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View Full Version : ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने 


Teach Guru
21-12-2014, 09:13 AM
ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने में बाधक तो नहीं?

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की बात क्या कही राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बात पर एतराज उठाते हुए कहा था कि 'गीता को अगर राष्ट्रीय ग्रंथ बनाया जाता है तो संविधान में लिखे धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाना पड़ेगा'।

Teach Guru
21-12-2014, 09:13 AM
लेकिन सिर्फ इसलिए नहीं कि संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाना पड़ेगा बल्कि, इसलिए भी गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाना कठिन है क्योंकि गीता किसे पढ़ना चाहिए और किसे सुनना चाहिए इस विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में उल्लेख किया है।

Teach Guru
21-12-2014, 09:14 AM
गीता के अठारहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण ने गीता पढ़ने और सुनने के सात नियम बताए हैं। यह सात नियम जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है उन्हें जान लीजिए।

Teach Guru
21-12-2014, 09:14 AM
ये हैं सात नियम

Teach Guru
21-12-2014, 09:14 AM
1.गीता रुपी यह रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए

Teach Guru
21-12-2014, 09:15 AM
2. भक्ति भाव से रहित व्यक्ति को न तो गीता पढ़ना चाहिए और न गीता का उपदेश सुनाना चाहिए।

Teach Guru
21-12-2014, 09:15 AM
3. वेद, शास्त्र और परमेश्वर में जिसकी आस्थान नहीं है उसके लिए गीता का उपदेश नहीं करना चाहिए।

Teach Guru
21-12-2014, 09:15 AM
4.महात्मा एवं गुरुजनों में जिनकी आस्था नहीं है उनके लिए गीता का पाठ और श्रवण करना उचित नहीं है।

Teach Guru
21-12-2014, 09:15 AM
5.जो मुझमें यानी श्रीकृष्ण में दोषदृष्टि रखता हो उसे गीता का श्रवण नहीं करना चाहिए। गीता का पाठ उसके लिए है जो मुझमें प्रेम भाव रखता है।

Teach Guru
21-12-2014, 09:16 AM
6.जो व्यक्ति गीता का उपदेश सुनने की इच्छा रखता हो उसे ही गीता का पाठ सुनाना चाहिए। जिनकी गीता रुपी ज्ञान सुनने की इच्छा नहीं हो उसे तो गीता का उपदेश कभी नहीं देना चाहिए।

Teach Guru
21-12-2014, 09:16 AM
7. जो तप और साधना से रहित हैं उनके लिए भी गीता का पाठ और श्रवण उचित नहीं है।

Teach Guru
21-12-2014, 09:17 AM
गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने से भगवान श्री कृष्ण के इन कथन का क्या होगा जो उन्होंने गीता में बताया है। क्योंकि राष्ट्रीय ग्रंथ बनने के उन लोगों को भी गीता पढ़ना और सुनना पड़ सकता है जो इसमें श्रद्घा और आस्था नहीं रखते हों। वह भी कृष्ण के उन वचनों को सुनने और पढ़ने के लिए बाध्य हो सकते हैं जो कृष्ण को नहीं मानते।

तो क्या कृष्ण के वचनों को नजर अंदाज करके गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाया जाना उचित होगा?

rajnish manga
21-12-2014, 01:40 PM
बहुत सुन्दर विषय यहाँ पर उठाया गया है. रोज नए शगूफे छोड़े जाते हैं. एक ग्रंथ जो सदियों से हमारे बीच है, जिसे भारत ही नहीं विदेशों में भी जाना जाता है, के राष्ट्रीयकरण की घोषणा करना सस्ती लोकप्रियता हासिल करने तथा वोट हासिल करने के टूल से अधिक कुछ नहीं है. गीता किन लोगों को पढनी चाहिए, यदि इस वार्ता को छोड़ भी दिया जाये, तो भी गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने का कोई औचित्य नहीं है? इस मूद्दे से सरकार का कोई सरोकार नहीं होना चाहिए.

अन्य घरों की तरह मेरे यहाँ भी श्रीमदभगवद्गीता की प्रति (बल्कि तीन सटीक प्रतियां) रखी है. साथ ही महात्मा गाँधी द्वारा रचित 'अनासक्तियोग' पुस्तक भी रखी है. अभी हाल ही में जनाब अनवर जलालपुरी साहब ने गीता का उर्दू काव्यानुवाद प्रस्तुत किया है. अतः हम कह सकते हैं कि बगैर सरकारी संरक्षण के भी गीता अपना महत्व बनाये रखने व बचाव करने में समर्थ है. सरकार उन चीजों के संरक्षण की ओर ध्यान दे जिन्हें पहले से 'राष्ट्रीय' घोषित किया हुआ है. उदाहरण के लिए 'बाघ' हमारा राष्ट्रीय पशु है, लेकिन क्या हो रहा है? हर वर्ष उसकी संख्या कम होती जा रही है. उसे चोरी छुपे मारा जा रहा है. सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती?

soni pushpa
21-12-2014, 06:27 PM
[QUOTE=Teach Guru;543457]ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने में बाधक तो नहीं?




अगर गीता को राष्ट्रिय ग्रन्थ बनाया जाता है तो संविधान में लिखे धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाया जाना पड़ेगा एइसा अगर वो कहते हैं तो वें ये बात भूल रहे हैं की गीता में जितने उपदेश भगवन कृष्ण के द्वारा दिए गए हैं उसमे कहीं भी किसी व्यक्तिविशेष के लिए नही कहा है न ही किसी अलग धर्म का नाम लिया गया है गीता तो आपने आप में धर्मनिरपेक्ष एक बेहद विस्तृत ग्रन्थ है जो हरेक मानव के लिए है न की किसी समुदाय के लिए है न किसी एक जाती के लिए है न ही किसी एक विशेष देश के लिए या सिरफ़ भारत के लिए लिखी गई है ये मानव कल्याण के लिए भगवन के द्वारा कहे गए शब्द हैं जो हरेक इन्सi के जीवन से जुड़े हैं क्यूंकि हरेक इन्सान के जीवन में समस्याएं आती ही आती हैं और उनका समाधान भगवद गीता में कर्म और भक्ति के माध्यम से बताया गया है
... और रजनीश जी अपने सही कहा इसका राष्ट्रीयकरण करे या न करे ये अपने आप में एक महँ ग्रन्थ है और सिरफ़ भारत में ही नही विदेशो में भी लोग गीता को बहुतश्रध्धा पूर्वक पढ़ते हैं .

और एक बात कहना चाहूंगी की , स्वामी विवेकानंद जी ने ही सबसे पहली बार विदेश में जाकर गीता के बारे लोगो को बताया था और प्रवचन दिए थे गीता के श्लोक के बारे में जिसे विदेश में बेहद सम्मान मिला और दुनिया ने जाना गीता के बारे में ...