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View Full Version : कुछ पल जगजीत सिंह के नाम


DevRaj80
22-12-2014, 05:58 PM
कुछ पल जगजीत सिंह के नाम


मेरे सर्वप्रिय



गझल गायकों



में से एक



जगजीत सिंह

DevRaj80
22-12-2014, 06:01 PM
जगजीत सिंह


जगजीत सिंह (८ फ़रवरी १९४१ - १० अक्टूबर २०११) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है और उनकी आवाज़ संगीत के साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाती है। खालिस उर्दू जानने वालों की मिल्कियत समझी जाने वाली, नवाबों-रक्कासाओं की दुनिया में झनकती और शायरों की महफ़िलों में वाह-वाह की दाद पर इतराती ग़ज़लों को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय अगर किसी को पहले पहल दिया जाना हो तो जगजीत सिंह का ही नाम ज़ुबां पर आता है। उनकी ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को सन २००३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फरवरी २०१४ में आपके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए।


http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/9/90/Jagjit_Singh_%28Ghazal_Maestro%29.jpg/220px-Jagjit_Singh_%28Ghazal_Maestro%29.jpg

DevRaj80
22-12-2014, 06:04 PM
आरंभिक दिन

जगजीत जी का जन्म ८ फरवरी १९४१ म्रतु १०ओक्तुबर २०११ को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे। जगजीत जी का परिवार मूलतः पंजाब के रोपड़ ज़िले के दल्ला गांव का रहने वाला है। मां बच्चन कौर पंजाब के ही समरल्ला के उट्टालन गांव की रहने वाली थीं। जगजीत का बचपन का नाम जीत था। करोड़ों सुनने वालों के चलते सिंह साहब कुछ ही दशकों में जग को जीतने वाले जगजीत बन गए। शुरूआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और बाद पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया।

DevRaj80
22-12-2014, 06:04 PM
बहुतों की तरह जगजीत जी का पहला प्यार भी परवान नहीं चढ़ सका। अपने उन दिनों की याद करते हुए वे कहते हैं, ”एक लड़की को चाहा था। जालंधर में पढ़ाई के दौरान साइकिल पर ही आना-जाना होता था। लड़की के घर के सामने साइकिल की चैन टूटने या हवा निकालने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे। बाद मे यही सिलसिला बाइक के साथ जारी रहा। पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी। कुछ क्लास मे तो दो-दो साल गुज़ारे.” जालंधर में ही डीएवी कॉलेज के दिनों गर्ल्स कॉलेज के आसपास बहुत फटकते थे। एक बार अपनी चचेरी बहन की शादी में जमी महिला मंडली की बैठक मे जाकर गीत गाने लगे थे। पूछे जाने पर कहते हैं कि सिंगर नहीं होते तो धोबी होते। पिता के इजाज़त के बग़ैर फ़िल्में देखना और टाकीज में गेट कीपर को घूंस देकर हॉल में घुसना आदत थी।

DevRaj80
22-12-2014, 06:06 PM
संगीत का सफ़र






बचपन मे अपने पिता से संगीत विरासत में मिला। गंगानगर मे ही पंडित छगन लाल शर्मा के सानिध्य में दो साल तक शास्त्रीय संगीत सीखने की शुरूआत की। आगे जाकर सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखीं। पिता की ख़्वाहिश थी कि उनका बेटा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाए लेकिन जगजीत पर गायक बनने की धुन सवार थी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान संगीत मे उनकी दिलचस्पी देखकर कुलपति प्रोफ़ेसर सूरजभान ने जगजीत सिंह जी को काफ़ी उत्साहित किया। उनके ही कहने पर वे १९६५ में मुंबई आ गए। यहां से संघर्ष का दौर शुरू हुआ। वे पेइंग गेस्ट के तौर पर रहा करते थे और विज्ञापनों के लिए जिंगल्स गाकर या शादी-समारोह वगैरह में गाकर रोज़ी रोटी का जुगाड़ करते रहे। १९६७ में जगजीत जी की मुलाक़ात चित्रा जी से हुई। दो साल बाद दोनों १९६९ में परिणय सूत्र में बंध गए।

DevRaj80
22-12-2014, 06:07 PM
गुज़रा ज़माना

जगजीत सिंह फ़िल्मी दुनिया में पार्श्वगायन का सपना लेकर आए थे। तब पेट पालने के लिए कॉलेज और ऊंचे लोगों की पार्टियों में अपनी पेशकश दिया करते थे। उन दिनों तलत महमूद, मोहम्मद रफ़ी साहब जैसों के गीत लोगों की पसंद हुआ करते थे। रफ़ी-किशोर-मन्नाडे जैसे महारथियों के दौर में पार्श्व गायन का मौक़ा मिलना बहुत दूर था। जगजीत जी याद करते हैं, ”संघर्ष के दिनों में कॉलेज के लड़कों को ख़ुश करने के लिए मुझे तरह-तरह के गाने गाने पड़ते थे क्योंकि शास्त्रीय गानों पर लड़के हूट कर देते थे।” तब की मशहूर म्यूज़िक कंपनी एच एम वी (हिज़ मास्टर्स वॉयस) को लाइट क्लासिकल ट्रेंड पर टिके संगीत की दरकार थी। जगजीत जी ने वही किया और पहला एलबम ‘द अनफ़ॉरगेटेबल्स (१९७६)’ हिट रहा। जगजीत जी उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ”उन दिनों किसी सिंगर को एल पी (लॉग प्ले डिस्क) मिलना बहुत फ़ख्र की बात हुआ करती थी।” बहुत कम लोग जानते हैं कि सरदार जगजीत सिंह धीमान इसी एलबम के रिलीज़ के पहले जगजीत सिंह बन चुके थे। बाल कटाकर असरदार जगजीत सिंह बनने की राह पकड़ चुके थे। जगजीत ने इस एलबम की कामयाबी के बाद मुंबई में पहला फ़्लैट ख़रीदा था।

DevRaj80
22-12-2014, 06:08 PM
आम आदमी की ग़ज़ल

जगजीत सिंह ने ग़ज़लों को जब फ़िल्मी गानों की तरह गाना शुरू किया तो आम आदमी ने ग़ज़ल में दिलचस्पी दिखानी शुरू की लेकिन ग़ज़ल के जानकारों की भौहें टेढ़ी हो गई। ख़ासकर ग़ज़ल की दुनिया में जो मयार बेग़म अख़्तर, कुन्दनलाल सहगल, तलत महमूद, मेहदी हसन जैसों का था।। उससे हटकर जगजीत सिंह की शैली शुद्धतावादियों को रास नहीं आई। दरअसल यह वह दौर था जब आम आदमी ने जगजीत सिंह, पंकज उधास सरीखे गायकों को सुनकर ही ग़ज़ल में दिल लगाना शुरू किया था। दूसरी तरफ़ परंपरागत गायकी के शौकीनों को शास्त्रीयता से हटकर नए गायकों के ये प्रयोग चुभ रहे थे। आरोप लगाया गया कि जगजीत सिंह ने ग़ज़ल की प्योरटी और मूड के साथ छेड़खानी की। लेकिन जगजीत सिंह अपनी सफ़ाई में हमेशा कहते रहे हैं कि उन्होंने प्रस्तुति में थोड़े बदलाव ज़रूर किए हैं लेकिन लफ़्ज़ों से छेड़छाड़ बहुत कम किया है। बेशतर मौक़ों पर ग़ज़ल के कुछ भारी-भरकम शेरों को हटाकर इसे छह से सात मिनट तक समेट लिया और संगीत में डबल बास, गिटार, पिआनो का चलन शुरू किया।.यह भी ध्यान देना चाहिए कि आधुनिक और पाश्चात्य वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल में सारंगी, तबला जैसे परंपरागत साज पीछे नहीं छूटे।

DevRaj80
22-12-2014, 06:09 PM
प्रयोगों का सिलसिला यहीं नहीं रुका बल्कि तबले के साथ ऑक्टोपेड, सारंगी की जगह वायलिन और हारमोनियम की जगह कीबोर्ड ने भी ली। कहकशां और फ़ेस टू फ़ेस संग्रहों में जगजीत जी ने अनोखा प्रयोग किया। दोनों एलबम की कुछ ग़ज़लों में कोरस का इस्तेमाल हुआ। विनोद खन्ना, डिंपल कपाड़िया अभिनीत फिल्म 'लीला' के गीत 'जाग के काटी सारी रैना' में गिटार का अद्भुत प्रयोग किया। जलाल आग़ा निर्देशित टीवी सीरियल कहकशां के इस एलबम में मजाज़ लखनवी की ‘आवारा’ नज़्म ‘ऐ ग़मे दिल क्या करूं ऐ वहशते दिल क्या करूं’ और फ़ेस टू फ़ेस में ‘दैरो-हरम में रहने वालों मयख़ारों में फूट न डालो’ बेहतरीन प्रस्तुति थीं। जगजीत ही पहले ग़ज़ल गुलुकार थे जिन्होंने चित्रा जी के साथ लंदन में पहली बार डिजीटल रिकॉर्डिंग करते हुए ‘बियॉन्ड टाइम' अलबम जारी किया।

इतना ही नहीं, जगजीत जी ने क्लासिकी शायरी के अलावा साधारण शब्दों में ढली आम-आदमी की जिंदगी को भी सुर दिए। ‘अब मैं राशन की दुकानों पर नज़र आता हूं’, ‘मैं रोया परदेस में’, ‘मां सुनाओ मुझे वो कहानी’ जैसी रचनाओं ने ग़ज़ल न सुनने वालों को भी अपनी ओर खींचा।

DevRaj80
22-12-2014, 06:10 PM
शायर निदा फ़ाज़ली, बशीर बद्र, गुलज़ार, जावेद अख़्तर जगजीत सिंह जी के पसंदीदा शायरों में हैं। निदा फ़ाज़ली के दोहों का एलबम ‘इनसाइट’ कर चुके हैं। जावेद अख़्तर के साथ ‘सिलसिले’ ज़बर्दस्त कामयाब रहा। लता मंगेशकर जी के साथ ‘सजदा’, गुलज़ार के साथ ‘मरासिम’ और ‘कोई बात चले’, कहकशां, साउंड अफ़ेयर, डिफ़रेंट स्ट्रोक्स और मिर्ज़ा ग़ालिब अहम हैं। करोड़ों लोगों को दीवाना बनाने वाले जगजीत सिंह ने मीरो-ग़ालिब से लेकर फ़ैज-फ़िराक़ तक और गुलज़ार-निदा फ़ाजली से लेकर राजेश रेड्डी और आलोक श्रीवास्तव तक हर दौर के शायर की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी।

DevRaj80
22-12-2014, 06:11 PM
फ़िल्मी सफ़रनामा

१९८१ में रमन कुमार निर्देशित ‘प्रेमगीत’ और १९८२ में महेश भट्ट निर्देशित ‘अर्थ’ को भला कौन भूल सकता है। ‘अर्थ’ में जगजीत जी ने ही संगीत दिया था। फ़िल्म का हर गाना लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया था। इसके बाद फ़िल्मों में हिट संगीत देने के सारे प्रयास बुरी तरह नाकामयाब रहे। कुछ साल पहले डिंपल कापड़िया और विनोद खन्ना अभिनीत फ़िल्म लीला का संगीत औसत दर्ज़े का रहा। १९९४ में ख़ुदाई, १९८९ में बिल्लू बादशाह, १९८९ में क़ानून की आवाज़, १९८७ में राही, १९८६ में ज्वाला, १९८६ में लौंग दा लश्कारा, १९८४ में रावण और १९८२ में सितम के गीत चले और न ही फ़िल्में। ये सारी फ़िल्में उन दिनों औसत से कम दर्ज़े की फ़िल्में मानी गईं। ज़ाहिर है कि जगजीत सिंह ने बतौर कम्पोज़र बहुत पापड़ बेले लेकिन वे अच्छे फ़िल्मी गाने रचने में असफल ही रहे। इसके उलट पार्श्वगायक जगजीत जी सुनने वालों को सदा जमते रहे हैं। उनकी सहराना आवाज़ दिल की गहराइयों में ऐसे उतरती रही मानो गाने और सुनने वाले दोनों के दिल एक हो गए हों। कुछ हिट फ़िल्मी गीत ये रहे-

DevRaj80
22-12-2014, 06:12 PM
‘प्रेमगीत’ का ‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’ ‘खलनायक’ का ‘ओ मां तुझे सलाम’ ‘दुश्मन’ का ‘चिट्ठी ना कोई संदेश’ ‘जॉगर्स पार्क’ का ‘बड़ी नाज़ुक है ये मंज़िल’ ‘साथ-साथ’ का ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर’ और ‘प्यार मुझसे जो किया तुमने’ ‘सरफ़रोश’ का ‘होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है’ ‘ट्रैफ़िक सिगनल’ का ‘हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते’ (फ़िल्मी वर्ज़न) ‘तुम बिन’ का ‘कोई फ़रयाद तेरे दिल में दबी हो जैसे’ ‘वीर ज़ारा’ का ‘तुम पास आ रहे हो’ (लता जी के साथ) ‘तरक़ीब’ का ‘मेरी आंखों ने चुना है तुझको दुनिया देखकर’ (अलका याज्ञनिक के साथ)

DevRaj80
22-12-2014, 06:13 PM
विवादों में रहे जगजीत


बहुत कम लोगों को पता होगा कि अपने संघर्ष के दिनों में जगजीत सिंह इस कदर टूट चुके थे कि उन्होंने स्थापित प्लेबैक सिंगरों पर तीखी टिप्पणी तक कर दी थी। हालांकि आज वे इसे अपनी भूल स्वीकारते हैं। स्टेट्टमैन लिखता है कि, किशोर दा ने जगजीत सिंह के उस बयान पर कमेंट किया था – ”how dare these so-called ghazal singers criticize an icon that Manna Dey, Mukesh and I dare not criticize. Rafi was unique.” ज़ाहिर है जगजीत जी ने महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी साहब पर जो कहा वो उचित नहीं होगा। ये भी देखने वाली बात है कि जगजीत जी ने अपनी पसंद के जिन फ़िल्मी गानों का कवर वर्सन एलबम क्लोज़ टू माइ हार्ट में किया था।। उसमें रफ़ी साहब का कोई गाना नहीं था। ख़ैर, इसके बाद उनकी दिलचस्पी राजनीति में भी बढ़ी और भारत-पाक करगिल लड़ाई के दौरान उन्होंने पाकिस्तान से आ रही गायकों की भीड़ पर एतराज किया। तब जगजीत सिंह जी का कहना था कि उनके आने पर बैन लगा देना चाहिए। दरअसल, जगजीत जी को पाकिस्तान ने वीज़ा देने से इंकार कर दिया था।। लेकिन जब पाकिस्तान से बुलावा आया तब जगजीत सिंह जी की नाराज़गी दूर हो गई। ये इस शख़्स की भलमनसाहत थी कि जगजीत ने ग़ज़लों के शहंशाह मेहदी हसन के इलाज के लिए तीन लाख रुपए की मदद की.। उन दिनों मेहदी हसन साहब को पाकिस्तान की सरकार तक ने नज़रअंदाज़ कर रखा था।

DevRaj80
22-12-2014, 06:15 PM
घुड़दौड़ का शौक- ग़ज़ल गायकी जैसे सौम्य शिष्ट पेशे में मशहूर जगजीत जी का दूसरा शगल रेसकोर्स में घुड़दौड़ है। कन्सर्ट के बाद कहीं सुकून मिलता है तो वो है मुंबई महालक्ष्मी इलाक़े का रेसकोर्स। १९६५ में मुंबई मे जहां डेरा डाला था उस शेर ए पंजाब हॉटल में कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें घोड़ा दौड़ाने का शौक था। संगत ने असर दिखाया और इन्हें ऐसा चस्का लगा कि आज तक नहीं छूटा है। (स्रोत-आउटलुक) इसी तरह लॉस वेगास के केसिनो भी उन्हें ख़ूब भाते हैं।

DevRaj80
22-12-2014, 06:16 PM
निधन

गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह का १० अक्टूबर २०११ की सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया।[2] उन्हें ब्रेन हैमरेज होने के कारण 23 सितम्बर को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ब्रेन हैमरेज होने के बाद जगजीत सिंह की सर्जरी की गई, जिसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। वे तबसे आईसीयू वॉर्ड में ही भर्ती थे। जिस दिन उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ, उस दिन वे सुप्रसिद्ध गजल गायक गुलाम अली के साथ एक शो की तैयारी कर रहे थे।

DevRaj80
22-12-2014, 06:17 PM
सम्मान और पुरस्कार

जगजीत सिंह को सन २००३ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

DevRaj80
22-12-2014, 06:21 PM
ऍलबम

ग़ज़ल ऍलबम

इन्तेहा (2009)
कोई बात चले (2006)

तुम तो नहीं हो (2003)

शहर (2000)

मरासिम (1999)

टूगेदर (Together) (1999)

सिलसिले (1998)

द प्लेबैक इअर्स (Playback Years, The) (1998)

लव इस ब्लाइड (Love is Blind) (1997)

एटर्निटी (Eternity) (1997)

उनीक (Unique) (1996)

जाम उठा (1996)

इन हारमोनी (In Harmony)

क्राई फॉर क्राई (Cry for Cry) (1995)

मिराज (Mirage)(1995)

इनसाइट (Insight) (1994)

डिसाइर्स (Desires) (1994)

एक्स्टसीज (Ecstasies) (1994)

अदा (1993)

एन्कॉर (Encore) (1993)

जगजीत सिंह के साथ लाइव (Live with Jagjit Singh) (1993)

फ़ेस टू फ़ेस (Face to Face) (1993)

इन सर्च (In Search) (1992)

विज़न्स (Visions) (1992)

रेयर जेम्स (Rare Gems) (1992)

सज्दा (1991)

होप (Hope) (1991)

कहकशां (1991)

समवन समवेहर (Someone Somewhere) (1990)

योर च्होस (Your Choice)

मिर्जा गालिब (1988)

बिआंड टाइम (Beyond Time) (1987)

पैशन - "ब्लैक मैजिक" के रूप में भी जाना जाता है (1987)

लाइव इन कॉन्सर्ट (1987)

द अनफोरगेटबलस (The Unforgettable) (1987)

ए सांउड अफेअर (Sound Affair, A) (1985)

इकॉस (Echoes) (1985)

लाइव एट रॉयल अल्बर्ट हॉल लाइव (Live at Royal Albert Hall) (1983)

द लेटेस्ट (The Latest) (1982)

लाइव इन कॉन्सर्ट एट वेम्बली (Live in Concert at Wembley) (1981)

मैं और मेरी तंहाई (1981)

अ माइलस्टोन (Milestone, A) (1980)

अनफोरगेटबलस (Unforgettables) (1976)


पंजाबी ऍलबम

बिरहा दा सुलतान - शिव कुमार बटालवीकी गज़लें ((1995)

Ichhabal (Modern Punjabi Poetry)

इश्क दी माला (आशा भोसले के साथ)

जगजीत सिंह - पंजाबी हिट्स (1991)

मन जीते जग जीत (गुरबाणी)

सतनाम वाहेगुरु एही नाम है अधारा

द ग्रेटेस्ट पंजाबी हिट्स ऑफ जगजीत एंड चित्रा सिंह

भक्ति ऍलबम

हरे कृष्ण

हे गोविंद हे गोपाल

हे राम... हे राम .. राम धुन

कृष्ण भजन

सांवरा

DevRaj80
22-12-2014, 06:23 PM
सन्दर्भ

"प्रधानमंत्री ने ग़ज़ल गायक और संगीतकार श्री जगजीत सिंह के सम्मान में डाक टिकटें जारी कीं". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 9 फ़रवरी 2014. अभिगमन तिथि: 12 फ़रवरी 2014.

DevRaj80
22-12-2014, 06:31 PM
http://2.bp.blogspot.com/_jVgHE75aHrs/TEXuEE6a--I/AAAAAAAADFI/-iZ73E-NbvM/s1600/jagjit4.jpg

DevRaj80
22-12-2014, 06:45 PM
http://1.bp.blogspot.com/_jVgHE75aHrs/TJX8xxxSajI/AAAAAAAADQs/9CE79d8C3d8/s400/DSCF0529+.jpg

DevRaj80
22-12-2014, 06:53 PM
चाँद से फूल से या मेरी जुबां से सुनिए,
हर तरफ आप का किसा जहां से सुनिए,

सब को आता है दुनिया को सता कर जीना,
ज़िंदगी क्या मुहब्बत की दुआ से सुनिए,

मेरी आवाज़ पर्दा मेरे चहरे का,
मैं हूँ खामोश जहां मुझको वहां से सुनिए,

क्या ज़रूरी है की हर पर्दा उठाया जाए,
मेरे हालात अपने अपने मकान से सुनिए..

DevRaj80
22-12-2014, 06:54 PM
तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल-महफ़िल गायेंगे,
जब तक आंसू साथ रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे,

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं,
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे,

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारें छूने दो,
चार किताबे पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे,

किन राहों से दूर है मंजिल कौन सा रास्ता आसान है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे, औरों को समझायेंगे,

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों मुमकिन है,
हम तो उस दिन रायें देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे..

DevRaj80
22-12-2014, 06:54 PM
न शिवाले न कालिस न हरम झूठे हैं,
बस यही सच है के तुम झूठे हो हम झूठे हैं,

हमने देखा ही नहीं बोलते उनको अब तक,
कौन कहता है के पत्थर के सनम झूठे हैं,

उनसे मिलिए तो ख़ुशी होती है उनसे मिलकर,
शहर के दुसरे लोगों से जो कम झूठे हैं,

कुछ तो है बात जो तहरीरों में तासीर नहीं,
झूठे फनकार नहीं हैं तो कलम झूठे हैं..

DevRaj80
22-12-2014, 06:55 PM
क्या खबर थी इस तरह से वो जुदा हो जाएगा,
ख्वाब में भी उसका मिलना ख्वाब सा हो जाएगा,

ज़िन्दगी थी क़ैद हम-में क्या निकालोगे उसे,
मौत जब आ जायेगी तो खुद रिहा हो जाएगा,

दोस्त बनकर उसको चाहा ये कभी सोचा न था,
दोस्ती ही दोस्ती में वो खुदा हो जाएगा,

उसका जलवा होगा क्या जिसका के पर्दा नूर है,
जो भी उसको देख लेगा वो फ़िदा हो जाएगा..

DevRaj80
22-12-2014, 06:56 PM
खुदा हमको ऐसी खुदाई न दे,
के अपने सिवा कुछ दिखाई न दे,

खतावार समझेगी दुनिया तुझे,
के इतनी जियादा सफाई न दे,

हंसो आज इतना के इस शोर में,
सदा सिसकियों की सुनायी न दे,

अभी तो बदन में लहू है बहुत,
कलम छीन ले रोशनाई न दे,

खुदा ऐसे एहसास का नाम है,
रहे सामने और दिखाई न दे..

DevRaj80
22-12-2014, 06:56 PM
कभी यूंह भी आ मेरी आँख में,
के मेरी नज़र को खबर न हो,
मुझे एक रात नवाज़ दे,
मगर उस के बाद सहर न हो,

वोह बड़ा रहीम-ओ-करीम है,
मुझे यह सिफत भी अत करे,
तुझे भूलने की दुआ करू,
तो दुआ में मेरी असर न हो,

कभी दिन की धुप में जहम के,
कभी शब् के फूल को चूम के,
यूंह ही साथ साथ चले सदा,
कभी ख़त्म आपना सफ़र न हो,

मेरे पास मेरे हबीब आ,
जरा और दिल के करीब आ,
तुझे धडकनों में बसा लू में,
के बिचादने का कभी दार न हो..

DevRaj80
22-12-2014, 06:57 PM
धुप है क्या और साया क्या है अब मालूम हुआ,
ये सब खेल तमाशा क्या है अब मालूम हुआ,

हँसते फूल का चेहरा देखूं और भर आई आँख,
अपने साथ ये किस्सा क्या है अब मालूम हुआ,

हम बरसों के बाद भी उनको अब तक भूल न पाए,
दिल से उनका रिश्ता क्या है अब मालूम हुआ,

सेहरा सेहरा प्यासे भटके सारी उम्र जले,
बादल का इक टुकड़ा क्या है अब मालूम हुआ..

DevRaj80
22-12-2014, 06:58 PM
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,

उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,

मुझको था गुमान के मुझी में है एक अना,
देखा तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,

दुनिया समझ रही थी के नाराज़ मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,

इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा करार,
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा..

DevRaj80
22-12-2014, 06:58 PM
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा,
खुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,

उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,

मुझको था गुमान के मुझी में है एक अना,
देखा तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,

दुनिया समझ रही थी के नाराज़ मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,

इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा करार,
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा..

DevRaj80
22-12-2014, 06:59 PM
ऐसे हिज्र के मौसम तब तब आते हैं,
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं,

जादू की आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है वो हर सब आते हैं,

अब के सफ़र की बात नहीं बाक़ी वरना,
हम को बुलाएं दस्त से जब वो आते हैं,

कागज़ की कस्थी में दरिया पार किया,
देखो हम को क्या क्या करतब आते हैं..

DevRaj80
22-12-2014, 06:59 PM
ना मुहब्बत ना दोस्ती के लिए,
वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए,

दिल को अपने सज़ा न दे यूं ही,
सोच ले आज दो घडी के लिए,

हर कोई प्यार ढूढता है यहाँ,
अपनी तन्हा सी ज़िंदगी के लिए,

वक़्त के साथ साथ चलता रहे,
यही बेहतर है आदमी के लिए..

DevRaj80
22-12-2014, 07:00 PM
मेरे दरवाज़े से अब चाँद को रुक्सत कर दो,
साथ आया है तुम्हारे जो तुम्हारे घर से,
अपने माथे से हटा दो ये चमकता हुआ ताज,
फेंक दो जिस्म से किरणों का सुनहरी जेवर,
तुम्ही तनहा मेरा ग़म खाने में आ सकती हो,
एक मुद्दत से तुम्हारे ही लिए रखा है,
मेरे जलते हुए सीने का दहकता हुआ चाँद..

DevRaj80
22-12-2014, 07:00 PM
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,

हर वफ़ा एक जुर्म हो गया,
दोस्त कुछ ऎसी बेरुखी से मिले,

फूल ही फूल हमने मांगे थे,
दाग ही दाग ज़िंदगी से मिले,

जिस तरह आप हम से मिलते हैं,
आदमी यूँ न आदमी से मिले..

DevRaj80
22-12-2014, 07:01 PM
होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो,
बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो,

न उम्र की सीमा हो न जनम का हो बंधन,
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन,
नयी रीत चला कर तुम ये रीत अमर कर दो,

आकाश का सूनापन मेरे तन्हा मन में,
पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में,
साँसें देकर अपनी संगीत अमर कर दो,

जग ने छीना मुझसे मुझे जो भी लगा प्यारा,
सब जीता किये मुझसे मैं हर दम ही हारा,
तुम हार के दिल अपना मेरी जीत अमर कर दो..

DevRaj80
22-12-2014, 07:01 PM
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें,
ज़िन्दगी दो दिन की है दो दिन में हम क्या क्या करें,

जी में आता है की दें परदे से परदे का जवाब,
हम से वो पर्दा करें दुनिया से हम पर्दा करें,

सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गये हैं शहर में,
आप जल्दी बांध अपने घर का दरवाजा करें,

इस पुरानी बेवफ़ा दुनिया का रोना कब तलक,
आइये मिलजुल के इक दुनिया नयी पैदा करें..

DevRaj80
22-12-2014, 07:03 PM
मेरे दिल में तू ही तू है दिल की दावा क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ,

खुद को खोके तुझको पाकर क्या क्या मिला क्या कहो,
तेरी होके जीने में क्या आया मज़ा क्या कहूँ,

कैसे दिन हैं कैसी रातें कैसी फिजा क्या कहूँ,
मेरी होके तुने मुझको क्या क्या दिया क्या कहूँ,

मेरे पहलू में जब तू है फिर मैं दुआ क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ,

है ये दुनिया दिल की दुनिया मिलके रहेंगे यहाँ,
लूटेंगे हम खुशियाँ हर पल दुःख न सहेंगे यहाँ,

अरमानो के चंचल धारे ऐसे बहेंगे यहाँ,
ये तो सपनो की जन्नत है सब ही कहेंगे यहाँ,

ये दुनिया मेरे दिल में बसी है दिल से जुदा क्या करूँ,
दिल भी तू है जान भी तू है तुझपे फ़िदा क्या करूँ..

DevRaj80
22-12-2014, 07:04 PM
हमसफ़र बन के हम साथ हैं आज भी,
फिर भी है ये सफ़र अजनबी अजनबी,
राह भी अजनबी मोड़ भी अजनबी,
जाएँ हम किधर अजनबी अजनबी,

ज़िन्दगी हो गयी है सुलगता सफ़र,
दूर तक आ रहा है धुंआ सा नज़र,
जाने किस मोड़ पर खो गयी हर ख़ुशी,
देके दर्द-ऐ-जिगर अजनबी अजनबी,

हमने चुन चुन के तिनके बनाया था जो,
आशियाँ हसरतों से सजाया था जो,
है चमन में वही आशियाँ आज भी,
लग रहा है मगर अजनबी अजनबी,

किसको मालूम था दिन ये भी आयेंगे,
मौसमों की तरह दिल बदल जायेंगे,
दिन हुआ अजनबी रात भी अजनबी,
हर घडी हर पहर अजनबी अजनबी..

DevRaj80
22-12-2014, 07:07 PM
उसकी बातें तो फूल हो जैसे,
बाकि बातें बाबुल हो जैसे,

छोटी छोटी सी उसकी वो आंखे,
दो चमेली के फूल हो जैसे,

उसकी हसकर नज़र झुका लेना,
साडी शर्ते कुबूल हो जैसे,

कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी,
सारी बातें फिजूल हो जैस..

DevRaj80
22-12-2014, 07:07 PM
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता,

बड़े लोगो से मिलने में हमेशा फासला रखना,
जहा दरिया समंदर से मिला दरिया नहीं रहता,

तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अंदाज़ वालाहाई,
हमारे शहर में भी अब कोई हमसा नहीं रहता,

मोहब्बत एक खुसबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तनहा नहीं रहता..

DevRaj80
22-12-2014, 07:10 PM
बादल की तरह झूम के लहरा के पियेंगे,
सकी तेरे मएखाने पे हम जा के पियेंगे,

उन मदभरी आखों को भी शर्मा के पियेंगे,
पएमाने को पएमाने से टकरा के पियेंगे,

बादल भी है बादा भी है मीना भी तुम भी,
इतराने का मौसम है अब इतराके पियेंगे,

देखेंगे की आता है किधर से गम-ए-दुनिया,
साकी तुझे हम सामने बैठा के पियेंगे..

DevRaj80
22-12-2014, 07:11 PM
कभी गुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह,
लोग मिलते हैं बदलते हुए मौसम की तरह,

मेरे महबूब मेरे प्यार को इलज़ाम न दे,
हिज्र में ईद मनाई है मुहर्रम की तरह,

मैंने खुशबू की तरह तुझको किया है महसूस,
दिल ने छेड़ा है तेरी याद को शबनम की तरह,

कैसे हमदर्द हो तुम कैसी मसीहाई है,
दिल पे नश्तर भी लगाते हो तो मरहम की तरह..

DevRaj80
22-12-2014, 07:12 PM
कभी तो खुल के बरस अब के मेहरबान की तरह,
मेरा वजूद है जलते हुए मकां की तरह,

मैं इक ख्वाब सही आपकी अमानत हूँ,
मुझे संभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जान की तरह,

कभी तो सोच के वो साक्ष किस कदर था बुलंद,
जो बिछ गया तेरे क़दमों में आसमान की तरह,

बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत,
गुज़र न जाए ये रूठ भी कहीं खिज़ां की तरह..

DevRaj80
22-12-2014, 07:12 PM
तेरे खुशबु में बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा,

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह ,
याद थे मुझको जो पैगाम-इ-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह,

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे ,
सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तोह कभी रात में उठकर लिखे,

तेरे खुशबु में बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार में दूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहेती हुए पानी में लगा आया हूँ…

DevRaj80
22-12-2014, 07:12 PM
इन्तिहा आज इश्क की कर दी,
आप के नाम ज़िन्दगी कर दी,

था अँधेरा गरीब खाने में,
आप ने आ के रोशनी कर दी,

देने वाले ने उन को हुस्न दिया,
और अता मुझ को आशिकी कर दी,

तुम ने जुल्फों को रुख पे बिखरा कर,
शाम रंगीन और भी कर दी

DevRaj80
22-12-2014, 07:13 PM
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो

पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो

फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

DevRaj80
22-12-2014, 07:16 PM
इन्तिहा आज इश्क की कर दी,
आप के नाम ज़िन्दगी कर दी,

था अँधेरा गरीब खाने में,
आप ने आ के रोशनी कर दी,

देने वाले ने उन को हुस्न दिया,
और अता मुझ को आशिकी कर दी,

तुम ने जुल्फों को रुख पे बिखरा कर,
शाम रंगीन और भी कर दी

DevRaj80
22-12-2014, 07:17 PM
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो

पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो

फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli

DevRaj80
22-12-2014, 07:17 PM
आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा

इतना मानूस न हो ख़िलवतेग़म से अपनी
तू कभी खुद को भी देखेगा तो ड़र जायेगा

{मानूस == intimate /familiar, ख़िलवत-ए-ग़म == sorrow of loneliness}

तुम सरेराहेवफ़ा देखते रह जाओगे
और वो बामेरफ़ाक़त से उतर जायेगा

{सर-ए-राह-ए-वफ़ा == path of love, बाम-ए-रफ़ाक़त == responsibility towards love (literal meaning is Terrace (Baam) or Company or Closeness (Rafaaqat)}

ज़िंदगी तेरी अता है तो ये जानेवाला
तेरी बख़्शिश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा

{अता == grant/gift, बख़्शिश == donation, दहलीज़ ==doorstep}

ड़ूबते ड़ूबते कश्ती को उछाला दे दूँ
मै नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा

{उछाला ==upward push}

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का ‘फ़राज़’
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा

{लाज़िम == necessary / compulsory}

Singer: Lata Mangeshkar
Lyrics: Ahmed Faraz

DevRaj80
22-12-2014, 07:18 PM
रिंद जो मुझको समझते हैं उन्हे होश नहीं
मैक़दासाज़ हूं मै मैक़दाबरदोश नहीं

पांव उठ सकते नहीं मंज़िल-ए-जाना के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं

अब तो तासीर-ए-ग़म-ए-इश्क़ यहां तक पहुंची
के इधर होश अगर है तो उधर होश नहीं

मेहंद-ए-तस्बीह तो सब हैं मगर इदराक कहां
ज़िंदगी ख़ुद ही इबादत है मगर होश नहीं

मिल के इक बार गया है कोई जिस दिन से ‘जिगर’
मुझको ये वहम है शायद मेरा था दोष (?) नहीं

ये अलग बात है साक़ी के मुझे होश नहीं
वर्ना मै कुछ भी हूं एहसानफ़रामोश नहीं

जो मुझे देखता है नाम तेरा लेता है
मै तो ख़ामोश हूं हालत मेरी ख़ामोश नहीं

कभी उन मदभरी आँखों से पिया था इक जाम
आज तक होश नहीं होश नहीं होश नहीं

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Jigar Moradabadi, Abdul Hameed ‘Adam’

DevRaj80
22-12-2014, 07:18 PM
वस्ल की रात तो राहत से बसर होने दो
शाम से ही है ये धमकी के सहर होने दो

जिसने ये दर्द दिया है वो दवा भी देगा
लादवा है जो मेरा दर्द-ए-जिगर होने दो

ज़िक्र रुख़सत का अभी से न करो बैठो भी
जान-ए-मन रात गुज़रने दो सहर होने दो

वस्ल-ए-दुश्मन की ख़बर मुझ से अभी कुछ ना कहो
ठहरो ठहरो मुझे अपनी तो ख़बर होने दो

DevRaj80
22-12-2014, 07:19 PM
हर गोशा गुलिस्तां था कल रात जहां मै था
एक जश्न-ए-बहारां था कल रात जहां मै था

नग़्मे थे हवाओं में जादू था फ़िज़ाओं में
हर साँस ग़ज़लफ़ां था कल रात जहां मै था

दरिया-ए-मोहब्बत में कश्ती थी जवानी की
जज़्बात का तूफ़ां था कल रात जहां मै था

मेहताब था बाहों में जलवे थे निगाहों में
हर सिम्त चराग़ां था कल रात जहां मै था

‘ख़ालिद’ ये हक़ीक़त है नाकर्दा गुनाहों की
मै ख़ूब पशेमां था कल रात जहां मै था

Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Khalid Kuwaiti

DevRaj80
22-12-2014, 07:19 PM
घर से हम निकले थे मस्जिद की तरफ़ जाने को
रिंद बहका के हमें ले गये मैख़ाने को

ये ज़बां चलती है नासेह के छुरी चलती है
ज़ेबा करने मुझे आय है के समझाने को

आज कुछ और भी पी लूं के सुना है मैने
आते हैं हज़रत-ए-वाइज़ मेरे समझाने को

हट गई आरिज़-ए-रोशन से तुम्हारे जो नक़ाब
रात भर शम्मा से नफ़रत रही दीवाने को

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:20 PM
एक दीवाने को ये आये हैं समझाने कई
पहले मै दीवाना था और अब हैं दीवाने कई

मुझको चुप रहना पड़ा बस आप का मुंह देखकर
वरना महफ़िल में थे मेरे जाने पहचाने कई

एक ही पत्थर लगे है हर इबादतगाह में
गढ़ लिये हैं एक ही बुत के सबने अफ़साने कई

मै वो काशी का मुसलमां हूं के जिसको ऐ ‘नज़ीर’
अपने घेरे में लिये रहते हैं बुतख़ाने कई

Lyrics:Nazeer Banarasi

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:20 PM
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई – 2
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई

रंगीन बहारों की ख्वाहिश रही
हाथ मगर कुत्च आया नही- 2
कहने को अपने थे साथी कई
साथ किसीने निभाया नही – 2
कोई भी हमसफ़र नही
खो गई हर डगर कही
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोह सारी उमर गई – 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई

लोगों को अक्सर देखा है
घर के लिए रोते हुए – 2
हम तोः मगर बेघर ही रहे
घरवालों के होते हुए – 2
आया अपना नज़र नही – 2
अपनी जहाँ तक नज़र गई
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई

पहले तोः हम सुन लेते थे
शोर में भी शेह्नैया- 2
अब तोः हमको लगती है
भीड़ में भी तन्हैया
जीने की हसरत किधर गई – 2
दिल की कली बिखर गई
कभी सोते सोते कभी जागते
ख़्वाबों के पीछे यू ही भागते
अपनी तोः सारी उमर गई- 2
खुमारी चढ़ के उतर गई
ज़िंदगी यूं ही गुजर गई

Lyrics: Shaily Shailender
Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:21 PM
मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम,
एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम,

आंसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर,
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम,

जब दूरियों की याद दिलों को जलायेगी,
जिस्मों को चांदनी में भिगोया करेंगे हम,

गर दे गया दगा हमें तूफ़ान भी ‘क़तील’,
साहिल पे कश्तियों को डुबोया करेंगे हम,

Singer: Jagjit Singh, Chitra Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:21 PM
तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा,
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा,

जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह,
याद थे मुझको जो पैगाम-ऐ-जुबानी की तरह,
मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह,

तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे,
सालाहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे,
कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे,

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,
प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे,
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:22 PM
ऐसी आंखें नही देखी, ऐसा काजल नही देखा,
ऐसा जलवा नही देखा, ऐसा चेहरा नही देखा,

जब ये दामन की हवा ने, आग जंगल में लगा दे,
जब ये शहरो में जाए, रेत में फूल खिलाये,

ऐसी दुनिया नही देखी, ऐसा मंजर नही देखा,
ऐसा आलम नही देखा, ऐसा दिलबर नही देखा,

उस के कंगन का खड़कना, जैसा बुल-बुल का चहकना,
उस की पाजेब की छम-छम, जैसे बरसात का मौसम,

ऐसा सावन नही देखा, ऐसी बारिश नही देखी,
ऐसी रिम-झिम नही देखी, ऐसी खवाइश नही देखी,

उस की बेवक्त की बाते, जैसे सर्दी की हो राते,
उफ़ ये तन्हाई, ये मस्ती, जैसे तूफान में कश्ती,

मीठी कोयल सी है बोली, जैसे गीतों की रंगोली,
सुर्ख गालों पर पसीना, जैसे फागुन का महीना,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:22 PM
उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे,
देह मिली जहे, अपने राम प्यारे,
उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे,

पंथ निहारे कामनी, लोचन परीर उसासा,
पूर्ण की जाए पगना की सये, हर दरसन की आसा,
उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे,

कह कबीर जीवन पद्कारण, हर की पगत करी जये,
एक अधार नाम नारायण, रसना राम रवि जये,
उडो न कागा कारे, उडो न कागा कारे,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:23 PM
मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने,
अब गुजारेगा मेरे साथ ज़माने कितने,

मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन,
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने,

जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है,
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने,

तुम नया ज़ख्म लगाओ तुम्हे इससे क्या है,
भरने वाले है अभी ज़ख्म पुराने कितने,

Singer: Chitra Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:23 PM
हम तो हैं परदेस में देश में निकला होगा चाँद,
अपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद,

जिन आंखों में काजल बनकर तैरी काली रात,
उन आंखों में आंसू का इक कतरा होगा चाँद,

रात ने ऐसा पेच लगाया टूटी हाथ से डोर,
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चाँद,

चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते,
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद,

DevRaj80
22-12-2014, 07:23 PM
दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें,
बोलो तुमको गैर लिखें या अपना मीत लिखें,

नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल,
मेरे प्यासे होटों पर है अंगारों के फूल,
इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें,

कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल,
लेकर हम निकले है अपनी आखों के कश खोल,
हम बंजारे प्रीत के मारे क्या संगीत लिखें,

शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम,
जमुना जी के ऊंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन,
ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत लिखें

DevRaj80
22-12-2014, 07:25 PM
गम मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे,
एक दिल देकर खुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे,

ये नमाज-ऐ-इश्क है कैसा आदाब किसका आदाब,
अपने पाये नाज़ पर करने भी दो सजदा मुझे,

देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊंगा,
देखती ही देखती रह जायेगी दुनिया मुझे

DevRaj80
22-12-2014, 07:26 PM
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे,
मैं तुझको भूल के जिंदा रहूँ खुदा न करे,

रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िंदगी बनकर,
ये और बात मेरी ज़िंदगी वफ़ा न करे,

सुना है उसको मोहब्बत दुआएं देती है,
जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे,

ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई मे,
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:30 PM
जिसे लोग कहते है हिंदुस्तान है,
यही अपने खावाबो का प्यारा जहान है,
कई मज्हबो का यहा एक निशान है,
ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है,

हर एक दिल मे मिटटी की खुशबु बसी है,
ख्यालो मे हर एक के मेहँदी रची है,
अंधेरे उजाले मे ये ज़िंदगी है,
मगर प्यार ही प्यार की रोशनी है,
हमारी मोहब्बत का ये आशियाँ है,
ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है,

अंधेरो मे जो आज भटके हुए है,
हमारे ही भाई है बहके हुए है,
सही रास्ता उनको दिखलायेंगे हम,
लगायेंगे सिने से समझायेंगे हम,
हमारा चलन तो बड़ा मेहरबान है,
ये हिंदुस्तान है, ये हिंदुस्तान है,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:30 PM
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निछार होता

कोई फ़ितना था क़यामत ना फिर आशकार होता
तेरे दिल पे काश ज़ालिम मुझे इख़्तियार होता

जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूठे वादे करता
तुम्हीं मुन्सिफ़ी से कह दो तुम्हे ऐतबार होता

ग़म-ए-इश्क़ में मज़ा था जो उसे समझ के खाते
ये वो ज़हर है के आखिर मै-ए-ख़ुशगवार होता

ना मज़ा है दुश्मनी में ना ही लुत्फ़ दोस्ती में
कोई ग़ैर ग़ैर होता कोई यार यार होता

ये मज़ा था दिल्लगी का के बराबर आग लगती
ना तुझे क़रार होता ना मुझे क़रार होता

तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते
अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ऐतबार होता

ये वो दर्द-ए-दिल नहीं है के हो चारासाज़ कोई
अगर एक बार मिटता तो हज़ार बार होता

गए होश तेरे ज़ाहिद जो वो चश्म-ए-मस्त देखी
मुझे क्या उलट ना देता जो ना बादाख़्वार होता

मुझे मानते सब ऐसा के उदूं भी सजदा करते
दर-ए-यार काबा बनता जो मेरा मज़ार होता

तुम्हे नाज़ हो ना क्योंकर के लिया है “दाग़” का दिल
ये रक़म ना हाथ लगती ना ये इफ़्तिख़ार होता

Unsung lines in Bold Italic

Lyrics: Daag Dehlvi
Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 07:31 PM
तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग,
ये वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग,

क्या ख़बर थी तेरे मिलने पे क़यामत होगी,
मुझको दीवाना बना देंगे तेरे शहर के लोग,

तेरी नज़रों से गिराने के लिए जान-ऐ-हया,
मुझको मुजरिम भी बना देंगे तेरे शहर के लोग,

कह के दीवाना मुझे मार रहे हैं पत्थर,
और क्या इसके सिवा देंगे तेरे शहर के लोग,

Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 08:12 PM
रात भर दीदा-ए-ग़म नाक में लहराते रहे
सांस की तरह से आप आते रहे जाते रहे

खुश थे हम अपनी तमन्नाओं का ख़्वाब आएगा
अपना अरमान बर-अफ़्गंदा नक़ाब आएगा

नज़रें नीची किये शर्माए हुए आएगा
काकुलें चेहरे पे बिखराए हुए आएगा

आ गई थी दिल-ए-मुज़्तर में शकेबाई सी
बज रही थी मेरे ग़मखाने में शहनाई सी

शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी
आप के आने की इक आस थी अब जाने लगी

सुबह ने सेज से उठते हुए ली अंगड़ाई
ओ सबा तू भी जो आई तो अकेले आई

मेरे महबूब मेरी नींद उड़ानेवाले
मेरे मसजूद मेरी रूह पे छानेवाले

आ भी जा ताकि मेरे सजदों का अरमां निकले

Unsung lines in Bold Italic

Lyrics: Makhdoom Moiuddin
Singer: Jagjit Singh, Asha Bhosle

DevRaj80
22-12-2014, 08:13 PM
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्रभर फिर भी
ये हुस्न-ओ-इश्क़ तो धोखा है सब मगर फिर भी

हज़ार बार ज़माना इधर से गुज़रा है
नई नई सी है कुछ तेरी रहगुज़र फिर भी

तेरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है
उतर गया रग-ए-जां में ये नेशतर फिर भी

Lyrics: Firaq Gorakhpuri
Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 08:14 PM
इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अंगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे

हिज्र में मिलने शब-ए-माह के गम आये हैं
चारासाजों को भी बुलवाओ कि रात कटे

कोई जलता ही नहीं कोई पिघलता ही नहीं
मोम बन जाओ पिघल जाओ कि कुछ रात कटे

चश्म-ओ-रुखसार के अज़गार को जारी रखो
प्यार के नग़मे को दोहराओ कि कुछ रात कटे

आज हो जाने दो हर एक को बद्-मस्त-ओ-ख़राब
आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे

कोह-ए-गम और गराँ और गराँ और गराँ
गमज़दों तेश को चमकाओ कि कुछ रात कटे

Unsung lines in Bold Italic

Lyrics: Makhdoom Mohiuddin
Singer: Jagjit Singh

DevRaj80
22-12-2014, 08:14 PM
ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात
नवा-ए-मीर सुनाओ बड़ी उदास है रात

नवा-ए-दर्द में इक ज़िंदगी तो होती है
नवा-ए-दर्द सुनाओ बड़ी उदास है रात

उदासियों के जो हमराज़-ओ-हमनफ़स थे कभी
उन्हें ना दिल से भुलाओ बड़ी उदास है रात

जो हो सके तो इधर की राह भूल पड़ो
सनमक़दे की हवाओं बड़ी उदास है रात

कहें न तुमसे तो फ़िर और किससे जाके कहें
सियाह ज़ुल्फ़ के सायों बड़ी उदास है रात

अभी तो ज़िक्र-ए-सहर दोस्तों है दूर की बात
अभी तो देखते जाओ बड़ी उदास है रात

दिये रहो यूं ही कुछ देर और हाथ में हाथ
अभी ना पास से जाओ बड़ी उदास है रात

सुना है पहले भी ऐसे में बुझ गये हैं चिराग़
दिलों की ख़ैर मनाओ बड़ी उदास है रात

समेट लो कि बड़े काम की है दौलत-ए-ग़म
इसे यूं ही न गंवाओ बड़ी उदास है रात

इसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए
इन्ही से काम चलाओ बड़ी उदास है रात

दोआतिशां न बना दे उसे नवा-ए-‘फ़िराक़’
ये साज़-ए-ग़म न सुनाओ बड़ी उदास है रात

Unsung lines in Bold Italic

Lyrics: Firaq Gorakhpuri
Singer: Jagjit Singh

everdeenkatniss257
17-11-2015, 04:37 PM
I was madly fan of jagjit singh I dont remember any song thats not good by jagjit singh some my favorite songs are :



Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho
Jhuki Jhuki Si Nazar Bekarar
Honton Se Chhoo Lo Tum
Koi Yeh Kaise Bataye Ke
Pyar Ka Pehla Khat Likhne Mein