से कम नहीं होतीं. शायरी का अंदाज तो मियां ऐसा कि पापा धर्मेन्द्र भी शर्मा जाएं. उनकी महबूबा ने आज सुरमा क्या लगा लिया सन्नी ने तो अपनी हसीना की आँखों के खिलाफ फतवा ए शायरी ही सुना दी .



“नूर ही नूर हैं तेरी आँखें,
बड़ी मगरूर हैं तेरी आँखें
आँखे निकाल कर गोली नहीं खेलूंगा
ये तारीफ कर रहा हूँ ये मेरी स्टाइल है
मेरे सिवा किसी और पर डाली आँखें तो निकाल दूँगा तेरी आँखें.”

:lol: :lol: :rolling:
वाह सिकंदर भाई, आज तो सन्नी की बजा डाली.:tomato::tomato::tomato:

Sikandar_Khan
27-03-2011, 06:04 PM
:lol: :lol: :rolling:
वाह सिकंदर भाई, आज तो सन्नी की बजा डाली.:tomato::tomato::tomato:


भूवन जी
आपका बहुत बहुत शुक्रिया
बजाने की चीज है तो बजाई ही जाएगी

Sikandar_Khan
28-03-2011, 12:07 AM
मेरी जान कहां छुपी हो तुम. देख तेरा मजनू तेरे दीदार को तरस रहा है, तेरे बाप का गुस्सा मुझ पर बरस रहा है. भूल गयी तू वह माखनलाल के समोसे जो मैंने तुझे अपनी पहली डेट पर खिलाए थे. तुझे मिलने मैं नंगे पांव दौड़ पड़ता था. रात को जब तू मिस कॉल करती तो मैं तुझे कॉल करता था. रोज़ 100 रुपये का रीचार्ज भराता था और अपनी नींद खराब करता था. भूल गयी वह दिन जब फिल्म दिखाने मैं तुझे सपना सिनेमा ले गया था. तेरा तो रखता था ख्याल तेरी सहेलियों का भी बोझ ढोता था.

कहां है तू मुझको बता दे अगर एसएमएस नहीं करती तो मिस कॉल ही मार दे.

Sikandar_Khan
01-04-2011, 05:56 PM
शहर की मुख्य सब्जी मंडी से निकलकर मेन रोड पर खरामा-खरामा चलती गौरी गाय सामने ‘केट-वॉक’ करती शन्नो गाय को देखकर यातायात तिराहे पर छतरी के भग्नावशेष पर ठहर गई। दो गायों के ऐन तिराहे पर रुकने से यातायात प्रबंधन स्वचालित हो गया, जिसका फायदा उठाकर वहां तैनात पुलिस जवान जनेऊ कान पर लपेटता प्राकृतिक वेग शांत करने पतली गली में घुस गया।

‘‘अरे कहां जा रही हो माई बेस्ट फ्रेंड।’’ शन्नो ने पूछा।
‘‘मैं तो तुझे ही ढूंढ रही थी। ले मूली खा।’’ कहकर गौरी ने सब्जी मंडी से झपटी मुंह में दबाई मूली को शन्नो के आगे कर दिया।
‘‘वाह…कितनी टेस्टी है। तुझे ताजे-बासी की खूब पहचान है।’’ शन्नो मूली खाते हुए बोली। फिर दोनों वहीं खड़ी हो कर बातें करने लगीं। गायों को देखकर कल्लू सांड ने आवाज लगाई–‘‘हाय गायस…क्या कर रही हो।’’

‘‘हैलो!’’ दोनों बोलीं, ‘‘आज चौक में गंगू बैल पान की दुकान पर टी.वी. देख रही थी तब न्यूज में मालूम पड़ा कि ‘मिस पालनपुर’ आ रही हैं। इसलिए हम बड़े चौक जा रहे हैं।’’
‘‘यह मिस पालनपुर कौन है?’’ पास खड़े राजपाल बैल ने पूछा।

‘‘रोज तो कई बार टी.वी. पर आ रहा है कि ‘बिग बी’ की गाय ‘राधा’ ने ‘मिस पालनपुर’ का ताज पहना है। अब यह मत पूछ बैठना कि ‘बिग बी’ कौन हैं।’’ शन्नो व्यंग्य से हँसते हुए बोली।
सभी चौक की तरफ चल पड़े। चूंकि यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई थी इसलिए चौपाया प्रजाति के सभी पशु चौक की तरफ सच्चाई जानने आ रहे थे।

मुख्य चौक पर भीड़ बढ़ती देख कर ट्रैफिक जवानों ने बुद्धिमत्तापूर्वक निर्णय लेते हुए ट्रैफिक को पतली गली में से निकालना शुरू कर दिया। एक-दो अनुभवहीन जवानों ने जब लीक से हटकर ‘दुस्साहस’ करते हुए उन्हें भागने की कोशिश की तो कल्लू ने रौद्र रूप दिखाते हुए उन्हें छठी का दूध याद दिला दिया। बेचारों ने दुकानों के अंदर शरण लेकर जैसे-तैसे जान बचाई। यह देखकर कई कमसिन गायों के मुंह से निकल पड़ा–‘‘हाय, क्या गबरू जवान है…बिलकुल सल्लू जैसा…।’’

चौक पर शन्नो ने नंदिनी मौसी से पूछा–‘‘क्या करने आ रही है मिस पालनपुर?’’
‘‘वही जो हर मिस वर्ल्ड करती है। एड्स के प्रति जागरुकता पैदा करने, एड्स पीड़ितों से मिलने, एड्स से लड़ने के हथियार बिंदास बोल का प्रचार…आदि।’’ नंदिनी बोली–‘‘मालूम पड़ा है कि ‘मिस पालनपुर’ दोपहर को एरोड्रम आ रही है। वहां से सीधे नए शॉपिंग मॉल में कार्यक्रम स्थल पर जाएगी। फिर शाम को वापस एरोड्रम।’’

‘‘तब तो हमें एरोड्रम और कार्यक्रम स्थल दोनों जगह अपना प्रतिनिधि मंडल भेज कर उन्हें बताना चाहिए हम भी उनका सम्मान करना चाहते हैं।’’ गौरी बोली।
‘‘पर इससे हमें क्या फायदा होगा।’’ धन्नो भैंस बोली।
‘‘अरे बुद्धू। इससे लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को यह संदेश जाएगा कि हमारी पहुंच ऊपर तक है। अभी तो वह हमें आवारा पशु से ज्यादा कुछ नहीं समझता।’’ गौरी ने समझाया।

बहरहाल काफी हॉट डिस्कशन के बाद प्रतिनिधि मंडल चुना गया। जो नियत तिथि पर एरोड्रम और शॉपिंग मॉल चल पड़े। एरोड्रम पर क्रीमीलेयर की गायों का झुंड पहले से ही मौजूद था। प्रतिनिधिमंडल ने मिस पालनपुर से एरोड्रम और शॉपिंग मॉल में मिलने की बहुत कोशिश की पर कोई सफलता हाथ न लगी।

उधर चौक पर स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई थीं। स्वागत मंच, हार-फूल, तोहफा, यादगार चिह्न, खाद्य पदार्थ…पर उपस्थित चौपायों को जब यह खबर लगी कि मिस पालनपुर नहीं आ रही हैं सब ठंडे पड़ गए। वे सब मिलकर मिस पालनपुर और क्रीमीलेयर को कोसने लगे।

अचानक एक दृश्य को देखकर सभी की आंखे फटी की फटी रह गईं। दृश्य ही कुछ ऐसा था। दरअसल सामने से मिस पालनपुर कल्लू सांड के साथ चली आ रही थी। उसके पास आते ही भगदड़ मच गई। हर कोई मिस पालनपुर की एक झलक पाने को उतावला हो उठा।
‘‘आपने यह चमत्कार कैसे किया कल्लू जी।’’ गौरी ने धीरे-से कल्लू से पूछा।

‘‘अपुन कहिच रहा था कि टेंशन नहीं लेने का। यह तो एकदम ईजी था। बस थोड़ा-सा माइंड लगाने का था। किसी को पटाना हो तो घास तो डालनी पड़ेगी ना। मिस पालनपुर का स्वागत मंच आवारा पशु नियंत्रण ऑफिस के पास था। वहां तो अपना परमानेंट ठिया है। जैसे ही मिस पालनपुर मंच पर आईं अपुन ने इंपोर्टेड चाकलेट का एक बिग बाक्स उन्हें दिखलाया। उन्होंने आने के लिए झट हां कर दी।

‘‘यू आर जीनियस कल्लू।’’ गौरी बोली–‘‘आज आप जैसे सांड़ों की ही हमारे देश को जरूरत है।’’

Sikandar_Khan
10-04-2011, 03:11 PM
सिटी बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका, स्टेट बैंक वाले जिस तरह से मनुहार करके क्रेडिट कार्ड बेच रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि मिर्जा गालिब वाकई सही समय से पहले आ गए। उन्हें इस समय होना चाहिए था, बहुत मौज में रहते। सुबह से सिटी बैंक वालों का तीसरा फोन है–

देखिए हमारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे, तो इतना फायदा होगा...
पर मैं उधारी का खाने में यकीन नहीं करता, जेब में होंगे, तो ही खर्च करूँगा, मुझे क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है।
देखिए आपको जरूरत है...

मेरी जरूरत क्या है, मुझे समझ में नहीं आता, सिटी बैंक वाले समझ जाते हैं। इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, क्रेडिट कार्डवालों को पता हो जाता है। मेरे नानाजी अकसर समझाया करते थे–आय से अधिक खर्च करनेवाला तिरस्कार भोगता है। मामला उलटा हो गया है, सिटी बैंक वाला समझ रहा है कि हमारे क्रेडिट कार्ड पर जितनी जल्दी खरीदारी करेंगे, उतने ज्यादा बोनस पाइंट आपको दिए जाएँगे। आय से अधिक खर्च करने वालों को अब क्रेडिट कार्ड वालों की तरफ से बोनस मिलते हैं। एक बैंक वाला आता है, बताता है, हमसे कर्ज लेकर मारुति ले लीजिए, अब तो आपकी जरूरत है। एक आता है कि हमसे कर्ज लेकर मकान बनवा लीजिए, मकान आपकी जरूरत है। एक आता है, हमसे कर्ज लेकर ऑस्ट्रेलिया घूम आइए, ऑस्ट्रेलिया जाना इधर बहुत जरूरी हो गया है। कभी-कभी लगता है कि अपनी जरूरतों के बारे में कितना कम जानता हूँ।

उधारी का मामला इधर रिवर्स गीयर में चल रहा है। पहले उधार लेनेवाला साहूकार के पास जाकर गिड़गिड़ाया करता था कि माई-बाप दे दो, मुझे रकम की जरूरत है। अब साहूकार खुद आकर बताता है कि ले लो, इस काम में आएगा, उस काम में आएगा। सिटी बैंक बालों, बैंक ऑफ अमेरिका वालों, अच्छा है, अभी आए हो, कहीं पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म न बन पाती। थीम की तुक ही नहीं मिलती। मदर इंडिया में सुक्खी लाला का कैरेस्टर बिलकुल झूठा जान पड़ता। फिल्म में उलटा दिखाना पड़ता, सुक्खी लाला नर्गिस के पास जाकर रो रहे हैं, मुझसे ही लेना कर्ज। उसके पीछे कोई दुक्खी लाला लाइन में है, नहीं, नहीं मुझसे लेना कर्ज, मैं इतना डिस्काउंट दूँगा और साथ में वो वाला फ्री गिफ्त भी।

सत्तर से पहले बनी सारी की सारी फिल्में झूठी पड़ जातीं। साहूकार का कैरेक्टर घृणा का नहीं दया का पात्र बन जाता। पता लगता कि सुक्खी लाला दुखी होकर बन्दूक उठा रहे हैं कि कोई हमसे कर्ज नहीं लेता। गाँववालों देख लूँगा, तुमको। मदर इंडिया में मजबूर होकर डाकू सुनील दत्त नहीं, सुक्खी लाला बनते। मिर्जा गालिब होते, तो परेशान नहीं होते। गालिब ने लिखा है कि बरसात अगर एक घंटे होती है, तो उनका घर कई घंटे तक टपकता है। एच. डी. एफ. सी. वाले गालिब से कहते, चिन्ता की क्या बात, यह लो लोन। बस यह करो कि हवेली के ऊपर बहुत बड़ा-सा साइन बोर्ड टाँग दो स्पान्सर्ड बाई एच. डी. एफ. सी.।

पर एक बात समझ में नहीं आती, जिन्हें जरूरत है, उन्हें सिटी बैंक वाले नहीं देते, जिन्हें जरूरत नहीं है, उन्हें सिटी बैंक वाले फोन कर-करके देते हैं–एक नादान सवाल पूछ रहा है।

कर्ज हैंडपम्प लगाने के लिए नहीं मिलता, कार के लिए मिलता है। कर्ज झोंपड़े के लिए नहीं मिलता, अपार्टमेन्ट के लिए मिलता है। बीमार माँ को देखने के लिए बेगूसराय जाने के पैसे न हों, तो कर्ज नहीं मिलता, कर्ज ऑस्ट्रेलिया के एक्साइटिंग टूर के लिए मिलता है। फसल के लिए बीज खरीदने हों, तो सिटी बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ, घर सजाने के आइटम खरीदने हों, तो झटके में कर्ज मिल जाएगा। बच्चा बीमार हो, तो कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ इक्यावन इंची टी.वी. खरीदने के लिए मिलता है। सिर्फ टी.वी. और कार के कर्ज देखकर सुक्खी लाला याद आते हैं। जैसे भी हों सुक्खी लाला उन्होंने फसल के बीच के लिए भी कर्ज दिया और बीमारी के लिए भी दिया।
कार का कर्ज नहीं चुका पाया, इसलिए बैंक के गुंडों ने पीटा और कार छीनी-अखबार में खबर है।

तमाम बैंक वाले कर्ज देने के मामले में भले ही मदर इंडिया हों, पर वसूलने में सुक्खी लाला हैं। सुक्खी लाला का रिकार्ड इस मामले में बहुत साफ है। वह देने के मामले में भी सुक्खी लाला है और लेने के मामले में भी सुक्खी लाला है। सुक्खी लाला ने कभी किसी को फोन करके, उसकी मनुहार करके कर्ज नहीं दिया। जो सब तरफ से सुक्खी लाला लगे, लेने में भी, देने में भी, उससे निपटना आसान है। पर जो देते वक्त मदर इंडिया हो जाए, और लेते वक्त सुक्खी लाला, उससे पार पाना मुश्किल है।

चलूँ, सिटी बैंक से किन्हीं मदर इंडिया का फोन है, समझा रही हैं–इतना उधार तो आपको लेना ही पडेगा, वरना आपकी गुडविल चौपट हो जाएगी...।

Hamsafar+
10-04-2011, 04:09 PM
सिटी बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका, स्टेट बैंक वाले जिस तरह से मनुहार करके क्रेडिट कार्ड बेच रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि मिर्जा गालिब वाकई सही समय से पहले आ गए। उन्हें इस समय होना चाहिए था, बहुत मौज में रहते। सुबह से सिटी बैंक वालों का तीसरा फोन है–

देखिए हमारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे, तो इतना फायदा होगा...
पर मैं उधारी का खाने में यकीन नहीं करता, जेब में होंगे, तो ही खर्च करूँगा, मुझे क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है।
देखिए आपको जरूरत है...

मेरी जरूरत क्या है, मुझे समझ में नहीं आता, सिटी बैंक वाले समझ जाते हैं। इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, क्रेडिट कार्डवालों को पता हो जाता है। मेरे नानाजी अकसर समझाया करते थे–आय से अधिक खर्च करनेवाला तिरस्कार भोगता है। मामला उलटा हो गया है, सिटी बैंक वाला समझ रहा है कि हमारे क्रेडिट कार्ड पर जितनी जल्दी खरीदारी करेंगे, उतने ज्यादा बोनस पाइंट आपको दिए जाएँगे। आय से अधिक खर्च करने वालों को अब क्रेडिट कार्ड वालों की तरफ से बोनस मिलते हैं। एक बैंक वाला आता है, बताता है, हमसे कर्ज लेकर मारुति ले लीजिए, अब तो आपकी जरूरत है। एक आता है कि हमसे कर्ज लेकर मकान बनवा लीजिए, मकान आपकी जरूरत है। एक आता है, हमसे कर्ज लेकर ऑस्ट्रेलिया घूम आइए, ऑस्ट्रेलिया जाना इधर बहुत जरूरी हो गया है। कभी-कभी लगता है कि अपनी जरूरतों के बारे में कितना कम जानता हूँ।

उधारी का मामला इधर रिवर्स गीयर में चल रहा है। पहले उधार लेनेवाला साहूकार के पास जाकर गिड़गिड़ाया करता था कि माई-बाप दे दो, मुझे रकम की जरूरत है। अब साहूकार खुद आकर बताता है कि ले लो, इस काम में आएगा, उस काम में आएगा। सिटी बैंक बालों, बैंक ऑफ अमेरिका वालों, अच्छा है, अभी आए हो, कहीं पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म न बन पाती। थीम की तुक ही नहीं मिलती। मदर इंडिया में सुक्खी लाला का कैरेस्टर बिलकुल झूठा जान पड़ता। फिल्म में उलटा दिखाना पड़ता, सुक्खी लाला नर्गिस के पास जाकर रो रहे हैं, मुझसे ही लेना कर्ज। उसके पीछे कोई दुक्खी लाला लाइन में है, नहीं, नहीं मुझसे लेना कर्ज, मैं इतना डिस्काउंट दूँगा और साथ में वो वाला फ्री गिफ्त भी।

सत्तर से पहले बनी सारी की सारी फिल्में झूठी पड़ जातीं। साहूकार का कैरेक्टर घृणा का नहीं दया का पात्र बन जाता। पता लगता कि सुक्खी लाला दुखी होकर बन्दूक उठा रहे हैं कि कोई हमसे कर्ज नहीं लेता। गाँववालों देख लूँगा, तुमको। मदर इंडिया में मजबूर होकर डाकू सुनील दत्त नहीं, सुक्खी लाला बनते। मिर्जा गालिब होते, तो परेशान नहीं होते। गालिब ने लिखा है कि बरसात अगर एक घंटे होती है, तो उनका घर कई घंटे तक टपकता है। एच. डी. एफ. सी. वाले गालिब से कहते, चिन्ता की क्या बात, यह लो लोन। बस यह करो कि हवेली के ऊपर बहुत बड़ा-सा साइन बोर्ड टाँग दो स्पान्सर्ड बाई एच. डी. एफ. सी.।

पर एक बात समझ में नहीं आती, जिन्हें जरूरत है, उन्हें सिटी बैंक वाले नहीं देते, जिन्हें जरूरत नहीं है, उन्हें सिटी बैंक वाले फोन कर-करके देते हैं–एक नादान सवाल पूछ रहा है।

कर्ज हैंडपम्प लगाने के लिए नहीं मिलता, कार के लिए मिलता है। कर्ज झोंपड़े के लिए नहीं मिलता, अपार्टमेन्ट के लिए मिलता है। बीमार माँ को देखने के लिए बेगूसराय जाने के पैसे न हों, तो कर्ज नहीं मिलता, कर्ज ऑस्ट्रेलिया के एक्साइटिंग टूर के लिए मिलता है। फसल के लिए बीज खरीदने हों, तो सिटी बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ, घर सजाने के आइटम खरीदने हों, तो झटके में कर्ज मिल जाएगा। बच्चा बीमार हो, तो कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ इक्यावन इंची टी.वी. खरीदने के लिए मिलता है। सिर्फ टी.वी. और कार के कर्ज देखकर सुक्खी लाला याद आते हैं। जैसे भी हों सुक्खी लाला उन्होंने फसल के बीच के लिए भी कर्ज दिया और बीमारी के लिए भी दिया।
कार का कर्ज नहीं चुका पाया, इसलिए बैंक के गुंडों ने पीटा और कार छीनी-अखबार में खबर है।

तमाम बैंक वाले कर्ज देने के मामले में भले ही मदर इंडिया हों, पर वसूलने में सुक्खी लाला हैं। सुक्खी लाला का रिकार्ड इस मामले में बहुत साफ है। वह देने के मामले में भी सुक्खी लाला है और लेने के मामले में भी सुक्खी लाला है। सुक्खी लाला ने कभी किसी को फोन करके, उसकी मनुहार करके कर्ज नहीं दिया। जो सब तरफ से सुक्खी लाला लगे, लेने में भी, देने में भी, उससे निपटना आसान है। पर जो देते वक्त मदर इंडिया हो जाए, और लेते वक्त सुक्खी लाला, उससे पार पाना मुश्किल है।

चलूँ, सिटी बैंक से किन्हीं मदर इंडिया का फोन है, समझा रही हैं–इतना उधार तो आपको लेना ही पडेगा, वरना आपकी गुडविल चौपट हो जाएगी...।

Great Find Mr. Sikandar ... Thanks For Sharing

Nitikesh
10-04-2011, 08:19 PM
अच्छा व्यंग है/
+ रेप आपके लिए/

Sikandar_Khan
11-04-2011, 08:00 AM
बालम परदेश न जा–बेगम अख्तर की कई साल पुरानी ठुमरीनुना गजल या गजलनुमा ठुमरी ट्रांजिस्टर पर चल रही है। तीस-चालीस साल पहले बालम को यही कहा जाता था–बालम, परदेश न जा। मेरी पत्नी मुझसे रोज झगड़ती है कि अमेरिका या कनाड़ा की कोई नौकरी क्यों नहीं तलाशते। देखो, वह मछली के पकौड़े बनानेवाला कनाड़ा में सैटल हो गया है। इस बार बता रहा था कि मर्सीडीज खरीदी है। देखो, वह बाबू भाई मिस्त्री दुबई में जम गया है।

देखो, वह चौरसिया पानवाला भी न्यू जर्सी में एन.आर.आई. हो गया है। तुम कब परदेशी होगे बालम ? सारे कायदे के बालम परदेशी हुए जा रहे हैं। सब तरफ मामले उलटे हो गए हैं। प्राचीन काव्यग्रन्थों में दिखाया जाता था कि नायिका विरह-वेदना में परेशान हो रही है। कह रही है कि दुष्ट बालम परदेश जाकर लौटने का नाम नहीं लेते। अब इन ग्रन्थों में रिवीजन इस तरह से होना चाहिए, नायिका परेशान है। कह रही है कि दुष्ट, आलसी, चिरकुट बालम परदेश जाने का नाम नहीं ले रहे हैं। सारी सखियों के बालम परदेशी हो गए हैं, सो मुझे वे सब चिढ़ाती हैं।

तुम सब परदेशी होगे बालम? सब तरफ यही सन्देश सुनाई दे रहा है। सिर्फ बालम होने से अब काम नहीं चल रहा है। परदेशी होना जरूरी हो गया है। क्या दिन रहे होंगे, जब सिर्फ बालम होने भर से काम चल जाता था। कैसे सुन्दर प्रेमपूर्ण दिन रहे होंगे, जब कोई बालम बताता होगा कि कम्पनी विदेश भेज रही है, क्या करूँ। पत्नी वही कहती होगी–ना, परदेश न जा बालम।

तब बालम भी बहुत भोले होते होंगे, जो परदेश जाकर डॉलर-पौंड खींचने के बजाय वहाँ से अपनी पत्नी को फोन करने में टाइम वेस्ट करते थे, जैसाकि एक प्राचीन फिल्म में उस गाने में दिखाया गया है–मेरे पिया गए रंगून, किया है वहाँ से टेलीफून, तुम्हारी याद सताती है। अबे, रंगून पहुँचकर ही याद सताती है, बालम तब न्ययॉर्क में मछली के पकौड़े बेचकर मर्सीडीज कैसे खरीदेगा। अब तो समझदार बालम सिलिकौन वैली कैलिर्फोनिया पहुँचकर दनादन डॉलर पीटते हैं। फोन नहीं करते, खाली-पीली में टाइम खोटी क्यों करें।

वैसे, बालम बाजार में अब सबसे हिट बालम वही है, जो परदेशी है। देशी बालमों को बालम बाजार में कुछ अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता। इधर मैंने अखबारों के मेट्रीमोनियल विज्ञापनों पर गहन शोध किया है। श्रेष्ठ सुन्दरियाँ एन.आर.आई. बालमों की ही माँग कर रही हैं। स्वदेशी की ऐसी उपेक्षा। बालम मेरिट लिस्ट का हाल यह है कि परदेशी पकौड़ेवाला भी स्वदेशी प्रोफेसर पर भारी पड़ रहा है।

मुझे गीता का दसवाँ अध्याय याद आ रहा है, जिसमें कृष्ण ने अपनी श्रेष्ठता के बारे में बताया है, मैं देवर्षियों में नारद हूँ, सिद्ध पुरुषों में कपित मुनि हूँ, हाथियों में ऐरावत हूँ, पशुओं में सिंह हूँ...अब कृष्ण अर्जुन को यह भी बताते कि मैं कारों में मर्सीडीज हूँ, वीजाओं में अमेरिकी वीजा हूँ, शहरों में न्यूयॉर्क हूँ और बालमों में एन.आर.आई.बालम हूँ।...

एक विद्वान का कहता है कि सुदामा और कृष्ण की स्टोरी और कुछ नहीं, उस वक्त एन.आर.आई. होने के फायदे की स्टोरी है। सुदामा की पत्नी ने लड़-झगड़कर उन्हें तत्कालीन परदेश द्वारिका कृष्ण के पास भिजवाया। रिजल्ट क्या रहे, सब जानते हैं।

अगर सुदामा परदेश नहीं जाते, तो क्या इतने फेमस हो पाते, नहीं। कृष्ण के जिन मित्रों ने परदेश जाने का साहस नहीं दिखाया, क्या उनका नाम कोई जानता है, नहीं। इसे यों कहा जाना चाहिए कि सुदामा की पत्नी ने अगर पति से परदेश जाने की झकझक न की होती, तो सुदामा भी चिरकुट मिडिल क्लास लाइफ जीकर निपट जाते।

वैसे जो भी हो, परदेश में मामला आसान हो जाता है। एक मेरे परिचित टोरन्टो कनाडा में स्टेशन के पास समोसे बेचते हैं। पर यहाँ बताते हैं कि फूड प्रोसेसिंग का कारोबार है। परदेश में जाने का फायदा यह होता है कि समोसे का धन्धा फूड प्रोसेसिंग का मान लिया जाता है। कभी-कभी सुदामा-कृष्ण की कहानी सुनकर मुझे शक होता है कि कृष्ण ने इतनी आसानी से सुदामा को इतना कैसे दे दिया। यह हुआ होगा कि सुदामा द्वारिका में चाट बेचने लगे होंगे, उसी में दबाकर कमाई कर ली होगी। द्वारिका में चाट बेची जा सकती थी, अपने इलाके में नहीं। टोरन्टो में समोसे बेचे जा सकते हैं, अपने इलाके में नहीं। परदेशी होने में कई फायदे हैं।

...पर जो भी हो, अब श्रेष्ठ बालमत्व परदेशी होने में ही निहित है। परमश्रेष्ठ बालम वो है, जो परमानेन्ट वहीं रहने का जुगाड कर ले। एकाध महीने के लिए परदेश जाकर लौटकर आनेवाला बालम उच्चकोटि का बालम नहीं माना जाता। इधर उस कहावत का मर्म समझ में आ रहा है कि लौट के बुद्धू घर को आए। इसका मतलब है, जो लौटकर इस देश में आ गया, वह बुद्धू ही है। जो कनाडा में पकौड़ों की दुकान नहीं खोल पाया है, वह बुद्धू ही है। जो इस देश से जा ही नहीं पाया है, वह तो परमबुद्धू है।

हे बालम, तू अगर अपनी अक्लमन्दी प्रमाणित करना चाहता है, तो निकल ले। फिर लौटकर न आ।

MissK
12-04-2011, 05:28 PM
सिटी बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका, स्टेट बैंक वाले जिस तरह से मनुहार करके क्रेडिट कार्ड बेच रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि मिर्जा गालिब वाकई सही समय से पहले आ गए। उन्हें इस समय होना चाहिए था, बहुत मौज में रहते। सुबह से सिटी बैंक वालों का तीसरा फोन है–

देखिए हमारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे, तो इतना फायदा होगा...
पर मैं उधारी का खाने में यकीन नहीं करता, जेब में होंगे, तो ही खर्च करूँगा, मुझे क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है।
देखिए आपको जरूरत है...

मेरी जरूरत क्या है, मुझे समझ में नहीं आता, सिटी बैंक वाले समझ जाते हैं। इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, क्रेडिट कार्डवालों को पता हो जाता है। मेरे नानाजी अकसर समझाया करते थे–आय से अधिक खर्च करनेवाला तिरस्कार भोगता है। मामला उलटा हो गया है, सिटी बैंक वाला समझ रहा है कि हमारे क्रेडिट कार्ड पर जितनी जल्दी खरीदारी करेंगे, उतने ज्यादा बोनस पाइंट आपको दिए जाएँगे। आय से अधिक खर्च करने वालों को अब क्रेडिट कार्ड वालों की तरफ से बोनस मिलते हैं। एक बैंक वाला आता है, बताता है, हमसे कर्ज लेकर मारुति ले लीजिए, अब तो आपकी जरूरत है। एक आता है कि हमसे कर्ज लेकर मकान बनवा लीजिए, मकान आपकी जरूरत है। एक आता है, हमसे कर्ज लेकर ऑस्ट्रेलिया घूम आइए, ऑस्ट्रेलिया जाना इधर बहुत जरूरी हो गया है। कभी-कभी लगता है कि अपनी जरूरतों के बारे में कितना कम जानता हूँ।

उधारी का मामला इधर रिवर्स गीयर में चल रहा है। पहले उधार लेनेवाला साहूकार के पास जाकर गिड़गिड़ाया करता था कि माई-बाप दे दो, मुझे रकम की जरूरत है। अब साहूकार खुद आकर बताता है कि ले लो, इस काम में आएगा, उस काम में आएगा। सिटी बैंक बालों, बैंक ऑफ अमेरिका वालों, अच्छा है, अभी आए हो, कहीं पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म न बन पाती। थीम की तुक ही नहीं मिलती। मदर इंडिया में सुक्खी लाला का कैरेस्टर बिलकुल झूठा जान पड़ता। फिल्म में उलटा दिखाना पड़ता, सुक्खी लाला नर्गिस के पास जाकर रो रहे हैं, मुझसे ही लेना कर्ज। उसके पीछे कोई दुक्खी लाला लाइन में है, नहीं, नहीं मुझसे लेना कर्ज, मैं इतना डिस्काउंट दूँगा और साथ में वो वाला फ्री गिफ्त भी।

सत्तर से पहले बनी सारी की सारी फिल्में झूठी पड़ जातीं। साहूकार का कैरेक्टर घृणा का नहीं दया का पात्र बन जाता। पता लगता कि सुक्खी लाला दुखी होकर बन्दूक उठा रहे हैं कि कोई हमसे कर्ज नहीं लेता। गाँववालों देख लूँगा, तुमको। मदर इंडिया में मजबूर होकर डाकू सुनील दत्त नहीं, सुक्खी लाला बनते। मिर्जा गालिब होते, तो परेशान नहीं होते। गालिब ने लिखा है कि बरसात अगर एक घंटे होती है, तो उनका घर कई घंटे तक टपकता है। एच. डी. एफ. सी. वाले गालिब से कहते, चिन्ता की क्या बात, यह लो लोन। बस यह करो कि हवेली के ऊपर बहुत बड़ा-सा साइन बोर्ड टाँग दो स्पान्सर्ड बाई एच. डी. एफ. सी.।

पर एक बात समझ में नहीं आती, जिन्हें जरूरत है, उन्हें सिटी बैंक वाले नहीं देते, जिन्हें जरूरत नहीं है, उन्हें सिटी बैंक वाले फोन कर-करके देते हैं–एक नादान सवाल पूछ रहा है।

कर्ज हैंडपम्प लगाने के लिए नहीं मिलता, कार के लिए मिलता है। कर्ज झोंपड़े के लिए नहीं मिलता, अपार्टमेन्ट के लिए मिलता है। बीमार माँ को देखने के लिए बेगूसराय जाने के पैसे न हों, तो कर्ज नहीं मिलता, कर्ज ऑस्ट्रेलिया के एक्साइटिंग टूर के लिए मिलता है। फसल के लिए बीज खरीदने हों, तो सिटी बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ, घर सजाने के आइटम खरीदने हों, तो झटके में कर्ज मिल जाएगा। बच्चा बीमार हो, तो कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ इक्यावन इंची टी.वी. खरीदने के लिए मिलता है। सिर्फ टी.वी. और कार के कर्ज देखकर सुक्खी लाला याद आते हैं। जैसे भी हों सुक्खी लाला उन्होंने फसल के बीच के लिए भी कर्ज दिया और बीमारी के लिए भी दिया।
कार का कर्ज नहीं चुका पाया, इसलिए बैंक के गुंडों ने पीटा और कार छीनी-अखबार में खबर है।

तमाम बैंक वाले कर्ज देने के मामले में भले ही मदर इंडिया हों, पर वसूलने में सुक्खी लाला हैं। सुक्खी लाला का रिकार्ड इस मामले में बहुत साफ है। वह देने के मामले में भी सुक्खी लाला है और लेने के मामले में भी सुक्खी लाला है। सुक्खी लाला ने कभी किसी को फोन करके, उसकी मनुहार करके कर्ज नहीं दिया। जो सब तरफ से सुक्खी लाला लगे, लेने में भी, देने में भी, उससे निपटना आसान है। पर जो देते वक्त मदर इंडिया हो जाए, और लेते वक्त सुक्खी लाला, उससे पार पाना मुश्किल है।

चलूँ, सिटी बैंक से किन्हीं मदर इंडिया का फोन है, समझा रही हैं–इतना उधार तो आपको लेना ही पडेगा, वरना आपकी गुडविल चौपट हो जाएगी...।

अच्छा व्यंग है क्रेडिट कार्ड वालो के रवेये और हालत पर.. धन्यवाद इसे पेश करने के लिए :)

ndhebar
14-04-2011, 09:25 PM
...पर जो भी हो, अब श्रेष्ठ बालमत्व परदेशी होने में ही निहित है। परमश्रेष्ठ बालम वो है, जो परमानेन्ट वहीं रहने का जुगाड कर ले। एकाध महीने के लिए परदेश जाकर लौटकर आनेवाला बालम उच्चकोटि का बालम नहीं माना जाता। इधर उस कहावत का मर्म समझ में आ रहा है कि लौट के बुद्धू घर को आए। इसका मतलब है, जो लौटकर इस देश में आ गया, वह बुद्धू ही है। जो कनाडा में पकौड़ों की दुकान नहीं खोल पाया है, वह बुद्धू ही है। जो इस देश से जा ही नहीं पाया है, वह तो परमबुद्धू है।

हे बालम, तू अगर अपनी अक्लमन्दी प्रमाणित करना चाहता है, तो निकल ले। फिर लौटकर न आ।

तो कब निकल रहे है आप
:crazyeyes::crazyeyes::crazyeyes:

dev b
17-04-2011, 11:15 PM
बहुत अच्छे मित्र वाह सिटी बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका, स्टेट बैंक वाले जिस तरह से मनुहार करके क्रेडिट कार्ड बेच रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि मिर्जा गालिब वाकई सही समय से पहले आ गए। उन्हें इस समय होना चाहिए था, बहुत मौज में रहते। सुबह से सिटी बैंक वालों का तीसरा फोन है–

देखिए हमारे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करेंगे, तो इतना फायदा होगा...
पर मैं उधारी का खाने में यकीन नहीं करता, जेब में होंगे, तो ही खर्च करूँगा, मुझे क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है।
देखिए आपको जरूरत है...

मेरी जरूरत क्या है, मुझे समझ में नहीं आता, सिटी बैंक वाले समझ जाते हैं। इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, इधर मामला बहुत पेचीदा हो गया है। मेरी जरूरत क्या है, मुझे ही पता नहीं होता, क्रेडिट कार्डवालों को पता हो जाता है। मेरे नानाजी अकसर समझाया करते थे–आय से अधिक खर्च करनेवाला तिरस्कार भोगता है। मामला उलटा हो गया है, सिटी बैंक वाला समझ रहा है कि हमारे क्रेडिट कार्ड पर जितनी जल्दी खरीदारी करेंगे, उतने ज्यादा बोनस पाइंट आपको दिए जाएँगे। आय से अधिक खर्च करने वालों को अब क्रेडिट कार्ड वालों की तरफ से बोनस मिलते हैं। एक बैंक वाला आता है, बताता है, हमसे कर्ज लेकर मारुति ले लीजिए, अब तो आपकी जरूरत है। एक आता है कि हमसे कर्ज लेकर मकान बनवा लीजिए, मकान आपकी जरूरत है। एक आता है, हमसे कर्ज लेकर ऑस्ट्रेलिया घूम आइए, ऑस्ट्रेलिया जाना इधर बहुत जरूरी हो गया है। कभी-कभी लगता है कि अपनी जरूरतों के बारे में कितना कम जानता हूँ।

उधारी का मामला इधर रिवर्स गीयर में चल रहा है। पहले उधार लेनेवाला साहूकार के पास जाकर गिड़गिड़ाया करता था कि माई-बाप दे दो, मुझे रकम की जरूरत है। अब साहूकार खुद आकर बताता है कि ले लो, इस काम में आएगा, उस काम में आएगा। सिटी बैंक बालों, बैंक ऑफ अमेरिका वालों, अच्छा है, अभी आए हो, कहीं पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म पहले आ गए होते, तो बहुत उलटा-पुलटा हो गया होता। मदर इंडिया जैसी फिल्म न बन पाती। थीम की तुक ही नहीं मिलती। मदर इंडिया में सुक्खी लाला का कैरेस्टर बिलकुल झूठा जान पड़ता। फिल्म में उलटा दिखाना पड़ता, सुक्खी लाला नर्गिस के पास जाकर रो रहे हैं, मुझसे ही लेना कर्ज। उसके पीछे कोई दुक्खी लाला लाइन में है, नहीं, नहीं मुझसे लेना कर्ज, मैं इतना डिस्काउंट दूँगा और साथ में वो वाला फ्री गिफ्त भी।

सत्तर से पहले बनी सारी की सारी फिल्में झूठी पड़ जातीं। साहूकार का कैरेक्टर घृणा का नहीं दया का पात्र बन जाता। पता लगता कि सुक्खी लाला दुखी होकर बन्दूक उठा रहे हैं कि कोई हमसे कर्ज नहीं लेता। गाँववालों देख लूँगा, तुमको। मदर इंडिया में मजबूर होकर डाकू सुनील दत्त नहीं, सुक्खी लाला बनते। मिर्जा गालिब होते, तो परेशान नहीं होते। गालिब ने लिखा है कि बरसात अगर एक घंटे होती है, तो उनका घर कई घंटे तक टपकता है। एच. डी. एफ. सी. वाले गालिब से कहते, चिन्ता की क्या बात, यह लो लोन। बस यह करो कि हवेली के ऊपर बहुत बड़ा-सा साइन बोर्ड टाँग दो स्पान्सर्ड बाई एच. डी. एफ. सी.।

पर एक बात समझ में नहीं आती, जिन्हें जरूरत है, उन्हें सिटी बैंक वाले नहीं देते, जिन्हें जरूरत नहीं है, उन्हें सिटी बैंक वाले फोन कर-करके देते हैं–एक नादान सवाल पूछ रहा है।

कर्ज हैंडपम्प लगाने के लिए नहीं मिलता, कार के लिए मिलता है। कर्ज झोंपड़े के लिए नहीं मिलता, अपार्टमेन्ट के लिए मिलता है। बीमार माँ को देखने के लिए बेगूसराय जाने के पैसे न हों, तो कर्ज नहीं मिलता, कर्ज ऑस्ट्रेलिया के एक्साइटिंग टूर के लिए मिलता है। फसल के लिए बीज खरीदने हों, तो सिटी बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ, घर सजाने के आइटम खरीदने हों, तो झटके में कर्ज मिल जाएगा। बच्चा बीमार हो, तो कर्ज नहीं मिलेगा, हाँ इक्यावन इंची टी.वी. खरीदने के लिए मिलता है। सिर्फ टी.वी. और कार के कर्ज देखकर सुक्खी लाला याद आते हैं। जैसे भी हों सुक्खी लाला उन्होंने फसल के बीच के लिए भी कर्ज दिया और बीमारी के लिए भी दिया।
कार का कर्ज नहीं चुका पाया, इसलिए बैंक के गुंडों ने पीटा और कार छीनी-अखबार में खबर है।

तमाम बैंक वाले कर्ज देने के मामले में भले ही मदर इंडिया हों, पर वसूलने में सुक्खी लाला हैं। सुक्खी लाला का रिकार्ड इस मामले में बहुत साफ है। वह देने के मामले में भी सुक्खी लाला है और लेने के मामले में भी सुक्खी लाला है। सुक्खी लाला ने कभी किसी को फोन करके, उसकी मनुहार करके कर्ज नहीं दिया। जो सब तरफ से सुक्खी लाला लगे, लेने में भी, देने में भी, उससे निपटना आसान है। पर जो देते वक्त मदर इंडिया हो जाए, और लेते वक्त सुक्खी लाला, उससे पार पाना मुश्किल है।

चलूँ, सिटी बैंक से किन्हीं मदर इंडिया का फोन है, समझा रही हैं–इतना उधार तो आपको लेना ही पडेगा, वरना आपकी गुडविल चौपट हो जाएगी...।

ndhebar
22-04-2011, 10:37 AM
बला का नाम है बीवी

जीवन में ढलती खुशियों की शाम है बीवी
जो पढ़ी नहीं सिर्फ सुनी जाये वो कलाम है बीवी

सर चढ़ गयी तो फिर कुछ भी अपने बस में नहीं
ये जान के भी जो पी जाये वो जाम है बीवी

क्यों मारी पैर पे कुल्हाड़ी जेहन में उनके है अब
जो सोचते थे चक्कर काटने का इनाम है बीवी

अरेंज मर्डर हुआ हो या इश्क में खुद ही चढ़ गए सूली
जो सब को झेलनी, ऐसी उलझनों आम है बीवी

सजा तय है जो जुर्म किया हो न किया हो
रोयी नहीं की फिर क्या सबूत क्या इलज़ाम है बीवी

माँ की कहानियों में ही होती थी सावित्री, दमयंती
मगर अब शहरी चका-चौंध की गुलाम है बीवी

क्या करो, ओढो, पहनो ये बताने की जुर्रत किसको
पर क्या ये खर्चे मेरे पसीने का दाम है बीवी

माँ-बाप पीछे पड़े हैं कैसे समझाऊ उन्हें
बदलते दौर में किस बला का नाम है बीवी

कुंवारा हूँ सो कह लूं आज जो कुछ भी कहना है
कल तो लिखना ही है खुदा का पैगाम है बीवी

ndhebar
08-05-2011, 06:12 PM
काकरोच वध.…!


पहली बार तो नही हुआ था,
किचन में काकरोच वध,
परन्तु उस वध की खुशी,
पहली बार मिली थी उसे,
पहली बार कारनामा किया था उसने,
जब से वह बहू बनी थी.

“मम्मी काकरोच !” कहते-कहते,
एक बार जरूर याद आयी उसे,
अपनी मायके वाली मम्मी,
http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2011/04/cockroach-311-300x225.jpg (http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2011/04/cockroach-311.jpg)

जो काकरोच से उसे बचा,
खुद भिड़ जाती थी काकरोच से,
और हिम्मत दिलाती थी उसे,
कि कैसे सामना किया जाता है,
इन कीड़े मकोडो का.

लेकिन यहाँ ससुराल वाली मम्मी थी,
जो कि “मम्मी काकरोच !” सुनते ही,
भड़क उठी थी उस पर,
“क्या चिल्ला रही है पागलों की तरह !
काकरोच मारना भी नहीं आता ?
क्या सीखा तूने अपने मायके में ?
तेरे माँ –बाप ने इतना भी नहीं सिखाया तुझे ?”

इन्हीं कर्कश शब्दों की ठेस तो थी वो,
जिसने ललकारा था उसके स्वाभिमान को,
कमर कस चुकी थी, भृकुटि तन चुकी थी,
आज बहू, वीरांगना बन चुकी थी .

दाँत पीसकर, आँख मीचकर,
जबरदस्त प्रहार हो चुका था,
पलक झपकते ही,
काकरोच का कचूमर हो चुका था,
और बहू का डर…..,
छूमन्तर हो चुका था ।

ndhebar
11-05-2011, 05:34 PM
जंगलराज

जंगल में मच गया एक रोज़ ये शोर

दौड़ो भागो छुप जाओ विपदा आई घोर

विपदा आई घोर जंगल में नेता आये

वोट डालने की परमिशन वो अपने साथ में लाये

अब से सभी जानवर भी वोट दिया करेंगे

नेताओं के चक्कर में अब ये भी फंसा करेंगे

हर पार्टी का जंगल में एक प्रतिनिधि होगा

कोई आदमी ही बैठेगा पहन जानवर का चोगा

जंगल में हो जाएगा जंगलराज अब भाई

जानवरों में भी हुआ करेगी आपस में ही लड़ाई

हर आदमी एक जानवर अपने घर बांधेगा

जानवर की भी वोट स्वयम आदमी ही डालेगा

amit_tiwari
11-05-2011, 08:09 PM
काकरोच वध.…!


पहली बार तो नही हुआ था,
किचन में काकरोच वध,

और बहू का डर…..,
छूमन्तर हो चुका था ।

क्या बात है साहित्य खरदूषण का पुरूस्कार ले के मानेगा अपना भाई अब |:bravo::bravo:

Bond007
15-05-2011, 01:45 AM
क्लास-7 स्टुडेंट का लव लैटर

मेरी प्यारी,
मोनिका…

जब से तू मेरे सेक्शन में ट्रांसफर होकर आई है, तूने मेरा चैन चुरा लिया है. अब तो पढ़ाई में भी जी नहीं लगता. सच कहूं तो मैं तुझसे लव करने लगा हूं. अब ये न कहना कि हम दोनों अभी बच्चे हैं. बच्ची होगी तू… मैं तो बहुत बड़ा हूं. सब कुछ समझता हूं. पॉपुलेशन क्यों बढ़ रही है, ये भी जानता हूं. इसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है, ये भी जानता हूं.

वैसे ये ये लेटर शायद वेलेंटाइन डे के दिन तुम्हारे हाथ में होगा. मगर मैंने इसे कई रोज पहले ही क्लास में बैठकर लिख लिया है. वैसे तो ये लेटर मैं कल ही लिख लेता. मगर कल मैं घर में भूल गया कापी और पेन. क्योंकि तेरे मस्त-मस्त दो नैन.. मेरे दिल का ले गए चैन..

मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे शादी करना चाहता हूं. मेरे दिलो-दिमाग पर तू छाई है. अब तो कार्टून नेटवर्क और पोगो चैनल देखते हुए, मुझे तेरा ही चेहरा सामने नजर आता है. कम्प्यूटर गेम खेलते वक्त भी कर्सर में तेरे चेहरा ब्लिंक करता है..

तूझे विश्वास नहीं होता है तो कुरकुरे, पेप्सी, मैगी और अंकल चिप्स की कसम. तू सोचेगी कि प्यार-मुहब्बत के चक्कर में पढ़ाई बरबाद होगी. तो ऐसा मत सोच. अभी मोहब्बत करने के लिए हमारे पास तीन साल हैं. क्लास 10 तक ग्रेडिंग सिस्टम है और हम फेल नहीं होंगे. रही बात क्लास 11 और 12 की तो, वहां हम यूपी बोर्ड में एडमिशन ले लेंगे. सुना है वहां फर्स्ट डिवीजन पास करने का पूरा जुगाड़ है.

वैसे तो मुझे क्लास की बहुत सारी लड़कियां लाइक करती हैं. मगर तुम मुझे सबसे ज्यादा पसंद हो. क्योंकि तुम सुंदर हो. तुम्हारे लंच बाक्स में रोज नये-नये डिशेज रहते हैं. एक रोज मैंने तेरे लंच बाक्स से आलू के पराठे चोरी किए थे. कसम से बहुत टेस्टी थे. तेरी मम्मी अच्छी हैं जो तुझे रोज बढिय़ा-बढिय़ा खाना देती है. मेरी मम्मी लंच में रोज सैंडविच ही देती है (आई हेट सैंडविच). सुबह वो इससे ज्यादा कुछ बना भी नहीं पाती. क्योंकि वो भी स्कूल जाती है. एक्चुअली वो गवर्नमेंट जूनियर हाईस्कूल में टीचर है.

मैंने अपनी मम्मी से कहा कि मुझे अपने ही स्कूल में ही एडमिट करा दो, तो वो कहती है कि नहीं वो गंदे बच्चों का स्कूल है. अब तुम ही बताओ, गंदे बच्चों के स्कूल में मेरी मम्मी को जाने क्या जरुरत है. संडे को भी उसे क्लब और किटी पार्टिज से छुट्टी नहीं मिलती. पापा भी खुद को इंडस्ट्री का मालिक कहते हैं. इंडस्ट्री में दो हजार इम्प्लाइज हैं मगर आज तक मेरे लिए टाइम नहीं निकाल सके. वो कहते हैं कि बेटा, इतनी मेहनत तो हम तेरे लिए ही करते हैं. पर मुझे समझ नहीं आता कि क्यों करते हैं…

भले ही मेरे पैरेंट्स के पास बहुत रुपये हैं मगर तू मुझसे ज्यादा लकी है. तेरे पापा रोज तुझे स्कूल तक स्कूटर से छोडऩे आते हैं. इसके बाद तेरी मम्मी तुझे रिक्शे पर बिठा कर ले जाती है. मेरे घर दो कार है मगर मेरे मम्मी-पापा के पास टाइम नहीं है.

वैसे अगर तू मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी तो मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूं. मैं तुम्हें वो पेन और पेन्सिल बाक्स गिफ्ट भी दूंगा जो मेरे अंकल लंदन से मेरे लिए लाए हैं. मैं हर वीक मिलने वाली अपनी 500 रुपये पॉकेटमनी के 200 रुपये भी तुम्हें दे सकता हूं. बड़ा होकर तूझसे की शादी करुंगा. फिर तेरे घर आकर रहूंगा. तेरे मम्मी के हाथों बने आलू के पराठे खाऊंगा. तेरे छोटे-भाई बहनों के साथ खेलूंगा. क्योंकि मेरा कोई भाई या बहन नहीं है. मैं घर में बिलकुल अकेला फील करता हूं. मेरे मम्मी-पापा के पास रुपये बहुत हैं मगर वो एक और बच्चा नहीं पैदा कर सकते. इसके लिए भी शायद उनके पास टाइम नहीं है.

एक और बात, तुम्हारे बगल में बैठने वाली नैन्सी भी मुझे बहुत लाइन मारती है. मगर मुझे उससे डर लगता है. क्योंकि मैंने सुना है कि उसके पापा पुलिस वाले अंकल हैं. मुझे मालूम है कि यदि उन्हें पता चला कि मेरा नैन्सी से अफेयर है तो वो मुझे एक कट्टा, दो कारतूस के खोखे के साथ अरेस्ट कर जेल भी भेज सकते हैं. या फिर फेक एनकाउंटर में मार भी सकते हैं.

इसलिए मोनिका, प्लीज-प्लीज, तूझे एग्जामिनेशन के रिजल्ट की कसम. यदि तूने मेरे प्यार को ठुकराया तो कसम से मैं पढ़ाई छोड़ दूंगा (जो अब वैसे भी नहीं हो पा रही.). मैं बड़ा होकर पॉलिटिशन बन जाऊंगा और सेंट्रल केबिनेट मिनिस्टर बन घोटाले पर घोटाला कर पूरे देश को बरबाद कर दूंगा. तेरे जैसे पढ़े-लिखे आईएएस-आईपीएस ऑफिसर्स से अपने जूते भी साफ कराऊंगा.. इसलिए मेरी जान, प्लीज मेरी बातों को सीरियसली ले.. अंत में ये चार लाइन सिर्फ तेरे लिए मैंने बनाई है…:banalema:

जैसे शीला की जवानी
जैसे मुन्नी की बदमानी
वैसे मैं हूं तेरा दीवाना
तू बन जा मेरी दीवानी
तू मेरी पेप्सी, चॉकलेट और टॉफी
मैं तेरा राजा और तू मेरी रानी

I Love You so much.. ♥ Happy valentine’s day♥.

सिर्फ तुम्हारा
अमित तिवारी
क्लास 7-सी
MHF पब्लिक स्कूल

ndhebar
17-05-2011, 09:17 PM
जैसे शीला की जवानीजैसे मुन्नी की बदमानी
वैसे मैं हूं तेरा दीवाना
तू बन जा मेरी दीवानी
तू मेरी पेप्सी, चॉकलेट और टॉफी
मैं तेरा राजा और तू मेरी रानी

I Love You so much.. ♥ Happy valentine’s day♥.

सिर्फ तुम्हारा
अमित तिवारी
क्लास 7-सी
MHF पब्लिक स्कूल

मजेदार है :giggle::giggle:

ndhebar
17-05-2011, 09:29 PM
*हिंदुस्तान में फैले भ्रष्टाचार का उदाहरण देते हुए कर्नल गद्दाफी ने बागियों को समझाया है कि ज़िद्द छोड़ दो, लोकतंत्र से भी कुछ नहीं मिलने वाला!
*शरद पवार का कहना है कि अन्ना हज़ारे की तरह अगर देश की दस फीसदी जनता भी भूख हड़ताल पर बैठ जाए और हम उन्हें न मनाएं…तो देश की खाद्यान्न समस्या दूर हो सकती है!
*शरद पवार एक ईमानदार, कुशल, मेहनती और देशभक्त आदमी है। उस जैसा सच्चा आदमी आज तक इस देश ने नहीं देखा…पूरे देश को उन पर नाज़ है” ….ऐसी ही फनी और मज़ेदार चुटकुलों के लिए sms करें…5467 पर!

ndhebar
17-05-2011, 09:32 PM
* विज्ञान ही नहीं, अर्थशास्त्र में भी झोलाछाप डॉक्टर होते हैं…जैसे डॉक्टर मनमोहन सिंह!
* मनमोहन सिंह को देखकर लगता है कि उन्हें ईश्वर ने नहीं,मैडम तुसाद ने बनाया है!
* पवार जैसे ही बापू की मूर्ति पर फूल चढ़ाने झुके…लाठी से धकेलते हुए आवाज़ आई…दूर हटो बेटा…वरना अहिंसा की कसम टूट जाएगी!

ndhebar
17-05-2011, 09:34 PM
* शरद पवार और सुरेश कलमाडी से विशाल भारद्वाज इतने प्रभावित हैं कि उन्हें लेकर एक बार फिर से ‘कमीने’ फिल्म बनाना चाहते हैं!
* दबंग के बाद अनुभव सिन्हा जल्द ही मनमोहन सिंह को लेकर इसका सिक्वल बनाने जा रहे हैं…इस बार फिल्म का नाम है-’अपंग’!
* दिग्विजय सिंह का कहना है कि अन्ना हज़ारे ने बचपन में साइकिल पर रेडलाइट क्रॉस की थी लिहाज़ा उन्हं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने का नैतिक हक़ नहीं है!

ndhebar
17-05-2011, 09:36 PM
* अमेरिका का कहना है कि ओसामा की मौत का क्रेडिट महेंद्र सिंह धोनी को जाता है क्योंकि उसी के ‘हैलीकॉप्टर शॉट’ से अमेरिकी सेना ने प्रेरणा ली थी!
* सीबीआई के ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए उम्मीद कम है कि वो कलमाडी से कुछ उगलवा पाएगी। उसे तो शोले की सीडी दे दी जाए तब भी वो पता नहीं लगा सकती कि ठाकुर के हाथ किसने काटे थे!
* मनमोहन सिंह का कहना है कि टू जी घोटाले पर pac की रिपोर्ट से एक बार फिर ये साबित होता है कि गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार हैं!

Bond007
18-05-2011, 12:35 AM
* अमेरिका का कहना है कि ओसामा की मौत का क्रेडिट महेंद्र सिंह धोनी को जाता है क्योंकि उसी के ‘हैलीकॉप्टर शॉट’ से अमेरिकी सेना ने प्रेरणा ली थी!
...
...


हे...हे...हे...:giggle:
हमको लगा कि मल्लिका (जी) की ओबामा (जी) के साथ मीटिंग अमेरिका (जी) के लिए लकी साबित हुई| :think:

ndhebar
20-05-2011, 04:54 PM
क्या आप जानते हैं कि ओसामा का सबसे बड़ा बेटा ओसामा की सबसे छोटी बीवी से ग्यारह साल बड़ा था?
अफरीदी का कहना है कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए हमने सचिन के इतने कैच छोड़े। अगर हिंदुस्तान कसाब और अफज़ल गुरू को ‘जीवन’ दे सकता है तो क्या हम सचिन को चार ‘जीवनदान’ नहीं दे सकते!
पाकिस्तान की फिल्डिंग हाईलाइट देखकर यही ख्याल आ रहा है कि शुक्र है कामरान अकमल मछली पकड़ने का काम नहीं करता, वरना उसके घरवालों का भूखा मरना तय था!

ndhebar
20-05-2011, 04:56 PM
मुझे डर है कि पाकिस्तान कहीं ये आरोप न लगा दे कि जाटों के आंदोलन से परेशान होकर ही ‘रावलपिंडी एक्सप्रेस’ ने रिटायर होने का फैसला किया है!
ब्रेकिंग न्यूज़-काले धन पर आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पौने दो लाख करोड़ कर दी गई है!
हमारे नेताओं को अगर वाकई विश्व कप जीत की खुशी है तो खिलाड़ियों को पैसा देने के बजाए जो पैसा अब तक उन्होंने खाया है, वो लौटा दें!

ndhebar
20-05-2011, 04:57 PM
ये पूछे जाने पर कि अब तक वो अन्ना हज़ारे का हाल जानने जंतर-मंतर क्यों नहीं गए…राहुल गांधी का कहना था कि मुझे लगा ‘अन्ना’ कोई साउथ इंडियन शख्स है, जो रजनीकांत को भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठा है!
कैसी विडम्बना है…जो कांग्रेस पिछले 63 सालों से गांधी के नाम से अपनी राजनीति चमकाती रही है, आज एक गांधीवादी ने ही उसकी चूलें हिला दी हैं!
जब नेता कहते हैं ‘लोकपाल से कुछ नहीं मिलेगा’ तो उन्हें साफ करना चाहिए कि वो सिस्टम की बात कर रहे हैं या अपनी!

prashant
20-05-2011, 05:24 PM
बहुत ही कटीली व्यंग है भाई.....

dipu
21-05-2011, 09:21 PM
women’
’women’
’women’

If u praise them
then they think
u r lying
If u dn’t, u r good
for nothing

If they talk, they
want u to listen
If u listen, they
want u to talk.

If u kiss them, u r not
a gentleman
If u dn’t, u r not
a man.

If u agree 2 all
their likes.
u r ‘HENPECKED’
If u dn’t , u r not
undrsthndng.

So hard to live
with them and even
harder to live without…!
That’s Women >>.!!!

Bhuwan
23-05-2011, 04:34 PM
ये पूछे जाने पर कि अब तक वो अन्ना हज़ारे का हाल जानने जंतर-मंतर क्यों नहीं गए…राहुल गांधी का कहना था कि मुझे लगा ‘अन्ना’ कोई साउथ इंडियन शख्स है, जो रजनीकांत को भारत रत्न दिए जाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठा है!
कैसी विडम्बना है…जो कांग्रेस पिछले 63 सालों से गांधी के नाम से अपनी राजनीति चमकाती रही है, आज एक गांधीवादी ने ही उसकी चूलें हिला दी हैं!
जब नेता कहते हैं ‘लोकपाल से कुछ नहीं मिलेगा’ तो उन्हें साफ करना चाहिए कि वो सिस्टम की बात कर रहे हैं या अपनी!

:lol::lol:
बहुत खूब ndhebar जी. :bravo:

Suvigya Vicky Mishra
24-05-2011, 01:39 AM
आई पी एल में असहनीय रूप से लंबे टाइम आउट के बारे में जब ललित मोदी से पूछा गया कि किस टीम ने इसकी सिफारिश की थी ??

तो मोदी जी बोले " फाइनैंस टीम ने " ........


आई पी एल में फिक्सिंग की सम्भावना पर बनाई गई खच्चर कमेटी की रिपोर्ट
" प्लेयर्स को मिलने वाली रकमें देख कर सारे दलालों ने हाथ खड़े कर दिए, और इसीलिए फिक्सिंग की सम्भावना खत्म हो गयी "


पश्चिम बंगाल में 'वाम' की इतनी शर्मनाक हार क्यूँ हुई ??
क्यूंकि एक इस बार 'अवाम' का नंबर था...


एक सच्चा व्यंग्य :
फेसबुक नीले औए सफ़ेद रंग का क्यूँ है?

क्यूंकि संस्थापक मार्क जुकरबर्ग कलरब्लाइंड हैं, और हरे और लाल रंग में अंतर नही कर पाते.... और मानना पड़ेगा आज बच्चा बच्चा फेसबुक ब्लू पहचानता है ...



आपका

विक्की

prashant
24-05-2011, 06:38 AM
@ विक्की भाई लेकिन आपके केले ने तो 3D चश्मा पहना है//
कहीं आपको को सारे कंटेंट 3d में नहीं दिखते है!:giggle:

kuram
24-05-2011, 01:09 PM
* कसाब की सेक्युरिटी पर दस करोड़ का खर्चा आया है. बाकी खर्चे अलग. मनमोहन से पूछा तो वो बोले हामारी सरकार प्रेक्टिकल है "अतिथि देवो भव:"

kuram
24-05-2011, 01:15 PM
* सी बी आई ने मोस्ट वांटेड की जो सूची पाकिस्तान को सौंपी उसमे दो भारत में है. चिदंबरम ने कहा - "सी बी आई के पास जो भारत का मेप है उसके अनुसार ये क्षेत्र भारत में नहीं आते"
* सी बी आई एक्सपायर वारंट लेकर विदेश में अपराधी को पकड़ने चली गयी. सी बी आई महानिदेशक बोले - " हमें थोड़ी पता था फोरेन में कागज़ पन्नो की इतनी जांच होती है"

ndhebar
25-05-2011, 09:01 PM
एक सच्चा व्यंग्य :
फेसबुक नीले औए सफ़ेद रंग का क्यूँ है?

क्यूंकि संस्थापक मार्क जुकरबर्ग कलरब्लाइंड हैं, और हरे और लाल रंग में अंतर नही कर पाते.... और मानना पड़ेगा आज बच्चा बच्चा फेसबुक ब्लू पहचानता है ...



आपका

विक्की


मुझे भी कलरब्लाइंडनेस की समस्या है
इसलिए मेरा पसंदीदा रंग भी नीला ही है

ndhebar
25-05-2011, 09:52 PM
हाय मैंने ये क्या कर डाला !
अरे नहीं -नहीं , ऐसा न समझे की मैंने कोई ऐसी हरकत कर डाली जो की मेरे चरित्र पर दाग लगा दे , या मैंने किसी सड़क पर किसी को , या मैंने चोरी , डाका आदि आदि …., ऐसा कुछ नहीं है पर मै अब यही कह रहा हूँ , की हाय मैंने ये क्या कर डाला ?

शाम में घर लौटा तो बगल के घर में उठ रहे शोर में मेरा नाम सुनाई दिया , दिल एक बार फिर कराह उठा,आज फिर से मेरी सात पुश्तों को गाली मिलेगी ( बेचारी जिनका अभी कोई अस्तित्व ही नहीं है पर मेरे कारण उनको भी ….).

अब आप सोच रहे होंगे की मैंने अपने पड़ोसी के घर में क्या कर डाला ? नहीं - नहीं , मै फिर से दुहरा दूं की मैंने उनकी लड़की को नहीं छेड़ा , बेटे को नहीं मारा , अंकल को गाली नहीं दी , उधार पैसा लेकर नहीं लौटाया ,इसके पहले की आपकी सोच मेरे बारे में और कुछ और गंभीर और गलत सोचे मैं आपको ये बता दूं की मैंने ऐसा कुछ नहीं किया , मेरा महा पाप केवल ये है की मैंने उनकी लड़की के विवाह के लिए एक लड़के के बारे में बताया था और उसी के साथ उसका विवाह हुआ था .

आप सोच रहे होंगे की ये क्या बात हुई , शादी कराने के लिए मेरे पड़ोसी मेरी सात पुश्तों को क्यों …..? अब क्या कहूं साथियों , मेरी तो मत ही मारी गयी थी , जो समाज सेवा की भावना से ओत प्रोत होकर मैंने अपने पड़ोसी की सुन्दर और सुशील कन्या (?) का विवाह , अपने जानते में एक अच्छे लड़के से करा दिया , जिस समय विवाह की बात चीत चल रही थी मुझे स्पेशल ट्रीटमेंट मिलता थे , वो लोग मेरी प्रंशसा करते नहीं थकते थे पर … हाय क्या से क्या हो गया ……..

हुआ कुछ यूँ की शादी के कुछ दिन के बाद , लड़के को पता चला की लड़की जब खाने में मीठा बनाती है तो दरअसल वो तीखा हो जाता है और जब तीखा तो मीठा , जब वो मार्केटिंग के लिए निकलती है तो पतिदेव की पूरे महीने का वेतन एक बार में ही , सुबह को सोकर उठते उठते उसे दोपहर हो जाती थी और ना जाने इसी तरह के कितनी सारी , ( ये सारी बातें मुझे उन पतिदेव से पता चली जिनके साथ उनका विवाह हुआ था )

और फिर शादी के बाद लड़की को पता चला की लड़का तो महा मूर्ख है , माँ के पल्लू से बंधा रहता है , सारा वेतन माँ के हाथ में लाकर देता है , घूमने फिरने के लिए निकलता ही नहीं , उसका वेतन भी काफी कम है , धुम्रपान करता है और ना जाने क्या क्या कमियाँ ( ये सारी बातें मुझे लड़की के पिता श्री ने बड़े गुस्से से और गाली), कुछ ही महीनो के बाद दोनों में कहा सुनी होने लगी और लड़की घर आकर अपने पतिदेव की महानता की किस्से सुनाने लगी , और फिर शुरू हुआ मेरे ऊपर उनका ढेर सारा प्यार, मुझसे कहा गया की तूने (जब विवाह की बात चल रही थी तो मै आप कह के ) किस बात का बदला मेरी बेटी से लिया , ऐसा लड़का , ऐसा घर दिया जिसने की बेटी का जीवन ही नरक , धीरे धीरे , और अब तो मै ही नहीं मेरी कई नस्लें बेचारी , बिना किसी पाप और दोष के ….

अब क्या कहें , मै तो केवल यही सोचता रहता हूँ , की हे इश्वर – हाय मैंने ये क्या कर डाला ,

अब तो मै आपको यही सलाह दूंगा की की भय्या सब कुछ कर लेना पर रिश्ता , कभी नहीं .

Bond007
28-05-2011, 06:50 PM
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,

घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.

यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.
ये सेलफोन है या ढक्कन,स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.

ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है कि मच्छर नहीं है,कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है,
मगर कब करें हम,इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं.
दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,
ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है, फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें...

:p :cheers:

Bond007
28-05-2011, 06:58 PM
ये एक सच्चा वाकिया है, इग्नोर मत करना

कालोनी में एक लड़की ने घर से भाग के शादी की, कुछ दिनों बाद दोनों में लड़ाई हो गई| एक दिन लड़का, लड़की को मार रहा था, लड़की ने बचने के लिए छुरी उठाई, तो वो लड़के को लग गई और वो मर गया| लड़की घबरा के अपने घर जा के सो गई|
उसने ख्वाब में देखा एक बाबा कह रहे हैं- बेटी तेरे कपड़ों पे तो खून के निशान हैं, तुम्हे तो पुलिस पकड़ लेगी|
लड़की बोली- बाबा अब मैं क्या करूँ???
तो बाबा ने कहा- डरो मत, surf excel है ना..... !!!

:p :p

Bond007
28-05-2011, 07:07 PM
उस उल्लु के बगैर भी गुलिस्तान अधूरा है ?
मेहरबानो ! जो ना आधा है ना पूरा है.
५ साल तक शाख पे ऊंघ कर सुस्ताता है,
टर्म पूरी होने पर फ़िर पंख फ़ड़्फ़ड़ाता है,
चोंच तीखी करता है , फ़िर बजाता तम्बूरा है,
उस उल्लु के बगैर भी गुलिस्तान अधूरा है ?

ना किसी का भला ना किसी का बुरा करता है
होम्योपैथिक दवाई की तरह सबके दुख हरता है
मदमस्त वोटर के लिए पहाड़ी धतूरा है.
उस उल्लु के बगैर भी गुलिस्तान अधूरा है ?

शब-ए-चुनावी को चौंक कर जाग जाता है,
शाख को दोबारा कब्जाने के मन्सूबे बनाता है,
शाख से चिप्ट के उतरता नही ऐसा कानखजूरा है.
उस उल्लु के बगैर भी गुलिस्तान अधूरा है ?

दानिश्मंदो ! आओ उल्लू का एहतराम करो,
थक गया होगा, अब इस से कहो, आराम करो,
ये मदारी नही ना ही अवाम इसका जमूरा है.
उस उल्लु के बगैर भी गुलिस्तान अधूरा है ?


:think::cheers:

ndhebar
29-05-2011, 11:11 AM
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.

इस पंक्ति से मुझे एक बात याद आई
मैं भी एक सच्चा वाकया सुनाता हूँ
मैं दिल्ली में जिस माकन में रहता था, वहां मान्शाहार की मनाही थी और हम ठहरे विशुद्ध मान्शाहरी
सो छुप छुप के बना ही लेते थे, एक दिन रसोई में चिकन बन रहा था तभी मकान मालिक का लड़का आ गया
उसने पूछ यार निशांत बड़ी गंध आ रही है क्या बात है
मेरा रूम पार्टनर ने कहा "भैया वो क्या है की कचरा वाला पांच दिनों से नहीं आया ना, उसी से गंध आ रही है"

Bond007
29-05-2011, 11:25 AM
इस पंक्ति से मुझे एक बात याद आई
मैं भी एक सच्चा वाकया सुनाता हूँ
मैं दिल्ली में जिस माकन में रहता था, वहां मान्शाहार की मनाही थी और हम ठहरे विशुद्ध मान्शाहरी
सो छुप छुप के बना ही लेते थे, एक दिन रसोई में चिकन बन रहा था तभी मकान मालिक का लड़का आ गया
उसने पूछ यार निशांत बड़ी गंध आ रही है क्या बात है
मेरा रूम पार्टनर ने कहा "भैया वो क्या है की कचरा वाला पांच दिनों से नहीं आया ना, उसी से गंध आ रही है"
:lol::lol::lol: :rolling: :gm:

वैसे इतने आलसी तो नहीं होते होंगे बैचलर्स.......!!! :think:

ndhebar
29-05-2011, 11:34 AM
:rolling: :gm:

वैसे इतने आलसी तो नहीं होते होंगे बैचलर्स.......!!! :think:


ये तो कुछ भी नहीं :lol::lol::lol:

khalid
29-05-2011, 12:37 PM
ये तो कुछ भी नहीं :lol::lol::lol:

क्या इस से भी ज्यादा कोई और भयानक तजुर्बा हैँ

ndhebar
29-05-2011, 12:53 PM
क्या इस से भी ज्यादा कोई और भयानक तजुर्बा हैँ
बहुत भयानक भयानक तजुर्बे हैं खालिद भाई
याद करके रूह तक कांप जाने वाले

Bond007
29-05-2011, 01:02 PM
मायके गई पत्नी को लिखा गया भैरंट लेटर


सादर प्रणाम!

सादर प्रणाम इसलिए कि आपकी दिशा में किए गए मेरे सारे काम सादर एवं साष्टांग अवस्था में ही होते हैं। उपरोक्त तथ्य आपको पता ही है, लेकिन मेरे लिए आश्चर्य दूसरों के लिए सत्य कि यह तथ्य सर्वविदित है। आगे समाचार यह कि तुम्हारे बिना घर सूना-सूना सा लग रहा है। कुछ जलनखोर इसे खिजा में बहार आ गई बताते हैं (हालांकि खिजा का मतलब क्या है मुझे नहीं पता, लेकिन गुरु शब्द तो वाकई जोरदार है।) कुछ शुभचिंतक इस मरघट में शांति आ गई बताते हैं। दोनों ही उदाहरणों के माध्यम से मुझे लोगों के चरित्र और शिक्षा-दीक्षा के लेबल का पता चल रहा है। लोग गिरे हुए हैं एक पत्नी वियोगी को इस तरह की समझाइश दे रहे हैं। हालांकि लोगों को कसूर नहीं है देश की शिक्षा व्यवस्था की कमजोरी के कारण ही लोग इस विशिष्ट परिस्थिति के लिए कोई खास शब्द या उदासीनतामूलक वाक्य नहीं रच पाए हैं। लेकिन हर खामी के लिए देश को जिम्मेदार ठहराना या देश ही जिम्मेदार होता है, किस्म के वाक्य जरूर खूब रच लिए गए हैं। पूरा देश किसी भी तरह की समस्या आने पर बेखटके इन वाक्यों के प्रयोग पर पूरी तरह एकमत है। तो जाहिरा तौर पर लोग इस संदर्भ में गिरे हुए माने जाएंगे।

और प्रिये एक्सक्यूज मी!, यहां शिक्षा-दीक्षा के तरन्नुम में दीक्षा का जिक्र फिजूल में ही आ गया है। मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है। जैसा कि तुम आज तक नहीं मानती हो। उससे मेरा कोई संबंध नहीं है। उसकी कजरारी आंखों बड़ी-बड़ी जरूर थीं लेकिन मैं उनमें नहीं डूबा। उसकी मुस्कान बड़ी कंटीली जरूर थी लेकिन मैं उनसे घायल नहीं हुआ। उसकी नाक बड़ी सुंदर जरूर थी लेकिन उसके साथ रासरंग रचाकर अपनी नाक नहीं कटवाई है। उसके हाथ कमल के फूल जैसे जरूर थे लेकिन मैं उन्हें थामने के लिए कीचड़ में नहीं उतरा। उसके पैर बड़े खूबसूरत थे लेकिन मैंने कभी ‘इन्हें जमीन पर मत रखिए मैले हो जाएंगे’ टाइप के डायलॉग नहीं बोले। हालांकि मुझे याद है जिस दिन उसकी शादी हुई थी तुम कितनी खुश थीं, उस दिन तुमने हलवा-पूरी के साथ खीर भी बनाई थी। कितना आग्रह करके तुमने सब खिलाया था। कितना स्वादिष्ट था उस दिन का खाना, वाह!। कितनी करारी थीं पूरियां अहा!। कितना धांसू अंदाज था तुम्हारे परोसने का उफ्फ!। कितना दुखी सीन था दीक्षा के विदा के समय का, ओह!


क्रमशः...

Bond007
29-05-2011, 01:03 PM
खैर, मुद्दे पर लौटें। जब से तुम गईं हो रसोई का बुरा हाल है। बर्तन उदास हैं। मसालेदानी चीत्कार कर रही है। जिस मूंग की दाल को तुमने मुझे बिना नागा खिलाया था उसका डिब्बा अब उपेक्षित सा महसूस कर रहा है। जिस काली मिर्च के गुण बता-बताकर उसे हर चीज में डालती थीं उसका वो तीखापन जाता रहा है। मिक्सी अपनी स्थिति को लेकर सांसत में है। जिन बाइयों के चेहरे घर में घुसते समय कुम्हला जाते थे उनमें नई चमक और अतिरिक्त रौनक दिखाई दे रही है। उनका डर जाता रहा है। घी के डिब्बे का स्तर रोज घट रहा है, तो सब्जियां आ रही हैं, जा कहां रही हैं पता नहीं चल रहा है। कल ही जिस मूली को आधा खाकर मैंने रखा था आज पत्तियों के रूप में केवल उसके अवशेष मिले हैं। परसों ही जेब में रखी चिल्लर गायब हो चुकी है। हालांकि खुशी इस बात की है कि रुपए सुरक्षित हैं। जा चिल्लर ही रही है। कोई दुष्ट नोटों को छोड़ चिल्लर पर ही नजर गढ़ाए है। और हां, आचार कहीं तुम्हारे वियोग में अपने ही बचे-खुचे तेल में डूबकर आत्महत्या न कर ले। आ जाओ प्रिये, उनकी फफूंदी दूर करो, उनका वर्तमान संवारो, उन्हें भविष्य का नया जीवन दो।
आगे सब ठीक है, लेकिन दूसरों की बुराई को सुनने का तुम्हारा धैर्य और नियमित रूप से उसके लिए समय निकालने की लगन के चलते आस-पड़ोस की तुम्हारी सहेलियां तुम्हारी कमी हरदम महसूस कर रही हैं। उनकी आवाज में अपनी सास की बुराई करने के लिए वांछित स्तर की ऊष्मा और ऊर्जा दोनों ही पैदा नहीं हो पा रही है। उनकी उदासी मुझसे देखी नहीं जाती है। मेरी मजबूरी है अन्यथा मैं उनके पास खड़ा होकर तुम्हारी जगह भरने की कोशिश करता। तुम तो जानती ही हो किसी का भी दुख मुझसे देखा नहीं जाता है। फिर मामला तो पास-पड़ोस का है। (पड़ोसिनें तो प्राचीनकाल से ही खूबसूरत रहती चली आ रही हैं।) तो ऐसे में मैं.. मतलब हम ही उनके काम नहीं आएंगे तो कौन आएगा। सोचो। विचार करो। मेरे नहीं तो कम से कम अपनी पड़ोस की सहेलियों के दुख को तो समझो। लौटे प्रिये, अविलंब लौटो।
वैसे तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, बाकी सब ठीक है। हां, ड्राइंगरूम की हालत कोमा में आ गए जैसी है। सोफे निराशा के गर्त में डूब चुके हैं। उनकी गद्दियां औंधे मुंह पड़ी हैं। सेंटर टेबल धूल के गर्त के नीचे दबकर पुरातात्विक महत्व की हो चुकी है। गुलदस्तों में जो फूल अंतिम बार खोंसे गए थे वे अब किसी का सामना नहीं कर पा रहे हैं, उनकी गर्दन लज्जा से झुक चुकी है। पूरी दोपहर टीवी खाली-खाली सूनी आंखों से निहारता रहता है। प्राइम टाइम में तो उसकी आंखों से चिंगारियां निकलती हैं। जिन सीरियलों को देखकर निजी तौर पर उनकी टीआरपी बढ़ाने का ठेका लिए हुए थीं उनकी हालत खराब हो चुकी है। बालिका वधू से लेकर बिदाई तक सभी जगह सासें प्रभावशाली हो चुकी हैं। बहुओं की हालत पतली है। सासें बड़े जोशो-खरोश से बहुओं पर अत्याचार कर रही हैं। पहले तुम्हारी उपस्थिति मात्र से उनकी इतनी हिम्मत नहीं पड़ती थी। छोटे पर्दे की बहुओं के लिए तुम्हारा घर बैठे-बैठे इतना संबल और नैतिक समर्थन काफी था। टीवी पर आने वाले पुराने फ्रिज, वाशिंग मशीन के विज्ञापन किसी को भी अपील नहीं कर पा रहे हैं। शायद कंपनी वाले भी जान गए हैं इसलिए नए विज्ञापन दे भी नहीं रहे हैं। पत्नी मायके में हो तो नए विज्ञापन देने से कोई फायदा नहीं कंपनी वाले जानते हैं। कंपनी वाले बड़े चालाक होते हैं,भई लेकिन इन दिनों तुम्हारे जाने से कुछ मुश्किल में चल रहे हैं। और हां इसी बीच कुछ नए सीरियल भी आ चुके हैं उनकी भी बहुएं तुम्हारे भरोसे ही हैं। उधर, एकता कपूर भी तुम्हारे आसरे ही बैठी है। चैनलवाले भी तुम्हारी ही राह ताक रहे हैं। पूरी विज्ञापन इंडस्ट्री भी तुमसे उम्मीद लगाए बैठी है। मुंह न मोड़ो, अपनी जिम्मेदारी समझो। आ जाओ प्रिये, जल्दी आ जाओ। छोटे पर्दे के अपने निजी संसार को बचाने के लिए जल्दी आ जाओ।


क्रमशः...

Bond007
29-05-2011, 01:04 PM
और आगे क्या लिखूं। तुम मेरे खाने पीने की चिंता मत करो। जबसे पता चला है मेरे दोस्त रोज शाम को हमारे घर आ जाते हैं। उन्हें मेरे खाने-पीने का पूरा खयाल है। रोज खाने-पीने के बाहर से सामान ले आते हैं। लेकिन एक बात है मैं उन्हें खाली बोतलें अपने घर में नहीं छोड़ने देता। नॉनवेज के लिए तुमने मना किया था इसलिए मैं अपने घर के बर्तन नहीं देता हूं, बेचारों को अपने ही घरों से इसके लिए बर्तन लाने पड़ते हैं। ताश खेलने के लिए बेचारे कह-कह कर थक गए लेकिन जुआ के लिए जब से तुमने अपने सिर की कसम देकर मना किया है मैं नहीं खेलता केवल जरूरत पड़ने पर दोस्तों को उधार ही देता हूं। वे इतने भोले हैं कि इस बात का बुरा नहीं मानते। बेचारे मेरा दुख देखकर देर रात तक रुकते हैं, बहुत जोर देने या घर से पत्नियों के फोन आने पर ही जाते हैं। वे तो रविवार या सरकारी छुट्टी में दिन में भी आ जाते हैं। वे भी मेरे दुख में बहुत दुखी हैं। जो सबसे ज्यादा रुपए हारा है, रोज तुम्हारे आने की तारीख पूछते हैं। कल ही मुझे बता रहा था कि यार, तेरा घर मेरे लिए बड़ा लकी है पिछले बार भी शुरू में मुझे बड़ी जमकर दच्च लगी थी। बाद के चार दिनों में सब बराबर हो गया था। इस बार भी भाभीजी छह दिन और न आएं तो वो पिछली वसूली कर प्रोफिट में आ जाएगा। हालांकि मैं इस बार उससे यह कह पाने की स्थिति मे नहीं हूं कि इस बार तू दच्च ही खाएगा या प्रोफिट में आ पाएगा। बताओ प्रिये, उसे किस दिशा की तरफ इशारा करूं। ऐसे ही अब तुम्हें क्या सुनाऊं, हमारे बैडरूम की दीवारों पर तुम्हारे खौफ के कारण डरते-डरते डोलने वाली छिपकलियों की हिम्मत और हिमाकत इन दिनों कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। दो दिन पहले ही एक छिपकली आधा मकोड़ा खाकर मेरे लिखने वाली टेबल पर छोड़ गई थी, आज वापस आई थी मकोड़ा टेबल पर न देखकर मुझे आंखें दिखा रही थी। पहले उसकी मजाल थी कि ऐसा करे। मकड़ियां भी पहले हमारे कमरे के कोने-आतरों में शहर से बाहर फेंक दिए गए झुगगीवासियों की तरह छोटे-छोटे घरघूले बनाए थीं आज उन्होंने पूरे कमरे में बड़े-बड़े प्लॉट हथिया लिए हैं। एनआरआई किस्म के लक्जरी बंगलों का निर्माण कर लिया है। आस-पड़ोस के कमरों से रिश्तेदारों को बुलाकर पूरे कमरे में अवैध कॉलोनियां काट डाली हैं। यहां तक की हमारे बिस्तर तक से उन्होंने अपनी कॉलोनियों में जाने के लिए सड़कों का निर्माण कर लिया है। आ जाओ प्रिये, नगरनिगम के अतिक्रमणहारी दस्ते की तरह आकर इन बेरसूखदार छिपकलियों और मकड़ियों को उनकी औकात दिखाओ। अन्यथा ऐसा न हो कि इनके मुंह में बड़े कॉलोनाइजरों वाला स्वाद लग जाए और हम एक अदद कमरे तक से विस्थापित हो जाएं।
अंत में कुल मिलाकर समाचार यह है कि इन दिनों हमारे पूरे गृहप्रदेश पर संकट छाया हुआ है। हर आंतरिक मोर्चा एक समस्या खड़ी कर रहा है। बच्चे मनमानी पर उतर आए हैं। चावल-दाल के डिब्बे अपने सूखे और अकाल की स्थिति पर लगातार बाइयों के माध्यम से ज्ञापन भेज रहे हैं। केंद्रीय मदद का पैसा गलत हाथों में न चला जाए। महालेखा परीक्षक की तरह आ जाओ प्रिये, आकर इस भ्रष्टाचार से निपटने में भिड़ जाओ। न आओ तो कम से कम आने की तारीख तो बताओ ताकी जब तक इस अराजकता का ही आनंद लिया जा सके।
पुनश्च: बुरा मत मानना, लेकिन रोज-रोज मुझे बहाने बनाना अच्छा नहीं लगता है इसलिए इतना तो जरूर लिखना कि दोस्त को क्या बताना है उसे दच्च लगेगी या बंदा प्रोफिट में रहेगा।
सादर,
तुम्हारा
सेवकराम सत्यपति

Bond007
29-05-2011, 01:07 PM
लौटती डाक से आया जवाब प्रथम पैराग्राफ तक ही अक्षरश: कल सुबह पहुंच रही हूं। स्टेशन आ जाना। पिछली बार की तरह ज्यादा इंतजार न करना पड़े। आने से पहले दूध उबालकर फ्रिज में रख देना नहीं तो बिल्ली मुंह मार देगी। स्टेशन के रास्ते में सब्जी मंडी पड़ती है वहां से रविवार वाली लिस्ट देखकर सब्जी खरीद लेना। जल्दीबाजी में फिर सड़ी सब्जियां मत उठा लाना। जाते समय कपड़े प्रेस को दिए थे तुमने तो उठाए नहीं होंगे आज ही उठा लेना। जाते समय पापड़ छत पर डाले थे.., बगीचे में पानी भी नहीं दिया होगा, पौधे सूख गए होंगे.., तुमसे कोई काम ढंग से नहीं होता, चार दिन भी पीछे से नहीं संभाल सकते..दोस्तों के साथ ऐश चल रही है। गैरजिम्मेदारी कब जाएगी तुम्हारी। इतनी उमर हो गई है, कुछ तो सीखो..वगैरहा-वगैरहा।
पत्नी का लौटती डाक मिले जवाब के बाद अब फिर से मेरी बातः बड़ी हंसी आ रही है न आपको। बड़ा मजा आ रहा है न पत्र पढ़ने में..। पढ़िए-पढ़िए। कल आपकी भी शादी होगी न, आपकी बीवी भी मायके जाएगी न। तब देखूंगा आप क्या लिख लेते हो। लिख तो फिर भी लोगो गुरु, लेकिन हमारे जैसी अच्छी सब्जी खरीदने की तमीज कहां से लाओगे।




---xxx---
जेजे ब्लॉग पर भारत पुरोहित|

amit_tiwari
29-05-2011, 01:20 PM
:lol::lol::lol: :rolling: :gm:

वैसे इतने आलसी तो नहीं होते होंगे बैचलर्स.......!!! :think:


Agar ghar me 200 khali water bottle mile to manoge? Agar makaan malik kam wali laga ke de aur bichari wo hamesha wapas jaye to manoge? Jab rat ke 1 baje dinner kya bane is par discussion chalu ho tab manoge? Hehehe

kuram
29-05-2011, 07:51 PM
क्या इस से भी ज्यादा कोई और भयानक तजुर्बा हैँ

जाकर पूछो गुडगाँव में यूनियन बेंक के मेनेजर से जिनके घर में ग्राउंड फ्लोर में हम तीन मित्र किरायेदार थे. रात को बारह बजे झगडा हुआ था रोटिया कौन बनाएगा. और अंत में आधे घंटे बाद तय हुआ की फैसला ताश के पतों से होगा. जो हारा वो मित्र पहले अपनी ड्युटी सब्जी बनाकर पूरी कर चुका था. दुबारा रोटी बनाने के लिए उसीका नंबर आया तो गुस्से से उसने बनी बनायी सब्जी भी कूड़े में डाल दी थी. हमारी बात चीत ऊपर के फ्लोर तक जा रही थी. ऊपर से आंटी की आवाज आयी " बेटा, रोटिया तो नहीं है खाने की दूसरी चीज मेरे पास पड़ी है कहो तो देदु और प्लीज भगवान् के लिए सो जाओ बाकी तो सुबह हिसाब किताब करेंगे "

ndhebar
30-05-2011, 05:19 PM
जाकर पूछो गुडगाँव में यूनियन बेंक के मेनेजर से जिनके घर में ग्राउंड फ्लोर में हम तीन मित्र किरायेदार थे. रात को बारह बजे झगडा हुआ था रोटिया कौन बनाएगा. और अंत में आधे घंटे बाद तय हुआ की फैसला ताश के पतों से होगा. जो हारा वो मित्र पहले अपनी ड्युटी सब्जी बनाकर पूरी कर चुका था. दुबारा रोटी बनाने के लिए उसीका नंबर आया तो गुस्से से उसने बनी बनायी सब्जी भी कूड़े में डाल दी थी. हमारी बात चीत ऊपर के फ्लोर तक जा रही थी. ऊपर से आंटी की आवाज आयी " बेटा, रोटिया तो नहीं है खाने की दूसरी चीज मेरे पास पड़ी है कहो तो देदु और प्लीज भगवान् के लिए सो जाओ बाकी तो सुबह हिसाब किताब करेंगे "
अब ये दुनियादारी में फंसा प्राणी(खालिद भाई) क्या जाने ये सब बातें

ndhebar
04-06-2011, 12:25 AM
शर्तिया इलाज: शाही दवाखाना

किशोरावस्था की नादानी, पड़ गई आप पर भारी, बन गए बलात्कारी! घबराईए नहीं, शर्माइए नहीं, गाजियाबाद का शाही दवाखाना खास आपके लिए. बिना चीड़-फाड़ के शमशेर बाबा (काली घाट वाले) द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक गोली का सेवन करें एक बार, बलात्कार की इच्छा समझो खत्म यार.

बलात्कारी की मनोदशा को समझने और इससे उसे निजात दिलाने के लिए शमशेर बाबा ने 11 वर्षों तक काली घाट में घनघोर तपस्या की. अमावस्या की काली घनघोर रात को एक दिन बाबा ने आख़िरकार सफलता पा लिया. शेरनी का दूध, हाथी का दांत और बाबा द्वारा खोजी गई विश्व की एकमात्र औषधि का मिश्रण करके बनी चमत्कारी गोली, जो करे बलात्कारी मानसिकता का निवारण.

दुनिया का बड़े-से-बड़ा बलात्कारी भी बाबा की दवा खाकर अब शांत है. उसके अंदर बलात्कार की भावना खत्म हो गई है. एक वर्ष के भीतर 13 बलात्कार कर चुका दुर्दांत बलात्कारी कालू मोहन भी अब शांत हो चुका है. समाज में अब उसे नफरत की नजर से नहीं देखा जाता है. कालू मोहन ने खुद बाबा को पुरुष नहीं, बल्कि महापुरुष की संज्ञा दी है. क्योंकि बाबा की दवाई से कालू मोहन अब पुरुष कहलाने के लायक बचा ही नहीं.

अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो शर्म-शंका छोड़िये, चले आईए बाबा की शरण में.


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई: बलात्कार है सब पर भारी
जो शाही दवाखाना आए, फिर कभी न बने बलात्कारी

पता: शाही दवाखाना, लाल कोठी, दूसरी मंजिल, पुराना बस अड्डा गाजियाबाद के ठीक सामने

मिलने का समय: सुबह 9 से 11 बजे, शाम 6 से 8 बजे

शर्तिया इलाज: 100% फायदा, नहीं तो पूरे पैसे वापस (हमारे दरवाजे सरकार के लिए भी खुले हैं, अगर सरकार चाहे तो बाबा मुफ्त में बलात्कारियों का इलाज कर सकते हैं.)

Bhuwan
07-06-2011, 12:18 AM
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं,

घर साफ होता तो कैसा होता.
मैं किचन साफ करता तुम बाथरूम धोते,
तुम हॉल साफ करते मैं बालकनी देखता.
लोग इस बात पर हैरान होते,
उस बात पर कितने हँसते.
मैं और मेरा रूममेट अक्सर ये बातें करते हैं.

यह हरा-भरा सिंक है या बर्तनों की जंग छिड़ी हुई है,
ये कलरफुल किचन है या मसालों से होली खेली हुई है.
है फ़र्श की नई डिज़ाइन या दूध, बियर से धुली हुई हैं.
ये सेलफोन है या ढक्कन,स्लीपिंग बैग है या किसी का आँचल.
ये एयर-फ्रेशनर का नया फ्लेवर है या ट्रैश-बैग से आती बदबू.
ये पत्तियों की है सरसराहट या हीटर फिर से खराब हुआ है.

ये सोचता है रूममेट कब से गुमसुम,
के जबकि उसको भी ये खबर है कि मच्छर नहीं है,कहीं नहीं है.
मगर उसका दिल है कि कह रहा है मच्छर यहीं है, यहीं कहीं है.
दिल में एक तस्वीर इधर भी है, उधर भी.
करने को बहुत कुछ है,
मगर कब करें हम,इसके लिए टाइम इधर भी नहीं है, उधर भी नहीं.
दिल कहता है कोई वैक्यूम क्लीनर ला दे,
ये कारपेट जो जीने को जूझ रहा है, फिकवा दे.
हम साफ रह सकते हैं, लोगों को बता दें...

:p :cheers:


:lol::lol::lol::lol:
हा हा हा हा बोंड भाई होस्टल की यादें तजा कर दी. :bravo::bravo:

Bhuwan
07-06-2011, 12:20 AM
इस पंक्ति से मुझे एक बात याद आई
मैं भी एक सच्चा वाकया सुनाता हूँ
मैं दिल्ली में जिस माकन में रहता था, वहां मान्शाहार की मनाही थी और हम ठहरे विशुद्ध मान्शाहरी
सो छुप छुप के बना ही लेते थे, एक दिन रसोई में चिकन बन रहा था तभी मकान मालिक का लड़का आ गया
उसने पूछ यार निशांत बड़ी गंध आ रही है क्या बात है
मेरा रूम पार्टनर ने कहा "भैया वो क्या है की कचरा वाला पांच दिनों से नहीं आया ना, उसी से गंध आ रही है"

हा हा हा हा :lol::lol:

ऐसा ही होता था भाई.:tomato::tomato:

Bhuwan
07-06-2011, 12:24 AM
मायके गई पत्नी को लिखा गया भैरंट लेटर


सादर प्रणाम!

सादर प्रणाम इसलिए कि आपकी दिशा में किए गए मेरे सारे काम सादर एवं साष्टांग अवस्था में ही होते हैं।



क्रमशः...



खैर, मुद्दे पर लौटें। जब से तुम गईं हो रसोई का बुरा हाल है। बर्तन उदास हैं।




क्रमशः...

और आगे क्या लिखूं। तुम मेरे खाने पीने की चिंता मत करो। जबसे पता चला है मेरे दोस्त रोज शाम को हमारे घर आ जाते हैं। उन्हें मेरे खाने-पीने का पूरा खयाल है।





[b]सादर,
तुम्हारा
[b]सेवकराम सत्यपति

बोंड भाई, मजेदार है:bravo: लेकिन थोडा ज्यादा लम्बा हो गया. :boring: :boring:

Bhuwan
07-06-2011, 12:27 AM
जाकर पूछो गुडगाँव में यूनियन बेंक के मेनेजर से जिनके घर में ग्राउंड फ्लोर में हम तीन मित्र किरायेदार थे. रात को बारह बजे झगडा हुआ था रोटिया कौन बनाएगा. और अंत में आधे घंटे बाद तय हुआ की फैसला ताश के पतों से होगा. जो हारा वो मित्र पहले अपनी ड्युटी सब्जी बनाकर पूरी कर चुका था. दुबारा रोटी बनाने के लिए उसीका नंबर आया तो गुस्से से उसने बनी बनायी सब्जी भी कूड़े में डाल दी थी. हमारी बात चीत ऊपर के फ्लोर तक जा रही थी. ऊपर से आंटी की आवाज आयी " बेटा, रोटिया तो नहीं है खाने की दूसरी चीज मेरे पास पड़ी है कहो तो देदु और प्लीज भगवान् के लिए सो जाओ बाकी तो सुबह हिसाब किताब करेंगे "

:lol::lol::lol: :lol: :lol:
ये भी मजेदार है.:horse:
:bravo:

ndhebar
28-06-2011, 02:53 PM
दोस्तों वैसे तो यह खबर पुरानी है लेकिन इसकी रोचकता और विचित्रता ने मुझको किसी अल्हड़ कुंवारी हसीना की तरह इसकी तरफ आकर्षित किया . उस विचित्र खबर के अनुसार हमारे पड़ोसी देश नेपाल में सच्चाई + इमानदारी + भलमनसाहत+ मेहनतकश के प्रतीक गधों और खच्चरों के निस्वार्थ परिश्रम को सम्मान देने के लिए नेपाल में अब इन बेजुबान और निरीह जानवरों को हफ्ते में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश मिला करेगा .

यह देख कर यार लोगों ने रब्ब से जो सबसे पहली फरियाद की वोह यही थी की “या रब्ब ! मुझको तू अगले जन्म में गधा ही बनाना लेकिन जन्म नेपाल में ही देना . यारों ! मुझको तो उन गधों के ऐशो – आराम से बेहद जलन होती है . अब मैं भी क्या करूं ? , खुदा ने शरीर चाहे मर्दों वाला लेकिन दिल और दिमाग तो औरतो वाला ही दिया है की , ईष्र्या और जलन तो झट से पैदा हो जाती है . कहाँ तो हम २४ घंटे में पूरे अठारह घन्टे जागते है , इश्क में नही बल्कि काम की वजह से आदमी की जून में होते हुए भी हमको गधों से भी ज्यादा काम करना पड़ता है और अब तो ऐसा लगता है की गधे भी मुझसे हमदर्दी कर रहे होंगे . अब तो अगर कोई गुस्से में या फिर बददुआ के रूप में ही अगले जन्म में गधा होने की गाली निकले तो हमारे लिए वोह भी शाप की बजाय वरदान के समान होगा .
यहाँ भारत में तो स्वर्गीय राजीव गाँधी ने पश्चिम की नकल करते हुए नौकरशाही के लिए पांच दिन के कार्यदिवस और सप्ताह में शनिवार और रविवार दो दिनों का अवकाश घोषित किया था . उससे पहले सभी सरकारी प्राणी चाहे अपनी मनमर्जी से काम करते थे , लेकिन उनकी जून गधे के समान ही कही जाती थी . सभी लाफिताशाही करने वाले नौकरशाह कहलाते चाहे सरकार के जमाई थे लेकिन उनके काम के घन्टे किसी गधे के समान ही थे , अब जब बेचारों को ओवरटाइम ही नहीं मिलता तो उन पर हफ्ते के सातों दिन काम का बोझ क्यों . इसीलिए इन सभी को स्वर्गीय राजीव गाँधी को उनके इस ऐतहासिक और क्रांतिकारी कदम के लिए उनका पिंड दान करके आभार प्रकट करना चाहिए .

अब गधे के मालिकों के सीने पर जलन के मारे सांप लोटेंगे , जब वोह उन बेजुबान और निरीह प्राणियों को बिना काम के पूरे दो दिन ऐश से खाते पीते और आराम करते हुए देखेंगे . इधर एक हमारा बिग बॉस है की हमे उसके सामने एक चाय का कप पीते हुए भी घबराहट होती है . कोई अचरज की बात नही होगी कल को अगर यह खबर भी हमको सुनने को मिल जाए की उन दो दिनों में गधों का मन बहलाने के लिए उनको पिकनिक पर ‘जोड़ो’ के रूप में ले जाया जाए और अगर कोई ऐसा प्रस्ताव रखेगा तो और कोई चाहे न करे लेकिन हम तो उसका पुरजोर समर्थन करेंगे तथा अगर किसी ने इस प्रकार का प्रस्ताव नहीं रखा तो हम द ऐसा प्रस्ताव पूरे जोर शोर से रखेंगे . वो इसलिए क्योंकि हमको अच्छी तरह मालूम है की जिस तरह के हमारे कर्म है हमको अगला जन्म में गधे की योनि ही मिलेगी और आप लोग अपना अगला लोक सवांरने में लगे हो क्योंकि आप यह भली भांति जानते है की आपको आपके उच्च कर्मो के कारण फिर से आगे कोई मनुष्य जन्म ही मिलेगा . लेकिन हमे तो यह मालूम है की हमारे कारनामों की वजह से हमको आदमजात की नहीं बल्कि किसी जानवर की योनि ही मिलेगी .

ndhebar
29-06-2011, 07:06 AM
लोकपाल बिल

मायावती चाहती हैं कि ड्राफ्टिंग कमेटी में एक दलित भी हो… जैसे ए राजा, बंगारु लक्ष्मण या फिर वो खुद!

ndhebar
29-06-2011, 07:07 AM
“भले ही ओसामा बिन लादेन हमारे बीच नहीं रहे मगर हमें उनके अधूरे काम को पूरा करना है”-दिग्विजय सिंह

ndhebar
29-06-2011, 07:08 AM
ओसामा की मौत का स्वागत करते हुए मनमोहन सिंह ने एक बार फिर से सोनिया गांधी के कुशल नेतृत्व की तारीफ की है!

ndhebar
29-06-2011, 07:09 AM
पाकिस्तान करे भी तो क्या करे…तालिबान से उसका मन मिलता है और अमेरिका से उसे धन मिलता है!

great_brother
29-06-2011, 09:44 AM
लोकपाल बिल

मायावती चाहती हैं कि ड्राफ्टिंग कमेटी में एक दलित भी हो… जैसे ए राजा, बंगारु लक्ष्मण या फिर वो खुद!

बहुत बढ़िया भाई मजा आ गया ....................
हा हा हा ...............................................

Bhuwan
30-06-2011, 12:24 PM
“भले ही ओसामा बिन लादेन हमारे बीच नहीं रहे मगर हमें उनके अधूरे काम को पूरा करना है”-दिग्विजय सिंह

:lol::lol::lol:

ndhebar
06-07-2011, 12:03 PM
देश सचमुच ही प्रगति कर रहा है, जहाँ देखिये वहां प्रगति के चिन्ह नजर आ ही जाएंगे . हर क्षेत्र में धुआं-धार प्रगति. जनाब आप माने न माने जो लोग गरीबी- भ्रष्टाचार-पिछड़ेपन का रोना रो रहे हैं वो जानते ही नहीं की वास्तव में प्रगति कार्य का कैसे मापा जाता है.सबके सब अनपढ़-गवांर, देश की प्रगति के अवरोधक अब आप ही गौर से सोचिये.
पहले लोगों पर एक घर होता था और अब तो चार-चार,पांच-पांच घर होते हैं.पहले जितने लोग बेघर थे अब उनसे कहीं ज्यादा बेघर हैं. घर वालों की भी प्रगति, बेघरों की भी प्रगति.
पहले बड़ी मुश्किल से किसी एक आध किसान की आत्महत्या करने की खबर अखबार में पढने को मिलती थी, कितने बुरे दिन थे अब तो भगवान् की दुआ से काफी प्रगति कर ली है हर हफ्ते आप अखबारों में ऐसी ख़बरें पढ़ सकते हैं.
घोटालों में भी चौतरफा प्रगति हुई है इसकी प्रगति की गति तो रिक्टर स्केल पर भी नहीं नापी जा सकती.
हमारी दानशीलता तो प्राचीन काल से ही प्रसिद्द है आपको याद ही होगा.कर्ण, दधिची, राजा बलि और अब हमारी सरकार. पहले कश्मीर की जमीन दान दे दी फिर लद्दाख की, फिर अरुणाचल की दे दी, बांग्लादेश को दो बीघा जमीन का गलियारा दे दिया. ये दानशीलता बढती ही जा रही इसमें भी हम दिनों दिन प्रगति कर रहे हैं वो दिन दूर नहीं हम अपने देश को ही किसी और को दान दे दें.
महंगाई में तो हम दीन दुनी रात चौगुनी प्रगति कर रहे हैं मजाल क्या जो एक भी चीज सस्ती मिल जाए . वैसे भी आमजन का कुछ ऐसा मानना है की जितना महंगा उतना बढ़िया, जितना सस्ता उतना घटिया. इसीलिए शायद इंसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं रही (सबसे घटिया जो ठहरा) खैर प्रगति यहाँ भी बरकरार है.
दिनों दिन समस्याओं में भी प्रगति हो रही है एक विकासशील देश बिना समस्याओं के अच्छा नहीं लगता. इसलिए हमारा विश्वास है की समस्याएं कम मत होने दो बढाते जाओ..
हमने आतंकवाद में भी सीना फुलाने लायक प्रगति की है. अब देश में आतंकवाद केवल कश्मीर में ही नहीं बचा है हर स्टेट में फैला दिया है.
पहले एक आध जयचंद टाइप का आदमी देश में था अब तो माशाअल्लाह खुदा तरक्की बनाए रखे, देश में जयचंदों की कोई कमी नहीं.
हमारे समाज ने सोने में बेशुमार प्रगति की है जनाब कुम्भकरण तो छह महीने में जाग भी जाता था पर हमारा समाज तो ऐसे सोया है जैसे कन्यादान करके सोया हो. कुछ भी हो जाए मजाल क्या जो एक भी आदमी जाग जाए. इस मामले में भी शायद सबसे ज्यादा प्रगति हमने ही की है!
अपनी संस्कृति का जनाज़ा निकालने में भी हमारा कोई सानी नहीं. हिम्मत है तो करलो मुकाबला. हम तो कपड़े उतारने को भी तैयार हैं प्रगति करने के लिए!
जनाब सच मानिए ये विश्व बिरादरी तो हमसे चिढती है. वर्ना हम हर मामले में अव्वल हैं हमारा मुकाबला कोई नहीं कर सकता. अरे और देशों में तो इंसान मटन-चिकन ही खाता होगा यहाँ तो इंसान इंसान को ही खा जाता है, अजी और भी आगे काट काट कर भविष्य के लिए फ्रीज़र में रख लेता है. और सबसे बड़ी बात नारियों को प्रताड़ित करने में और उन्हें अपने स्वार्थ के लिए जलाने में हमारा कोई सानी नहीं. अजी कोई एक खूबी हो तो बताएं ये सब कारनामे आदमी ऐसे ही नहीं कर सकता बड़ी हिम्मत की ज़रुरत होती है और वैसे भी हमारे यहाँ तो विकास कार्यों की लिस्ट इतनी लम्बी है कहाँ तक लिखूं . हाँ, इतना जरूर है की ऐसी प्रगति और विकास दर हमारे ही देश की होगी और हमसे आगे कोई भी देश नहीं होगा (कोई देश नहीं दुनियां में बढ़कर हिन्दुस्तान से).
एक और महत्वपूर्ण बात एक हमारा ही देश विश्व में ऐसा होगा जहाँ सरकार इतनी लगन से काम करती है. सच कह रहा हूँ ये हमारी सरकार ही है जिसके सहयोग से हम इतनी तरक्की कर पा रहे हैं वर्ना आज के ज़माने में विकास की बात बेमानी है. -

Bhuwan
09-07-2011, 09:35 AM
देश सचमुच ही प्रगति कर रहा है, जहाँ देखिये वहां प्रगति के चिन्ह नजर आ ही जाएंगे . हर क्षेत्र में धुआं-धार प्रगति. जनाब आप माने न माने जो लोग गरीबी- भ्रष्टाचार-पिछड़ेपन का रोना रो रहे हैं वो जानते ही नहीं की वास्तव में प्रगति कार्य का कैसे मापा जाता है.सबके सब अनपढ़-गवांर, देश की प्रगति के अवरोधक अब आप ही गौर से सोचिये.
पहले लोगों पर एक घर होता था और अब तो चार-चार,पांच-पांच घर होते हैं.पहले जितने लोग बेघर थे अब उनसे कहीं ज्यादा बेघर हैं. घर वालों की भी प्रगति, बेघरों की भी प्रगति.
पहले बड़ी मुश्किल से किसी एक आध किसान की आत्महत्या करने की खबर अखबार में पढने को मिलती थी, कितने बुरे दिन थे अब तो भगवान् की दुआ से काफी प्रगति कर ली है हर हफ्ते आप अखबारों में ऐसी ख़बरें पढ़ सकते हैं.
घोटालों में भी चौतरफा प्रगति हुई है इसकी प्रगति की गति तो रिक्टर स्केल पर भी नहीं नापी जा सकती.
हमारी दानशीलता तो प्राचीन काल से ही प्रसिद्द है आपको याद ही होगा.कर्ण, दधिची, राजा बलि और अब हमारी सरकार. पहले कश्मीर की जमीन दान दे दी फिर लद्दाख की, फिर अरुणाचल की दे दी, बांग्लादेश को दो बीघा जमीन का गलियारा दे दिया. ये दानशीलता बढती ही जा रही इसमें भी हम दिनों दिन प्रगति कर रहे हैं वो दिन दूर नहीं हम अपने देश को ही किसी और को दान दे दें.
महंगाई में तो हम दीन दुनी रात चौगुनी प्रगति कर रहे हैं मजाल क्या जो एक भी चीज सस्ती मिल जाए . वैसे भी आमजन का कुछ ऐसा मानना है की जितना महंगा उतना बढ़िया, जितना सस्ता उतना घटिया. इसीलिए शायद इंसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं रही (सबसे घटिया जो ठहरा) खैर प्रगति यहाँ भी बरकरार है.
दिनों दिन समस्याओं में भी प्रगति हो रही है एक विकासशील देश बिना समस्याओं के अच्छा नहीं लगता. इसलिए हमारा विश्वास है की समस्याएं कम मत होने दो बढाते जाओ..
हमने आतंकवाद में भी सीना फुलाने लायक प्रगति की है. अब देश में आतंकवाद केवल कश्मीर में ही नहीं बचा है हर स्टेट में फैला दिया है.
पहले एक आध जयचंद टाइप का आदमी देश में था अब तो माशाअल्लाह खुदा तरक्की बनाए रखे, देश में जयचंदों की कोई कमी नहीं.
हमारे समाज ने सोने में बेशुमार प्रगति की है जनाब कुम्भकरण तो छह महीने में जाग भी जाता था पर हमारा समाज तो ऐसे सोया है जैसे कन्यादान करके सोया हो. कुछ भी हो जाए मजाल क्या जो एक भी आदमी जाग जाए. इस मामले में भी शायद सबसे ज्यादा प्रगति हमने ही की है!
अपनी संस्कृति का जनाज़ा निकालने में भी हमारा कोई सानी नहीं. हिम्मत है तो करलो मुकाबला. हम तो कपड़े उतारने को भी तैयार हैं प्रगति करने के लिए!
जनाब सच मानिए ये विश्व बिरादरी तो हमसे चिढती है. वर्ना हम हर मामले में अव्वल हैं हमारा मुकाबला कोई नहीं कर सकता. अरे और देशों में तो इंसान मटन-चिकन ही खाता होगा यहाँ तो इंसान इंसान को ही खा जाता है, अजी और भी आगे काट काट कर भविष्य के लिए फ्रीज़र में रख लेता है. और सबसे बड़ी बात नारियों को प्रताड़ित करने में और उन्हें अपने स्वार्थ के लिए जलाने में हमारा कोई सानी नहीं. अजी कोई एक खूबी हो तो बताएं ये सब कारनामे आदमी ऐसे ही नहीं कर सकता बड़ी हिम्मत की ज़रुरत होती है और वैसे भी हमारे यहाँ तो विकास कार्यों की लिस्ट इतनी लम्बी है कहाँ तक लिखूं . हाँ, इतना जरूर है की ऐसी प्रगति और विकास दर हमारे ही देश की होगी और हमसे आगे कोई भी देश नहीं होगा (कोई देश नहीं दुनियां में बढ़कर हिन्दुस्तान से).
एक और महत्वपूर्ण बात एक हमारा ही देश विश्व में ऐसा होगा जहाँ सरकार इतनी लगन से काम करती है. सच कह रहा हूँ ये हमारी सरकार ही है जिसके सहयोग से हम इतनी तरक्की कर पा रहे हैं वर्ना आज के ज़माने में विकास की बात बेमानी है. -

हकीकत है भाई. :bang-head::bang-head::tomato::tomato:


:bravo:

Nitikesh
09-07-2011, 07:32 PM
अरे वाह इतनी प्रगति,लगता है की हमारे देश ने अब सही राह पकड़ी है.:giggle:

Sikandar_Khan
03-08-2011, 04:54 PM
बेशर्म आम आदमी,
हर समय शिकायत करता है,
सरकार ने यह नहीं किया,
सरकार ने वह नहीं किया,
बेबकूफ यह भी नहीं जानता,
सरकार आम आदमी से बनती है,
आम आदमी से चलती नहीं,
सरकार बनाने की कीमत दी थी तुझे,
दारू, मुर्गा, कम्बल और ढेर आश्वासन,
साला सब भूल गया,
एहसान फरामोश कहीं का,
कितनी दरियादिल है सरकार,
हर पांच साल बाद आती है,
और बांटती है दारू, मुर्गा, कम्बल,
पुराने और नए-नए आश्वासन,
पर बेशर्म आम आदमी,
करता रहता है हर समय शिकायत.

Sikandar_Khan
03-08-2011, 05:13 PM
माँ मैं लायक हूँ न,
किस ने कहा बेटा?
पिग्गी अंकल ने,
किस के लिए बेटा?
पीएम बनने के लिए,
क्या मन्नू अंकल लायक हैं?
वह तो नालायक हैं माँ,
तुम ही तो कहती हो माँ,
परेशान मत हो बेटा,
पर वह हँसते हैं माँ,
कौन बेटा?
भारत के आम आदमी माँ,
वह पिग्गी पर हँसते हैं बेटा,
उन पर क्यों माँ?
उस की बेबकूफी पर बेटा,
तुम्हें लायक कहता है न.

Sikandar_Khan
03-08-2011, 05:20 PM
एक विदेशी बेंक ने पूछा,
क्यों जानना चाहती है सरकार?
भारतीय खाताधारियों के नाम,
भारत सरकार ने बताया,
देश का धन चुराया है उन्होंने,
अदालत कहती है धन वापस लाओ,
बेंक मुस्कुराया और पूछा,
क्या सरकार भी यही चाहती है?
सरकार शर्मा गई,
पर दूसरे छण गरमा गई,
अदालत सीमा लांघ रही है,
हर काम में टांग अड़ा रही है,
अम्मा को यह अच्छा नहीं लगता,
खाताधारियों के नाम बताइये,
बैसे अदालत की तो ऐसी-तैसी,
उन्हें तो भैय्या अपना हिस्सा चाहिए.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:17 AM
मंत्री ने दी कैग को गाली,
कहा उसे गुणा-भाग करना नहीं आता,
अम्मा को सब पता है,
काला-धन खेलों में कितना धन काला हुआ,
कैग की फिगर गलत है,
कलमाड़ी से मिल गया लगता है,
जो कम फिगर बता रहा है,
अम्मा से लेगा पंगा,
तो हो जाएगा नंगा,
सही फिगर बताएगा,
तो तू भी कुछ पा जाएगा.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:19 AM
लड़की का पिता - विवाह बराबर वालों में हो तभी सफल होता है.
उम्मीदवार - आप सही कहते हैं. मेरा और आपकी बेटी का विवाह भी सफल होगा.
लड़की का पिता - मगर तुम्हारी तो कोई हैसियत ही नहीं है.
उम्मीदवार - अभी कुछ नहीं है पर विवाह के बाद तो आप के बराबर हो जायेगी.

Ruling Party and Opposition Party have same policy.
What is that?
Both love power.

नौकर - मालकिन मैं आप के यहाँ काम नहीं कर सकता.
मालकिन -क्यों?
नौकर - आप मुझे ऐसे डांटती हैं जैसे मैं आपका पति हूँ.

It was Raju's first day in school.
When he returned home, his mother asked, 'what did you learn today?'
'Not much', Raju replied, 'tomorrow also I will have go to school'.

नेता - मैं कल से दहेज़ के खिलाफ अभियान चला रहा हूँ.
पत्रकार - आज से ही क्यों नहीं?
नेता - आज मेरे बेटे की शादी है.

Raju returned from school.
He was both happy and sad.
Happy, as he was promoted to class 2.
Sad, as his teacher was not promoted.

A minister while going to Parliament asked his driver, ‘Can you drive the car with your eyes closed?’
Driver replied in the negative.
Minister taunted the driver, ‘You can’t even drive the car with eyes closed, and we are driving the entire country with closed eyes.’
Driver got annoyed and closed his eyes. A big bang, people came running and took out the driver. They thanked him, ‘You have done a great service to the nation. May God rest the soul of minister in peace’.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:19 AM
उन्होंने कहा,
हम इन काला धन खेलों में,
एक नया रिकार्ड बनायेंगे,
विदेशी खिलाडी या तो नहीं आयेंगे,
या आकर बीमार पड़ जायेंगे,
सारे पदक सोना, चाँदी, तांबा,
हमारे खिलाड़ी ले जायेंगे.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:20 AM
साझा धन खेल,
हो गए काला धन खेल,
गोरे तो रहे गोरे,
काले हो गए और काले,
जेब काटी सरकार ने,
दलितों को भी नहीं छोड़ा,
उनका पैसा भी हड़प, हजम,
खोद डाली सारी दिल्ली,
नया बनाने के नाम पर,
कोई शर्म नहीं, कोई शर्मसार नहीं,
राष्ट्रीय शर्म का यह उत्सव,
मना रहे है सब गर्व से.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:20 AM
भारत की,
राष्ट्रीय मानक संस्था,
भारतीय मानक ब्यूरो,
बनाती है राष्ट्रीय मानक,
छपते हैं, गजट होते हैं,
इस्तेमाल जरा कम होते हैं,
एन बनाया अघोषित मानक,
न छपा, न गजट हुआ,
पर जम कर इस्तेमाल हुआ,
मानकः पथ भ्रष्टकः
कैसे बनाएं प्रभावहीन,
सूचना के अधिकार को?
कैसे बनाएं प्रभावशाली,
चमचागिरी के हथियार को?
काम करना हराम है,
भ्रष्टाचार हलाल है.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:22 AM
आज के अखवार में,
निकला है एक विज्ञापन,
संगठित भ्रष्टाचार में शामिल हों,
जम कर रिश्वत खाएं,
विदेश यात्रा पर जाएँ,
पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग,
समय से पहले प्रमोशन,
अच्छे अफसरों में गिनती,
पड़ोसी आदर से नाम लें,
रिश्तेदार नजरें झुका कर बात करें,
कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं,
सीवीसी, पुलिस, अदालत, सरकार,
सब मदद करने को तैयार,
सावधान,
अकेला भ्रष्टाचारी मार खाता है,
संगठित भ्रष्टाचारी पूजा जाता है.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:22 AM
गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही पड़ गई,
वर्मा जी भी हो गए परेशान,
कुछ पसीने से,
कुछ बीबी-बच्चों के तानों से,
बेंक ने लोन दे दिया,
घर में एसी लगवा लिया,
खूब ठंडी हवा खाई,
कोलोनी में बिना एसी वालों को देखते,
तब मन ही मन कहते,
'उफ़ यह मिडिल क्लास वाले',
फिर आया विजली का बिल,
एसी की ठंडी हवा में पसीने आ गए,
लोन की किश्त भरें,
या विजली का बिल दें?
डराबने सपने आने लगे,
कभी विजली कट जाए,
कभी बेंक के गुंडे आ जाएँ,
खुद ही एसी वापस कर आये,
पसीना वर्दाश्त कर लेंगे,
लोन पर एसी लेकर,
मिडिल से अपर क्लास नहीं हो जाता कोई.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:23 AM
पटना में चाय की एक दुकान,
बतिया रहे थे कुछ बिहारी,
यह नितीश बौरा गए हैं क्या?
गुजरात की जनता ने मदद भेजी,
यह ससुर लौटा दिए उस को,
मरे गरीब बाढ़ में,
वह गए घर, खेत, खलिहान,
इनका क्या बिगड़ा?
जनता की जनता को मदद,
यह कौन हैं लौटाने वाले?
दिमाग में चढ़ गई है सत्ता,
भूल गए हैं ससुर,
जनता ने बिठाया था कुर्सी पर,,
जनता ही उतार देगी,
कोई समझाए इनको,
न लें जनता से पंगा.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:23 AM
एक कहावत सुनी थी,
हाथ मिलाने से बन जाते हैं दुश्मन मित्र,
यहाँ हाथ मिलाते हुए विज्ञापन क्या छपा,
गले की जंजीर बन गया,
रात भूखी रह कर काटनी पड़ी,
नितीश ने सामने से खाने की थाली छीन ली,
और एक कांग्रेस है,
हाथ दिखाती है और सत्ता में आ जाती है,
हमने कहावत बदल दी,
हाथ मिलाओगे मुश्किल में पड़ जाओगे,
हाथ दिखाओगे सत्ता में आ जाओगे.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:24 AM
एक दिन अखबार में खबर आई,
एक सिरफिरे ने पीआइएल लगा दी,
कामनवेल्थ साईट्स पर,
हो रहा है अमानवीय व्यवहार,
मजदूरों के साथ,
हाई कोर्ट ने कमेटी बना दी,
कमेटी ने सच्चाई बता दी,
जानवरों से बदतर हालात हैं मजदूरों के,
न्यूनतम वेतन नहीं मिलता,
ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता,
सरकार सक्रिय हो गई,
खबर अखवार से गायब हो गई.

Sikandar_Khan
04-08-2011, 09:25 AM
कल फिर मेरी जेब कट गई,
जेब क्या कटी, ऐसा लगा,
जैसे दिन दहाड़े बाज़ार में,
किसी ने मेरी कमीज़ उतार ली,
और मुझे नंगा कर दिया,
रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचा,
पुलिस वाले हंसने लगे,
दिल्ली सरकार ने जेब काटी,
दिल्ली पुलिस में शिकायत,
वाह क्या बात है !!

दिल्ली में रहना अपराध हो गया,
पानी महंगा, बिजली महंगी,
तेल महंगा, गैस महंगी,
हर चीज़ पर टेक्स,
साझा धन खेल बन गए जी का जंजाल,
दुनिया की सबसे महंगी जेबकटी,
एक झटके में ११३४ करोड़,
मेरे पडोसी ने वोट दिया शीला को,
और सजा मिल रही है मुझे,
मेरे पैसे से पांच सितारा मूत्रालय,
वह खेलने आयेंगे या मूतने?

है भगवान् बना दो मुझे,
एक दिन का प्रधान मंत्री,
सारे स्टेडियम, सारे फ्लाई ओवर,
सारी सड़कें, सारे मूत्रालय,
सारे अधिकारी, सारे खिलाड़ी,
फीता काटने वाले,
जो भी सम्बंधित है साझा धन खेल से,
भर कर जहाज़ों में,
भेज दूंगा लन्दन को,
रानी अपने यहाँ करा यह खेल,
अब हम गुलाम नहीं हैं तेरे,
अब हमारी रानी अपने देश में नहीं रहती,
वह यहीं आ कर राज करती है,
और अब हमारा राष्ट्रीय खेल हाकी नहीं,
राजनीति की शतरंज है,
वह खेलना है तो आ जा,
इंगलिस्तान जीत लेंगे तुझसे.

sujatajha
07-08-2011, 01:15 PM
जाने दो खुला ही अच्छा है.

sujatajha
07-08-2011, 01:17 PM
जाने दो खुला ही अच्छा है.
WoImizvsj5w

Sikandar_Khan
09-08-2011, 06:59 AM
मनमोहन का सरकारी लोकपाल


कल से शर्माजी चुप हैं,
कोई शिकायत नहीं कर रहे,
वर्माजी से रहा नहीं गया,
क्या हुआ शर्माजी?
पूरा दिन पूरी रात बीत गयी,
किसी से कोई शिकायत नहीं,
शर्माजी ने गहरी सांस ली,
आदत डाल रहा हूँ,
शिकायत न करने की,
जेल और जुर्माना,
दोनों हो सकते हैं,
सरकारी लोकपाल आ रहा है,
शिकायत करने वालों के खिलाफ.

Sikandar_Khan
18-08-2011, 08:55 AM
इस बार गणतंत्र दिवस पर मैंने राष्ट्र के नाम एक संदेश दिया। वैसे मैं कोई राष्ट्रपति नहीं हूँ, प्रधानमंत्री नहीं हूँ, अपनी हाउसिंग सोसायटी का सेक्रेटरी या चेयरमैन भी नहीं हूँ और मेरी बीवी तक मेरी बात नहीं सुनती। लेकिन, इसका मतलब यह थोड़े ही है कि मैं राष्ट्र के नाम संदेश नहीं दे सकता। मैंने सोच लिया कि चाहे कोई ले या न ले, मैं तो दे ही दूँगा। मन में अगर ऐसी भावना न हो तो राष्ट्र के नाम संदेश नहीं दिया जा सकता। आप पूछेंगे, राष्ट्र के नाम संदेश देने से फायदा क्या है ? अब इस देश में सब काम फायदे के लिए ही तो किए नहीं जाते।

तो, मैंने राष्ट्र के नाम संदेश दे ही दिया। जैसा कि ऐसे संदेशों में होता है, सबसे पहले मैंने कहा—हमारा देश महान् है ! वैसे इस देश में यह बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है; क्योंकि पिछले पसाच साल में यह बात इतनी बार दोहराई गई है कि सबको रट गई है। जनता को रटी हो या न हो, नेताओं को तो रट ही गई है। रटने का एक फायदा होता है, पाठ अच्छी तरह याद हो जाता है। रटने से ज्ञान भले ही न मिलता हो, परीक्षा में नंबर अच्छे मिलते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि हम अच्छे नंबरों से महान् हैं, कर्मों से भले ही न हों।

एक समय यह देश इतना महान् था कि सोने की चिड़िया कहलाता था। फिल्मों में गाने लिखे जाते थे—‘यहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा...’ लेकिन सोने की चिड़िया यहाँ पर तभी तक थी, जब तक उसके पंख नहीं निकले। पंख निकलते ही चिड़िया उड़ गई। अब तो हमें यह भी पता नहीं है कि वह डाल कौन सी थी जिस पर सोने की चिड़िया बैठती थी। पता होता तो आज देश में पर्यटन विकास के काम आती। ताजमहल के बाद पर्यटकों को हम वह डाल दिखाने ले जाते।

हमारे महान् होने का एक बड़ा कारण यह है कि हमारे यहाँ बड़ी-बड़ी महान् विभूतियाँ हुईं—बुद्ध हुए, महावीर हुए, विवेकानन्द हुए, गांधी हुए। उन्होंने बड़े-बड़े काम किए। ये महानुभाव इतने महान् काम कर गए कि और महानता करने की गुंजाइश ही नहीं बची। इसीलिए, हमारे वर्तमान नेता बड़ी मेहनत से प्रयास कर रहे हैं कि इस देश की महानता कुछ कम हो, ताकि उन्हें भी किसी क्षेत्र में महान् होने का मौका मिले।

ऐसा नहीं है कि हमारे देश में महान् नेता नहीं हैं। हैं, लेकिन कोई हिंदुओं में महान् है तो कोई मुसलमानों में महान् है। कोई यादवों में महान् है तो कोई जाटों में महान् है। कोई इस प्रदेश में महान् है तो कोई उस प्रदेश में महान् है। जो पूरे देश में महान् हो, ऐसा कोई नहीं है। क्यों नहीं है ? क्योंकि जितने भी महान् नेता हैं, वे अपनी महानता बढ़ाने से ज्यादा मेहनत इसमें करते हैं कि दूसरे की महानता कैसे कम हो। उद्देश्य सबका एक ही है—देश-सेवा, लेकिन राय सबकी अलग है। एक खड़ा रहने को बोले तो दूसरा बैठ जाता है। तीसरा चलने को कहे तो चौथा ब्रेक लगा देता है। सीधा बोलो तो काम नहीं होता, उलटा करने से काम होता है। अब, उलटा करने से काम हो तो जाता है, लेकिन उसका परिणाम भी तो उलटा होता है।

हो सकता है, कुछ लोगों को हमारी यह महानता समझ में न आए। अगर गणित का सहारा लिया जाए तो बात समझ में आ सकती है। गणित में एक अंक है शून्य। हम बड़े गर्व से कहते हैं कि दुनिया को शून्य हमने दिया। यह शून्य भी बड़ा महान् अंक है। शून्य में शून्य जोड़ो तो शून्य रहता है। शून्य में से शून्य निकालो तो भी शून्य बचता है। इसीलिए, जब हमने दुनिया को शून्य दे दिया तो हमारे पास शून्य ही बचा। दुनिया ने शून्य में एक जोड़ा और दस बन गई। मगर हमको जोड़ने की अक्ल ही नहीं आई। हम तो शून्य में शून्य ही जोड़ते रहे और शून्य ही बने रहे। आजकल देश में जो कुछ हो रहा है, उससे लगता है कि हमारी महानता भी अब शून्य होने वाली है।

ndhebar
22-08-2011, 07:15 PM
रजनीकांत के फैन्स के लिए एक अच्छी ख़बर है और एक बुरी। अच्छी ख़बर ये है कि जल्द ही robot part 2 आ रही है और बुरी ख़बर ये कि इस बार हीरो रजनीकांत नहीं, मनमोहन सिंह हैं। उनसे बड़ा robot भारत में और कौन है!

ndhebar
22-08-2011, 07:17 PM
जब सरकार कहती है कि हम भ्रष्टाचारियों को छोड़ेंगे नहीं तो उसका मतलब उनके साथ से है!

ndhebar
22-08-2011, 07:18 PM
देश भर में सड़कों पर जुटी भारी भीड़ को देखकर कांग्रेस का कहना है कि टीम इंडिया की ख़राब परफॉर्मेंस पर इतनी नाराज़गी हैरान करने वाली है!

ndhebar
22-08-2011, 07:20 PM
http://www.myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=11459&stc=1&d=1314022793
गुस्ताखी माफ...हिना रब्बानी को लोकपाल बना दो फिर प्रधानमंत्री क्या हर कोई उनके दायरे में आने के लिए तैयार होगा!

malethia
22-08-2011, 07:21 PM
http://www.myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=11459&stc=1&d=1314022793
गुस्ताखी माफ...हिना रब्बानी को लोकपाल बना दो फिर प्रधानमंत्री क्या हर कोई उनके दायरे में आने के लिए तैयार होगा!

ये बिलकुल उचित सलाह है,.................

malethia
01-09-2011, 07:52 PM
कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

अन्ना की बात सहना और कुछ न मुँह से कहना
रूई कान में तुम देके आगे को बढ़ते रहना

रख दोगे एक दिन तुम मुँह सब के बंद कर के
अपने हो या पराये कोई न बचने पाये

डाइजेशन देखो तुम्हारा हर्गिज़ न गड़बड़ाए
मौक़ा बड़ा कठिन है, खाना संभल-संभल के

भाई हो या भतीजा तुम सबका ध्यान रखना
फ़ुल सात पीढ़ियों का तुम इन्तज़ाम रखना

स्विस बैंक की तिजोरी तुम ख़ूब रखना भर के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

malethia
01-09-2011, 07:56 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=11465&stc=1&d=1316755110http://myhindiforum.com/newattachment.php?do=manageattach&p=

Sikandar_Khan
23-09-2011, 10:16 AM
टीचर ने छात्रों से कहा-
बनाओ कोई भी चित्र, जो मन करे

प्रिन्सीपल के बेटे ने रच-रचकर बनाया
नई शेवरलेट का चित्र

बिल्डर के बेटे ने उकेरा
मॉल और होटल का रंग-बिरंगा कॉम्पलेक्स

पार्टी-मेम्बर के बेटे ने खींचा
बख़्तरबंद कार का चित्र

और स्कूल के चपरासी की बेटी
निश्चिन्त भाव से बनाने लगी रोटी का चित्र

Sikandar_Khan
25-09-2011, 01:06 AM
एक लकडहारे की ईमानदारी की एक कथा हम सबने बचपन में सुनी थी………
जिसमे एक लकडहारा था……. जो जंगल में रोज लकड़ी काटने जाता था……… और एक बार लकड़ी काटते हुए उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गयी……… वो वही बैठ कर भगवान् को याद करने लगा…………. तभी पानी के देवता ने भर आकर उसको दर्शन दिए और उसके रोने का कारन पूछा……………. और जब उसने बताया की उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गयी है……..
तो देवता एक चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये और लकडहारे से पूछा की क्या ये तुम्हारी है……. लकडहारा बोला नहीं ये मेरी नहीं है……… फिर वो देवता वापस पानी में गए…………….. और अबकी बारी सोने की कुल्हाड़ी ले कर आये और फिर पूछा की क्या ये कुल्हाड़ी तुम्हारी है………


और लकडहारा फिर बोला की नहीं ये मेरी नहीं है………. और जब अंत में जल देवता लोहे की कुल्हाड़ी ले कर आये तो लकडहारा बोला की हाँ ये ही मेरी है………
अब देवता ने खुश होकर उसको तीनो कुल्हाड़ियाँ दे दीं………….. लकडहारा चला गया और उसने ये कहानी अपने घर वालों को सुनाई…………
यहाँ से नयी कहानी शुरू होती है……………
अब लकडहारे का लड़का और उसकी बीबी दोनों लकड़ी काटने गए………. बीबी पेड़ पर चढ़ कर पति की मदद कर रही थी…………. की अचानक पत्नी का पैर फिसल गया और वो नदी में गिर गयी……….. और लकडहारे का लड़का रोने लगा…….. रोते हुए उसे बहुत देर हो गयी .. पर वो घर जाने को तैयार नहीं था ………. बस रोये जा रहा था………
तभी जल देवता प्रकट हुए…………. और उन्होंने उस से रोने का कारन पूछा ………… तो उसने बताया की उसकी पत्नी पानी में गिर गयी है……… और अगर वो नहीं मिली तो वो भी पानी में कूद कर अपनी जान दे देगा………..
देवता को दया आ गयी और वो पानी में उतरे ………… और अब उनके साथ करीना कपूर थी….. और उन्होंने उस लकडहारे से पूछा की क्या ये तुम्हारी बीबी है………. लकडहारे ने उसको ध्यान से देखा और उछलते हुए बोला की हाँ ये ही है………
देवता क्रोध से भर गए और बोले ………. झूठे मैं अभी तुझे मृतुदंड देता हूँ……… क्या ये तेरी पत्नी है……… लकडहारा घबरा गया … ओर कुछ सँभालते हुए बोला………… नहीं भगवान् ये मेरी पत्नी नहीं है………
देवता :: तो फिर झूठ क्यों कहा…………
लकडहारा :: पिछली बार की आपकी कृपा के कारण………….
देवता :: साफ़ साफ़ कहो मैं कुछ समझा नहीं………..
लकडहारा :: भगवान् मेरे पिता जी की कुल्हाड़ी जब गिरी तो आपने पहले चांदी की फिर सोने की और फिर लोहे की कुल्हाड़ी दिखाई और पिताजी की ईमानदारी से खुश होकर उनको तीनो कुल्हाड़ी दे दी…….
और मैं नहीं चाहता था की आप करीना के बाद बिपाशा और फिर अंत में मेरी पत्नी को लाते और बाद में तीनो मुझे उपहार स्वरुप दे देते………
पर मैं इस कम आमदनी में इन तीनो को कैसे पाल सकता था इस लिए मैं पहले में ही मान गया…..

rakesh
27-09-2011, 10:04 AM
lovely..............chabana chahti he me aa raha hu.???? get ready for do....................

bhavna singh
05-10-2011, 07:30 PM
Students-Hostellers का रखती ख्याल है Maggi
Bachelors के लिए तो कसम से बवाल है Maggi

Breakfast, Lunch या dinner खाओ जब भी जी चाहे
Utilization की जीती जागती मिसाल है Maggi

Egg, Chiken, Paneer, veg कितने रूप हैं इसके
मनभावन स्वाद की एक तरण-ताल है Maggi

महगाई का जवाब तो नहीं सरकार के भी पास
खुद महगाई के लिए बन गयी सवाल है Maggi

कुछ और ना हो इसका स्टॉक में होना जरुरी है
अपने लिए तो जैसे चावल-दाल है Maggi

मियां-बीवी जो दोनों लौटे थक के ऑफिस से
फिर dinner में अक्सर होती इस्तेमाल है Maggi

कभी था डर बीवी रूठी तो सोना पड़ेगा भूखे ही
अबला पुरुषों के लिए बन गयी ढाल है Maggi

टेडी-मेडी, सुखी-गीली फिर भी स्वाद में डूबी
बयां करती है क्या ज़िन्दगी का हाल है Maggi

गुजारी हमने कैसे ज़िन्दगी, मत पूछ ‘आलसी’
कि मेरी ज़िन्दगी के भी कई साल हैं Maggi

bhavna singh
05-10-2011, 07:37 PM
बुड्ढे माँ-बाप की जाने कब पूरी होगी आस,
कड़ी मेहनत कर के अपना पप्पू हो गया पास,
मगर क्या job लगेगी ?

singhtheking
08-10-2011, 04:32 PM
भैंस चालीसा

महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते

ndhebar
09-10-2011, 09:36 AM
मनमोहन सिंह का कहना है कि वो अश्लीलता के बिल्कुल खिलाफ हैं इसलिए अपने जीते-जी किसी घोटालेबाज को expose नहीं होने देंगे!

Sikandar_Khan
09-10-2011, 09:40 AM
मनमोहन सिंह का कहना है कि वो अश्लीलता के बिल्कुल खिलाफ हैं इसलिए अपने जीते-जी किसी घोटालेबाज को expose नहीं होने देंगे!

बिलकुल सही कहना है मैडम के रोबट का |

ndhebar
09-10-2011, 09:50 AM
सन् 2050

कसाब, 70 साल की उम्र में जेल में मर गया। अधिक बिरयानी खाने के चलते उसका कोलस्ट्रोल बहुत बढ़ गया था।

Sikandar_Khan
09-10-2011, 10:00 AM
सन् 2050

कसाब, 70 साल की उम्र में जेल में मर गया। अधिक बिरयानी खाने के चलते उसका कोलस्ट्रोल बहुत बढ़ गया था।

ये खबर सुनने को अभी 39 साल और इन्तेजार करना पड़ेगा ....... बहुत नाइन्साफी है |

bijipande
23-10-2011, 11:12 AM
टीचर ने छात्रों से कहा-
बनाओ कोई भी चित्र, जो मन करे

प्रिन्सीपल के बेटे ने रच-रचकर बनाया
नई शेवरलेट का चित्र

बिल्डर के बेटे ने उकेरा
मॉल और होटल का रंग-बिरंगा कॉम्पलेक्स

पार्टी-मेम्बर के बेटे ने खींचा
बख़्तरबंद कार का चित्र

और स्कूल के चपरासी की बेटी
निश्चिन्त भाव से बनाने लगी रोटी का चित्र



बहुत बेहतरीन है भाई जान

कृपया सूत्र को गति दें

Sikandar_Khan
23-10-2011, 11:46 AM
बहुत बेहतरीन है भाई जान

कृपया सूत्र को गति दें

जी भाईजान आपके हुक्म की जल्द ही तामील होगी |

Sikandar_Khan
23-10-2011, 03:39 PM
एक बहू बेलन घुमाती हुई, ससुराल पहुँची
सास ने देखा तो बात पूछी, बहू बेलन ही लाना था तो चाँदी का लाती , और सबसे पहले अपनी सास की खोपड़ी पर बजाती |
सुनकर ससुर जी ने टोका , नही बहू बेलन चांदी का नही सोने का लाना था |
अपनी सास की खोपड़ी से पहले अपने ससुर पर बजाना था |
सुनकर बहू ने चरण छू लिए ,बोली आगे से ऐसे ही बेलन लाऊंगी आपके लिए |
अभी तो मै ससुराल पहली बार आई हूँ |
इसलिए यह काठ का बेलन, आपके काठ के उल्लू के लिए लाई हूँ |

bijipande
23-10-2011, 09:13 PM
जी भाईजान आपके हुक्म की जल्द ही तामील होगी |


जी मैं शुक्रगुजार हूँ आपका

ndhebar
24-10-2011, 12:34 PM
अभी तो मै ससुराल पहली बार आई हूँ |
इसलिए यह काठ का बेलन, आपके काठ के उल्लू के लिए लाई हूँ |


:bravo::bravo:

बहुत अच्छे सिकंदर भाई

Sikandar_Khan
27-10-2011, 08:26 AM
जगमगाते दीपोँ का अभिनंदन खिलखिलाती फुलझड़ियोँ , सुर्रीदार पटाखोँ की छूटती लड़ियां |
गूँजते बम के धमाके दूर तक आवाज आपके मस्तक पर सुशोभित हो शुभकामनाओँ का ताज |
धन्यवाद
शेष बातेँ ब्रेक के बाद
हे परमपिता परमेश्वर , भगवान विष्णु एंड लक्ष्मी मदर इस बार कुछ ऐसा चले चक्कर देश के भ्रष्ट नेताओँ पर घूम जाए सुदर्शन अगला आकृर्षण
मदर लक्ष्मी से भी कहेँ कि वे अपने नम्बर दो की तिजोरी खिसका लेँ बहुत हो गई प्रभो |
अब यह संकट और अधिक दिनोँ तक न टाले |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 08:43 AM
पाश कालोनी में बंगला। बाहर कारों की लंबी लाइन लगी थी। बेकाबू भीड़, रेलम-पेल, धक्कम धक्का मचा हुआ था।

भाई के गेस्ट रूम में आते ही सोफे पर बैठे नेताजी ने तुरंत उठकर वंदना की–‘‘जिनके एक हाथ में तमंचा और दूसरे हाथ में रामपुरी सुशोभित है, कानून जिनकी जेब में है, ऐसे भाई जी को मैं प्रणाम करता हूं। परंतु भाई साहब, एक बात सच्ची-सच्ची बतलाएगा! कोई नाराजी है क्या हमसे?’’
‘‘अरे नहीं नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है।’’

‘‘तो बतलाइए, मेरा नंबर कब आएगा? कब से इंतज़ार कर रहा हूं कि एक दिन आएगा जब आप सहर्ष घोषणा करेंगे कि कल बीच बाजार में, दिनदहाड़े मेरा पुतला दहन करेंगे और आप हैं कि ध्यान ही नहीं देते…।’’ कहते-कहते उनका कंठ अवरुद्ध हो गया। पास रखी बोतल से एक घूंट गले में उतार कर बोले–संतासिंह लकी रहा, बंतासिंह को भी चांस मिल गया पर मेरा…! विशेषज्ञों का कहना है कि जो पब्लिसिटी बीस साल की नेतागिरी न दिला सकी वह एक पुतला दहन दिलवा सकता है। इसलिए आपके दर पर झोली फैलाए आया हूं।’’

‘‘सुनिए। आप वैसे ही मेरे साले की सिफारिश लेकर आए, वरना महीनों बाद का नंबर मिलता। इसलिए मैं ज्यादा तो कुछ नहीं कह सकता पर मुझे कई बार यह सोचकर कोफ्त होती है कि आपको बीस साल हो गए इस लाइन में। एक भी ऐसा काम नहीं किया कि पुतला जलाया जा सके। बड़े शर्म की बात है। मैंने कई बार आपके नाम पर विचार किया पर एक आध पुतला ही जस्टीफाई नहीं होता। आप डिजर्व ही नहीं करते जनाब! हमें भी तो कुछ स्टैंडर्ड मेंटेन करना होता है कि नहीं। यूं तो इस धंधे में कई लोग हैं पर सोचिए कि मेरे यहां ही हमेशा भीड़ क्यों रहती है?’’

भाईजी के तेवर देखकर नेताजी ने पुनः वंदना की–‘‘राजनीति के भवसागर में फंसे तुच्छ जीवों को पुतला थेरेपी से पार कराने वाले विघ्नहर्ता भाईजी मुझे अपनी शरण में लेकर में मुक्ति का मार्ग बतलाएं ताकि मैं भी इस छुटभैये की योनि से निकलकर फायरब्रांड स्टार नेता बन सकूं। मैं यथाशक्ति आपकी पूजा करूँगा।’’

तब भाईजी ने उन्हें इमेज चमकाने की गोपनीय तरकीब बतलाते हुए कहा–‘‘सर्वप्रथम आप डैशिंग बनिए। आपकी भाषा सादी नहीं होनी चाहिए। बेकाबू हो। तल्ख, लगभग गालियों भरी। जबान ऐसी हो कि आग लगवा दे। उल्टी सीधी, बेसिर पैर की बातें करें तो सोने पे सुहागा। विवादित विषय ढूंढ़कर जमकर कीचड़ उछालें। पुराने गड़े मुर्दे भी उखाड़ सकते हैं। अभी हाल ही में रिलीज हुई ‘जोधा अकबर’ पर आप चूक गए, पर चिंता की कोई बात नहीं है। अनेक अवसर आपकी बाट जोह रहे हैं। आप तो सदाबहार विषय जैसे जाति, प्रदेश, धर्म आदि को ले लें। ये जल्दी आग पकड़ते हैं। साथ में अभिनेता, नेता, खिलाड़ी आदि का भी तड़का लगा दें। फिर देखिए आपकी मेहनत क्या रंग लाएगी। कैनवास बड़ा है बस रंग भरना आना चाहिए। फिर दीजिए हमें अपनी सेवा का अवसर।’’

यह गुप्त विधि सुनकर नेताजी की सुषुप्त इंद्रियां जाग उठीं और वे कमर कसकर खड़े हो गए। फिर वे व्यवस्था को गाली बकते, सौहार्द्र की रीढ़ तोड़ते, समाज की ऐसी कम तैसी करते, व्यवस्था छिन्न भिन्न करने निकल पड़े। और भाई चल दिए दूसरे भक्तों का कष्ट हरने।

ndhebar
30-10-2011, 09:57 AM
पुरुषों सावधान….!
पुरुषों ने हमेशा नारियों से बचने की कोशिश की पर बच नहीं पाए इतिहास इस बात का साक्षी है ” एक बार की बात है दो पति पत्नी थे सत्यवान और सावित्री. सत्यवान अपनी पत्नी से बहुत दुखी रहता था बेचारा वो कमजोर पुरुष जब कोई उपाय उसके पास न बचा तो

उसने यमराज से प्रार्थना की कि वो उसे अपने साथ ले जाएँ. यमराज आये और उसके प्राणों को लेकर चल दिए, जैसे ही सावित्री को इस बात का पता चला तो वो पहुँच गयी यमराज के पास.. और भाइयों,… ऐसी डांट पिलाई कि यमराज ने सत्यवान के प्राण छोड़ने में ही अपनी भलाई समझी ..

मोरल ऑफ़ द स्टोरी ये कि “पुरुष को नारियों के हाथों से कोई भी नहीं बचा सकता, यमराज भी नहीं..! और बाद में सावित्री ने जो बताया वो सब आपको पता ही है सब लोग उनकी भी पूजा करने लगे (इस प्राचीन कहानी को मैंने इस तरह से लिखा है कि उसका मोरल बदल गया है.हालांकि मेरा मकसद केवल हास्य लिखना ही है और किसी के दिल को ठेस पहुँचाना बिलकुल नहीं है, फिर भी किसी को इस कहानी से ठेस पहुँचती है तो में क्षमाप्रार्थी हूँ.)

abhisays
30-10-2011, 12:15 PM
cloud computing पर विश्व बंधू गुप्ता की टिपण्णी, जरुर देखिये अगर आपको cloud computing के बारे में पता है तो आप हँसते हँसते पागल हो जायेंगे.

9izUKE5bN0U

Sikandar_Khan
30-10-2011, 12:21 PM
cloud computing पर विश्व बंधू गुप्ता की टिपण्णी, जरुर देखिये अगर आपको cloud computing के बारे में पता है तो आप हँसते हँसते पागल हो जायेंगे.

9izuke5bn0u

ये क्या होता है जरा हमे भी बताईए ?

ndhebar
30-10-2011, 12:28 PM
ये क्या होता है जरा हमे भी बताईए ?
तकनिकी विभाग में क्लाउड कंप्यूटर पर एक सूत्र बना हुआ है
वहां से आपको जानकारी मिल सकती है

abhisays
30-10-2011, 12:32 PM
तकनिकी विभाग में क्लाउड कंप्यूटर पर एक सूत्र बना हुआ है
वहां से आपको जानकारी मिल सकती है


यहाँ क्लिक करें. (http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2209)

Sikandar_Khan
30-10-2011, 12:33 PM
तकनिकी विभाग में क्लाउड कंप्यूटर पर एक सूत्र बना हुआ है
वहां से आपको जानकारी मिल सकती है

शायद राम्या जी का सूत्र है |

abhisays
30-10-2011, 12:34 PM
शायद राम्या जी का सूत्र है |


जी हाँ.. मैंने ऊपर उसका लिंक भी दे दिया है. :cheers:

ndhebar
18-11-2011, 06:20 PM
पत्नी की करुण व्यथा-महंगाई.


आज रविवार का दिन था और रविवार भी एक छोटा मोटा त्यौहार सा ही लगता है.पुरे एक सप्ताह काम करने के बाद एक दिन छुट्टी का मिलता है. सभी लोग घर पर होते हैं तो महिलाएं बिना बताये ही कहीं पिकनिक या घूमने फिरने का आयोजन तैयार रखती हैं.
किन्तु आज तो गजब ही हो गया. दोपहर का सूरज सिर पर चढ़ आया है और कोई कहीं जाने का नाम ही नहीं ले रहा है.श्रीमती जी ने सुबह दरवाजे पर ही आये पाव वाले से पाव ले लिए थे और अब किचन में पाव भाजी बनाने की तैयारी चल रही थी. अब मुझ से ही रहा नहीं गया तो किचन में पहुँच गया और श्रीमती जी से मुखातिब होते हुए पूछा “क्या बात है आज तो “तुम घर पर ही नाश्ते की तैयारी में लग गयी, कहीं बाहर वाहर का प्रोग्राम नहीं है?”श्रीमती जी ने एक लम्बी सांस ली और बोली “नहीं अब बाहर जाने का नाम भी मत लो, एक तो दिवाली के कारण बजट बिगड़ा पडा है ऊपर से अब पेट्रोल के भाव आसमान पर जा रहे हैं…….”मैंने बीच में ही टोकते हुए कहा “दो रुपये ही तो बढे हैं” ” दो रुपये? दो रुपये नहीं भाव दो गुने हो गए हैं” अब श्रीमती खीझती हुई बोली.
” और अब पेट्रोल ही नहीं गैस के भी भाव बढाने की तैयारी सरकार ने कर ली है.कुछ समझ नहीं आता क्या करें.” मै खामोश रहा जैसे मैंने समाचार सुना ही न हो.
“सुनो! अगली पगार पर एक ड्रम खरीद लाना गेहूं के ड्रम के बाजू में रख देंगे और उसमे पेट्रोल भर लेंगे” अब श्रीमती जी ने कुछ ज्यादा संजीदा होते हुए कहा.
“पेट्रोल भर लेंगे? पेट्रोल का स्टॉक करना जुर्म है.”मैंने समझाते हुए कहा.
“कोई जुर्म नहीं होता. जब विदेशों में कच्चा तेल सस्ता होता है तो क्या पेट्रोल की कंपनिया इसे स्टाक नहीं करतीं?”श्रीमती जी बोली तो मै सकते में आगया फिर हिम्मत कर के बोला “अरे जब विदेशों से कच्चा तेल सस्ता मिलेगा तो फिर देखना पेट्रोल के भाव भी कम हो जायेंगे” ;”देखो जी अब ये सपने देखना छोड़ दो. अभी सरकार को दो वर्ष बाकी हैं.दो वर्षों में पेट्रोल के भाव भी दो सौ रुपये लीटर हो जायेंगे. तब फिर हमसे ना कहना की सायकिल पर चलकर बाजार हो आते हैं.अब तो हम सायकिल पर बैठना भी भूल गए हैं और तुम्ही कौन सायकिल चला पाओगे.”अब कुछ हंसते हुए श्रीमती जी बोलीं.
मैंने भी कुछ मजाकिया लहजे में कह दिया “चलो ठीक है सोमवार के उपवास के साथ ही गुरूवार और शनिवार का उपवास और कर लेंगे फिर तो ठीक है/” “बिलकुल भी मत सोचना” श्रीमती जी कुछ चींखती हुई बोली “जानते हो फलाहारी के भाव कहाँ जा रहे हैं? फलाहारी की जगह तुम एक बार खाना अधिक खा लेना वरना तुम्हारे फलाहारी के चक्कर में सारे परिवार को महीने के आखिर में हफ्ते भर निराहार उपवास करना पडेगा.”
अब तक पाव भाजी बन चुकी थी. मै खाते हुए सोच रहा था की दो वर्ष ही क्या, दो वर्ष बाद भी जो सरकार आएगी वह कौनसा जादू का पिटारा लाएगी. आज हम एक सौ बीस करोड़ तब तक एक सौ तीस करोड़ हो चुके होंगे, इतने और लोगों के खाने का बोझ देश कैसे उठाएगा, कोई भी सरकार आये क्या कर लेगी.

Sikandar_Khan
08-04-2012, 11:08 PM
जीवन में ढलती खुशियों की शाम है बीवी
जो पढ़ी नहीं सिर्फ सुनी जाये वो कलाम है बीवी

सर चढ़ गयी तो फिर कुछ भी अपने बस में नहीं
ये जान के भी जो पी जाये वो जाम है बीवी

क्यों मारी पैर पे कुल्हाड़ी जेहन में उनके है अब
जो सोचते थे चक्कर काटने का इनाम है बीवी

अरेंज मर्डर हुआ हो या इश्क में खुद ही चढ़ गए सूली
जो सब को झेलनी, ऐसी उलझनों आम है बीवी

सजा तय है जो जुर्म किया हो न किया हो
रोयी नहीं की फिर क्या सबूत क्या इलज़ाम है बीवी

माँ की कहानियों में ही होती थी सावित्री, दमयंती
मगर अब शहरी चका-चौंध की गुलाम है बीवी

क्या करो, ओढो, पहनो ये बताने की जुर्रत किसको
पर क्या ये खर्चे मेरे पसीने का दाम है बीवी

माँ-बाप पीछे पड़े हैं कैसे समझाऊ उन्हें
बदलते दौर में किस बला का नाम है बीवी

कुंवारा हूँ सो कह लूं आज जो कुछ भी कहना है
कल तो लिखना ही है खुदा का पैगाम है बीवी
Shubhashish
नोट : ये सिर्फ हास्य के लिए लिखी गयी कविता है! कृपया इसे किसी अन्य दृष्टी से न देखें !
कहीं से भी इस कविता का उद्देश्य नारी का उपहास करना नही है! फिर भी यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुची हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ !

ndhebar
29-04-2012, 07:44 PM
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा
हम भेड़-बकरी इसके यह ग्वारिया हमारा

सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है
हड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही है
लेकर के कर्ज़ खाओ यह फर्ज़ है तुम्हारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा


चोरों व घूसखोरों पर नोट बरसते हैं
ईमान के मुसाफिर राशन को तरशते हैं
वोटर से वोट लेकर वे कर गए किनारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा


जब अंतरात्मा का मिलता है हुक्म काका
तब राष्ट्रीय पूँजी पर वे डालते हैं डाका
इनकम बहुत ही कम है होता नहीं गुज़ारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा


हिन्दी के भक्त हैं हम, जनता को यह जताते
लेकिन सुपुत्र अपना कांवेंट में पढ़ाते
बन जाएगा कलक्टर देगा हमें सहारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा

फ़िल्मों पे फिदा लड़के, फैशन पे फिदा लड़की
मज़बूर मम्मी-पापा, पॉकिट में भारी कड़की
बॉबी को देखा जबसे बाबू हुए अवारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा



जेवर उड़ा के बेटा, मुम्बई को भागता है
ज़ीरो है किंतु खुद को हीरो से नापता है
स्टूडियो में घुसने पर गोरखा ने मारा
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा


काका हाथरसी

ndhebar
29-04-2012, 07:47 PM
मैं बन गया हास्य कवि : हास्यकविता

मेरा हास्य कवि बनना एक हादसा था
बस में एक मैडम जी से पड़ गया वास्ता था
बात उन दिनों कि है जब मैं कवांरा
लोगों की नजर में मैं एक आवांरा था….


लेकिन मुझे तो लैला मजनू के प्यार की खोज थी
गलि से लेकर बस स्टैंड में रोज थी
ऐसे में एक दिन एक मैंडम जी मुझसे बस में टकरायीं
मेरे रोम- रोम में करेंट समायी…


और मन में विचार कौंधा कि
मेरा थोबड़ा उन्हें भा गया है क्या भाई
फिर मैंने उनपर थोड़ी सी और नजर गड़ायी
अबकी बार वे थोड़ी सी षरमायी…


लड़की हंसी तो पटीवाली बात मुझे याद आयी
फिर मोबाइल पर वे कुछ अंग्रेजी में गिटपिटाईं
जो बात मेरे भेजे में नहीं समायी
फिर मुसटंडो की जमात आयी…


जी भर के उन सबों ने मेरी की पिटायी
और मुंह पर कालीख पोतकर
गदहा पर मेरी बारात निकलवायी
और गदहे को गदहा पर देखकर…


गदहों ने जी भर कर ताली बजायी
इस प्रकार मैं हास्य कवि बन गया मेरे भाई।

ndhebar
03-05-2012, 03:23 PM
हम वीआईपी कैदियों की बात ही निराली है


सुनो! हम ऐसे-वैसे तो हैं नहीं कि रोटी के लिए हाथ साफ करने से पहले ही भीतर कर दिए जाएं और पुलिस के डंडे खाते रहें। जमानत के लिए किसी वकील को पटाते रहें। पुलिस रोटी के लिए चोरी करने वालों पर रोटी चोरी होने से पहले डंडे बरसा सकती है, लंगोटी के लिए मारकीन चोरी करने की सोचने वालों पर डंडे बरसा सकती है। उसे ऐसे चिरकुटों पर डंडे बरसाने का पूरा हक है। पुलिस बनी ही उनके लिए है। ये होते ही इसी लायक हैं। भ्रष्टाचार के नाम पर बदनुमे दाग! हमें देखो! हम होते हैं वीआईपी! इस देश की आन बान और शान!

रोटी के लिए नहीं, हम तो स्विस बैंक के खाते भरने के लिए हाथ साफ करते हैं, वह भी बिना हाथ लगाए। हम चाहे जेल में रहें या जेल के बाहर, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम तो न सावन हरे न भादो सूखे! सदा एक से! बल्कि जेल में रहने पर हम और भी निखर जाते हैं। जिस तरह सोने में तपने के बाद ही निखार आता है उसी तरह वीआइपी जितनी बार जेल यात्रा करता है उसका चरित्र उतना ही निखरता है। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि जो वीआईपी स्वर्ग की इच्छा रखता हो ,वह कहीं जाए या न जाए पर जिंदगी में कम से कम एक बार तो जेल जरूर जाए। वीआइपी के लिए जेल एक मंदिर है।

अरे चवन्नी, अट्ठन्नी चोरों! तुमने अगर गलती से इस देश में जन्म ले ही लिया है तो अपना स्टैंडर्ड सुधारो, बड़ा हाथ मारो। जो जितना बड़ा हाथ मारे वह उतना ही बड़ा कद काठी वाला, उतने ही रसूख वाला! अच्छा तुम ही बताओ! आज तक मीडिया ने किसी एक भी ईमानदार को हाइलाइट किया है? नहीं न! किसी छोटे मोटे चोर को कभी दिखाया है? वह जानता है कि कौन किसके लिए स्पांसर कर सकता है। हम जैसों को टीवी पर दिखाने के लिए कंपनियों के विज्ञापनों की मारामारी हो जाती है। जरा सोचो! हम न होते तो क्या टीवी वालों के न्यूज चैनल चौबीसों घंटे चल पाते! सच कहें तो वे हमारे सिर पर ही तो चल रहे हैं। भैया! इस देश में जनम भाग्यशालियों को ही मिलता है। पर इस देश में जनम बार-बार नहीं मिलने वाला, ठीक वैसे ही जैसे एक ही पुलिस वाले की ड्यूटी बार-बार बैरियर पर नहीं लगती। सो उन्हें देखो, जो देश को खाकर अमर हो गए! ऐसे गिद्ध प्रात: स्मरणीय हैं। उनके आगे दुनिया सिर झुकाती है। सौ पचास के लिए क्यों शहर में अपना मुंह काला करवाते फिर रहे हो?

खाने ही हैं तो करोड़ों खाओ ताकि जेल जाने पर स्वर्ग से भी भगवान आप पर फूल बरसाएं! देखो न, हमें भीतर करने से सरकार कितनी डरती है कि कहीं उसके ढोल के पोल न खुल जाएं! हमें भीतर करने से पहले वह हमें हाथ जोड़े बीस बार पूछती है कि उसका मन जनता का मन रखने के लिए हमें भीतर करने का हो रहा है। वह हमारी आज्ञा से हमें सादर भीतर ले जाती है। तब, सच कहें तो बेचारी सरकार के हित में हमें घर से अच्छा जेल में जाकर लगता है। इसी बहाने हमारे जेल में होते डिश डुश, एलसीडी आदि लग जाते हैं। चलो, वीआईपी होने से जेल के चार और भाइयों का कल्याण तो हुआ। हमारे बहाने बेचारे वे भी घड़ी दो घड़ी रंगारंग देख लेते हैं, रंगारंग हो जाते हैं। ऊपर से वहां रह रहे कैदियों से भी मुलाकात हो जाती है। बाहर आकर चार बंदे और जुड़ जाते हैं।

लो, अभी हम फिर जेल जा रहे हैं सरकार के हित में! हम अपनी गाड़ी में ही जेल जाएंगे। सरकार का हमें कुछ भी नहीं चाहिए। हमारे पास किस चीज की कमी है? जिससे अपना बोझ ही नहीं संभाला जाता उस सरकार पर हम कतई बोझ बनना नहीं चाहते। अच्छा तो, जेल से ही रोज अब आपसे लाइव मुखातिब होते रहेंगे, बाबाओं की तरह।

सौजन्य :
नव भारत टाइम्स
लेखक :
अशोक गौतम

abhisays
03-05-2012, 05:11 PM
:bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:

ndhebar
05-05-2012, 12:57 PM
दफ्तर के मच्छर

बड़े बाबू ने दफ्तर आते ही ऑर्डर फैंका -बेमन सिंह एक कप चाय पिलाओ ! बेमन सिंह , जी साब कहते हुए तुरंत बाहर निकल गया और थोड़ी देर के बाद चाय की केतली हाथ में थामे हाज़िर हुआ | जी साब और कुछ लेंगे ? नहीं………कहते हुए जब बड़े साब की नज़र फाइल पर से हटकर बेमन सिंह के चेहरे पर पड़ी तो जैसे वो चौंक गए और बोले -अरे बेमन ! ये तुम्हारा चेहरा लाल कैसे हो रहा है ? जी साब , कल दफ्तर में मच्छर ने काट लिया था | क्या कह रहे हो बेमन ? हमारे दफ्तर में मच्छर ? इतना साफ़ सुथरा होते हुए भी हमारे दफ्तर में मच्छर कैसे आ गए ? बड़े बाबू ऐसे चिंतित हो रहे थे जैसे दफ्तर में मच्छर नहीं आतंकवादी घुस आये हों ? कैसे हैं मच्छर ? मोटे मोटे या पतले , मलेरिया वाले या डेंगू वाले , काले या ………..? बेमन तुम वर्मा जी को बुलाओ ! वर्मा जी हाज़िर हुए तो बड़े साब ने वर्मा जी को मच्छर पकड़ने के लिए नगर निगम को पत्र लिखने का आदेश दिया और वर्मा जी ने आदेश का पालन करते हुए तुरंत पत्र लिख दिया |

बेमन सिंह ! दफ्तर का सबसे पुराना कर्मचारी | आठ साल से यहीं था | वो बेचारा कभी मान सिंह हुआ करता था लेकिन कुछ वर्ष पूर्व आये एक अंग्रेज़ीदां अफसर ने उनका नाम ” मान सिंह” से ” मन सिंह ” कर दिया | क्योंकि ” मन सिंह ” ने कभी कोई काम ” मन से ” नहीं किया इसलिए किसी भाई ने उसका नाम ही बेमन सिंह रख दिया और यही नाम आजतक उनकी शोभा बढ़ा रहा है !



पत्र मिलने के लगभग एक सप्ताह के बाद नगर निगम के कर्मचारी अपने लाव लश्कर के साथ बड़े बाबू के दफ्तर पहुंचे | लेकिन वो मच्छरों को नहीं पकड़ पाए , तब ये मामला राज्य पुलिस को सौंप दिया गया मगर जब पुलिस भी नाकाम रही तब ये केस भारत सरकार के गृह मंत्रालय को ‘ रेफ़र ‘ कर दिया गया | गृह मंत्री ने तुरत- फुरत बयान जारी किया – ” हमें हमारे ख़ुफ़िया सूत्रों से पता चला है कि भारत में पांच -छः मच्छरों के आत्मघाती दस्ते ने प्रवेश किया है , हम हालात पर लगातार नज़र रखे हुए हैं | हमने पूरे देश में रेड अलर्ट जारी कर दिया है | ” और इस तरह से यह मामला गृह मंत्रालय की फाइलों में पहुँच गया |



और उधर एक दिन बेमन सिंह ने ‘ मन से ‘ काम करते हुए रद्दी की फाइलों से सभी मच्छरों को मार गिराया | गृह मंत्रालय में यह मामला अभी भी विचाराधीन है |

prashant
06-05-2012, 06:38 PM
इतने लव लश्कर की जगह मच्छर को पकड़ने का काम चिट्टी को दे देना चाहिए था.:giggle:

ndhebar
25-05-2012, 05:48 PM
बाबा की तरह नहीं बन सके तो बाबा चोर हो गया



बहुत ही आश्चर्य की बात है क़ि एक तरफ तो लोग पुराणों एवं ऋषि-मुनियों की बातो को आधुनिक पाखंडियो का जाल मान रहे है. तथा दूसरी तरफ उसी के आधार पर अपने आगे बढ़ने का मार्ग ढूंढ रहे है. जैसे बाबा कैसे पैसे वाला हो गया? बाबा को धन से क्या काम? वह क्यों फीस लेता है? उसके पास इतना पैसा कहाँ से आया? बाबा राम देव के पास इतना पैसा क्यों? निर्मल सिंह नरूला के पास इतना पैसा कहाँ से? आदि.
कारण यह है क़ि पुराणों में तो लिखा है क़ि ऋषि मुनि तो पैसे रुपये से सदा दूर रहा करते थे. उन्हें इस मोह माया में फंसने की क्या ज़रुरत? अब यह बताएं क़ि भीखमंगे को भीख देगें नहीं. और जो धनी हो गया तो उसकी आलोचना द्रुत गामिनी हो जायेगी. मारा गया बेचारा नौकरी वाला. कारण यह है क़ि उसके वेतन का पूरा विवरण तो सरकार के पास उपलब्ध है. वह बिना किसी के कहे उससे ‘इन कम’ टैक्स काट लेगी. कारण यह है क़ि ठेकेदार तो दो नंबर का लेखा जोखा प्रस्तुत कर इस टैक्स से मुक्त हो जाएगा. डाक्टर, वकील, इंजीनियर आदि भी आमदनी न होने का दावा कर देगें.
अब रही बाबाओं की बात. आज की विविध विचार धाराओं या स्वार्थ पूर्ण सोच या अपनी दरिद्रता को न सह पाने के कारण लोग ईर्ष्या वश अब बाबाओं पर शामत की दुधारी तलवार लेकर उनके पीछे पड़ गए है. उसके पास क्यों इतना पैसा आया. मेरे पास भी इतना पैसा क्यों नहीं आ रहा है? ये बाबा लोग क्यों धनी हो रहे है.? बाबा एवं तपस्वी तो माया, धन-संपदा आदि से दूर रहते है. तो फिर यह विचार मन में क्यों नहीं आता क़ि प्राचीन काल में ये बाबा लोग गरीबो, सताए लोगो, एवं विविध आवश्यकताओं से ग्रसित मनुष्यो की सहायता कहाँ से करते थे.? यदि पुराणों को ही माने तो भूतभावन भगवान भोले नाथ शिव शंकर स्वयं शरीर पर भष्म एवं धुल लपेटे बिना घर-बार एवं कपडे लत्ते के दूसरो को मुंह माँगी संपदा एवं धन कहाँ से देते थे?
मै इसी बात पर सोचने का आग्रह करता हूँ. सोचें, धन संपदा एकत्रित करना अपराध है या उसका गलत इस्तेमाल? धन संपदा सरकार भी विविध टैक्स के रूप में जोर जबरदस्ती जनता से वसूल लेती है. तथा सरकार के मंत्री, कर्मचारी एवं अन्य नुमाइंदे इसका बन्दर बाँट कर डालते है. खुली लूट मचाये हुए है. जितने नेता एवं कर्मचारी नहीं उतने घोटाले हुए है. तो फिर सरकार को क्यों टैक्स देना? अब सरकार लूटती है तो वह वैध है. जबकि वह जोर जबरदस्ती से धन हडपती है. किन्तु बाबाओं के द्वारा यही धन जनता से बिना किसी जोर जबरदस्ती के वसूला, हड़पा, लूटा या ग्रहण किया जाता है तो वह अवैध हो जाता है. जब क़ि बाबा किसी से डंडे, पुलिस या कानून के बल पर किसी से पैसे नहीं वसूलता. बाबा किसी “मयखाने” को “लाइसेन्स ” नहीं देता. जबकि सरकार जनता से वसूले पैसे से मयखाना, वैश्यालय एवं वीआईपी जेल का निर्माण कर उसे “लाइसेन्स” देती है. तथा vip लोगो के लिए vip कानून एवं साधारण लोगो के लिए नॉन vip कानून का निर्माण करती है. तो सरकार का यही काम वैध है. किन्तु इसके विपरीत बाबाओं के द्वारा किया गया यही काम राष्ट्र, समाज एवं मानवता के लिए भयानक अपराध है.
क्या बाबाओं का अपराध यही इतना है क़ि उसके पास पुलिस या कानून नहीं है? या लोकतंत्र के प्रबल समर्थक तथा लोकतंत्र का साक्षात मूर्ती यह भारत वर्ष अपने लिए संविधान निर्माताओं से इसकी अपेक्षा नहीं किये?
पुराण पंथ का अनुसरण करते हुए कहते है क़ि साधु संत, महात्मा, सन्यासी या बाबा लोग रुपये पैसे धन दौलत इत्यादि सांसारिक प्रपंचो से दूर रहते थे. उन्हें धन संग्रह के लिए प्रयत्न नहीं करते देखा गया. तो पुराणों में तो यह भी बताया गया है क़ि पूजा, पाठ एवं अर्चन वंदन से प्रसन्न होकर बाबा (ऋषि-मुनि) अपने शिष्यों को मुंह माँगी दौलत एवं वांछा वर प्रदान करते थे. तो यह दौलत उनके पास कहाँ से आती थी? किन्तु पुराण की यह बात गले नहीं उतरती. केवल जो अपने मतलब की बात है वही गले उतरती है.
क्या इसमें कही हमारी ईर्ष्या नहीं छिपी हुई है? क्या हम द्वेष वश यह नहीं कहते क़ि हम तो दरिद्र ही रह गए. जितना सांसारिक उपभोग चाहते है. उतना उपलब्ध नहीं करा पाते है. जितना संसाधन चाहते है. उतना नहीं जुटा पाते है. जब क़ि बाबा लोग सुख सुविधा क़ि प्रत्येक वस्तु हासिल कर लेते है.
कनिमोरी, ए राजा, कलमाडी, येदुरप्पा, और अन्य मंत्री इससे भी ज्यादा धन जनता से जबरदस्ती हड़प लेते है तो उन्हें हम अपना भविष्य या अपने विकास के लिए कानून निर्माता नियुक्त कर देते है. जो दिखावे के लिए एक बार सर्व सुविधा संपन्न कारागार के सर्वेक्षण के लिए भेजे जाते है. तथा कुछ दिन बाद वे ही ज़मानत पर छूट कर पुनः संसद में , जिसे बड़े ही गर्व के साथ आज पवित्र मंदिर कहते नहीं अघाते, जाकर राष्ट्र, समाज एवं मानवता के हितार्थ कानून बनाने की बड़ी बड़ी बातें करते है.
क्या हम नहीं चाहते क़ि हम भी खूब धनी एवं पूंजीपती बन जाएँ? अंतर्मन तो यही कहता है. भले दिखावे के लिए हम बड़ी बड़ी दार्शनिक बातें करते हुए कह दें क़ि लोभ बुरी बला है.
तो यदि सारा ज्ञान, वैराग्य, साधना, सिद्धि, सुख, खुशी एवं शान्ति अपरिग्रह या दरिद्रता से ही संभव है तो फिर व्यापार, नौकरी या कोई भी उपार्जन क्यों करना? क्यों न सब कुछ छोड़ कर अरण्य में जाकर घास फूस खाकर जीवन यापन करना? क्यों राष्ट्र एवं समाज के आर्थिक विकास की नयी नयी नीतियाँ गढ़ना? सब को संन्यास मार्ग की ही दीक्षा क्यों न देना?
फिर ये सारे बाबा लोग अपने आप तिरोहित हो जायेगें. कोई घोटाला नहीं होगा. कोई बेरोज़गारी नहीं होगी. कोई चोरी या अत्याचार नहीं होगा. और बहुत हद तक भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लग जाएगा.
कोई बाबा यदि धन संग्रह करता है तो वह गलती नहीं करता है. कम से कम वह किसी से जबरदस्ती तो नहीं करता है. किसी को चूष कर या मरोड़ कर जबरदस्ती तो धन नहीं छीनता. जैसा क़ि आज विधान बनाने वाले, विधान को मानने वाले या जबरदस्ती सब पर विधान थोपने वाले करते है.
ठीक उसी तरह जैसे किसी बिटिया के विवाह में ढेर सारा धन बेटी का बाप दहेज़ के रूप में देता है. यद्यपि उसे मा-बाप रोकर विदा करते है. किन्तु फिर भी सोचते है क़ि यदि उनके पास और ज्यादा धन सम्पत्ती होती तो और ज्यादा बिटिया को दहेज़ देते. और खूब खुश भी होते.
साईं बाबा को करोडो की संपदा दान में मिलती है. क्या साईं बाबा ने सम्मन जारी कर रखा है क़ि उसे मंहंगा से महँगा दान दिया जाय?
यह तो बड़ी विचित्र बात है क़ि ये आज के बाबा लोग तो केवल जीते जी ही लोगो से धन स्वेच्छा से लेते है. किन्तु साईं बाबा तो देहावसान के बाद भी वसूली का कार्यक्रम जारी रखे है. और ज़रदारी साहब अज़मेर शरीफ में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती के दरगाह में जाकर करोडो रुपये खुसी से और वैध तरीके से देकर चले आते है. तथा खुशी महसूस करते है.
गंगा माता ही तो यही धांधली मचाई हुई है. उनमें भी लोग आते जाते रुपये पैसे फेंकते है. बिना मांगे गंगा जी यह वसूली करती है. क्या अत्याचार मचाकर इन लोगो ने रखा है.
लेकिन इस गंगा माता ने कितने की आजीविका का भी ठेका ले रखा है. कई करोड़ लोग इनसे सम्बंधित नौकरी- गंगा प्रदूषण निवारण, गंगा उद्धार आदि संगठन बनाकर, कितने मल्लाह, कितने पुजारी-पंडित, कितने खेती गृहस्थी वाले लोग इसी के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे है.
फिर हम यहाँ यही बात उठायेगें क़ि ये बाबा एवं माताएं जो भी व्यापार या नौकरी देने का कार्य करती या करते है वह अवैध है. वह उनका काम किसी नियम कानून के तहत नहीं है.
तो पूछें, कौन सा नियम कानून? क्या रिश्वत लेकर नौकरी या व्यापार का लाइसेन्स देने का वैध काम? या अपनी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाया जाने वाला कानून? या ऐसे संगठन या संस्थान का निर्माण या प्रायोजन जहां से पैसा उगाहा जा सके? या वह कानून जो जनता के ऊपर बर्बरता पूर्वक पुलिस एवं लाठी डंडे के बल पर थोपा जा सके?
जनता को दबाकर, पीस कर, शोषित कर, मरोड़ कर उनके खून पसीने की कमाई को उन्हें रुला रुला कर छीन कर उसे हड़प लेना वैध है. जिसके लिए आम जनता भाग भाग कर दौड़ धुप कर हलकान हो जाती है. पूरा परिवार-कुनबा अभाव एवं दरिद्रता एवं अनचाहे शोक सागर में डूब जाता है. रुपया-पैसा भी चला जाता है. तथा बहुत दिनों के लिए पीड़ा भी मिल जाती है. आगे भी पूरे परिवार को यह शंका घेरे रहती है क़ि कही फिर कोई और सरकारी वसूली न आ जाय. इस तरह चिंता एवं घोर निराशा में अपने दिन एवं रात बिताते है. फिर भी यह वैध लूट है. किन्तु स्वेच्छा से यदि कोई व्यक्ति –आत्म तुष्टि ही सही तथा थोड़ी देर के लिए ही सही , किसी बाबा को दान दे देता है . तो वह बाबा चोर, पाखंडी, धोखेबाज़, लुटेरा एवं और पता नहीं क्या क्या है?
क्यों हम अपने आप को धोखा दे रहे है? क्यों वास्तविकता से मुंह छिपा रहे है? क्यों अपने आप को नपुंसक प्रमाणित कर रहे है? यह सज्जनता का कौन सा आवरण है जिसे हम अपने रोग ग्रस्त शरीर पर डाल कर रोग-व्याधि को छिपाते हुए “काले मुंह पर गोरा चश्मा” लगाए हुए है? क्यों हम इस ज्वलंत सत्य को स्वीकारने से कतरा रहे है? क्या यह ढोंग जो हम कर रहे है उसे दूसरे पहचानते नहीं? ज़रूर पहचानते एवं जानते है. कहते इस लिए नहीं क्योकि वे भी उसी राह के राही है.
तो फिर ऐसे हो हल्ला करने से विशेष कुछ नहीं होने वाला है. किन्तु एक फ़ायदा अवश्य हो सकता है क़ि जो ज्यादा हो हल्ला करे उसे हो सकता है क़ि “बाबा के दूसरे रूप” का अवतार मान लिया जाय. तथा उसे भी आसानी से धन संग्रह करने का मौक़ा मिल जाय. क्योकि अब ऐसा जो भी व्यक्ति कुछ कहेगा वह तो आम जनता की बात मानी जायेगी. जिस तरह हमारे चुने जन प्रतिनिधि अपनी बात हमसे मनवा कर उसे कानूनी जामा पहना देते है.
सत्य कहा है-

“उंच निवास नीच करतूती. देखि न सकही पराई विभूति.”

abhisays
07-06-2012, 01:29 PM
In USA,
if power goes,
they call power office.
In Japan,
they test the fuse.
But in India,
we check the neighbor’s house…
.
.
.
सबकी चली गई… फिर ठीक है !

amol
31-10-2012, 08:45 AM
एक बार हुआ यूँ,
की ग़ालिब सोचे,
कुछ यूँ,
क्या हो अगर,
हो यूँ,
और न यूँ !!


अब जब ग़ालिब,
सोचे यूँ,
तो हुआ यूँ,
की यूँ से मिला यूँ,
कुछ यूँ,
की पता न चला,
ये यूँ, यूँ,
या ये यूँ, यूँ !!

क्योंकिं,
ये यूँ,
ही है,
कुछ यूँ,
की जो सोचने लगो,
यूँ या यूँ,
तो,
यूँ ही यूँ में,
निकलते जाते,
यूँ पे यूँ !
यूँ पे यूँ !!




ग़ालिब पहले परेशान,
यूँ,
या,
यूँ !
अब नई परेशानी,
की ये यूँ, यूँ,
या ये यूँ, यूँ !!


चेहरा-ए-ग़ालिब,
कभी यूँ,
और,
कभी यूँ !!


इसलिए कहे 'मजाल',
ग़ालिब,
आप सोचे ही क्यूँ,
यूँ ? !!!

Sikandar_Khan
04-12-2012, 05:37 PM
साली पुराण: हास्य कविता
वह यौवन भी क्या यौवन है
जिसमें मुख पर लाली न हुई,
अलकें घूँघरवाली न हुईं
आँखें रस की प्याली न हुईं।

वह जीवन भी क्या जीवन है
जिसमें मनुष्य जीजा न बना,
वह जीजा भी क्या जीजा है
जिसके छोटी साली न हुई।

तुम खा लो भले प्लेटों में
लेकिन थाली की और बात,
तुम रहो फेंकते भरे दाँव
लेकिन खाली की और बात।
तुम मटके पर मटके पी लो
लेकिन प्याली का और मजा,
पत्नी को हरदम रखो साथ,
लेकिन साली की और बात।

पत्नी केवल अर्द्धांगिन है
साली सर्वांगिण होती है,
पत्नी तो रोती ही रहती
साली बिखेरती मोती है।
साला भी गहरे में जाकर
अक्सर पतवार फेंक देता
साली जीजा जी की नैया
खेती है, नहीं डुबोती है।

विरहिन पत्नी को साली ही
पी का संदेश सुनाती है,
भोंदू पत्नी को साली ही
करना शिकार सिखलाती है।
दम्पति में अगर तनाव
रूस-अमरीका जैसा हो जाए,
तो साली ही नेहरू बनकर
भटकों को राह दिखाती है।

Sikandar_Khan
07-12-2012, 08:37 PM
मजदूर व्यापारी कामगार
शिक्षित हो या बेरोजगार
होता क्रेज कब हो सगाई
ब्याह रचे घर आये लुगाई
यौवन रथ खड़ा था द्वार
मुझे हो गया उनसे प्यार
पहले तो घर वाले भन्नाए
लव मैरिज के गुण दोष बताये
मिलता न कुछ घर से जाता
बैरी घर समाज टूटे हर नाता
पहला ब्याह मेरा है बापू
चलते बरात या रास्ता नापूं
लड़की हो लड़का करते मजबूर
आशिकी करती अपनों से दूर
लोक लाज न शर्म से नाता
प्रेम रोग में केवल प्रेमी भाता
चुप कोने मै बैठी उठ बोली माई
अरेन्ज मैरिज कर या बन घर जमाई
करना है जो मैया जल्दी करना
प्यार किया है अब क्या डरना
जल्दी से उसे अपनीबहू बना
आरोप न लगे कैसा पुत्र जना
माने लोग तब निकली लगन
सजनी मिलन जान जियरा मगन
आये पाहुन ले सज गद्दा रजाई
सजनी द्वार पहुंचा बरात सजाई
बरात की बात थी बेरात हो गई
तारों की छाँव में विदाई हो गई
रोते हुए परिजनों से खूब लिपटी
अचानक तेजी से बस ओर झपटी
रुदन बंद देख पूंछा इतनी जल्दी ब्रेक
तपाक से वो बोली आदमी हो या क्रेक
अपनी सीमा तक मैं रोयी अब ये हुई परायी
मैं हंसूंगी तुम्हें है रोना बनते पति या घर जमायी

rajnish manga
07-12-2012, 09:56 PM
[QUOTE=ndhebar;145442]हम वीआईपी कैदियों की बात ही निराली है


:gm:
वाह भाई निशांत जी, वाकई इन चवन्नी और अठन्नी चोरों को देश की मर्यादा का कुछ भी ख़याल नहीं है. कहाँ ये और कहाँ स्विस बैंकों के तलबगार वी.आई.पी. मुस्टंडे. बलिहारी है.

Awara
20-12-2012, 02:08 PM
:cheers: आज के ज़माने की नयी परिभाषाये। :cheers:


1. बीबी : वह स्त्री, जो शादी के बाद कुछ सालों में टोक-टोक कर आपकी सारी आदतें बदल दे और फिर कहे कि आप कितना बदल गए हैं।
2. कार्यालय : वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।
3. समिति : ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
4. श्रेष्ठ पुस्तक : जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
5. परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
6. कान्फ्रेन्स रूम : वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
7. समझौता : किसी चीज को बांटने का वह तरीका जिसमें हर व्यक्ति यह समझता है कि उसे बड़ा हिस्सा मिला।
8. अधिकारी : वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।
9. व्याख्यान : सूचना को स्थानांतरित करने का एक तरीका जिसमें व्याख्याता की डायरी के नोट्स, विद्यार्थियों की डायरी में बिना किसी के दिमाग से गुजरे पहुंच जाते हैं।
10. अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।
11. कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
12. अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
13. दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।
14. अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम ।
15. कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
16. नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।
17. मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।
18. आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले।
19. राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।
20. आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।
21. सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना ।
22. ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।
23. विशेषज्ञ : वह आदमी है जो कम से कम चीजों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानता है।
24. पड़ोसी : वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं।
25.नेता : वह शख्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने के लिये हमेशा तैयार रहता है।

Awara
20-12-2012, 02:11 PM
**औरतें अक्सर हमें महान कार्यों की प्रेरणा देती हैं और उन्हीं को करने नहीं देतीं।

**शादी करके सिर्फ एक आदमी को दुखी करने से क्या फायदा जबकि अविवाहित रहकर हजारों को आहें भरवाईं जा सकतीं हैं।

**शादी जवानी की एक भूल है - जो कि हम सबको करनी चाहिए।

**पैसा सारी बुराइयों की जड़ है...... और इंसान को जड़ों की जरूरत हमेशा बनी रहती है।

**अगर संगत से ही तमाम खूबियां आ जातीं तो गन्ने में उगने वाले पौधों में रस क्यों नहीं होता ?

**महिलाओं के लिए राय : पुरुष के साथ खुश रहने के लिए उसे प्यार चाहे कम करें, समझने की कोशिश ज्यादा करें।
पुरुषों के लिए राय : महिला के साथ खुश रहने के लिए उसे बेशुमार प्यार करें और समझने की कोशिश कतई न करें।

** अपनी उम्र को आधा करके बताना, अपने कपड़ों की कीमत को दोगुना करके बताना और सहेली की उम्र में पांच साल जोड़कर बताना, दुनिया की अनपढ़ से अनपढ़ महिला भी इतना गणित तो जानती ही है।

** सच्चा प्रेम भूत की तरह है - चर्चा उसकी सब करते हैं, देखा किसी ने नहीं।

** खूबसूरत औरत आंखों के लिये स्वर्ग है, आत्मा के लिये नरक है, और जेब के लिये दिवाला है।

amol
21-12-2012, 09:58 AM
लड़के - लड़की


१) अगर किसी लडके ने किसी लड़की से "हाय/हैलो" कहा है तो वो इसे केवल "हाय/हैलो" ही समझती है | इसके उल्टे अगर किसी लड़की ने किसी लडके को "हैलो" कहा तो लड़का इसको केवल "हैलो" नहीं समझेगा |

२) अगर लड़का "हैलो" को केवल "हैलो" समझना भी चाहेगा तो उसके दोस्त ऐसा नहीं होने देंगे, आख़िर दोस्त होते ही किस दिन के लिए हैं

३) लड़के जिनकी गर्ल फ्रेंड होती है और जिनकी नहीं होती है, में केवल एक फर्क होता है, पहले वाले लोग "लड़कियों से बात करते हैं" और दूसरे वाले "लड़कियों के बारे में बात करते हैं" |

४) इंजीनियरिंग कालेज छोड़ दिए जाएँ तो संसार में सुन्दर लड़कियों की कोई कमी नहीं है |

५) जो इंजीनियरिंग कालेज जितना अच्छा होगा वहाँ लड़कियों कि गुणवत्ता कालेज की रैंक के व्युत्क्रमानुपात�� � होगी |

६) आपके मित्र कभी नहीं चाहते कि आपकी कोई गर्ल फ्रेंड बने, वरना वो कैंटीन में किसके साथ बैठ कर मौज करेंगे |

७) कालेज में लड़कियों के पीछे पंजीकरण बिल्कुल मुफ्त होता है, बन्दा साल में दो बार लड़की से बात नहीं करेगा लेकिन कैंटीन में हमेशा "मेरी वाली"/"तेरी वाली" संबोधन से ही बात होगी

amol
21-12-2012, 10:30 AM
:gm:Marketing :banalama:



IIM (इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ़ मेनेजमेंट) के एक प्रोफेसर अपने छात्रों को कुछ मार्कटिंग के सिद्दांत बता रहा थे
१.आप किसी पार्टी में एक अति सुंदर लड़की को देखते हे .और आप सीधे उसके पास जाकर कहते हे " में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो" -इस को कहते हे Direct Marketing

२.आप किसी पार्टी में अपने काफी सारे दोस्तों के साथ हे और आपको एक अति सुन्दर कन्या दिखाई देती हे आपका कोई दोस्त उसके पास जाकर आपकी तरफ इशारा करके कहता हे "वह बहुत धनवान हे उससे विवाह कर लो" -इसको कहते हे advertising

३.आपको किसी पार्टी में एक अति सुन्दर कन्या नजर आती हे .आप उसके पास जाते हे उसका फोन नम्बर लेते हे और अगले दिन उसको फोन करके कहते हे "में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो " -इसको कहते हे Telemarketing ४.आप किसी पार्टी में हें और को एक अति सुंदर लड़की नजर आती हे आप खडे होकर अपनी टाई सीधी करते हें और उसके पास जाते हें उसको एक ड्रिंक ऑफर करते हें .उसके बाद उसकी कार का दरवाजा खोलकर उसका बेग भी कार में रखते हे .और उसको सवारी करने (ride) का प्रस्ताव देते हे और फिर कहते हें कि "में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो" -इसको कहते हें Public Relation

५.आप किसी पार्टी में एक अति सुंदर कन्या को देखते हे .वह सीधी चलकर आपके पास आती हे और कहती हे " तुम बहुत धनवान ही क्या तुम मुझसे विवाह कर सकते हो?" -इसको कहते हे Brand Recognition
६.आप किसी पार्टी में एक आती सुंदर कन्या को देख कर उसके पास जाकर कहते हे " में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो" और वह आपके गाल पर जोर से एक तमाचा जड़ देती हे -इसको कहते हे Customer Feedback आप किसी पार्टी में एक अति सुंदर कन्या को देखते हे और आप उससे कहते हे कि " में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो ". और वह अपने पति से आपका परिचय कराती हे -तो इसको कहते हे Demand and supply Gap

८.आप किसी पार्टी में एक अति सुंदर कन्या को देखते हे आप उसके पास जाते हे लेकिन इससे पहले कि आप कुछ कहे कोई अन्य व्यक्ति आता हे और कहता हे " में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो " -इसको कहते हे competition

९.आप किसी पार्टी में एक अति सुंदर कन्या को देखते हे और जेसे ही आप उसके पास जाकर यह कहना चाहते हे " में बहुत धनवान हूँ मुझसे विवाह कर लो" आपकी पत्नी आ जाती हे -इसको कहते हे Restriction for entering new markets.

Awara
21-12-2012, 05:45 PM
GirlFriend

आज हम एक अजीबो गरीब प्राणी के बारे में पढायेंगे . . . . . . . .

इस जंतु का नाम है "GirlFriend" . . . . . .

ये अक्सर "Boyfriend" के साथ पाई जाती है !

इनका पोस्टिक आहार "Boyfriend" का भेजा होता है !

इनको अक्सर नाराज होने का नाटक करते हुए देखा जा सकता है ! पर अगर पैसे खर्च किये जाये तो फिर नाटक ख़त्म हो जाता है...

इस प्राणी का सबसे खतरनाक हथियार रोना और इमोशनली ब्लैक मेल करना होता है !

गर्ल फ्रेंड से ब्रेक अप पर टेंशन नाम की बीमारी हो जाती है, जिसका कोई इलाज नहीं..

ये ही एक ऐसा प्राणी है जिसपे कोई विस्वास नहीं करता है...

गर्ल फ्रेंड के लिए बॉय फ्रेंड कुछ भी कर सकता है, यहाँ तक की हँसते-हँसते कुत्ता भी बनता है...

इस प्राणी में बहुत सारे अवगुण हैं फिर भी ये प्राणी इतनी आसानी से नहीं मिलता है !

यह प्राणी भाव बहुत खाता है पर इस प्राणी के पास होता कुछ भी नहीं है जो वास्तविक हो , जिसपे भाव खाया जा सके..... !

यह प्राणी नर प्राणी को बर्बाद करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ता है...

यह प्राणी रुपये को आसानी से सूंघ सकता है......

Awara
21-12-2012, 05:46 PM
आजकल मेरा मन बहुत उदास है..
क्यूंकि मेरी बीवी के पास एक महीने से मेरी "सास" है

वो मुझे रोज़ कोई न कोई बहाना बनाकर ठगता है,
मैं सब समझता हूँ लेकिन कुछ कह नहीं सकता,
क्योंकि वो मेरी बीवी का "भाई" लगता है..

उसकी आँख जाली है,नाक टूटी हुई प्याली है.
रंग रूप में कोयले से भी काली है,
फिर भी जो "ब्यूटी queen" कहता हूँ,
क्योंकि वो मेरी "साली" है !

Awara
21-12-2012, 05:47 PM
अमेरिका में एक बहुत बड़ा departmental स्टोर खुला और उस पर लिखा था "यहाँ पति मिलते हे "
इस स्टोर में कुल पांच फ्लोर थे लेकिन स्टोर का एक नियम था की आप पहले फ्लोर पर अपने लिए पति पसंद करे अगर पसंद न आये तो आप दुसरे फ्लोर पर जा सकते हे और इसी प्रकार तीसरे चोथे और पाँचवे फ्लोर पर लेकिन पति पसंद न आने की स्थिति में आप वापिस नहीं आ सकते अर्थात दुसरे फ्लोर से पहले पर या पांचवे फ्लोर से चोथे फ्लोर पर नहीं आ सकते
उस में एक दिन एक लड़की अपने लिए पति पसंद करने आयी और पहले फ्लोर पर गयी वहा पर लिखा था "ये पति बहुत धनी हे और sexually strong भी हे अर्थात ये आपको बिस्तर में पूर्ण रूप से संतुष्ट करने में सक्षम हे"
लड़की को पसंद तो आया लेकिन फिर भी वो दुसरे फ्लोर पर गयी और देखा वहा लिखा था "इन पतियों में वो सारी विशेषताएं हे जो पहले फ्लोर वाले पतियों में थी इस के अतिरिक्त ये पति घर की सारी सफाई और कपडे धोने के लिए भी तैयार हे " वो लड़की काफी प्रसन्न हुयी लेकिन फिर भी वो तीसरे फ्लोर पर गयी और उसने देखा वहा लिखा था की "इन पतियों में वो सारी विशेषताएं हे जो पहले और दुसरे फ्लोर वाले पतियों में थी उनके अतिरिक्त ये सब आपके बच्चो का होमवर्क और उनको स्कूल से लाने ले जाने के लिए भी तैयार हे "वो लड़की अब और भी खुश हुयी लेकिन फिर भी वो चोथे फ्लोर पर गयी और उसने देखा वहा लिखा था की "इन सब में वो सारी विशेषताएं हे जो पहले,दुसरे और तीसरे फ्लोर वाले पतियों में थी लेकिन उस के अतिरिक्त ये कभी किसी दूसरी औरत या लड़की की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखते, आपको घुमाने ले जायेंगे और दिल खोलकर शौपिंग भी कराएँगे" उस लड़की की ख़ुशी का तो अब ठिकाना ही नहीं रहा लेकिन फिर भी वो पांचवे फ्लोर पर गयी और देखा वहा लिखा था "आपके लिए इस स्टोर में कोई पति नहीं हे "
एक महीने के बाद उस स्टोर को बंद करना पड़ा क्योंकि नियमो के अनुसार एक महीने में वो लोग एक भी पति नहीं बेच पाए क्योंकि दोस्तों लेडीज का तो हमेशा "ये दिल मांगे मोर"
महिला सदस्य इसको अन्यथा न ले आज हमारा केवल मज़ाक का मूड हे

Awara
21-12-2012, 05:51 PM
एक शादी शुदा की दास्तान

अभी शादी का पहला ही साल था ,
ख़ुशी के मारे मेरा बुरा हाल था ,
खुशियाँ कुछ यूँ उमड़ रहीं थी ,
की संभाले नहीं संभल रही थी ...
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना
थोडा शरमाते हुए हमें नींद से जगाना ,
वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिरना ,
मुस्कुराते हुए कहना की ...
डार्लिंग चाय तो पि लो , जल्दी से रेडी हो जाओ , आप को ऑफिस भी है जाना .
घरवाली भगवन का रूप ले कर आयी थी ,
दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी ,
सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था ,
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था ..

५ साल बाद ........
सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना ,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना ,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना ..............
सुनो एक बार फिर वोही आवाज आई ,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नहीं चारपाई ,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना ,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना ..
न जाने घरवाली कैसा रूप ले कर आई थी ,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी ,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख्याल होता है ,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है ..
क्या कभी वोह दिन लौट के आयेंगे ,
हम एक बार फिर कुंवारे बन पायेंगे

Awara
21-12-2012, 05:52 PM
पति और पत्नी में मूलभूत अंतर:

(१) यदि पत्नी तैयार होने में २ घंटे लगाती है तो ये आम बात है,पर यदि पति २ घंटे लगाये तो वो सुस्त और ढीला है .

(२) पत्नी शौपिंग पर जाती है तो जरुरी सामान खरीदने, पर यदि पति जाए तो वो फिजूलखर्च है...

(३) यदि पत्नी का काम करने का दिल नहीं है तो वो बहुत ज्यादा थकी और काम के बोझ से दबी हुई है. यदि पति आराम कर रहा हो तो वो आलसी और आरामपरस्त है.....

(४) पत्नी पति की जेबें टटोलती है तो ये उसका हक है जबकि पति द्बारा पत्नी का purse टटोलना तलाशी लेना है....

(५) देर रात को अगर पत्नी का पुरुष सहकर्मी उसे घर छोड़ने आये तो वो शरीफ और gentleman है. यदि पति देर रात किसी महिला सहकर्मी को छोड़ने जाए तो वो flirt है.

अंत में क्या आप जानते हैं की ऐडम और हव्वा हमेशा खुश क्यों रहते थे ...
सोचो ..सोचो....

अरे क्योंकि दोनों की सास नहीं थी ......

Awara
23-12-2012, 04:23 PM
दोस्तों यदि हमारा प्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम अर्थात विन्डोज़ हिंदी में होता तो आइये देखते हे की विन्डोज़ से सम्बन्धित कुछ शब्दों का हिंदी वर्जन में क्या नाम होगा

अत्यंत मुलायम खिड़कियाँ = Microsoft Windows
अत्यंत मुलायम = Microsoft
खिड़की = Window
फाइल = File
बचाओ = Save
ऐसे बचाओ = Save as
सबको बचाओ = Save All
मुझे बचाओ = Help
मदद पे मदद = Help On Help
ढूँढो = Find
फिर से ढूँढो = Find Again
हिलाओ = Move
चारा = Options
बुरा सन्देश या फाइल नाम = Bad command or file name
गर्भ गिराओ , फिर से कोशिश करो , नाकामयाब = Abort, retry,fail
डाक भेजो = Send Mail
डाक = Mail
डाकिया = Mailer
दौडो = Run
छापो = Print
देख के छापो = Print Preview
चिपकाओ = Paste
ख़ास चिपकाओ = Paste Special
मिटाओ = Delete
पृष्ठ उपर = Page Up
पृष्ठ नीचे = Page Down
अंत = End
साफ़ करो = Clear
सब कुछ साफ़ करो = Clear All
मकान = Home
टोपी का ताला = CapsLock
हथियार = Tools
खुली चादर = Spreadsheet
पेड़ = Tree
चूहा = Mouse
चूहा चालक = Mouse Driver (Software)
टिक -टिक करो = Click
इधर -से -उधर ,उधर -से -इधर वाला डंडा = Scrollbar
पर्दा = Screen
पर्दा बचाने वाला = Screen Saver
कृमि = Virus
टीका = Anti Virus
करो = Do
गलती = Error
घुसाओ = Insert
पहले घुसाओ = Insert Before
बीच में घुसाओ = Insert Between
बाद मे घुसाओ = Insert After
चाबी फलक = Key board
चूहे का बिस्तर = Mouse Pad
आवाज़ फोड़ने वाली चीज़ = Sound Blaster
अंतरजातीय जाल = InterNet
बात चीत डब्बा = Dialog Box
चले ? = Exit?

Awara
23-12-2012, 04:25 PM
हर मर्द की लाइफ देखो तो

शादी से पहले स्पाइडरमैन

शादी के समय सुपर मैन

शादी के बाद जेंटल मैन

और बीवी खुबसूरत हो तो पूरी उम्र वाच मैन

aspundir
23-12-2012, 04:38 PM
दोस्तों यदि हमारा प्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम अर्थात विन्डोज़ हिंदी में होता तो आइये देखते हे की विन्डोज़ से सम्बन्धित कुछ शब्दों का हिंदी वर्जन में क्या नाम होगा

अत्यंत मुलायम खिड़कियाँ = microsoft windows
अत्यंत मुलायम = microsoft
खिड़की = window
फाइल = file
बचाओ = save
ऐसे बचाओ = save as
सबको बचाओ = save all
मुझे बचाओ = help
मदद पे मदद = help on help
ढूँढो = find
फिर से ढूँढो = find again
हिलाओ = move
चारा = options
बुरा सन्देश या फाइल नाम = bad command or file name
गर्भ गिराओ , फिर से कोशिश करो , नाकामयाब = abort, retry,fail
डाक भेजो = send mail
डाक = mail
डाकिया = mailer
दौडो = run
छापो = print
देख के छापो = print preview
चिपकाओ = paste
ख़ास चिपकाओ = paste special
मिटाओ = delete
पृष्ठ उपर = page up
पृष्ठ नीचे = page down
अंत = end
साफ़ करो = clear
सब कुछ साफ़ करो = clear all
मकान = home
टोपी का ताला = capslock
हथियार = tools
खुली चादर = spreadsheet
पेड़ = tree
चूहा = mouse
चूहा चालक = mouse driver (software)
टिक -टिक करो = click
इधर -से -उधर ,उधर -से -इधर वाला डंडा = scrollbar
पर्दा = screen
पर्दा बचाने वाला = screen saver
कृमि = virus
टीका = anti virus
करो = do
गलती = error
घुसाओ = insert
पहले घुसाओ = insert before
बीच में घुसाओ = insert between
बाद मे घुसाओ = insert after
चाबी फलक = key board
चूहे का बिस्तर = mouse pad
आवाज़ फोड़ने वाली चीज़ = sound blaster
अंतरजातीय जाल = internet
बात चीत डब्बा = dialog box
चले ? = exit?

आपके अभिनव शब्द संयोजन को नमन

Awara
23-12-2012, 05:47 PM
अपने काम में कुशल एक लेडी सेक्रेटरी ने अपने बॉस से अपनी तनखाह बढाने की गुजारीश की. लेकिन बॉस ने मना करते हूए कहा, '' आपकी तनखाह पहले से ही आपके अगले कॅबिन में काम कर रहे सेक्रेटरी से जादा है, और उसे तो पांच बच्चेभी है''
"" माफ किजिए सर,..'' वह कुशल सेक्रेटरी ने चिढकर जवाब दिया, '' अगर मै गलत नही हूं तो हमें तनखाह हम यहां कितना आऊटपुट देते है इसके लिए दी जाती है, ना की हम अपने घर में अपने निजी वक्तमें कितना आऊटपुट देते है इसलिए...''

Awara
23-12-2012, 06:05 PM
इसको कहते हे बिजनेस |
...
...
...
...
...
...
...
6 * 100 * 10 * 20 * 20 = 24,00,000
20 मिनट में 24 लाख |
केसे ? Kbc (कोंन बनेगा करोड़पति) द्वारा |
अंदाजा लगाइए |
6(रूपये प्रति sms) * 100(एंट्रीज़) * 10 ( शहर) * 20 (जनपद) * 20(राज्य) =6 * 400000(लोग 2 लाख नकद इनाम के लिए कोशिश करते हे) |
सोचिये की यदि 10 की जगह 100 शहरो से 100 की जगह 1000 एंट्रीज़ हो तो ?
संख्या में बडी आसानी से 2 शून्य और जुड़ जायेंगे और रकम हो जायेगी 24 करोड़ |
और यह सिलसिला यही नही रुकता | 100 शहरो से 1000 एंट्रीज़ बडी छोटी संख्या हे |
व्यवहारिक रूप से यह 100 गुना और हो जायेगी बल्कि यूँ कहिये की औसतन 1000 गुना |
और उस स्थिति में 24*100 करोड़ की आमदनी सिर्फ बीस मिनट में एक एपिसोड द्वारा |
और कीमत सिर्फ 2 करोड़ (और वो भी किसकी जेब से)?
सिद्धार्थ बासु और स्टार नेटवर्क का एक स्मार्ट बिजनेस !
यह गणना सिर्फ sms की आमदनी की हे |
और एडवटाइज्मेंट का पैसा कहाँ गया ?
एक मोटी सी गणना के अनुसार वार्षिक आय हो गयी 2400 * (5 * 4)(एपिसोड्स प्रति माह) * 12 = 5,76,000 करोड़ |
मान लीजिये की टेक्स और अन्य प्रकार के भुगतान के रूप में आधा भी खर्च हो गया तो |
प्रत्येक एपिसोड द्वारा 2 करोड़ का इनाम देने के बाद भी आपके पास बचे 2, 87,998 करोड़ |
और अभी तो यह लाभ सिर्फ sms द्वारा ही हुआ |

Awara
23-12-2012, 06:08 PM
सिगरेट- कागज़ में लिपटा हुआ तम्बाकू जिसके एक सिरे पर आग होती हे और दुसरे सिरे पर एक बेवकूफ |
प्रेम सम्बन्ध- एक क्रिकेट मेच जहा पांच दिवसीय टेस्ट की तुलना में वन डे इंटरनेश्नल अधिक मजेदार माने जाते हे |
तलाक- शादी का future tense (भविष्य काल) |
डाक्टर-एक व्यक्ति जो आपकी बीमारियों (ills) को अपनी गोलियों (pills) से मारता हे (kills),और आपको अपने बिल्स(bills) से |
आंसू- एक हाईड्रोलिक शक्ति जिसमे नर इच्छा शक्ति (masculine will-power) की एक मादा जल शक्ति (feminine water-power) द्वारा पराजय हो जाती हे |
डिक्शनरी - एक ऐसा स्थान जहाँ divorce (तलाक),marriage (शादी)से पहले आता हे |
कोंफ्रेंस रूम- ऐसा स्थान जहाँ सब बोलते हे ,कोई सुनता नही हे लेकिन बाद में सब सहमत हो जाते हे |
क्लासिक- एक ऐसी पुस्तक जिसकी लोग प्रशंसा तो करते हे लेकिन पढ़ते नही हे |
स्माइल - एक ऐसा वक्र(curve) जो जीवन की बहुत सी चीजों को सीधा (straight) कर देता हे |
कार्यालय- एक ऐसा स्थान जहाँ पर आप अपने तनाव पूर्ण घरेलू जीवन से कुछ समय के लिए रिलेक्स होते हे |
जम्भाई(yawn)- ऐसा इकलोता समय जब एक शादी शुदा मर्द को मुंह खोलने का अवसर मिलता हे |
इत्यादि(etc)- एक ऐसा संकेत जिसके द्वारा आप अन्य लोगो को यह विश्वास दिलाते हे की आप उससे अधिक जानते हे जितना की आप वास्तव में जानते हे |

jai_bhardwaj
23-12-2012, 07:39 PM
आवारा बन्धु , चुटीली और हास्य से भरपूर मनोरंजक प्रस्तुतियाँ हैं। हार्दिक आभार बन्धु।

rajnish manga
25-12-2012, 06:49 PM
[QUOTE=Awara;197317]:cheers: आज के ज़माने की नयी परिभाषाये। :cheers:

Wah Awara ji, aisa lagta hai duniyan bhar ka gyan kaafi dinon se update nahin kiya gaya. kuchh inpe bhi nigaah daalen:

Absurdity = A statement of belief manifestly inconsistent with one’s own opinion.
Acquaintance = A person whom we know enough to borrow from but not well enough to lend to. A degree of friendship called slight when its object is poor or obscure, and intimate when he is rich or famous.
Apologise = To lay the foundation for a future offence.
Back = That part of your friend which it is your privilege to contemplate in your adversity.
Bride = A woman with a right prospect of happiness behind her.
Consult = To seek another’s approval of a course already decided on.


:cheers:
:gm:

confuse+
27-01-2013, 05:54 PM
॥॥बालम, तू काहे न हुआ एन.आर.आई.॥॥


"बालम परदेश न जा"–बेगम अख्तर की कई साल पुरानी ठुमरीनुना गजल या गजलनुमा ठुमरी ट्रांजिस्टर पर चल रही है। तीस-चालीस साल पहले बालम को यही कहा जाता था–बालम, परदेश न जा। मेरी पत्नी मुझसे रोज झगड़ती है कि अमेरिका या कनाड़ा की कोई नौकरी क्यों नहीं तलाशते। देखो, वह मछली के पकौड़े बनाने वाला कनाड़ा में सैटल हो गया है। इस बार बता रहा था कि मर्सीडीज खरीदी है। देखो, वह बाबू भाई मिस्त्री दुबई में जम गया है।
देखो, वह चौरसिया पानवाला भी न्यू जर्सी में एन.आर.आई. हो गया है। तुम कब परदेशी होगे बालम ? सारे कायदे के बालम परदेशी हुए जा रहे हैं। सब तरफ मामले उलटे हो गए हैं। प्राचीन काव्यग्रन्थों में दिखाया जाता था कि नायिका विरह-वेदना में परेशान हो रही है। कह रही है कि दुष्ट बालम परदेश जाकर लौटने का नाम नहीं लेते। अब इन ग्रन्थों में रिवीजन इस तरह से होना चाहिए, नायिका परेशान है। कह रही है कि दुष्ट, आलसी, चिरकुट बालम परदेश जाने का नाम नहीं ले रहा हैं। सारी सखियों के बालम परदेशी हो गए हैं, सो मुझे वे सब चिढ़ाती हैं।
तुम सब परदेशी होगे बालम? सब तरफ यही सन्देश सुनाई दे रहा है। सिर्फ बालम होने से अब काम नहीं चल रहा है। परदेशी होना जरूरी हो गया है। क्या दिन रहे होंगे, जब सिर्फ बालम होने भर से काम चल जाता था। कैसे सुन्दर प्रेमपूर्ण दिन रहे होंगे, जब कोई बालम बताता होगा कि कम्पनी विदेश भेज रही है, क्या करूँ। पत्नी वही कहती होगी–ना, परदेश न जा बालम।
तब बालम भी बहुत भोले होते होंगे, जो परदेश जाकर डॉलर-पौंड खींचने के बजाय वहाँ से अपनी पत्नी को फोन करने में टाइम वेस्ट करते थे, जैसा कि एक प्राचीन फिल्ममें उस गाने में दिखाया गया है–मेरे पिया गए रंगून, किया है वहाँ से टेलीफून, तुम्हारी याद सताती है। अबे,रंगून पहुँचकर ही याद सताती है ?बालम तब न्ययॉर्क में मछली के पकौड़े बेचकर मर्सीडीज कैसे खरीदेगा। अब तो समझदार बालम सिलिकौन वैली कैलिर्फोनिया पहुँचकर दनादन डॉलर पीटते हैं। फोन नहीं करते, खाली-पीली में टाइम खोटी क्यों करें।
वैसे, बालम बाजार में अब सबसे हिट बालम वही है, जो परदेशी है। देशी बालमों को बालम बाजार में कुछ अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता। इधर मैंने अखबारों के मेट्रीमोनियल विज्ञापनों पर गहन शोध किया है। श्रेष्ठ सुन्दरियाँ एन.आर.आई. बालमों की ही माँग कर रही हैं। स्वदेशी की ऐसी उपेक्षा। बालम मेरिट लिस्ट का हाल यह है कि परदेशी पकौड़ेवाला भी स्वदेशी प्रोफेसर पर भारी पड़ रहा है।
मुझे गीता का दसवाँ अध्याय याद आ रहा है, जिसमें कृष्ण ने अपनी श्रेष्ठता के बारे में बताया है, मैं देवर्षियों में नारद हूँ, सिद्ध पुरुषों में कपित मुनि हूँ, हाथियों में ऐरावत हूँ, पशुओं में सिंह हूँ...अब कृष्ण अर्जुन को यह भी बताते कि मैं कारों में मर्सीडीज हूँ, वीजाओं में अमेरिकी वीजा हूँ, शहरों में न्यूयॉर्क हूँ और बालमों में एन.आर.आई.बालम हूँ।...
एक विद्वान का कहना है कि सुदामा और कृष्ण की स्टोरी और कुछ नहीं, उस वक्त एन.आर.आई. होने के फायदे की स्टोरी है। सुदामा की पत्नी ने लड़-झगड़कर उन्हें तत्कालीन परदेश द्वारिका कृष्ण के पास भिजवाया। रिजल्ट क्या रहे, सब जानते हैं। अगर सुदामा परदेश नहीं जाते,तो क्या इतने फेमस हो पाते ?नहीं ना ? कृष्ण के जिन मित्रों ने परदेश जाने का साहस नहीं दिखाया, क्या उनका नाम कोई जानता है ? नहीं। इसे यों कहा जाना चाहिए कि सुदामा कीपत्नी ने अगर पति से परदेश जाने की झकझक न की होती, तो सुदामा भी चिरकुट मिडिल क्लास लाइफ जीकर निपट जाते।
वैसे जो भी हो, परदेश में मामला आसान हो जाता है। एक मेरे परिचित टोरन्टो कनाडा में स्टेशन के पास समोसे बेचते हैं। पर यहाँ बताते हैं कि फूड प्रोसेसिंग का कारोबार है। परदेश में जाने का फायदा यह होता है कि समोसे का धन्धा फूड प्रोसेसिंग का मान लिया जाता है। कभी-कभी सुदामा-कृष्ण की कहानी सुनकर मुझे शक होता है कि कृष्ण ने इतनी आसानी से सुदामा को इतना कैसे दे दिया। यह हुआ होगा कि सुदामा द्वारिका में चाट बेचने लगे होंगे, उसी में दबाकर कमाई कर ली होगी। द्वारिका में चाट बेची जा सकती थी, अपने इलाके में नहीं। टोरन्टों में समोसे बेचे जा सकते हैं, अपने इलाके में नहीं। परदेशी के कई कायदे हैं।
...पर जो भी हो, अब श्रेष्ठ बालमत्व परदेशी होने में ही निहित है। परमश्रेष्ठ बालम वह है, जो परमानेन्ट वही रहने का जुगाड़ कर ले। एकाध महीने के लिए परदेश जाकर लौटकर आनेवाला बालम उच्चकोटि का बालम नहीं माना जाता। इधर उस कहावत का मर्म समझ में आ रहा है कि ‘लौट के बुद्ध घर को आए’। इसका मतलब है, जो लौटकर इस देश में आ गया, वह बुद्धू ही है। जो कनाड़ा में पकौड़ों की दुकान नहीं खोल पाया है, वह बुद्धू ही है। जो इस देश से जा ही नहीं पाया है, वह तो परमबुद्धू है !

मूल रचनाकार - आलोक पुराणिक ।

bindujain
29-01-2013, 08:01 AM
:bravo::bravo::bravo:











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anjaan
07-02-2013, 07:25 AM
सोनिया ने कहा की हम 100 दिनों में महंगाई खतम कर देंगे - हमने हँस के टाल दिया!


मनमोहन ने कहा की हम बहुत जल्द मंगल पर अपना यान भेजेंगे - हमने हँस के टाल दिया!


कपिल ने कहा की हम दुनिया का सबसे सस्ता टेबलेट बना के देंगे - हमने हँस के टाल दिया!


शरद पवार ने कहा की हम बहुत जल्द दुनिया को सबसे ज्यादा चावल निर्यात करेंगे - हमनेहँस के टाल दिया!


मोइली ने कहा की हम चीन के हर संभव युद्ध लड़ने को तैयार है - हमने हँस के टाल दिया!


लेकिन मनीष तिवारी ने कहा की राहुल गांधी इस देश के सबसे प्रखर और युवा नेता है,
देश को नयी दिशा देंगे -----















अबे बेवकुफो हँसा हँसा के मारोगे क्या???