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View Full Version : पिता


DevRaj80
14-01-2015, 02:11 PM
पिता

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पिता : एक व्यक्तित्व जिसके विषय में कभी कुछ कहा ही नहीं जाता या फिर कम कहा जाता है .

सभी को बचपन में अनुशासनप्रियता व सख्ती के चलते पिता हमें क्रूर नजर आते हैं। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है और हम जीवन की कठिन डगर पर चलने की तैयारी करने लगते हैं, हमें अनुभव होता है कि पिता की वो डांट और सख्ती हमारे भले के लिए ही थी।


उनकी हर एक सीख जब हमें अपनी मंजिल की ओर बढ़ने में मदद करती है, तब हमें मालूम पड़ता है कि पिता हमारे लिए कितने खास थे और हैं।

तो आज एक सूत्र

पिता के नाम

देव

DevRaj80
14-01-2015, 02:19 PM
आशीष पिता के


भरी धूप में छाँव सरीखे
तूफ़ानों में नाव सरीखे
खुशियों में सौ चाँद लगाते
साथ-साथ आशीष पिता के

हाथ पकड़ कर
भरी सड़क को पार कराते
उठा तर्जनी
दूर कहीं गंतव्य दिखाते
थक जाने पर गोद उठाते
धीरे-धीरे कोई कहानी कहते जाते
साथ-साथ आशीष पिता के

दिन भर खटते
शाम ढले पर घर को आते
हरे बाग में खेल खिलाते
घास काटते
फूलों को मिल कर दुलराते
तार जोड़ते नल सुधराते
साथ-साथ आशीष पिता के

DevRaj80
14-01-2015, 02:19 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:20 PM
छायादार वृक्ष के समान है पिता

पिता अर्थात छायादार वह बड़ा वृक्ष, जिसमें बचपने की गौरेया बनाती है घोसला...। पिता अर्थात वह अंगुली, जिसे पकड़कर अपने पांव पर खड़ा होना सीखता है, घुटनों के बल चलने वाला...। पिता अर्थात वह कांधा, जिस पर बैठकर शहर की गलियों से दोस्ती करता है नन्हा मुसाफिर...।

पिता अर्थात एक जोड़ी वह आंख, जिसकी पलकों में अंकुरते हैं बेटे को हर तरह से बड़ा करने के हजारों सपने...। पिता अर्थात वह पीठ, जो बेटे को घुड़सवारी करवाने के लिए तैयार रहती है हरदम...।

पिता अर्थात वह लाठी, जो छोटे पौधे को सीधा करने के लिए खड़ी और गड़ी रहती है साथ-साथ...। पिता अर्थात हाड़-मांस की वह काया, जिसमें पलता है बच्चों का दुलार-संस्कार...। पिता अर्थात वह ईश्वर, जिसका अनुवाद होता है, आदमी की शक्ल में।

DevRaj80
14-01-2015, 02:20 PM
वेद की वह पवित्र किताब है पिता, जिसमें लिखी हैं पुरखों के परिचय की ऋचाएं, जिसे पढ़कर जाना जा सकता है मनुष्य का जन्म, जिसकी आंखों में झांककर देखा जा सकता है आदम का रूप। जो अपनी संतान के लिए ढोता है पीड़ाओं का पहाड़, दर्द के हिमालय लेकर दौड़ता है रात-दिन, लेकिन उफ्* तक नहीं करता। अपनी नींद गिरवी कर संतान के लिए घर लाता है चुटकीभर चैन।

DevRaj80
14-01-2015, 02:20 PM
कभी राम के वियोग में दशरथ बनकर तड़प-तड़पकर त्याग देता है प्राण, कभी अभिमन्यु के विरह में अर्जुन बन संहार कर देता है कौरवों की सेना का, तो कभी पुत्र मोह में हो जाता है धृतराष्ट्र की तरह नेत्रहीन। पिता वह रक्त जो दौड़ता रहता है संतान की धमनियों में। जो चमकता है संतान के गालों पर और दमकता है उसके माथे पर।

DevRaj80
14-01-2015, 02:20 PM
पिता साथ चलता है तो साथ देते हैं तीनों लोक, चौदहों भुवन। पिता सिर पर हाथ रखता है तो छोटे लगते हैं देवी-देवताओं के हाथ। पिता हंसता है तो शर्म से पानी-पानी हो जाते हैं हेमंत और बसंत। पिता जब मार्ग दिखाता है तो चारों दिशाएं छोड़ देती हैं रास्ता, आसमान आ जाता है बांहों के करीब और धरती सिमट आती है कदमों के आसपास।

DevRaj80
14-01-2015, 02:20 PM
पिता जब नाराज होता है तो आसमान के एक छोर से दूसरे छोर तक कड़क जाती है बिजली, हिलने लगती है जिंदगी की बुनियाद। पिता जब टूटता है तो टूट जाती हैं जाने कितनी उम्मीदें, पिता जब हारता है तो पराजित होने लगती हैं खुशियां।

DevRaj80
14-01-2015, 02:21 PM
जब उठता है सिर से पिता का साया तो घर पर एक साथ टूट पड़ते हैं कई-कई पहाड़। पिता की सांस के जाते ही हो जाती है कई की सपनों की अकाल मौत।

DevRaj80
14-01-2015, 02:24 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:24 PM
http://www.khaskhabar.com/newsimage/small400/father-745.jpg

DevRaj80
14-01-2015, 02:28 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:29 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:30 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:31 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:31 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:36 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:37 PM
पिता पिता जीवन है,संम्बल है,शक्ति है, पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है, पिता अंगुली पकडे बच्चे का सहारा है, पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है, पिता ! पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशासन है, पिता ! पिता धौस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है, पिता ! पिता रोटी है कपड़ा है मकान है, पिता ! पिता छोटे परिंदे का बड़ा आसमान है, पिता ! पिता अप्रदर्शित अनंत प्यार है, पिता है तो बच्चों को इन्तजार है, पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने है, पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने है, पिता से परिवार में प्रतिपल राग है, पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है, पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है, पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है, पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है, पिता ! पिता रक्त में दिये हुये संस्कारों की मूर्ती है, पिता ! पिता एक जीवन को जीवन का दान है, पिता ! पिता दुनिया दिखाने का अहसान है, पिता ! पिता सुरक्षा है अगर सिर पर हाथ है, पिता नही तो बचपन अनाथ है, तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो, पिता का अपमान नही उन पर अभिमान करो, क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई पाट नहीं सकता, और ईश्वर भी उनके आशीषों को काट नही सकता ! विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है, माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है, विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएँ व्यर्थ है, यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ है, वो खुशनसीब है,माँ-बाप जिनके साथ होते है, क्योंकि,माँ-बाप के आशीषों के हाथ हजारों हाँथ होते है,

DevRaj80
14-01-2015, 02:47 PM
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मां का साया नहीं, पिता दुधमुंही को लिए ढो रहा है सवारी

जयपुर: ाजस्थान के भरतपुर में एक रिक्शा चालक पिछले कुछ दिनों से कपड़े में अपनी नवजात बेटी को एक हाथ में लिए और दूसरे से रिक्शे के हैंडल को पकड़े सवारी को उनकी मंजिल तक पहुंचाता दिखता है।

अपनी एक माह की दुधमुंही बच्ची को इस तरह मौसम के थपेड़ों के बीच घूमने को मजबूर रिक्शाचालक का नाम बबलू है। दलित जाति से रिश्ता रखने वाले बबलू को उसकी जीवन संगिनी शांति बच्ची को पैदा करते ही चल बसी।

रोज कमाकर परिवार का पेट पालने वाले बबलू के लिए ज्यादा समय शोक मनाने के लिए भी नहीं बचा। और किसी तरह क्रिया क्रम करने के बाद अपने बूढ़े पिता का भार संभाल रहे बबलू को रिक्शे का हैंडल संभालना पड़ा।

DevRaj80
14-01-2015, 02:47 PM
रोज कमाकर परिवार का पेट पालने वाले बबलू के लिए ज्यादा समय शोक मनाने के लिए भी नहीं बचा। और किसी तरह क्रिया क्रम करने के बाद अपने बूढ़े पिता का भार संभाल रहे बबलू को रिक्शे का हैंडल संभालना पड़ा।

घर में और किसी के न होने की वजह से बबलू को अपनी नन्ही परी को साथ लेकर ही घूमना पड़ता है। बबलू कहता है कि कभी-कभार वह बच्ची को अपने पिता के पास छोड़कर जाता है लेकिन बीच में बार-बार दूध पिलाने के लिए वापस भी आता है।

DevRaj80
14-01-2015, 02:47 PM
शांति की आखिरी निशानी को बड़े जतन से पालने की कोशिश भले ही बबलू कर रहा हो लेकिन पेट की भूख की वजह से बदलते मौसम की वजह से बच्ची पिछले दो दिनों से बीमार है और भरतपुर के सरकारी अस्पताल में भर्ती है।

आज भी बबलू अपनी शांति के आखिरी पलों को याद कर रो पड़ता है। बहते हुए आंसू के बीच उसकी कांपती हुई आवाज ने कहा, ''बच्ची के पैदा होने के बाद खून की कमी के कारण शांति की तबीयत बिगड़ी, डॉक्टर ने खून लाने के लिए कहा, मैं खून लेकर लौटा तो पता चला कि शांति की सांस हमेशा के लिए उखड़ गई, मेरी आँखों के आगे अँधेरा पसर गया।"

DevRaj80
14-01-2015, 02:47 PM
बबलू ने बताया कि करीब 15 वर्ष के दांपत्य जीवन के बाद उनके जीवन में पहली संतान के रूप में यह बच्ची तमाम खुशियां लेकर आई थी।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे बबलू ने कहा कि वह एक किराए के कमरे में रहता है जहां पर उसे प्रतिमाह 500 रुपये देना होता है। इसके अलावा प्रतिदिन 30 रुपये रिक्शा का किराया भी देता है।

पिता की जिम्मेदारी भलिभांति समझते हुए बबलू कहता है, "कभी कभी किराये के कमरे पर पिता के साथ बेटी को छोड़ जाता हूं, बीच-बीच में उसे दूध पिलाने लौट आता हूं। ये शांति की अमानत है, इसलिए मेरी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।"

DevRaj80
14-01-2015, 02:47 PM
आज जब तमाम शहरों में बेटी के पैदा होने पर परिजनों के चेहरे मुरझा जाते हैं, लोग दुधमुंही बच्ची को लावारिस छोड़ कर भाग जाते हैं, ऐसे में गरीब बबलू का बेटी से लगाव एक उदाहरण पेश करता है।

बबलू का कहना है “शांति तो इस दुनिया में नहीं है, लेकिन मेरी हसरत है ये उसकी धरोहर फूले फले, मेरा सपना है उसे बेहतरीन तालीम मिले। हमारे लिए वो बेटे से भी बढ़ कर है।”

समाज से उसे मदद मिलने के प्रश्न पर बबलू कहता है 'हमदर्दी के अल्फाज तो बहुत मिले, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली। रिश्तेदारों ने भी कोई मदद नहीं की।

DevRaj80
14-01-2015, 02:48 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:48 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:49 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:49 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:49 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:51 PM
https://diwyansh.files.wordpress.com/2012/01/e0a4aae0a4bfe0a4a4e0a4be.jpg

DevRaj80
14-01-2015, 02:52 PM
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DevRaj80
14-01-2015, 02:52 PM
पिता

समग्रता की छाँव है , स्नेह का आवेश है ,

आशाओं की मरुभूमि में हरित प्रदेश है |

उपस्थिति से इसके परिवार में प्रकाश है,

पिता नहीं तो बच्चों के जीवन में प्यास है |

कोमल कल्पनाओं का सुखद आधार है ,

हर नवीन कथानक का वो ही सूत्रधार है |

पिता के प्यार में पलता अनुशासन है ,

कर्तव्यों ,दायित्वों का सम्यक पोषण है |

श्रमिक का प्रतिरूप है ,सौम्य सुविचार है ,

पिता का हाथ साथ हो तो ही बाजार है |

पिता है तो रोटी है , बेटा और बेटी है ,

परिवार के लिए इसने दुनिया समेटी है |

घर की अभेद्य सुरक्षा दीवार है ,

पिता से ही माँ का हँसता संसार है ||

DevRaj80
14-01-2015, 02:53 PM
http://socialissues.jagranjunction.com/files/2012/07/mom.jpeg

DevRaj80
14-01-2015, 02:54 PM
‘मां का प्यार दिखता है पर पिता का प्यार महसूस होता है’

पिता की नजर

‘क्या हुआ अगर पापा कह नहीं पाते पर मुझे पता है, वो मुझसे बहुत प्यार करते है’


mom‘कहते हैं कि मां का प्यार नजर आता है पर पिता का प्यार नजर नहीं आता है क्योंकि पिता का प्यार इतना गहरा होता है कि उस प्यार को देखने के लिए नजरों की जरूरत नहीं होती है केवल दिल से ही पिता के प्यार को महसूस किया जा सकता है’. याद होगा आपको जब बचपन में आपकी मां बड़े प्यार से आपके सिर पर हाथ फेरकर आप से प्यार करने का अहसास कराती होंगी पर आपके पिता बस आपकी तरफ देखकर केवल यही पूछ्ते होंगे कि “मेरे बेटे को किसी चीज की जरूरत तो नहीं है ना.” सोचिए जरा पिता का यह सब पूछ्ना, उनकी बातों और आंखों में कितना प्यार दिखाता है पर पिता कभी भी अपना प्यार जता नहीं पाता है.

DevRaj80
14-01-2015, 02:54 PM
भारतीय मूल के एक अनुसंधानकर्ता ने दावा किया है कि जिन बच्चों के सम्बन्ध अपने पिता के साथ कम उम्र से ही अच्छे होते हैं, वे एक वर्ष की उम्र के बाद ज्यादा खुश होते हैं. ‘डेली मेल’ की खबर के अनुसार, विशेष तौर पर लड़कों पर अभिभावकों के व्यवहार का असर ज्यादा होता है और यहां तक कि वे तीन माह के होते हैं तब भी उन पर असर होता है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध में डॉक्टर पॉल रामचंदानी ने कहा कि बचपन में व्यवहार में आने वाली समस्याएं बड़े होने पर स्वास्थ्य और मानसिक परेशानियों में बदल सकती हैं जिनसे पार पाना बहुत मुश्किल होता है. इस अध्ययन के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 192 परिवारों का अध्ययन और विश्लेषण किया है.

DevRaj80
14-01-2015, 02:54 PM
पिता या मां, क्या चाहिए ?

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनसे अधिकतर यह पूछा जाता है कि उन्हें ज्यादा प्यार कौन करता है मम्मी या पापा तो अधिकांश बच्चे मां का नाम ही लेते हैं क्योंकि वो मां के साथ ही ज्यादा समय व्यतीत करते हैं और उन्हें पता ही नहीं होता है कि पिता का प्यार क्या होता है. कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो माता-पिता दोनों के साथ एक जैसा समय व्यतीत करते हैं और उनसे पूछे जाने पर वो बच्चे यही कहते हैं कि पिता ज्यादा प्यार करते हैं और साथ ही उन बच्चों को ज्यादा खुश देखा गया जो पिता के साथ ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.

DevRaj80
14-01-2015, 02:54 PM
http://socialissues.jagranjunction.com/files/2012/07/papa1.jpeg

DevRaj80
14-01-2015, 02:56 PM
http://hindi.oneindia.com/img/2013/06/16-fathersday-jpg.jpg

DevRaj80
14-01-2015, 02:56 PM
http://2.bp.blogspot.com/-unbLexZbwlk/Ub1NptpALBI/AAAAAAAAAe0/Xa3ywt3tpSQ/s1600/images+(Large).jpg

Shikha sanghvi
14-01-2015, 04:26 PM
Pita...ki ahemiyat utni hi hoti hai har ek ke jivan Mai jitni ahemiyat maa ki hoti hai....jivan ke har mod pe pita ki jarur at hoti hai.....

Shikha sanghvi
14-01-2015, 04:28 PM
Jabse humne is duniya me kadam rakha,

Papa aapne hi hume sahara he diya,

Aapne hume har aafat se he bachaya,

Aapne harwaqt hume aage badhna he sikhaya.

Aapne har pal hume har baat me saath he diya.

Papa, aapne hi hume naya kam karna sikhaya,

Aapne hi hume apna naam roshan karna he sikhaya,

aapne hi humara jivan safal he banvaya,

Papa..jab bhi aapki jarurat mahesus huyi hume,

Aap humesha humare saath khade rahe.

Aapka pyar hum kabhi bhi nahi bhulenge PAPA,

Aapka pyar hi humare jivan ka shringar he.

Koi kaheta he ki Papa ki ahemiyat jivan me kya hoti he,

Par jitni mum ki hoti he utni hi Papa ki bhi hoti he...

I LOVE YOU PAPA.....


Shikha

DevRaj80
14-01-2015, 05:29 PM
pita...ki ahemiyat utni hi hoti hai har ek ke jivan mai jitni ahemiyat maa ki hoti hai....jivan ke har mod pe pita ki jarur at hoti hai.....


बिलकुल सही कहा आपने शिखा जी

soni pushpa
14-01-2015, 11:21 PM
:bravo: सबसे पहले तो आपके द्वारा की गई इतनी मेहनत के लिए आपको धन्यवाद के साथ हार्दिक बधाई देवराज जी. बहुत अच्छी बाते लिखी है आपने पिता के लिए सच में मा और पापा ही हमारा जीवन बनाते हैं. आज हम जो कुछ हैं सब आपने माता पिता की वजह से . माँ ममता लुटाती है तो पिता अपने पसीने की कमाई से रात दिन मेहनत करके अपनी संतानों के लिए आपनी छोटी छोटी खुशियों का त्याग करके बेटे बेटी के लिए जीता है ...सच सभी संतानों का कर्त्तव्य है की माँ बाप को जीवन भर खुश रखे क्यूंकि बच्चे जब बड़े होते हैं तब तक माता पिता की उम्र बहुत कम रह जाती है तो बाकि बछि उनकी छोटी सी जिंदगी को क्यों दुखमय बनाना ? मै तो हरेक संतान से ये ही कहूँगी की आप नसीबो वाले हो जो आपके साथ आपके माता पिता हैं .उन्हें हो सके तो जीवन की साडी खुशिया दो और देखो आपके जीवन में कितनी खुशियाँ आती है .

DevRaj80
15-01-2015, 04:18 PM
:bravo: सबसे पहले तो आपके द्वारा की गई इतनी मेहनत के लिए आपको धन्यवाद के साथ हार्दिक बधाई देवराज जी. बहुत अच्छी बाते लिखी है आपने पिता के लिए सच में मा और पापा ही हमारा जीवन बनाते हैं. आज हम जो कुछ हैं सब आपने माता पिता की वजह से . माँ ममता लुटाती है तो पिता अपने पसीने की कमाई से रात दिन मेहनत करके अपनी संतानों के लिए आपनी छोटी छोटी खुशियों का त्याग करके बेटे बेटी के लिए जीता है ...सच सभी संतानों का कर्त्तव्य है की माँ बाप को जीवन भर खुश रखे क्यूंकि बच्चे जब बड़े होते हैं तब तक माता पिता की उम्र बहुत कम रह जाती है तो बाकि बछि उनकी छोटी सी जिंदगी को क्यों दुखमय बनाना ? मै तो हरेक संतान से ये ही कहूँगी की आप नसीबो वाले हो जो आपके साथ आपके माता पिता हैं .उन्हें हो सके तो जीवन की साडी खुशिया दो और देखो आपके जीवन में कितनी खुशियाँ आती है .


:hug::hug::hug::hug::hug:

ऐसे होते हैं माता पिता

:hug::hug::hug::hug::hug:

Shikha sanghvi
15-01-2015, 04:58 PM
Thanks devrajji