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View Full Version : मानव जीवन और मूश्किले बनाम सरलताये


soni pushpa
10-12-2014, 10:41 PM
इंसानी जीवन को लेकर आज एक वाकया पढ़ा कहीं मैंने , जिसका सार ये था की जीवन में कठिनाइयाँ और मुश्किलें आनी ही चहिये बिना मुश्किलों के जीवन में कोई रस नही रह जाता ... अब मै यहन अपने विचार रखना चाहूंगी फिर आप सब क्या सोचते हो इस बारे में कृपया इस सूत्र पर अ पने अपने विचार रखने की कृपा कीजियेगा ..


मुश्किलों को लेकर मेरा येही कहना है की मानव जीवन में यदि कभी कभार मुश्किलें आतीं है, तो उससे इन्सान सही में स्ट्रोंग बनता है., और जीवन के कडुवे अनुभवों से वो बहुत कुछ सीखता भी है, किन्तु अगर किसी को हर समय दुःख, तकलीफे, कठिनाइयाँ ही मिलती रहे तब मै नही मानती की हर पल की मुश्किलें इन्सान को मजबूत बनाती है ,या एईसी मुश्किलों की वजह से इन्सान आगे बढ़ता है हर समय की मुश्किलें इन्सान को तोड़ देती हैं ...

आप सबका मानना क्या है मै आप सबकी राय जानना चाहूंगी ...

Arvind Shah
11-12-2014, 12:25 AM
सोनीजी मैं कुछ हद तक आपकी बात से सहमत हू !..पर पूर्णरूप से नहीं !

भावुकता इन्सान को भगवान की बहुत बड़ी नेमत है तो खामी भी है ! भावुक व्यक्ति का तराजु उसके दिल में होता है !

वह सामने आनेवाली हर स्थिति और परिस्थिति को इसी तराजु से तौल के सुखी और दूखी होता रहता है ।

कठीनाईयां और मुश्कीले ऐसे तमाम व्यक्तियों के लिए दुख देने वाली ही साबीत होती है वो चाहे एक बार हो या बार—बार हो !

फीतरती तौर पर ऐसे तमाम लोग कठीनाईयां और मुश्कीलो से घबराते है और बार—बार अगर ये कठीनाईयां और मुश्कीले आती रहीं तो ये टुटने के कगार पर पहुच जाते है !


सोनीजी आपका ये विषय भी मेरी निजी जिन्दगी से बहुत ही गहरे से ताल्लुक रखने वाला है । बद्किस्मत से ये कठीनाईयां और मुश्कीले मेरे जीवन में लगातार रही है अब तक !....हर मुश्कील ने मुझे एक नई सीख दी है और ...और ज्यादा ताकत से लडने का होसला दिया है !!

....हर मुश्कील ने मुझे नि:सन्देह तकलिफ जरूर दी पर अन्त में मुस्कराहट भी अवश्य दी !

जीवन में भावुकता अवश्य होनी चाहीये पर इतनी ज्यादा भी नहीं कि व्यक्ति कायर बन जाए !!

भावुकता से इन्सान में निरंकुशपना खत्म हो जाता है और वो एक सामाजिक प्राणी बना रहता है ...पर जीवन में भावुकता का स्थान नियत होना जरूरी है !

आप चिंटीं जैसे छोटे जीव पर प्रयोग करना कभी ! जाती हुई चिटीं के राह में आप उंगली रखना ! ...वो तुरन्त अपना रास्ता बदल के आगे बढ जायेगी चाहे आप किनी ही बार व्यवधानपैदा करे !

संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है !... और ये कठीनाईयां और मुश्कीले इस जीवन को सजाने और संवारने के औजार है नाकी व्यवधान !!

soni pushpa
11-12-2014, 07:57 PM
धन्यवाद अरविन्द जी आपने अपने विचार रखे यहाँ आपका हार्दिक स्वागत है इस बहस पर आगे सबके विचार जानना चाहूंगी .

DevRaj80
11-12-2014, 09:29 PM
सोनी जी और अरविन्द भाई ......मई तो अभी आप जितनी बड़ी सोच नहीं रखता ...

एक कालेज में पढाता हूँ ..... आज तक एक ही बात सीखी है ...

एक ही रंग ....... जैसे ....

दुनिया को रंग तो सकता है परन्तु रंगीन नहीं बना सकता

वैसे ही जिन्दगी में .....

ख़ुशी :hug::hug::hug:होया गम :cry::cry::cry:

कठिनाई:help::help: हो या सुलभता .....

जीवन को रस पूर्ण नहीं बना सकता ...:bravo::bravo:


अथ :iagree::iagree::iagree: जीवन में कठिनाइया परेशानियां भी उतना ही महत्त्व रखती है जितनी की खुशिया...

धन्यवाद ...:egyptian::egyptian::egyptian::egyptian:

आपका देवराज

soni pushpa
12-12-2014, 02:06 PM
आपका हार्दिक अभार्र देवराज जी , आपने इस बहस में भाग लिया और अपने मंतव्य रखे हैं .बहुत बहुत धन्यवाद .

Pavitra
14-12-2014, 09:23 PM
मुझे लगता है कि जीवन में आने वाली मुश्किलें हमें मज़बूत बनाएंगी या कमज़ोर कर देंगी ये हमारी सोच पर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति ये ठान ले कि उसे कोई मुश्किल हरा नहीं सकती तो फिर उसकी जीत निश्चित है। आपने अब्राहम लिंकन के बारे में ज़रूर सुना होगा जिन्होंने इतनी कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी अमेरिका के राष्ट्रपति का पद प्राप्त किया। तो वास्तव में ये हमारी सोच होती है जो निर्धारित करती है कि हम मुश्किलों से सीख लेकर मज़बूत बनते हैं या हार मानकर कमज़ोर बनना स्वीकार कर लेते हैं।
अक्सर लोग कहते हैं कि अच्छे लोगों के जीवन में ही कठिनाइयां आती हैं , पर हम ये नहीं सोचते कि ये कठिनाइयां आती हैं जीवन में तभी तो हमें अच्छे लोगों की अच्छाई का पता चलता है। हर मुश्किल के बाद लोग पहले से बेहतर बनकर सामने आते हैं , कुछ अच्छा सीख कर जिससे जीवन को बेहतर बना सकें। भगवान हम सभी को एक जैसा बनाते हैं , हम सभी के जीवन में मुश्किलें भी आती हैं , कुछ लोग मुश्किल समय में अपने मूल्यों से समझौता कर लेते हैं और कुछ लोग अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं करते और अपनी अच्छाई बनाये रखते हैं।

soni pushpa
15-12-2014, 12:05 PM
पवित्रा ji बहुत बहुत धन्यवाद ,...आपने इस सूत्र पर अपने विचार रखे बहुत अच्छा लगा मुझे .. मै आपकी अभारी हूँ की अपने अपना अमूल्य समय दिया .

soni pushpa
04-01-2015, 05:56 PM
सोनीजी मैं कुछ हद तक आपकी बात से सहमत हू !..पर पूर्णरूप से नहीं !

भावुकता इन्सान को भगवान की बहुत बड़ी नेमत है तो खामी भी है ! भावुक व्यक्ति का तराजु उसके दिल में हो
सोनीजी आपका ये विषय भी मेरी निजी जिन्दगी से बहुत ही गहरे से ताल्लुक रखने वाला है । बद्किस्मत से ये कठीनाईयां और मुश्कीले मेरे जीवन में लगातार रही है अब तक !....हर मुश्कील ने मुझे एक नई सीख दी है और ...और ज्यादा ताकत से लडने का होसला दिया है !
....हर मुश्कील ने मुझे नि:सन्देह तकलिफ जरूर दी पर अन्त में मुस्कराहट भी अवश्य दी !
जीवन में भावुकता अवश्य होनी चाहीये पर इतनी ज्यादा भी नहीं कि व्यक्ति कायर बन जाए !!
भावुकता से इन्सान में निरंकुशपना खत्म हो जाता है और वो एक सामाजिक प्राणी बना रहता है ...पर जीवन में भावुकता का स्थान नियत होना जरूरी है !
आप चिंटीं जैसे छोटे जीव पर प्रयोग करना कभी ! जाती हुई चिटीं के राह में आप उंगली रखना ! ...वो तुरन्त अपना रास्ता बदल के आगे बढ जायेगी चाहे आप किनी ही बार व्यवधानपैदा करे !
संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है !... और ये कठीनाईयां और मुश्कीले इस जीवन को सजाने और संवारने के औजार है नाकी व्यवधान !!

मैंने आप सबके मंतव्य जाने इस सूत्र पर बहुत अच्छा लगा की आप सबने इस सूत्र को आगे बढाया ...और अपने विचारों से मुझे अवगत कराया ..अरविन्द शाह जी मैंने ये ही कहा की कभी कभार की मुश्किलें हमे आगे बढाती है और उन मुश्किलों के बाद की सफलताएँ हमे मुस्कराहट भी देतीं हैं किन्तु जीवन में यदि किसी इंसान को लगातार दुखों का , मुश्किलियों का ही सामना करना पड़े तब उसे उसका जीवन भारी लगने लगता है हताशा छा जाती है, और निरसता आ जाती है . कोई रस नही रह जाता जीवन जीने का एइसे दुखी लोगो में .
पर
आपका कहना सही है की कभी कभी जीवन में आई मुश्किलें इंसान को मजबूती देती है भावुकता तो सुखी इंसान को भी दुखी बना सकती है क्यूंकि उन्हें हर बात में रोंने के बहाने मिल जाते हैं अति भावुकता भी अच्छी नही एइसा मेरा मानना है . बहुत बहुत धन्यवाद अरविन्द शाह जी आपके अनमोल विचारो की प्रस्तुति के लिए

soni pushpa
04-01-2015, 06:46 PM
[QUOTE=Pavitra;542468][size="3"]मुझे लगता है कि जीवन में आने वाली मुश्किलें हमें मज़बूत बनाएंगी या कमज़ोर कर देंगी ये हमारी सोच पर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति ये ठान ले कि उसे कोई मुश्किल हरा नहीं सकती तो फिर उसकी जीत निश्चित है। आपने अब्राहम लिंकन के बारे में ज़रूर सुना होगा

ग़लतफ़हमी न हो इस वजह से मैंने उस महिला की कहानी को यहाँ से निकल दिया है अब बस इतना कहूँगी की अतिसय दुःख इन्सान को हरा देता है और थका भी देता है कभी कभार के दुःख चिंताए हमे जीवन में आगे बढाती है जीवन में एक रस भरती है क्यूंकि हरपल मीठा हम नही खा सकते जीवन का मजा कुछ खट्टी कुछ मीठीबातो में होता है पर कई लोग एइसे भी है इस दुनिया में जो हर पल जिंदगी से लड़के भी सिरफ़ दुखों के घेरे में घिरे रहते हैं उनके दुःख का कोई अंत नही होता

Pavitra
05-01-2015, 02:52 PM
[QUOTE=Pavitra;542468][size="3"]भगवन से पूछने के लिए एक सवाल उभरता है की आखिर क्यों किसी एक को ही आप इतने दुःख एक साथ दे देते हो ? क्यों आखिर क्यूँ

मैं समझ सकती हूँ उनका दुःख , शुरू से लेकर अंत तक किसी को सिर्फ दुःख ही दुःख मिलें तो अक्सर हम सोचने लगते हैं कि क्यों हमारे ही साथ ऐसा होता है ? क्यों हमें ही हमेशा परेशानी सहनी पड़ती है ? पर भगवान दुःख भी शायद उन्ही को देते हैं जो इतने साहसी हों कि उस दुःख को सह सकें।
और बाकि सोनी पुष्पा जी आप भी जानती हैं कि कुछ पूर्व जन्म के कर्म होते हैं जो हमारा भाग्य बन कर इस जन्म में हमारे सामने आते हैं।
मैं ये नहीं कहती कि भाग्य को दोष देकर चुप चाप सब सहो , बस ये कहती हूँ कि जो बदलना हमारे हाथ में नहीं है उसके लिए शिकायत करते रहना सही नहीं है। हम सभी को एक खास उद्देश्य से मानव जीवन मिला है , हर पल हमारे सामने जो चुनौतियाँ आती हैं उनका सामना करते हुए कुछ नया सीख कर इस जीवन को सार्थक बनाते हुए हमें जीना चाहिए।

हम सभी के जीवन में समस्याएं आती हैं। ऐसा नहीं होता कि कोई एक व्यक्ति दुःख ही दुःख सहे और दूसरा सुख ही सुख। हमारे जीवन को सुख और दुःख दोनों का सामना करना पड़ता है।

मेरी ज़िन्दगी में मैंने भी बहुत सी परेशानियां देखी हैं , पर बहुत सी खुशियां भी पायी हैं। और मैं ही क्यों आपके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। हर किसी को अच्छा और बुरा दोनों समय देखना होता है। जो बात ध्यान में रखनी है वो ये कि सुख में घमंड नहीं करना और दुःख में हताश नहीं होना।

So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।

soni pushpa
06-01-2015, 11:04 AM
मेरी ज़िन्दगी में मैंने भी बहुत सी परेशानियां देखी हैं , पर बहुत सी खुशियां भी पायी हैं। और मैं ही क्यों आपके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। हर किसी को अच्छा और बुरा दोनों समय देखना होता है। जो बात ध्यान में रखनी है वो ये कि सुख में घमंड नहीं करना और दुःख में हताश नहीं होना।

So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।[/SIZE][/QUOTE]

dhanywad pvitraa ji ,.. आपने अपने विचार प्रकट किये . सबसे पहले तो मै आपकी गलत फहमी दूर करना चाहूंगी की ये जो कहानी है वो मेरी नही बल्कि किसी और महिला की है और उन्हें मै keise जानती हु वो भी आपको ईमेल द्वारा बताना चाहूंगी . और बात रही( आप अकेले नही इस दुनिया में जिसपर दुःख पड़ा है ) अकेले दुःख न सहने की तो सहने और कहने में बड़ा फर्क होता है . इस सत्य घटना के लिए इतना कहना यहाँ जरुरी समझती हूँ की उस महिला ने जो जो बताया वोऔर एइसे दुःख सहना न मेरे बस की बात है न आपके बस की बात है की हम इतना कुछ सह सकेंगे . जेइसा कीमैंने कहा की उस महिला की दर्दभरी कहानी का सारांश ही रखा है शायद इस बात पर आपने ध्यान नही दिया

और मेरा मानना है हर इनसान ख़ुशी चाहता है अ पने जीवन में और सुख चाहता है . और शायद जीवन पर्यंत वो सुख और खुशियों के लिए ही कमाता है मेहनत करता है रिश्ते बनाता है और खुशियाँ चाहता है पर जब जब उस महिला ने सोचा अब चलो सब ठीक है मिला एक गम तो क्या एइसा सोच सोचकर उसने खुद को संभाला किन्तु उसने कभी खुशियों का मुह नही देखा .

पवित्रा जी , जी हाँ आपके और .मेरे जीवन में भी दुःख परेशानिया आइन है, पर अपनों के साथ सहकार की वजह से हम सभलते गए हमे सुख मिले खुशियाँ मिली किन्तु उसे हताशा और दुःख मिले वो भी तब जब उसने खुद को संभालकर आगे बढ़ना चाहा उसने आपनी लाइफ से इतनी FIGHT की. कि अब वो थक के टूट गई है .

Pavitra
06-01-2015, 12:57 PM
मैं समझती हूँ कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हों तो वो निराश होगा ही , टूटेगा ही , भगवान से शिकायत करने का हक़ है उसका कि क्यों उसके जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हैं। पर मैंने पहले भी कहा है कि जो चीज़ हमारे हाथ में ही नहीं है उसके लिए शोक करना कोई फायदा नहीं देता। आप खुद सोचिये जिन हालत में वो महिला हैं , वो असहाय हैं , वो चाह कर भी हालात नहीं बदल सकती हैं। पर ये जीवन सिर्फ उम्मीद के सहारे ही तो जिया जाता है न , एक उम्मीद के शायद हमारा आने वाला कल हमारे आज से बेहतर होगा , शायद मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा हो जायेगा। बाकि भाग्य और भगवान पर किसी का ज़ोर नहीं है। हम सिर्फ शिकायत कर सकते हैं भगवान से , सांत्वना दे सकते हैं , हौसला दे सकते हैं , सहारा दे सकते हैं , पर हम सभी जानते हैं कि कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।

बाकि अगर आपको मेरी किसी भी बात से ज़रा भी ठेस पहुंची हो तो मैं माफ़ी चाहती हूँ .

kuki
06-01-2015, 02:17 PM
मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती। हर इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते ही हैं। लेकिन जैसे यहां बात चल रही है कि किसी इंसान के जीवन में सिर्फ दुःख और कठिनाइयां ही हों तो वो क्या करे ?अगर हम भगवान से शिकायत करने लगें तो इस दुनिया में हर रोज़ लाखों लोग होंगे जो किसी न किसी तकलीफ में होंगे भगवन किस -किस की शिकायत सुनेंगे ?भगवान ने हमारे लिए सबसे बड़ा काम पहले ही कर रखा है कि हमें ज़िंदगी दे रक्खी है ,अब उसे जीना हमें है और हमें ये आना चाहिए। मैं मानती हूँ की हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है ,अगर हमारे जीवन में दुःख हैं तो हम उन्हें दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और किस स्तर पर कर रहे हैं ,ये महत्वपूर्ण है। महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी और जब अर्जुन भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो रहे थे तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दे कर उन्हें उनका कर्म याद दिलाया था और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे ?मुझे लगता है हमारी ज़िंदगी में सुख या दुःख जो भी है वो बहुत कुछ हमारे कर्मों पर भी निर्भर करता है ,लेकिन अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा ,क्योंकि जो इंसान अपनी मदद खुद करता है तभी कोई इंसान उसकी मदद के लिए आगे आता है।

DevRaj80
06-01-2015, 03:23 PM
मेरी ज़िन्दगी में मैंने भी बहुत सी परेशानियां देखी हैं , पर बहुत सी खुशियां भी पायी हैं। और मैं ही क्यों आपके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। हर किसी को अच्छा और बुरा दोनों समय देखना होता है। जो बात ध्यान में रखनी है वो ये कि सुख में घमंड नहीं करना और दुःख में हताश नहीं होना।

So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।[/SIZE]

dhanywad pvitraa ji ,.. आपने अपने विचार प्रकट किये . सबसे पहले तो मै आपकी गलत फहमी दूर करना चाहूंगी की ये जो कहानी है वो मेरी नही बल्कि किसी और महिला की है और उन्हें मै keise जानती हु वो भी आपको ईमेल द्वारा बताना चाहूंगी . और बात रही( आप अकेले नही इस दुनिया में जिसपर दुःख पड़ा है ) अकेले दुःख न सहने की तो सहने और कहने में बड़ा फर्क होता है . इस सत्य घटना के लिए इतना कहना यहाँ जरुरी समझती हूँ की उस महिला ने जो जो बताया वोऔर एइसे दुःख सहना न मेरे बस की बात है न आपके बस की बात है की हम इतना कुछ सह सकेंगे . जेइसा कीमैंने कहा की उस महिला की दर्दभरी कहानी का सारांश ही रखा है शायद इस बात पर आपने ध्यान नही दिया

और मेरा मानना है हर इनसान ख़ुशी चाहता है अ पने जीवन में और सुख चाहता है . और शायद जीवन पर्यंत वो सुख और खुशियों के लिए ही कमाता है मेहनत करता है रिश्ते बनाता है और खुशियाँ चाहता है पर जब जब उस महिला ने सोचा अब चलो सब ठीक है मिला एक गम तो क्या एइसा सोच सोचकर उसने खुद को संभाला किन्तु उसने कभी खुशियों का मुह नही देखा .

पवित्रा जी , जी हाँ आपके और .मेरे जीवन में भी दुःख परेशानिया आइन है, पर अपनों के साथ सहकार की वजह से हम सभलते गए हमे सुख मिले खुशियाँ मिली किन्तु उसे हताशा और दुःख मिले वो भी तब जब उसने खुद को संभालकर आगे बढ़ना चाहा उसने आपनी लाइफ से इतनी FIGHT की. कि अब वो थक के टूट गई है .[/QUOTE]

मैं समझती हूँ कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हों तो वो निराश होगा ही , टूटेगा ही , भगवान से शिकायत करने का हक़ है उसका कि क्यों उसके जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हैं। पर मैंने पहले भी कहा है कि जो चीज़ हमारे हाथ में ही नहीं है उसके लिए शोक करना कोई फायदा नहीं देता। आप खुद सोचिये जिन हालत में वो महिला हैं , वो असहाय हैं , वो चाह कर भी हालात नहीं बदल सकती हैं। पर ये जीवन सिर्फ उम्मीद के सहारे ही तो जिया जाता है न , एक उम्मीद के शायद हमारा आने वाला कल हमारे आज से बेहतर होगा , शायद मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा हो जायेगा। बाकि भाग्य और भगवान पर किसी का ज़ोर नहीं है। हम सिर्फ शिकायत कर सकते हैं भगवान से , सांत्वना दे सकते हैं , हौसला दे सकते हैं , सहारा दे सकते हैं , पर हम सभी जानते हैं कि कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।

बाकि अगर आपको मेरी किसी भी बात से ज़रा भी ठेस पहुंची हो तो मैं माफ़ी चाहती हूँ .

मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती। हर इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों आते ही हैं। लेकिन जैसे यहां बात चल रही है कि किसी इंसान के जीवन में सिर्फ दुःख और कठिनाइयां ही हों तो वो क्या करे ?अगर हम भगवान से शिकायत करने लगें तो इस दुनिया में हर रोज़ लाखों लोग होंगे जो किसी न किसी तकलीफ में होंगे भगवन किस -किस की शिकायत सुनेंगे ?भगवान ने हमारे लिए सबसे बड़ा काम पहले ही कर रखा है कि हमें ज़िंदगी दे रक्खी है ,अब उसे जीना हमें है और हमें ये आना चाहिए। मैं मानती हूँ की हर इंसान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है ,अगर हमारे जीवन में दुःख हैं तो हम उन्हें दूर करने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं और किस स्तर पर कर रहे हैं ,ये महत्वपूर्ण है। महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी और जब अर्जुन भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो रहे थे तो श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दे कर उन्हें उनका कर्म याद दिलाया था और उन्हें लड़ने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे ?मुझे लगता है हमारी ज़िंदगी में सुख या दुःख जो भी है वो बहुत कुछ हमारे कर्मों पर भी निर्भर करता है ,लेकिन अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास हमें खुद ही करना पड़ेगा ,क्योंकि जो इंसान अपनी मदद खुद करता है तभी कोई इंसान उसकी मदद के लिए आगे आता है।


बहुत अच्छा ..... सोच को प्रभावित करती हुई बाते ...धन्यवाद

soni pushpa
06-01-2015, 09:45 PM
पवित्रा ji , आपको माफ़ी पहले तो मंगनी ही नही चहिये क्यूंकि माफ़ी गलती की होती है और आपने कोई गलती की ही नही फिर माफ़ी keisi ? आप सब मेरा एक प्यारा सा छोटा सा परिवार हो एक लगाव सा है सबस, अब, अब दोस्त हैं हम सब और दोस्ती में बातें हक़ से की जाती हैं न की माफ़ी मांग के . पवित्रा जी मै आपका आभार मानती हूँ क्यूंकि उस कहानी की वजह से और कई लोगो को गलत फहमी हो सकती थी जिससे आपने मुझे बचाया .मै जानती हु आपकेअच्छे पक्ष को आपने अपना पॉइंट ऑफ़ व्यु रखा है.
kuki जी ,... बहुत बहुत धन्यवाद आपने गीता के मर्मको यहाँ रखा और जीवन के दुखो से निजात पाने और सहने के तरीके बताये .. ये मंच ही हम सब दोस्तों को इस तरह अपनत्व से बातें करके खुले मन से अपने अपने भाव लिखने से एक करेगा और हम अपने इस हिंदी फोरम को और ज्यदा मानव जीवन के लिए उपयोगी बनायेंगे. आप सबका साथ आप सबके कमेंट्स ही हमे आगे बढ़ाएंगे .पवित्रा जीkuki जी ने भी बहुत अच्छे मंतव्य दिए . देवराज जी ने दीप जी ने अरविन्द जी ने आदरणीय रजनीश जी ने अपने विचारों को यहाँ रखा मैआप सबकी बहुत आभारी हूँ

Deep_
06-01-2015, 10:09 PM
सुख-दुख का आनाजाना तो पुरुषार्थ और भाग्य के उपर निर्भर होता है। कुछ विपदा कुदरती होती है। कुछ तकलीफ असहनीय होती है। लेकिन ...दुख का भी जीवन में एक योगदान होता है। ये दुख ही वह ताकत है जो मनुष्य को अंदर से ईतना मजबुत करता है की वह आनेवाले कल के बारे में आशांवित हो सके।

soni pushpa
07-01-2015, 12:12 PM
[QUOTE=Deep_;545631]सुख-दुख का आनाजाना तो पुरुषार्थ और भाग्य के उपर निर्भर होता है। कुछ विपदा कुदरती होती है। कुछ तकलीफ असहनीय होती है। लेकिन ...दुख का भी जीवन में एक योगदान होता है। ये दुख ही वह ताकत है जो मनुष्य को अंदर से ईतना मजबुत करता है की वह आनेवाले कल के बारे में आशांवित हो सके।[/QU

Thanks deep ji ,apke vichaar aapne is sutra par rakhe mai aapki abhari hun .

Arvind Shah
07-01-2015, 12:29 PM
[QUOTE=soni pushpa;545219]

मैं समझ सकती हूँ उनका दुःख , शुरू से लेकर अंत तक किसी को सिर्फ दुःख ही दुःख मिलें तो अक्सर हम सोचने लगते हैं कि क्यों हमारे ही साथ ऐसा होता है ? क्यों हमें ही हमेशा परेशानी सहनी पड़ती है ? पर भगवान दुःख भी शायद उन्ही को देते हैं जो इतने साहसी हों कि उस दुःख को सह सकें।
और बाकि सोनी पुष्पा जी आप भी जानती हैं कि कुछ पूर्व जन्म के कर्म होते हैं जो हमारा भाग्य बन कर इस जन्म में हमारे सामने आते हैं।
मैं ये नहीं कहती कि भाग्य को दोष देकर चुप चाप सब सहो , बस ये कहती हूँ कि जो बदलना हमारे हाथ में नहीं है उसके लिए शिकायत करते रहना सही नहीं है। हम सभी को एक खास उद्देश्य से मानव जीवन मिला है , हर पल हमारे सामने जो चुनौतियाँ आती हैं उनका सामना करते हुए कुछ नया सीख कर इस जीवन को सार्थक बनाते हुए हमें जीना चाहिए।

हम सभी के जीवन में समस्याएं आती हैं। ऐसा नहीं होता कि कोई एक व्यक्ति दुःख ही दुःख सहे और दूसरा सुख ही सुख। हमारे जीवन को सुख और दुःख दोनों का सामना करना पड़ता है।

मेरी ज़िन्दगी में मैंने भी बहुत सी परेशानियां देखी हैं , पर बहुत सी खुशियां भी पायी हैं। और मैं ही क्यों आपके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा। हर किसी को अच्छा और बुरा दोनों समय देखना होता है। जो बात ध्यान में रखनी है वो ये कि सुख में घमंड नहीं करना और दुःख में हताश नहीं होना।

So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।

एकदम सुलझे हुए विचार !!

rajnish manga
07-01-2015, 02:21 PM
So I believe that - Life is like a Roller Coaster ride अगर अभी आप नीचे हैं तो जल्दी ही ऊपर भी आएंगे। और अगर ऊपर हैं तो नीचे भी जाना ही पड़ेगा। So just enjoy this Ride , Don't complain .....आप अकेले नहीं हैं जो दुःख सह रहे हैं , यहाँ हर किसी को ही दुःख का सामना करना पड़ता है।

[/QUOTE]

मैं समझती हूँ कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सिर्फ दुःख ही दुःख हों तो वो निराश होगा ही , टूटेगा ही .... पर मैंने पहले भी कहा है कि जो चीज़ हमारे हाथ में ही नहीं है उसके लिए शोक करना कोई फायदा नहीं देता ..... पर हम सभी जानते हैं कि कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।

.

मेरा मानना है की किसी भी इंसान की ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती.....महाभारत के युद्ध में अगर भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो पूरा युद्ध एक दिन में खुद लड़ कर ख़त्म कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि ये लड़ाई पांडवों की थी .... पांडवों ने युद्ध लड़ा और जीता भी। अगर हम अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे तो जीतेंगे कैसे?

चर्चा का विषय ऐसा था कि जो हम सबके जीवन से सम्बन्ध रखता है. सभी लोगों ने यहाँ अपने जीवन के निचोड़ स्वरुप बहुत सारगर्भित विचार रखे. अरविंद जी और देवराज जी के सुन्दर विचारों के साथ साथ पुष्पा सोनी जी, पवित्रा जी तथा कुकी जी ने चर्चा को जीवंत बनाये रखा. इनके बीज विचारों को मैंने ऊपर quote किया है. यह खुशी की बात है कि हम अपने अनुभव संसार से ऐसे ऐसे विचार ला कर आपस में बांटते है जिससे सभी लोग लाभान्वित हों.

saru4d
08-01-2015, 06:17 AM
Bahut gahan baate hain soni ji

Arvind Shah
08-01-2015, 12:16 PM
चर्चा का विषय ऐसा था कि जो हम सबके जीवन से सम्बन्ध रखता है. सभी लोगों ने यहाँ अपने जीवन के निचोड़ स्वरुप बहुत सारगर्भित विचार रखे. अरविंद जी और देवराज जी के सुन्दर विचारों के साथ साथ पुष्पा सोनी जी, पवित्रा जी तथा कुकी जी ने चर्चा को जीवंत बनाये रखा. इनके बीज विचारों को मैंने ऊपर quote किया है. यह खुशी की बात है कि हम अपने अनुभव संसार से ऐसे ऐसे विचार ला कर आपस में बांटते है जिससे सभी लोग लाभान्वित हों. [/QUOTE]


बिल्कुल सही फरमाया !

असल में जिस कहानी के सनदर्भ में सूत्र रचना हुई उसके बाबत यहां ज्यादा खुलासा नहीं हुआ है कि किस तरह की परिसिथतिया रही है ?

हर एक को अपना दुख बड़ा ही लगता है ! मुद्दा छोटे या बडे दुख का नहीं है वरन उससे हम किस तरह निजात पाते है ! किन उम्मीदो का सहारा लेते है ! ... और सामान्यत: हर एक के लिए ये बात लागु होती है कि .. जिसकी फटी ना बिवाई वो क्यां जाने पीर पराई !! इसलिए मैं मानता हूं कि कहानी के पात्र को जरूर गंभीर दुखों से गुजरना पड़ा होगा !

....समस्या है तो समाधान भी अवश्य होगा !!

Arvind Shah
13-01-2015, 11:49 PM
मित्रों इस सुत्र में आए तमाम उत्तरों—प्रतिउत्तरो के बाद एक बात मैं दावे के साथ कहना चाहता हूं कि धैर्य से बड़ा कोई पावर नहीं है !!

....और दूजा सभी के जीवन के लिए समझनें के लिए एक अनमोल सूत्र दे रहा हू वो है — ये भी बित जायेगा !!!!

ये सुत्र कहानी के नायीका के सन्दर्भ में भी लागु होता है और आप सभी के जीवन में भी लागु​ होता है !! चाहे जीवन के किसी भी मोड पर ये समझ आए पर आयेगा जरूर !!

परिवर्तन संसार का नियम है ! ...और ये परिवर्तन हर पल होते रहते है !
चाहे लगातार सुखदायी स्थितियां बने, चाहे लगातार दुखदायी स्थितियां बने, चाहे लगातार दुखदायी — सुखदायी स्थितियां बने !! धैर्य का दामन थामना ही पडेगा !! ये तमाम स्थितियां अपने पूर्वापार्जीत कर्मो के अनुरूप ही प्राप्त होती है इस बात पर विश्वास करना होगा तभी विचलित मन को संबल मिलेगा !!!

saru4d
14-01-2015, 11:53 AM
मित्रों इस सुत्र में आए तमाम उत्तरों—प्रतिउत्तरो के बाद एक बात मैं दावे के साथ कहना चाहता हूं कि धैर्य से बड़ा कोई पावर नहीं है !!

....और दूजा सभी के जीवन के लिए समझनें के लिए एक अनमोल सूत्र दे रहा हू वो है — ये भी बित जायेगा !!!!

ये सुत्र कहानी के नायीका के सन्दर्भ में भी लागु होता है और आप सभी के जीवन में भी लागु​ होता है !! चाहे जीवन के किसी भी मोड पर ये समझ आए पर आयेगा जरूर !!

परिवर्तन संसार का नियम है ! ...और ये परिवर्तन हर पल होते रहते है !
चाहे लगातार सुखदायी स्थितियां बने, चाहे लगातार दुखदायी स्थितियां बने, चाहे लगातार दुखदायी — सुखदायी स्थितियां बने !! धैर्य का दामन थामना ही पडेगा !! ये तमाम स्थितियां अपने पूर्वापार्जीत कर्मो के अनुरूप ही प्राप्त होती है इस बात पर विश्वास करना होगा तभी विचलित मन को संबल मिलेगा !!!

thats true

soni pushpa
14-01-2015, 12:03 PM
बहुत अभारी हूँ बहुतअच्छे मंतव्य रखे आपने ... धन्यवाद..

Mohansingh
23-01-2015, 10:54 PM
Thanks for info gvn....


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soni pushpa
24-01-2015, 11:43 PM
मै समझी नही इस बहस में आपको इन्फो कहा नजर आइ मोहन सिंह जी ... आ पने अपनी enfo दी है यहाँ शायद , पर ये गलत जगह है आपकी enfo देने के लिए .. माफ़ कीजियेगा यदि मैंने कुछ गलत कहा हो

soni pushpa
24-01-2015, 11:47 PM
Bahut gahan baate hain soni ji

आपको अच्छी और गहन लगी इस सूत्र की बातें आपके अभारी हैं हम saru4 d जी .. बहुत बहुत धन्यवाद