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View Full Version : प्रेम ... समय


DevRaj80
05-01-2015, 03:32 PM
क्या वास्तव में प्रेम समय के साथ फीका पड जाता है


सच्चे दिल से जवाब देने की कोशिश करे मित्रो ...


विषय संवेदनशील जरूर है पर ग्राह्य है ...

DevRaj80
05-01-2015, 03:37 PM
Why does love fade over time
Is it because either of the couple or both start taking things for granted.
Is it because after sometime love becomes boring.

Now for some couple, instead of love fading over time it keeps growing.
So what are the ways to control fading and promote growth in a relation.

__________________

DevRaj80
05-01-2015, 03:39 PM
'There is nothing called love.



Everyone is just wanting to have a good time,



and wanting to be with someone who can provide that'

Pavitra
05-01-2015, 05:02 PM
वो प्रेम ही क्या जो समय के साथ फीका पड़ जाये ? …वो प्रेम नहीं हो सकता जो समय के साथ अपना स्वरुप बदल दे। …वो महज़ आकर्षण होता है जो समय के साथ फीका पड़ता है।

प्यार तो समय के साथ और गहराता है , फीका नहीं पड़ता। क्यूंकि समय प्यार को धैर्य, समझ , त्याग सिखा देता है जिससे प्यार और भी मज़बूत हो कर सामने आता है। प्रेम और शांति मानव स्वाभाव के मूल अंग हैं। ये हमारे अंदर हमेशा ही विद्यमान रहते हैं। जैसे पानी हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहता है और जब पानी की कमी हमें महसूस होती है जो हम कहते हैं कि हमें प्यास लगी है ठीक वैसे ही शांति और प्रेम हमारे अंदर ही मौजूद हैं , जब क्रोध , निराशा , उपेक्षा के कारण हमारे अंदर शांति और प्रेम की कमी होती है तब हम बाहर इनकी तलाश करते हैं।

अब आपने पूछा कि ऐसा क्या करें कि प्यार फीका न पड़े बल्कि और प्रगाढ हो जाये ? तो इसके लिए सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।

और अगर वास्तव में रिश्ते में प्यार है तो फिर आपको किसी और से पूछने की जरूरत ही नहीं होगी कि प्यार फीका न पड़े इसके लिए क्या करें ? क्युकी जैसा मैंने पहले भी कहा प्यार फीका नहीं पड़ सकता।
प्यार सिर्फ प्यार होता है , बहुत प्यार - कम प्यार- सच्चा प्यार- झूठा प्यार ऐसा कुछ नहीं होता प्यार में। …। या तो प्यार होता है या तो प्यार नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि उन्हें सच्चे प्यार की तलाश है वास्तव में वो भ्रमित लोग हैं। क्यूंकि प्यार तो होता ही वो है जो "सच्चा" है। बाकि आजकल आकर्षण व अपनेपन को भी लोग प्यार समझने की गलती कर लेते हैं , इसीलिए उन्हें प्यार के दूर हो जाने , फीके पड़ जाने या प्यार में धोखा मिलने का डर होता है।

हर व्यक्ति के लिए प्यार की अलग ही परिभाषा होती है जो प्यार हो जाने के बाद स्वयं ही समझ आती है। इसलिए हर इंसान को स्वयं ही इसकी खोज करनी चाहिए।

DevRaj80
05-01-2015, 05:10 PM
वो प्रेम ही क्या जो समय के साथ फीका पड़ जाये ? …वो प्रेम नहीं हो सकता जो समय के साथ अपना स्वरुप बदल दे। …वो महज़ आकर्षण होता है जो समय के साथ फीका पड़ता है।

प्यार तो समय के साथ और गहराता है , फीका नहीं पड़ता। क्यूंकि समय प्यार को धैर्य, समझ , त्याग सिखा देता है जिससे प्यार और भी मज़बूत हो कर सामने आता है। प्रेम और शांति मानव स्वाभाव के मूल अंग हैं। ये हमारे अंदर हमेशा ही विद्यमान रहते हैं। जैसे पानी हमारे शरीर में हमेशा मौजूद रहता है और जब पानी की कमी हमें महसूस होती है जो हम कहते हैं कि हमें प्यास लगी है ठीक वैसे ही शांति और प्रेम हमारे अंदर ही मौजूद हैं , जब क्रोध , निराशा , उपेक्षा के कारण हमारे अंदर शांति और प्रेम की कमी होती है तब हम बाहर इनकी तलाश करते हैं।

अब आपने पूछा कि ऐसा क्या करें कि प्यार फीका न पड़े बल्कि और प्रगाढ हो जाये ? तो इसके लिए सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।

और अगर वास्तव में रिश्ते में प्यार है तो फिर आपको किसी और से पूछने की जरूरत ही नहीं होगी कि प्यार फीका न पड़े इसके लिए क्या करें ? क्युकी जैसा मैंने पहले भी कहा प्यार फीका नहीं पड़ सकता।
प्यार सिर्फ प्यार होता है , बहुत प्यार - कम प्यार- सच्चा प्यार- झूठा प्यार ऐसा कुछ नहीं होता प्यार में। …। या तो प्यार होता है या तो प्यार नहीं होता। जो लोग कहते हैं कि उन्हें सच्चे प्यार की तलाश है वास्तव में वो भ्रमित लोग हैं। क्यूंकि प्यार तो होता ही वो है जो "सच्चा" है। बाकि आजकल आकर्षण व अपनेपन को भी लोग प्यार समझने की गलती कर लेते हैं , इसीलिए उन्हें प्यार के दूर हो जाने , फीके पड़ जाने या प्यार में धोखा मिलने का डर होता है।

हर व्यक्ति के लिए प्यार की अलग ही परिभाषा होती है जो प्यार हो जाने के बाद स्वयं ही समझ आती है। इसलिए हर इंसान को स्वयं ही इसकी खोज करनी चाहिए।



बहुत बहुत सही कहा आपने पवित्रा जी .... मेरी भी कुछ ऐसी ही सोच रही है ...परन्तु ...


आपके लिए :bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:

DevRaj80
05-01-2015, 05:14 PM
जान लेना ज़रूरी है कि वास्तव में जिसे प्यार समझा जा रहा है वो प्यार है भी कि नहीं ?अगर वो प्यार नहीं है तो यकीन कीजिये वो ताउम्र ताज़ा नहीं रह सकता , वो समय के साथ फीका पड़ेगा ही। हाँ आपकी समझ , अपनापन , एक दूसरे के प्रति सम्मान उस रिश्ते की उम्र ज़रूर बढ़ा सकता है और कभी कभी उस रिश्ते को ताउम्र जीवित रख सकता है। पर यहाँ ध्यान दीजिये "रिश्ता" ताउम्र जीवित रहेगा उस रिश्ते में जिस प्यार की उम्मीद की जा रही है वो "प्यार" जीवित नहीं होगा।




बेहतरीन सोच का प्रदर्शन .... परन्तु कभी कभी हम जान ही नहीं पाते ....

क्या ये जानने के भी कोई तरीके हैं ....

Pavitra
05-01-2015, 06:00 PM
आपका सवाल थोड़ा मुश्किल है कि कैसे जानें कि प्यार है कि नहीं ? क्यूंकि ये तो वही व्यक्ति जान सकता है जिसे प्यार हुआ है और जिससे प्यार हुआ है। पर फिर भी मैं अपनी समझ से इसका जवाब देने की कोशिश करती हूँ।

प्यार में उतावलापन सही नहीं होता , मान लीजिये कि हमें कोई पसंद आया और हमने झट से ये सोच लिया कि हमें प्यार हुआ है, क्यूंकि मैं Love at first Sight के Concept को ज़्यादा admire नहीं करती। मैं इसे Deny नहीं कर रही पर मुझे लगता है कि पहली नज़र में जो होता है वो -Crush , infatuation , attraction होता है।

सबसे आसान तरीका है ये जानने का कि प्यार है या नहीं कि हम ये देखें कि - क्या हमारे पास उसे प्यार करने का कोई कारण है ? खुद से पूछें कि आप क्यों उसे प्यार करते हैं ? -

वो बहुत सुन्दर है।
-तो कल अगर वो सुन्दर न रही तो प्यार खत्म।

वो बहुत अच्छा इंसान है।
-तो अगर कल वो कोई Criminal बन गया तो प्यार खत्म।

वो बहुत दयालु है।
-तो अगर कल वो Cruel बन गया तो प्यार खत्म।

वो कभी किसी का बुरा नहीं कर सकता।
-तो अगर कल उसने किसी के साथ बुरा कर दिया तो प्यार खत्म।

जब तक आपके पास इस क्यों का जवाब रहेगा तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। जिस दिन आपको कोई ऐसा मिल जाये जिसे प्यार करने के लिए आपके पास कोई वजह न हो तो समझ लीजियेगा कि यही प्यार है।

DevRaj80
05-01-2015, 07:00 PM
http://www.google.co.in/url?sa=i&source=images&cd=&ved=0CAUQjBw&url=http%3A%2F%2F1.bp.blogspot.com%2F-E8425aMrFTY%2FU7bo7O6TuDI%2FAAAAAAAAHyo%2F31OC8iLA eAQ%2Fs1600%2Flove-suvichar.png&ei=2qaqVPiBO8aVuAT3j4HYCQ&psig=AFQjCNHHGMI3yon8FRnyBCRSyP6ZsVDCAw&ust=1420556379105567

Deep_
05-01-2015, 10:18 PM
एक फिलोसोफी है, हर सवाल का जवाब कुदरत के अंदर छुपा हुआ होता है। अगर आपके मन में वाकई कोई मसला है जो हल नहि हो रहा, आप कुदरत (पेड पौधे, फुल, सागर, नदी, बरसात, बादल, अग्नि आदी) के साथ उसे जोड कर, भंग कर के देखो। आपको समाधान जरूर मिलेगा। पुराने संत-मौला, साधु-मौलवी, लेखक-विचारक एसे ही लोगो को जीने की राह दिखाते है।

मेरे मतानुसार प्रेम सागर की तरह है। ईसमें ज्वार-भाटा आ सकता है। तुफान, सुनामी आ सकती है। यह कभी उपर उपर से जम कर बर्फ भी बन सकता है। यह करोडो-अरबो जीव-जंतु का पोषक है और यह पुरे शहेर के शहेर भी डुबो सकता है।

लेकिन यह कभी सुखता नही है।

rajnish manga
06-01-2015, 07:30 AM
......
जब तक आपके पास इस क्यों का जवाब रहेगा तब तक प्यार हो ही नहीं सकता। जिस दिन आपको कोई ऐसा मिल जाये जिसे प्यार करने के लिए आपके पास कोई वजह न हो तो समझ लीजियेगा कि यही प्यार है।

एक फिलोसोफी है, हर सवाल का जवाब कुदरत के अंदर छुपा हुआ होता है .....

मेरे मतानुसार प्रेम सागर की तरह है। ईसमें ज्वार-भाटा आ सकता है। तुफान, सुनामी आ सकती है। यह कभी उपर उपर से जम कर बर्फ भी बन सकता है। यह करोडो-अरबो जीव-जंतु का पोषक है और यह पुरे शहेर के शहेर भी डुबो सकता है।

लेकिन यह कभी सुखता नही है।

पवित्रा जी, आपने बड़े तर्कपूर्ण तरीके से प्रश्न का उत्तर व समाधान देने की कोशिश की है और दीप जी ने दार्शनिक अंदाज़ में अपने विचार प्रस्तुत किये हैं. आप दोनों को इस विचार विमर्श के लिए धन्यवाद के पात्र हैं.

saru4d
06-01-2015, 04:17 PM
very nice talk

rajnish manga
06-01-2015, 06:33 PM
very nice talk


:hello:
धन्यवाद, मित्र. यहाँ अपने विचार रखने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं.

kuki
08-01-2015, 02:49 PM
पवित्रा ने बहुत ही बढ़िया तरीके से अपनी बात को यहाँ रखा है। मैं पवित्रा से पूरी तरह से सहमत हूँ कि अगर प्यार सच्चा है तो वो वक्त के साथ और गहरा होता जाता है। प्यार में कोई शर्त नहीं होती अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो वो इंसान चाहे आपके पास हो या आपसे बहुत दूर हो ,आपका प्यार कभी कम नहीं होता। अगर हम किसी से प्यार करते हैं लेकिन सामने वाला हमसे प्यार नहीं करता तो भी हमारा प्यार उसके लिए कम नहीं होना चाहिए क्योंकि प्यार में कोई सौदा नहीं होता। अगर हम प्यार के बदले प्यार पाना चाहते हैं और न मिलने पर हमें गुस्सा या निराशा होती है तो वो हमारा स्वार्थ होता है प्यार नहीं। हमारे लिए महत्व इस बात का होना चाहिए की हमारे दिल में किसी के लिए प्यार है। स्वामी विवेकानंदजी ने कहा है की प्यार करके उसे न पाना दुखद नहीं है बल्कि किसी से भी प्यार न करना दुखद है। हो सकता है मैं विषय से भटक रही होऊ लेकिन मैं यहाँ कहना चाहूंगी ,मैंने आज खबर पढ़ी की एक लड़के ने लड़की के न कहने पर उसके ऊपर तेज़ाब डाल दिया ,ऐसी ख़बरें आये दिन सुनने को मिलती हैं मुझे समझ नहीं आता ये कौन सा प्यार है ?

Pavitra
08-01-2015, 05:12 PM
पवित्रा ने बहुत ही बढ़िया तरीके से अपनी बात को यहाँ रखा है। मैं पवित्रा से पूरी तरह से सहमत हूँ कि अगर प्यार सच्चा है तो वो वक्त के साथ और गहरा होता जाता है। प्यार में कोई शर्त नहीं होती अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो वो इंसान चाहे आपके पास हो या आपसे बहुत दूर हो ,आपका प्यार कभी कम नहीं होता। अगर हम किसी से प्यार करते हैं लेकिन सामने वाला हमसे प्यार नहीं करता तो भी हमारा प्यार उसके लिए कम नहीं होना चाहिए क्योंकि प्यार में कोई सौदा नहीं होता। अगर हम प्यार के बदले प्यार पाना चाहते हैं और न मिलने पर हमें गुस्सा या निराशा होती है तो वो हमारा स्वार्थ होता है प्यार नहीं। हमारे लिए महत्व इस बात का होना चाहिए की हमारे दिल में किसी के लिए प्यार है। स्वामी विवेकानंदजी ने कहा है की प्यार करके उसे न पाना दुखद नहीं है बल्कि किसी से भी प्यार न करना दुखद है। हो सकता है मैं विषय से भटक रही होऊ लेकिन मैं यहाँ कहना चाहूंगी ,मैंने आज खबर पढ़ी की एक लड़के ने लड़की के न कहने पर उसके ऊपर तेज़ाब डाल दिया ,ऐसी ख़बरें आये दिन सुनने को मिलती हैं मुझे समझ नहीं आता ये कौन सा प्यार है ?


ये प्यार है ही नहीं , ये Obsession है। और Obsession आकर्षण की वजह से होता है , प्यार की वजह से नहीं। अब देखिये क्या कोई माँ अपने बच्चे के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार कर सकती है ? कभी नहीं। क्यूंकि वहां प्रेम है। प्यार में हम किसी को भी नुक्सान नहीं पहुंचा सकते। और जो लोग ऐसी क्रूर हरकत करते हैं वो वास्तव में मनोरोगी हैं।

Deep_
08-01-2015, 10:02 PM
यदि यहां मौजूद सभी मित्रो के विचार ईस सुत्र में एक जैसे ही है....तो फिर पोल के नतीजे मुझे क्युं समज नही आ रहे?

Pavitra
08-01-2015, 10:19 PM
यदि यहां मौजूद सभी मित्रो के विचार ईस सुत्र में एक जैसे ही है....तो फिर पोल के नतीजे मुझे क्युं समज नही आ रहे?


Deep ji I think ye by mistake hua hai.....mujhe bhi starting mein poll samajh nahin aayi thi....aur maine Yes ke favor mein vote kar diya but baad mein realize hua ki mujhe No ke favor mein vote dena tha.....I think baki logon ko bhi yahi misunderstanding hui hogi......bcuz Poll ka question clear nahin tha isliye voting galat ho gayi...baad mein thread ka 1st post read kiya tab samajh aaya ki poll actually hai kis question pe based.

Shikha sanghvi
09-01-2015, 03:38 PM
Bahot hi umda topic hai ye pyar....

Humare Kai saathi ne pyar ke apne apne vichar ko prastut kiya...

Humari nazar Mai pyar bas pyar hi hota hai...or vo to bas ho jata hai....hum jaise pyar karte hai unki khushi ke liye hum kuch bhi karne ko taiyar hote hai....pyar samay ke saath or gahera hota hai.....pyar Mai hota hai niswarth tyag or samarpan....

anmolarora
10-01-2015, 04:42 PM
pyar to dil ki gharaiyo me basta hai bs itna hi kahe ge

DevRaj80
11-01-2015, 06:26 PM
pyar to dil ki gharaiyo me basta hai bs itna hi kahe ge


सही कहा आपने मित्र :iagree::iagree:

DevRaj80
11-01-2015, 06:28 PM
bahot hi umda topic hai ye pyar....

Humare kai saathi ne pyar ke apne apne vichar ko prastut kiya...

Humari nazar mai pyar bas pyar hi hota hai...or vo to bas ho jata hai....hum jaise pyar karte hai unki khushi ke liye hum kuch bhi karne ko taiyar hote hai....pyar samay ke saath or gahera hota hai.....pyar mai hota hai niswarth tyag or samarpan....


बहुत सही कहा आपने शिखा ....लगता है आप भी इस अनमोल दरिया ....से हो के गुजरी हैं ..

DevRaj80
12-01-2015, 03:40 PM
............................

DevRaj80
12-01-2015, 03:49 PM
http://sadguruji.jagranjunction.com/files/2013/11/hindi-124-300x2001.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 03:49 PM
तुम्हें कैसे पता चलता है कि कोई सचमुच तुम्हें प्रेम करता है?

ओशो, फ्रॉम डैथ टु डैथलैसनेस

से लिया गया

DevRaj80
12-01-2015, 03:50 PM
आदमी के व्यक्तित्व के तीन तल हैं: उसका शरीर विज्ञान, उसका शरीर, उसका मनोविज्ञान, उसका मन और उसका अंतरतम या शाश्वत आत्मा। प्रेम इन तीनों तलों पर हो सकता है लेकिन उसकी गुणवत्ताएं अलग होंगी। शरीर के तल पर वह मात्र कामुकता होती है। तुम भले ही उसे प्रेम कहो क्योंकि शब्द प्रेम काव्यात्म लगता है, सुंदर लगता है। लेकिन निन्यानबे प्रतिशत लोग उनके सैक्स को प्रेम कहते हैं। सैक्स जैविक है, शारीरिक है। तुम्हारी केमिस्ट्री, तुम्हारे हार्मोन, सभी भौतिक तत्व उसमें संलग्न हैं। तुम एक स्त्री या एक पुरुष के प्रेम में पड़ते हो, क्या तुम सही-सही बता सकते हो कि इस स्त्री ने तुम्हें क्यों आकर्षित किया? निश्चय ही तुम उसकी आत्मा नहीं देख सकते, तुमने अभी तक अपनी आत्मा को ही नहीं देखा है। तुम उसका मनोविज्ञान भी नहीं देख सकते क्योंकि किसी का मन पढ़ना आसान काम नहीं है। तो तुमने इस स्त्री में क्या देखा? तुम्हारे शरीर विज्ञान में, तुम्हारे हार्मोन में कुछ ऐसा है जो इस स्त्री के शरीर विज्ञान की ओर, उसके हार्मोन की ओर, उसकी केमिस्ट्री की ओर आकर्षित हुआ है। यह प्रेम प्रसंग नहीं है, यह रासायनिक प्रसंग है।जरा सोचो, जिस स्त्री के प्रेम में तुम हो वह यदि डाक्टर के पास जाकर अपना सैक्स बदलवा ले और मूछें और दाढ़ी ऊगाने लगे तो क्या तब भी तुम इससे प्रेम करोगे? कुछ भी नहीं बदला, सिर्फ केमिस्ट्री, सिर्फ हार्मोन। फिर तुम्हारा प्रेम कहां गया?

DevRaj80
12-01-2015, 03:50 PM
सिर्फ एक प्रतिशत लोग थोड़ी गहरी समझ रखते हैं। कवि, चित्रकार, संगीतकार, नर्तक या गायक के पास एक संवेदनशीलता होती है जो शरीर के पार देख सकती है। वे मन की, हृदय की सुंदरताओं को महसूस कर सकते हैं क्योंकि वे खुद उस तल पर जीते हैं।

DevRaj80
12-01-2015, 03:50 PM
इसे एक बुनियादी नियम की तरह याद रखो: तुम जहां भी रहते हो उसके पार नहीं देख सकते। यदि तुम अपने शरीर में जीते हो, स्वयं को सिर्फ शरीर मानते हो तो तुम सिर्फ किसी के शरीर की ओर आकर्षित होओगे। यह प्रेम का शारीरिक तल है। लेकिन संगीतज्ञ , चित्रकार, कवि एक अलग तल पर जीता है। वह सोचता नहीं, वह महसूस करता है। और चूंकि वह हृदय में जीता है वह दूसरे व्यक्ति का हृदय महसूस कर सकता है। सामान्यतया इसे ही प्रेम कहते हैं। यह विरल है। मैं कह रहा हूं शायद केवल एक प्रतिशत, कभी-कभार।

DevRaj80
12-01-2015, 03:50 PM
दूसरे तल पर बहुत लोग क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं जबकि वह अत्यंत सुंदर है? लेकिन एक समस्या है: जो बहुत सुंदर है वह बहुत नाजुक भी है। वह हार्डवेयर नहीं है, वह अति नाजुक शीशे से बना है। और एक बार शीशा गिरा और टूटा तो इसे वापिस जोड़ने का कोई उपाय नहीं होता। लोग इतने गहरे जुड़ना नहीं चाहते कि वे प्रेम की नाजुक पर्तों तक पहुंचें, क्योंकि उस तल पर प्रेम अपरिसीम सुंदर होता है लेकिन उतना ही तेजी से बदलता भी है।

DevRaj80
12-01-2015, 03:51 PM
भावनाएं पत्थर नहीं होतीं, वे गुलाब के फूलों की भांति होती हैं। इससे तो प्लास्टिक का फूल लाना बेहतर है क्योंकि वह हमेशा रहेगा, और रोज तुम उसे नहला सकते हो और वह ताजा रहेगा। तुम उस पर जरा सी फ्रेंच सुगंध छिड़क सकते हो। यदि उसका रंग उड़ जाए तो तुम उसे पुन: रंग सकते हो। प्लास्टिक दुनिया की सबसे अविनाशी चीजों में एक है। वह स्थिर है, स्थायी है; इसीलिए लोग शारीरिक तल पर रुक जाते हैं। वह सतही है लेकिन स्थिर है।

DevRaj80
12-01-2015, 03:51 PM
कवि, कलाकार लगभग हर दिन प्रेम में पड़ते रहते हैं। उनका प्रेम गुलाब के फूल की तरह होता है। जब तक होता है तब तक इतना सुगंधित होता है, इतना जीवंत, हवाओं में, बारिश में सूरज की रोशनी में नाचता हुआ, अपने सौंदर्य की घोषणा करता हुआ, लेकिन शाम होते-होते वह मुरझा जाएगा, और उसे रोकने के लिए तुम कुछ नहीं कर सकते। हृदय का गहरा प्रेम हवा की तरह होता है जो तुम्हारे कमरे में आती है; वह अपनी ताज़गी, अपनी शीतलता लाती है, और बाद में विदा हो जाती है। तुम उसे अपनी मुट्ठी में बांध नहीं सकते।

DevRaj80
12-01-2015, 03:51 PM
बहुत कम लोग इतने साहसिक होते हैं कि क्षण-क्षण जीएं, जीवन को बदलते रहें। इसलिए उन्होंने ऐसा प्रेम करने का सोचा है जिस पर वे निर्भर रह सकते हैं। मैं नहीं जानता तुम किस प्रकार का प्रेम जानते हो, शायद पहले किस्म का, शायद दूसरे किस्म का। और तुम भयभीत हो कि अगर तुम अपने अंतरतम में पहुंचो तो तुम्हारे प्रेम का क्या होगा? निश्चय ही वह खो जाएगा लेकिन तुम कुछ नहीं खोओगे। एक नए किस्म का प्रेम उभरेगा जो कि लाखों में एकाध व्यक्ति के भीतर उभरता है। उस प्रेम को केवल प्रेमपूर्णता कहा जा सकता है।

DevRaj80
12-01-2015, 03:51 PM
पहले प्रकार के प्रेम को सैक्स कहना चाहिए। दूसरे प्रेम को प्रेम कहना चाहिए, तीसरे प्रेम को प्रेमपूर्णता कहना चाहिए: एक गुणावत्ता, असंबोधित; न खुद अधिकार जताता है, न किसी को जताने देता है। यह प्रेमपूर्ण गुणवत्ता ऐसी मूलभूत क्रांति है कि उसकी कल्पना करना भी अति कठिन है।पत्रकार मुझसे पूछते रहते हैं, " यहां पर इतनी स्त्रियां क्यों हैं?" स्वभावत: प्रश्न संगत है, और जब मैं जवाब देता हूं तो उन्हें धक्का लगता है। उन्हें यह उत्तर अपेक्षित नहीं था। मैंने उनसे कहा, " मैं पुरुष हूं।" उन्होंने अविश्वसनीय रूप से मुझे देखा। मैंने कहा, " यह स्वाभाविक है कि स्त्रियां बहुत बड़ी संख्या में होंगी, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में जो भी जाना है वह है या तो सैक्स या बहुत विरले क्षणों में प्रेम। लेकिन उन्हें कभी प्रेमपूर्णता का स्वाद नहीं मिला।" मैंने उन पत्रकारों से कहा, "तुम यहां पर जो पुरुष देखते हो उनमें भी बहुत से गुण विकसित हुए हैं जो बाहर के समाज में दबे रह गए होंगे।"

DevRaj80
12-01-2015, 03:51 PM
बचपन से ही लड़के से कहा जाता है, " तुम लड़के हो, लड़की नहीं हो। एक लड़के की तरह बरताव करो। आंसू लड़कियों के लिए होते हैं, तुम्हारे लिए नहीं। मर्द बनो।" अत: हर लड़का उसके स्त्रैण गुणों को खारिज करता रहता है। और जो भी सुंदर है वह सब स्त्रैण है। तो अंतत: जो शेष रहता है वह सिर्फ एक बर्बर पशु। उसका पूरा काम ही है बच्चों को पैदा करना। लड़की के भीतर कोई पुरुष के गुण पालने की इजाजत नहीं होती। अगर वह पेड़ पर चढ़ना चाहे तो उसे फौरन रोक देंगे, "यह लड़कों के लिए है, लड़की के लिए नहीं।" कमाल है! यदि लड़की पेड़ पर चढ़ना चाहती है तो यह पर्याप्त प्रमाण है कि उसे चढ़ने देना चाहिए।"सभी पुराने समाजों ने स्त्री और पुरुष केलिए भिन्न-भिन्न कपड़े बनाए हैं। यह सही नहीं है, क्योंकि हर पुरुष एक स्त्री भी है। वह दो स्रोतों से आया है: उसके पिता और उसकी मां। दोनों ने उसके अंतस को बनने में योगदान दिया है। और हर स्त्री पुरुष भी होती है। हमने दोनों को नष्ट कर दिया। स्त्री ने समूचा साहस, हिम्मत, तर्क, युक्ति खो दी क्योंकि इन्हें पौरुष की गुणवत्ताएं माना जाता है। और पुरुष ने प्रसाद, संवेदनशीलता, करुणा, दयालुता खो दी। दोनों आधे हो गए। यह एक बड़ी समस्याओं में एक है जिसे हमें हल करना है, कम से कम हमारे लोगों के लिए।

DevRaj80
12-01-2015, 03:52 PM
मेरे संन्यासियों को दोनों होना है: आधा पुरुष, आधी स्त्री। यह उन्हें समृद्ध बनाएगा। उनके पास वे सभी गुण्वत्ताएं होंगी जो मनुष्य के लिए संभव हैं, केवल आधी ही नहीं।अंतरतम के बिंदु पर तुम्हारे भीतर सिर्फ प्रेमपूर्णता की एक सुवास होती है। तो डरो मत। तुम्हारा भय सही है, जिसे तुम प्रेम कहते हो वह विदा हो जाएगा लेकिन उसकी जगह जो आएगा वह अपरिसीम है, अनंत है । तुम बिना लगाव के प्रेम करने में सफल होओगे। तुम अनेक लोगों से प्रेम कर सकोगे क्योंकि एक व्यक्ति से प्रेम करना खुद को गरीब रखना है। वह एक व्यक्ति तुम्हें एक अनुभव दे सकता है लेकिन कई-कई लोगों से प्रेम करना …

DevRaj80
12-01-2015, 03:52 PM
तुम चकित होओगे कि हर व्यक्ति तुम्हें एक नया अहसास, नया गीत, नई मस्ती देता है। इसीलिए मैं विवाह के खिलाफ हूं। कम्यून में विवाह खारिज कर देने चाहिए। लोग चाहें तो तह-ए-जिंदगी एक-दूसरे के साथ रह सकते हैं लेकिन यह एक कानूनी आवश्यकता नहीं होगी। लोगों को कई संबंध बनाने चाहिए, प्रेम के जितने अनुभव संभव हैं उतने लेने चाहिए। उन्हें मालकियत नहीं जमाना चाहिए। और किसी को अपने ऊपर मालकियत नहीं करने देना चाहिए क्योंकि वह भी प्रेम को नष्ट करता है।

DevRaj80
12-01-2015, 03:52 PM
सभी मनुष्य प्रेम करने के पात्र हैं। एक ही व्यक्ति के साथ आजीवन बंधकर रहने की जरूरत नहीं है। यह एक कारण है कि दुनिया में लोग इतने ऊबे हुए क्यों लगते हैं। वे तुम जैसे हंस क्यों नहीं सकते? वे तुम्हारी तरह नाच क्यों नहीं सकते? वे अदृश्य जंजीरों से बंधे हैं: विवाह, परिवार, पति, पत्नी, बच्चे। वे हर तरह के कर्तव्यों, जिम्मेदारियों और त्याग के बोझ तले दबे हैं, और तुम चाहते हो कि वे हंसें, मुस्कुराएं, और आनंद मनाएं? तुम असंभव की मांग कर रहे हो। लोगों के प्रेम को स्वतंत्र करो, लोगों को मालकियत से मुक्त करो। लेकिन यह तभी होता है जब तुम ध्यान में अपने अंतरतम को खोजते हो। इस प्रेम का अभ्यास नहीं किया जा सकता।

DevRaj80
12-01-2015, 03:52 PM
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आज रात किसी अलग स्त्री के पास जाओ अभ्यास की खातिर। तुम्हें कुछ हासिल नहीं होगा और तुम अपनी पत्नी को भी खो दोगे। और सुबह तुम बेवकूफ दिखाई दोगे। यह अभ्यास का सवाल नहीं है, यह तुम्हारे अंतरतम को खोजने का सवाल है। अंतरतम की खोज के साथ अवैयक्तिक प्रेमपूर्णता, इम्पर्सनल लविंगनैस पैदा होती है। फिर तुम सिर्फ प्रेम होते हो। और वह फैलता जाता है। पहले मनुष्यों पर, फिर जल्दी ही पशु, पक्षी, पेड़ पर्वत, तारे…। वह दिन भी आता है जब यह पूरा अस्तित्व तुम्हारी महबूबा बनता है। और जो इसको उपलब्ध नहीं होता वह मात्र जीवन व्यर्थ गंवा रहा है।

DevRaj80
12-01-2015, 03:52 PM
हां, तुम्हें कुछ चीजें खोनी होंगी, लेकिन वे निरर्थक हैं। तुम्हें इतना कुछ मिलेगा कि तुम्हें दोबारा याद भी न आएगी कि तुमने क्या खोया है। एक विशुद्ध अवैयक्तिक प्रेमपूर्णता रहेगी जो किसी के भी अंतरतम में प्रविष्ट हो सकती है। यह निष्पत्ति है ध्यानपूर्ण स्थिति की, मौन की, अपने अंतस में गहरे डूबने की। मैं केवल तुम्हें राजी करने की कोशिश कर रहा हूं। जो है उसे खोने से डरो मत।

DevRaj80
12-01-2015, 03:54 PM
कल जब
निरंतर कोशिशों के बाद,
नहीं कर सकी
मैं तुम्हें प्यार,
तब
गुलमोहर की सिंदूरी छाँव तले
गहराती
श्यामल साँझ के
पन्नों पर
लिखी मैंने
प्रेम-कविता,
शब्दों की नाजुक कलियाँ समेट
सजाया उसे
आसमान में उड़ते
हंसों की
श्वेत-पंक्तियों के परों पर,
चाँद ने तिकोनी हँसी से
देर तक निहारा मेरे इस पागलपन को,
नन्हे सितारों ने
अपनी दूधिया रोशनी में
खूब नहलाया मेरी प्रेम कविता को,
कभी-कभी लगता है कितने अभागे हो तुम
जो ना कभी मेरे प्रेम के
विलक्षण अहसास के साक्षी होते हो
ना जान पाते हो कि
कैसे जन्म लेती है कविता।
फिर लगता है कितने भाग्यशाली हो तुम
कि मेरे साथ तुम्हें समूची साँवल*ी कायनात प्रेम करती है,
और एक खूबसूरत प्रेम कविता जन्म लेती है
सिर्फ तुम्हारे कारण।

DevRaj80
12-01-2015, 04:06 PM
कामवासना ओर प्रेम— ओशो सत्संग से ...

प्रेम का एक रूप

DevRaj80
12-01-2015, 04:11 PM
प्रिय मित्रो क्या सत्संग के इस हिस्से को मैं यहाँ पोस्ट कर सकता हूँ !!!

कम से कम दस मित्रो की सहमती के बाद ही मैं इसे पोस्ट करूंगा ..

DevRaj80
12-01-2015, 04:46 PM
http://www.google.co.in/url?sa=i&source=images&cd=&ved=0CAUQjBw&url=http%3A%2F%2Fwww.arthkaam.com%2Fwp-content%2Fuploads%2F2013%2F02%2Fmy-valentine.jpg&ei=zMGzVNTYKsSMuAT86YH4DA&psig=AFQjCNGlYfiauD2DliR1sc5q6kMSdMGW8Q&ust=1421153100853607

DevRaj80
12-01-2015, 04:46 PM
http://cdn1.maayboli.com/files/u1438/prem.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:47 PM
http://3.bp.blogspot.com/_QAWNDSAkkxk/TMkTZ6sFY2I/AAAAAAAABh8/SFJ2uRroIDU/s640/post-41078-1263534474.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:48 PM
http://fbstock.in/images/pictures/poems/Presentation1fsdfsdfgfg907.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:49 PM
http://www.dushyantlive.com/wp-content/uploads/2013/02/Prem-ka-anya1.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:50 PM
http://media.santabanta.com/joke/hindi/visuals/hindi-fb-1001344.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:51 PM
http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2010/07/Nazm-Tum-Mujhe-Prem-Ki.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:51 PM
http://media.santabanta.com/joke/hindi/visuals/hindi-fb-1001381.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:52 PM
http://janokti.com/wp-content/uploads/12450.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 04:56 PM
सभी मित्रो के विचार सुन कर समझ कर मैं भी अपने विचार रखना चाहता हूँ ...

एक लाइन में ....मेरी भावनाओं में मेरा मन कहता है ...

प्रेम कोरा शब्द नहीं अनुभूति का नाम है |

DevRaj80
12-01-2015, 04:56 PM
प्रेम ही ईश्वर है और ईश्वर ही प्रेम है.प्रेम कोरा शब्द नहीं अनुभूति का नाम है,दुनिया की सर्वोत्तम अनुभूति का.कोई सरकार प्रेम करने पर प्रतिबन्ध लगा दे इससे बड़ा अत्याचार कोई हो ही नहीं सकता.ऐसा सिर्फ रोम में संभव है,भारत में नहीं.भारत में तो प्रेम को ही विद्या माना गया है.कबीर कहते हैं कि जिसने सबसे प्रेम करना सीख लिया वही पंडित है.सबके साथ अनुराग,सबके साथ प्रेम तभी संभव है जब या तो सबमें ईश्वर नजर आने लगे या फ़िर सबमें प्रेमी अथवा प्रेमिका दिखाई देने लगे.इसमें भी पहली अवस्था उत्तम है क्योंकि यहाँ पिटने का भय नहीं,दूसरी अवस्था में सिर्फ पिटने की ही सम्भावना है,प्रेम तो मिलने से रहा.

DevRaj80
12-01-2015, 04:56 PM
सबमें ईश्वर है.सब उसी के अंश हैं.फ़िर घृणा क्यों और किससे?इसलिए दुनिया में अगर कुछ करनीय है तो वह है सिर्फ और सिर्फ प्रेम और कुछ भी नहीं.लेकिन ऐसा तभी संभव है जब कोई व्यक्ति ईश्वर में स्थित हो जाए.फ़िर तो जित देखूं तित तूं वाली अवस्था हो जाती है.ऐसा व्यक्ति किसी पर नाराज नहीं हो सकता,कुपित नहीं हो सकता,क्रोधित नहीं हो सकता.वह मन के हाथों बेमोल बिक चुका होता है;बाध्य हो जाता है.ऐसा व्यक्ति इस दुनिया में सिर्फ एक ही काम कर सकता है और वह है प्रेम.

DevRaj80
12-01-2015, 04:57 PM
लेकिन यह सर्वसिद्ध है कि सभी मानवेंद्रियों में सबसे प्रभावकारी हैं नेत्र.हम जो देखते हैं उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते.इसलिए हम जब किसी को अनुचित कार्यों में एक बार लिप्त देखते हैं तो कुपित हो जाते हैं.बार-बार देखते हैं तब क्रोध स्थायी भाव ग्रहण करने लगता है और हम उससे घृणा करने लगते हैं.हम भूल जाते हैं कि जो हमें दिख रहा है वह माया है और हम जाने-अनजाने उसका शिकार बन चुके हैं.हम भूल जाते हैं कि यहाँ देखनेवाला भी ईश्वर है;दुष्कर्म करनेवाला भी ईश्वर,पीड़ित भी ईश्वर और घृणा करनेवाला भी ईश्वर.

DevRaj80
12-01-2015, 04:57 PM
ऐसा नहीं है कि अगर कोई अनुचित कर्म करे तो उसे ईश्वरीय कृत्य मानकर क्षमा कर दिया जाए तो उचित होगा.मायावी संसार में व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरुरी है कि मायावी कानून बने और मायावी दंड भी दिए जाएँ.इस सम्बन्ध में एक कथा बड़ी सटीक और प्रासंगिक है.कथा प्रेममूर्ति स्वामी रामकृष्ण परमहंस के मुखारविंद के निस्सृत है.एक दिन शिष्य को उसके गुरु ने बताया कि सभी जीवों में ईश्वर है इसलिए सबसे प्रेम करो,किसी से भी नहीं डरो.एक दिन शिष्य जब भिक्षाटन पर था तब किसी राजा का हाथी पगला गया.चौराहे पर भगदड़ मच गई.सब भागने लगे.लेकिन शिष्य नहीं भागा उसने सोंचा कि गुरूजी के अनुसार तो यह हाथी भी ईश्वर है इसलिए क्यों भागा जाए?लोग चिल्ला रहे थे उसे सचेत करने लिए कि भागो हाथी तुम्हें कुचल देगा.लेकिन वह नहीं भागा और खड़ा रहा.परिणामस्वरूप हाथी ने उसे घायल कर दिया.गुरूजी को मालूम हुआ तो राजकीय आरोग्यशाला में भागे-भागे आए और शिष्य से पूछा कि यह गजब हुआ कैसे?तो शिष्य ने कहा कि हाथी में जो ईश्वर था उसने मुझे घायल कर दिया.तब गुरूजी ने कहा कि मूर्ख,सिर्फ हाथी में ही ईश्वर था और तुम्हें जो लोग सचेत कर रहे थे उनमें ईश्वर नहीं था?

DevRaj80
12-01-2015, 04:58 PM
प्रेम करना आसान नहीं है.आखिर यह सर्वोत्तम अनुभव मुफ्त में मिले भी तो कैसे?प्रेम में अपना सबकुछ पिघला देना पड़ता है.अपना व्यक्तित्व,अपनी सोंच,अपना अस्तित्व सबकुछ खाक कर देना होता है,तब जाकर मिलता है सच्चे प्रेम के बदले सच्चा प्रेम.कबीर कहते हैं कि प्रेम हाट में नहीं बिकता न ही बाड़ी में उपजता है.यह अनमोल फसल तो ह्रदय में उपजता है और ह्रदय में ही परिपक्व होता है और ह्रदय ही इसका रसास्वादन करता है.

DevRaj80
12-01-2015, 04:59 PM
पुरुष और स्त्री दुनिया को चलानेवाले दो पहिए हैं.जबतक दोनों अलग-अलग हैं दुनिया की गाड़ी नहीं चल सकती,ठहर जाएगी;सबकुछ समाप्त हो जाएगा.सुनता हूँ कि सबके लिए कहीं-न-कहीं कोई-न-कोई है जो तत्काल अज्ञात है,अनजाना है.लेकिन भविष्य में वही उसके लिए सबकुछ न सही बहुत-कुछ हो जाएगा;क्योंकि वही प्रेम का सबसे सघन साक्षात् प्रतिरूप बनकर उसके जीवन में आएगा.लेकिन क्या यह प्रेम सिर्फ सांसारिक प्रेम होगा,शारीरिक होगा या यह प्रेम ईश्वरीय प्रेम की ऊंचाइयों को भले ही प्राप्त कर न पाए उसके निकट पहुंचेगा.मैं आदर्शवादी हूँ.मुझे सपनों में जीने की आदत है.मैं रोज कल्पना करता हूँ कि मैं अपनी अर्द्धांगिनी से बेईन्तहा मुहब्बत करता हूँ और हमारे प्रेम ने ईश्के मजाजी से ईश्के हकीकी तक का सफ़र तय कर लिया है.हमारे प्रेम ने उन्हीं ऊंचाईयों को हासिल कर लिया है जो कभी उसने राम और सीता के मध्य प्राप्त की थी.लेकिन मैं नहीं जानता हूँ उसका रंग-रूप,नाम और पता.इस समय वह कहाँ है और क्या कर रही है सबकुछ अनिश्चित भविष्य की धुंध में है..मैं उसकी पुकार सुन रहा हूँ लेकिन जान नहीं रहा कि वह कौन है और कहाँ है.वह भी इसी तरह मेरे दिल की आवाज को कहीं गुमसुम बैठी सुन रही है और व्याकुल है आवाज के स्रोत को जानने के लिए.मगर कहाँ,रहस्य है और तब तक यह रहस्य बना रहेगा जब तक भविष्य वर्तमान नहीं बन जाता.

DevRaj80
12-01-2015, 05:02 PM
http://3.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Sk2X_ijpWlI/AAAAAAAAACs/8NmRbdwFjZs/s320/radha-n-krishna-pc.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 05:03 PM
http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Skyvhs-PG7I/AAAAAAAAACM/Tkcv_qO9nNQ/s400/Portfoliochaitali_bose22916.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 05:03 PM
http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Sk2aOi2ykdI/AAAAAAAAAC8/XIVwpkGwpbg/s320/radha_krishna_QB45_l.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 05:03 PM
http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Sk2Z-un-9TI/AAAAAAAAAC0/8attx6vg2lc/s400/krishna_radha.jpg

DevRaj80
12-01-2015, 05:03 PM
http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Skyv_H29bUI/AAAAAAAAACU/P_EysGANPkw/s400/untitled.bmp

Nand Kumar
12-01-2015, 09:05 PM
very good

Nand Kumar
12-01-2015, 09:06 PM
amazing love of shree krishna and radhe rani

Nand Kumar
12-01-2015, 09:09 PM
http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Sk2Z-un-9TI/AAAAAAAAAC0/8attx6vg2lc/s400/krishna_radha.jpg

http://4.bp.blogspot.com/_G1eag-_YSKY/Sk2aOi2ykdI/AAAAAAAAAC8/XIVwpkGwpbg/s320/radha_krishna_QB45_l.jpg

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:bravo::hello::hello::bravo:

wordless

DevRaj80
13-01-2015, 04:13 PM
:bravo::hello::hello::bravo:

wordless


:hello::hello::gm::gm::wave1::wave1::thanks::thank s::thanks:

DevRaj80
14-01-2015, 01:52 PM
https://fbcdn-sphotos-c-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/v/t1.0-9/969971_488240011244509_53872775_n.jpg?oh=620b0bed3 6b5bc79f9cacc426d2cf1a2&oe=5528437F&__gda__=1428828376_773e02e37f695f0791060945109eefc c

soni pushpa
20-01-2015, 01:51 PM
[QUOTE=DevRaj80;545270][color="darkgreen"][size="4"]


क्या वास्तव में प्रेम समय के साथ फीका पड जाता है


सच्चे दिल से जवाब देने की कोशिश करे मित्रो ..




जो समय के साथ फीका पड़ जाय वो प्रेम ही नही ...सिरफ़ आकर्षण कहलाता है . प्रेम एक महान भावना है जिसमे अपनों के लिए, जिन्हें हम बेहद प्यार करते हैं सब कुछ न्योछावर करके उनके लिए जीना चाहते hain बस ये ही एक भावना रह जाती है.-- एक पति अपनी पत्नी के लिए कहे की मेरे पहले आप इस दुनिया से विदा ले लो ये उसका अद्भुत प्रेम कहा जायेगा क्यूंकि वो अपने रहते उसका हरेक ख्याल रखेगा उसे दुखी नही होने देगा वो ये बात जनता है , ये प्रेम की पराकाष्ठा है वो जनता है की यदि वो न रहा तो, एक तो उसकी याद में उसकी पत्नी न जी पायेगी न मर पायेगी दूसरा वो ये भी जनता है की पत्नी के साथ संसार के लोग keisa सुलूक करेंगे ,...इसलिए वो पहलेअपनी पत्नी को जाने की सोचेगा और अपनी पत्नी के बिना खुद अकेले जीने का कष्ट वो सहेगा लेकिन खुद के जाने के बाद अपनी पत्नी की होने वाली दुर्दशा की कल्पना तक वो नही कर सकता हालाँकि बिना पत्नी के खुद का जीवन नरक के सामान मानता है फिर भी अथाह प्यार सच्चा प्यार मै इसे ही कहूँगी .
.और यदि हम पति पत्नी के संबंध को न लेकर किसी और संबंध को लें तब भी प्यार जहा हैं वह फीके पढ़ने की कोई आशंका ही नही एक माँ अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती है रात भर जग सकती है बर्तन मांजकर के दूजो के ,, बच्चों का पेट पाल सकती है खुद भूखी रहकर बच्चे को खिलाती है बाप अपना रात दिन एक करके बच्चे के लिए कमाता है ... एइसे ही हर तरह के प्यार में सदा एक ही रूप दीखता है जहाँ सिरफ़ और सिरफ़ एकही रंग होता है प्यार कभी गिरगिट की तरह रंग नही बदलता .